राज्य सरकार ने समाज कल्याण विभाग द्वारा भारत सरकार से प्राप्त शत-प्रतिशत विशेष केन्द्रीय सहायता से अनुसूचित जाति के लघु एवं सीमान्त कृषकों हेतु संचालित नि:शुल्क बोरिंग योजना में निर्धारित बोरिंग लागत 6,000 रूपये से बढ़ाकर 10,000 रूपये या वास्तविक लागत, जो भी कम हो अनुमन्य किए जाने का निर्णय लिया है। इससे प्रदेश के लाखों अनुसूचित जाति के किसान लाभािन्वत होंगे।
उत्तर प्रदेश की माननीया मुख्यमन्त्री सुश्री मायावती जी की अध्यक्षता में आज यहां सम्पन्न हुई मन्त्रिपरिषद की बैठक में इस आशय के प्रस्ताव को अनुमोदित किया गया।
उल्लेखनीय है कि अनुसूचित जाति सब प्लान के अन्तर्गत भारत सरकार से प्राप्त शत-प्रतिशत विशेष केन्द्रीय सहायता से समाज कल्याण विभाग द्वारा अनुसूचति जाति के लघु एवं सीमान्त कृषकों के खेतों में नि:शुल्क बोरिंग कराये जाने की योजना संचालित की जा रही है। वित्तीय वर्ष 1998-99 से संचालित इस योजना में बोरिंग हेतु अनुदान की अधिकतम सीमा बोरिंग की वास्तविक लागत अथवा 6,000 रूपये तथा झांसी एवं चित्रकूट मण्डलों में बोरिंग की वास्तविक लागत 7,500 रूपये, जो भी कम हो अनुदान के रूप में निर्धारित की गई है।
लघु सिंचाई विभाग द्वारा 12 फरवरी, 2009 को जारी शासनादेश के तहत नि:शुल्क बोरिंग योजना के सभी श्रेणी/जाति के कृषकों हेतु बोरिंग लागत सीमा में अनुदान वृद्धि किए जाने सम्बन्धी आदेश जारी किए गए हैं, जिसमें अनुसूचित जाति के लघु एवं सीमान्त कृषकों को वर्तमान में बोरिंग हेतु अनुदान लागत 6,000 रूपये से बढ़ाकर 10,000 या वास्तविक लागत, जो भी कम हो अनुमन्य किया गया है।
यह भी उल्लेखनीय है कि अनुसूचित जाति के लघु एवं सीमान्त कृषकों हेतु संचालित नि:शुल्क बोरिंग योजना में लघु सिंचाई विभाग द्वारा बोरिंग अनुदान 6,000 रूपये से बढ़ाकर 10,000 रूपये या वास्तविक लागत, जो भी कम हो अनुमन्य कर दिए जाने के कारण समाज कल्याण विभाग द्वारा संचालित नि:शुल्क बोरिंग योजना की अनुदान लागत मात्र 6,000 रूपये होने तथा मूल्य वृद्धि के कारण बोरिंग की गुणवत्ता एवं निर्धारित लक्ष्यों की पूर्ति प्रभावित हो रही है। इसको दृष्टिगत रखते हुए राज्य सरकार ने अनुदान लागत को 6,000 रूपये से बढ़ाकर 10,000 रूपये या वास्तविक लागत, जो भी कम हो किए जाने का निर्णय लिया है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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