लखनऊ - उत्तर प्रदेश के समस्त जिलाधिकारियों एवं मुख्य विकास अधिकारियों को निर्देंश दिये गया हैं कि प्रदेश में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारण्टी योजना के तहत पंचायती राज संस्थाओं के स्तर से आदर्श तालाब एवं खेत तालाब के निर्माण में व्यवहारिक दृष्टिकोण अपनाते हुए प्राकृतिक जल संग्रहण क्षेत्र की भौगोलिक स्थिति का मौके पर निरीक्षण करने के उपरान्त ही कार्य प्रारम्भ किया जाये। इसमें यह भी सुनिश्चित किया जाये कि तालाबों में जल संचयन के लिए निर्धारित डिजाइन के अनुसार ही इनलेट तथा आउटलेट की व्यवस्था की जाय।
यह निर्देंश ग्राम्य विकास सचिव श्री मनोज कुमार सिंह ने दिये हैं। उन्होंने कहा है कि बरसात में जितने भी आदर्श तालाब निर्मित किये गये हैं, उनमें क्षमता के अनुसार जल संचयन होना सुनिश्चित किया जाये। साथ ही बरसात के पानी को तालाब के अन्दर पहुंचाने के लिए अगर नाले के निर्माण की आवश्यकता हो तो उसका निर्माण सुनिश्चित किया जाय। उन्होंने जल संरक्षण एवं जल संचयन का कड़ाई से अनुपालन करने के भी निर्देंश दिये।
श्री सिंह ने कहा है बुन्देलखण्ड तथा विन्ध्याचल क्षेत्र में किसानों की सुविधानुसार खेत तालाब योजनान्तर्गत बड़े तालाब बनाये जाने की व्यवस्था भी की जाय। तालाबों की खुदाई से निकली हुई मिट्टी का उपयोग तालाब के किनारे प्लेटफार्म बनाने में किया जाय, ताकि इस प्लेटफार्म पर लाभार्थी समूह को फलदार वृक्ष रोपित करने के लिए प्रेरित किया जाय। इससे पर्यावरण सुधार के साथ-साथ उनकी आय में गुणात्मक वृद्धि होगी।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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