भारत वशZ के बंचित लोग एक लम्बे अरसे से जातिवार जनगणना की मांग करते चले आ रहे हैं उनके चेहरे पर तब प्रसन्नता झलक उठी थी जब लोकसभा में अधिकंश सदस्यों के रूख को भांपते हुये प्रधानमन्त्री ने जातिवार जनगणना कराने का आश्वासन दिया। यहां यह बता देना आवश्यक है कि जातिवार जनगणना कराने से देश की सरकार के खजाने पर एक पैसे का भी अतिरिक्त भार नहीं पड़ेगा। केवल फार्म में एक कालम जाति/वर्ग का बढ़ाना होगा। केन्द्र सरकार के कार्मिक मन्त्रालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार देश में कुल सरकारी सेवाओं में दलितों, पिछड़ों एवं मुसलमानों की हिस्सेदारी लगभग 21 प्रतिशत है जबकि ‘ोश लोगों के पास 79 प्रतिशत नौकरियां है। इसका सीधा अर्थ है कि देश की आबादी के 86 प्रतिशत लोगोंं के पास केवल 21 प्रतिशत नौकरियां और 14 प्रतिशत लोगों के पास 79 प्रतिशत नौकरियां।
जातिवार जनगणना की आवश्यकता इसलिये है कि जब पिछड़ों एवं दलितों को आरक्षण मिला हुआ है संवैधानिक तरीके से तो कालाकालेकर से लेकर मण्डल आयोग तथा सर्वोच्च न्यायालय सभी ने जातियों की संख्या सुनििश्चत करने की मंशा जतायी है। जातिवार जनगणना से यह भी साफ हो जायेगा कि देश की एक बड़ी आबादी जिनकी संख्या स्वयं में कम हो सकती है किन्तु समूह में बहुत है उन छोटी-छोटी जातियों 1- राजभर, 2-निशाद, 3-प्रजापति, 4-मल्लाह, 5-कहार, 6-कश्यप, 7-कुम्हार, 8-धीमर, 9-बिन्द, 10-भर, 11-केवट, 12-धीवर, 13-वाथम, 14-मछुआ, 15-मांझी, 16-तुरहा, 17-गोंड़ को 62 वशZ में क्या मिलार्षोर्षो जातिवार जनगणना का विरोध वे कर रहे हैजो देश की 80 प्रतिशत नौकरियों पर एवं 95 प्रतिशत पूंजी पर कुन्डली मार कर बैठे हैं। गैर सरकारी क्षेत्रों में तो हालत और भी खराब है केवल 5 प्रतिशत लोग प्रेस एवं उद्योगोंं पर कब्जा किये हैं और यही वजह है कि अपने स्वार्थ में प्रचार प्रसार एवं लेखन के जरिये सारे देश में जातिवार जनगणना का विरोध कर रहे है।
मुझसे प्रश्न किया जाता है कि समाजवादी होकर जाति की बात क्यों करते समाजवाद का सीधा अर्थ है सबकी सम्पन्नता। हम चाहते हैं कि जिनके पास रहने को घर नहीं है, तन ढकने को कपड़े नहीं हैं आधे पेट रहते हैं और परिवार सहित आत्महत्या करने को विवश हैं। सरकार का ध्यान उधर भी जाऐं। उन्हें भी सही मायने में आजादी मिले। जातिवार जनगणना से देश के सभी लोगों की वास्तविक स्थिति स्पश्ट हो जायेगी और लुटेरों तथा कमेरों की संख्या का ज्ञान सारी दुनिया को हो जायेगा।
एक तरफ देश में मकान, तालाब, पेड़-पौधों एवं जानवरों तक की गिनती हो रही है तो जातिवार जनगणना के नाम पर कुछ लोगों के पेट में दर्द क्यों होने लगता है।
अगर निहित स्वार्थो के चलते ग्रुप आफ मिनिस्टर्स ने जातिवार जनगणना के खिलाफ रिपोर्ट दी तो समाजवादी पार्टी देश की सभी बंचित जातियों को साथ लेकर आन्दोलन करने से पीछे नहीं हटेगी।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
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