Posted on 10 February 2018 by admin
राज्यपाल की अध्यक्षता में सभी कुलपतियों ने शिरकत की
शिक्षा की गुणवत्ता को सुधारने के लिये नकलविहीन परीक्षा कराने के लिये प्रभावी व्यवस्था की जाये- राज्यपाल
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लखनऊ: 10 फरवरी, 2018
उत्तर प्रदेश के राज्यपाल एवं कुलाधिपति श्री राम नाईक की अध्यक्षता में आज छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय, कानपुर के सीनेट हाल में उत्तर प्रदेश राज्य विश्वविद्यालय के कुलपतियों का सम्मेलन आयोजित किया गया। सम्मेलन में राज्य के सभी 28 विश्वविद्यालयों के कुलपतिगण, अपर मुख्य सचिव/प्रमुख सचिव शिक्षा श्री संजय अग्रवाल, प्रमुख सचिव राज्यपाल सुश्री जूथिका पाटणकर, सचिव राज्यपाल श्री चन्द्र प्रकाश, सचिव तकनीकी शिक्षा श्री भुवनेश कुमार सहित, कृषि शिक्षा एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग के अधिकारीगण उपस्थित थे। कुलपति सम्मेलन से पूर्व राज्यपाल ने विश्वविद्यालय में नवनिर्मित स्वर्ण जयन्ती द्वार का लोकार्पण किया तथा प्रांगण में स्थित छत्रपति शाहूजी महाराज की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित कर अपनी श्रद्धांजलि दी।
राज्यपाल ने कुलपति सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए कहा कि परीक्षाओं को सम्पन्न कराने में नकल एक बड़ी चुनौती है। शिक्षा की गुणवत्ता को सुधारने के लिये नकलविहीन परीक्षा कराने के लिये प्रभावी व्यवस्था भी की जाये। सीसीटीवी के माध्यम से परीक्षा की माॅनिटरिंग की जाये। ससमय परीक्षा का संचालन हो तथा 30 जून, 2018 तक सभी विश्वविद्यालय अपना परीक्षाफल घोषित करें। उत्तर पुस्तिका के मूल्यांकन कार्य में अधिकाधिक पारदर्शिता लाने का प्रयास किया जाये। पूर्व में दीक्षान्त समारोह समय एवं नियमित रूप से न होने पर विद्यार्थियों को उपाधि मिलने में विलम्ब होता था। उन्होंने ने कहा कि परिणाम घोषित होने के बाद ई-गवनर्स के माध्यम से विश्वविद्यालय यह सुनिश्चित करें कि छात्रों को अंकतालिकाएं विश्वविद्यालय की वेबसाइट पर शीघ्रताशीघ्र उपलब्ध हों।
श्री नाईक ने कहा कि दीक्षान्त समारोह की वर्ष 2018-19 की समयसारिणी घोषित कर दी गई है। सत्र 2018-19 में सम्पन्न होने वाले सभी दीक्षान्त समारोह 15 नवम्बर, 2018 तक प्राथमिकता के आधार पर सम्पन्न हों। दीक्षान्त समारोह की सम्भावित तिथि 21 अगस्त, 2018 से 12 नवम्बर 2018 तक की समयसारणी सभी कुलपतियों को उपलब्ध करा दी गई है। दिसम्बर-जनवरी माह में खराब मौसम के कारण कई बार दीक्षान्त समारोह में उपस्थित होने में कठिनाई होती थी। विश्वविद्यालय शिक्षकों के रिक्त पदों को शीघ्र भरने के लिये समीक्षा करते हुए प्रभावी कदम उठायें। उन्होंने कहा कि अध्यापकों के रिक्त पद भरने में लगने वाले समय को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार द्वारा सेवानिवृत्त शिक्षकों को मानदेय के रूप में रखने का निर्णय लिया गया है। उन्होंने कहा कि छात्र संघ चुनाव लिंगदोह समिति के निर्देर्शों के अनुसार प्रवेश प्रक्रिया पूर्ण होने के बाद शीघ्रातिशीघ्र करा लिये जाये।
राज्यपाल ने कहा कि स्ववित्तपोषित पाठ्यक्रम प्रारम्भ करने से पूर्व उसके औचित्य, शुल्क निर्धारण एवं भविष्य में उपयोगिता को देखते हुए शासन से अनुमति प्राप्त की जाये। स्ववित्तपोषित पाठ्यक्रमों के संचालन के संबंध में अनेक शिकायतें प्राप्त हो रही हैं शासन द्वारा इनके निराकरण के लिये समय-समय पर अनेक कदम उठाये गये हैं। विभिन्न विश्वविद्यालयों में चल रहे स्ववित्तपोषित पाठ्यक्रमों की औचित्यता की गहन समीक्षा किये जाने की आवश्यकता है। फीस निर्धारण की प्रक्रिया एवं स्ववित्तपोषित पाठ्यक्रमों के संचालन हेतु नियुक्त शिक्षकों की सेवा शर्तों आदि के संबंध में अभी भी स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी किये जाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि कुलपतिगण इस संबंध में शासन के अधिकारियों से विचार-विमर्श करके ठोस निष्कर्ष पर पहुंचे जिससे शासन स्तर से यथानुसार शासनादेश जारी किये जा सकें।
श्री नाईक ने कहा कि विश्वविद्यालय के अधिनियम 1973 के कतिपय प्रावधानों के विरोधाभासी होने तथा वर्तमान परिप्रेक्ष्य में संशोधन किये जाने की आवश्यकता को देखते हुए कुलाधिपति के विधिक सलाहकार की अध्यक्षता में एक समिति गठित की गई है जो विधिवत् अपना काम कर रही है, अब तक समिति की कई रिपोर्टें शासन को सन्दर्भित की जा चुकी हैं। उच्च शिक्षा की प्रबन्धन प्रणाली के अध्ययन हेतु प्रमुख सचिव राज्यपाल के मार्ग दर्शन में महाराष्ट्र, पं0 बंगाल, तमिलनाडु आदि राज्यों के विश्वविद्यालयों का अध्ययन किया जा रहा है। महाराष्ट्र के अध्ययन के आधार पर तैयार की गई रिपोर्ट को प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री तथा विधिक परामर्शदाता की अध्यक्षता में गठित समिति के अध्यक्ष को विचारार्थ एवं आवश्यक कार्यवाही हेतु प्रेषित की गयी है। उन्होंने कहा कि शेष राज्यों के भ्रमण के उपरान्त तैयार होने वाली रिपोर्ट की संस्तुतियां विश्वविद्यालय के बेहतर प्रबन्धन एवं कार्य-प्रणाली को अधिक पारदर्शी बनाने में सहायक सिद्ध होंगी।
राज्यपाल ने कहा कि दीक्षान्त समारोह में एकरूपता लाने की दृष्टि से कुलपति महात्मा ज्योतिबा फुले रूहेलखण्ड विश्वविद्यालय की अध्यक्षता में एक समिति गठित की गई है जो विभिन्न मुद्दों पर विचार-विमर्श करके अपनी संस्तृति कुलाधिपति को प्रस्तुत करेगी। कुलाधिपति अपने स्तर से संस्तुति का अध्ययन करने के उपरान्त आवश्यक दिशा-निर्देश जारी करेंगे।
बैठक में पूर्व में सम्पन्न कुलपति सम्मेलन में लिये गये निर्णयों पर की गई कार्यवाही, अधिनियम में संशोधन, ई-गवर्नेस के संबंध में गठित समिति द्वारा कृत्त कार्यवाही, विश्वविद्यालय वेबसाइट की अद्यतन स्थिति, विश्वविद्यालय कार्य परिषद की बैठक की रिकार्डिंग, विश्वविद्यालयों में रिक्त पदों को भरे जाने के संबंध में की कार्यवाही की जानकारी, शोध कार्यों को प्रभावी बनाने की दिशा में किये गये प्रयास, कृषि, चिकित्सा एवं प्रौविधिक शिक्षा के महत्वपूर्ण बिन्दुओं पर गहन विचार-विमर्श किया गया।
कुलपति सम्मेलन में छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय, कानपुर, डाॅ0 जे0 वैशम्पायन ने स्वागत उद्बोधन दिया तथा सचिव राज्यपाल श्री चन्द्र प्रकाश ने धन्यवाद ज्ञापित किया। बैठक में अपर मुख्य सचिव, श्री संजय अग्रवाल ने आश्वास्त किया कि विश्वविद्यालयों की समस्याओं के निराकरण को लेकर राज्य सरकार गम्भीर है, सरकार का प्रयास है कि उच्च शिक्षा की गुणवत्ता में व्यापक सुधार हों। उन्होंने अपने स्तर से हर सम्भव सहयोग का आश्वासन भी दिया।
उल्लेखनीय है कि कुलपतियों की पूर्व बैठक में यह निर्णय लिया गया था कि वर्ष में दो बार आयोजित होने वाले कुलपति सम्मेलन की एक बैठक लखनऊ में होगी तथा दूसरी बैठक प्रदेश के किसी विश्वविद्यालय में होगी। इसी क्रम में आज कानपुर में आयोजित की गई जबकि इससे पूर्व झांसी और जौनपुर में बैठक आयोजित की जा चुकी है।
Posted on 10 February 2018 by admin
प्रदेश की राजधानी से सटे हुए जनपद उन्नाव के बांगरमऊ में जिन लोगों की पहचान एचआईवी पाजीटिव के रूप में हुई है उनको घृणा एवं तिरस्कार भरी नजरों से देखा जा रहा है और वह समाज के सवालों से आजिज होकर शर्म व संकोच से गांव छोड़कर पलायन करने पर विवश हो रहे हैं और तो और बच्चों ने भी स्कूल, कालेज जाना छोड़ दिया है और अशिक्षित लोग उनसे दूरियां बना रहे हैं आखिरकार इन मासूम बेगुनाह परिवारों ने क्या गलती थी जिसकी इतनी बड़ी सजा इन लोगों को प्रदेश सरकार एवं स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही के चलते चुकानी पड़ रही है। यह दुर्भाग्यपूर्ण घटना प्रदेश की योगी सरकार के स्वास्थ्य विभाग के बड़े-बड़े दावों की पोल खोलती है।
प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता जीशान हैदर ने आज जारी बयान मंे कहा कि एक झोला छाप डाक्टर बांगरमऊ में साइकिल पर घूम-घूमकर लोगों को मौत का इंजेक्शन लगाता फिर रहा था और वहां के सम्बन्धित स्वास्थ्य अधिकारी आंख मूंदे मौत का तमाशा देख रहे थे। क्या स्वास्थ्य विभाग किसी अनहोनी घटना का इंतजार कर रहा था। आज जिस प्रकार झोला छाप डाक्टरों के मकड़जाल में पूरा प्रदेश जकड़ा हुआ है। योगी सरकार बताये कि इतनी बड़ी घटना होने के बाद प्रदेश में उन्होने झोला छाप डाक्टरों के खिलाफ क्या कार्यवाही की? अथवा आगे ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो उसके लिए प्रदेश भर में क्या कदम उठाये गये?
श्री हैदर ने सरकार से सवाल किया है कि कि स्वास्थ्य विभाग एवं झोला छाप डाक्टरों व निजी अस्पतालों के इस सिण्डीकेट को तोड़ने के लिए प्रदेश की योगी सरकार ने कोई कार्ययोजना बनायी है अथवा प्रदेश की जनता को इस मुद्दे पर भी सिर्फ जुमले पर संतोष करना पड़ेगा।
प्रवक्ता ने कहा कि सरकार की यह नैतिक जिम्मेदारी बनती है कि वह उन्नाव में एचआईवी पीडि़त परिवारों का किसी भी तरह का सामाजिक बहिस्कार व अपमान न होने पाये और सरकार की गलतियों की सजा उन्नाव की भोलीभाली जनता को न उठाना पड़े, इसके लिए सरकार अपने दायित्व का निर्वहन करे।
प्रवक्ता ने कहा कि मुख्यमंत्री जी के गृह जनपद में बीआरडी मेडिकल कालेज सहित प्रदेश के विभिन्न जनपदों में हजारों मौतों के सदमें से प्रदेश की जनता अभी उबर नहीं पायी है कि जनपद उन्नाव में इस तरह की घटना ने पूरे स्वास्थ्य विभाग की कार्यप्रणाली और सरकार को कटघरे में खड़ा कर दिया है।
Posted on 10 February 2018 by admin
सुरेन्द्र अग्निहोत्री, लखनऊ , 10 फरवरी, 2018
उत्तर प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष श्री हृदय नारायण दीक्षित जी की अध्यक्षता में आज यहां बख्शी का तालाब स्थित दीन दयाल उपाध्याय ग्राम्य विकास संस्थान में आयोजित एक कार्यक्रम में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने पं0 दीन दयाल उपाध्याय जी की प्रतिमा का अनावरण किया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री जी ने प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) के लाभार्थियों को गृह प्रवेश की कुंजी तथा विभिन्न महिला स्वयं सहायता समूहों को चेक एवं प्रमाण-पत्र भी प्रदान किए।
कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि पं0 दीन दयाल उपाध्याय जी ने मनुष्य को केन्द्र में रखकर लोकमंगल और लोककल्याण की अवधारणा दी तथा इस दिशा में कार्य प्रारम्भ किया। उन्होंने कहा कि आज का भारत गतिशील भारत है। केन्द्र एवं राज्य की वर्तमान सरकारें पं0 दीन दयाल उपाध्याय जी के सपनों को साकार करने के लिए कार्य कर रही हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी की कर्मठता की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि वे जनकल्याण और प्रदेशवासियों के जीवन को मधुमय बनाने हेतु सतत प्रयासरत है।
इस अवसर पर अपने विचार व्यक्त करते हुए मुख्यमंत्री जी ने कहा कि 11 फरवरी, 2018 को पं0 दीन दयाल उपाध्याय जी की पुण्यतिथि है। वर्ष 1991 में इस संस्थान का नाम पण्डित जी के नाम पर रखा गया था। विगत 27 वर्षों में यहां पर उनकी मूर्ति अथवा किसी अन्य स्मारक की स्थापना नहीं हो सकी। पं0 दीन दयाल उपाध्याय जी की पुण्यतिथि की पूर्व संध्या पर इस संस्थान में उनकी मूर्ति की स्थापना सराहनीय है।
योगी जी ने कहा कि पं0 दीन दयाल उपाध्याय जी भारत माता के महान सपूत थे। प्रदेशवासियों का सौभाग्य है कि उनकी जन्मभूमि और परिनिर्वाण भूमि दोनों ही उत्तर प्रदेश में हैं। पं0 दीन दयाल उपाध्याय जी एकात्म मानववाद के प्रणेता थे। उन्होंने अन्त्योदय की परिकल्पना को साकार करने वाली विचारधारा दी। राजनीति में शुचिता और पारदर्शिता का महत्व समझाने के साथ ही उन्होंने इसे मूल्यों और आदर्शों से जोड़ने का काम किया। पण्डित जी की विचारधारा पर चलकर प्रधानमंत्री जी ने दुनिया में भारतवर्ष की धमक कायम की है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रधानमंत्री जी का संकल्प है कि वर्ष 2022 में जब देश आजादी की 75वीं वर्षगांठ मना रहा हो, तब देश गन्दगी और भ्रष्टाचार से मुक्त हो, सबके पास आवास हो, व्यक्तिगत शौचालय हो। समाज में परिवारवाद, जातिवाद, अलगाववाद, आतंकवाद के लिए स्थान न हो और एक ऐसे भारत का निर्माण हो, जो स्वस्थ, सशक्त, समर्थ, एक और श्रेष्ठ हो। उन्हांेंने कहा कि ऐसे भारत का निर्माण वस्तुतः पं0 दीन दयाल उपाध्याय जी के भारत की संकल्पना को साकार करना होगा।
योगी जी ने कहा कि राजनीति पर लोकनीति का नियंत्रण होना चाहिए। राजनीति लोक लुभावन नहीं, बल्कि लोककल्याणकारी होनी चाहिए। वर्तमान केन्द्र और प्रदेश सरकार इसी मंशा से गरीबों को उनका हक दिलाने के लिए प्रयासरत हैं। प्रधानमंत्री जी ने 30 करोड़ जन-धन खाते खुलवाकर गरीबांे को मुख्यधारा में भागीदारी सुनिश्चित की है। साथ ही, डिजिटल ट्रांजेक्शन के माध्यम से भ्रष्टाचार पर नियंत्रण और पारदर्शिता लाकर गरीबों के हितों का संरक्षण किया गया है।
कार्यक्रम में महिला स्वयंसेवी समूहों को चेक प्रदान किए जाने को महिला सशक्तिकरण के लिए महत्वपूर्ण बताते हुए मुख्यमंत्री जी ने कहा कि महिला सशक्तिकरण के बिना समाज का सशक्तिकरण नहीं हो सकता। यदि प्रदेश के सभी 60 हजार गांवों में महिला स्वयं सहायता समूहों को प्रशिक्षित कर स्वरोजगार से जोड़ दिया जाए, तो यह देश और दुनिया के सामने महिला सशक्तिकरण का अद्भुत उदाहरण होगा। राज्य सरकार ने एक वर्ष से भी कम समय में प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) के तहत 8.85 लाख आवास गरीब परिवारों को मुहैया कराए हैं। देश और दुनिया में किसी योजना के तहत एक वर्ष के अन्दर सर्वाधिक आवास बनाए गए हैं।
योगी जी ने कहा कि उत्तर प्रदेश संसाधनों के मामले में सौभाग्यशाली राज्य है। यहां ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्र होने के साथ ही, यह राज्य पशुपालन, डेयरी, गन्ना आदि क्षेत्रों में अग्रणी है। प्रदेशवासी पं0 दीन दयाल उपाध्याय जी के सिद्धान्तों से प्रेरणा प्राप्त कर अपने संसाधनों का समुचित सदुपयोग करें, तो प्रदेश में विकास की क्रान्ति हो सकती है।
कार्यक्रम के पश्चात् मुख्यमंत्री जी ने पं0 दीन दयाल उपाध्याय जी की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि दी।
कार्यक्रम को ग्रामीण विकास राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डाॅ0 महेन्द्र सिंह, सांसद श्री महेन्द्रनाथ पाण्डेय, श्री विनय सहस्त्रबुद्धे ने भी सम्बोधित किया। प्रमुख सचिव ग्राम्य विकास श्री अनुराग श्रीवास्तव ने अतिथियों का स्वागत किया। सचिव ग्राम्य विकास श्री सुधेश ओझा ने धन्यवाद ज्ञापित किया।
इस अवसर पर सांसद श्री कौशल किशोर सहित जनप्रतिनिधिगण, शासन-प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी एवं अन्य गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।
Posted on 10 February 2018 by admin
बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार कर्मचारी संघ उत्तर प्रदेश का प्रांतीय द्विवार्षिक चुनाव सम्पन्न हुआ
-अजय कुमार बाजपेयी तीसरी बार अध्यक्ष चुने गए
लखनऊ।
बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार कर्मचारी संघ उत्तर प्रदेश का प्रांतीय द्विवार्षिक चुनाव सम्पन्न हो गया। जवाहर भवन इन्दिरा भवन कर्मचारी महासंघ भवन में शुक्रवार देर रात संघ के चुनाव के परिणाम आए। परिणाम आने के बाद अध्यक्ष पद पर अजय कुमार बाजपेयी तीसरी बार और महामंत्री अजीत प्रताप सिंह यादव चौथी बार महामंत्री चुने गए।
चुनाव प्रक्रिया पर्यवेक्षक रामेंद्र प्रताप सिंह व मुख्य चुनाव अधिकारी अजय सिंह की देखरेख में चुनाव अधिकारी सुभाष कश्यप, गिरिजा शंकर पाण्डेय, विक्रांत तिवारी, अम्बरीष कुमार सिंह, भीरू राम, जितेंद्र कुमार व पुलिस प्रशासन की मौजूदगी में हुआ। मुख्य चुनाव अधिकारी अजय सिंह ने बताया कि शुक्रवार सुबह शुरू हुई चुनाव प्रक्रिया रात एक बजे के करीब समाप्त हुई। जिसमें प्रदेश भर से आए कर्मचारियों ने अपने मत का प्रयोग किया।
मतगणना के बाद अध्यक्ष पद पर अजय कुमार बाजपेयी ने अपने प्रतिद्वंदी गोविंद को 169 वोट से पराजित कर तीसरी बार कब्जा किया। वहीं, महामंत्री पद पर अजीत प्रताप सिंह यादव अपने प्रतिद्वंदी राम औतार को 280 वोट से हराकर चौथी बार विजयी हुए। वहीं, वरिष्ठ उपाध्यक्ष में अमित चौहान, उपाध्यक्ष पद पर अमित कुमार श्रीवास्तव व कमल कुमार, मंत्री पद पर तीसरी बार राजेंद्र कुमार त्रिपाठी व राम प्रकाश यादव, संगठन मंत्री में राजेश काके व जय प्रकाश सिंह, कोषाध्यक्ष पद पर पूरे चुनाव में अरविंद कुमार वर्मा ने सबसे ज्यादा 509 वोट पाकर विजय पताका लहराई। सम्प्रेक्षक पद पर चौथी बार हरीबाबू जीते। मीडिया प्रभारी पद पर राजेश तिवारी दोबारा काबिज हुए। सचिव पद पर सुनील कुमार मिश्रा निर्विरोध चुने गए। जीतने के बाद अध्यक्ष अजय बाजपेयी व महामंत्री अजीत यादव ने सभी कर्मचारियों का आभार जताया है। अजीत यादव ने बताया कि संघ की 17-08-2017 को हुई आमसभा के निर्णय के क्रम में ये चुनाव कार्यक्रम जारी हुआ था। अध्यक्ष अजय कुमार बाजपेयी ने बताया कि संघ का पूरा प्रयास है कि संविदा पर तैनात कर्मचारियों का विनियमितीकरण और बकाया मानदेय का भुगतान कराया जाए। वरिष्ठ सहायक से प्रधान सहायक पर प्रमोशन कराना, वरिष्ठता कोटि क्रम में छूटे कर्मचारियों का नाम शामिल कराना, मृतक आश्रित कर्मचारियों को ट्रिपल सी से मुक्त कराना प्राथमिकता रहेगी।
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लखनऊ 10 फरवरी 2018, भारतीय जनता के प्रदेश प्रवक्ता शलभ मणि त्रिपाठी ने कहा है आर्थिक तौर पर कमजोर परिवारों के लिए मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना वरदान साबित हो रही है। इस योजना के जरिए अलग-अलग जिलों में सरकारी खर्चे पर गरीब बेटियों की न सिर्फ धूमधाम से शादी कराई जा रही है बल्कि मुख्यमंत्री जी के आशीर्वाद के तौर पर उन्हें उपहार भी दिया जा रहा है। आनलाइन रजिस्ट्रेशन के जरिए कोई भी अपने विवाह के लिए इस योजना में रजिस्ट्रेशन करा सकता है। सरकार अपने खर्चे पर ऐसे जोड़ों की शादी कराएगी। मानवीय संवेदनाओं से भरी इस योजना के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी साधुवाद के पात्र हैं। हर जिले में इस योजना को लेकर जरूरतमंद लोगों का रूझान देखने को मिल रहा है। समाज के लोगों को भी सरकार की इस शानदार योजना में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेना चाहिए और ऐसे परिवारों को चिन्हित कराने में अपना योगदान देना चाहिए जिनको इसकी जरूरत है।
प्रदेश प्रवक्ता शलभ मणि त्रिपाठी ने कहा कि आर्थिक तौर पर कमजोर परिवारों के लिए बेटियों की शादियां हमेशा से एक चिंता का कारण रहती थीं। कई बार पैसे की कमी के चलते युवाओं की शादियां तक नहीं हो पाती थीं। इसे ही देखते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी की अगुवाई में प्रदेश सरकार ने सामूहिक विवाह योजना शुरू की है। इस योजना के तहत कोई भी आनलाइन रजिस्ट्रेशन कराकर सामूहिक विवाह के इस अभियान का लाभ ले सकता है। अधिकारियों को भी निर्देश हैं कि वे सर्वे के आधार पर ऐसे परिवारों का चयन करें जो आर्थिक तौर पर कमजोर हैं और पैसों की कमी के चलते बच्चों का विवाह नहीं कर पा रहे हैं। खासतौर पर समाज कल्याण विभाग, जिलों के जिलाधिकारियों और नगर निगम व नगर पंचायतों के अधिशाषी अधिकारियों को ऐसे परिवारों को चिन्हित कर उनकी मदद करने का निर्देश दिया गया है।
शलभ मणि त्रिपाठी ने कहा कि इस योजना के तहत हर जोड़े पर 35 हजार रूपए खर्च किए जा रहे हैं। इतना ही नहीं उपहार के तौर पर घरेलू सामान और एक मोबाइल फोन भी दिया जा रहा है। शादी के लिए बेटियों को कपड़े और गहने भी सरकार की तरफ से दिए जा रहे हैं। सामूहिक विवाह के इस आयोजन में टेंट से लेकर भोजन और पेयजल तक का इंतजाम सरकार की तरफ से किया जा रहा है। इस विवाह योजना के जरिए विवाह कर रहे जोड़ों को आशीर्वाद देने के लिए अलग अलग जगहों पर जनप्रतिनिधियों के साथ ही साथ समाज के सम्मानित लोग भी आ रहे हैं। विवाह करने वाले जोड़े को बीस हजार रूपए का अनुदान भी दिया जा रहा है। प्रथम चरण में 71 हजार चार सौ बेटियों का विवाह कराने का लक्ष्य रखा गया है। जिसमें तीस प्रतिशत अनुसूचित जाति-जनजाति वर्ग के, 35 फीसदी अन्य पिछड़े वर्ग के, 20 प्रतिशत सामान्य वर्ग के और 15 प्रतिशत अल्पसंख्यक वर्ग के शामिल होंगे। एक परिवार की कम से कम दो बेटियों का विवाह इस योजना के तहत हो सकता है।
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लखनऊ 10 फरवरी 2018, राजनीति में आज पश्चिमी विद्वानों का बोलबाला बढ़ रहा है। प्राफिट बेस्ड विश्व के दौर में इन पश्चिमी आर्थिक शिक्षाविदों ने राजनीति से धर्म को दूर कर दिया है। जबकि धर्म भारतीय राजनीति का अहम बिन्दु रहा है। भारत में प्राचीन काल से हमेशा धर्म ने राजनीति को आत्मसात किया है। लेकिन कर्म की बजाए भोगवादी माॅडल ने धर्म को राजनीति का दुश्मन बना दिया। इससे भारत की सामाजिक-आर्थिक विचारधारा में पश्चिमी शिक्षा प्राप्त विद्वानों का बोलबाला हो गया। राजनीति की धारा एक कोने में सिमट गई। आज भारत में मैकेनिज्म पश्चिमी है। जो कुछ पश्चिमी है वह ब्यूरोक्रेसी है। यह ब्यूरोक्रेसी राजनीति को जटिल बनाकर उसको आम आदमी की पहुंच से दूर कर रही है। यह उद्गार पंडित दीनदयाल उपाध्याय की 50वीं पुण्यतिथि की पूर्व संध्या पर कमल ज्योति में आयोजित त्रिदिवसीय विचार कार्यशाला के अवसर पर राष्ट्रधर्म के प्रबंध संपादक श्री सर्वेश द्विवेदी ने व्यक्त किया। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष श्री राकेश त्रिवेदी ने किया। मंच का संचालन कमल ज्योति के प्रबंध संपादक श्री राजकुमार ने किया।
गौरतलब है कि, 11 फरवरी, 1968 की रात में रेलयात्रा करते समय पं दीन दयाल उपाध्याय की हत्या कर दी गई थी। जिसका राज आज तक नहीं खुल सका है। आज उनकी पुण्यतिथि पर आयोजित कार्यक्रम में श्री द्विवेदीने कहा कि दीनदयालजी मूलतः एक चिंतक, सृजनशील विचारक, प्रभावी लेखक और कुशल संगठनकर्ता व भारतीय राजनीतिक चिंतन में एक नए विकल्प एकात्म मानववाद के मंत्रद्रष्टा थे। उन्होंने भारत की सनातन विचारधारा को युगानुकूल रूप में प्रस्तुत करते हुए देश को एकात्ममानव दर्शन जैसी प्रगतिशील विचारधारा दी थी।
श्री द्विवेदी ने अपने व्यानख्यान में बताया कि, दीनदयाल उपाध्याय का चिंतन शाश्वत विचारधारा से जुड़ता है। इसके आधार पर वह राष्ट्रभाव को समझने का प्रयास करते हैं। समस्याओं पर विचार करते हैं। उनका समाधान निकालते हैं। उनका तथ्य ही भारत के अनुकूल प्रमाणित होता है। इसलिए आज हमको यह समझना होगा कि, दीनदयाल उपाध्याय ने कोई अपना वाद नहीं बनाया। उनका दिया गया एकात्म मानव, अन्त्योदय जैसे विचार वाद की श्रेणी में नहीं आते। यह दर्शन है। जो हमारी ऋषि परंपरा से जुड़ता है। इसके केंद्र में व्यक्ति या सत्ता नहीं है। बल्कि व्यष्टि, समष्टि और परमेष्टि व्याप्त है। इसके विपरीत व्यक्ति, मन, बुद्धि, आत्मा सभी का महत्व है। वे कहते हैं कि प्रत्येक जीव में आत्मा का निवास होता है। आत्मा को परमात्मा का अंश माना जाता है। यह एकात्म दर्शन है। इसमें समरसता का विचार है। इसमें भेदभाव नहीं है। व्यक्ति का अपना हित स्वभाविक है। वे कहते हैं कि, राष्ट्रवाद का यह विचार प्रत्येक नागरिक में होना चाहिये। मानव जीवन का लक्ष्य भौतिक मात्र नहीं है। जीवन यापन के साधन अवश्य होने चाहिए। ये साधन हैं। साध्य नहीं है। धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष का विचार भी ध्यान रखना चाहिये। सभी कार्य धर्म से प्रेरित होने चाहिये। अर्थात लाभ की कामना हो, लेकिन का शुभ होना अनिवार्य है।
श्री द्विवेदी ने कहा कि, दीनदयाल जी ने संपूर्ण जीवन की रचनात्मक दृष्टि पर विचार किया। उन्होंने विदेशी विचारों को सार्वलौकिक नहीं माना। भारतीय संस्कृति संपूर्ण जीवन व संपूर्ण सृष्टि का संकलित विचार करती है। इसका दृष्टिकोण एकात्मवादी है। इसलिए टुकड़ों−टुकड़ों में विचार नहीं हो सकता। संसार में एकता का दर्शन, उसके विविध रूपों के बीच परस्पर पूरकता को पहचानना, उनमें परस्पर अनुकूलता का विकास करना तथा उसका संस्कार करना ही संस्कृति है। प्रकृति को ध्येय की सिद्धि हेतु अनुकूल बनाना संस्कृति और उसके प्रतिकूल बनाना विकृति है। संस्कृति प्रकृति की अवहेलना नहीं करती। भारतीय संस्कृति में एकात्म मानव दर्शन है। मानव केवल एक व्यक्ति मात्र नहीं है। समाज व समष्टि तक उसकी भूमिका होती है। राष्ट्र भी आत्मा होती है। समाज और व्यक्ति में संघर्ष का विचार अनुचित है। राज्य ही सब कुछ नहीं होता। यह राष्ट्र का एकमात्र प्रतिनिधि नहीं होता। राज्य समाप्त होने के बाद भी राष्ट्र का अस्तित्व बना रहता है।
उन्होंने कहा कि, दीनदयाल जी ने भारतीय दर्शन की इस पंरपरा को लेकर इस बात का पूरा प्रयास किया कि दल संरचना संतुलित हो इसके लिए उन्होंने संगठन, भ्रमण, पठन पाठन और चिंतन को नित्यकर्म बनाया। मुद्दों पर गहराई तक जाना, गहन विचार विमर्श करना और कराना, उनकी कार्यशैली का महत्वपूर्ण अंग था। स्वतंत्रता के पश्चात भारत में कांग्रेस द्वारा अपनाये गये समाजवाद के अलावा भी कई प्रकार के समाजवाद और साम्यवाद देश पर थोपे जा रहे थे। तब उन्होंने इन वादों के तात्कालिक प्रभाव को रोक देने के लिये, भारतीय चिंतन की परिपक्व एवं हजारों वर्षो से सफलतापूर्वक अपनाये जा रहे, आदर्श जीवन-आयामों को एक सूत्र में पिरो कर एकात्म मानववाद के रूप में संकलित व स्थापित किया और सांस्कृतिक सत्य से मिली सनातन् धरोहर को नये स्वरूप में परिभाषित कर समाज के सामने रखा। जिससे वे लोग जो भारतीय चिन्तन के साथ थे उन्हंे अपना मंच मिला। समाजवाद, साम्यवाद, पूंजीवाद और भौतिकतावाद को एकात्म मानववाद के द्वारा भारतीय चुनौती दी गई और आज सारे वाद हवा हो चुकें हंै, मगर एकात्ममानववाद के आधार पर चली जनसंघ और अब भाजपा देश की सत्ता तक पहंुच चुकी है। उनके मूल के अनूरूप आज 19 प्रातों में भाजपा की सरकारें हैं। और अच्छे से काम कर रहीं हैं। यानि हम कह सकते हैं कि पंडित जी का राजनीतिक चिंतन आज पूरा होता दिख रहा है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए श्री राकेश त्रिवेदी ने कहा कि पंडित जी ने अपनी अल्प अवधि के जीवन काल में भारतीय समाज जीवन को जो कुछ भी दिया वह अविस्मरणीय है। उनके राजनीतिक चितंन को हम उनके पहले चुनाव अभियान से समझ सकते हैं जब उन्होंने जीतने के लिए जाति का सहारा लेने से इंकार कर दिया। वे चुनाव हार गए लेकिन उन्होंने भारतीय राजनीति की चिंतन धारा में जिस समावेशी विचार का प्रादुर्भाव किया वह अनूठा उदाहरण बन गया।
इस त्रिदिवसीय कार्यक्रम में के प्रथम दिन शैलेन्द्र पांडेय, संजय कुमार गौड, चेतन शुक्ला, अमर सिंह, सफायत हुसैन, जितेन्द्र तिवारी, धनंजय शुक्ला, अश्विनी पाठक, प्रयागमति आदि मौजूद रहे।
Posted on 10 February 2018 by admin
मुलाकात के दौरान प्रदेश में निवेश
की सम्भावनाओं के सम्बन्ध में विचार-विमर्श
आईटीसी के सी0ई0ओ0 ने मुख्यमंत्री को उपभोक्ता खाद्य सामग्री, ग्रीन इनर्जी एवं गाजियाबाद में लाॅजिस्टिक्स हब
की स्थापना के लिए 1100 करोड़ रु0 से अधिक पूंजी निवेश किए जाने के सम्बन्ध में प्रस्ताव दिए
आईटीसी के सी0ई0ओ0 ने निवेश प्रोत्साहन एवं औद्योगिक विकास
के लिए राज्य सरकार की नीतियों की सराहना की
आईटीसी कम्पनी उत्तर प्रदेश में अपनी कारोबारी
गतिविधियां बढ़ाने की इच्छुक: श्री संजीव पुरी
लखनऊ: 10 फरवरी, 2018
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी से आज यहां उनके सरकारी आवास पर आईटीसी के सी0ई0ओ0 श्री संजीव पुरी ने भेंट की। इस अवसर पर प्रदेश में निवेश की सम्भावनाओं के सम्बन्ध में विचार-विमर्श किया गया।
मुख्यमंत्री जी से भेंट के दौरान श्री पुरी ने उपभोक्ता खाद्य सामग्री, ग्रीन इनर्जी एवं गाजियाबाद में लाॅजिस्टिक्स हब की स्थापना के लिए 1100 करोड़ रुपए से अधिक पूंजी निवेश किए जाने के सम्बन्ध मंे प्रस्ताव दिए। श्री संजीव पुरी ने निवेश प्रोत्साहन एवं औद्योगिक विकास के लिए राज्य सरकार की नीतियों की सराहना करते हुए कहा कि उनकी कम्पनी उत्तर प्रदेश में अपनी कारोबारी गतिविधियां बढ़ाने की इच्छुक है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा ‘ईज़ आॅफ डूईंग बिजनेस’ के प्रोत्साहन के लिए हर सम्भव प्रयास किए जा रहे हैं। उद्यमों की स्थापना के लिए राज्य सरकार द्वारा निवेशकों को विभिन्न सुविधाएं दी जा रही हैं। औद्योगिक निवेश एवं रोजगार प्रोत्साहन नीति सहित सेक्टरवार नीतियां लागू की गई हैं, जिनमें उद्यमों की स्थापना के लिए आकर्षक प्राविधान हैं। इन सुविधाओं और विकास कार्यों से प्रभावित होकर निवेशक उत्तर प्रदेश को निवेश के लिए आदर्श राज्य स्वीकार कर रहे हैं। मुख्यमंत्री जी ने श्री संजीव पुरी को 21 व 22 फरवरी को लखनऊ में आयोजित होने वाली इन्वेस्टर्स समिट के लिए आमंत्रित भी किया।
भेंट के दौरान अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास आयुक्त श्री अनूप चन्द्र पाण्डेय भी उपस्थित थे।