राज्यपाल की अध्यक्षता में सभी कुलपतियों ने शिरकत की
शिक्षा की गुणवत्ता को सुधारने के लिये नकलविहीन परीक्षा कराने के लिये प्रभावी व्यवस्था की जाये- राज्यपाल
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लखनऊ: 10 फरवरी, 2018
उत्तर प्रदेश के राज्यपाल एवं कुलाधिपति श्री राम नाईक की अध्यक्षता में आज छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय, कानपुर के सीनेट हाल में उत्तर प्रदेश राज्य विश्वविद्यालय के कुलपतियों का सम्मेलन आयोजित किया गया। सम्मेलन में राज्य के सभी 28 विश्वविद्यालयों के कुलपतिगण, अपर मुख्य सचिव/प्रमुख सचिव शिक्षा श्री संजय अग्रवाल, प्रमुख सचिव राज्यपाल सुश्री जूथिका पाटणकर, सचिव राज्यपाल श्री चन्द्र प्रकाश, सचिव तकनीकी शिक्षा श्री भुवनेश कुमार सहित, कृषि शिक्षा एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग के अधिकारीगण उपस्थित थे। कुलपति सम्मेलन से पूर्व राज्यपाल ने विश्वविद्यालय में नवनिर्मित स्वर्ण जयन्ती द्वार का लोकार्पण किया तथा प्रांगण में स्थित छत्रपति शाहूजी महाराज की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित कर अपनी श्रद्धांजलि दी।
राज्यपाल ने कुलपति सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए कहा कि परीक्षाओं को सम्पन्न कराने में नकल एक बड़ी चुनौती है। शिक्षा की गुणवत्ता को सुधारने के लिये नकलविहीन परीक्षा कराने के लिये प्रभावी व्यवस्था भी की जाये। सीसीटीवी के माध्यम से परीक्षा की माॅनिटरिंग की जाये। ससमय परीक्षा का संचालन हो तथा 30 जून, 2018 तक सभी विश्वविद्यालय अपना परीक्षाफल घोषित करें। उत्तर पुस्तिका के मूल्यांकन कार्य में अधिकाधिक पारदर्शिता लाने का प्रयास किया जाये। पूर्व में दीक्षान्त समारोह समय एवं नियमित रूप से न होने पर विद्यार्थियों को उपाधि मिलने में विलम्ब होता था। उन्होंने ने कहा कि परिणाम घोषित होने के बाद ई-गवनर्स के माध्यम से विश्वविद्यालय यह सुनिश्चित करें कि छात्रों को अंकतालिकाएं विश्वविद्यालय की वेबसाइट पर शीघ्रताशीघ्र उपलब्ध हों।
श्री नाईक ने कहा कि दीक्षान्त समारोह की वर्ष 2018-19 की समयसारिणी घोषित कर दी गई है। सत्र 2018-19 में सम्पन्न होने वाले सभी दीक्षान्त समारोह 15 नवम्बर, 2018 तक प्राथमिकता के आधार पर सम्पन्न हों। दीक्षान्त समारोह की सम्भावित तिथि 21 अगस्त, 2018 से 12 नवम्बर 2018 तक की समयसारणी सभी कुलपतियों को उपलब्ध करा दी गई है। दिसम्बर-जनवरी माह में खराब मौसम के कारण कई बार दीक्षान्त समारोह में उपस्थित होने में कठिनाई होती थी। विश्वविद्यालय शिक्षकों के रिक्त पदों को शीघ्र भरने के लिये समीक्षा करते हुए प्रभावी कदम उठायें। उन्होंने कहा कि अध्यापकों के रिक्त पद भरने में लगने वाले समय को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार द्वारा सेवानिवृत्त शिक्षकों को मानदेय के रूप में रखने का निर्णय लिया गया है। उन्होंने कहा कि छात्र संघ चुनाव लिंगदोह समिति के निर्देर्शों के अनुसार प्रवेश प्रक्रिया पूर्ण होने के बाद शीघ्रातिशीघ्र करा लिये जाये।
राज्यपाल ने कहा कि स्ववित्तपोषित पाठ्यक्रम प्रारम्भ करने से पूर्व उसके औचित्य, शुल्क निर्धारण एवं भविष्य में उपयोगिता को देखते हुए शासन से अनुमति प्राप्त की जाये। स्ववित्तपोषित पाठ्यक्रमों के संचालन के संबंध में अनेक शिकायतें प्राप्त हो रही हैं शासन द्वारा इनके निराकरण के लिये समय-समय पर अनेक कदम उठाये गये हैं। विभिन्न विश्वविद्यालयों में चल रहे स्ववित्तपोषित पाठ्यक्रमों की औचित्यता की गहन समीक्षा किये जाने की आवश्यकता है। फीस निर्धारण की प्रक्रिया एवं स्ववित्तपोषित पाठ्यक्रमों के संचालन हेतु नियुक्त शिक्षकों की सेवा शर्तों आदि के संबंध में अभी भी स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी किये जाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि कुलपतिगण इस संबंध में शासन के अधिकारियों से विचार-विमर्श करके ठोस निष्कर्ष पर पहुंचे जिससे शासन स्तर से यथानुसार शासनादेश जारी किये जा सकें।
श्री नाईक ने कहा कि विश्वविद्यालय के अधिनियम 1973 के कतिपय प्रावधानों के विरोधाभासी होने तथा वर्तमान परिप्रेक्ष्य में संशोधन किये जाने की आवश्यकता को देखते हुए कुलाधिपति के विधिक सलाहकार की अध्यक्षता में एक समिति गठित की गई है जो विधिवत् अपना काम कर रही है, अब तक समिति की कई रिपोर्टें शासन को सन्दर्भित की जा चुकी हैं। उच्च शिक्षा की प्रबन्धन प्रणाली के अध्ययन हेतु प्रमुख सचिव राज्यपाल के मार्ग दर्शन में महाराष्ट्र, पं0 बंगाल, तमिलनाडु आदि राज्यों के विश्वविद्यालयों का अध्ययन किया जा रहा है। महाराष्ट्र के अध्ययन के आधार पर तैयार की गई रिपोर्ट को प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री तथा विधिक परामर्शदाता की अध्यक्षता में गठित समिति के अध्यक्ष को विचारार्थ एवं आवश्यक कार्यवाही हेतु प्रेषित की गयी है। उन्होंने कहा कि शेष राज्यों के भ्रमण के उपरान्त तैयार होने वाली रिपोर्ट की संस्तुतियां विश्वविद्यालय के बेहतर प्रबन्धन एवं कार्य-प्रणाली को अधिक पारदर्शी बनाने में सहायक सिद्ध होंगी।
राज्यपाल ने कहा कि दीक्षान्त समारोह में एकरूपता लाने की दृष्टि से कुलपति महात्मा ज्योतिबा फुले रूहेलखण्ड विश्वविद्यालय की अध्यक्षता में एक समिति गठित की गई है जो विभिन्न मुद्दों पर विचार-विमर्श करके अपनी संस्तृति कुलाधिपति को प्रस्तुत करेगी। कुलाधिपति अपने स्तर से संस्तुति का अध्ययन करने के उपरान्त आवश्यक दिशा-निर्देश जारी करेंगे।
बैठक में पूर्व में सम्पन्न कुलपति सम्मेलन में लिये गये निर्णयों पर की गई कार्यवाही, अधिनियम में संशोधन, ई-गवर्नेस के संबंध में गठित समिति द्वारा कृत्त कार्यवाही, विश्वविद्यालय वेबसाइट की अद्यतन स्थिति, विश्वविद्यालय कार्य परिषद की बैठक की रिकार्डिंग, विश्वविद्यालयों में रिक्त पदों को भरे जाने के संबंध में की कार्यवाही की जानकारी, शोध कार्यों को प्रभावी बनाने की दिशा में किये गये प्रयास, कृषि, चिकित्सा एवं प्रौविधिक शिक्षा के महत्वपूर्ण बिन्दुओं पर गहन विचार-विमर्श किया गया।
कुलपति सम्मेलन में छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय, कानपुर, डाॅ0 जे0 वैशम्पायन ने स्वागत उद्बोधन दिया तथा सचिव राज्यपाल श्री चन्द्र प्रकाश ने धन्यवाद ज्ञापित किया। बैठक में अपर मुख्य सचिव, श्री संजय अग्रवाल ने आश्वास्त किया कि विश्वविद्यालयों की समस्याओं के निराकरण को लेकर राज्य सरकार गम्भीर है, सरकार का प्रयास है कि उच्च शिक्षा की गुणवत्ता में व्यापक सुधार हों। उन्होंने अपने स्तर से हर सम्भव सहयोग का आश्वासन भी दिया।
उल्लेखनीय है कि कुलपतियों की पूर्व बैठक में यह निर्णय लिया गया था कि वर्ष में दो बार आयोजित होने वाले कुलपति सम्मेलन की एक बैठक लखनऊ में होगी तथा दूसरी बैठक प्रदेश के किसी विश्वविद्यालय में होगी। इसी क्रम में आज कानपुर में आयोजित की गई जबकि इससे पूर्व झांसी और जौनपुर में बैठक आयोजित की जा चुकी है।