लखनऊ: 07 फरवरी, 2018
उत्तर प्रदेश के राज्यपाल श्री राम नाईक जी ने कहा कि भारतीय संस्कृति की महत्ता को संस्कृत के माध्यम से ही जाना जा सकता है। इस भाषा ने जीवन मूल्यों की प्रतिष्ठा में बड़ी भूमिका निभायी है। संस्कृत भाषा, भारतीय संस्कृति के प्रचार-प्रसार का सशक्त माध्यम हो सकती है। संस्कृत देव भाषा है। इसका साहित्य अत्यन्त समृद्ध है। अपने साहित्य के माध्यम से संस्कृत भाषा सुरक्षित है।
राज्यपाल आज यहां लोक भवन में आयोजित उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थानम् के सम्मान समारोह में अपना अध्यक्षीय उद्बोधन दे रहे थे। उन्होंने कहा कि संस्कृत भाषा के विद्वानों को इसके उत्थान के प्रति समर्पित होना चाहिए। संस्कृत साधकों की साधना से ही इस भाषा की विशेषता सामने आएगी तथा इसका प्रचार-प्रसार होगा। ‘सत्यमेव जयते’, ‘यतो धर्मस्य ततो जयः’, ‘धर्मचक्र प्रवर्तनाय’ आदि सूक्तियों का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि संस्कृत की एक बड़ी विशेषता यह भी है कि इसमें कम शब्दों में पूरी बात कहने की शक्ति है।
इस अवसर पर अपने विचार व्यक्त करते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने कहा कि संस्कृत विश्व की अनेक भाषाओं की जननी है। इसकी तुलना किसी अन्य भाषा या बोली से नहीं की जा सकती। भारतीय संस्कृति का आधार संस्कृत है। इसके बगैर भारतीय संस्कृति की कल्पना नहीं की जा सकती। संस्कृत के संरक्षण के लिए सरकार के साथ संस्कृत की परम्परा को भी दायित्व लेना होगा। राज्य सरकार संस्कृत भाषा को प्रोत्साहित करने के लिए हर सम्भव सहयोग करेगी।
योगी जी ने कहा कि वर्तमान भौतिकता के युग में संस्कृत ने अपने साधकों और श्रुति परम्परा के योगदान से ही पहचान बनाए रखी है। संस्कृत के प्रचार-प्रसार और इसे मुख्य धारा में लाने के लिए अर्वाचीन एवं प्राचीन के मिलन के साथ ही तन्मयता, शुद्ध मन और शुद्ध बुद्धि से कार्य किए जाने की आवश्यकता है। विश्व में जो नये शोध हो रहे हैं, उनमें संस्कृत के महत्व को स्वीकारा जा रहा है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि संस्कृत के संरक्षण की जिम्मेदारी संस्कृत के साधक और विद्वान उठाएं। इसके संवर्द्धन एवं प्रचार-प्रसार के लिए राज्य सरकार धन की कोई कमी नहीं आने देगी। उन्होंने कहा कि संस्कृत भाषा को प्रोत्साहित करने के लिए वर्तमान राज्य सरकार ने माध्यमिक संस्कृत शिक्षा परिषद का गठन किया है। संस्कृत संस्थानम् के बजट में दो गुने से भी अधिक की वृद्धि की गयी है। उन्होंने कहा कि संस्कृत संस्थानम् को प्रदेश के विद्यालयों में अभियान चलाकर संस्कृत सम्भाषण शिविरों का आयोजन करना चाहिए, जिससे प्रत्येक विद्यालय में विद्यार्थी संस्कृत बोलते हुए दिखायी दें।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि संस्कृत बहुत ही समृद्ध भाषा है। इसमें सभी विषयों पर गहन जानकारी देने वाले ग्रन्थ रचे गए हैं। महर्षि बृहस्पति के विमानन शास्त्र तथा सुश्रुत के शल्य चिकित्सा सम्बन्धी ग्रन्थों का जिक्र करते हुए मुख्यमंत्री जी ने कहा कि संस्कृत की अमूल्य धरोहरों को शोध के माध्यम से मानवता की सेवा के लिए सामने लाया जाना चाहिए।
योगी जी ने कार्यक्रम में सम्मानित संस्कृत विद्वानों और साधकों को बधाई दी और भरोसा जताया कि वे सभी संस्कृत संरक्षण के लिए अपनी ऊर्जा का उपयोग करेंगे। उन्होंने बताया कि संस्कृत संस्थानम् द्वारा प्रतिवर्ष संस्कृत भाषा में उल्लेखनीय कार्य करने वाले विद्वानों को सम्मानित किया जाता है। इस कार्यक्रम में वर्ष 2016 एवं 2017 के लिए पुरस्कार दिए जा रहे हैं। संस्थानम् द्वारा प्रतिवर्ष संस्कृत के लब्ध प्रतिष्ठित एक विद्वान को 05 लाख, 01 हजार रुपए का विश्व भारती पुरस्कार दिया जाता है। इसके अलावा 02 लाख, 01 हजार रुपए का महर्षि वाल्मीकि एवं 02 लाख, 01 हजार रुपए का महर्षि व्यास पुरस्कार दिया जाता है। साथ ही, 01 लाख, 01 हजार रुपए का महर्षि नारद पुरस्कार तथा 5 विद्वानों को 01 लाख, 1 हजार रुपए के 5 विशिष्ट पुरस्कार दिए जाते हैं।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि वेद पाठ की प्राचीन परम्परा लुप्त न हो और श्रुति परम्परा, जिसके द्वारा अनादि काल से विद्वानों द्वारा वेदों को संरक्षित किया गया है, को सुरक्षित रखने के लिए प्रतिवर्ष 51 हजार रुपए के 10 वेद पण्डित पुरस्कार प्रदान किए जाते हैं। इसके अलावा, 51 हजार रुपए की पुरस्कार राशि के 05 नामित पुरस्कार, 21 हजार रुपए के 06 विशेष पुरस्कार तथा 11 हजार रुपए की राशि वाले 20 विविधि पुरस्कार भी प्रदान किए जाते हैं।
इस अवसर पर आचार्य जगन्नाथ पाठक को वर्ष 2016 तथा आचार्य केशवराव सदाशिवशास्त्री मुसलगाँवकर को वर्ष 2017 का विश्वभारती पुरस्कार, डाॅ0 रामशंकर अवस्थी को वर्ष 2016 तथा डाॅ0 प्रशस्यमिश्र शास्त्री को वर्ष 2017 का महर्षि वाल्मीकि पुरस्कार, प्रो0 आजाद मिश्र ‘मधुकर’ को वर्ष 2016 तथा प्रो0 हरिदत्त शर्मा को वर्ष 2017 का महर्षि व्यास पुरस्कार, डाॅ0 शिवबालक द्विवेदी को वर्ष 2016 तथा विद्वान् श्री जनार्दन हेगडे को वर्ष 2017 का महर्षि नारद पुरस्कार प्रदान किया गया। आचार्य केशवराव सदाशिवशास्त्री मुसलगाँवकर ने अपनी पुरस्कार राशि में से 01 लाख रुपए तथा प्रो0 हरिदत्त शर्मा ने अपनी पुरस्कार राशि में से आधी धनराशि संस्कृत संस्थानम् को देने की घोषणा भी की।
इसके अलावा, डाॅ0 देवीसहाय पाण्डेय ‘दीप’, डाॅ0 विजेन्द्र कुमार शर्मा, डाॅ0 गिरिजाशंकर शास्त्री, डाॅ0 श्रीमती प्रमोद बाला मिश्रा, डाॅ0 रामानन्द शर्मा को वर्ष 2016 तथा डाॅ0 राकेश शास्त्री, प्रो0 फूलचन्द जैन ‘प्रेमी’, प्रो0 राजाराम शुक्ल, प्रो0 गोपबन्धु मिश्र, डाॅ0 सुरेन्द्र पाल सिंह को वर्ष 2017 के विशिष्ट पुरस्कार प्रदान किए गए। श्री धमेन्द्र शर्मा, डाॅ0 पं0 महेन्द्र पण्ड्या, श्री चक्रपाणि मिश्र, श्री अनिरुद्ध घनपाठी, श्री गजानन दिलीप ज्योतकर, श्री पवन कुमार पाण्डेय, श्री शिवशंकर पाठक, आचार्य पंकज कुमार शर्मा, श्री ओम प्रकाश द्विवेदी, श्री अंकित दीक्षित को वर्ष 2016 तथा श्री शिव मूरत तिवारी, श्री शिव नारायण शुक्ल, श्री सिद्धेश कुमार पाण्डेय, श्री अभिषेक दूबे, श्री सुनील कुमार उपाध्याय, श्री पद्मभूषण मिश्र, श्री खिमलाल न्यौपाने, श्री विकास कुमार पाण्डेय, श्री निखिल त्रिवेदी, श्री एस0 गुरुनाथ घनपाठी को वर्ष 2017 का वेदपण्डित पुरस्कार प्रदान किया गया।
इस मौके पर आचार्य महावीर प्रसाद शर्मा, प्रो0 आजाद मिश्र ‘मधुकर’, श्री सांवर मल शर्मा ‘शास्त्री’, डाॅ0 शंकर दत्त ओझा को वर्ष 2016 तथा डाॅ0 बलराम शुक्ल, डाॅ0 एच0आर0 विश्वास, डाॅ0 दिनेश कुमार द्विवेदी, श्रीमती अंजना शर्मा को वर्ष 2017 के नामित पुरस्कार, डाॅ0 केशव प्रसाद गुप्त, डाॅ0 रमाकान्त शुक्ल, प्रो0 अभिराज राजेन्द्र मिश्र, श्री विमलेन्द्र कुमार, प्रो0 हरिनारायण तिवारी, श्री शिवसागर त्रिपाठी को वर्ष 2016 तथा डाॅ0 धर्मदत्त चतुर्वेदी, प्रो0 आजाद मिश्र ‘मधुकर’, प्रो0 उमेश प्रसाद सिंह, डाॅ0 गिरिजा शंकर शास्त्री, डाॅ0 प्रतिभा आर्या, डाॅ0 प्रशस्यमित्र शास्त्री, श्री सेतल संघसेनो (प्रो0 संघसेन सिंह) को वर्ष 2017 के विशेष पुरस्कार प्रदान किए गए।
इसके अतिरिक्त डाॅ0 रामकिशोर मिश्र, प्रो0 आजाद मिश्र ‘मधुकर’, प्रो0 बनमाली विश्वाल, डाॅ0 वत्सला, डाॅ0 मधुलिका श्रीवास्तव, प्रो0 बनमाली विश्वाल, प्रो0 जर्नादन प्रसाद पाण्डेय ‘मणि’, श्री हरिहरानन्द जी, डाॅ0 राजकुमार मिश्र, प्रो0 बनमाली विश्वाल, श्री पंकज नाथ तिवारी, डाॅ0 पुष्पा मलिक, डाॅ0 जगदीश प्रसाद शर्मा, डाॅ0 उपेन्द्र कुमार त्रिपाठी, डाॅ0 सुरेन्द्र कुमार त्रिपाठी, डाॅ0 श्यामाकान्त द्विवेदी, डाॅ0 गिरिजाशंकर शास्त्री, डाॅ0 राका जैन को वर्ष 2016 का तथा डाॅ0 मीरा द्विवेदी, डाॅ0 विनोद कुमार पाण्डेय, डाॅ0 मधुसूदन, डाॅ0 रामकिशोर झा, डाॅ0 वत्सला, डाॅ0 पवन कुमार, डाॅ0 प्रत्यूषवत्सला द्विवेदी, डाॅ0 अरविन्द कुमार तिवारी, डाॅ0 सुरेन्द्र पाल सिंह, डाॅ0 जगदीश प्रसाद शर्मा, डाॅ0 शीतला प्रसाद पाण्डेय, डाॅ0 शिवशंकर त्रिपाठी, प्रो0 वागीश दिनकर, प्रो0 उमारमण झा, डाॅ0 सुरेन्द्र कुमार शर्मा, डाॅ0 सुरेन्द्र कुमार पाण्डेय, डाॅ0 ज्ञानादित्य शाक्य, डाॅ0 राहुल अमृतराज को वर्ष 2017 के विविध पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
समारोह को गुरुकुल प्रभात आश्रम, मेरठ के कुलाधिपति श्री स्वामी विवेकानन्द सरस्वती तथा विश्व भारती पुरस्कार प्राप्त डाॅ0 केशवराव सदाशिव शास्त्री मुसलगाँवकर ने भी सम्बोधित किया। प्रमुख सचिव भाषा श्री जितेन्द्र कुमार ने अतिथियों के प्रति धन्यवाद ज्ञापन किया।
इस अवसर पर ग्रामीण विकास राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डाॅ0 महेन्द्र सिंह सहित जनप्रतिनिधिगण, शासन-प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी, संस्कृत विद्वान, छात्र-छात्राएं एवं अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।