15 फरवरी, 2018, वाराणसी | मानवाधिकार जननिगरानी समिति (PVCHR), इण्टरनेशनल रिहैबिलिटेशन काउंसिल ऑन टार्चर विक्टिम (IRCT), यूनाईटेड नेशन ट्रस्ट फण्ड फॉर टार्चर विक्टिम (UN Trust Fund For Torture Victim) और ओक फाउंडेशन (Oak Foundation) के संयुक्त तत्वाधान में एक सम्मलेन का आयोजन लहुरावीर स्थित होटल कामेश हट में किया गया | यह सम्मलेन मुख्य रूप से “भारत में उभरते कॉर्पोरेट फासीवादी राज्य में यातना, स्व व्यथा चिकित्सा और न्याय पर पहुँच” विषयक पर आधारित था |
सम्मलेन की शुरुआत करते हुए मानवाधिकार जननिगरानी समिति के सीईओ डा0 लेनिन रघुवंशी ने बताया कि कैसे हम आज इस सम्मलेन को रखने का मकसद यह है कि जो भी पीड़ित किसी भी प्रकार के हिंसा या यातना से गुजरता है उसे शारीरिक यातना के साथ ही साथ सबसे ज्यादा मानसिक यातना झेलना पड़ता है | जिसके बाद उसका व्यवहार पूरी तरह से परिवर्तित हो जाता है और वो पीड़ित व्यक्ति समाज की मुख्यधारा से कट कर अपनी अलग ही भय व दुःख की दुनिया में जीने को मजबूर हो जाता है और फिर वह न्याय पाने की आस छोड़ देता है उसमे हमारी व्यवस्था का भी बड़ा योगदान होता है | लेकिन यदि सही समय पर उसकी पीड़ा को संयमित तरीके से सुना जाय तो इससे उसे बहुत सम्ब्बल मिलता है और वह न्याय पाने की प्रक्रिया में समाज की मुख्यधारा से पुनः जुड़ जाता है | आज इस सम्मलेन के माध्यम से हम ऐसे ही पीडितो को एक मंच पर लाकर उनकी स्व व्यथा कथा सुनने का प्रयास किया गया और उनके न्याय पाने हेतु पहल किया गया |
इस सम्मलेन में डा0 जेरमी रिंकर के पेपर “Narrative Reconciliation as Rights Based Peace”. पर चर्चा की गयी | इसके साथ ही इस सम्मलेन में उत्तर प्रदेश के वाराणसी, मिर्ज़ापुर जिले से और झारखण्ड के कोडरमा से पीड़ित एकत्रित हुए, इस सम्मलेन में सभी पीडिती ने अपनी स्व व्यथा कथा को सभी के साथ साँझा किया |
इस सम्मलेन के मुख्य अतिथि पूर्व सांसद डा0 राजेश मिश्रा ने कहा कि यातना विरोधी बिल को लॉ कमीशन की संतुति पर राज्य सभा में अविलम्ब पारित करना चाहिए | यातना पर संयुक्त राष्ट्र संघ कन्वेंशन (UN Convention against Torture) का अनुमोदन होना चाहिए | आगे उन्होंने कहा कि राज्य सभा की सलेक्ट कमेटी की शिफारिश, माननीय सर्वोच्च न्यायलय व राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की संतुतियो के बाद भी हीला हवाली कर रही है | इसका सबसे बड़ा कारण उत्तर प्रदेश से आप समझ सकते है कि कानून के राज की जगह इनकाउंटर का का राज स्थापित हो रहा है |
इसी कड़ी में अन्य इलाको से आये पुलिस यातना और अन्य यातनाओ से पीडितो का सम्मान समारोह किया गया जिससे उन्हें गरिमामय जिन्दगी जीने में मदद मिल सके | वाराणसी के साहिल नट, छेदी बनवासी, शबिहा, शिराजुद्दीन, मेहताब आलम, सावित्री, अंजनी, शंकर यादव, एटा जिले के गजाधर और झारखण्ड के कोडरमा जिले की रीना को इस सम्मान समारोह में सम्मानित किया गया | एटा जिले के गजाधर ऐसे पीड़ित है कि उन्हें बिना किसी जुर्म के 20 वर्षो तक बांग्लादेश की जेल में रहकर सजा काटनी पडी | कामन वेल्थ ह्युमन राईट्स इनिशिएटिव और मानवाधिकार जननिगरानी समिति ने पैरवी करने के बाद उसे बांग्लादेश की जेल से छुड़ाया और भारत में पुनः उसके पुनर्वासन के लिए पैरवी की |
इस सम्मलेन के दौरान ही लखनऊ के मानवाधिकार कार्यकर्ता श्री आशीष अवस्थी को मानवाधिकार जननिगरानी द्वारा प्रतिष्ठित “जनमित्र सम्मान” देकर उन्हें सम्मानित किया गया |
आगे इस सम्मलेन में किसानो के बीच जाति आधारित अंतर्विरोधों को न्याय के आधार पर काम करने एवं ‘जातिगत सामन्तवादी’ व ‘नव उदारवाद’ द्वारा किसानी पर किये जा रहे हमले व नुकसान के प्रतिरोध में प्रतीक के रूप में वाराणसी के श्री राज कुमार गुप्ता, श्री विनोद कुमार, श्री बबलू कुमार पटेल उर्फ़ बाबू, श्री सत्य नारायण पटेल, श्रीमती सुमन देवी और आजमगढ़ के श्री अमित निगम और कुमारी सविता को “नव दलित सम्मान” से सम्मानित किया गया |
इसके साथ ही ऐसे पीड़ित जो आर्थिक रूप से बहुत कमजोर है उन्हें सब्बल देने के लिए कम्बल वितरित किया गया | वाराणसी के साधू, बादाम, अरविन्द, शिराजुद्दीन, शंकर यादव, पंचम यादव, पप्पू, राजकुमार, कैलाश, रेखा, सुखई, मिला, राम चन्दर, गुलाब, छेदी बनवासी, शबिहा, मेहताब, अंजनी, मिर्ज़ापुर जिले के त्रिभुवन, मुरहू, राजू, सीता, ब्रिजेश, पूजा, परदेशी, विदेशी और झारखण्ड के कोडरमा जिले की रीना को कम्बल वितरित किया गया |
इस सम्मलेन में विशेष रूप से सीओ दशास्वमेध स्नेहा तिवारी भी उपस्थित थी |
डा0 लेनिन रघुवंशी की दादी और शिरिन शबाना खान के भाई की मृत्यु पर 2 मिनट का मौन रखकर सम्मलेन का समापन किया गया |