Archive | May 25th, 2012

भारतीय जनता पार्टी राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक (राजनैतिक प्रस्ताव)

Posted on 25 May 2012 by admin

यूपीए सरकार ने 2009 के लोकसभा चुनाव में दोबारा सत्ता़ में आने के बाद  अपने तीन वर्ष का कार्यकाल पूरा कर लिया है। कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए जिस आम आदमी का हितैषी होने का प्रचार करती है वही आम आदमी इस सरकार के कुशासन का सबसे बड़ा शिकार बना है।  कुशासन, भ्रष्टाचार और उदासीनता के कारण गरीब आदमी का दुख, उपेक्षा और पीड़ा सभी हदों को पार कर चुकी है। सच्चाई तो यह है कि भारत के विकास की कहानी के सभी दावे संदेह और अविश्वापस के घेरे में आ गए हैं। कांग्रेस के नेतृत्व वाली केन्द्र सरकार की नीतिगत विफलताओं और उसके खराब शासन के कारण दुनिया भर में भारत की साख गिरी है। घिसट-घिसटकर चलना यूपीए-2 की विशेषता बन गई है। उम्मीद का माहौल खत्म हो गया है और भारत के एक बड़ी शक्ति के रूप में उभरने के सपने पर अब न केवल तटस्थ पर्यवेक्षक बल्कि ऐसे लोग भी गंभीरता से सवाल उठा रहे हैं जो इस सरकार के विशेष सलाहकार हैं। यह सब इस महान देश की असाधारण सामर्थन और इसकी जनता की असीम क्षमता के बावजूद हो रहा है। श्री अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में एनडीए सरकार ने उम्मीद, उत्साह, भागीदारी, वास्तविक विकास, मंहगाई के ठोस प्रबंधन और सामान्य सद्भावना और आशा की महान विरासत छोड़ी थी जिसकी वजह से भारत को नई ऊंचाईयां छूने को मिली और भारत एक महत्वपूर्ण देश के रूप में उभरकर सामने आया था। आज इसकी जगह अंधकार और निराशा का माहौल है।            इस सभी का कारण ढूंढना कोई बहुत मुश्किल नहीं है। एक सफल सरकार चलाने और किसी भी कार्यक्रम को लागू करने के लिए तीन चीजें आवश्यक हैं। पहला नेतृत्व ऐसा होना चाहिए जो फैसले लेने और उन्हें लागू करने की क्षमता रखता हो। दूसरा सरकार की विश्वसनीयता है और तीसरी महत्वपूर्ण बात है सरकार की साख। प्रधानमंत्री को स्वाभाविक रूप से देश और सरकार का नेता होना चाहिए और नीतिगत मामलों में उनकी ही बात मानी जानी चाहिए। डा. मनमोहन सिंह दोहरी कसौटी पर खरा उतरने में एकदम ही नाकाम रहे हैं। देश में न केवल दोहरा नेतृत्व है बल्कि 7 रेसकोर्स रोड और 10 जनपथ की दूरी बढ़ती जा रही है। नीतिगत पहलों पर भी वे एकमत नहीं हैं। सरकार मंत्रियों और गठबंधन के सहयोगियों के बीच कोई तालमेल नहीं है। प्रधानमंत्री की जिम्मेदारी है कि वे चीजों को दुरूस्त रखें। हांलाकि हर दिन इस बात की पुष्टि कराई जाती है कि प्रधानमंत्री अपने पद पर आसीन हैं लेकिन उन्हें  अधिकार प्राप्त नहीं है। उन्हें  देखकर ऐसा लगता है जैसे वह एक सीईओ की तरह काम कर रहे हैं, जिसे एक कम्पानी के बोर्ड से निर्देश मिलते हैं जिसके चैयरमैन के पास सारे अधिकार हैं लेकिन वास्तव में कोई जवाबदेही नहीं है।

नीतिगत विफलता और मुद्रास्फीति
नीतिगत विफलता और भ्रष्टा्चार के परिणाम चारों तरफ दिखाई दे रहे हैं। निवेश कम हुआ है, औद्योगिक माहौल बिल्कुल अनुकूल नहीं है और भ्रष्टाचार ने मुश्किलें और बढ़ा दी हैं। अर्थव्यवस्था में मंदी का दौर है, अंतर्राष्ट्रीय रेटिंग अनुकूल नहीं हैं और रूपया गिरा है डॉलर के मुकाबले रूपये का 22 प्रतिशत अवमूल्यमन हो चुका है। डॉलर मंहगा होने के कारण अब छात्रों, पर्यटकों और सरकार को ज्यादा भुगतान करना पड़ेगा। वृद्धि और विकास के लिए जरूरी कई नीतिगत पहल अधर में लटके पड़ी हैं क्योंकि सरकार और यूपीए के भीतर न केवल स्पष्टीता और आम सहमति का अभाव है बल्कि कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ मंत्री भी अलग-अलग भाषा बोल रहे हैं। इसके लिए प्रधानमंत्री के पास राजनैतिक अधिकार होना जरूरी है जो दुर्भाग्य से उपलब्ध  नहीं है। निष्क्रियता और भ्रष्टाचार के लिए गठबंधन की राजनीति की मजबूरी का बहाना नहीं बनाया जा सकता। विपक्ष के साथ सहमति बनाने का काम एकतरफा नहीं हो सकता जबकि वरिष्ठ मंत्री राज्यों  के साथ, विपक्ष से निपटते समय अहंकार वाली बयानबाजी करते हैं और विपक्ष द्वारा शासित राज्यों के लिए परेशानियां खड़ी करने में कोई कसर नहीं छोड़ते।
मुद्रास्फीति खासतौर से खाद्यान्नों की कीमतें एक बार फिर बढ़ने के कारण न केवल गरीब आदमी का जीवन दूभर हो गया है बल्कि मध्यम वर्ग के लिए भी काफी मुश्किलें खड़ी हो गई हैं। ऐसा लगता है कि सरकार ने हाथ खड़े कर दिये हैं। उसके पास खाद्यान्नों की बढ़ती कीमतों की समस्या से निपटने के लिए कोई ठोस उपाय नहीं है जिसके कारण अर्थव्यवस्थाक लम्बे  अरसे से चैपट पड़ी है। यह एक विडम्बना ही है कि भारतीय किसानों की कड़ी मेहनत के कारण अनाज के रिकॉर्ड उत्पादन के बावजूद, अनाज खुले में सड़ रहा है क्योंकि भंडारण की पर्याप्त  सुविधा नहीं है और अत्यधिक गरीब और हाशिये पर चले गए लोगों को खाना नसीब नहीं हो रहा है। सरकार के पास इस गंभीर मुद्दे से निपटने के लिए कोई रोडमैप नहीं है और यह स्थिति बार-बार पैदा हो रही है। अर्थव्यवस्था का प्रबंधन खासतौर से खाद्य अर्थव्यवस्था घोर असंतोषजनक है जबकि पिछले 8 वर्ष से एक जाने-माने अर्थशास्त्री  प्रधानमंत्री हैं। पेट्रोल की कीमत पर एक दिन में 7 रुपये से अधिेक की बढ़ोतरी आज तक कभी नही हुअी। अपनी तीसरी वर्षगांठ पर यूपीए के द्वारा देश के गरीब जनता को दिया गया एक क्रूर उपहार हैं।

भ्रष्टाचार यूपीए सरकार का अभिन्न अंग
भाजपा ने कुछ समय पहले अपनी पिछली राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठकों में स्पैक्ट्रम मत व्यक्त किया था कि आजादी के बाद सबसे भ्रष्ट केन्द्र सरकार का नेतृत्व डा. मनमोहन सिंह कर रहे हैं। इस अवधारणा में बदलाव की कोई वजह नहीं दिखाई देती। भ्रष्टोचार करना और भ्रष्टाचार करने वाले को संरक्षण देना उनके शासन की  विशेषता बन गई है। यहां तक कि गठबंधन के सहयोगियों और कांग्रेस पार्टी से जुड़े लोगों की भ्रष्टाचार में लिप्ततता को लेकर अलग-अलग मानदंड बना दिए गए हैं। मौजूदा गृह मंत्री पी. चिदम्बरम जब वित्त मंत्री थे तो उस समय 2जी घोटाला हुआ जो आजादी के बाद राजनीतिक भ्रष्टाचार का सबसे बड़ा मामला है, इसमें उनकी खुद की भूमिका का काफी संदेह के घेरे में है और इसकी निष्पक्ष जांच करने की आवश्यकता है। फिर भी वह प्रधानमंत्री के निर्विवाद विश्वासपात्र बने हुए हैं। जिस तरह से अत्यधिक संदेहपूर्ण परिस्थितियों में विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड (एफआईपीबी) ने होल्डिंग कंपनियों के जरिये एयरसेल मैक्सिस सौदे को मंजूरी दी उसे लेकर अनेक गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं। इस सौदे में श्री चिदम्बंरम के परिवार के सदस्य कथित रूप से शामिल हैं। इस सौदे की सीबीआई जांच कर रही है जिसमें तत्कालीन दूरसंचार मंत्री श्री मारन की भूमिका की भी जांच की जा रही है।
आदर्श घोटाले में महाराष्ट्र के अनेक कांग्रेसी मुख्यमंत्रियों के नाम आए हैं और हैरानी की बात यह है कि उनमें से कई केन्द्रे सरकार में मंत्री बने हुए हैं। राष्ट्रमंडल खेल घोटाले में दिल्लीै की मुख्य मंत्री शीला दीक्षित को लगातार संरक्षण दिया जा रहा है जबकि इस मामले की जांच के लिए खुद प्रधानमंत्री द्वारा गठित शुंगलू समिति की रिपोर्ट में उनकी भूमिका के खिलाफ गंभीर टिप्पणियां की गई हैं। हाल ही में नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (कैग) की रिपोर्ट में एंट्रिक्स-देवास सौदे को शासन व्यवस्था की विफलता का अनूठा उदाहरण करार दिया गया। रिपोर्ट में यह टिप्पणी की गई है कि इसरो के पूर्व प्रमुख और अन्य अधिकारियों ने सरकार के हितों की अनदेखी की और निजी कंपनी देवास को फायदा पहुंचाया। अंतरिक्ष मंत्रालय सीधे तौर पर प्रधानमंत्री के अधीन है, इसके बावजूद ऐसा हुआ। कैग ने एयर इंडिया के विमानों की खरीद में बहुत ज्यादा भ्रष्टाचार पाया। उर्वरक सब्सिडी के मामले में भी भारी भ्रष्टाचार हुआ है। हर रोज एक नया घोटाला या घपला सामने आ रहा है। कैग ने अपनी रिपोर्ट मे कोयला ब्लाॅक के आवंटन मे भी भयंकर अनियमिताओं को उजागर किया है। कैग ने दिल्ली हवाई अड्डे के निजीकरण में भी भयंकर अनियमितताओं को पाया है।
काले धन का पता लगाने के लिए प्रभावी और अर्थपूर्ण समयबद्ध कार्यक्रम चलाने तथा विदेशों में काला धन जमा करने वालों के नाम जनता के सामने लाने के लिए सरकार में राजनैतिक इच्छा शक्ति का अभाव है। सरकार जानती है कि अगर यह नाम उजागर हो गए तो उसकी फजीहत होगी। काले धन पर संसद मे सरकार द्वारा जारी वक्तव्य सिर्फ दिखावा है। इसमे कोई दिशा और स्पष्ट नीति का अभाव है जिससे विदेशी बैंको मे जमा काले धन को लाया जा सकें। रिपोर्ट से इस चैकानें वाले तथ्य का पता चलता है कि 2006 से 2010 के बीच स्वीट्जरलैंड के बैंको मे जमा भारतीयो के पैसे में 60ः की गिरावट हुई। रु 23,273 करोड़ रू॰ से कम होकर यह राशि 2010 में 9295 रुपये रह रह गई। हालांकी इस पूरी राशि का आकलन भी काफी कम है। लेकिन इससे यह ज्ञात होता है कि 2008 के बाद भाजपा द्वारा इस विषय को गंभीरता से उठाने के बाद वहा से ये पैसा निकाला गया।  भाजपा महसूस करती है कि सशस्त्र बलों के लिए होने वाली खरीद के अनेक सौदों में भ्रष्टाचार का होना गंभीर चिंता का विषय है। सेना के लिए टाट्रा ट्रक की आपूर्ति ने भ्रष्टाचार और अनियमितताओं को लेकर अनेक चिंताजनक सवाल खड़े कर दिये हैं।
कांग्रेस भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई के प्रति गंभीर नहीं है। प्रधानमंत्री और यूपीए अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी द्वारा भ्रष्टाचार रोकने की गई सभी घोषणाएं खोखली और हास्यास्पद लगती हैं। अगर भाजपा द्वारा खासतौर से काफी आक्रामक अभियान नही चलाया गया होता और जागरूक मीडिया और अदालत की निगरानी नही होती तो किसी भी घोटाले में कोई कार्रवाई यू.पी.ए. सरकार द्वारा नही होती। कांग्रेस का भ्रष्टाचार करने वालों के दुष्कर्म को छिपाने के लिए अपने अधिकारों का दुरूपयोग करने की निर्लज्जता दिखाने का रिकॉर्ड रहा है।

हाल के चुनाव परिणाम
राष्ट्रीय कार्यकारिणी की पिछली बैठक के बाद अनेक राज्यों में चुनाव हुए। पंजाब में अकाली दल, भाजपा गठबंधन भारी बहुमत से विजयी रहा। पिछले 40 वर्ष में ऐसी पहली सरकार थी जो सत्ताु पर रहते हुए दोबारा चुनी गई। जाहिर है कि लोगों ने अकाली-भाजपा सरकार द्वारा किये गए अच्छे कार्यों पर भरोसा किया। इन दोनों दलों का सम्बन्ध 40 वर्ष से ज्यादा पुराना है। गोवा में भाजपा की भारी जीत काबिले तारीफ है। ईसाई मतदाताओं की बड़ी संख्या सहित औसत मतदाताओं के बहुमत को कांग्रेस नेतृत्व वाली सरकार के कुशासन से छुटकारा पाने के लिए भाजपा एकमात्र उम्मीद के रूप में दिखाई दी। बड़ी संख्या में अल्पसंख्यक समुदाय के उम्मीदवारों ने भाजपा के टिकट पर चुनाव जीतकर इस दुष्प्रचार को खत्म कर दिया कि भाजपा अल्पसंख्यक विरोधी है। वे भाजपा इस सिद्धांत की सराहना करते हैं कि सभी को न्याय मिले और किसी का तुष्टिकरण नहीं हो। उत्तराखंड राज्य में एक सीट कम रहने के कारण हम अपनी सरकार नहीं बना पाए। हम नेताओं और कार्यकर्ताओं द्वारा की गई कड़ी मेहनत की सराहना करते हैं लेकिन इससे सबक लेने की जरूरत है। उत्तरप्रदेश के चुनाव परिणाम संतोषजनक नहीं रहे। कार्यकर्ताओं और समर्थकों के जबरदस्त चुनाव प्रचार और कड़ी मेहनत के बावजूद, हम वहां लोगों की अपेक्षाओं पर खरे नही उतर सके। हमें गंभीरता से आत्म विश्लेषण करने, सुधार करने और पार्टी के कार्यकर्ताओं और समर्थकों को प्रेरित और उत्साहित करने की जरूरत है। भाजपा को उत्तर प्रदेश में पहले लोगों का विश्वास और समर्थन मिल चुका है। हमें इसे दोबारा हासिल करने की जरूरत है। मणिपुर में पार्टी की कड़ी मेहनत का पूरा फल नहीं मिल सका फिर भी हमें वहां अपना जनाधार बढ़ाने के लिए निरंतर प्रयास करने होंगे।
विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को न केवल भारी नुकसान हुआ बल्कि मतदाताओं ने मुंबई, दिल्लीे और बेंगलुरू के नगर निगम चुनावों में उसे बुरी तरह से सबक सिखाया। इससे यूपीए सरकार के कुशासन और भ्रष्टाचार के खिलाफ जनता के गुस्से  का पता चलता है।

संघीय ढांचे का लगातार उल्लंघन
बार-बार विरोध व्यक्त करने के बावजूद यूपीए ने राज्य सरकारों के अधिकार को कम करने के लिए संघीय ढांचे के सिद्धांतों के साथ छेड़छाड़ जारी रखी है। यूपीए के सहयोगी दलों सहित विपक्ष के विरोध के बावजूद यह लगातार जारी है। हाल में केन्द्र सरकार का एकतरफा और मनमर्जी करने का उदाहरण देखने को मिला। उसने जिस तरीके से राष्ट्रीय आतंकवाद निरोधक केन्द्र  (एनसीटीसी), रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) और सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) कानून में सुरक्षा संबंधी अधिकार को लेकर संशोधन किये उससे केन्द्र  और राज्यों के बीच में अविश्वास और संदेह बढ़ा है। देश की आंतरिक सुरक्षा को मनमाने ढंग से नहीं देखा जा सकता। राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रबंधन और संघीय ढांचे के सिद्धांतों के सम्मान को लेकर कोई मतभेद नहीं है। इस सम्बंध में राज्य सरकारों की बराबर की भागीदारी और जिम्मेदारी है। केन्द्रीय सहायता और संसाधनों के आवंटन में भेदभाव राज्यों की बिजली की जरूरतों को पूरा करने के लिए कोयला खदानों के आवंटन और राज्य विधानसभाओं द्वारा पारित अनेक विधेयकों को मंजूरी नहीं दिये जाने जैसे भेदभाव के अनेक उदाहरण गंभीर चिंता का कारण हैं। ऐसा निष्कर्ष निकालना सही होगा कि संघीय ढांचे के सिद्धांतों का सम्मायन कांग्रेस के डीएनए का हिस्सा नहीं है।

आतंकवाद और नक्सल हिंसा का खतरा
भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की यह बैठक मुंबई में हो रही है और हमारे लिए यह जरूरी है कि हम 2008 के मुंबई आतंकवादी हमले के मुख्य षड़यंत्रकारियों और इसकी योजना बनाने वालों को अभी तक सजा नहीं दिलाने जाने पर गंभीर रोष प्रगट करें। वे पाकिस्तान में सुरक्षित घूम रहे हैं क्योंकि उन्हें  पाकिस्तांन के शासकों और सेना का संरक्षण हासिल है। इस बारे में भारत सरकार पाकिस्तान को विस्तृत जानकारी के साथ दर्जनों दस्तावेज दे चुकी है लेकिन इसके बावजूद कोई कार्रवाई नहीं की गई है। भाजपा का दृढ़ मत है कि पाकिस्तान के साथ सम्बन्धों  को सामान्य बनाना तब तक संभव नहीं है जब तक वह अपनी जमीन से भारत के खिलाफ होने वाली आतंकवादी गतिविधियों के खिलाफ कड़ी और निर्णायक कार्रवाई नहीं करता। भारत को आतंकवाद के साथ लड़ाई में पूरी तरह से सतर्क रहने और कठोर कार्रवाई करने की जरूरत है। आतंकवाद से निपटने के लिए किसी तरह की कोताही और समझौता नहीं होना चाहिए क्योंकि यह सुरक्षा और एकता का मामला नहीं है बल्कि इससे देश की संप्रभुता जुड़ी हुई है।
माओवादी हिंसा ने गंभीर चिंता और चुनौती खड़ी कर दी है। पूरे देश को इस समस्या से पूरी तरह से सतर्क रहने की जरूरत है और इस चुनौती से निपटने के लिए केन्द्र  एंव राज्य सरकारों के बीच पूरा तालमेल होना चाहिए। गरीबों की समस्याओं का हल ढूंढा जाना चाहिए लेकिन हमें इस तथ्य को स्वीकार करना होगा कि माओवादियों का मूल उद्देश्य हिंसा के जरिये संसदीय लोकतंत्र का तख्ता पलटना और राजनीतिक ताकत हासिल करना है। यही वजह है कि वे जबरन निर्दोष लोगों का अपहरण और हत्या करते हैं। यह अपने आप में बहुत बड़ी चुनौती है। हम छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री की इस घोषणा की सराहना करते हैं कि अगर मुख्यरमंत्री का भी अपहरण हो जाता है तो उनकी नाजायज मांगों के आगे नहीं झुका जाना चाहिए।

पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के हालात और शरणार्थियों की स्थिति
पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों खासतौर से हिन्दुओं की स्थिति बहुत दयनीय है। वहां पर हिन्दू लड़कियों का अपहरण करने के बाद जबरन धर्मांतरण करने और उनकी इच्छा के विरूद्ध विवाह कराने की घटनाएं अकसर सुनने को मिलती हैं। पुलिस ही नहीं बल्कि न्यायपालिका भी कई मामलों में उन्हें  न्याय नहीं दिला पाती। पाकिस्तान के विभिन्न हिस्सों में अनेक हिन्दू पेशेवर और व्यवसायियों की हत्या। की जा चुकी है। हिन्दू ही नहीं बल्कि ईसाई भी दहशत में जी रहे हैं। पाकिस्तान मे अल्पसंख्यको के पूजा स्थलों पर भी हमला हो रहा है। मानवाधिकार संगठनों ने अपनी अनेक रिपोर्टों में इस दुर्दशा की विस्तार से जानकारी दी है। हमारा भारत सरकार से आग्रह और मांग है कि वह पाकिस्तान के साथ दृढ़ता से सभी कूटनीतिक उपाय करे और पाकिस्तान में इन अल्पसंख्य्कों की सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए इससे जुड़े अन्य उपाय भी करे।
पाकिस्तान और पाक अधिकृत कश्मीर से आये हिन्दू शरणार्थियों की स्थिति गंभीर चिंता का विषय है। उन्हें धार्मिक कारणों और अपनी आस्था के कारण जबरन वहां से भागना पड़ा क्योंकि उनके नागरिक और सांस्कृतिक अधिकारों का हनन हो रहा था तथा एक सन्मान जनक जीवन जीने की स्थितियां भी नहीं थी। भारत सरकार को उनकी शिकायतों को दूर करने के लिए सभी उपाय करने चाहिए जिससे वे भारत में इज्जत और आत्मसम्मान के साथ रह सकें। उन्हें जबरन उनकी मातृभूमि से खदेड़ा गया है और वहां का शासन उनके बुनियादी मानवाधिकारों की अवहेलना कर रहा है। उन्हें शरणार्थियों और मानवाधिकार के उल्लंघन संबंधित आंतरराष्ट्रीय नियिमों के अनुसार सन्मान से जीवन यापन का अवसर मिलना चाहिए।

संस्था का पतन
यूपीए सरकार एक के बाद एक विवादों में घिरती चली गई और इस कारण संस्थाओं का पतन होने लगा है। उसने न केवल सिविल सोसाइटी को नाराज किया है जो भ्रष्टाचार के लिए जिम्मेदारी तय करने की मांग कर रही है बल्कि कैग और चुनाव आयोग के साथ भी उसका तकरार बढ़ा है। वे अपनी स्वायत्ता  में हस्तक्षेप किये जाने की आशंका व्यक्त कर रहे हैं। हमें अपनी सेना के साहस और शौर्य पर गर्व है जो हमें सुरक्षा प्रदान करते हैं। वे हमारे संविधान और राजनैतिक स्वरूप के अनुसार राजनैतिक नेतृत्व के नियंत्रण मे काम करते हैं। हाल में सरकार और सेना के सम्बन्धों में तनाव के अनेक उदाहरण सामने आए जिनसे मजबूत शासन व्यवस्थों के जरिये बचा जा सकता था। भाजपा भ्रष्टाचार से लड़ने के लिए पर्याप्त अधिकारों के साथ एक प्रभावी लोकपाल के लिए प्रतिबद्ध है और इस सम्बन्ध में कोई देरी नहीं की जानी चाहिए।

निष्कर्ष
यूपीए ने देश के शासन को गर्त में धकेल दिया है। भ्रष्टाचार, अनिर्णय, मंहगाई और असुरक्षा का भाव पैदा होने के कारण जनता की तकलीफें बढ़ गई हैं। वे भाजपा की ओर देख रहे हैं। हमारा कत्र्तव्य है कि हम उनकी उम्मीदों पर खरे उतरें और देश की जनता को आश्वस्त करें कि भाजपा ही देश को विकास के रास्ते पर ले जा सकती है।
यू॰पी॰ए॰ सरकार के तीन वर्ष पूरे होने के कार्यक्रम मे श्रीमती सोनिया गाँधी ने सराकार के संबंध मे विपक्ष विशेष रूप से भारतीय जनता पार्टी की टिप्पणियों को गैर-जिम्मेवार और आक्रामक बताया है। उनका यह कहना दुर्भाग्यपूर्ण है और हम इसकी भत्र्सना करते है। अगर आम आदमी इस सरकार में पीडि़त और ठगा हुआ महसूस कर रहा है, अगर किसान आत्महत्या कर रहे हैं, अगर औद्योगिक उत्पादन मे भयंकर गिरावट है, अगर बेरोजगारी बढ़ रही है और अगर भयंकर भ्रष्टाचार रोज नए-नए आयामों मे प्रकट हो रहा है और जब देश मे यू॰पी॰ए॰ के कुशासन के कारण भंयकर निराशा और असंतोष है तब भाजपा अपना नैतिक दायित्व समझती है कि वह देश की पीडि़त जनता की आवाज को गंभीरता से उठाए। यह कार्य पार्टी पूरी निष्ठा और संकल्प के साथ करती रहेगी।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

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निर्धारित लक्ष्य के सापेक्ष वसूली न करने वाले कर्मियों को कारण बताओ नोटिस निर्गत करते हुए यथाशीघ्र सख्त से सख्त कार्यवाही की जाय-मुख्य सचिव

Posted on 25 May 2012 by admin

  • वसूली प्रमाण पत्रों के मिलान की कार्यवाही की सूचना समय से न देने वाले 15 जनपदों के जिलाधिकारियों से स्पष्टीकरण मांगा जाय-जावेद उस्मानी
  • राजस्व वसूली बढ़ाने हेतु जनपदों में तैनात अपर जिलाधिकारियों (वित्त/राजस्व) की चार ग्रुपों में बैठक कर समीक्षा करें-मुख्य सचिव
  • बगैर उत्पीड़न कियेे अधिक से अधिक राजस्व वसूली सुनिश्चित करें-जावेद उस्मानी

उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव श्री जावेद उस्मानी ने निर्देश दिये कि वसूली प्रमाण पत्रों के मिलान की कार्यवाही प्राथमिकता से कराते हुए जनपद स्तर पर नियमित रूप से राजस्व वसूली की समीक्षा की जाय। उन्होंने कहा कि वसूली प्रमाण पत्रों के मिलान की कार्यवाही की सूचना समय से न देने वाले 15 जनपदों के जिलाधिकारियों से स्पष्टीकरण भी मांगा जाय। निर्धारित लक्ष्य के सापेक्ष वसूली न करने वाले कर्मियों को कारण बताओ नोटिस निर्गत करते हुए यथाशीघ्र सख्त से सख्त कार्यवाही की जाय। उन्होंने कहा कि रिकवरी को बढ़ाने हेतु ऐसी कार्य योजना बनायी जाय कि बकायेदारों का उत्पीड़न भी न हो और अधिक से अधिक राजस्व वसूली सुनिश्चित हो सके।
मुख्य सचिव आज सचिवालय स्थित अपने कार्यालय कक्ष के सभागार में वसूली प्रमाण पत्र के विपरीत राजस्व वसूली की समीक्षा कर रहे थे। उन्होंने कहा कि राजस्व वसूली बढ़ाने हेतु जनपदों में तैनात अपर जिलाधिकारियों (वित्त/राजस्व) की चार ग्रुपों में बैठक कर समीक्षा की जाय। उन्होंने कहा कि बड़े बकायेंदारों पर दवाब बनाकर राजस्व वसूली बढ़ायी जाय।
प्रमुख सचिव राजस्व श्री अशोक कुमार ने बताया कि वसूली प्रमाण पत्रों के मिलान की सूचना जनपद इलाहाबाद, महाराजगंज, महोबा, गोण्डा, बलरामपुर, बहराइच, छत्रपति शाहूजी महाराज नगर, फैजाबाद, सिद्धार्थनगर, गाजियाबाद, गौतमबुद्धनगर, बागपत, मेरठ, जे0पी0 नगर तथा भीमनगर से नहीं प्राप्त हुई हंै।
बैठक में प्रमुख सचिव वाणिज्य एवं मनोरंजन कर श्री वीरेश कुमार, आबकारी आयुक्त श्री महेश गुप्ता, आयुक्त वाणिज्य कर श्री हिमांशु कुमार, प्रमुख स्टाफ आफिसर मुख्य सचिव श्री आशीष कुमार गोयल, अपर निदेशक संस्थागत वित्त श्री राकेश कृष्ण सहित बैंक आफ बड़ौदा एवं पावर कार्पोरेशन सहित अन्य विभागों के अधिकारीगण उपस्थित थे।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

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Brief points made by Shri Arun Jaitley , Leader of Opposition (Rajya Sabha) While speaking on the political resolution at the National Executive of the BJP at Mumbai on 25th May 2012

Posted on 25 May 2012 by admin

UPA II has shown governance at its worst. Traditionally India has shown a great sense of resilience to emerge a stronger from every class. However the present crisis of governance and lack of credibility has shaken our National confidence.  There is a sense of despair and helplessness. UPA II marks a   new low in political management and economic decision making; infact there is no economic management or political direction.
There is crisis of leadership. The head of the government is not the natural leader of either the party or the nation. The lack of leadership is responsible for the directionless and the absence of decision making.
An Economic crisis has engulfed us. Rupee is the worst performing currency in the region. There is a huge flight of capital & investment. Inflation has been uncontrolled for years. Agricultural surplus and shortage are both creating a crisis of mismanagement. Success stories like Telecom, Highways, Real Estate etc. are being converted into scandals. No nation can afford to destroy success. All this has depleted economic activity and will result in job losses and a loss of revenue.
The Political Management of the UPA is equally disastrous for the nation. The allies of the UPA are a discontent lot. However they are willing to proclaim but unwilling to strike. Parties like the BSP and the SP are pushed to submissiveness due to pressures on them by the CBI. Maoism continues to spread unabated. The government has no game plan to deal with it. Rather than work for a fuller constitutional integration of Jammu & Kashmir with India, the Interlocutor’s report has set a reverse process into motion.
Arrogance is the hallmark of UPA governance. Misuse of CBI, lack of consultation with the opposition or even allies, assault on federalism, discrimination against non-congress governments are regular features. The allegation of corruption continues unabated against this government.
This situation presents a challenge and an opportunity for the BJP.
•    The BJP must now be ready with a plan and direction to restore the national economy.
•    The national mood of anti-congressim must be exploited and the NDA expanded.
•    The third front experiment of governance has been tried repeated. It has failed and con not be replicated.
•    We must prepare the BJP to be a Cohesive and the ethical party prepared to give direction to the nation.
•    We must avoid any kind of contradictory voices emerging from within.
•    We have provided good governance at the centre (1998-2004) and in the states. Our agenda for good governance must be strengthened.

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

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भारतीय जनता पार्टी - राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक मुंबई (पवित्र गंगा की सुरक्षा और प्रदूषण मुक्ति पर प्रस्ताव)

Posted on 25 May 2012 by admin

भारतीय जनता पार्टी गंगा नदी में उच्च स्तर के भयावह प्रदूषण पर अपनी गहरी चिंता व्यक्त करती है। गंगा के प्राकृतिक प्रवाह में अनेक बाधायें उत्पन्न करके इसके प्रदूषण को और अधिक बदतर बना दिया गया है। अन्नतकाल से भारत की संस्कृति और सभ्यता की पहचान और सबसे पवित्र प्रतीक के रूप में जिस गंगा को भारत की अनन्त पीढि़यों द्वारा श्रद्धाभाव से देखा जाता रहा है, उस पवित्र नदी के प्राकृतिक जीवन को विकास की दोषपूर्ण अवधारणों ने गहरे संकट में डाल दिया है।
पिछले कई वर्षों से धार्मिक नेताओं, पर्यावरणविदों और सामाजिक रूप से सक्रिय कार्यकर्ताओं ने गंगा के प्रदूषण के विभिन्न मुद्दों पर लगातार सक्रिय प्रयास किया है, परन्तु गंगा नदी बेसिन प्राधिकरण (जिसके अध्यक्ष स्वयं प्रधानमंत्री है) द्वारा इस संदर्भ में कोई व्यवहारिक और स्थाई समाधान खोजने में असफल रहने पर भाजपा गहरा दुःख व्यक्त करती है।
हम भारत के लोग सभी नदियों और जल स्रोतों को पवित्र मानकर उनके प्रति श्रृद्धाभाव रखते हैं। यह इस बात से स्पष्ट होता है कि हिमालय में गंगोत्री, जहां से गंगा का जन्म होता है और बंगाल में गंगासागर जहां आकर गंगा समुद्र में मिलती है, दोनों ही स्थान भारत में पवित्र तीर्थ स्थल रूप में माने जाते हैं। गंगा के किनारे स्थित अन्य पवित्र स्थल ऋषिकेश, हरिद्वार, प्रयाग एवं वाराणसी पवित्र शहर है।
‘गंगा जल’ न केवल लोगों की धार्मिक भावनाओं से जुड़े रहने के कारण पवित्र माना जाता है अपितु वैज्ञानिक अनुसंधानों ने भी इसके अद्वितीय चरित्र को प्रमाणित किया है। गंगा भारत के 11 राज्यों की 40 प्रतिशत जनसंख्या को जल भी उपलब्ध कराती है।
यह बड़ा दुःखद है कि जो गंगा भारत की सभ्यता को हजारों वर्षों से पोषित कर रही है उसी गंगा के अस्तित्व की सुरक्षा की आवश्यकता महसूस की जा रही है।
अनियोजित सभ्यता और असंतुलित औद्योगिकरण ने नदी में प्रदूषण के स्तर को जहरीला बना दिया है। एक के बाद एक किए गए अध्ययन यह बताते है कि बायोकेमिकल आक्सीजन डिमांड और केलिफार्म, जो गंगा के प्रदूषण को मापने के साधन है, के आधार पर गंगा में प्रदूषण उच्च स्तर पर माना गया है। जिन राज्यों से गंगा बहती है वहां नदी के प्रदूषण के कारण प्रतिवर्ष बड़ी संख्या में लोग बीमारी से मृत्यु के शिकार हो रहे हैं।
अप्रैल में संपन्न गंगा नदी बेसिन प्राधिकरण की बैठक में स्वयं प्रधानमंत्री महोदय ने यह स्वीकार किया था कि गंगा में समाहित होने वाले 290 करोड़ लीटर गंदे पानी में से केवल 110 करोड़ लीटर का ही परिशोधन किया जाता है। यह लगभग उस गंगा एक्शन प्लान की पूर्ण असफलता को दर्शाता है जिसे पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय राजीव गांधी ने 1985 में मंगल ध्वनि के साथ प्रारम्भ किया था और जिस पर अभी तक हजारो करोड़ो रुपये बेकार ही खर्च किये जा चुके हैं।
यह बड़ी भयावह स्थिति है कि प्रयाग में जहां पूरे विश्व और देश से हजारों श्रद्धालु कुंभ के लिए आते हैं वहां बहुत ही न्यून मात्रा में शुद्ध जल पाया जाता है। यह कम चिंता की बात नहीं है कि बांधों द्वारा उत्पन्न किये गये विचलन और बाधाओं के कारण नदी का बहुत बड़ा फैलाव सूखा रहता है।
निर्मल गंगा, अविरल गंगा
भाजपा यह मानती है कि गंगा की यह स्थिति पूर्णतया अस्वीकार्य है। हम यह मानते हैं कि सरकारों (केन्द्र, राज्य और स्थानीय) और लोगों का यह पवित्र राष्ट्रीय कत्र्तव्य है कि वे गंगा की पवित्रता और इसके अविरल प्राकृतिक प्रवाह को अक्षुण्य बनाये रखे और ऐसा भारत की अन्य नदियों के साथ भी व्यवहार किया जाये। निर्मल और अविरल गंगा के प्रवाह को बनाये रखने के लिए प्रकट की जाने वाली प्रतिबद्धता का यही अर्थ है।
यहां यह आवश्यक है कि हम याद करें कि ‘अविरल गंगा’ के लिए पहली बार आवाज महामना पंडित मदन मोहन मालवीय ने उठाई थी, जब ब्रिटिश सरकार ने हरिद्वार के पास गंगा के प्रवाह की दिशा को बदलने को प्रयास किया था। मालवीय जी द्वारा चलाये गये व्यापक प्रचार के कारण साम्राज्य वादियों को हिन्दू समुदाय की भावना का सम्मान करना पड़ा और 1916 में अविरल गंगा के प्रवाह को बनाये रखने की गारंटी दी गई। भाजपा मालवीय जी की इस विरासत को आगे बढ़ाने का संकल्प लेती है। जिनकी जन्मदिन का 150वीं वर्षगांठ पिछले वर्ष मनायी गई।
अविरल गंगा से यह आशय नहीं है कि पूरी नदी पर कही भी बांध नहीं होना चाहिए। विशेषज्ञों की दृढ़ मान्यता है कि सिंचाई और ऊर्जा उत्पादन के लिए बांध बनाने के बाद भी गंगा के प्राकृतिक प्रवाह को बाधारहित और अविरल बनाया रखा जा सकता है। यह तब और आसान हो सकता है जब छोटे बांधों की संरचना इस प्रकार बनायी जाये कि इन छोटे बांधों से उतनी ही ऊर्जा प्राप्त की जा सके जितनी की बड़े बांधों से प्राप्त करने का दावा किया जाता है। गंगा की सुरक्षा और प्रदूषण मुक्त बनाने की दृष्टि से पार्टी की ठोस प्रतिबद्धता को कार्यरूप में परिणित करने के लिए, भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी यह संकल्प लेती है कि:
1.    गंगा को निर्मल और अविरल बनाए रखने के लिए गंगा नदी बेसिन प्राधिकरण को विशिष्ट और समयबद्ध कार्य करने का सुनिश्चित दायित्व दिया जाना चाहिए। चूंकि गंगा को भारत की राष्ट्रीय नदी का दर्जा दिया जाता है इसीलिए राज्यों में गंगा नदी के तट पर स्थित विभिन्न शहरों के विकास/ऊर्जा/वित्तीय आवश्यकताओं की आपूर्ति का कार्य केन्द्र सरकार द्वारा किया जाना चाहिए।
2.    प्रदूषण को अनुमत बनाये रहने देने और फिर बाद में समाधान ढूढ़ने के बजाय जो कि पूरी तरह असंगत और अवैज्ञानिक सोच है, केन्द्र, राज्य सरकारों और स्थानीय सरकारों द्वारा औद्योगिक गंदे पानी को गंगा में मिलने से रोकने के लिए संयुक्त रूप से जारी किया गया निर्देश बनाना चाहिए। औद्योगिक इकाइयों को इस योग्य बनाया जाना चाहिए कि वह प्रभावी प्रदूषण नियंत्रण साधन अपनाये। नियमों को तोड़ने वालों पर कार्रवाई करने के लिए एक सख्त दण्डात्मक कानून का सहारा लिया जाना चाहिए।
3.    राज्य और स्थानीय प्रशासन को नालियों के गंदे पानी के निपटान और गंदे पानी को उपचारित करने के प्लांट लगाने में सहायता प्रदान की जानी चाहिए। यह कार्य ग्राम सभा और स्थानीय सिविल निकायों द्वारा विकेन्द्रीयकरण के द्वारा बेहतर तरीके से किया जा सकता है।
4.    यह अनुभव रहा है कि गंगा नदी बेसिन प्राधिकरण अपने उद्देश्य में पूरी तरह असफल रहा है, भाजपा यह मांग करती है कि गंगा को निर्मल और अविरल बनाने के लिए संसद द्वारा कानून बनाकर प्राधिकरण को सशक्त और दण्ड देने के लिये प्राधिकृत किया जाय। यह कानून यह घोषणा करे कि गंगा भारत की अमूल्य राष्ट्रीय धरोहर है।
5.    गंगा नदी बेसिन प्राधिकरण द्वारा लागू किये गये निर्णयों की पर्यवेक्षण के लिए कैग जैसी कोई स्वायत संविधानिक संस्था होनी चाहिए।
6.    भाजपा यह मानती है कि गंगा की सुरक्षा और प्रदूषण मुक्त बनाने का कार्य राष्ट्रीय मिशन के रूप में होना चाहिए। इस कार्य के लिए सभी लोगों के सहयोग और उत्साही सहभागिता की जरूरत है। बड़ी संख्या में धार्मिक, सामाजिक, सांस्कृतिक और पर्यावरण संगठन इस मिशन में पहले से ही सक्रिय हैं। भाजपा उनके प्रयासों की सराहना करती है हम उनसभी संगठनों को सहयोग देने के लिए प्रतिबद्ध ओर तत्पर है और हम अन्य राजनीतिक पार्टियों और उनकी सरकारों से भी इस महत्वपूर्ण राष्ट्रीय एजेंडा में सहयोग के लिए तत्पर है।
7.    भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी निर्मल और अविरल गंगा की मांग को व्यापक स्तर पर जन समर्थन प्राप्त करने के लिए वृहद जनजागरण अभियान चलाने का संकल्प लेती है।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

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भ्रष्टाचार को व्यापक रूप से उजागर किया लेकिन सरकार सोती रही

Posted on 25 May 2012 by admin

श्री तिवारी ने यह भी कहा कि गेहूं क्रय केंद पर हो रही किसानों से लूट पर भाजपा लगातार सरकार की असलियत से अवगत कराती रही। श्री तिवारी ने कहा कि भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष डाॅं0 लक्ष्मीकांत बाजपेयी ने लखनऊ के बख्शी का तालाब एवं पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सूर्य प्रताप शाही ने हमीरपुर के सुमेरपुर के गेहूॅ क्रय केन्द्रों पर हो रही लूट का सच उजागर किया था। इसके अतिरिक्त सभी जनपदों में भाजपा के प्रमुख कार्यकर्ताताओं ने क्रय केन्द्रों पर जाकर किसानों के साथ हो रहे भ्रष्टाचार को व्यापक रूप से उजागर किया लेकिन सरकार सोती रही। निश्चित रूप से यह व्यापारियों को कम दामों पर गेहूं खरीद की छूट दिए जाने की सोची समझी रणनीति थी। मुख्यमंत्री जी ने स्वतंः उन्नाव में गेहूॅ क्रय केन्द्रों को दौरा कर असलियत से रूबरू हुए लेकिन यह औचक निरीक्षण उन्होंने तब किया जब किसानों का गेहॅंू लगभग विचैलियों के हाथ बिक चुका था व प्रदेश का किसान भारी आर्थिक क्षति उठा चुका।
प्रदेश प्रवक्ता राजेन्द्र तिवारी ने बसपा सरकार के शासन में महिला कल्याण निगम में हुए 850 करोड़ के घोटाले को अत्यन्त निंदनीय बताते हुए कहा कि जो धन महिलाओं के स्वालम्बन के कार्यो में लगना था वह भ्रष्टाचार के भेंट चढ़ गया। यह अत्यन्त गंभीर मसला है। जिस तरह 33 जनपदों में कुछ चुनिंदा स्वैच्छिक संगठनों को 850 करोड़ बाॅंट दिए गए वह हैरान करने वाला है। श्री तिवारी ने कहा कि प्रदेश की पूर्ववर्ती बसपा सरकार आकण्ठ भ्रष्टाचार में डूबी रही और घोटालों की फेहरिस्त इतनी लंबी है कि उसे सूचीबद्ध करना मुश्किल है।
श्री तिवारी ने इस बात पर आश्चर्य व्यक्त किया कि समाजवादी पार्टी की सरकार बसपा सरकार के घोटालों की जांच को लेकर मौन क्यों साधे हुए है? तिवारी ने कहा कि भाजपा ने यह मांग किया था कि उच्च न्यायालय के किसी वर्तमान न्यायाधीश से बसपा के घोटालों की जांच कराकर सरकारी कोष से लूटे जनता के धन की जिम्मेदारी निर्धारित कर दोषियों को सजा और धन की वसूली सुनिश्चित कराई जाए लेकिन प्रदेश सरकार की निष्क्रियता से यह लगता है कि है कि समाजवादी पार्टी की सरकार का बसपा के घोटालेबाजों से अन्दरूनी समझौता हो गया हैं

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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चुनाव की अधिसूचना जारी होने पर प्रसन्नता व्यक्त की

Posted on 25 May 2012 by admin

भारतीय जनता पार्टी ने स्थानीय निकाय चुनाव की अधिसूचना जारी होने पर प्रसन्नता व्यक्त की है। प्रदेश प्रवक्ता राजेन्द्र तिवारी ने पत्रकारों से चर्चा करते हुए कहा कि भाजपा चुनाव के लिए पूरी तरह तैयार है और चुनाव पूरी मजबूती के साथ लड़ेगी। श्री तिवारी ने कहा कि भाजपा स्थानीय निकाय चुनाव समय से पहले कराए जाने को लेकर मांग कर रही थी। इतना ही नहीं इस संबंध में भाजपा का एक प्रतिनिधिमंडल विधान सभा चुनाव से पहले महामहिम राज्यपाल से मिलकर स्थानीय निकाय चुनाव समय पर कराने की मांग की थी परन्तु बसपा सरकार अपने निहित स्वार्थो के चलते स्थानीय निकाय चुनाव को टालती रही। न्यायालय ने स्थानीय निकाय चुनाव कराए जाने के संबंध में दिशा निर्देश दिए थे। जिसके तहत प्रदेश सरकार का चुनाव कराना स्वागत योग्य है।
श्री तिवारी ने चुनाव आयोग से यह मांग किया है वह यह सुनिश्चित करे कि चुनाव निष्पक्ष और सरकारी तंत्र के प्रभाव से मुक्त हों।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
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‘माउंटेन ड्यू एक्सट्रीम टूर’ अपने अंतिम चरण में लखनऊ पहुंच रहा है

Posted on 25 May 2012 by admin

ऽ    भारत में पहली बार माउंटेन ड्यू द्वारा एक्सट्रीम स्पोर्ट्स प्लेटफाॅर्म की पेशकश
ऽ    स्केटबोर्डिंग, बीएमएक्स और इनलाइन स्केटिंग और फ्रीस्टाइल मोटोक्राॅस में विश्व के नामी एथलीटों की भागीदारीं
ऽ    बैकफ्लिप, टेलग्रिब और फ्लैटस्पिन के साथ ‘डर को मारो ड्यू’ का जीवंत प्रदर्शन

dsc_2344ड्यू एक्सट्रीम टूर
लखनऊ संस्करण
ऽ    दिनांकः 26 मई, 2012
ऽ    आयोजन स्थलः कांशी राम स्मृति उपवन, बंगला बाजार रोड, लखनऊ
ऽ    समयः सायं 5ः30

माउंटेन ड्यू, साहसी लोगों का असली ड्रिंक, अब उत्तर प्रदेश में रहने वाले रोमांच प्रेमियों को एक नया सतरंगी अनुभव- द ड्यू एक्सट्रीम टूर’ प्रदान करने के लिए तैयार है। इस लोकप्रिय साॅफ्ट ड्रिंक ने अपने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सफल एक्सट्रीम स्पोर्ट के भव्य आयोजन की पेशकश पहली बार भारत में की है, जिसमें स्केटबोर्डिंग, बीएमएक्स इनलाइन स्केटिंग और  फ्रीस्टाइल मोटोक्राॅस (एफएमएक्स) बाइकिंग में विश्व के नामी एथलीट भाग लेंगे। माउंटेन ड्यू ने जोशीले ऐक्शन से भरपूर रोमांचकारी-ड्यू एक्सट्रीम टूर की बैंगलौर से शुरूआत की और फिर नोएडा, लुधियाना और जयपुर में इसका आयोजन किया गया। जहां इसे अपार सफलता मिली। इस बार लखनऊ की बारी है, जहां नामचीन वीजे तथा युवाओं के आदर्श रणविजय इस सप्ताहांत में शनिवार 26 मई को लखनऊ के कांशी राम स्मृति उपवन, बंगला बाजार रोड में शाम 5ः30 बजे से ऐक्शन के नई धमाकेदार शो की मेजबानी करेंगे। नोकिया ल्युमिया, ड्यू एक्सट्रीम टूर्स के एक्सपीरियंस पार्टनर हैं और इस समारोह का प्रोडक्शन डीएनए नेटवक्र्स द्वारा किया गया है।
dsc_2383हैदराबाद, गुड़गांव, दिल्ली और लुधियाना में खास एथलीटों की अगुवाई में उपभोक्ता कार्यशालाओं के आयोजन के बाद, ड्यू एक्सट्रीम टूर ने 24 मई को फन रिपब्लिक माल, लखनऊ में एक उपभोक्ता वर्कशाप आयोजित की, जिसमें कई सारे लोग शामिल हुए और उन्होंने एक्शन स्पोट्र्स वल्र्ड चैम्पियंस के साथ एक अविस्मरणीय और अद्वितीय ट्रैनिंग सेशन में हिस्सा लिया। लखनऊ में ऐक्शन स्पोर्ट के प्रशंसकों को विश्वस्तरीय एफएमएक्स-फ्रीस्टाइल मोटो एक्स, बीएमएक्स-बाइसिकिल मोटो एक्स और स्केटबोर्डिंग प्रोज के उच्च रोमांचक और सांसें थमा देने वाले प्रदर्शन देखने का अवसर मिलेगा। इसके लिए 10 पेशेवर एक्सट्रीम स्पोर्ट्स सितारों की टीम मैदान में उतरेगी, जिसमें स्केटबोर्डिंग प्रो तथा 21 बार पदक विजेताए एंडी मैकडोनाल्ड और नामचीन स्केटर्स एइटो यासुटोको, तकेशी यासुटोको, सांड्रो डियास, बीएमएक्स स्टार साइमन टैबराॅन और एफएमएक्स प्रोज जिमी मैकग्वायर, टाॅमी क्लाॅवर्स, डस्टिन नोवाक, माइल्स रिचमंड और माइक मैसन शामिल हैं, जो लखनऊ के दर्शकों के समक्ष अपने विशेषज्ञतापूर्ण व सतरंगी अंदाज में अपना प्रदर्शन करेंगे। इस आयोजन के अंतर्गत 24 मई को फन रिपब्लिक माॅल, लखनऊ में कंज्यूमर वर्कशाॅप का भी आयोजन किया जायेगा, जहां कोई भी व्यक्ति ऐक्शन स्पोर्ट्स के वैश्विक चैम्पियन्स के साथ अविस्मरणीय व अनोखे प्रशिक्षण शिविर में भाग ले सकता है।
इस टूर के विषय में अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए सुश्री रूचिरा जेटली, वाॅइस प्रेसिडेंट-मार्केटिंग, बेवरेजेज (फ्लेवर्स), पेप्सिको इंडिया ने कहा, ‘‘रोमांच, कर गुजरने का साहस और आपके सबसे तगड़े डर पर जीत हासिल करना, माउंटेन ड्यू की रूह में बसा है। बीते वर्षों में, हमने अपने उपभोक्ताओं के लिए उच्च रोमांचक प्रदर्शन का आयोजन किया है और माउंटेन ड्यू एक्सट्रीम टूर इस रोमांच को अब नए स्तर पर ले जाने का वादा करता है। माउंटेन ड्यू विश्वस्तरीय एथलीटों, विशेषज्ञों द्वारा निर्मित भव्य सेट-अप और सतरंगी प्रदर्शन प्रस्तुतियों को पहली बार भारत में भव्यतम पैमाने पर प्रस्तुत कर रहा है। ड्यू एक्सट्रीम टूर को बैंगलौर, नोएडा, लुधियाना और जयपुर में जो अपार जनसमर्थन मिला, उससे हम खासे उत्साहित हैं और लखनऊ में इसे प्रस्तुत करने के लिए हम व्यग्र हैं। हमें विश्वास है कि भारत में माउंटेन ड्यू एक्सट्रीम टूर का पहला सीजन धमाकेदार रूप से सफल साबित होगा और ‘डर को मारो ड्यू‘ के हमारे संदेश को और मजबूत बनाएगा।‘‘
उन्होंने आगे कहा, ‘‘एडवेंचर स्पोर्ट्स की भारत में धीरे-धीरे लोकप्रियता और इनमें भागीदारी बढ़ती जा रही है। साहसी लोगों का असली ब्रांड होने के नाते, माउंटेन ड्यू ने सदैव नए-नए एडवेंचर स्पोर्टस को नवीनतायुक्त तरीकों से पेश किया है, और भारतीय युवाओं को सुरक्षित व रोमांचकारी तरीके से इन खेलों का अनुभव लेने का मौका प्रदान करने के लिए प्लेटफाॅर्म उपलब्ध कराते हुए माउंटेन ड्यू को गर्व है।‘‘
dsc_2363भारत में माउंटेन ड्यू एक्सट्रीम टूर के भागीदार के रूप में विश्व में रु 3 रैंक वाले बीएमएक्स राइडर तथा 30 से अधिक अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं के विजेता साइमन टैबराॅन ने इस अवसर पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा, ‘‘भारत का भ्रमण करने का मौका पाना सदैव मेरी आकांक्षा रही थी, इसलिए इस वर्ष का ड्यू एक्सट्रीम टूर मेरे लिए किसी सपने के सच होने जैसा है। भारत में ऐक्शन स्पोर्ट्स दिखाने का मौका पाकर मैं प्रसन्न भी हूं और गौरवान्वित भी। मैं भारतीय जादुई अनुभवों को दिल से महसूस करने को उत्सुक हूं।‘‘
समारोह की शुरूआत अल्टरनेटिव हिन्दी इंगलिश बैण्ड अन्नतरिक्शा की ऊर्जावान प्रस्तुति से होगी, जिसके बाद एक खासतौर से डिजाइन किए गए भव्य सेट-अप में प्रोज द्वारा दिल दहला देने वाली प्रस्तुतियां दिखाई जाएंगी। समारोह में प्रवेश लेने के लिए ऐक्शन प्रेमियों को बस स्पेशल एडीशन वाले एक्सट्रीम टूर माउंटेन ड्यू केन अपने साथ लाना होगा जो बाजार में उपलब्ध हैं और आयोजन से एक दिन पूर्व वे अपने केन के बदले एक पास पा सकेंगे (1 प्रति व्यक्ति)। प्रथम 2,500 लोगों को ड्यू के खास प्रमोशनों के अंतर्गत समारोह को लाइव देखने का मौका मिलेगा। अन्य लोग या तो डीएनए द्वारा बेंचे जा रहे टिकट www.ticketgenie.in  से रू. 500 में आॅनलाइन खरीद सकते हैं या समारोह पर उपलब्धता अनुसार टिकट ले सकेंगे। एथलीटों की और नजदीकी हासिल करने और विशेष प्रशिक्षण सत्र में भाग लेने के इच्छुक लोग माउंटेन ड्यू इंडिया के फेसबुक पेज https://www.facebook.com/mountaindewindia पर लाॅग आॅन कर सकते हैं।
यह टूर एक समग्रतायुक्त प्रचार अभियान द्वारा समर्थित है, जिसके अंतर्गत थीम पर आधारित आॅन-एयर अभियान, आउटडोर और आॅन-ग्राउंड आयोजन, स्पेशल एडिशन वाली पैकेजिंग तथा डिजिटल एंगेजमेन्ट कार्यक्रमों संबंधी गतिविधियां शामिल हैं।
माउंटेन ड्यू, अपने दिलेर, उच्च ऊर्जावान, सक्रिय, रोमांचक खट्टे स्वाद के कारण दूसरों से अलग हटकर लोगों को आनंदित करता है। रोमांच, कर गुजरने का साहस और आपके सबसे तगड़े डर पर जीत हासिल करना, इस ब्रांड की रूह में बसा हुआ है और इस ब्रांड ने सदैव ही युवाओं की बोल्ड और रोमांचप्रिय छवि को उकेरा है। यह ब्रांड, ‘डर के आगे जीत है’ के मूलमंत्र के साथ भारतीय बाजार में अपनी गहन और प्रभावशाली उपभोक्ता अंतदृष्टि के बूते मजबूत पैठ बनाए हुए है। यह उपभोक्ताओं को उनके आंतरिक भयों से मुक्त होने और कुछ नया करने, नई सीमाएं छूने और विजेता बनने को प्रेरित करता है।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

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आइए, जनता की आशाओं और अपेक्षाओं को पूरा करने के लिये एकजुट होकर विस्तार करते हुए आगे बढ़ें

Posted on 25 May 2012 by admin

भारतीय जनता पार्टी राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री नितिन गडकरी का  अध्यक्षीय भाषण राष्ट्रीय कार्यकारिणी बैठक

1भारतीय जनता पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक मुंबई में कई वर्षों के अंतराल पर हो रही है। मुंबई की इस राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक का मुख्य उद्देश्य आगामी लोकसभा चुनाव की तैयारियों की शुरुआत करना है, फिर चाहे वो चुनाव 2014 में हों या उससे पहले।
इन चुनावों में हमें जनादेश मिलता दिखायी दे रहा है। आइए, सिंधुसागर के तट पर बसे मुंबई से हम अपनी विजय यात्रा की तैयारी प्रारंभ करें।
दो दिन पहले ही, 22 मई को कांग्रेस के नेतृत्व में चल रही यूपीए की  सरकार के कार्यकाल के आठ वर्ष पूरे हुए हैं। जब किसान आत्महत्या कर रहे हैं, रुपया गिर रहा है, आवश्यक वस्तुओं के दाम बढ रहे हैं तब यूपीए ने जश्न मनाकर अपनी असंवेदनशीलता का परिचय दिया है। यह सरकार पहले से ही पंगु और बेअसर हो चुकी है। मुंबई से भाजपा इस भ्रष्ट, घोटालों से घिरी, गरीब विरोधी और निरंतर अलोकप्रिय होती जा रही सरकार को ज़ोरदार और स्पष्ट रूप से यह बताना चाहती है किः “तुम्हारे दिन अब गिनती के हैं। भारत अब तुम्हारे कुशासन को और बर्दाश्त नहीं कर सकता। वक्त आ गया है कि भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए की वापसी हो ताकि यूपीए द्वारा फैलाई जा रही अराजकता खत्म की जा सके और हम देश को सही दिशा में आगे ले जा सकें।“

अटलजी, हमारे प्रेरणा के स्त्रोत
भाजपा के इतिहास में मुंबई का गौरवपूर्ण महत्व है। अप्रैल 1980 में पार्टी की स्थापना के बाद दिसंबर में यहीं श्रद्धेय अटलजी के नेतृत्व में पार्टी का पहला पूर्ण अधिवेशन हुआ था।
हम सभी को यहां श्री अटलजी की अनुपस्थिति खल रही है। हालांकि, उनका आशीर्वाद सदैव हमारे साथ हैं। हम उनके शीघ्र स्वस्थ होने और दीर्घायु की कामना करते हैं।
सŸाा में भाजपा की वापसी आज राष्ट्र््ीय आवश्यकता बन गयी है। इस कर्तव्य को निभाने में हमें सफल होना ही है। राजनीतिक हालात और लोगों का मन, दोनों ही भाजपा की वापसी का समर्थन कर रहे हैं। बस, हमें इस अवसर को खोना नहीं है।

भारत की वर्तमान आर्थिक बदहाली के लिए ‘यूरोज़ोन‘ नहीं बल्कि ‘यूपीए-ज़ोन‘ जिम्मेदार
भारत के लोग बड़ी आशा और उम्मीद के साथ भाजपा की ओर देख रहे हैं। निस्संदेह, जिस अनुपात में लोगों का कांग्रेस से मोहभंग हो रहा है और उसके प्रति गुस्सा बढ़ता जा रहा है, उसी अनुपात में उनकी भाजपा से उम्मीदें भी बढ़ती जा रही हैं। यूपीए का शासनकाल भ्र्रष्टाचार, घोटालों, नाकामियों और धोखाधड़ी की शर्मनाक कहानी है।
यूपीए सरकार की धोखाधड़ी का सबसे बडा शिकार है आम आदमी, जो भयंकर और निरंतर बढ़ती महंगाई के बोझ्ा तले दबता और पिसता चला जा रहा है। गरीबों और मध्यमवर्ग की परेशानियां कम करने के बजाय इस सरकार ने पेट्रोल के दाम बढ़ाकर लोगों की कमर तोड़ दी हैं। यह सरकार की असंवेदनशीलता का एक और उदाहरण है।
हमारे अर्थशास्त्री-प्रधानमंत्री के नेतृत्व में भारत का रुपया गिरता ही जा रहा है। ये डर बेबुनियाद नहीं है कि जल्दी ही रूपया इतना नीचे चला जाएगा कि एक अमेरिकी डाॅलर 60 रुपए का हो जाएगा। जीतोड़ मेहनत से इकट्ठा किया गया भारत का विदेशी मुद्रा भंडार भारी दबाव में है। सरकार की गलत नीतियों के कारण भारतीय कारोबारियों को देश के बजाय विदेशों में निवेश करने को मजबूर होना पड़ रहा है।
जैसाकि उम्मीद की जा रही थी, सरकार के प्रवक्ता भारतीय अर्थव्यवस्था की समस्याओं के लिए बाहरी कारणों को जि़म्मेदार ठहरा रहे हैं। ये सरासर बहानेबाजी है। भारत की समस्याओं की असली जड़ यूरोज़ोन नहीं, बल्कि यूपीए-ज़ोन है। पूरे मामले में सच बस इतना है कि ये सरकार फैसला लेने और नीतियां बनाने में पूरी तरह नाकाम हो चुकी है। सक्षम नेतृत्व के अभाव ने हालात को और भी बदतर बना दिया है।
यूपीए सरकार के कुशासन का एक और संकेतक केंद्र और राज्यों के संबंधो में बढ़ता तनाव हैं। कई गैर-कांग्रेसी मुख्यमंत्रियों ने ये शिकायत की है कि केंद्र में बैठी कांग्रेस पार्टी के अहंकारी नेतृत्व ने राज्य सरकारों की हालत नगर निकायों जैसी कर दी है। ये बात भाजपा को कतई मंजूर नहीं है। इसके विपरीत भाजपा केंद्र और राज्यों के बीच वैसे ही सद्भावपूर्ण रिश्ते विकसित करना चाहती है जैसा श्री अटल बिहारी वाजपेयीजी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार के शासनकाल में थे।

कांग्रेस ने समस्याएं पैदा की हैं: भाजपा समाधान करेगी

भाजपा का मानना हैं कि भारत की आर्थिक नीतियां, स्थायी विकास, रोजगार सृजन, कृषि, ग्रामीण विकास को प्राथमिकता दें ताकि यह नीतियां अर्थव्यवस्था के अनौपचारिक क्षेत्रो, अनुसूचित जाति, जनजातियों और अन्य वंचित वर्गो तथा अल्पसंख्यकों को लाभ पहंुचा सके।
कांग्रेस से इसकी अपेक्षा नहीं की जा सकती। वह तो केवल राहत के झूठे वायदे करती रही है।
जल, ऊर्जा, खाद्य और पर्यावरण सुरक्षा जैसी महत्वपूर्ण चुनौतियों से निपटने के लिए अल्पकालीन और दीर्घकालीन - दोनों तरह के उपाय तत्काल करने की भी आवश्यकता है।
आज हमारी यह बैठक महाराष्ट्र में हो रही है, जहां के बड़े हिस्से में सूखा पड़ा हुआ है। यह रोजमर्रा की बात हो गई है। राज्य सरकार ने इस समस्या से निपटने के लिए फिर से पानी के टैंकरों का उपाय किया है। आसानी से यह समझ्ाा जा सकता है कि पानी गांवों तक नहीं पहुंच सकता क्योंकि टैंकरों से पानी ‘रिसता‘ रहता है। इस तरह से भ्र्रष्ट नेता जनता के पैसे को हड़पते रहते हैं।
‘टैंकर के उपाय‘ को मैं उपमा के रूप में इस्तेमाल कर रहा हूं। इसका कारण यह है कि नरेगा, एनआरएचएम, इंदिरा आवास योजना, राजीव गांधी राष्ट्रीय पेयजल मिशन और इसी तरह की कांग्रेस द्वारा घोषित विकास और कल्याण योजनाओं के साथ ऐसा ही हो रहा है।
मेरा मानना है कि इन सारी बुनियादी समस्याओं का समाधान, सुशासन, विकास के अभिनव प्रयोगों, अंत्योदय द्वारा होगा जो हमारी राष्ट्रवादी विचारधारा का मूल है।
हाल ही में अभी मैं इज़राइल की यात्रा से लौटा हूं। वह बहुत छोटा सा देश है जिसकी आबादी मुंबई की आबादी की आधी से भी कम है। उसके पास पानी और हाइड्रोकार्बन संसाधन भी बहुत कम हैं। उसकी सुरक्षा को अपने पड़ोसियों से लगातार खतरा बना रहता है। और, इसके बावजूद इज़राइल की सरकार और जनता ने समूची आबादी की पानी, ऊर्जा, खाद्यान्न, शिक्षा और स्वास्थ्य की ज़रूरतों को पूरा करने के लिए आत्मनिर्भरता वाले उपाय विकसित किए हैं। उन्होंने वाकई इज़राइल को विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवीनता के क्षेत्र में अग्रणी बना दिया है।
हमें उसी तरह का राष्ट्रवादी, आत्मनिर्भर, विकासोन्मुखी और नवीनतम रवैया अपनाकर भारत की समस्याओं को हल करने की जरूरत है।
मेरी सभी साथियों से अपील हैः हमें समस्याओं की चर्चा के साथ साथ समाधान भी देने होंगे।
जब लोग हमें केंद्र में सरकार बनाने के लिए जनादेश दें तो हमारी प्राथमिकताएं महत्वाकांक्षी योजनाएं शुरु करने की होगी, जैसे अटलजी के नेतृत्व में एनडीए सरकार ने राष्ट्रीय राजमार्ग विकास परियोजना तथा प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना चलायी थी। उसी तर्ज पर भारत के कृषि और ग्रामीण विकास के लिए हमें युद्ध स्तर पर जलसंरक्षण मिशन शुरु करना होगा। संसाधनों के अभाव में राज्य सरकारें सिंचाई जैसी बुनियादी समस्या पर ध्यान नहीं दे पा रही हैं। इसी प्रकार केंद्र एवं राज्य सरकार सिंचाई के लिए मिलकर संसाधन जुटा सकते हैं। मेरा मानना है कि इस एक पहल से ग्रामीण भारत की स्थिति उसी तरह बदल सकती है जैसे सड़क परियोजना से शहरों का कायाकल्प हो रहा हैं।
भारतीय संसद ने अभी हाल ही में 60 वर्ष पूरे किए। इस अवसर पर हमें ‘सशक्त संसदीय प्रणाली‘ बनाने के लिए देश को आह्वान करना चाहिए। न केवल संसद बल्कि राज्य विधानसभाओं और पंचायती राज संस्थाओं को अधिक प्रभावी और जवाबदेह बनाने के लिए हमें राष्ट्रीय स्तर पर बहस शुरू करनी चाहिए। हमें चुनावी सुधारों का ब्लू पिं्रट भी देश के सामने प्रस्तुत करना चाहिए।
हमारी दो राज्य सरकारों - उत्तराखंड (पूर्ववर्ती) और हिमाचल प्रदेश ने अपने-अपने राज्यों में प्रभावी और मजबूत लोकायुक्त विधेयक पारित करने का प्रशंसनीय काम किया है। हमें इन साहसी कदमों को जनता में लोकप्रिय बनाने का काम करना चाहिए।
नक्सली बंधक समस्या (जिलाधिकारी एलेक्स पाॅल मेनन समेत) से मजबूती और सफलता से निपटने के लिए हमें अपनी छŸाीसगढ़ सरकार को बधाई देने के साथ साथ आंतरिक सुरक्षा के इस गंभीर खतरे से निपटने के लिए राष्ट्र के सम्मुख व्यापक उपाय भी प्रस्तुत करने चाहिए।
भाजपा की समस्या-निराकरण की प्रतिबद्धता का प्रमाण हमारी गुजरात सरकार की उपलब्धियों और कार्यों में भी दिखता है, जहां कृषि का रिकाॅर्ड उत्पादन हुआ, सौराष्ट्र और कच्छ में पानी की स्थायी समस्या को हल किया गया, सौर ऊर्जा, महिला साक्षरता, जनजातीय कल्याण और इसी तरह के अन्य मामलों में हमने देश के सामने मिसाल पेश की है।
यही क्रम कर्नाटक में सुशासन के लिए सूचना प्रौद्योगिकी को अपनाने में, बिहार में ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन को बेहतर बनाने में, और मध्यप्रदेश में सिटीजन चार्टर के प्रभावी क्रियान्वयन तथा अमल में भी दिखता है।
मीडिया सहित अनेक प्रतिष्ठानों के अध्ययनों में सन 2000 से भाजपा-एनडीए शासित राज्य सरकारों को अनेक मानकों पर कांग्रेस और वामपंथी सरकारों की तुलना में बेहतर पाया गया है। इन संस्थाओं द्वारा दिये गये पुरस्कारों में हमारी सरकारें अव्वल रही हैं।

क्षेत्रीय पार्टियों के प्रति भाजपा का सैद्धांतिक नज़रिया
क्षेत्रीय पार्टियों के बारे में हमारा रवैया स्पष्ट है। हमारा मानना है कि इन दलों की सोच भी राष्ट्रीय होती है। वास्तव में इनमें से कई एनडीए में भाजपा के महत्वपूर्ण सहयोगी रहे हैं।
एनडीए के शासन ने यह दिखा दिया है कि स्थायी और उद्देश्यपूर्ण सरकार तभी संभव है जब सŸाारूढ़ गठबंधन के केंद्र में भाजपा की तरह राष्ट्रीय और राष्ट्रवादी पार्टी मजबूत रूप में हो।
हमें यह बात लोगों को खासतौर पर समझ्ाानी होगी कि केंद्र में अस्थिरता की बड़ी भारी कीमत राष्ट्र की सुरक्षा और अर्थव्यवस्था को चुकानी पड़ती है। इस कारण हमें लोगों को समझ्ााना होगा कि न्यूनतम साझ्ाा कार्यक्रम पर आधारित भाजपा के नेतृत्व वाली मजबूत गठबंधन सरकार ही एकमात्र सच्चा विकल्प है, जो नई दिल्ली में सरकार परिवर्तन की आकांक्षा को पूरा कर सकती है।

भाजपा ही एक विकल्प, जिसकी तलाश भारत की जनता को है
सार्थक विकल्प के पांच निर्धारक तत्व होते हैंः
(क) सशक्त, सक्षम और विश्वसनीय नेतृत्व जिसमें टीम भावना हो और जो देश को पार्टी से ऊपर और पार्टी को स्वयं से ऊपर रखता हो;
(ख) देश के सम्मुख आसन्न चुनौतियों और अवसरों को समझ्ाने की दूरदर्शिता;
(ग) सही फैसले लेने की क्षमता और जन समर्थन से उन्हें लागू करना;
(घ) पारदर्शी और ईमानदार कार्य पद्धति; और
(ड़) राष्ट्रवाद, सुशासन, विकास और अंत्योदय हेतु प्रतिबद्धता।
गांव, गरीब, किसान और मजदूर की समग्र उन्नति-अंत्योदय के मूल वाले हमारे विकास विज़न में हमारी सर्वाेच्च प्राथमिकता रखती है। स्वामी विवेकानंद ने हमसे कहा थाः
“जब तक लाखों लोग भूख और अज्ञानता में जीवन बिता रहे हैं, तब तक मैं हर उस व्यक्ति को देशद्रोही कहूंगा जिसने उन लोगों के खर्चे पर पढ़ाई की और उन्हीं की ओर बिल्कुल ध्यान नहीं देता।“
अगले वर्ष स्वामी विवेकानंद की 150वीं जयंती मनाई जाएगी। मैं पार्टी की सभी इकाइयों से अनुरोध करता हूं कि वे इस पवित्र अवसर पर देश के कोने-कोने में विभिन्न कार्यक्रम आयोजित करें। हमें यह दिखाना है कि राजनीति के क्षेत्र में भाजपा, स्वामीजी के जागृत भारत के संदेश की सर्वश्रेष्ठ वाहक है।
हमारी पार्टी लोगों का विश्वास उस हद तक जीत पाएगी जिस हद तक हम उक्त खूबियों को भाजपा में - केंद्र में, राज्य में और स्थानीय स्तरों पर निरंतर विकसित करते चले जाएंगे। लोगों के विश्वास के बल पर, और इससे मिलने वाली राजनीतिक ताकत के आधार पर, राष्ट्रीय जीवन के विभिन्न पहलुओं में व्यापक बदलाव लाने की जो हमारी सोच है उसे अमल में ला सकेंगे।
भाजपा के हम सभी नेताओं और कार्यकर्ताओं को राजनीति में अपनी भूमिका को एक संकुचित और अल्पकालिक परिप्रेक्ष्य में नहीं देखना चाहिए। हमारे लिए राजनीति दूरगामी सामाजिक-आर्थिक परिवर्तन का एक माध्यम है। हमें खुद को इस भूमिका के योग्य बनाना है।
क्योंकि आज की वंशवादी और भ्र्रष्ट कांग्रेस भारत की तरक्की और विकास की राह का सबसे बड़ा रोड़ा बन गई है। इसके लिए यह आवश्यक है कि कांग्रेस को केंद्र की सŸाा से उखाड़ फेंकें।

हमारा रणनीतिक लक्ष्य: भाजपा के वोट प्रतिशत मेंकम से कम 10ः की वृद्धि और एनडीए का विस्तार

4जैसाकि पिछले दो वर्षों में मैंने कई अवसरोें पर गौर किया है कि, कांग्रेस को बेदखल करने की हमारी रणनीति तीन अनिवार्य शर्तों पर निर्भर करती हैः (क) जिन राज्यों में हम पारंपरिक तौर पर कमज़ोर हैं, उनमें भाजपा के जनाधार का विस्तार (ख) भाजपा के संपूर्ण वोट आधार में कम से कम 10 प्रतिशत की वृद्धि और (ग) एनडीए का विस्तार।
तीेनों ही लक्ष्यों को हासिल करने के लिए राष्ट्रीय और राज्य स्तरों पर - वैचारिक, राजनीतिक और संगठनात्मक मोर्चों पर कुछ आवश्यक कदम उठाने होंगे।
इन मुद्दों पर हमारी सोच और कार्य में कुछ उत्साहवर्द्धक प्रगति हुई है। हमारे कई मोर्चों और प्रकोष्ठों ने पिछले कुछ महीनों में सराहनीय कार्य किये हैं। किसान मोर्चे ने इस महीने की शुरुआत में राष्ट्रीय राजधानी में एक सफल ‘किसान संसद‘ का आयोजन किया। बुनकर प्रकोष्ठ ने हाल ही में ‘समर शंखनाद‘ नाम का राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित किया जिसमें बुनकरों की दयनीय स्थिति और उनके संघर्ष की बात खुलकर सामने आई। मछुआरा प्रकोष्ठ भी सक्रिय है। उद्योग एवं व्यापार प्रकोष्ठ ने भी भाजपा सरकारों की उपलब्धियों के प्रदर्शन के लिए एक आयोजन किया, जिसमें करीब 500 कारोबारी शामिल हुए।
मज़दूर महासंघ ने देश भर में कई आंदोलनों और अभियानों का नेतृत्व किया। पिछले वर्ष ऐसे ही एक आयोजन में करीब 500 से ज्यादा ट्रेड यूनियन के प्रतिनिधि शामिल हुए थे।
इनमें से हर एक सम्मेलन और आयोजन में, हम कांग्रेस सरकार की नाकामियों और धोखाधड़ी की सिर्फ आलोचना नहीं करते। हम ऐसे ठोस समाधान भी सुझ्ााते हैं जिन्हें अगर भाजपा को अगली सरकार बनाने का मौका दिया गया तो, वो पूरी प्रतिबद्धता से लागू किए जाएंगे। अगर हमारा व्यापक संगठनात्मक ढांचा इन गतिविधियों का संदेश ज़मीनी स्तर तक ले जाएगा तो समाज के विभिन्न वर्गों में भाजपा के प्रति लोगों की सद्भावना को बल मिलेगा।
आने वाले महीनों में, हमने असंगठित क्षेत्र के कर्मचारियों - शिक्षकों, डाॅक्टरों, व्यापारियों, चार्टर्ड अकाउंटेंट्स इत्यादि के लिए विशाल राष्ट्रीय सम्मेलनों की योजना बनाई है।
मैं अर्थव्यवस्था के असंगठित क्षेत्र के करीब 45 करोड़ श्रमिकों के बीच तेज़ी से फैल रहे हमारे कार्य को विशेष महत्व के साथ बताना चाहता हूं। हमें खेतिहर मजदूरों, निर्माण कार्य में लगे मजदूरों, ढुलाई करने वालों, रिक्शाचालकों, घरों में कार्य करने वाली महिलाओं (मेड सर्वेंट्स) और इसी तरह के अन्य सभी लोगों को विश्वास दिलाना है कि भाजपा ही उनकी पार्टी है।
जब हम इस कार्य में सफल होंगे तो हमारा वोट प्रतिशत स्वाभाविक रूप से निरंतर बढ़ता जाएगा। इस संदर्भ में, मैं दक्षिण के तमिलनाडु की एक उत्साहवर्द्धक घटना का उल्लेख विशेष तौर पर करना चाहता हूं। हमारी पार्टी ने मदुरै में हाल ही में विशाल सम्मेलन किया जिसमें एक लाख से अधिक कार्यकर्ता शामिल हुए। इस सफलता के लिये मैं राज्य इकाई को बधाई देता हूं।

हाल के चुनावों में भाजपा का प्रदर्शन
अब मैं, हमारी पिछली बैठक के बाद हुए चुनावों में पार्टी के प्रदर्शन की बात करूंगा।
चूंकि हम मुंबई में बैठक कर रहे हैं, मैं आप सबसे अनुरोध करूंगा कि मेरे साथ राज्य और शहर की पार्टी यूनिट को हाल में हुए मुंबई म्यूनिसिपल चुनावों में शानदार सफलता पर बधाई दें। अपने गठबंधन के साथियों शिव सेना और रिपब्लिकन पार्टी आॅफ इंडिया (आठवले) के साथ मिलकर हमने मुंबई और महाराष्ट्र के दूसरे शहरों में हुए चुनावों में अच्छा प्रदर्शन किया। मुझ्ो कोई संदेह नहीं कि ये सफलता उस बड़ी सफलता की शुरुआत भर है जो हमारी पार्टी और हमारे गठबंधन को - कांग्रेस-एनपीसी के भयंकर रूप से भ्रष्ट और अक्षम शासन को अगले विधानसभा चुनावों में समाप्त कर मिलने वाली है।
इसी तरह मैं इस मौके पर भाजपा की दिल्ली प्रदेश इकाई को भी बधाई देना चाहूंगा जिसे हाल ही में हुए नगर निगम चुनावों में जबरदस्त जीत मिली है। ये जीत भी, सन् 2013 में होने वाले विधान सभा चुनावों में पार्टी की इससे भी बड़ी जीत की शुरुआत है।
पड़ोसी राज्य गोवा में, भाजपा ने हाल के विधान सभा चुनावों में कांग्रेस को सŸाा से हटाने में कामयाबी हासिल की है। मुख्यमंत्री श्री मनोहर परिकर, श्री श्रीपाद नाईक और लक्ष्मीकांत पार्सेेकर तथा गोवा के तमाम कार्यकर्ताओं का मैं दिल से अभिनंदन करता हूंॅ। गोवा में हमारी जीत दो वजहों से खास है। पहला, हमें वहां पूर्ण बहुमत मिला है। लिहाजा, कांग्रेस पार्टी को सरकार गिराने का मौका नहीं मिलेगा - जो खाली वक्त को बिताने के लिए उसका एक पसंदीदा काम बन गया था। दूसरा, इस बार हमारी पार्टी गोवा में एक बड़े वर्ग का समर्थन पाने में सफल हुई है, जबकि कांग्रेस ने अपने हित के लिए ये दुष्प्रचार किया कि भाजपा अल्पसंख्यक विरोधी है। यह विशेष उल्लेखनीय है कि हमारे 9 विधायक अल्पसंख्यक समाज के प्रतिनिधि हैं।
गोवा के अनुभव से सीख लेते हुए, मैं अपनी पार्टी की सभी इकाइयों से ये अपील करूंगा कि वे अल्पसंख्यक समुदाय के हमारे बंधुओं का भरोसा जीतने के ऐसे ही प्रयास तेज करें। मैं अपने अल्पसंख्यक बंधुओं से विशेष तौर पर अपील करता हूं और उन्हें आश्वासन देता हूंः “कांग्रेस और कम्युनिस्टों के इस स्वार्थपूर्ण दुष्प्रचार में मत फंसिए कि भाजपा अल्पसंख्यक विरोधी पार्टी है। अगर भाजपा के नेतृत्व वाला गठबंधन अगली सरकार बनाता है तो आपको डरने की कोई ज़रूरत नहीं। हम आपकी सुरक्षा, विकास और भलाई का उसी तरह से ख्याल रखेंगे, जिस तरह से अन्य समुदायों का रखते हैं। जाति, नस्ल, भाषा या लिंग के बिना किसी भेदभाव के हम सभी भारतीयों को आर्थिक और सामाजिक न्याय सुनिश्चित कराने के लिए प्रतिबद्ध हैं। पंडित दीनदयाल उपाध्याय के ‘एकात्म मानववाद‘ से हमने यही पाठ सीखा है।“
हम पंजाब के अपने साथियों और अपने गठबंधन के सहयोगी - शिरोमणि अकाली दल का भी गर्मजोशी से अभिनंदन करें जिन्होंने राज्य में नए सिरे से जनादेश हासिल करने की उल्लेखनीय उपलब्धि अर्जित की है।
मैं आपको यह बताना चाहता हूं कि आंध्र प्रदेश में हमारी पार्टी ने महबूबनगर विधानसभा उपचुनाव में भी उल्लेखनीय जीत हासिल की है।
उŸाराखंड में हम मात्र एक सीट से सरकार बनाने से चूके। इन परिणामों का हमें अध्ययन करना होगा।
उत्तर प्रदेश में परिणाम हमारी अपेक्षाओं से कम रहे। राज्य की जनता बदलाव चाहती थी। लेकिन हम अपने आप को एक भरोसेमंद और मजबूत विकल्प के रूप में प्रस्तुत नहीं कर सके। यद्यपि प्रदेश में हमारा प्रदर्शन  अपेक्षा अनुरूप नहीं रहा लेकिन अभी भी प्रदेश में हमारा व्यापक जनाधार है। मुझे विश्वास है कि हमारे प्रयासों से फिर से हमारे साथ जुड़ेगा। प्रदेश में पार्टी को हर स्तर पर युवाओं को भी आगे लाना होगा। इस दिशा में हमारे प्रयास शुरू हो गए हैं।
तत्काल हमारे सामने गुजरात और हिमाचल प्रदेश में आने वाले चुनावों का सफलतापूर्वक सामना करने की चुनौती है। हमारी अन्य सरकारों की भांति गुजरात और हिमाचल प्रदेश सरकारों ने सुशासन के नए-नए कीर्तिमान स्थापित कर व्यापक सराहना पाई हैं। गुजरात ने खास तौर पर, अपने तीव्र और चैतरफा विकास से पूरे देश और दुनिया की नजरों में अपना स्थान बनाया है। मुझ्ो पूरा भरोसा है कि हमारी पार्टी की इकाइयां दोनों ही राज्यों में एक बार फिर लोगों का समर्थन और जनादेश हासिल करने में सफल रहेंगी।

राष्ट्रपति चुनाव
इस वर्ष जुलाई में 13वें राष्ट्रपति का चुनाव होना है। भाजपा यह प्रयास कर रही है कि गैर-कांग्रेसी दलों में एक व्यापक आम सहमति बने ताकि एक ऐसे योग्य उम्मीदवार को खड़ा किया जाए जो संविधान की रक्षा करने के साथ-साथ, गणतंत्र के सर्वोच्च पद को और गरिमामय बना सके। कांग्रेस पार्टी राष्ट्रपति भवन में आसीन होने वाले उम्मीदवार का चयन मुख्य रूप से इस कसौटी पर कर रही है कि वह एक  परिवार विशेष के प्रति स्वामीभक्ति रखता हो, न कि संविधान के प्रति। जिस तरह कांग्रेस ने भारतीय लोकतंत्र के दूसरे संस्थानों की गरिमा को कम किया है, उसी तरह वह राष्ट्रपति पद की गरिमा कम करना चाहती है। इस बार इसे किसी हाल में सफल होने नहीं देना चाहिए।

पार्टी कार्यकर्ताओं का प्रशिक्षण

मुझ्ो ये बताते हुए खुशी हो रही है कि हमारा प्रशिक्षण विभाग एक प्रकार से इतिहास रच रहा है, जो हमारे प्रशिक्षण कार्यक्रम को पूरे जोर शोर से आगे बढ़ाने वाला है। सन् 2012 की शुरुआत के बाद से ही, पांच राज्यों में चुनावों की वजह से, हम अपने प्रशिक्षण कार्यक्रम को सुचारू रूप से नहीं चला पा रहे थे। लेकिन अब, हम एक बार फिर इस दिशा में तेजी से आगे बढ़ने वाले हैं। मेरा अंदाजा है कि हमारा सुसंगठित प्रशिक्षण कार्यक्रम हाल के चुनावों में पार्टी के लिए काफी फायदेमंद रहा है। उŸाराखंड के सभी जिलों में ‘प्रवेश वर्ग‘ आयोजित किए गए, पंजाब में सभी विभागों और गोवा में दो राज्य स्तर के वर्ग लगाए गए। दिल्ली में 200 से ज्यादा मंडलों में एक दिन के मंडल अभ्यास वर्गों में 30,000 से ज्यादा कार्यकर्ताओं ने हिस्सा लिया। इसका नतीजा आज सबके सामने है।
प्रशिक्षण का दूसरा स्तर जिसे ‘प्रगत वर्ग‘ कहा जाता है, उसकी शुरुआत जून, 2012 से हो रही है। पहले ‘प्रगत वर्ग‘ में हमारे अनुसूचित जाति मोर्चा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी शामिल होगी जिसका आयोजन 15 से 18 जून के बीच मध्यप्रदेश में होगा। इसके बाद अंडमान और अन्य राज्यों में आयोजन होंगे। मैं आप सबसे अपील करता हूं कि इस जोश को बनाए रखें। मैं देश के विभिन्न हिस्सों में सन् 2012-2013 के दौरान होने वाले ‘प्रवेश वर्ग‘ और ‘प्रगत प्रशिक्षण‘ वर्गों से भी और अधिक उम्मीद कर रहा हूं।
इस मौके पर मैं अपने सभी स्तर के पदाधिकारियों से यह अपील करना चाहूंगा कि उन्हें इसकी पहल करनी है और ये सुनिश्चित करना है कि प्रशिक्षण के कार्यक्रम योजना के मुताबिक चलें और हम उन लक्ष्यों को हासिल करें जो हमने तय किए हैं।
हमारे सुशासन प्रकोष्ठ के कार्य भी सही मायने में सराहनीय हैं। अप्रैल में, इसने पहली बार राज्य स्तर के खादी और ग्रामीण उद्योग परिषदों और हैंडलूम तथा हैंडीक्राफ्ट बोर्ड के अध्यक्षों और सदस्यों की एक बैठक का आयोजन किया। ‘सुशासन प्रकोष्ठ‘ ने एक नए विचार पर काम करना शुरु किया है जिसमें हमारी सरकारों के उत्कृष्ट कार्यों को छोटे-छोटे लेखों और छोटी डाॅक्यूमेंट्री वीडियो फिल्मों के जरिए संकलित जा रहा है, और जिसे “द डिफरेंस दैट वी मेड“ शीर्षक दिया गया है। इस श्रृंखला का पहला मोनोग्राफ छŸाीसगढ़ में सफलतापूर्वक लागू की गई सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) पर था, जिसका प्रकाशन इसी वर्ष किया गया है। गुजरात के अहमदाबाद में बीआरटीएस को सफलतापूर्वक लागू किए जाने पर तैयार की गई एक लघु फिल्म इसी बैठक में रिलीज़ की जाएगी। हिमाचल प्रदेश में पर्यावरण के संरक्षण पर एक मोनोग्राफ भी इस मीटिंग में रिलीज़ किया जाएगा। इसी प्रकार मध्य प्रदेश, कर्नाटक, बिहार, झ्ाारखंड, पंजाब और गोवा में हमारी सफलताओं सम्बन्धी मोनोग्राफ पर भी काम चल रहा है।
मैंने ‘सुशासन प्रकोष्ठ‘ से कहा है कि वह जल्द ही ‘ई-गवर्नेंस के जरिए सुशासन‘ विषय पर एक राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित करे।
मैं यहां आपको ये भी बताना चाहूंगा कि हमारा ‘ओवरसीज फ्रेंड्स आॅफ बीजेपी‘ भी अच्छा काम कर रहा है। पिछले वर्ष नवंबर में, ‘ओवरसीज फ्रेंड्स आॅफ बीजेपी‘, अमेरिका ने हमारे वहां के कार्यकर्ताओं के लिए दो प्रशिक्षण सत्र चलाए। उन्होंने अमेरिका में भारतीय दूतावास और वाणिज्य दूतावासों में काउंसिल द्वारा दी जा रही सेवाओं पर एक सर्वे भी किया है। विदेशों में राजनीतिक दलों से पार्टी स्तर पर संबंध बनाने के लिए, हमने अमेरिका की रिपब्लिकन पार्टी के छह सदस्यों के एक प्रतिनिधिमंडल की इसी वर्ष जनवरी में मेजबानी की। ये प्रतिनिधिमंडल पहले मुंबई पहुंचा जहां रामभाऊ म्हालगी प्रबोधिनी द्वारा आयोजित एक ओरिएंटेशन प्रोग्राम में हिस्सा लिया। बाद में, वे अहमदाबाद गए जहां उन्होंने गुजरात में भाजपा सरकार द्वारा बेहतर शासन के लिए उठाए गए कुछ कदमों कोे करीब से देखा। दौरा खत्म होने से पहले, उनका दल दिल्ली में हमारे पार्टी मुख्यालय आया जहां उनकी बातचीत पार्टी के तमाम वरिष्ठ नेताओं से हुई।
जनवरी में, हमने एक ‘आईपी टीवी‘ या ‘इंटरनेट टीवी चैनल‘ की शुरुआत की है जिसे ‘युवा टीवी‘ नाम दिया गया है। ये हमारे आईटी प्रकोष्ठ का एक सराहनीय कदम है। इसके जरिए हमारी कोशिश देश के युवाओं तक अपनी पहुंच बनाने की है। जैसाकि आप सभी जानते हैं, युवाओं का हिस्सा हमारी आबादी में करीब 35 प्रतिशत है और हमें उन तक पहुंचने की हर मुमकिन कोशिश करनी होगी। मैं अपने सभी युवा मोर्चा के सदस्यों को अपील करना चाहूंगा कि वे इस चैनल की कार्यवाहियों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लें और इसके जरिए हमारे नए मतदाताओं की उम्मीदों पर खरा उतरें।
यहां यह उल्लेख करना भी जरूरी है कि हमारे पूर्व सैनिक प्रकोष्ठ और रक्षा प्रकोष्ठ ने भी उŸाराखंड चुनावों में मतदाओं से संपर्क बनाने में सराहनीय कार्य किया।

भाजपा विज़न दस्तावेज 2025

हम केवल अगले चुनाव पर लक्ष्य केंद्रित करने वाल पार्टी नहीं हैं। हमारी सोच, लक्ष्य और प्रतिबद्धता दूरगामी हैं, और वह पंडित दीनदयाल उपाध्याय के ‘एकात्म मानववाद‘ के दर्शन से निर्देशित और प्रेरित है, जो भारत के भूत, वर्तमान और भविष्य को एक सभ्यतागत नजरिए से देखता है।
इसी प्रकार, पार्टी ने देश के लिए एक विज़न 2025 दस्तावेज (डाॅक्यूमेंट) तैयार करने और सार्वजनिक करने का फैसला किया है। इसमें भाजपा का भविष्य का दृष्टिकोण, विचार और प्रतिबद्धताओं को प्रस्तुत किया जाएगा। ‘भारत को सशक्त, समृद्ध और सद्भावपूर्ण राष्ट्र बनाना, जो 21वीं सदी के विश्व की नियति निर्धारित करेगा‘-यह इसका प्रमुख उद्देश्य है। इस दस्तावेज़ में बड़े और महत्वाकांक्षी विचार होंगे, और उनके साथ ही उन्हें लागू करने का एक व्यावहारिक खाका भी होगा।
मुझ्ो विश्वास है कि भाजपा का ‘विज़न 2025‘ दस्तावेज़ हमारे तमाम कार्यकर्ताओं और समर्थकों को उन सभी मुद्दों पर एक दृष्टिकोण और लक्ष्य तय करने में मदद करेगा जिन मुद्दों पर देश के विवेकपूर्ण लोग पहले ही गंभीरता से बहस कर रहे हैं। ये भाजपा की छवि एक प्रेरणादायक दृष्टिकोण वाली पार्टी के तौर पर उभारने में भी मदद करेगा।
इस प्रकार के कार्य के लिए सभी की भागीदारी आवश्यक है। इसमें देश भर के और विदेशों में सक्रिय भाजपा कार्यकर्ताओं के साथ-साथ विविध विषयों के विचारकों को भी शामिल किया जाना चाहिए, वे निश्चित तौर पर इस योजना में अपना योगदान देने में गौरवान्वित महसूस करेंगे। ‘विज़न 2025‘ दस्तावेज़ को तैयार करने के लिए एक टीम का गठन किया गया है। उम्मीद है कि ये टीम अपना काम दीनदयालजी की जयंती - 25 सितंबर से पहले पूरा कर लेगी।

दीनदयाल भवन: नया भाजपा मुख्यालय

मैं आपको एक खुशखबरी सुनाना चाहता हूं। भारत सरकार सभी बड़े राजनीतिक दलों के राष्ट्रीय मुख्यालयों के लिए ज़मीन का आवंटन कर रही है। इसी के तहत, हमारे लिए राष्ट्रीय राजधानी के दीनदयाल उपाध्याय मार्ग पर दो एकड़ का प्लाॅट मंजूर किया गया है। हम इस प्लाॅट पर एक भव्य कार्यालय बनाने की तैयारी कर रहे हैं। जिसमें पार्टी का कार्यालय, प्रशिक्षण और अनुसंधान एवं विकास की तीन इकाईयां होंगी।
एक स्थायी प्रदर्शनी इस भवन की विशिष्टता होगी जिसमें भाजपा की विचारधारा और अब तक की यात्रा दर्शायी जाएगी। इस प्रदर्शनी में भारत की संप्रभुता को अक्षुण्ण रखने के लिए हुए हमारे आंदोलनों और संघर्षों को भी दिखाया जाएगा। ये हमें याद दिलाएगी कि कैसे हमारे नेताओं ने लोकतंत्र को बचाने के लिए संघर्ष और त्याग किए। भारतीय राजनीति की समृद्ध विरासत में हमारे योगदान को भी प्रस्तावित प्रदर्शनी में प्रदर्शित किया जाएगा।
ये कार्यकर्ताओं का, कार्यकर्ताओं के द्वारा और कार्यकर्ताओं के लिए एक निर्माण होगा! इसी वजह से, यह तय किया गया है कि ये भवन हमारे लाखों कार्यकर्ताओं के निजी योगदानों से तैयार किया जाएगा। इस अवसर पर मैं आप सभी से इस ऐतिहासिक अभियान में शामिल होने की अपील करता हूं और आशा करता हूं कि आप अपनी क्षमता के अनुसार इस महत्वाकांक्षी परियोजना में योगदान करेंगे। डा़ श्यामाप्रसाद मुकर्जी के बलिदान दिवस के उपलक्ष्य में इस अभियान की शुरुआत होगी।

निष्कर्ष
वर्ष 2013 अनेक कारणों से महत्वपूर्ण है। यह स्वामी विवेकानन्द की 150वीं जयंती का वर्ष है। दुनियाभर के करोड़ों लोगों के लिए स्वामीजी सदैव प्रेरणा के स्त्रोत रहे हैं। उन्हें अपनी आदरांजलि देते हुए मैं पार्टी की सभी इकाईयों को नई-नई योजनाओं और कार्यक्रमों के माध्यम से जनता को राष्ट्रीय पुनरूद्धार के लिए प्रेरित करने हेतु स्वामी विवेकानन्द के योगदान का स्मरण कराएं। मैं अपनी सभी प्रदेश इकाइयों से अपील करूंगा कि वे स्वामीजी का स्मरण करते समय बहुविध लोगों को इसमें जोड़ें। हमारे लिए हिन्दुत्व स्वामीजी की सीखों पर आधारित है। हमारे लिए हिन्दुत्व दूरदृष्टि, वैज्ञानिक और विकासोन्मुखी का पर्याय है। वास्तव में हिन्दुत्व और विकास अविभाज्य हैं। आइए, इस अवसर पर हम अपने को राष्ट्रीय पुनर्निर्माण में फिर से समर्पित करें।
हमारा देश इस समय ऐसे कठिन दौर से गुजर रहा है, जिसके लिए यूपीए का कुशासन मुख्य रूप से जिम्मेदार है। देश में इस वक्त हालात ऐसे हैं कि लोग कांग्रेस की विदाई देखना चाहते हैं। वो बदलाव चाहते हैं और गंभीरता से एक सही विकल्प की तलाश कर रहे हैं। उन्हें भाजपा से बड़ी आशाएं और उम्मीदें हैं। अगर हम उनकी उम्मीदों पर खरे उतरे, वे हमें अगली सरकार बनाने और देश की सेवा करने का का जनादेश अवश्य देंगे।
इस महत्वपूर्ण अवसर पर एक बात और। हमें अपने आपको फिर से याद दिलाना है कि हम राजनीति में केवल सŸाा के लिए नहीं हैं। राजनीति हमारे लिए राष्ट्रनिर्माण और समग्र सामाजिक विकास का साधन है। इसलिए, मैं आप सभी से अनुरोध करता हूं कि सारे छोटे-छोटे मुद्दों को किनारे रखकर भाजपा की मजबूती के लिए काम करें क्योंकि नियति ने हमारे सामने चुनौतियां और अवसर-दोनों प्रस्तुत किए हैं। हम असफल नहीं हो सकते। हमें सफल होना ही है।
इस संदेश को चरितार्थ करने के लिए मैं राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सभी सदस्यों से अपील करता हूं कि वे पार्टी संगठन को मज़बूत बनाने के काम में अपने को पुनः समर्पित करें। मैंने भी प्रत्येक प्रदेश में जाकर वहां संगठनात्मक कोर टीम, पदाधिकारियों, निर्वाचित प्रतिनिधियों और कार्यकर्ताओं के साथ व्यक्तिगत संवाद करने का निर्णय किया है। प्रत्येक प्रदेश का दो दिवसीय दौरा आनेवाले दिनों में सुसंगठित रुप से चलेगा।
जैसाकि मैंने शुरुआत में कहा था, राष्ट्रीय कार्यकारिणी की यह बैठक अगले संसदीय चुनावों के लिए हमारी तैयारियों को शुरु करने के लिए है। मैं सफलता का एक साधारण लेकिन सटीक मंत्र देना चाहूंगा - हम अपनी एकता, अनुशासन और समर्पण को हर स्तर पर सुदृढ़ करें।
आइए! हम सब अटलजी की भविष्यवाणी को एक छोटे से संशोधन के साथ एक बार फिर सच कर दिखाएं।
“अंधेरा छंटेगा, कार्यकर्ता जुटेगा,सूरज निकलेगा, कमल खिलेगा!“
धन्यवाद!
वंदेमातरम्!

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सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

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सूखे की स्थिति सम्बन्धी संकल्प - भारतीय जनता पार्टी राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक

Posted on 25 May 2012 by admin

भारतीय जनता पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी देश के विभिन्न भागों में, विशेषरूप से महाराष्ट्र, कर्नाटक और आन्ध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश-मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र में, जो सूखे से बुरी तरह से प्रभावित हैं, सूखे की गंभीर स्थिति पर गहरी चिन्ता व्यक्त करती है। राष्ट्रीय कार्यकारिणी लोगों के दुःख-तकलीफों के प्रति केन्द्र सरकार की उदासीनता पर भी गहरी निराशा व्यक्त करती है।
सूखे से कई प्रकार के प्रभाव पड़ते हैं और इसका अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों पर बुरा प्रभाव पड़ता है। इसके परिणामस्वरूप खाद्य की कमी, चारे की कमी, पानी की कमी, कृषि उत्पादन और आय में कमी, खाद्य और अन्य वस्तुओं के मूल्यों में वृद्धि, कृषि और इससे सम्बन्धित क्षेत्रों में बेरोजगारी हो जाती है, जिसके कारण पलायन होता है। कृषि ऋणों का भुगतान  नहीं होता, ग्रामीण असन्तोष आदि पनपता है।

महाराष्ट्र
महाराष्ट्र भयंकर सूखे की स्थिति का सामना कर रहा है। पश्चिमी महाराष्ट्र और मराठवाड़ा के कुछ हिस्से और विदर्भ क्षेत्र बुरी तरह से प्रभावित है। राज्य सरकार ने खरीफ के लिए 15 जिलों (209 तालुकों) और 6205 गांवों को और रबी की फसलों के लिए 1552 गांवों को सूखाग्रस्त घोषित किया है।
खरीफ के अन्तर्गत प्रभावित क्षेत्र 20.40 लाख हेक्टेयर है और इसमें 14,62,937 किसान प्रभावित हुए है जबकि रबी फसल उत्पादन 10.77 लाख हेक्टेयर बैठता है और इसमें 80,40,57 किसान प्रभावित हैं।
कृषि परियोजनाओं के जल स्तर तथा भू-जल स्तरों में भारी गिरावट आई है। 23 तालुकों में भू-जल स्तरों में 1-2 मीटर की कमी हुई है, 9 तालुकों में 2-3 मीटर के बीच की कमी हुई है, जबकि 6 तालुकों में भू-जल स्तर में 3 मीटर से अधिक की कमी हुई है। पीने के पानी की सप्लाई टैंकरों के माध्यम से की जा रही है।
खाद्यान्नों, तिलहनों, कपास और गन्ने के उत्पादन में भारी गिरावट आई है। अनाजों के उत्पादन में 5 प्रतिशत, दालों के उत्पादन में 22 प्रतिशत और खाद्यान्नों के उत्पादन में 5 प्रतिशत की कमी होने का अनुमान है। रबी-ज्वार के अनुमानित उत्पादन में भी सामान्य से और गत वर्ष की तुलना में क्रमशः 11 और 26 प्रतिशत की कमी होगी। पशुधन के लिये चारे की भारी कमी है। 13 जिलों में बागवानी पर सूखे का बुरा प्रभाव पड़ा है, जहां पर अनार, अंगूर, आम, संतरा, मौसमी जैसे फलों के उत्पादन पर बुरा प्रभाव पड़ा है। अपर्याप्त वर्षा के कारण उत्पादन में भारी कमी हुई है।
महाराष्ट्र में सूखे की वर्तमान स्थिति को ध्यान में रखते हुए, राज्य सरकार ने केन्द्र से 2281.37 करोड़ रुपए की कुल सहायता और राज्य को यथाशीघ्र गरीबी रेखा से नीचे की दरों पर 5 लाख मीटरी टन अनाज दिये जाने का अनुरोध किया है।
यद्यपि केन्द्र की एक टीम ने राज्य का दौरा किया और स्थिति का जायजा लिया है, तथापि अभी तक केन्द्रीय सहायता प्रदान नहीं की गई है।

कर्नाटक
कर्नाटक का 70 प्रतिशत भाग अर्थात् 176 में से 123 तालुका सूखा प्रभावित घोषित किये गये हैं। वहां पर पानी और चारे की कमी है। गत तिमाही में 1970 से अब तक वर्षा सबसे कम हुई है।
खरीब और रबी दोनों फसलें बर्बाद हो गई हैं। कुल 5953 करोड़ रुपए की फसल की हानि का अनुमान है। बहुत कम वर्षा, सूखे की स्थिति और अधिक नमी से राज्य के अन्दरूनी हिस्सों में न केवल खरीफ की फसल प्रभावित हुई है अपितु रबी की फसल भी बुरी तरह से प्रभावित हुई है। भू-जल स्तर दिन-प्रतिदिन गिरता जा रहा है। अधिकांश बोर कुएं सूख गये हैं। 700 बोर कुओं में से केवल 5 कुएं काम कर रहे हैं।
कुछ क्षेत्रों में 1250 फुट की गहराई पर भू-जल उपलब्ध है। भू-जल स्तर आज तक के रिकार्ड से भी नीचे चला गया है और वह पानी पीने लायक नही है। फ्लोराइड और आर्सेनिक सामग्री की उच्च मात्रा से स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याएं पैदा हो रही हैं।
4853 गांवो में पीने के पानी की भंयकर समस्या है। राज्य सरकार सैकेड़ो प्रभावित गांवो को टैंकरों के माध्यम से पीने के पानी की सप्लाई कर रही है। 3475 छोटे सिंचाई टैंको में से 1242 टैंक पूरी तरह से सूख गये हैं।
राज्य सरकार ने सूखे से निपटने के लिये अभी तक 562.55 करोड़ खर्च किये हैं। सूखा राहत उपायों के लिये राज्य सरकार ने प्रथम चरण में 2605.99 करोड़ रूपये की केन्द्रीय सहायता की मांग की ओर बाद में 5953 करोड़ रूपये के लिये एक ज्ञापन केन्द्र को सौंपा। केन्द्र ने 186.68 करोड़ रूपये की स्वीकृति दे दी है और अभी तक 70.23 करोड़ रूपये की राशि रिलीज की है। यह बड़ी खेदजनक बात है कि केन्द्र ने पहली बार ही 116.45 करोड़ रूपये की शेष राशि रिलीज नहीं की है।
सूखा इतना भंयकर है कि केन्द्र की सहायता के बिना अकेला राज्य इस अप्रत्याशित स्थिति से नहीं निपट सकता। राज्य सरकार ने 1500 करोड़ रूपये की अन्तरिम राहत की मांग की थी, जो अभी तक नहीं दी गई है। राज्य ने गरीबी रेखा के नीचे के कार्डधारियों को अनाज बांटने के लिये 3,00,000 मीटरी टन चावल और 57,000 मीटरी टन गेहूँ का अतिरिक्त आवंटन करने की भी मांग की है।
केन्द्रीय टीम अब राज्य का दौरा करने जा रही है जबकि मानसून तेजी से आ रहा है। इससे केन्द्र के कठोर रवैये का पता चलता है।

आन्ध्र प्रदेश
समूचा आन्ध्र प्रदेश राज्य सूखे से प्रभावित है। 22 जिलों में 876 मण्डल सूखाग्रस्त घोषित किये गये हैं। 34.24 लाख हेक्टेयर क्षेत्र (छोटे और सीमांत किसानों का 29.75 लाख हेक्टेयर और अन्य किसानों का 4.49 लाख हेक्टेयर) बर्बाद हो गया है। 49,31,701 छोटे और सीमांत किसान और 3,06,259 अन्य किसान प्रभावित हुए हैं।
30,98,560 मीटरिक टन कृषि उत्पाद नष्ट हुए हैं। इसका अनुमानित मूल्य 5747 करोड़ रूपये हैं। फसल ऋणों का पुनः निर्धारण नहीं किया गया है। किसान प्रति एकड़ इन्पुट सब्सिडी के रूप में 10,000 की मांग कर रहे हैं। यहां तक कि प्रभावित क्षेत्रों में वृद्वावस्था पैंशन भी उचित तरीके से नहीं दी जा रही है।
एन.डी.आर.एफ. से केन्द्रीय सहायता के रूप में 3,006 करोड़ रूपये की कुल राशि केन्द्र सरकार से मांगी गई थी। भारत सरकार ने 706.15 करोड़ रूपये की केन्द्रीय सहायता की स्वीकृति प्रदान की है जिसमें 385.78 करोड़ रूपये की राशि रिलीज की गई और शेष राशि का राज्य के एस.डी.आर.एफ. खाते में समायोजन किया गया है।
आन्ध्र प्रदेश सरकार ने दिसम्बर 2011 में 1860 करोड़ रूपये की इन्पुट सब्सिडी देने का वादा किया था। अभी तक वह राशि रिलीज नहीं की गई। जिन किसानों को 2010-11 के रवी मौसम में हानि हुई थी, उन्हें अभी तक मुआवजा नहीं मिला है। यहां तक कि रबी की फसल में भी 10ः की कमी आई है।
भाजपा इस बात पर गहरी चिन्ता व्यक्त करती है कि सूखे की गम्भीर समस्या के प्रति केन्द्र सरकार का रवैया बहुत ही गैर-संजीदा और कठोर है। विभिन्न राज्यों में प्रभावित क्षेत्रों का दौरा करने के लिये केन्द्रीय टीमों को भेजने में असाधारण विलम्ब हुआ है। यही नहीं, सरकार टीमों की सिफारिशों पर समय से कार्यवाही नहीं करती। देश के अनेक भागों में बारिश का मौसम शुरू होने वाला है और टीमों को बहुत देरी से भेजने का कोई लाभ नहीं है। इससे लोगों के दुःख- तकलीफो के प्रति केन्द्र सरकार की उपेक्षापूर्ण और असंवेदनशील रवैये का पता चलता है। इस प्रस्ताव को भाजपा के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री एम. वेकैया नायडू ने प्रस्तावित किया तथा महाराष्ट्र, आन्ध्र प्रदेश तथा कर्नाटक के प्रदेश अध्यक्षों ने इस प्रस्ताव का अनुमोदन किया है।

भाजपा मांग करती है कि -
ऽ    केन्द्र सरकार को देश में विशेष रूप से तीन राज्यों- महाराष्ट्र, कर्नाटक और आन्ध्र प्रदेश- में सूखे की स्थिति का जायजा लेने के लिये तुरन्त मंत्रियों का एक ग्रुप गठित करना चाहिये और स्थिति से निपटने के लिये नीति सम्बन्धी उचित निर्णय तेजी से लेने चाहिये।
ऽ    इन राज्यों में से प्रत्येक को 1500 करोड़ रूपये की अन्तरिम सहायता और 500 करोड़ की सहायता उत्तर-प्रदेश-मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र के लिए यथाशीघ्र प्रदान की जानी चाहिये। इसके अलावा केन्द्र को इन राज्यों में से प्रत्येक के लिये 5 लाख मीटिक टन अनाज निःशुल्क रिलीज करना चाहिये ताकि वह अनाज प्रभावित लोगों को बांटा जा सके। ऐसा बिना किसी कठिनाई के किया जा सकता है क्योंकि केन्द्र के पास सरप्लस स्टाक उपलब्ध है और उसके भण्डारण के लिये जगह भी नहीं है।
ऽ    सीमेंट चैक बांधों, मिट्टी वाले बांधों और माइक्रों जल संचयन ढांचों पर कार्य आरंभ करने के लिये प्रभावित राज्यों को विशेष पैकेज दिया जाना चाहिये जिन्हें इस ग्रीष्म ऋतु में ही पूरा किया जाये। इससे जल स्तर को गिरने से रोकने और पीने के पानी की कमी को दूर करने में सहायता मिलेगी और आगामी खरीफ फसल के लिये सुरक्षित सिंचाई सुविधा उपलब्ध हो सकेगी।
ऽ    चारा बैंक स्थापित किये जाये और निशुल्क रेल परिवहन सुविधा देकर युद्ध स्तर पर पड़ौसी राज्यों से इन राज्यों को चारा उपलब्ध कराया जाये ताकि पशुधन में हो रही कमी को रोका जा सके।
ऽ    छत पर जल संचयन (रू़फ टाॅप वाटर हारवेस्टिंगं) अनिवार्य बनाया जाना चाहिये। बोर कुओं, ट्यूबवेलों का कायाकल्प अनिवार्य बनाया जाय और फार्म तालाबों के निर्माण पर भी जोर दिया जाना चाहिये।
ऽ    सार्वजनिक वितरण प्रणाली को मजबूत बनाया जाना चाहिये।
ऽ    फसल संबंधी ऋणों का ब्याज माफ करके पुनः निर्धारण किया जाना चाहिये।
ऽ    बर्बाद हो गई फसल के लिये प्रति एकड़ 6000 रुपए की इनपुट सब्सिडी तुरन्त रिलीज की जानी चाहिये।
ऽ    मनरेगा योजना को सूखाग्रस्त राज्योंके कृषक मजदूरों के लिए भी लागू किया जाना चाहिए।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

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Resolution on Agriculture - BHARATIYA JANATA PARTY National Executive Meeting Mumbai

Posted on 25 May 2012 by admin

The Bharatiya Janata Party expresses its deep concern over the ongoing agrarian crisis in the country. Agriculture in India is not merely an economic activity but also a source of employment generation for nearly two third of our population.
The UPA Government’s inability to respond quickly and adequately against the challenges posed by the ongoing crisis has put livelihoods of our farmers in jeopardy. India needs an economic model based on equitable growth which doesn’t create huge income disparities.
We need a ‘Farmer Centric Development Model’ as the ‘Western Model of Development’ is not suitable in a country like ours. Western model is now fading away even in European and North American countries, where it originated. If India wants to become an economic powerhouse in the 21st century it has to come up with a new model for sustainable development.

Farmers Quitting Agriculture, Taking Crop Holidays
Indian farmers suffer because agriculture has become unprofitable. Their plight is pitiable as the input costs have gone up exponentially without a corresponding increase in MSP. This has forced the farmers to either quit farming or go on a crop holiday. National Sample Survey Organisation (NSSO) data indicates a growing sentiment that 42 per cent farmers would quit agriculture if given an alternative.
This sentiment has manifested in its worst farm in large areas of Vidarbha (Maharashtra), Bundelkhand (Uttar Pradesh), Royalseema - Konaseema (Andhra Pradesh) and many other parts of the country. Perhaps for the first time ever in the history of independent India paddy farmers in Konaseema- Royalseema region had to go on a crop holiday which affected 1.25 lakh acres of farm lands.
The UPA Government failed to take any concrete action to help these paddy farmers.

Problem of Debt and Drought
Millions of farmers have come under severe pressure from mounting debt burden.  In some cases distressed farmers took the extreme step of committing suicide. The Congress led UPA Government’s callous attitude towards large scale farmers’ suicide reminds us of the insensitive British rule.
The Prime Minister and Congress President visited Vidarbha region in Maharashtra where thousands of farmers have committed suicide due to debt related issues. A relief package worth several hundred crore, announced in 2006, failed to deliver any relief to farmers even after six years. Congress party has been giving hollow promises to farmers all these years.
Vidarbha is once again facing a crisis of severe drought conditions these days.  Parts of Bundelkhand, Karnataka, Andhra Pradesh and certain other areas of the country are also adversely impacted by drought. Bundelkhand is one of the poorest areas in the country where people in rural areas are struggling to get even their daily supply of drinking water due to drought.
The BJP demands that the government should not turn a blind eye to the problems facing the farmers and other living in rural areas. The Government should immediately announce a National Drought Relief Package for these drought affected regions. BJP is committed to ensure debt free farmers.

Reality of Farm Loan Disbursement
Although the UPA Government has proposed to increase its allocation to farm loans from Rs 4.75 lakh crore in 2011-12 to Rs. 5,75,000 crore in 2012-13 but as the recent data states like Uttar Pradesh, Bihar, Jharkhand and West Bengal where large number of farmers are poor and marginal will not get adequate share in it.
As per the official figures a big chunk of funds allocated for crop loans goes to cities like Delhi and Chandigarh where hardly any land is left for agriculture.  Residents of these two cities alone received agricultural loans worth over Rs 32,400 crore in 2009-10 – more than UP, West Bengal, Bihar and Jharkhand put together. These four states collectively received less than Rs 31,000 crore in 2009-10.
There is an urgent need to review the existing policy of farm loan disbursement and an investigation should be conducted to find out whether these farm loans were diverted to real estate sector or not.
The BJP demands that the Government should extend subsidized crop loans facility to purchase of   farm equipment in addition to crop related inputs like seeds.  This would help the farmers to reduce their labor costs which presently accounts for nearly 25% of total costs.

Government’s Anti Subsidy Approach
The Government has recently proposed subsidy reduction on P&K fertilisers under its Nutrient Based Subsidy (NBS) policy regime. The Department of Fertiliser had recommended reduction in subsidy on Nitrogen (N) and Potassium (K), which will be Rs.24 a kg each and Rs.21.8 a kg on phosphate (P) for 2012-13.
With this decision to reduce subsidy in P&K fertilizers the Government is expected to bring down the total subsidy bill by 20 per cent in the next fiscal. The subsidy bill of P&K fertilizers alone is seen to touch Rs.52,000 crore with the overall subsidy bill touching Rs.90,000 crore this fiscal.
The Government should not withdraw its subsidies given to agriculture sector in the name fiscal prudence. The BJP demands that the fertilizer subsidies should be directly paid to the farmers and a follow up action should be taken at the earliest. Subsidy on organic farming should be provided.
In the past eight years the government has waived taxes, including income tax reductions, for the business and industry which are roughly to the tune of Rs 22 lakh crore! These tax exemptions are presented under the head of ‘revenue foregone’ and accounted for in every annual budget but no such exemptions were extended to agriculture.

Shrinking Cultivable Land
According to government data, the cultivable land in India has reduced from 183.19 million hectares during 2003-04 to 182.39 million hectares during 2009-10. This number may not sound alarming at this point of time but it indicates a growing trend of shrinkage of total cultivable land in India.
Even in the US, the federal government has allocated US $ 750 million to farmers for the period 2008-13 under the Farm Bill 2008 to conserve and improve their grazing/farm lands. The idea is to ensure that farmers do not divert the land for non-agricultural purposes. Taking a cue from it the UPA Government should make efforts to protect India’s cultivable lands.

Farmer Friendly Land Acquisition Required
Displacing farmers and forcible acquisition of fertile land by the government has created widespread anger and outrage among the farmers’ community. The BJP’s National Executive welcomes the Parliamentary Standing Committee on Rural Development’s suggestion that no fertile land should be acquired in the name of development.
A complete overhaul of the draconian Land Acquisition Act (1894) is long overdue. The revised Land acquisition bill continues to persist with ambiguous definitions of public purpose and supports land acquisition for private entities. It seems the UPA Government has failed to learn a lesson from the farmers’ agitations of Singur and Nandigram (West Bengal)  Tappal and Bhatta Parsaul (Uttar Pradesh) .
The BJP will debate and contest the anti-farmer provisions in the new Land Acquisition Rehabilitation and Resettlement Bill  when it is tabled for discussion in Parliament.

Zero Tolerance Towards Hunger
The UPA Government has a long list of policy programmes designed to fight hunger, and the budgetary allocations for these schemes are hiked almost every year, yet millions of poor in India facing acute hunger. India is currently ranked 67th on Global Hunger Index which comprises of 88 poor nations. More than 5000 children die every day in India from malnourishment.
The BJP strongly advocates a policy of ‘Zero Tolerance Towards Hunger’. India’s present total food grain production is more than sufficient to feed our billion plus population and the surplus food could be easily exported to earn foreign exchange if the UPA Government had an efficient policy for food management. Hunger in India is basically the outcome of Government’s wrong policies and mismanagement. BJP is committed for a hunger free India.

Strengthen Existing PDS System
The Government focus its energies in strengthening the existing Public Distribution System (PDS) to make it more effective. Much of the food from the PDS is diverted in the open market. PDS grains are also diverted to neighbouring countries like Nepal, Burma, Bangladesh, and even Singapore. There are several estimates about the extent of leakage and siphoning off of the grains.
The BJP takes pride that Chhattisgarh has presented a model PDS before the people of this country. It needs to be replicated in all the states.  The BJP demands the Government   for a complete overhaul of the existing PDS.

Flawed Procurement Policy And Storage
The UPA Government needs to fix its flawed procurement policy and inadequate storage infrastructure.  Our current storage capacity is in shambles and even a five percent increase in procurement puts tremendous pressure on the storage facilities.
This year in many wheat growing states framers were forced to sell their produce in distress as the Centre was unable to meet its procurement target. Even supplying jute bags to states became an onerous task for the Centre
India’s current storage infrastructure is outdated and highly centralized. Today the farmers are growing more wheat than they ever had but their hard work goes in vain. The BJP demands the Government to set up a National Food Storage Grid which connects rural godowns, FCI storage facilities into one large network and it should be actively monitored through central agencies.

Moratorium on GM Crops
The Govt. should immediately put a moratorium on GM Crops in the Country because GM Crops will not increase productivity. These crops will pollute the seeds of farmers owned traditional varieties by cross-pollination.
Under IPR regime the MNCs want to destroy India’s seed security for royalty. Seed security is paramount to ensure food security. If seed will be controlled by the MNCs then the food security of this country will be compromised.

Promotion of Food Processing  Industry
India has a large consumer base for all major global corporate giants in food and agriculture sector and they are exploiting it to serve their interests. But Indian farmers and food processing are unable to take advantage of it as the government is unable to provide proper linkages. The food processing  industry has very low processing level i.e 2.2% for fruits and vegetables, around 35% in milk, 21% in meat and 6% in poultry products, which is significantly lower by international standards. Value addition to agriculture produce in India is just 20% with wastage estimated to be valued at around US $13 billion. UPA government failed to create storage change etc.
The miniscule budget for Food processing shows that the UPA Government is not serious in giving farmer the benefits of value addition and access to market through proper linkages. The BJP demands increased allocation and effective action plan to strengthen this potent sector.

Irrigation and Interlinking of Rivers
The Interlinking of Rivers project was a dream project of Shri Atalji led Government which was later scrapped by the UPA Government. The Supreme Court in its recent verdict has directed the government to link more than 30 rivers and divert waters to parched areas.
The BJP National Executive welcomes the Supreme Court’s decision to revive the project as it has given a ray of hope to millions of farmers in the country who suffer due to lack of adequate irrigation facility in the country.
Policies to recharge the ground water level should be formulated. The farmers should be encouraged to use the sprinkler and drip system for irrigation to save the water. Subsidy should be given to farmers on using these irrigation techniques.
In a country like India where irrigation facilities are inadequate watershed management becomes important for growth in agriculture. The BJP Governments in Gujarat and Madhya Pradesh have done remarkable job by erecting thousands of check dams to hold the seasonal rainwater.

Soil Health and Organic Farming
Excessive use of chemicals in farming has pushed the organic component of soil in most states to alarming level. In states like Punjab the organic component in the soil has come down to almost zero (0.1-0.2%).
The abuse of chemicals has played havoc with the environment and food chain. All this has been necessitated because we developed high-yielding crop varieties and hybrids that were responsive to chemical fertilizers and pesticides. The only way is green –manures and compost fertilization to recharge the soil health.
The Government needs to do a serious rethinking in its approach towards agriculture and promote organic agriculture which is the only sustainable model in this county. States like Gujarat and Karnataka have already taken lead in promoting organic farming but it should be taken up at the national level. Extensive research work needs to be done to explore the potential in organic farming and tap India’s traditional agricultural wisdom.
There is an increasing demand and vast scope for the export of organic food across the world and Indian farmers are missing this opportunity. The Government agencies NHB and APEDA should take the responsibility and bear the cost of certification of organic produces which is presently high and beyond the average farmers’ reach. The Government should also give adequate level of subsidies for cultivation of organic/bio-fertilizer produce and promote their exports.

Agricultural Extension
The agriculture research model has gone awry and needs drastic changes. Extension should be based on Natural Resource Management in different agro climatic zones. The country needs a farmers centric approach where agriculture research and extension services literature must be prepared and promoted in local languages.

Impact of WTO
Indian agriculture has been dragged into the ambit of the WTO and the Govt. has given market access for agro produces at a time when the developed countries have distorted global prices by their huge support to their farm sector.
Farmers in India cannot compete with the farmers in the developed world. European Union and the US have protected their markets through high tariffs barriers and non-tariff barriers. The US through its Farm Bill has increased direct payments to farmers by 10%.

NDA’s Contribution in Agriculture
When the BJP led NDA Government was in power several epoch making decisions were taken. We introduced low interest regime for farm loans, launched Farm Income Insurance Scheme, distributed Kissan Credit Cards, gave remunerative prices to farmers and to ensure long term growth in Indian agriculture a National Commission on Farmers was constituted for the first time.
Unfortunately much of the good work by the NDA Government has been undone by the UPA Government. It scrapped Farm Income Insurance Scheme which could have been a revolutionary step in reviving agriculture. The Swaminathan Commission submitted all its four reports between Dec 2004 and October 2006 but the UPA Government has not been able to implement its recommendations till date.
The BJP ruled states have shown great commitment to revive agriculture and ensure security for farmers in spite of their limited resources.  We have introduced low interest farm loans in all the states and it has been lowered to as low as one percent. Gujarat has shown exemplary growth in agriculture sector.


The BJP National Executive in its meeting at Mumbai today recommends following policy suggestions to ensure that Agriculture becomes profitable and viable for farmers.

1.    Agriculture and Irrigation sector should be given more financial assistance from centre.
2.    The BJP demands that the interest rates on agricultural loans should be reduced to one percent
3.    The BJP urges the government to open compulsory bank accounts for all farmers in the country and transfer all MSP payments, subsidies, indemnities and other payments in cash directly to farmers.
4.    The BJP exhorts the Government to initiate immediate action on Interlinking of Rivers Project.
5.    Research should be done for the improvement of Indian Cow breeds. They have very good immune system against diseases and suitable for our climate. This will also help in promoting organic farming.
6.    A Regulatory Authority to regulate the prices and distribution of seeds should be established.
7.    Utility items like tractor, agricultural equipment and machineries, drip and sprinkler irrigation installations, fertilizers, seeds and agro-chemicals should be kept out from the ambit of different type of taxes. Also, the subsidy on them should be enhanced and given directly to the farmers.
8.    Well equipped soil, fertilizer, agro-chemicals and seeds testing laboratories should be established at every district headquarter. This will help the farmers who face the problem of spurious and sub standard Pesticides, Agro- chemicals & Micro- nutrients even the adulterated fertilizers like DAP in the country.
9.    The Government should also set up a Seed Bank for each district for preservation, multiplication and dissemination of indigenous seeds.
10.    Imports of agro commodities should not be encouraged.
11.    Ensure a system where a fixed monthly income, incorporating the minimum support price can be guaranteed to the farmers. Farm Income Insurance Scheme (F.I.I.S.) should be introduced by the Government.
12.    The existing PDS needs to be strengthened and connected with the National Food Grid. Chhattisgarh PDS model needs to be replicated everywhere in the country.
13.    The Govt. should come-up on agro based small industrial units in the villages and should provide adequate incentive, technical and financial assistance.
14.    Soil Health Card should be issued to all the farmers and modernization of laboratories meant for soil testing should also be undertaken at the earliest.
15.    The BJP believes that the Government should launch an extensive farmers’ awareness campaign in order to help them increase the nutrient value of their farmlands.
16.    The Centre should immediately implement National Commission on farmers report without any delay.
17.    Minimum Support Price should be declared as per C2+50% formula, recommended by the National Commission on Farmers
18.    The Nutrient Based Subsidy (NBS) policy regime should be rolled back to safeguard farmers from rising prices of Phosphate and Potash fertilizers.
19.    MNREGA should be linked with agriculture
20.    Proper financial assistance should be provided for improvement in animal husbandry and fisheries sector.
21.    National Food grid should be established

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

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