उ.प्र. में सत्ता-परिवर्तन होने व देश की संसद में राज्यसभा का सदस्य बनने के बाद, देश की राजधानी दिल्ली में आज यह मेरी पहली प्रेस कान्फ्रेस है और आज की मेरी इस पहली प्रेस कान्फे्रस में, मैं खासतौर उ.प्र. में सत्ता परिवर्तन होने के बाद, अब यहाँ सपा शासन में उ.प्र. की हर मामले में व हर स्तर पर जो अति दयनीय व खराब एवं चिन्ताजनक स्थिति बनी हुयी है। उनके कुछ महत्वपूर्ण पहलुओं की तरफ मैं आपका ध्यान जरूर आकर्षित करना चाहती हूँ। लेकिन इससे पहले मैं उ.प्र. में, अपनी चारों सरकारों से लेकर अभी तक भी, मेरे खुद के बारे में खासतौर से मेरी ‘‘कार्यक्षमता व दक्षता’’ के सम्बन्ध में हमारे विरोधियों ने जो साजिश के तहत् हर स्तर पर किस्म-किस्म की गलतफहमी पैदा कर दी है। उन्हें आज मैं सबसे पहले जरूर दूर (खत्म) कर देना चाहती हूँ।
मीडिया बन्धुओं, वैसे आप लोगों को यह विदित है कि उ.प्र. में हमारी पार्टी की ‘‘3 जून सन्् 1995’’ को पहली बार और उसके बाद ‘‘21 मार्च सन्् 1997’’ को दूसरी बार तथा ‘‘3 मई सन्् 2002’’ को तीसरी बार यहाँ मेरे नेतृृत्व में सरकार बनी थी।
और मैंने इन तीनों सरकारों में अनुसूचित जाति से सम्बन्धित ‘‘श्री P L पुनिया’’ को, इनके ैमतअपबम में रहते हुये, इनको यह सोचकर अपना प्रमुख सचिव बनाया था कि यह अधिकारी दलित वर्ग का होने के नाते, प्रदेश में अपने समाज के लोगों के हितों का प्राथमिकता के आधार पर पूरा-पूरा ध्यान रखेगा। लेकिन दुःख की बात यह है कि उस दौरान, इस अधिकारी की तरफ से इन वर्गों के हितों में, ऐसी कोई भी विशेष पहल नहीं की गयी थी। अर्थात इस अधिकारी का आखिरी तक मिजाज दलितों के मामले में अम्बेडकरवादी सोच का ना होकर ज्यादातर गाँधीवादी सोच का ही बना रहा था और मेरी इस बात का सबसे बड़ा सबूत यह है कि यह अधिकारी अपनी नौकरी से रिटायर होने के बाद, यहाँ अपने देश में दलितों के मामले में गाँधीवादी सोच रखने वाली, कांग्रेस पार्टी में ही जाकर शामिल हो गया है।
और इतना ही नहीं बल्किी इस व्यक्ति ने कांग्रेस पार्टी में शामिल होने के बाद अपनी इस पार्टी में व आम लोगों में तथा मीडिया आदि में भी अपनी ‘‘अहमियत’’ को ऊँचा दिखाने के लिये, मेरी इन तीनों सरकारों को लेकर मेरे खुद के बारे में एक यह ‘‘गलतफहमी’’ पैदा कर दी थी कि ‘‘मायावती कहने के लिये उ.प्र. की मुख्यमंत्री जरूर थी।’’ लेकिन इनकी तीनों सरकारों को चलाने का कार्य वास्तव में, मैं खुद ही करता था। इसी प्रकार आगे चलकर मेरी चैथी बार सरकार बनने के बाद भी मेरे कैबिनेट सचिव रहे श्री शशांक शेखर सिंह को भी लेकर इसी ही किस्म की गलत धारणा मीडिया व आम लोगों में भी पैदा कर दी गयी थी।
और इसके साथ ही अब मुझे यह भी आशंका होने लगी है कि मेरे राज्यसभा में जाने के बाद भी हमारे विरोधी लोग अब कहीं यह ना गलत प्रचार करने लग जाये कि मैं हाऊस में किसी भी मुद्दे को लेकर जो कुछ भी बोलती हूँ। उसे हमारी पार्टी के संसद में दोनों सदन के नेता अर्थात ‘‘श्री सतीश चन्द्र मिश्रा और श्री दारासिंह चैहान’’ व अन्य इनके साथीगण, उसकी तैयारी करके मुझे देते हैं। जबकि वास्तव में, इस मामले में स्थिति यह है कि संसद के दोनों सदन में हमारी पार्टी के ये दोनों नेता व पार्टी के अन्य सदस्यगण जब भी किसी महत्वपूर्ण विषय पर जो कुछ भी हाऊस में बोलते हैं। या फिर मेरे दिशा-निर्देशन में, प्रेसवार्ता में भी जो कुछ कहते हैं तो उसमें हमारी पार्टी की मूवमेन्ट के हिसाब से, इनको हाऊस में या प्रेस में भी बोलने के लिये खास-खास बिन्दुआंे को तैयार करके ज्यादातर इन्हें अभी तक मेरे द्वारा ही दिया जाता रहा है।
और इतना ही नहीं बल्किी जब मैं उ.प्र. की सत्ता मेें आसीन थी तो तब भी मैं संसद के अति महत्वपूर्ण मुद्दों पर अपनी पार्टी की लाईन के हिसाब से खुद ही खास बिन्दुओं का नोट तैयार करके, इनके बोलने के लिये अक्सर भिजवाती थी। और कभी-कभी तो उस दौरान स्थिति ऐसी बन जाती थी कि जब हमारे पार्टी के लोग संसद में बोलने के लिये मेरे, विशेष नोट भेजने के बाद भी, किन्हीं कारणवश ये लोग अपनी पार्टी की सही लाईन संसद में ठीक ढंग से नहीं रख पाते थे, तो तब फिर मुझे मजबूरी में खुद ही लखनऊ में प्रेस कान्फ्रेस बुलाकर अपनी पार्टी लाईन की स्थिति को स्पष्ट करना पड़ता था।
और इन सबके अलावा अब मुझे ऐसा भी लगता है कि मेरे द्वारा हमारी मूवमेन्ट को लेकर हर वर्ष लिखी जाने वाली, मेरी खुद की किताब के सम्बन्ध में भी, मेरी ‘‘दक्षता’’ के बारे में हमारे विरोधियों ने शायद इसी ही किस्म की धारणा यहाँ आम लोगों में जरूर पैदा कर दी होगी। जबकि इस मामले में सच्चाई यह है कि मैं हर वर्ष अपने जन्मदिन के मौके पर, अपनी पार्टी की मूवमेन्ट का एक वर्ष का लेखा-जोखा खुद लिखकर, फिर उसे किताब के जरिये जारी करके अपने लोगों के बीच में भिजवाती हूँ।
अर्थात मैं अपनी पार्टी में ज्यादातर दूसरी पार्टियों की तरह, विरासत के जरिये कोई थोपी हुयी अपनी पार्टी की राष्ट्रीय नेता व अध्यक्ष के पद पर आसीन नहीं हुयी हूँ। बल्किी हकीकत में, मैं अपनी पार्टी की मूवमेन्ट को लेकर हर मामले में हमेशा जमीन से ही जुड़ी रही हूँ। और आज मैं जिस भी ‘‘ओहदे’’ पर पहुँची हूँ, उसे मैंने अपनी पार्टी में एक कार्यकर्ता के सफर से चलकर ही प्राप्त किया है और इसके लिये प्रेरणा मैंने अपने देश में दलित एवं अन्य पिछड़े वर्गों में जन्में महान सन्तों, गुरूओं व महापुरूषों में भी खासतौर से ‘‘महात्मा ज्योतिबा फूले, छत्रपति शाहूजी महाराज, श्री नारायणा गुरू, पेरियार जी, बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर एवं मान्यवर श्री कांशीराम जी’’ के जीवन संघर्ष से ही ली है। जिन्होंने इस देश की जमीनी हकीकत से जुड़कर, यहाँ जातिवादी व्यवस्था के शिकार रहे, दलितांे, शोषितों, पिछड़ों एवं अन्य उपेक्षित वर्गों के मान-सम्मान में तथा इन्हें हर मामले में, अपने पैरों पर खड़ा करने के लिये विशेष व ठोस जमीनी पहल की है।
इसलिये मैंने अपनी भारतीय संसद की 60वीं वर्षगांठ के मौके पर, अपने देश व यहाँ की जनता के हितों में राज्यसभा के अन्दर जो कुछ भी बोला है। वह वास्तव में जमीनी हकीकत थी। जिनकी तरफ, अपने देश के शासनकर्ताओं को ध्यान देना बहुत जरूरी है।
संक्षेप में, इस सन्दर्भ में अब मेरा यही कहना है कि मैंने अपने जीवन में, अभी तक विभिन्न स्तर पर पहुँचकर हमेशा देश हित में, व अपनी पार्टी की ‘‘सर्वजन हिताय व सर्वजन सुखाय’’ की नीति के आधार पर चलकर जो कुछ भी किसी ना किसी रूप में कहा है या फिर किताब के जरिये अपने लोगों को जो भी मैसेज भेजा है। वह सब मैंने काफी गहन अध्यन करके व गम्भीरता से सोच-विचार करके अपने खुद के प्रयासों व सूझबूझ से ही ज्यादातर किया है। अर्थात मैं अन्य पार्टियों के नेताओं की तरह दूसरों के ऊपर निर्भर रहकर फिर उनके सहारे मैं अपनी मूवमेन्ट का कार्य नहीं चलाती हूँ। बल्किी मैं हर मामले में अपने सन्तों, गुरूओं व महापुरूषों के बताये हुये रास्तों के तहत्् ही रात-दिन मेहनत करके अपनी जमीनी हकीकत के अनुभवों से ही यहाँ के लोगों को जागरूक करके उन्हें फिर सही दिशा देने का भी पूरा-पूरा प्रयास करती हूँ और इस मामले में हमेशा मेरा अपनी पार्टी के लोगों को यह कहना रहा है कि ‘‘जब तक मैं जिन्दा रहूँगी,’’ तो तब तक मैं अपनी जिन्दगी के आखिरी पल तक भी अपनी इसी ही ‘‘सच्ची लग्न’’ व ‘‘जमीनी हकीकत’’ से जुड़कर अपनी मूवमेन्ट व अपने देश तथा यहाँ की जनता के हितों के लिये लगातार प्रयास व कार्य करती रहूँगी। चाहे मेरे रास्ते में हमारे विरोधियों द्वारा कितनी भी कठिन से कठिन मुश्किलें क्यों ना पैदा कर दी जाये। लेकिन फिर भी मैं अपनी पार्टी की मूवमेन्ट की लाईन से तिलभर भी विचलित होने वाली नहीं हूँ।
संक्षेप में, अपने खुद के बारे में कुछ जरूरी बातों की तरफ ध्यान दिलाने के बाद, अब मैं आपका ध्यान अपने देश व उ.प्र. से सम्बन्धित कुछ जरूरी बातों की तरफ दिलाना चाहती हूँ और इस सन्दर्भ में, सबसे पहले अब मैं अपनी उन कुछ जरूरी बातों को फिर से, यहाँ दोहराना चाहती हूँ, जो मैंने इसी ही महीने 13 मई सन्् 2012 को संसद की 60वीं वर्षगांठ के मौके पर राज्यसभा में खासतौर से यह कही थी कि इसमें कोई सन्देह नहीं है कि ‘‘अपना देश आजादी के वर्षों-वर्ष बीत जाने के बाद अभी तक भी अनेकों आन्तरिक व बाहरी गम्भीर समस्याओं से जूझ रहा है।’’
और इतना ही नहीं बल्किी अपने देश की हर मामले में व हर स्तर पर गलत आर्थिक नीतियों के कारण यहाँ सर्वसमाज में ‘‘गरीबी, बेरोजगारी एवं मंहगाई’’ भी लगातार बढ़ती जा रही है इसके, साथ ही अपने देश के शासनकर्ताओं की ज्यादातर जातिवादी मानसिकता वाली सोच होने की वजह से भी यहाँ दलितों, पिछड़ांे व अन्य उपेक्षित वर्गों की ‘‘सामाजिक, शैक्षणिक एवं आर्थिक’’ स्थिति में अभी तक भी कोई खास सुधार नहीं आ सका है।
इसके साथ-साथ अपने देश में पिछले कुछ वर्षों से साम्प्रदायिक ताकतों के उभरने के कारण अब यहाँ धार्मिक अल्पसंख्यक समाज से सम्बन्धित ‘‘सिक्ख, मुस्लिम, ईसाई, पारसी व बौद्ध’’ आदि इन विभिन्न समुदायों के लोग भी आज अपने आपको ज्यादातर असुरक्षित महसूस करते हुये हमें नजर आते हैं।
लेकिन यहाँ खास ध्यान देने की बात यह है कि इन सब मामलों में हमारे देश के ‘‘शासनकर्ताओं’’ का ध्यान कम और अपने ‘‘राजनैतिक नफे-नुकसान व व्यक्तिगत स्वार्थ’’ की तरफ अब ज्यादा बना रहता है और यह सब हमें पिछले कुछ वर्षों से संसद के अन्दर व संसद के बाहर भी काफी कुछ देखने के लिये मिल रहा है, जो अपने देश व यहाँ की जनता के उज्जवल भविष्य के लिये शुभ-संकेत नहीं है। इसलिये इन सब बातों की तरफ भी इन्हें अपने देश व यहाँ जनता के हितों में जरूर ध्यान देना होगा।
इसके अलावा, जहाँ तक उत्तर प्रदेश में इस समय सपा शासनकाल में विकास व कानून-व्यवस्था की स्थिति का सवाल है, तो इस बारे में हमारी पार्टी व प्रदेश की आमजनता का यह मानना है कि जबसे उ.प्र. में सत्ता परिवर्तन हुआ है और यहाँ समाजवादी पार्टी की सरकार बनी है, तबसे यह सरकार खासतौर से विकास के मामले में तो केवल ‘‘बैठकों एवं घोषणाओं’’ की ही कागजी सरकार बनकर रह गयी है। इसके साथ ही, अब इस सरकार का ज्यादातर कार्य राजनैतिक द्वेष की भावना से थोक के भाव यहाँ अधिकारियों के तबादले कराना और आयेदिन मेरी सरकार के समय के किसी ना किसी विभाग से सम्बन्धित, उसमें घोटाले आदि होने की अशंका जताके, उसकी विभिन्न स्तर पर जांचें बैठाना तथा फिर उन्हें मीडिया आदि में भी बड़े-पैमाने पर प्रचारित कराना अब इस सरकार की रोजाना की जरूरी दिनचर्या बन चुकी है।
और इसके साथ-साथ अब इस सरकार की पूरी शक्ति (ताकत) प्रदेश में यहाँ ज्यादातर ‘दलित विरोधी’ एवं सर्वसमाज में ‘‘गरीबी विरोधी’’ गतिविधियों में ही लगी रहती है। जिसके तहत ही, इस सरकार ने अभी हाल ही में ‘‘दिनांक 11 मई सन्् 2012’’ को, मेरी सरकार के समय की 13 विभागों से जुड़ी हुयी अति महत्वपूर्ण व जनहित की उन सभी ‘‘सर्वजन हिताय व सर्वजन सुखाय’’ की 26 योजनाओं एवं कार्यक्रमों को एक साथ व एक ही दिन में समाप्त कर दिया है, जो ये सभी योजनायें प्रदेश में खासतौर से दलितों, पिछड़ों एवं सर्वसमाज में से गरीब लोगों के विकास व उत्थान के लिये ही मेरी सरकार के दौरान चलायी जा रही थी, जिनमें इन सभी लोगों को काफी ज्यादा लाभ पहुँच रहा था।
इसके अलावा मेरी सरकार के समय में ही इन लोगों के हितों के लिये, अन्य और भी अनेकों ऐसी योजनायें चलायी जा रही थी, जिनके नाम हमने अपने देश में, दलित एवं अन्य पिछड़े वर्गों में जन्में, महान सन्तों गुरूओं व महापुरूषों को आदर-सम्मान देने के उद्देेश्य से रखे थे और जिनकी पूर्व की लगभग सभी सरकारों में, इनके प्रति जातिवादी मानसिकता रखने की वजह से, इनकी हर स्तर पर काफी ज्यादा उपेक्षा की गयी थी। लेकिन यहाँ दुःख की बात यह है कि उनके नाम भी अब इस सरकार द्वारा बदल दिये गये हैं। इससे हमें इनकी ‘‘छोटी व ओछी’’ हरकत साफ नजर आती है और इसके साथ ही, इससे इस सरकार की प्रदेश में विकास के प्रति नकारात्मक सोच व इनकी यहाँ दलित एवं अन्य पिछड़ा वर्ग विरोधी मानसिकता होने का भी हमें साफ पता चलता है।
इतना ही नहीं बल्किी इस पार्टी ने अपने राजनैतिक स्वार्थ में, चुनाव के दौरान प्रदेश सरकार की सही ‘आर्थिक-स्थिति’ को जाने बिना ही अपने चुनावी घोषणा-पत्र में जो अनेकों चुनावी वायदे किये थे, जिसमें खासतौर से प्रदेश में कक्षा 10वीं पास करने वाले हर छात्र को मुफ्त लैपटाप देना, हर बेरोजगार व्यक्ति को बेरोजगारी भत्ता देना, किसानों व बुनकरों को मुफ्त बिजली देना और साथ ही उनके पिछले बिजली बकायों को भी माफ करना तथा यहाँ मुस्लिम व अन्य धार्मिक अल्पसंख्यकों को सरकारी नौकरियों में 18 प्रतिशत आरक्षण देना आदि प्रमुख थे। उन्हें भी इस पार्टी की सरकार सही ‘‘जमीनी अमलीजामा’’ नहीं पहना पा रही है, जिससे अब प्रदेश की जनता दिन-प्रतिदिन, इनके काफी ज्यादा खिलाफ होती जा रही है। जबकि इन्हीं लुभावने वायदों की वजह से ही, इस पार्टी को इस बार, यहाँ सत्ता में आने में काफी ज्यादा मदद मिली है और इसके साथ-साथ इस पार्टी को सत्ता में लाने के लिये ‘‘कांगे्रस व बीजेपी’’ के गलत चुनावी स्टैण्ड (मुद्दे) अपनाने का भी, इसमें काफी बड़ा योगदान रहा है। लेकिन इसके साथ ही, यहाँ यह बात भी काफी हद तक ध्यान देने वाली है कि यदि ये दोनों पार्टियाँ, इस चुनाव में गलत स्टैण्ड नहीं अपनाती तो फिर हमारी पार्टी को यहाँ सत्ता में आने से कोई भी ताकत नहीं रोक सकती थी। क्योंकि हमारी पार्टी को इस बार के चुनाव में सपा से लगभग पौने तीन प्रतिशत वोट ही केवल कम मिले हैं।
और इतना ही नहीं बल्किी इस बार हमारी पार्टी को यहाँ सन्् 2007 में पिछले हुये वि.सभा आमचुनाव की तुलना में भी पहले से ज्यादा वोट प्राप्त हुये हैं। इसलिये हमारी पार्टी के बारे में यह कहना कतई भी उचित नहीं होगा कि हमारी पार्टी इस बार अपनी सरकार की कमियों की वजह से ही यहाँ फिर से सत्ता में वापिस नहीं आ सकी है।
इन सब जरूरी बातों के साथ-साथ अब मैं आप लोगों का ध्यान, उत्तर प्रदेश में सपा सरकार के बनते ही यहाँ प्रदेश की ‘‘अति दयनीय व खराब बनी कानून-व्यवस्था’’ की स्थिति की तरफ भी जरूर दिलाना चाहती हूँ, जिसके कारण प्रदेश में हर रोज काफी संख्या में हत्यायें दिन-दहाड़े हो रही हैं, इसके अलावा, इस सरकार में आयेदिन हमारी बहन, बेटियों व मासूम बच्चियों की भी बड़ी संख्या में इज्जत-आबरू लूटी जा रही हैं। हफ्ता वसूली भी अब प्रदेश में खुलेआम शुरू हो गयी है। सभी छोटे-बडे़ कारोबारी लोग भी अब हमें यहाँ सुरक्षित नजर नहीं आ रहे हैं, लगातार अपहरण की भी घटनायें काफी ज्यादा बढ़ रही हैं।
इसके साथ ही प्रदेश में, खासतौर से दलित वर्ग के लोगों का तो इस सपा सरकार में यहाँ सबसे ज्यादा बुरा हाल बना हुआ है और इन्हें इस सरकार में न्याय मिलना तो बहुत दूर की बात रही है बल्किी इनके साथ रोजाना बड़े-पैमाने पर हो रही जुल्म-ज्यादती की रिपोर्ट (FIR) तक भी अब थानों में नहीं लिखी जा रही है। इसके साथ-साथ इन लोगों को मेरी सरकार में खेती करने के लिये जो भी सरकारी जमीन ‘‘फ्री’’ दी गयी थी। उस पर भी ज्यादातर सपा के गुण्डों, माफियाओं व दबंग लोगों ने ही कब्जा कर लिया है और इसके साथ ही पिछले दो महीनों के अन्दर, यहाँ दलित वर्ग के ‘‘लगभग 2000 (दो हजार)’’ के करीब छोटे-बड़े अधिकारी भी छांट-छांट कर ज्यादातर महत्वहीन पदों पर भेज दिये गये हैं। इतना ही नहीं बल्किी, प्रदेश में किन्हीं कारणवश लगभग सभी विभागों की बड़ी संख्या में की जा रही जांच की आड़ में भी ज्यादातर इन्हीं दलित वर्गों के कर्मचारियों व अधिकारियों को ही चुन-चुनकर कर निशाना बनाया जा रहा है।
इस प्रकार, प्रदेश में, इस वर्तमान सपा सरकार के दौरान लगभग दो महीनों के अन्दर ही यहाँ एक तरफ तो विकास के कार्याें की अधिकतर गति रूक गई है, तो वहीं दूसरी तरफ यहाँ ‘‘कानून-व्यवस्था’’ की स्थिति भी इतनी ज्यादा बिगड़ चुकी है कि अब यहाँ आम आदमी घर से बाहर निकलते समय सौ बार यह सोचता है कि क्या वह जीवित अपने घर में वापिस लौटेगा भी या नहीं और इसके साथ ही अब प्रदेश में लगभग हर माँ अपने बच्चों को व हर बहिन अपने भाई को तथा हर पत्नी अपने पति को किसी भी कार्य के लिये, घर से बाहर भेजते समय, उन्हें बार-बार एक ही बात कहती हुई हमें ज्यादातर नजर आती हैं कि इन्हें हर हालत में दिन-छिपे से पहले ही अपने घरों में वापिस लौट आना चाहिये। वर््ना इनके परिवार के लोग रातभर चैन से सो नहीं पायेंगे।
इसके अलावा प्रदेश में ‘‘शहरों, कस्बों व गाँवों’’ के भी लगभग सभी माफिया व अपराधिक तत्व जो मेरी सरकार के समय में अधिकतर जेल में बन्द थे। अब वे भी इस सपा सरकार में जेलों से बाहर आकर यहाँ ‘चोरी, डकैती, फिरौती, लूटमार, अपहरण, हत्या, बलात्कार’’ आदि इन गलत कार्यों में लिप्त हो गये हैं और इन सबको सपा सरकार का खुलेआम संरक्षण मिलने की वजह से ही अब यहाँ पुलिस भी इनके खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं कर पा रही है। अर्थात अब पुलिस व प्रशासन के अधिकारी भी ज्यादातर मूक दर्शक बनकर ही मजबूरी में ये सब गलत कार्य अपनी आँखों के सामने होते हुये देख रहे हैं।
इतना ही नहीं बल्किी अब प्रदेश की जनता मीडिया व अन्य सूत्रों के माध्यम से यह सब जानकारी भी रख रही है कि जहाँ पिछले 60 वर्षों में से इस दो माह की सपा सरकार ने प्रदेश में यहाँ एक तरफ तो कर्मचारियों व अधिकारियों के सबसे अधिक तबादले करने का रिकार्ड बनाया है, तो वहीं दूसरी तरफ, यहाँ दो माह के अन्दर ही इस सरकार ने सबसे अधिक गुण्डागर्दी व गैर-कानूनी कार्य करवाने का भी ऐतिहासिक रिकार्ड बनाया है। अर्थात प्रदेश की वर्तमान सपा सरकार में कल कुछ चैनलों से मिली रिपोर्ट के मुताबिक यहाँ दो महीनों के अन्दर ही लगभग 800 हत्यायें, 270 बलात्कार, 245 डकैतियाँ, 256 अपहरण व 720 लूट की वारदातें घटित हो चुकी हंै और प्रदेश में अपराध के घटित ये आॅकड़े केवल वो हंै, जो प्रकाश में आ चुके हैं तथा जिनकी थानों में थ्प्त् भी दर्ज हो चुकी है। इसके अलावा इसी ही अवधि में इन सब अपराधों की लगभग इतनी ही संख्या और भी होगी, जिनके मामले, सरकार के दबाव में आकर ज्यादातर दबा दिये गये हैं और अब इससे आप लोग आगे के लिये भी इस बात का काफी हद तक यह अनुमान लगा सकते है कि इस सरकार की पूरे पांच वर्षों की अवधि पूरी होने तक यहाँ अपने उ.प्र. का हर मामले में व हर स्तर पर कितना ज्यादा बुरा हाल होने वाला है।
और यही मुख्य वजह है कि अभी से ही अब यह सरकार अपनी इन्हीं सभी कमजोरियों (कमियों) की तरफ से यहाँ की जनता का ध्यान हटाने के खास मकसद से ही मेरी सरकार के समय के सभी छोटे-बड़े कार्यों की जबरदस्ती जांच करवाने में युद्धस्तर पर लगी हुई है और जिसकी रोजाना मीडिया में भी च्नइसपबपजल थोक के भाव करवायी जा रही है। जबकि इस सन्दर्भ में, मैंने पिछले महीने दिनांक 15 अप्रैल सन्् 2012 को आगरा में बाबा साहेब डा. अम्बेडकर की जयन्ती के मौके पर साफतौर से यह कहा था कि यदि प्रदेश की वर्तमान सपा सरकार, मेरी सरकार के समय के किसी भी कार्य की, राजनैतिक व जातिगत द्वेष की भावना को त्यागकर उसकी ईमानदारी व साफ नियत से, प्रदेश एवं जनहित में जांच करवाती है, तो इसका हमारी पार्टी को कोई भी एतराज नहीं होगा। लेकिन इस मामले में, हमें ऐसा कुछ होता हुआ नजर नहीं आ रहा है और इतना ही नहीं बल्किी इस बारे में, प्रदेश के अन्दर ज्यादातर दबी हुई जुबान में, अब इस बात की भी चर्चा, यहाँ काफी ‘‘जोरों’’ से होने लगी है कि वर्तमान सपा सरकार में, अब इस पार्टी के जिम्मेवार व प्रभावशाली लोगों ने, जांच कराने की आड़ में अपने राजनैतिक स्वार्थ के साथ-साथ, यहाँ जांच में फंसाये जा रहे, अधिकांश लोगों को ‘‘डरा-धमकाकर’’ उनसे बड़े-पैमाने पर धन की उगाई करने का भी यह एक नया धन्धा, अब यहाँ काफी जोरों से शुरू हो गया है। इसके साथ-साथ, खासतौर से ‘‘भ्रष्टाचार’’ के सम्बन्ध में यहाँ मैं यह भी कहना चाहती हूँ कि उ.प्र. में जब हमारी पार्टी की सरकार बनी थी, तो तब हमें पूर्व की सरकारों की शह व उनकी मिली-भगत के कारण यहाँ हर स्तर पर सरकारी व गैर-सरकारी विभागों में बड़े-पैमाने पर फैला हुआ भ्रष्टाचार हमें विरासत में मिला था, जिसकों सुधारने में व ठीक करने में, हमारी पार्टी को अपनी सभी सरकारों के दौरान काफी सख्त कदम उठाने पड़े हैं और इसी के चलते ही मैंने अपनी सरकार के कुछ मन्त्रियों, विधायकों व अधिकारियों तक के भी खिलाफ काफी सख्त से सख्त कार्यवाही की है।
लेकिन इसके स्थान पर अब वर्तमान सपा सरकार इसकी आड़ में अपने राजनैतिक व अन्य और फायदों के लिये जान-बूझकर जो घिनौनी राजनीति कर रही है, तो इससे इस पार्टी को कोई ज्यादा लाभ मिलने वाला नहीं है। क्योंकि प्रदेश की जनता इस मामले में भी सपा सरकार की हर गतिविधि पर अपनी पैनी नजर रखे हुये है और इतना ही नहीं बल्किी हमारी पार्टी, वर्तमान सपा सरकार की इन सभी गतिविधियों को देखकर, यह सोच कर चल रही थी कि प्रदेश की जनता ने गुमराह होकर सपा को जो यहाँ सत्ता में बैठा दिया है, इसका पश्चाताप इनको एक वर्ष के अन्दर-अन्दर जरूर हो जायेगा। लेकिन इस मामले में यहाँ खास ध्यान देने की बात यह है कि प्रदेश की जनता को एक साल की वजाय अब इन्हें 2 महीने के अन्दर ही अपनी इस बहुत बड़ी गलती का पश्चाताप (एहसास) हो गया है और यह सब यहाँ इतना जल्दी इसलिये हो गया है। क्योंकि आज पूरे उ.प्र. में हालत यह है कि यहाँ प्रदेश की सड़कों पर चलने वाली जिन गाडि़यों में सपा का झण्डा लगा होता है, तो उसे प्रदेश की जनता ज्यादातर यही मानकर चलती है। इनके लिये यह झण्डा हर गलत कार्य करने का एक बहुत बड़ा ‘‘लाईसेन्स’’ है।
और इससे यहाँ के आम लोग तो दहशत में होते ही हैं। लेकिन इनके साथ ही, यहाँ सरकारी कर्मचारी व अधिकारी एवं पुलिसकर्मी भी इनको कानून का सबक सिखाने में काफी डरते हैं अथवा कतराते हैं।
क्योंकि ऐसे गलत लोगों को यहाँ सपा सरकार का गैर-कानूनी संरक्षण प्राप्त है। इसके अलावा जहाँ तक प्रदेश में ‘‘राजनीतिक उत्पीड़न, शोषण व हत्या’’ आदि होने का सवाल है तो इस मामले में खासकर सपा सरकार द्वारा यहाँ प्रदेश में अधिकतर बी.एस.पी. के लोगों को ही निशाना बनाया जा रहा है, जिसमें ज्यादातर दलित वर्गों के लोगों को ही चुन-चुनकर प्रताडि़त किया जा रहा है।
और इस मामले में सबसे ज्यादा खतरनाक व चिन्ता की बात यह है कि यहाँ अपराध की ज्यादातर घटनाओं को इस सपा सरकार द्वारा साम, दाम, दण्ड, भेद आदि अनेकों हथकण्डों का इस्तेमाल करके, इन्हें प्रकाश में भी आने नहीं दिया जाता है और इसके साथ ही यहाँ, यह भी कहना गलत नहीं होगा कि इसके लिये मीडिया तक को भी काफी हद तक ’’मैनेज’’ कर लिया गया है।
जबकि इस सरकार से पूर्व मेरे नेतृत्व में चली बी.एस.पी. की सरकार ने उत्तर प्रदेश में हर मामले में व हर स्तर पर ’’कानून द्वारा कानून का राज’’ स्थापित करने के लिये, यहाँ बिना किसी राजनैतिक भेदभाव व पक्षपात के, गुण्डों, माफियाओं, डकैतों एवं अन्य असामाजिक तत्वों के खिलाफ काफी सख्त कानूनी कार्यवाही करते हुये, बड़ी संख्या में ऐसे लोगों को जेलों की सलाखों के पीछे भेजा था, जिस पर सपा ने उस समय, इसे ’’अपनी पार्टी के लोगों का उत्पीड़न’’ होने की संज्ञा दी थी। परन्तु आज सपा सरकार में तो विशुद्ध रूप से बी.एस.पी. के भोले-भाले व निर्दोष लोगों के खिलाफ राजनैतिक दुर्भावाना के तहत, उत्पीड़न व हत्या की कार्यवाही की जा रही है, जो यहाँ अत्यन्त चिन्ता की बात तो है ही, बल्किी इसके साथ ही यह हमारे ’’सामाजिक परिवर्तन‘‘ को भी दर्शाता है कि बी.एस.पी. के शासनकाल में सर्वसमाज में से गरीब, दलित एवं अन्य उपेक्षित वर्गो के लोगों का वास्तव में ’’स-शक्तिकरण’’ (सशक्तिकरण) हुआ है। जिस कारण, उन्हें दबाने के लिये अब सपा सरकार को यहाँ प्रदेश में अपनी पूरी शक्ति लगानी पड़ रही है।
अन्त में, इन सब बातों को मध्यनजर रखते हुये अब मेरा उ.प्र. की वर्तमान सपा सरकार के बारे में यही कहना है कि यदि यह सरकार जैसे-तैसे करके यहाँ पूरे पांच साल तक चल भी जाती है, तो फिर इन पांच वर्षों की अवधि मंे, अपना यह उ.प्र. हर मामले में पिछड़कर, कई वर्षों पीछे चला जायेगा।
इन्हीं कुछ जरूरी बातों की जानकारी देने के लिये ही मैंने आज की यह प्रेस कान्फ्रेस बुलायी है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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