समाजवादी पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता राजेन्द्र चैधरी ने कहा है कि बसपा सुप्रीमों सुश्री मायावती की आज दिल्ली में एक नायाब और अभूतपूर्व प्रेस कांफ्रेस हुई। पहले तो काफी देर तक वे अपनी विद्वत्ता का बखान करती रही और बताती रही कि वे इसमें दूसरों की मदद नहीं लेती हैं। इस बात पर जोर देते हुए वे अपने लिखित बयान के पन्ने पर पन्ने पलटती दिखाई दीं और अपने लिखे को पढ़ने में कई बार अटकीं भी। फिर वे अम्बेडकरवाद और गांधीवाद का फर्क बताने में लग गई और गांधीवादी सोच की निन्दा करने लगी। प्रेस कांफ्रेस में इस सबका संदर्भ कोई नहीं समझ पाया।
बसपा की पूर्व मुख्यमंत्री इसके बाद श्री अखिलेश यादव के नेतृत्ववाली समाजवादी पार्टी की सरकार पर अनापशनाप आरोप मढ़ने लगीं। उनके बयान से तो एक बारगी यही एहसास हुआ कि वे अपनी ही सरकार के कार्यकाल की रिपोर्ट को ही पढ़ गई है। अपराध, हत्या, लूट, बलात्कार, वसूली की बात करते समय वे भूल गईं कि उनके आधा दर्जन से ऊपर मंत्री- विधायक इन्हीं करतूतों के चलते आज भी जेल की हवा खा रहे हैं। भ्रष्टाचार में उनकी सरकार के कितने ही मंत्री लोकायुक्त की जांच में दोषसिद्ध हो चुके हैं। उनके जमाने के घोटालों की जांच सीबीआई कर रही है और उसकी जांच की आंच उनके पास तक पहुॅच रही है। जनधन की लूट में उन्होने रिकार्ड बना लिया है।
सुश्री मायावती के मुख्यमंत्रित्वकाल में टंªासफर-पोस्टिंग एक धंधा बन गया था। उन्होने प्रशासन को पंगु बना दिया था। समाजवादी पार्टी की सरकार में प्रशासनिक व्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए जो टंªासफर हो रहे हैं उनसे उन्हें पता नहीं क्यों परेशानी हो रही है? बसपा का झण्डा लगाकर वसूली करनेवाले और विपक्षी नेता का घर जलानेवाले उन्हें निर्दोष और भोलेभाले लगते हैं। समाजवादी पार्टी की दो माह की सरकार में ही उन्हें विकास की गति रूकने और कानून व्यवस्था के बिगड़ने का भ्ूात सता रहा है जबकि अपने पांच साल में बसपा सुप्रीमों ने कानून और संविधान दोनों को ताक पर रख दिया था। पार्को, स्मारकों और अपनी मूर्तियों तक में कमीशन बटोरने वाली बसपा मुख्यमंत्री बिजली सड़क, पानी की गिनती विकास कार्यो में नहीं करती थी। समाजवादी पार्टी के सभी चुनावी वायदे अभी दो माह में ही पूरे किए जाने की उनकी मांग भी अजीबोंगरीब है। समाजवादी पार्टी सरकार पर तमाम तोहमतें लादकर वे बस “उल्टा चोर कोतवाल को डांटे“ वाली कहावत चरितार्थ कर रही है।
बसपाइयों को खासकर समाजवादी पार्टी और मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का इसलिए अनुग्रहीत होना चाहिए कि उन्होने प्रदेश में लोकतंत्र को बहाल कर बसपा सुप्रीमों को भी अपनी तानाशाही छोड़ने को मजबूर कर दिया है। अब तक महारानी की तरह सुश्री मायावती प्रेस कांफ्रेस में आती थी। सवाल जवाब की पूरी तरह मनाही थी। पत्रकारों को उन्होने कभी सम्मान नहीं दिया और मीडिया को भी बराबर सरकारी दबाव में रखती थी। आज की प्रेस कांफ्रेस में वे अपना लिखित बयान पढ़ने के बाद पत्रकारों से स्वयं प्रश्न पूछने के लिए कह रही थी।
काशं, पूर्व मुख्यमंत्री जनादेश के समक्ष नतमस्तक होने की लोकतंत्री व्यवस्था को भी सम्मान देना सीख लेती। मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव प्रदेश को उत्तम प्रदेश बनाने के संकल्प के साथ विकास की दिषा-उसका एजेन्डा तय कर रहे है। विकास केा बसपाराज में विनाश बना दिया गया था। प्रदेश की अर्थव्यवस्था बिगड़ गई थी। उस सबको पटरी पर लाने का जो काम श्री अखिलेश यादव कर रहे है, उसकी प्रशंसा करना भी सुश्री मायावती को सीखना चाहिए।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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