उत्तर प्रदेश की मुख्यमन्त्री सुश्री मायावती ने दिनांक 26 मई को विधान परिषद का पर्चा दाखिल करने के साथ अपनी सम्पत्ति का जो ब्योरा दिया था उसको लेकर मीडिया में बयान देने वाले विरोधी पार्टियों के नेताओं को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि दुर्भाग्य पूर्ण स्थिति तो यह है कि ऐसे लोग प्रतिक्रियायें दे रहे जो खुद खरबों की बेनामी सम्पत्तियों के मालिक बने हुये हैं, और ऐसे लोगों को अपना मुह खोलने से पहले अपने गिरेबान में झांककर देखना चाहिए था।
सुश्री मायावती ने आज यहां जारी एक प्रेस विज्ञप्ति मे कहा कि वह सदैव से पारदर्शी रहीं हैं और उन्होंने अपने शपथ पत्र में अपनी सम्पत्ति का ईमानदारी से पूरा ब्योरा दिया है और वह भारत सरकार के आयकर विभाग को इन सम्पत्ति के श्रोतो की भी पूरी जानकारी समय-समय पर नियमित रूप से देती रहीं हैं। ऐसी स्थिति में विरोधी दलो के नेताओं द्वारा मेरी सम्पत्ति को लेकर किसी भी प्रकार का प्रश्न उठाना न केवल हास्यास्पद है बल्कि यह भी प्रदर्शित करता है कि अपनी खोयी राजनीतिक जमीन पाने के लिए यह दल और उसके नेता किस सीमा तक गिर गये हैं।
बी.एस.पी. की राष्ट्रीय अध्यक्ष व प्रदेश की मुख्यमन्त्री बहन कुमारी मायावती जी ने आज देश में सभी पार्टियों के मुखियाओं व वरिष्ठ पदाधिकारियों एवं नेताओं को राजनीति में आने से पहले और आने के बाद अपनी पूरी चल व अचल सम्पत्ति का खुलासा करने की चुनौती देते हुए कहा कि सभी पार्टियों के मुखियाओं व अन्य वरिष्ठ पदाधिकारियों एवं नेताओं को राजनीति में आने से पहले और उसके बाद किन-किन स्रोतों से इन्होंने सम्पत्ति बनाई है, उनका भी देश की जनता के समक्ष खुलासा करना चाहिए।
मुख्यमन्त्री जी ने कहा कि विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं को भी चाहिए कि वह जनता के सामने अपने द्वारा अर्जित की गई समस्त सम्पत्तियों का ईमानदारी से खुलासा करे क्योंकि आज की स्थिति में आमतौर पर राजनीतिक दलो के प्रमुख एवं उनके वरिष्ठ पदाधिकारी व नेता, खरबों की बेनामी सम्पत्ति के मालिक होने के बाद भी केवल कुछ ही सम्पत्ति का खुलासा जनता के सामने करते हैं क्योंकि उन्हें मालूम है कि उनके पास वर्तमान में जमा सम्पत्ति का खुलासा हो जाने पर इन जमा सम्पत्ति के श्रोतो के बारे में बता पाने की स्थिति में यह लोग कदापि नहीं है क्योकि ऐसे नेता कम्पनियों में शेयर एवं अन्य रास्तों के जरिये ही अकूत सम्पत्ति के मालिक बन बैठे है।
उन्होने आगे कहा कि यह कौन नहीं जानता कि समाजवादी पार्टी के मुखिया श्री मुलायम सिंह यादव जब राजनीति में आये तो उनके पास कुछ बीघे जमीन और एक साइकिल के अलावा कुछ भी नहीं था। लेकिन अपने राजनीतिक सफर के दौरान श्री मुलायम सिंह यादव एवं उनके नजदीकी रिश्तेदार आज भारी-भरकम नामी एवं बेनामी सम्पत्ति के मालिक बन बैठे हैं, जिसका खुलासा श्री विश्वनाथ चतुर्वेदी द्वारा माननीय सर्वोच्च न्यायालय में दाखिल की गई एक जनहित याचिका में किया गया है जो मामला अभी भी माननीय सर्वोंच्च न्यायालय में लिम्बत है और सही मायने में श्री मुलायम सिंह यादव एवं उनके नजदीकी रिश्तेदारों की इस रिट याचिका में विर्णत की गई सभी सम्पत्तियों की जांच सी.बी.आई. द्वारा की जानी चाहिये। जिससे बचने के लिए आज कल श्री मुलायम सिंह यादव केन्द्र सरकार में शामिल होने के लिए आयेदिन यू.पी.ए. की चेयरपरसन एवं कांग्रेस पार्टी के अन्य वरिष्ठ पदाधिकारियों एवं नेताओं के चक्कर काट रहे हैं और उनकी जी-हजूरी करने में लगे हुये हैं।
लगभग यही स्थिति विभिन्न राजनीतिक दलों के मुखियाओं, पदाधिकारियों एवं वरिष्ठ नेताओं की भी आम तौर से देखने के लिए मिलती है, जिनके पास राजनीति में प्रवेश करने के पहले आज की तुलना में कुछ भी नहीं था। लेकिन राजनीति में आने के बाद आज वे लोग बड़े-बड़े उद्योगों के मालिक बन बैठे हैं ओर उनके नाम आज दर्ज बेनामी सम्पत्तियों की तो कोई सीमा ही नहीं है, जिसके बारे में आम जनता बखूबी जानती है। ऐसे नेता जब मेरे द्वारा ईमानदारी एवं पारदर्शी ढंग से अपनी सम्पत्ति की घोषणा करने पर बयानबाजी करते हैं तो ´´उल्टा चोर कोतवाल को डाटें´´ कहावत चरितार्थ हो जाती है।
सुश्री मायावती ने सवाल पूछते हुये कहा कि आखिर देश में काली कमाई के बल पर राजनीति चलाने का धन्धा क्या देश के हित में है। उन्होने साफ तौर पर कहा कि चाहे एन0डी0ए0 हो या यू0पी0ए0 हो चुनाव के दौरान इन गठबन्धनों के नेताओं ने जोर शोर से विदेशों मे जमा देश का काला धन वापस लाने की बात कही थी। लेकिन लोक सभा के चुनाव के खत्म होते ही इन दोनो गठबन्धनों के नेतागण विदेशों से काला धन वापस लाने की बात को पूरी तरह से खामोश हो गये हैं।
लेकिन इसके साथ ही यहां यह सवाल उठता है कि उन लोगों का “काला चेहरा“ देश की जनता के सामने क्यों नहीं उजागर किया जाता है जो न केवल अपनी सम्पत्ति का ब्योरा छिपा कर “टैक्स“ की चोरी करते हैं, तथा अपना पैसा “विदेशी बैंकों“ में जमा कर देश के प्रति जघन्य “अपराध“ का काम करते हैं।
मुख्यमन्त्री जी ने मांग की कि अभी कुछ समय पहले जर्मन सरकार द्वारा जिन लगभग 50 “सफेद पोशों“ का काला धन जर्मनी के बैंकों में जमा है, उनकी सूची भारत सरकार को सौंपी गई है, उनके नाम तत्काल“सार्वजनिक“ किये जाये, तथा सख्त कदम उठाये जायें। इसी तरह अन्य देशों में भी इसी तरह काला धन जमा करने वाले लोगों का नाम भी उजागर किया जाना चाहिए और अन्य देशों से भी अपने देश के धन को वापस लाने के लिए सख्त से सख्त कदम उठाया जाना चाहिए।
सुश्री मायावती ने आगे कहा कि लोक सभा चुनाव के दौरान उन्होंने साफ तौर पर कहा था कि यदि बसपा केन्द्र में सत्ता में आती है तो देश का विदेशों में जमा सारा धन तुरन्त वापस लाया जायेगा और इसके लिये सख्त से सख्त कदम उठाये जायेंगे। उन्होने कहा कि विभिन्न प्रमुख राजनीतिक नेताओं की तरह उनका कोई भी धन ना तो कम्पनियों के शेयरों में लगा हुआ है और न ही विदेशी बैकों में उनका कोई पैसा है, क्योंकि वह अन्य लोगो की तरह काली कमाई को सफेद करने में विश्वास नहीं रखती और उनके पास जो भी सम्पत्ति है उसका साफ तौर पर जनता के सामने खुलासा कर देती हैं ।
अन्त में उन्होने कहा कि उनके द्वारा अपनी सम्पत्ति का पूरा ब्योरा ईमानदारी से रख दिये जाने के बाद विरोधी पार्टियों के कतिपय नेताओ द्वारा दिये गये बयान यह साफ करते है कि वह एक दलित की बेटी को राजनीति के क्षेत्र में आगे बढता हुआ नहीं देख सकते जो साफ तौर पर उनकी दूषित जातिगत मानसिकता को भी दर्शाता है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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