समितियों की कार्यकारिणी का कार्यकाल 6 वर्ष के लिए निर्धारित
सामान्य सभा द्वारा निर्वाचित सदस्य अपने में से ही पदाधिकारियों का चुनाव करेंगे
उत्तर प्रदेश मन्त्रिपरिषद ने बाई सकुZलेशन द्वारा उत्तर प्रदेश सहभागी सिंचाई प्रबंधन नियामावली 2010 को मंजूरी प्रदान कर दी है। प्रस्तावित नियमावली गजट में प्रकाशित होने के दिन से प्रवृत्त होगी। ज्ञातव्य है कि राज्य जल नीति-1999 में राज्य सरकार द्वारा संकल्प लिया गया था कि सिंचाई प्रबंधन में कृषकों की सहभागिता सुनिश्चित की जायेगी। जल नीति के संकल्प को कार्यरुप देने के दृष्टिगत उ0प्र0 सहभागी सिंचाई प्रबंधन अधिनियम-2009 को 20 फरवरी, 2009 में अधिसूचित किया गया था। इसमें प्राविधान किया गया कि नहरों के कुलाबा, अल्पिका, राजवाहा, शाखा एवं परियोजना आदि के स्तर पर जल उपभोक्ता समितियों का गठन कृषकों द्वारा किया जायेगा। इस प्रकार गठित जल उपभोक्ता समितियों की सहभागिता सिंचाई प्रबंधन के प्रत्येक स्तर एवं सिंचाई प्रबंधन के विभिन्न पहलुओं पर की जायेगी। अधिनियम की धारा 51 के अन्तर्गत राज्य सरकार को नियमावली बनाने की शक्ति प्रदान की गई है। जिसके तहत मन्त्रिपरिषद ने उत्तर प्रदेश सहभागी सिंचाई प्रबंधन नियमावली 2010 को मंजूरी दी।
नियमावली में समितियों की कार्यकारिणी का कार्यकाल 6 वर्ष के लिए रखा गया है परन्तु कार्यकारिणी के पदाधिकारियों (अध्यक्ष, सचिव एवं कोषाध्यक्ष) का कार्यकाल 2 वर्ष रखा गया है। प्रत्येक 2 वर्ष बाद कार्यकारिणी के सदस्य, पदाधिकारियों को बदल सकते है अथवा उन्हीं को पुन: रख सकते है। कार्यकारिणी के सदस्यों का निर्वाचन सामान्य सभा द्वारा किया जायेगा। निर्वाचित सदस्य अपने में से ही पदाधिकारियों का चुनाव अपनी प्रथम बैठक में कैनाल अधिकारी की उपस्थिति में करेगें। जल उपभोक्ता समितियों को प्रशिक्षण उनका अनुश्रवण एवं मूल्यांकन तथा अन्य आवश्यकताओं हेतु सिंचाई विभाग के प्रत्येकस्तर पर सहभागी सिंचाई प्रबंधन प्रकोष्ठ के गठन का प्राविधान किया गया है। सींच दर्ज करने का कार्य सिंचाई विभाग के कर्मी तथा जल उपभोक्ता समिति द्वारा संयुक्त रुप से किये जाने का प्राविधान नियमावली में है।
नियमावली में यह भी व्यवस्था की गई है कि अल्पिका समिति सिंचाई शुल्क वसूल कर कैनाल अधिकारी के माध्यम से राज्य के कोषागार में जमा करायेगी। राज्य सरकार द्वारा वसूली गई राशि का 60 प्रतिशत अंश सम्बंधित जल उपभोक्ता समिति को बजट के माध्यम से वापस करेगी। समिति के सामान्य सभा द्वारा अपने पदाधिकारियों को मानदेय देने का प्राविधान किया गया है। नियमावली में समिति द्वारा अल्पिका एवं राजवाहा के सिविल कार्य, अनुरक्षण एवं मरम्मत आदि कार्य में अपनायी जाने वाली प्रक्रिया निर्धारित की गई है। अल्पिका एवं राजवाहा का प्रबंधन समितियों को हस्तान्तरण करने हेतु अनुबंध की शर्तो का विवरण नियमावली में दिया गया है। समिति के कार्यकारिणी के सदस्यों की निर्वाचन प्रक्रिया, जल उपभोक्ता समिति द्वारा कृषको के मध्य जल वितरण हेतु वारबन्दी बनाये जाने तथा उसके क्रियान्वयन की व्यवस्था भी की गई है। नियमावली में समिति द्वारा जल बजट एवं जल लेखा तैयार किये जाने की व्यवस्था की गई है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
upnewslive.com