उ0प्र0 सरकार द्वारा मनरेगा के अन्तर्गत हुए घपले और घोटालों के आरोप में प्रदेश के 29जिलों में 40मामले दर्ज करवाने, 42अधिकारियों को निलंबित करने, 69 कर्मचारियों के खिलाफ विभागीय जांच और 51कर्मचारियों की गोपनीय रिपोटोZं में बैड इण्ट्री करने के फैसले से केन्द्र सरकार की इस महत्वपूर्ण योजना में लगातार गम्भीर भ्रष्टाचार होने के उ0प्र0 कंाग्रेस कमेटी द्वारा लगाये जा रहे आरोपों की पुष्टि हो गई है।
उ0प्र0 कंाग्रेस कमेटी के मुख्य प्रवक्ता सुबोध श्रीवास्तव ने आज यहां जारी बयान में कहा कि कंाग्रेस पार्टी सप्रमाण कई जिलों में इस योजना के अन्तर्गत हो रहे भ्रष्टाचार का पर्दाफाश करती रही है। गोण्डा, बलरामपुर में 50लाख के खिलौने, 2करोड़ का टेण्ट, 45लाख के कैलेण्डर छपवाने का, महोबा में 45लाख का टेण्ट लगवाने का, कानपुर देहात में 2.5करोड़ के हाईब्रिड बीज और लोहे की बेंच और इसी प्रकार सुलतानपुर, चित्रकूट एवं मथुरा में फर्जी एन.जी.ओ. को धन देने के अलावा लखीमपुर सहित कई अन्य जिलों में भी सप्रमाण भ्रष्टाचार को उजागर किया गया, परन्तु प्रदेश सरकार सदैव अपने को पाक-साफ बताती रही।
मुख्य प्रवक्ता ने कहाकि विगत दिनों केन्द्रीय ग्रामीण विकास मन्त्रालय द्वारा प्रदेश के प्रमुख सचिव ग्राम्य विकास को पत्र भेजकर यह हिदायत दी गई थी कि उ0प्र0 को मनरेगा का अगले वित्त वर्ष का बजट तभी दिया जायेगा जब इन घपलों, घोटालों पर कृत कार्यवाही रिपोर्ट(एक्शन टेकेन रिपोर्ट) केन्द्र सरकार को प्राप्त होगी। लगता है केन्द्र सरकार के इसी पत्र के कारण ही राज्य सरकार को अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही करने के लिए विवश होना पड़ा। जबकि मनरेगा में धांधली, भ्रष्टाचार का कारोबार विगत 3 सालों से लगातार चल रहा है।
श्री श्रीवास्तव ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा की गई कार्यवाही वस्तुत: समुद्र में एक बून्द के समान है। मनरेगा सहित सभी केन्द्रीय योजनाओं में जो भ्रष्टाचार और धांधली हो रही है इसमें केवल कर्मचारी ही नहीं वरन बड़े-बड़े बसपा के नेताओं की भी हिस्सेदारी है।
मुख्य प्रवक्ता ने कहा कि यद्यपि यह देर से की गई अत्यन्त सूक्ष्म स्तर की कार्यवाही है परन्तु फिर भी मनरेगा की योजनाओं में व्यापक धांधली की स्वीकारोक्ति के बाद उ0प्र0 के ग्रामीण विकास मन्त्री को अविलम्ब इस्तीफा दे देना चाहिए।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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