उत्तर प्रदेष के मुख्यमंत्री द्वारा हू-द सुफिज आॅफ अवध के पाँचवें संस्करण का विमोचन होगा।
आशा दीक्षित (दिल्ली), चाँद निजामी और साथी (दिल्ली), मर्कन डेडे (इस्तांबुल) और सफकत अली खान के साथ मालिनी अवस्थी की नजीर अकबराबाड़ी की प्रस्तुति
7 मार्च, 2013
जहान-ए-खुसरो का 12वाँ पर्व हजरत निजामुद्दीन औलिया के 709वीं उर्स के मौके पर दिल्ली में 1, 2, और 3 मार्च को मनाया गया तथा लखनऊ में 8 और 9 मार्च को मनाया जायेगा जो यहाँ की दूसरी पर्व होगी। उत्तर प्रदेश सरकार और रुमि फाउण्डेशन द्वारा प्रस्तुत, फिल्म निर्माता-चित्रकार मुजफ्फर अली के जहान-ए-खुसरो की गूँज एक बार फिर दिलकुश पैलेस के खण्डहरों में सुनाई पड़ेगी। यह पर्व रहस्यवाद की कविताओं में आत्मिक संगीत व ईश्वरीय नृत्य की शैली में प्रस्तुत किया जायेगा।
समारोह में रहस्यवादी संगीत की मधुरता और वर्तमान पीढ़ी के बीच लगातार चल रहे संवाद की भी झलक दिखायी देगी। इस वर्ष जहान-ए-खुसरो में भाग ले रहे कलाकार एक नये रूप में रहस्यवाद की प्रस्तुती करेंगे।
मालिनी अवस्थी (लखनऊ), आशा दीक्षित (दिल्ली), चाँद निजामी और साथी (दिल्ली), मर्कन डेडे (इस्तांबुल) और सफकत अली खान (लाहौर) के साथ नजीर अकबराबाड़ी पेश करेंगी।
जहान-ए-खुसरो में हर वर्ष सूफी रहस्यवाद के गीत एक नये रूप में पेश किए जाते हैं। पिछले वर्षों में जहान-ए-खुसरो दिल्ली, लन्दन, बाॅस्टन, जयपुर, श्रीनगर और लखनऊ में आयोजित किया गया जिसमें दुनिया के अलग-अलग शहरों जैसे-दिल्ली, लखनऊ, जयपुर, हैदराबाद, अजमेर, लाहौर, कराची, ढाका, ताशकन्द, तेहरान, जेरूसलम, राबात, ट्यूनिश, इस्तांबुल, रोम, खारतुम, कैरो, एथेन्स, बर्लिन, टोक्यो, न्यूयाॅर्क और टोरन्टो में सूफी गायकों, नृत्यकों तथा संगीतकारों ने अपने कार्यक्रम प्रस्तुत किए। इस पर्व में शुभा मुदगल, शफकत अली खान, ईला अरूण, सुखविन्दर सिंह, मालविका सर्रूकाई, शुजात हुसैन खान और आबिदा परवीन जैसे महान कलाकारों ने कार्यक्रम प्रस्तुत किए हैं।
फिल्म निर्देशक मुजफ्फर अली जो उत्सव के रचनात्मक निदेशक हैं के अनुसार, ‘‘इस उत्सव के सर्वाधिक महत्वपूर्ण पक्षों में एक पूर्व एवं पश्चिम के बीच की खाई को पाटना और उपस्थित समुदाय को इसकी सर्वव्यापकता व लोकप्रियता की अनुभूति कराना है। साथ ही उत्सव में भाग लेने वालों, पर्यटकों, निगमित संगठनों तथा स्थानीय निवासियों को सूफी संगीत के माध्यम से आकर्षित करना है।’’
जहान-ए-खुसरो के इस मौके पर रुमि फाउण्डेशन ने प्रेम और समर्पण के संदेश से ओत-प्रोत कविताओं का एक प्रकाशन ’’हू-दी सूफी वे’’ भी जारी किया। यह प्रकाशन विश्व में अपनी तरह का अकेला है और इसमें एक आत्मा और सहअस्त्वि के विश्वव्यापी संदेश की विश्व में प्रशंसा की गई है।
अब तक के संस्करण:
पहला संस्करण भारत में बहु-संस्कृति अथवा अनेकता की पहचान कराने वाले महान सूफी कवि - संत हजरत अमीर खुसरो की याद में जारी किया गया। दूसरा संस्करण मेवलाना जलालुद्दीन रुमि की 800वीं जन्मतिथि के अवसर पर जारी हुआ। जलालुद्दीन रुमि विश्व के महानतम रहस्यवाद लेखक रहे हैं। यह प्रकाशन कश्मीर के सूफियों और ऋषियों के उन सूफी कवियों को समर्पित है जिन्होंने आपसी मेलजोल वाले समाज के लिए महत्वपूर्ण पृष्ठभूमि तैयार की। पंजाब के सूफियों से संबंधित प्रकाशन अपने पूर्व वैभव और विभाजन से पूर्व पाँच नदियों की पुण्यभूमि प्रस्तुत करती है। इस प्रकाशन में दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक और आध्यात्मिक संबंधों पर प्रकाश डाला गया है।
उत्तर प्रदेश के माननीय मुख्यमंत्री ’’हू-दी सुफीज आॅफ अवध’’ के पाँचवें संस्करण का विमोचन जहान-ए-खुसरो के दौरान 8 मार्च 2013 को करेंगे।
जहान-ए-खुसरोः
यह अन्तर्राष्ट्रीय वार्षिक सूफी संगीत समारोह ’’हृदय के साम्राज्य में’’ के तौर पर नई दिल्ली में 2001 में प्रारम्भ किया गया। रुमि फाउण्डेशन द्वारा प्रस्तुत और फिल्म निर्माता-चित्रकार मुजफ्फर अली द्वारा निर्देशित और डिजायन किया गया जहान-ए-खुसरो देश के सांस्कृतिक कार्यक्रमों नियमित रूप से आयोजित किया जाता है। उत्सव में विश्व भर से सूफी परंपरा के विख्यात कलाकार भाग लेते रहे हैं। यह उभरते गायकों सुफियाना संगीत सहित क्लासिकल और माॅडर्न डान्स कलाकारों को अपनी प्रतिभा दिखाने का अवसर मिलता रहा है। जहान-ए-खुसरो विश्व भर के संगीतप्रेमियों को संगीत से मंत्रमुग्ध करने में अपनी अग्रणी भूमिका निभा रहा है।
निमंत्रण उपलब्ध हैं: यूनिवर्सल बुक डिपो, हजरतगंज और गोमती नगर
रुमि फाउण्डेशन ने डाॅ. मंसूर हसन के संयोजन में एक कार्यदल गठित किया है जिसे मुमताज अली खान, जयन्त कृष्णा, डाॅ. कमर रहमान, परवीन ताल्हा, मालिनी अवस्थी, ज्योति सिन्हा और तारीक खान जैसे योग्य और कर्मठ व्यक्तियों का समर्थन प्राप्त है। दो वर्ष पूर्व गठन के पश्चात इन्होंने जश्न-ए-बेदम, जश्न-ए-वारिस, बाज-ए-दिलबारान और मार्च 2012 में लखनऊ में जश्न-ए-खुसरो के प्रथम उत्सव का आयोजन किया।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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