Archive | May, 2018

शहरी गरीबों के लिए अल्पसंख्यक बाहुल्य क्षेत्रों तथा मलिन बस्तियों में आसरा योजना के आवासों हेतु 1728.084 लाख रुपये की धनराशि स्वीकृत

Posted on 08 May 2018 by admin

लखनऊ: 08 मई, 2018
राज्य सरकार ने शहरी गरीबों के लिए अल्पसंख्यक बाहुल्य क्षेत्रों तथा मलिन बस्तियों में ‘‘आसरा योजना‘‘ (आवासीय भवन) के अंतर्गत वित्तीय वर्ष 2017-18 के परियोजना के कार्यों को पूर्ण करने के लिए प्रथम पांच माह हेतु प्राविधानित धनराशि से परियोजना लागत का 40 प्रतिशत अर्थात 1728.084 लाख रुपये की धनराशि द्वितीय किश्त के रुप में स्वीकृत की है।
नगरीय रोजगार एवं गरीबी उन्मूलन कार्यक्रम विभाग द्वारा उललब्ध कराई गई जानकारी के अनुसार कानपुर नगर के 1500 आवासों के परियोजना की कुल आवासीय लागत 5760.28 लाख रुपये थी, जिसमें सामान्य वर्ग के लाभार्थियों की संख्या 1125 है। इसके अलावा सामान्य वर्ग के लाभार्थियों के लिए परियोजना की कुल आवासीय लागत 4320.21 लाख रुपये है।
शहरी गरीबों के लिए अल्पसंख्यक बाहुल्य क्षेत्रों तथा नगरीय मलिन बस्तियों में आसरा योजना के कार्यों को पूरा करने के लिए 1728.084 लाख रुपये अर्थात 17 करोड़ 28 लाख 8 हजार चार सौ रुपये की द्वितीय किश्त सवीकृत की गई है।

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विधान परिषद के नव-निर्वाचित सदस्यों ने शपथ ली

Posted on 08 May 2018 by admin

लखनऊ: 08 मई, 2018
उत्तर प्रदेश के विधान परिषद के सभापति मा0 श्री रमेश यादव ने आज विधान भवन के राजर्षि पुरुषोत्तमदास टण्डन हाॅल में विधान परिषद के लिए नव-निर्वाचित सदस्यों को शपथ दिलाई।
शपथ ग्रहण करने वालों में सर्वश्री अशोक कटारिया, अशोक धवन, आशीष कुमार सिंह, ठाकुर जयवीर सिंह, बुक्कल नवाब, मोहसिन रजा, यशवंत सिंह, विजय बहादुर, विद्या सागर सोनकर तथा डा0 सरोजनी अग्रवाल शामिल हैं।
अनुपस्थित होने के कारण कुछ मा0 सदस्य शपथ ग्रहण कार्यक्रम में भाग नहीं ले सके। इस अवसर पर प्रदेश मंत्रिमण्डल के वरिष्ठ मंत्रिगण एवं विधायक तथा विधान परिषद के सदस्य मौजूद थे।

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पंडित दीन दयाल सोलर स्ट्रीट लाइट हेतु 12 करेाड़ की राशि स्वीकृत

Posted on 08 May 2018 by admin

लखनऊ: 08 मई, 2018
प्रदेेश सरकार ने चालू वित्तीय वर्ष के लिए पंडित दीन दयाल सोलर लाइट योजना के क्रियान्वयन हेतु 12 करोड़ रुपये की धनराशि की स्वीकृति प्रदान की है।
इस संबंध में जारी शासनादेश में बताया गया है कि स्वीकृत धनराशि का उपयोग निर्धारित प्रयोजन के लिए किया जाएगा। इसके साथ ही अंतर्गत धनराशि के समतुल्य ही कार्य कराया जाएगा। अलग से कोई धनराशि उक्त प्रयोजन के लिए लिए नहीं मिलेगी। कार्य में प्रयोग की जाने वाली सामग्री का क्रय नियमानुसार खरीद नियमों के अंतर्गत ही होगी।
जारी शासनादेश में यह भी प्राविधानित किया गया है कार्य की गुणवत्ता का ध्यान रखते हुए समस्त कार्य निर्धारित समय के अंतर्गत पूर्ण कराए जाए। कार्य स्थल पर स्वीकृत धनराशि एवं कार्य का विवरण शिलापट के माध्यम से प्रदर्शित किया जाए तथा कार्य की वीडियोग्राफी भी सुनिश्चित की जाएगी।
यह भी सुनिश्चित किया जाए कि अवमुक्त धनराशि का उपयोग समय के अंतर्गत किया जाए। व्यय की गई धनराशि का ब्योरा एवं कार्य की भौतिक प्रगति रिपोर्ट प्रत्येक माह की 7 तरीख तक नियोजन/अतिरिक्त ऊर्जा स्रोत विभाग को उपलब्ध कराई जाए।

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अब दूसरे राज्यों में भी अपराधियों को ठिकाने लगाएगी यूपी पुलिस - शलभ मणि त्रिपाठी

Posted on 08 May 2018 by admin

योगी सरकार का ऐतिहासिक फैसला, गुरूग्राम में बना एनसीआर का सचिवालय
लखनऊ 08 मई 2018, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ के राज में अब अपराध कर दूसरे राज्यों में छुपने वाले अपराधियों की भी खैर नहीं। पुलिस उन्हें दूसरे राज्यों से भी ढूढ निकालेगी और इन राज्यों के आपसी समन्यवय से अब ऐसे अपराधियों को ठिकाने भी लगाएगी। पिछले दिनों यूपी-हरियाणा की सीमा पर पचास हजार के कुख्यात इनामी अपराधी बलराज भाटी का एनकाउंटर इसी का उदाहरण है। अंतर्राज्यीय अपराधियों को चैतरफा घेर कर उनसे निपटने के लिए उत्तर प्रदेश के लोकप्रिय मुख्यमत्री श्री योगी आदित्यनाथ और हरियाणा के यशस्वी मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के प्रयासों से गुरूग्राम में एक एनसीआर सचिवालय स्थापित किया जा रहा है। इस प्रयास से एनसीआर के जिलों में कानून व्यवस्था काफी बेहतर और पुख्ता हो सकेगी। उत्तर प्रदेश, हरियाणा, दिल्ली और राजस्थान पुलिस के समन्यवय से उन अपराधियों पर शिकंजा कसा जा सकेगा जो अभी तक अपराध कर दूसरे राज्यों में छुपते थे। चारों राज्यों के नोडल अफसर इस सचिवालय में समन्यवय का काम करेंगे और एक दूसरे के राज्यों के अपराधियों से जुड़ी सूचनाएं एक दूसरे के साथ साझा करेंगे। यूपी कोका की तरह ही यूपी में कानून व्यवस्था का राज स्थापित करने की दिशा में इस अंतराज्यीय प्रयास को भी एक ऐतिहासिक कदम के तौर याद रखा जाएगा।
प्रदेश प्रवक्ता शलभ मणि त्रिपाठी ने कहा है कि एक साल के भीतर कानून व्यवस्था में अभूतपूर्व सुधार करते उत्तर प्रदेश पुलिस ने खूंखार पचास अपराधियों को मार गिराया। प्रदेश में अपराधियों के सफाए की दिशा में ये एक ऐतिहासिक कार्रवाई है जिसका परिणाम दिखने लगा है। तमाम खूंखार अपराधियों ने या तो प्रदेश छोड़ दिया है या फिर जेल के अंदर है। पिछले पंद्रह सालों में सपा-बसपा की सरकारों ने अराजकता का ऐसा माहौल पैदा किया था, जिसके चलते उत्तर प्रदेश में लोग भय के माहौल में जी रहे थे। खासतौर पर पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कैराना, शामली, मुजफ्फरनगर, मेरठ जैसे इलाकों से लोग प्रदेश छोड़कर पलायन कर रहे थे और अपना कारोबार बंद कर रहे थे। भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनने के बाद से पश्चिमी उत्तर प्रदेश के इन इलाकों में पुलिस ने बेगुनाहों और पुलिस पर गोलियां चलाने वाले अपराधियों की गोली का जवाब गोली से दिया है। इसी का परिणाम है कि पूरे प्रदेश में एक साल के दौरान हुई 14 सौ मुठभेडों में जहां बदमाश गोली लगने से जख्मी हुए तो वहीं भय का पर्याय बने पचास अपराधियों को पुलिस ने मार गिराया।
प्रदेश प्रवक्ता शलभ मणि त्रिपाठी ने कहा कि सपा बसपा सरकारों में पुलिस का मनोबल पूरी तरह टूट चुका था। अपराधी पुलिस पर गोली चलाते थे और पुलिस के हांथ बंधे हुए थे। अपराधियों को सरकारी संरक्षण हासिल था। इसी का परिणाम था कि सपा सरकार में मथुरा के जवाहरबाग काण्ड में एसपी सिटी मुकुल द्विवेदी व एसएवओ संतोष यादव की दंगाईयों ने सरेआम हत्या कर दी वहीं प्रतापगढ़ में सीओ जियाउल हक समेत तमाम बहादुर पुलिस अधिकारियों की हत्या हुई। अपराधी खुलेआम घूमते रहे। उनके खिलाफ प्रभावी कार्रवाई नहीं हुई। इसी का नतीजा ये रहा कि जवाहर बाग हत्याकांड हुआ। जिसमें जांबाज अफसर शहीद हुए। अपनी सफल और कार्यप्रणाली के लिए पूरे देश में जानी जाने वाली यूपी पुलिस को सपा सरकार ने इस हालत में पहुंचा दिया था कि अपराधियों के हौसले बुलंद थे। योगी जी की सरकार में दुबारा से पुलिस का मनोबल वापस लौटा है और अपराधियों में दहशत है।

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सम्राट अषोक का सफल मंचन

Posted on 08 May 2018 by admin

लखनऊ दिनांक 08.05.2018 दिन मंगलवार अषोक लाल प्रस्तुतिकरण के अन्तर्गत आज सांयकाल 06ः30 बजे राय उमानाथ बली प्रेक्षागृह, कैसरबाग लखनऊ में भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय (संस्कृति विभाग), नई दिल्ली के सहयोग से सुप्रसिद्ध नाट्य रचनाकार श्री डी0पी0 सिन्हा, पूर्व आई0ए0एस0 की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर आधारित सम्राट अषोक का नाट्य मंचन नगर के वरिष्ठ रंग निर्देषक अषोक लाल को सषक्त निर्देषन में मंचित किया गया है। नाटक के कथानक के अनुसार दया प्रकाष सिन्हा द्वारा लिखित इस नाटक में न अषोक और तिष्यरक्षिता अथवा कुणाल और तिष्यरक्षिता के प्रसंग को अहमियत दी गई है और न ही अषोक द्वारा बौद्ध धर्म को स्वीकार कर लेने की घटना को मुखरित किया गया है बल्कि इसमें अषोक के सिंहासन पर बैठने से लेकर उसके अंतिम दिनो के क्षणों तक समेटने की कोषिष की गई है। ज बवह तुगलक और शाहजहाँ की भांति अपने ही कारागार से नितान्त अकेला होता जाता है। इस नाटक में अषोक अपनी पत्नी को छोड़कर पाटलीपुत्र चला जाता है और वहंा महामंत्री राधागुप्त के साथ मिलकर बिन्दुसार के बाद अपने आप को राजा घोषित कर लेता है। सुसीम और कंलिग को युद्ध में मार कर अपना साम्राज्य आगे बढ़ाता है। कुछ समय पश्चात् वह बीमार पड़ता है तो राधागुप्त वैद्य चक्रपाणी को बुलाते है परन्तु वह अपनी जगह अपनी भांजी तिष्यरक्षिता को भेज देता है जो कि कलिंग कन्या होती है वह अपने माता-पिता की मृत्यु का बदला लेने की नियत से अषोक के पास उसका उपचार करने लगती है।
अषोक तिष्यरक्षिता से विवाह कर लेता है। तिष्यरक्षिता अषोक के पुत्र कुणाल को जान से मरवाने की कोषिष करती है, उस राज्य में भिक्खु सागरमते जो कि अषोक के दरबार में आते-जाते हैं उसका प्रेम उस महल की दासी नंदिता से होता है यह बात तिष्यरक्षिता जान जाती है और सागरमते को अपने इषारे पर नचाने लगती है। इधर अषोक बौद्ध की शरण में रहते हुए उसके प्रचार-प्रसार में सारी धन सम्पत्ति खर्च कर रहा होता है। बाद मंे सागरमते तिष्यरक्षिता की सारी हकीकत अषोक को बतादेता है तब अषोक तिष्यरक्षिता को मृत्युदण्ड दे देता है। इधर महामंत्री राधागुप्ता अषोक द्वारा राज्य की सारी सम्पत्ति अभिधर्म के प्रचार में खर्च करने से रूष्ट हो जाता है और सेनापति और अन्य मंत्रीमण्डल के साथ मिलकर अषोक को राज सिंहासन से हटाकर उसे बंदी बना देता है। बाद में राधागुप्ता अषोक को बंदीगृह से निकालकर राज्य से बाहर अन्य स्थान पर भेजने का प्रबन्ध करता है किन्तु अषोक मना-कर देता है और बंदीगृह में नितांत अकेला होता जाता है। सम्राट अषोक की प्रधान स्वयं नाट्य निर्देषक अषोक लाल द्वारा अभिनीत किया गया। सम्राट अषोक की पहली पत्नी देवी की भूमिका में तान्या सूरी तथा दूसरी पत्नी तिष्यरक्षिता की भूमिका में दीपिका श्रीवास्तव एवं दासी की प्रधान भूमिका में अचला बोस महामंत्री राधागुप्त की भूमिका में तारिक इकबाल तथा बिन्दुसार एवं शब्दाकार दोहरी भूमिका में नगर के वरिष्ठ रंग निर्देषक प्रभात कुमार बोस ने अपने सषक्त अभिनय से दर्षको को भाव विभोर कर दिया। इसके अतिरिक्त चक्रपाणी की भूमिका में आनन्द प्रकाष शर्मा एवं तिस्स की भूमिका में धु्रव सिंह एवं सागरमते की भूमिका में ऋषभ तिवारी एवं भिक्खू समुद्र की भूमिका में राकेष चैधरी, कात्यायन एवं गुप्तचर की भूमिका में अभिषेक गुप्ता, उपगुप्त की भूमिका में सुजीत कुमार रावत तथा कुणाल की भूमिका में अर्पित यादव और सैनिक-1 की भूमिका में अजय गुप्ता तथा रूपकार की भूमिका आदर्ष तिवारी इत्यादि कलाकारों ने अपने सषक्त अभिनय से दर्षको को अत्यधिक प्रभावित किया। सेट डिजाइनिंग नाट्य निर्देषक अषोक लाल का था। प्रकाष परिकल्पना की कमान ए0एम0 अभिषेक ने संभाली संगीत निर्देषन निखिल श्रीवास्तव का अत्यधिक प्रभावी रहा। रूप सज्जा षिव कुमार श्रीवास्तव ‘‘षिब्बू’’ का था। 60 दिवसीय कार्यषाला के अन्तर्गत तैयार की गयी इस नाट्य प्रस्तुति के सम्पूर्ण परिकल्पना एवं निर्देषन अषोक लाल का था। कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि सम्राट अषोक का नाट्य मंचन अत्यधिक सफल रहा।

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भाजपा प्रदेश मुख्यालय के जनसहयोग केन्द्र पर हुआ जनसमस्याओं का समाधान

Posted on 08 May 2018 by admin

लखनऊ 08 मई 2018, भारतीय जनता पार्टी प्रदेश मुख्यालय में जनसहयोग केन्द्र पर प्रत्येक मंगलवार को जनसमस्या निराकरण के अनवरत क्रम में कैबिनेट मंत्री रमापति शास्त्री, आशुतोष टण्डन प्रदेश महामंत्री पंकज सिंह एवं प्रदेश मंत्री धर्मवीर प्रजापति जनता के दरबार में उपस्थित रहे। जनसमस्याओं के समाधान में कैबिनेट मंत्रियों द्वारा सम्बन्धित अधिकारियों को निर्देशित किया गया तथा संबंधित विभागों के पास समस्याओं को निस्तारण के लिए भेजा गया। कैबिनेट मंत्री आशुतोष टण्डन ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि जनता की समस्याओं का निस्तारण गुण-दोष के आधार पर किया जा रहा है। अधिकतर लोग पुलिस, स्थानीय प्रशासन, प्रधानमंत्री आवास, छात्रवृत्ति से सम्बन्धित समस्याएं लेकर जनसहयोग केन्द्र में पहुॅचे।
कैबिनेट मंत्री आशुतोष टण्डन ने पत्रकारों द्वारा पूछे गए प्रश्नों पर कहा कि यह सर्वविदित है कि समाजवादी पार्टी सरकार में क्या-क्या हुआ। आज योगी सरकार हर प्रकरण पर न्यायोचित कार्यवाही कर रही है। सरकार सबका साथ-सबका विकास के ध्येय पथ पर आगे बढ़ रही है। प्रदेश के बहुत से जिलों से लोग समस्याएं लेकर जनसहयोग केन्द्र पहुॅचे। अधिकांश समस्याओं के समाधान के लिए सम्बन्धित अधिकारियों को निर्देशित किया गया है। सरकार और संगठन समन्वित रूप से जनता की खुशहाली के काम में लगे हैं।

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गम्भीर मामलों जैसे हत्या, हत्या का प्रयास, बलात्कार, एसिड अटैक, महिलाओं के प्रति होने वाले अपराधों की विवेचना में कोई लापरवाही नहीं होनी चाहिए -अध्यक्ष बृजलाल

Posted on 07 May 2018 by admin

सुरेन्द्र अग्निहोत्री ,लखनऊः 07 मई, 2018

उ0प्र0 अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष, श्री बृजलाल ने आज उत्तर प्रदेश प्रशासनिक व प्रबंधन अकादमी लखनऊ में आधारभूत प्रशिक्षण कार्यक्रम में दो डिप्टी कलेक्टर, 19 पुलिस उपाधीक्षक, 7 सहायक आयुक्त, उद्योग, एक सहायक निदेशक लेखा, 4 कोषाधिकारी एवं 6 कृषि अधिकारी कुल 39 परवीक्षाधीन अधिकारियों को अनुसूचित जाति ओैर अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 के बारे में विस्तृत जानकारी दी।
श्री बृजलाल ने अनुसूूचित जाति एवं जनजाति के सदस्यों पर होने वाले अत्याचारोें से संबंधित धाराओं के बारे में विस्तृत रूप से निराकरण कराये जाने की जानकारी देते हुए नियमोें के अन्तर्गत पीडित पक्ष को आर्थिक सहायता दिये जाने की जानकारी दी। उन्होंने गम्भीर मामलों जैसे हत्या, हत्या का प्रयास, बलात्कार, एसिड अटैक, महिलाओं के प्रति होने वाले अपराधों के सम्बन्ध में बताया कि ये संवेदनशील मामले होते हैं जिनकी विवेचना में कोई लापरवाही नहीं होनी चाहिए। अनुसूचित जाति एवं जनजाति की महिलाओं के प्रति अपराध की सूचना मिलती है तो वहां पर पुलिस अधीक्षक को स्वयं जाना चाहिए तथा मुकदमा पंजीकृत होने पर तत्परता से कार्यवाही की जानी चाहिए क्योंकि ऐसे मामलों की विवेचना पुलिस उपाधीक्षक द्वारा की जाती है। उन्होंने बताया कि प्रायः यह देखा गया है कि पुलिस उपाधीक्षक मामलों की विवेचना स्वयं न करके कार्यालय में तैनात अधीनस्थ कर्मियों से कराते है। यह स्थिति ठीक नहीं है। उन्होंने निर्देश दिया कि नियमों के अनुसार ही विवेचना करनी चाहिए यदि इन मामलों में ढिलाई बरती गयी तो आयोग ऐसे मामलों को गम्भीरता से लेते हुए कार्यवाही करेगा।
श्री बृजलाल ने बताया कि अनुसूचित जाति एवं जनजाति के व्यक्तियों को रू0 एक लाख से लेकर गम्भीर मामलों में आठ लाख पचास हजार रूपये तक की आर्थिक सहायता देने का प्राविधान है, जो तीन किस्तों में एफ0आई0आर0 पंजीकृत होने पर - 25 प्रतिशत, आरोप पत्र पे्रषित होने पर - 50 प्रतिशत तथा सजा होने पर - 25 प्रतिशत दी जाती है। अधिकांश मामलों में आरोप पत्र पे्रषित होने पर 75 प्रतिशत धनराशि पीडित पक्ष को समय से प्राप्त नहीं हो पाती है। हत्या के मामलों में 8.50 लाख रूपये से आधी धनराशि मुकदमा पंजीकत होने तथा पोस्टर्माटम होने पर दी जाती है। शेष धनराशि विवेचना के दौरान ही दे दी जाती है। यदि अत्याचार पर पीडित का अंग-भंग होता है तो उसकी डाक्टरी मुआयना होने के बाद रू0 एक लाख से रू0 8.50 लाख रूपय दिये जाने का प्राविधान है। हत्या के मामलों में मृतक आश्रित को धनराशि देने के अलावा तीन माह तक उसके परिवारीजनों को खाने-पीने की व्यवस्था प्रदेश सरकार करती है और परिवार के एक सदस्य को पांच हजार रूपया प्रतिमाह पेंशन प्रदेश सरकार द्वारा दी जाती है और मृतक के बच्चों को स्नातक तक की शिक्षा सरकारी खर्च पर दी जाती है।
श्री बृजलाल ने बताया कि पुलिस द्वारा समयबद्व तरीके से विवेचना दो माह में पूर्ण करने का प्राविधान है। अगर मामले की विवेचना में किसी हाल में विलम्ब होता है तो संबंधित पुलिस उपाधीक्षक इसका लिखित रूप से कारण बतायेगा। विवेचना का समयबद्व तरीके से निस्तारण किया जाय। मुकदमा पंजीकृत होने तथा आरोप पत्र पे्रषित होने पर प्रारम्भिक आर्थिक सहायता का प्रस्ताव जिला समाज कल्याण अधिकारी को भेजा जाय जिससे पीडित व्यक्ति को तुरन्त सहायता प्राप्त हो सके। एसिड अटैक के मामलों में वर्न इंजरी के आधार पर आठ लाख पचास हजार रूपये तक आर्थिक सहायता दिये जाने का प्राविधान है। अंग भंग की स्थिति में विकलांगता के प्रतिशत के आधार पर एक लाख से 8.50 लाख रूपये देने का प्राविधान है। नियमों के आधार पर पीडित का इलाज सरकार कराती है जिसे सुनिश्चित किया जाय।
आयोग के अध्यक्ष श्री बृजलाल ने बताया कि अनुसूचित जाति एवं जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम 1989 की धारा-4 में यदि लोक सेवक जानबूझ कर ढिलाई या लापरवाही करता है तो उसके विरूद्व मुकदमा पंजीकृत किये जाने का प्राविधान है। जिसमें सरकारी अधिकारी/कर्मचारी आरोपित होने पर सजा के रूप में कम से कम छः मास का कारावास, जो पांच वर्ष तक बढाई जा सकती है। अतः अधिकारियों को सचेत किया गया कि इस तरह के मामलों में ढिलाई बरतने पर उनके विरूद्व गम्भीर मामला बन सकता है। उन्होंने अधिकारियों को यह भी बताया कि आयोग में जमीन, मकान एवं रास्ते आदि की शिकायतें भी प्राप्त होती है। ऐसे मामलों में पुलिस एवं राजस्व के अधिकारियों की संयुक्त टीम मौके पर भेजकर तत्काल उनका निराकरण कराया जाय। जिससे कि भविष्य में मामला अपराधिक रूप न ले सके।

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हिन्दी संस्थान के पुरस्कारों में नयी विधा का समावेश, नामित पुरस्कार की धनराशि रु0 पचास हजार से बढ़ाकर रु0 पचहत्तर हजार

Posted on 05 May 2018 by admin

सुरेन्द्र अग्निहोत्री ,लखनऊ: 05 मई, 2018उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा स्वीकृत बजट के सापेक्ष प्रत्येक वर्ष अपनी विभिन्न योजनाओं को संचालित करता है। अत्यन्त हर्ष का विषय है कि शासन द्वारा संस्थान को जो बजट उपलब्ध कराया गया है वह गत वर्षों में प्राप्त कराये गये बजट से लगभग दो गुना है। संस्थान इस हेतु उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री जो उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान के अध्यक्ष भी हैं, के प्रति आभार ज्ञापित करता है। यहाँ यह भी उल्लेखनीय है कि दिनांक 22 जनवरी, 2018 को माननीय मुख्यमंत्री जी के आवास पर आयोजित सम्मान समारोह के अवसर पर कतिपय सम्मानों/पुरस्कारों की धनराशि बढ़ाने एवं कतिपय सम्मानों की संख्या बढ़ाने का अनुरोध मेरे द्वारा मा0 मुख्यमंत्री जी से किया गया था। इस सम्बन्ध में अवगत कराते हुए मुझे हार्दिक प्रसन्नता हो रही है कि माननीय मुख्यमंत्री जी द्वारा मेरे सभी प्रस्तावों पर सहर्ष स्वीकृति प्रदान कर दी गयी है।
मुझे बताते हुए अत्यन्त हर्ष हो रहा है कि साहित्य भूषण सम्मान जो अभी तक 10 की संख्या में प्रदान किये जाते थे अब उनकी संख्या बढ़ कर 20 हो गयी है। ‘हिन्दी विदेश प्रसार सम्मान‘ की धनराशि अभी तक रु0 एक लाख थी उसे बढ़ा कर रु0 दो लाख कर दी गयी है। इसी प्रकार ‘विश्वविद्यालयस्तरीय सम्मान‘ की धनराशि रु0 पचास हजार से बढ़ाकर रु0 एक लाख कर दी गयी है साथ ही यह सम्मान अब ‘पं0 मदनमोहन मालवीय विश्वविद्यालयस्तरीय सम्मान‘ के नाम से जाना जायेगा।
उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान द्वारा पूर्व प्रधानमंत्री मा0 अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा उपलब्ध करायी गयी धनराशि रु0 एक लाख के ब्याज से अभी तक ‘पं0 कृष्ण बिहारी वाजपेयी‘ पुरस्कार उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद की हाईस्कूल एवं इण्टमीडिएट की परीक्षा में क्रमशः हिन्दी एवं साहित्यिक हिन्दी में सर्वाधिक अंक प्राप्त करने वाले एक-एक विद्यार्थी को प्रदान किया जाता था। प्रत्येक वर्ष प्राप्त होने वाले ब्याज की धनराशि में निरन्तर होने वाली कमी को दृष्टिगत रखते हुए अब ‘पं0 कृष्ण बिहारी वाजपेयी पुरस्कार‘ संस्थान की पुरस्कार योजना के अन्तर्गत प्रदान करने की स्वीकृति माननीय मुख्यमंत्री जी द्वारा सहर्ष प्रदान कर दी गयी है। साथ ही यह पुरस्कार उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद की हाईस्कूल एवं इण्टमीडिएट की परीक्षा में क्रमशः हिन्दी एवं साहित्यिक हिन्दी में सर्वाधिक अंक प्राप्त करने वाले एक छात्र एवं एक छात्रा को प्रदान किया जायेगा। विद्यार्थियों के नामों का चयन सचिव, माध्यमिक शिक्षा परिषद उत्तर प्रदेश द्वारा उपलब्ध करायी गयी सूचना के आधार पर किया जायेगा। पुरस्कार की धनराशि क्रमशः हाईस्कूल के लिए छात्र एवं छात्रा के लिए रु0 पच्चीस-पच्चीस हजार एवं इण्टमीडिएट के लिए रु0 पैंतीस-पैंतीस हजार होगी। हिन्दी/साहित्यिक हिन्दी विषय के सर्वोच्च अंक प्राप्त अधिक संख्या में छात्र/छात्राएँ होने की स्थिति में जिस विद्यार्थी के अंक सम्पूर्ण विषयों के प्राप्ताकों में अधिक होंगे उसे ही ‘पं0 कृष्ण बिहारी पुरस्कार‘ दिया जायेगा। इस प्रकार कुल चार विद्यार्थियों को यह पुरस्कार प्रदान किया जायेगा।

यहाँ यह भी अवगत कराना है कि संस्थान द्वारा अभी तक 34 विधाओं में वर्ष विशेष में प्रकाशित पुस्तकों पर नामित एवं सर्जना पुरस्कार दिया जाता रहा है। इस बार कुछ विधाओं को पृथक करने के साथ-साथ एक नयी विधा का समावेश करते हुए अब इनकी संख्या 38 किये जाने पर माननीय मुख्यमंत्री जी द्वारा सहर्ष स्वीकृति प्रदान की गयी है। बढ़ी हुईं चार विधाएँ हैं -
1- चिकित्सा विज्ञान -(एलोपैथी/आयुर्वेद/होम्योपैथी/यूनानी), पं0 सत्यनारायण शास्त्री नामित पुरस्कार, डाॅ0 सतीश चन्द्र राय सर्जना पुरस्कार।
2- ग़ज़ल - ‘दुष्यन्त कुमार नामित पुरस्कार‘, ‘अदम गोड़वीं सर्जना पुरस्कार‘।
3- आत्मकथा/जीवनी - ‘पाण्डेय बेचन शर्मा उग्र नामित पुरस्कार‘, ‘विष्णु प्रभाकर सर्जना पुरस्कार‘।
4- ललित कला/संगीत - ‘गिरिजादेवी नामित पुरस्कार‘, ‘डी0पी0 धूलीया सर्जना पुरस्कार‘।
इसी क्रम में यह बात भी महत्वपूर्ण है कि अभी तक प्रत्येक विधा में एक रचनाकार द्वारा दो बार पुरस्कार प्राप्त किया जाता था। अन्य विधाओं में पुरस्कार प्राप्त करने की कोई सीमा नहीं थी। इसे दृष्टिगत रखते हुए यह निर्णय लिया गया कि अब एक रचनाकार एक विधा में एक बार और समस्त विधाओं में केवल दो बार पुरस्कृत हो सकेगा। आशा है कि इससे नये-नये रचनाकार को प्रोत्साहन प्राप्त होगा।
संस्थान द्वारा मासिक/द्वैमासिक/त्रैमासिक पत्रिकाओं पर सरस्वती नामित पुरस्कार एवं धर्मयुग सर्जना पुरस्कार प्रदान किया जाता है। अभी तक यह पुरस्कार पत्रिका के सम्पादक को प्रदान किया जाता था। अब यह पुरस्कार सीधे पत्रिका को प्रदान किया जायेगा। जिससे पत्रिका के उत्थान में धन का उपयोग हो सके।
पुस्तकों पर देय पुरस्कार राज्यस्तरीय पुरस्कार हैं जो उत्तर प्रदेश में जन्में या पिछले दस वर्षों से निवास कर रहे साहित्यकारों की कृतियों पर प्रदान किये जाते हैं। देखा जाता है कि पुस्तक में जन्म स्थान प्रकाशित न होने की दशा में जन्म स्थान को लेकर भ्रम की स्थिति बन जाती है। इसके समाधान स्वरूप पुस्तक प्रविष्टि के साथ जन्म स्थान एवं उत्तर प्रदेश में निवास के सम्बन्ध में रचनाकारांे को शपथ-पत्र प्रस्तुत करना अनिवार्य होगा।
यह बताते हुए भी अत्यन्त हर्ष का अनुभव हो रहा है कि संस्थान द्वारा दिये जाने वाले नामित पुरस्कार की धनराशि रु0 पचास हजार से बढ़ाकर रु0 पचहत्तर हजार एवं सर्जना पुरस्कार की धनराशि रु0 बीस हजार से बढ़ा कर रु0 चालीस हजार किये जाने की स्वीकृति माननीय मुख्यमंत्री जी द्वारा प्रदान कर दी गयी है। उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान परिवार माननीय मुख्यमंत्री जी के प्रति कृतज्ञ है कि उन्होंने हमारे अनुरोध को स्वीकार करते हुए पुरस्कार सहित अन्य योजनाओं के क्रियान्वयन हेतु पर्याप्त बजट रु0 छः करोड़ एवं वेतन भत्ते आदि में रु0 पाँच करोड़ उपलब्ध करवाया है। हम विश्वास दिलाते हैं कि हिन्दी संस्थान सरकार, साहित्यकारों की अपेक्षा पर खरा उतरने का प्रयास करेगा।

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सहकारी संस्थाओं के चुनाव जीतने के लिए तानाशाही रवैया अपनाया

Posted on 05 May 2018 by admin

समाजवादी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल ने कहा है कि भाजपा राज में सहकारिता के चुनावों में सारे नैतिक और विधिक मापदंडो को दरकिनार कर मनमाने तरीके से जमकर धांधली हुई है। इन चुनावों में प्रशासनिक मशीनरी का बुरी तरह दुरूपयोग किया गया है। विपक्षी उम्मीदवारों का पर्चा खारिज कर उन्हें चुनाव प्रक्रिया से बेदखल कर दिया गया। भाजपा ने इस तरह सहकारी संस्थाओे में अपने अध्यक्ष और प्रतिनिधि निर्विरोध की नौटंकी कर निर्वाचित कराए हंै।
श्री नरेश उत्तम पटेल ने कहा है कि लोकतंत्र को मजबूत करने में सहकारिता आंदोलन की प्रमुख भूमिका है। लेकिन जिस तरह से भाजपा सरकार ने इसको कमजोर करने का तरीका अपनाया है वह लोकतंत्र के लिए घातक है। भाजपा ने सहकारी संस्थाओं के चुनाव जीतने के लिए तानाशाही रवैया अपनाया है। इसे किसी भी तरह स्वीकार नहीं किया जा सकता है।
जब समाजवादी सरकार थी तो सहकारिता की संस्था को मजबूत करने के लिए निष्पक्ष चुनावों की व्यवस्था थी। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री अखिलेश यादव का मानना है कि सहकारिता के माध्यम से किसानों और दस्तकारों की भी आर्थिक स्थिति मजबूत की जा सकती है। सहकारी आंदोलन को इसीलिए आगे बढ़ाने का काम समाजवादी पार्टी ने किया था जिसको भाजपा ने अपने राजनीतिक स्वार्थ साधन में चैपट करने में कुछ उठा नही रखा है।

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नमामि गंगे योजनांतर्गत प्रदेश में स्वीकृत 30 परियोजनाओं से 607 एम0एल0डी0 के सीवेज शोधन संयत्र स्थापित कराकर 1725.49 किमी सीवर लाइन डाले जाने का कार्य अधिकतम दिसम्बर, 2018 तक पूर्ण कराने हेतु समयसारिणी निर्धारित: मुख्य सचिव

Posted on 05 May 2018 by admin

स्वीकृत 30 परियोजनाओं में से विगत 30 अप्रैल तक पूर्ण हो चुकी छः परियोजनाओं के अतिरिक्त 05 परियोजनाओं को दिसम्बर, 2018 तक तथा 02 परियोजनाओं को दिसम्बर, 2018 के बाद पूर्ण कराना होगा अनिवार्य: राजीव कुमार

dsc_1729अमृत योजनांतर्गत आवंटित 11000 करोड़ रूपये धनराशि में से 4 हजार करोड़ रूपये की योजनायें स्वीकृत, शासन स्तर पर लंबित अवशेष 4 हजार करोड़ रूपये की योजनायें के डी0पी0आर0 यथाशीघ्र नियमानुसार कराईं जायें स्वीकृति: मुख्य सचिव

अवशेष 3 हजार करोड़ रूपये की योजनाओं की डी0पी0आर0 आगामी 30 जून, 2018 तक जल निगम एवं नगर विकास को को बनाकर प्रस्तुत करना होगा अनिवार्य: राजीव कुमार

अवशेष 13 परियोजनाओं - वृन्दावन, मथुरा, चुनार, मीरजापुर, रामनगर, बिठूर, इलाहाबाद, शुक्लागंज, उन्नाव, फर्ररूखाबाद, गाजीपुर
पर निविदा की कार्यवाही प्रचलित: प्रमुख सचिव, नगर विकास

सुरेन्द्र अग्निहोत्री ,लखनऊ: 05 मई, 2018

उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव श्री राजीव कुमार ने निर्देश दिये हैं कि नमामि गंगे योजनांतर्गत प्रदेश में स्वीकृत 30 परियोजनाओं से 607 एम0एल0डी0 के सीवेज शोधन संयत्र स्थापित करा कर 1725.49 किमी सीवर लाइन डाले जाने का कार्य अधिकतम दिसम्बर, 2018 तक पूर्ण करा दिया जाये। उन्होंने कहा कि स्वीकृत 30 परियोजनाओं में से विगत 30 अप्रैल तक पूर्ण हो चुकी छः परियोजनाओं (इलाहाबाद की 05 एवं कन्नौज की 01 परियोजना)के अतिरिक्त 04 परियोजनाओं (इलाहाबाद, मुरादाबाद, नरौरा एवं गढ़मुक्तेश्वर की 01-01 परियोजनायें) को जून, 2018 , 05 परियोजनाओं (इलाहाबाद की 02 कानपुर, अनूप शहर एवं वाराणसी की 01-01 परियोजनायें)को दिसम्बर, 2018 तक तथा 02 परियोजनाओं(कानपुर एवं वाराणसी की 01-01 परियोजनायें) को दिसम्बर, 2018 के बाद पूर्ण कराना अनिवार्य होगा।
मुख्य सचिव आज शास्त्री भवन स्थित अपने कार्यालय कक्ष के सभागार में जल निगम की बैठक कर परियोजनाओं की समीक्षा कर रहे थे। उन्होंने कहा कि अवशेष 13 परियोजनाओं - वृन्दावन, मथुरा, चुनार, मीरजापुर, रामनगर, बिठूर, इलाहाबाद, शुक्लागंज, उन्नाव, फर्रूखाबाद, गाजीपुर पर निविदा की कार्यवाही प्रचलित है। उन पर अन्य नियमानुसार आवश्यक कार्यवाहियां प्राथमिकता से सुनिश्चित करा कर परियोजनाओं को यथाशीघ्र पूर्ण कराने हेतु कार्य प्रारम्भ कराया जाये। उन्होंने कहा कि परियोजनाओं को निर्धारित लक्ष्य के अंतर्गत पूर्ण करने हेतु माइक्रो लेवल पर वर्क प्रोग्राम निर्धारित करते हुए पूर्ण कराया जाये।
श्री राजीव कुमार ने अमृत योजनांतर्गत आवंटित 11000 करोड़ रूपये धनराशि के सापेक्ष 4 हजार करोड़ रूपये की योजनायें स्वीकृत हो जाने के फलस्वरूप शासन स्तर पर लंबित अवशेष 4 हजार करोड़ रूपये की योजनायें के डी0पी0आर0 यथाशीघ्र नियमानुसार स्वीकृत कराने के निर्देश दिये हैं उन्होंने जल निगम एवं नगर विकास के वरिष्ठ अधिकारियों को निर्देश दिये हैं कि अवशेष 3 हजार करोड़ रूपये की योजनाओं की डी0पी0आर0 आगामी 30 जून, 2018 तक बनाकर स्वीकृत हेतु प्रस्तुत करा दी जायें। उन्होंने आगामी कुम्भ पर्व को दृष्टिगत रखते हुए इलाहाबाद, कानपुर एवं वाराणसी की परियोजनाओं पर विशेष ध्यान दे कर परियोजनाओं को निर्धारित मानक एवं गुणवत्ता के साथ यथाशीघ्र पूर्ण कराया जाये।
प्रमुख सचिव, नगर विकास, श्री मनोज कुमार सिंह ने बताया कि है। मार्च, 2018 में 04 नग एस0टी0पी0 कुल क्षमता 84 एम0एलडी0 पूर्ण कर चालू करा दिया गया है। जिसमें कन्नौज में 13 एम0एल0डी, नरौरा में 04 एम0एल0डी, गढ़मुक्तेश्वर में 09 एम0एल0डी0 तथा मुरादाबाद में 58 एम0एल0डी0 क्षमता के सीवरेज संशोधन संयत्र स्थापित कराये गये हैं। इसके अतिरिक्त इलाहाबाद नगर में 119 एम0एल0डी0 क्षमतायुक्त 04 सीवेज शोधन संयत्र का संचालन करा कर सीवर नेटवर्क का कार्य भी पूर्ण करा लिया गया है।
श्री मनोज कुमार ने बताया कि नरौरा, गढ़मुक्तेश्वर, इलाहाबाद (डिस्ट्रिक्ट सी एवं ए), मुरादाबाद (फेज-1), अनूप शहर, वाराणसी (जायका घोषित), कानपुर, रमना, वाराणसी का कार्य वर्तमान में प्रगति पर हैं। उन्होंने बताया कि 2018-19 में निर्धारित लक्ष्य के अनुसार चुनार, वृन्दावन, रामनगर, बिठूर, नैनी एवं फाफामऊ, शुक्लागंज, उन्नाव, र्फरूखाबाद-फतेहगढ़, मथुरा, गाजीपुर, मीरजापुर, इलाहाबाद शहर में एस0टी0पी0 एवं सीवर नेटवर्क के कार्यों हेतु निविदा कार्यवाही प्रक्रियाधीन है। उन्होंने बताया कि हाऊस सीवर कनेक्शन को विशेष प्राथमिकता देते हुए 1400 करोड़ रूपये अमृत योजना में स्वीकृत किया गया है।

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