मुख्यमंत्री ने सिंचाई एवं जल संसाधन विभाग की
पुस्तिका ‘एक साल की सफल कहानी’ का विमोचन किया
सुरेन्द्र अग्निहोत्री ,लखनऊ: 14 मई, 2018
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने आज यहां योजना भवन में बाढ़ के प्रति 24 अतिसंवेदनशील तथा 16 संवेदनशील जिलों में सम्भावित बाढ़ से निपटने के लिए की जा रही तैयारियों की मुख्यमंत्री जी ने समीक्षा की तथा अधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए।
मुख्यमंत्री जी ने सभी सम्बन्धित जनपदों के जिलाधिकारियों को अपने-अपने जनपदों में बाढ़ से प्रभावित होने वाले क्षेत्रों, बंधों आदि का समय से पूर्व विभिन्न विभागों के जनपदीय अधिकारियों के साथ निरीक्षण करने के निर्देश देते हुए कहा कि सभी जिलाधिकारी जनपद स्तर पर बाढ़ तैयारियों की समीक्षा करें, ताकि तैयारियों में कोई कमी न रह जाए। उन्होंने निर्देश दिए कि संवेदनशील तथा क्षतिग्रस्त बंधों की मरम्मत का काम 15 जून, 2018 तक हर हाल में पूरा कर लिया जाए। उन्होंने कहा कि बाढ़ से निपटने के लिए की जा रही तैयारियों, जिनमें राहत एवं बचाव कार्य शामिल हैं, में धन की कमी आड़े नहीं आएगी। उन्होंने सिंचाई मंत्री एवं सिंचाई राज्य मंत्री को बाढ़ के सम्भावित जिलों का दौरा कर वहां बाढ़ से निपटने के लिए की जा रही तैयारियों की स्वयं समीक्षा करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि सभी तैयारियों की साप्ताहिक/पाक्षिक समीक्षा की जाए।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि बाढ़ की स्थिति से निपटने के लिए वार्षिक कार्य योजना 31 मई, 2018 तक पूरी कर ली जाए। बाढ़ से निपटने के लिए कराए जाने वाले कार्यों के लिए वित्तीय स्वीकृतियां जारी की जा चुकी हैं। ऐसे में बाढ़ से निपटने की तैयारियों में कोई भी कमी अक्षम्य होगी। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार द्वारा आज बुलायी गयी इस बैठक का यही उद्देश्य है कि बाढ़ की तैयारियों को सही एवं प्रभावी ढंग से किया जाना सुनिश्चित हो सके। यदि बाढ़ से निपटने की तैयारियां ठीक से की जाएं और इससे निपटने की पहले से योजना तैयार की जाए तो इससे होने वाली जनहानि सहित अन्य नुकसानों को काफी कम किया जा सकता है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि बाढ़ जैसी विभीषिका से निपटने के लिए पहले से तैयारियां किया जाना तथा योजना बनाना बहुत आवश्यक है। बाढ़ से प्रभावित होने वाले क्षेत्रों के लिए नावों की व्यवस्था पहले से कर ली जाए। जहां नावें मौजूद हैं, उनका निरीक्षण कर लिया जाए और आवश्यकता होने पर उनकी मरम्मत करवा ली जाए। यह कार्य हर हाल में 31 मई, 2018 तक पूरा कर लिया जाए। नाव के संचालन के लिए नाविक एवं स्थान का चिन्हीकरण कर लिया जाए। यदि पिछले वर्ष की सेवाओं के लिए नाविकों का भुगतान शेष हो तो उनका भुगतान शीघ्र करा दिया जाए।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि अपने-अपने जनपदों में बाढ़ से निपटने की तैयारियों तथा राहत एवं बचाव कार्यों की जिम्मेदारी सम्बन्धित जिलाधिकारी की होगी। ऐसे में यह आवश्यक है कि जिलाधिकारी प्रत्येक सप्ताह तैयारियों की समीक्षा करें और मौका-मुआयना भी करें। राज्य सरकार द्वारा 31 मार्च, 2018 तक तटबंध मरम्मत के लिए धनराशि उपलब्ध करा दी गई थी। जिलाधिकारी स्वयं कार्यों का भौतिक सत्यापन करें। उन्होंने कहा कि अभी भी कई जनपदों में यह कार्य अपूर्ण है, यह स्थिति ठीक नहीं है। अतः तटबंधों की मरम्मत का कार्य प्राथमिकता के आधार पर समय-सीमा के अंदर पूरा किया जाए।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि बाढ़ से प्रभावित होने वाले व्यक्तियों/परिवारों को सुरक्षित स्थान पर ले जाने तथा राहत कैम्प के संचालन के लिए स्थान का पूर्व से ही चयन कर लिया जाए। इसके अलावा, स्वयंसेवी संस्थाओं के माध्यम से सहयोग प्राप्त करने, राहत कार्यों के संचालन, राहत वितरण, कैम्पों के संचालन इत्यादि की भी तैयारी कर ली जाए। बाढ़ के उपरान्त फैलने वाली महामारियों को रोकने के लिए सम्बन्धित विभागों से समन्वय स्थापित करते हुए योजनाबद्ध तरीके से कार्रवाई की जाए। साथ ही, बाढ़ के उपरान्त पेयजल तथा विद्युत आपूर्ति को सामान्य करने के सम्बन्ध में स्थानीय स्तर पर प्रभावी कार्रवाई की जाए। जनपद स्तर पर जीवन रक्षक औषधियों की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित की जाए। जनपद स्तर के समस्त अधिकारियों/कर्मचारियों, आपदा मित्रों, नाविकों के मोबाइल नम्बर और पते की डायरेक्ट्री भी तैयार कर ली जाए।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि राज्य आपदा मोचक बल (एस0डी0आर0एफ0) के प्रशिक्षण कार्य को पूरा कर लिया जाए और उसको प्रभावित जनपद में आवश्यकतानुसार तैनाती की कार्ययोजना भी तैयार कर ली जाए। पशुओं के लिए पशुशाला, कैम्प के स्थान का पूर्व से ही चिन्हांकन कर लिया जाए। साथ ही, पशुओं के लिए चारे एवं भूसे की पर्याप्त व्यवस्था कर ली जाए। उन्होंने बाढ़ के उपरान्त पशुओं में फैलने वाली महामारियों को रोकने के लिए योजनाबद्ध तरीके से टीकाकरण कार्यक्रम संचालित करने के भी निर्देश दिए।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि बाढ़ से सम्बन्धित सूचनाओं के आदान-प्रदान, मौसम का अनुमान, बाढ़ की स्थिति की 24 घण्टे माॅनीटरिंग इत्यादि के लिए राज्य स्तर पर स्थापित कण्ट्रोल रूम से जिलों/तहसीलों में स्थापित कण्ट्रोल रूम को लिंक किया जाए ताकि सूचनाओं का त्वरित गति से आदान-प्रदान किया जा सके। जिन जनपदों में अभी कण्ट्रोल रूम स्थापित नहीं किए गए हैं, वहां उन्हें शीघ्र स्थापित किया जाए। इसके लिए किसी वरिष्ठ अधिकारी को नोडल अधिकारी नामित किया जाए। यह कण्ट्रोल रूम राहत आयुक्त कार्यालय में स्थापित किए गए कण्ट्रोल रूम को प्रतिदिन अद्यतन स्थिति से अवगत कराएंगे। इन कण्ट्रोल रूम के दूरभाष नम्बरों का व्यापक प्रचार-प्रसार किया जाए। मौसम विभाग द्वारा निर्गत किए जाने वाले पूर्वानुमान का प्रतिदिन समय से प्रचार-प्रसार किया जाए।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि बाढ़ की स्थिति उत्पन्न होने पर बाढ़ बचाव/राहत कार्य में सक्रिय संस्थाओं जैसे-एन0डी0आर0एफ0, एस0डी0आर0एफ0, सिविल डिफेंस, एन0सी0सी0, रेडक्राॅस, स्वयंसेवी संस्थाओं इत्यादि से सामन्जस्य स्थापित करते हुए सहयोग लिया जाए। राष्ट्रीय आपदा मोचक निधि के अनुसार प्रभावित लोगों को राहत त्वरित गति से उपलब्ध करायी जाए। सभी जिलाधिकारी बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों में प्रभावित लोगों को खाद्यान्न पैकेट वितरित करने के लिए आवश्यक ई-टेण्डरिंग प्रक्रिया के समय रहते पूर्ण करना सुनिश्चित करें।
मुख्यमंत्री जी ने नदी की कटान से गांवों/अन्य स्थलों को होने वाले खतरे से उत्पन्न कानून-व्यवस्था प्रभावित होने की सम्भावना का जिक्र करते हुए कहा कि ऐसे में जनता से संवाद स्थापित कर समस्या का समाधान किया जाए। जिलाधिकारी जनता की समस्याओं को समझकर सुलझाना सुनिश्चित करें। उन्होंने विषम परिस्थितियों का सहारा लेते हुए अव्यवस्था फैलाने वाले तत्वों पर कड़ी कार्रवाई करने के निर्देश दिए। उन्होंने तटबंधों इत्यादि को नुकसान पहुंचाने वाले तत्वों की लगातार माॅनीटरिंग के भी निर्देश दिए।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि इस वर्ष औसत से अधिक वर्षा का अनुमान है। इसलिए इसे ध्यान में रखते हुए सारी तैयारियां की जाएं। उन्होंने कहा कि बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों में लोगों के लिए प्रकाश की व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए पेट्रोमैक्स का अभी से इंतजाम किया जाए। उन्होंने तटबंधों की सुरक्षा बढ़ाने के निर्देश देते हुए कहा कि नदियों द्वारा रास्ता बदलने की स्थिति से निपटने के लिए उनकी डेªजिंग करायी जाए। जिन क्षेत्रों में हर वर्ष बाढ़ आती है, उनके लिए ठोस योजनाएं बनायी जाएं। सिंचाई विभाग की जो योजनाएं भूमि अधिग्रहण में समस्या के चलते आगे नहीं बढ़ पा रही हैं, उनका तत्काल समाधान सुनिश्चित किया जाए।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि बाढ़ की स्थिति उत्पन्न होने की दशा में फसलों को होने वाले नुकसान का मुआवजा शीघ्रातिशीघ्र प्रभावित किसानों को उपलब्ध कराया जाए। उन्होंने बाढ़ से निपटने के लिए की जा रही तैयारियों में जनप्रतिनिधियों का सहयोग लेने के भी निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि जनप्रतिनिधियों को बाढ़ से सम्बन्धित कार्यों/तैयारियों के सम्बन्ध में पूरी तरह से अवगत कराया जाए।
बैठक के दौरान केन्द्रीय मौसम विभाग, केन्द्रीय जल आयोग, रिमोट सेंसिंग सेण्टर के अधिकारियों द्वारा बाढ़ की स्थिति से निपटने के लिए की जा रही तैयारियों के विषय में मुख्यमंत्री जी को अवगत कराया गया। इस अवसर पर अपर मुख्य सचिव राजस्व ने बाढ़ की स्थिति में की जाने वाली राहत वितरण की तैयारियों के विषय में मुख्यमंत्री जी को अवगत कराया। चिकित्सा एवं स्वास्थ्य, खाद्य एवं रसद, कृषि, पशुपालन एवं गृह विभाग के प्रमुख सचिवों ने भी अपने-अपने विभागों द्वारा की जा रही तैयारियों के विषय में जानकारी दी।
इस अवसर पर महराजगंज के जिलाधिकारी से मुख्यमंत्री जी ने रोहिन नदी के तटबंध की मरम्मत की जानकारी ली। उन्होंने इस कार्य की जिम्मेदारी सिंचाई विभाग को देने के निर्देश दिए। उन्होंने कुशीनगर के जिलाधिकारी को अपने जनपद में बाढ़ नियंत्रण के लिए चलायी जा रही सभी परियोजनाओं की गहन समीक्षा करने के निर्देश दिए। उन्होंने गोरखपुर के जिलाधिकारी को भी जनपद में मौजूद तटबंधों के रख-रखाव और मरम्मत की समीक्षा करते हुए इस कार्य में तेजी लाने के निर्देश दिए। बस्ती के जिलाधिकारी को जनपद से निकलने वाली नदी की डेªजिंग के निर्देश दिए। उन्होंने बहराइच की जिलाधिकारी को बचाव कार्यों की तैयारियों में तेजी लाने और आवश्यकतानुसार लकड़ी की नावों के निर्माण के निर्देश दिए।
मुख्यमंत्री जी ने इस अवसर पर सिंचाई एवं जल संसाधन विभाग द्वारा प्रकाशित पुस्तिका ‘एक साल की सफल कहानी’ का विमोचन भी किया। इस मौके पर सिंचाई मंत्री श्री धर्मपाल सिंह तथा बाढ़ नियंत्रण राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्रीमती स्वाती सिंह, मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव सिंचाई, विभिन्न जनपदों के जिलाधिकारीगण तथा अन्य वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे।
ज्ञातव्य है कि बाढ़ के प्रति 24 अतिसंवेदनशील जनपदों में महराजगंज, कुशीनगर, लखीमपुर खीरी, गोरखपुर, बस्ती, बहराइच, बिजनौर, गाजीपुर, सिद्धार्थनगर, गोण्डा, बलिया, देवरिया, सीतापुर, फर्रूखाबाद, मऊ, श्रावस्ती, बलरामपुर, संतकबीरनगर, पीलीभीत, बाराबंकी, फैजाबाद, बदायूं, अम्बेडकरनगर तथा आजमगढ़ शामिल हैं, जबकि 16 संवेदनशील जनपदों में सहारनपुर, शामली, अलीगढ़, बरेली, बांदा, गौतमबुद्धनगर, रामपुर, इलाहाबाद, बुलन्दशहर, मुजफ्फरनगर, हरदोई, वाराणसी, उन्नाव, लखनऊ, शाहजहांपुर एवं कासगंज सम्मिलित हैं।