Categorized | लखनऊ.

गम्भीर मामलों जैसे हत्या, हत्या का प्रयास, बलात्कार, एसिड अटैक, महिलाओं के प्रति होने वाले अपराधों की विवेचना में कोई लापरवाही नहीं होनी चाहिए -अध्यक्ष बृजलाल

Posted on 07 May 2018 by admin

सुरेन्द्र अग्निहोत्री ,लखनऊः 07 मई, 2018

उ0प्र0 अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष, श्री बृजलाल ने आज उत्तर प्रदेश प्रशासनिक व प्रबंधन अकादमी लखनऊ में आधारभूत प्रशिक्षण कार्यक्रम में दो डिप्टी कलेक्टर, 19 पुलिस उपाधीक्षक, 7 सहायक आयुक्त, उद्योग, एक सहायक निदेशक लेखा, 4 कोषाधिकारी एवं 6 कृषि अधिकारी कुल 39 परवीक्षाधीन अधिकारियों को अनुसूचित जाति ओैर अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 के बारे में विस्तृत जानकारी दी।
श्री बृजलाल ने अनुसूूचित जाति एवं जनजाति के सदस्यों पर होने वाले अत्याचारोें से संबंधित धाराओं के बारे में विस्तृत रूप से निराकरण कराये जाने की जानकारी देते हुए नियमोें के अन्तर्गत पीडित पक्ष को आर्थिक सहायता दिये जाने की जानकारी दी। उन्होंने गम्भीर मामलों जैसे हत्या, हत्या का प्रयास, बलात्कार, एसिड अटैक, महिलाओं के प्रति होने वाले अपराधों के सम्बन्ध में बताया कि ये संवेदनशील मामले होते हैं जिनकी विवेचना में कोई लापरवाही नहीं होनी चाहिए। अनुसूचित जाति एवं जनजाति की महिलाओं के प्रति अपराध की सूचना मिलती है तो वहां पर पुलिस अधीक्षक को स्वयं जाना चाहिए तथा मुकदमा पंजीकृत होने पर तत्परता से कार्यवाही की जानी चाहिए क्योंकि ऐसे मामलों की विवेचना पुलिस उपाधीक्षक द्वारा की जाती है। उन्होंने बताया कि प्रायः यह देखा गया है कि पुलिस उपाधीक्षक मामलों की विवेचना स्वयं न करके कार्यालय में तैनात अधीनस्थ कर्मियों से कराते है। यह स्थिति ठीक नहीं है। उन्होंने निर्देश दिया कि नियमों के अनुसार ही विवेचना करनी चाहिए यदि इन मामलों में ढिलाई बरती गयी तो आयोग ऐसे मामलों को गम्भीरता से लेते हुए कार्यवाही करेगा।
श्री बृजलाल ने बताया कि अनुसूचित जाति एवं जनजाति के व्यक्तियों को रू0 एक लाख से लेकर गम्भीर मामलों में आठ लाख पचास हजार रूपये तक की आर्थिक सहायता देने का प्राविधान है, जो तीन किस्तों में एफ0आई0आर0 पंजीकृत होने पर - 25 प्रतिशत, आरोप पत्र पे्रषित होने पर - 50 प्रतिशत तथा सजा होने पर - 25 प्रतिशत दी जाती है। अधिकांश मामलों में आरोप पत्र पे्रषित होने पर 75 प्रतिशत धनराशि पीडित पक्ष को समय से प्राप्त नहीं हो पाती है। हत्या के मामलों में 8.50 लाख रूपये से आधी धनराशि मुकदमा पंजीकत होने तथा पोस्टर्माटम होने पर दी जाती है। शेष धनराशि विवेचना के दौरान ही दे दी जाती है। यदि अत्याचार पर पीडित का अंग-भंग होता है तो उसकी डाक्टरी मुआयना होने के बाद रू0 एक लाख से रू0 8.50 लाख रूपय दिये जाने का प्राविधान है। हत्या के मामलों में मृतक आश्रित को धनराशि देने के अलावा तीन माह तक उसके परिवारीजनों को खाने-पीने की व्यवस्था प्रदेश सरकार करती है और परिवार के एक सदस्य को पांच हजार रूपया प्रतिमाह पेंशन प्रदेश सरकार द्वारा दी जाती है और मृतक के बच्चों को स्नातक तक की शिक्षा सरकारी खर्च पर दी जाती है।
श्री बृजलाल ने बताया कि पुलिस द्वारा समयबद्व तरीके से विवेचना दो माह में पूर्ण करने का प्राविधान है। अगर मामले की विवेचना में किसी हाल में विलम्ब होता है तो संबंधित पुलिस उपाधीक्षक इसका लिखित रूप से कारण बतायेगा। विवेचना का समयबद्व तरीके से निस्तारण किया जाय। मुकदमा पंजीकृत होने तथा आरोप पत्र पे्रषित होने पर प्रारम्भिक आर्थिक सहायता का प्रस्ताव जिला समाज कल्याण अधिकारी को भेजा जाय जिससे पीडित व्यक्ति को तुरन्त सहायता प्राप्त हो सके। एसिड अटैक के मामलों में वर्न इंजरी के आधार पर आठ लाख पचास हजार रूपये तक आर्थिक सहायता दिये जाने का प्राविधान है। अंग भंग की स्थिति में विकलांगता के प्रतिशत के आधार पर एक लाख से 8.50 लाख रूपये देने का प्राविधान है। नियमों के आधार पर पीडित का इलाज सरकार कराती है जिसे सुनिश्चित किया जाय।
आयोग के अध्यक्ष श्री बृजलाल ने बताया कि अनुसूचित जाति एवं जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम 1989 की धारा-4 में यदि लोक सेवक जानबूझ कर ढिलाई या लापरवाही करता है तो उसके विरूद्व मुकदमा पंजीकृत किये जाने का प्राविधान है। जिसमें सरकारी अधिकारी/कर्मचारी आरोपित होने पर सजा के रूप में कम से कम छः मास का कारावास, जो पांच वर्ष तक बढाई जा सकती है। अतः अधिकारियों को सचेत किया गया कि इस तरह के मामलों में ढिलाई बरतने पर उनके विरूद्व गम्भीर मामला बन सकता है। उन्होंने अधिकारियों को यह भी बताया कि आयोग में जमीन, मकान एवं रास्ते आदि की शिकायतें भी प्राप्त होती है। ऐसे मामलों में पुलिस एवं राजस्व के अधिकारियों की संयुक्त टीम मौके पर भेजकर तत्काल उनका निराकरण कराया जाय। जिससे कि भविष्य में मामला अपराधिक रूप न ले सके।

Leave a Reply

You must be logged in to post a comment.

Advertise Here

Advertise Here

 

April 2025
M T W T F S S
« Sep    
 123456
78910111213
14151617181920
21222324252627
282930  
-->









 Type in