Archive | August, 2017

ऐतिहासिक काकोरी काण्ड की 92 वीं वर्षगाँठ

Posted on 09 August 2017 by admin

kaakoreeसंकीर्ण राष्ट्रवाद और धर्मान्धता से देश की आज़ादी अभी बाकी- प्रो. पुरी
‘काकोरी से पहले और काकोरी के बाद’ और कमाल का जादू’ का लोकार्पण

ऐतिहासिक काकोरी काण्ड की 92 वीं वर्षगाँठ आज यहाँ पुराना
किला स्थित शहीद स्मारक एवं स्वतंत्रता संग्राम शोध केंद्र में बड़े अनोखे
अंदाज़ में मनाई गयी । मुख्य वक्ता प्रख्यात इतिहासविद प्रो. डॉ. हरीश के.
पुरी ने इस मौके पर कहा कि अंग्रेजों की गुलामी से तो देश को आज़ादी मिल
गयी है, मगर संकीर्ण राष्ट्रवाद और  धर्मान्धता से भारतीयता को आज़ाद करना
अभी बाकी है । उन्होंने ‘ग़दर’ नाम से प्रसिद्ध प्रथम स्वाधीनता संग्राम
के दुर्लभ संस्मरण सुनाते हुए बताया कि किस तरह देश के क्रांतिकारियों को
ग़दर के उस दौर ने प्रभावित किया और उनका जीवन दर्शन भी बदल कर रख दिया ।
वे जात-पांत और क्षेत्रवाद से ऊपर उठ कर सोचने लगे और उनकी नज़र में हर
हिन्दुस्तानी का भला ही जीवन का मुख्य उद्देश्य हो गया । आधुनिक तकनीक की
चपेट में आ चुकी इंसानियत को बचाना भी आज इसी तरह बहुत ज़रूरी हो गया है।
आज का विकास सामाजिक विकास पर तो जोर देता है मगर कमज़ोरों के आर्थिक
विकास को लेकर गंभीर नहीं है । देश की मुकम्मल आज़ादी के लिए अभी इसी तरह
के बहुत से संघर्ष ज़रूरी हैं ।

सुप्रसिद्ध वयोवृद्ध स्वतंत्रता सेनानी डॉ. बैजनाथ सिंह ने इस कार्यक्रम
की अध्यक्षता करते हुए कहा कि स्वतंत्रता संग्राम के दौरान
क्रन्तिकारियों और देश के महान नेताओं द्वारा दी गयी कुर्बानियों के कारण
ही ये देश आज एक वैश्विक महाशक्ति बनने की राह पर है । उन्होंने देश को
फिरकों में बांटने, आतंकियों को महिमामंडित करने और भ्रष्टाचार के हक़ में
सामाजिक विरोध के कम होने को देश की आज़ादी के लिए खतरा बताया । डॉ. सिंह
ने कहा कि नई पीढी को आज़ादी की लड़ाई के दर्दनाक दौर के बारे में बताने के
लिए साहित्यकारों को कुछ करना चाहिए ।

इससे पहले नेशनल बुक ट्रस्ट द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में ट्रस्ट के
सम्पादक पंकज चतुर्वेदी ने सबका स्वागत करते हुए दो पुस्तकों, डॉ. रश्मि
कुमारी की ‘काकोरी से पहले और काकोरी के बाद’ और डॉ. अशोक कुमार शर्मा की
‘कमाल का जादू’  का लोकार्पण कराया । बाद में दोनों पुस्तकों के लेखकों
ने बारी बारी अपनी किताबों के बारे में बताया । प्रो. प्रमोद कुमार
श्रीवास्तव ने भारत के स्वतंत्रता संग्राम में काकोरी काण्ड के महत्व पर
प्रकाश डालते हुए डॉ. रश्मि कुमारी की पुस्तक और उनके शोध अध्ययनों का
उल्लेख किया। बाल साहित्यकार संजीव जायसवाल ‘संजय’ ने डॉ अशोक कुमार
शर्मा की पुस्तक ‘कमाल का जादू’ की समीक्षा प्रस्तुत करते हुए बताया कि
बच्चों के मन में छिपे भय और आत्म विश्वास की कमी को दूर करना तभी संभव
है जब उनको ऐसी परिस्थितियों का पूर्वानुमान करके सतर्क और सजग रहने को
प्रेरित किया जाए ।

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अगस्त क्रांति और समाजवादः राजेन्द्र चौधरी

Posted on 09 August 2017 by admin

भारत की आजादी के लिए और अंग्रेजों की गुलामी से मुक्ति के लिए पहली जनक्रांति 1857 में हुई थी। 1885 ई0 में कांग्रेस की स्थापना के वर्षों बाद उसमें लोकमान्य तिलक का प्रवेश हुआ और जनअसंतोष की आवाज उभरने लगी। सन् 1919 में गांधी जी के असहयोग आंदोलन और सत्याग्रह ने लाखों लोगों को आकृष्ट किया। गांधी जी पहले ऐसे नेता थे जिनकी भारत के किसानों, गरीबों, वंचितों सहित समाज के हर वर्ग में पैठ बनी। उन्होंने अपने आंदोलनों से जनता को संगठित किया। अपने लंबे राजनीतिक संघर्ष से गांधी जी ने जनता के उत्साह को विशेषकर नौजवानों को आजादी के अन्तिम संघर्ष के लिए तैयार कर लिया था।

भारत छोड़ो आंदोलन भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की निर्णायक लड़ाई थी। क्रिश्स मिशन की विफलता से भारत में क्षोभ की लहर थी। दूसरे महायुद्ध में जापान प्रारम्भिक तौर पर अंग्रेजों पर भारी पड़ रहा था। भारतीय जनमानस में असंतोष था। गांधी जी ने 5 जुलाई 1942 को ‘हरिजन‘ पत्र में लिखा ‘अंग्रेजों भारत को जापान के लिए मत छोड़ो, बल्कि भारतीयों के लिए भारत को व्यवस्थित रूप से छोड़ जाओ।‘
8 जुलाई 1942 को भारतीय नेशनल कांग्रेस कमेटी की बैठक बंबई में हुई। इसमें निर्णय लिया गया कि भारत अपनी सुरक्षा स्वयं करेगा। अंग्रेज भारत छोड़े अन्यथा उनके खिलाफ सिविल नाफरमानी आंदोलन किया जाएगा। बंबई के ऐतिहासिक ग्वालिया टैंक में कांग्रेस के अधिवेशन में गांधी जी का ऐतिहासिक ‘भारत छोड़ो‘ प्रस्ताव 8 अगस्त 1942 को स्वीकार कर लिया गया। इस प्रस्ताव पर गांधी जी ने अपने भाषण में देश को ‘करो या मरो‘का मंत्र दिया।
9 अगस्त 1942 की भोर से ही कांग्रेस के सभी बड़े नेता पकड़ लिए गए। इसके बाद तो देश में भूचाल आ गया। जिसको जो सूझा उसने अपने ढंग से अंग्रेजीराज की खिलाफत शुरू कर दी। उ0प्र0 के बलिया और बस्ती में तो अस्थायी सरकारें तक स्थापित हो गई।
कांग्रेस के बड़े नेताओं की गिरफ्तारी के बाद समाजवादी विचारधारा के नेता श्री जय प्रकाश नारायण, डा0 राम मनोहर लोहिया, अरूणा आसिफ अली आदि ने आंदोलन का नेतृत्व सम्हाला। 9 अगस्त 1942 का ऐसा आंदोलन था जिसमें देश का हर वर्ग स्वतः स्फूर्त सक्रिय था।
भारत के विशाल जनांदोलन से अंग्रेज समझ गए थे कि उनकोभारत छोड़ने में अब देर नहीं होगी। इसलिए जाते-जाते उन्होंने भारत विभाजन का षड़यंत्र रच दिया। 15 अगस्त 1947 को देश की आजादी की घड़ी आ गई।
आजादी के बाद भारत के समक्ष कई गंभीर चुनौतियां उठ खड़ी हुई। गांधी जी ने स्वराज के साथ ग्राम राज का जो सपना देखा था वह कांग्रेस के नए नेतृत्व को रास नहीं आया और देश उनके पश्चिमी प्रभाव वाले रास्ते पर चल पड़ा।
स्वतंत्रता आंदोलन में भारत के सभी समुदायों ने बढ़चढ़कर हिस्सा लिया था। इसमें हिंदू और मुस्लिम दोनों ने अपनी कुर्बानी देकर भारत को आजाद कराने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी। आजादी के बाद शासन सŸाा में जिनके हाथ नेतृत्व आया उन्होंने उन मूल्यों एवं आदर्शों को परे रख दिया जिनके आधार पर गांधी जी ने नए भारत के निर्माण का सपना देखा था। देश में गरीबी, बीमारी, भूख, अशिक्षा, की लड़ाई मंद पड़ गई। गैर बराबरी का दैत्य सब पर भारी पड़ने लगा। जाति और संप्रदाय की राजनीति ने समाज को बांटने और सद्भाव तथा परस्पर सहयोग की भावना को धूमिल कर दिया।
भारत की आजादी के साथ ही कुछ प्रबुद्ध युवा नेतृत्व ने विचारधारा के आधार पर राजनीति चलाने का मन बना लिया था। इस देश की माटी और परम्पराओं से चूंकि समाजवादी विचारधारा की ज्यादा निकटता थी इसलिए देश में समाजवादी आंदोलन को बल मिला। श्री जय प्रकाश नारायण, डा0 राममनोहर लोहिया और आचार्य नरेन्द्र देव ने इस आंदोलन की कमान सम्हाली।
भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में, जिसकी अगुवाई महात्मा गांधी ने की थी, कई मूल्य एवं आदर्श स्थापित हुए थे। गांधी जी सिद्धांतहीन राजनीति को सामाजिक पाप मानते थे। उनका मानना था कि राजनीति सेवा का माध्यम है। गांधी जी साध्य साधन की पवित्रता पर बल देते थे। नैतिक मूल्यों के प्रति उनका आग्रह था। वे मानते थे कि किसी भी कार्य या योजना के केंद्र में समाज के अंतिम छोर पर खड़े व्यक्ति को रखना चाहिए। भारत के संविधान में एक व्यक्ति एक वोट के माध्यम से व्यक्ति की गरिमा को, जाति-धर्म के भेदभाव के बिना, सम्मान दिया गया। लोकतंत्र, समाजवाद और धर्मनिरपेक्षता को संविधान की मूल प्रस्तावना में शामिल किया गया।
वैसे भी आज दो तरह की विचारधाराओं में टकराव है। एक तरफ लोकतंत्र है तो दूसरी तरफ अपने को सर्वोपरि दिखने की सŸाालिप्सा। इसमें हमें तय करना है कि हमें किधर जाना है? मूल अधिकार उस समाज और व्यक्ति द्वारा प्रयोग किए जा सकते हैं जो कानून के प्रति आदर रखते हैं, जो जिम्मेदारी तथा नियंत्रण के सम्यक व्यवहार के लिए तैयार हों। लेकिन जब कोई एक समूह या दल राज्य को कैद करने को संगठित होते हैं, या इसे अपना लक्ष्य बना लेते हैं, तो किसी समाज के लिए इनका सामना करना बिना किसी अहिंसक प्रतिरोध के संभव नहीं हो सकता है। हम लोकतंत्र की परिधिमें रहकर ही संविधान के मूल उद्देश्यांे को बचा सकते हैं।
आज देश के समक्ष जो समस्यायें और चुनौतियां हैं उनके समाधान का रास्ता सिर्फ समाजवादी विचारधारा के पास ही है। जेपी-लोहिया की समाजवादी रीति-नीति पर चलने का काम राजनैतिक दल के रूप में समाजवादी पार्टी ही कर रही है। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री अखिलेश यादव के नेतृत्व में समाजवादी पार्टी व्यवस्था परिवर्तन के आंदोलन को आगे बढ़ाने को संकल्पित है।
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव यह मानते हैं कि सामाजिक-आर्थिक राजनीतिक लोकतंत्र के प्रमुख तंत्र हैं इसलिए वे समाजवादी व्यवस्था और समतामूलक समाज के निर्माण पर बराबर जोर देते रहते हैं। वे डा0 लोहिया के इस सिद्धांत के कायल हैं कि गैरबराबरी मिटनी चाहिए तो संभव बराबरी लक्ष्य होना चाहिए। उनकी सप्तक्रान्ति समानता, राष्ट्र और लोकतंत्र के उन्नयन की कुंजी मानी जा सकती है।
श्री अखिलेश यादव ने अपने मुख्यमंत्रित्वकाल में सामाजिक न्याय की दिशा में कई महत्वपूर्ण कदम उठाए थे। उन्होंने पिछड़ों और वंचितों के सम्मान पूर्वक जीने के लिए विशेष अवसर प्रदान करने का कार्य किया। श्री यादव मानते हैं कि सामाजिक प्रगति के साथ व्यक्ति और समाज की आर्थिक प्रगति भी होनी चाहिए तभी लोकतंत्र फल फूल सकता है।
आखिर किसानों की हितों की रक्षा का नीतियों, नेतृत्व और नियत से गहरा सम्बंध है। किसान ही भारत का प्राण है। प्राणहीन समाज में कोई जीवन नहीं हो सकता। ऐसी स्थिति में विचारधारा के आधार पर नीतिगत बंटवारा आवश्यक हो चला है। गंाव, कृषि और किसान की आवाज की चिंता खुद चैधरी चरण सिंह जी ने राष्ट्रीय फलक पर उठाई थी। बाद में उनके अनुयायी समाजवादी आंदोलन के साथ जुड़ गए। आज वे श्री अखिलेश यादव की अगुवाई में उसी रास्ते पर चलने का प्रयास कर रहे है। युवा पीढ़ी की चिंता भी अखिलेश जी ही करते नजर आते है। वे मानते हैं कि समाजवाद का रास्ता ही शोषण विहीन समाज का निर्माण कर सकेगा। लोकतांत्रिक व्यवस्था की ताकत ही आर्थिक विषमता और सामाजिक गैरबराबरी मिटाने में सफल हो सकती है। लोकतंत्र के लिए आवश्यक है कि सभी प्रकार की सŸाा का विकेन्द्रीकरण हो। इसमें ही अगस्त क्रांति की सार्थकता निहित है।
(राजेंद्र चौधरी, उत्तर प्रदेश समाजवादी पार्टीके मुख्य प्रवक्ता एवं पूर्व कैबिनेट मंत्री हैं।)

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कैबिनेट मंत्री धर्मपाल सिंह ने भाजपा मुख्यालय पर जनसमस्याओं का किया निवारण

Posted on 09 August 2017 by admin

09 अगस्त को जन सहयोग केन्द्र पर कैबिनेट एस पी सिंह बघेल उपस्थित रहेगें
भारतीय जनता पार्टी प्रदेश मुख्यालय पर जनसमस्याओं के निराकरण के लिए कैबिनेट मंत्री धर्मपाल सिंह उपस्थित रहे।
जनसमस्याओं की सुनवाई हुए मंत्री धर्मपाल सिंह ने कहा कि आमआदमी की समस्या का समाधान योगी सरकार की प्राथमिकता है। उन्होंने कहा कि लगभग 100 लोग अपनी समस्या को लेकर आज जनसुनवाई केन्द्र पर आये जिनकी समस्याओ के निदान के लिए सम्बन्धित जिलाधिकारियों तथा पुलिस अधीक्षकों को सीधे निर्देश दिए गए।
श्री धर्मपाल जी ने कहा कि योगी सरकार की प्राथमिकता गरीबों, किसानों तथा मजदूरो की समस्या का निदान तथा उनकी खुशहाली है जिसके लिए सरकार पूरी प्रतिबद्धता के साथ कार्य कर रही है। वाढ पीड़ितों को लेकर पूछे गए सवाल पर सिचाई मंत्री ने कहा कि 38 जिले वाढ प्रभावित है प्रतिदिन बाढ की स्थित को लेकर दो को बुलिटेन जारी होती है तथा सभी सम्बन्धित जिलाधिकारियों को इस सन्दर्भ में निर्देश दिये गए है कि बाढ पीडित जिलो के सिचाई विभाग केे अधिकारियों को तटबन्ध पर तैनात किया गया है तथा राज्य आपदाराहत से सम्बन्धित अधिकारियों की तैनाती की गई है। बाढ से खराब हुई सडको को बनाने, बाढ़ पीडितो के लिए औषिधियों बाढ़ पीडितों के लिए शिविर, राशन, मिट्टी का तेल आदि सभी प्रबन्ध किए गये है। पूर्व सरकार में तटबन्धों को र्निमाण में हुए घोटाले के सन्दर्भ में किए गए सवाल पर श्री धर्मपाल जी ने कहा कि एल्गिन तटबन्ध के र्निमाण की जांच उन्होंने स्वंय की तथा दो अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही की गई है।
गोमती रीवर फ्रन्ट को लेकर किए गए सवाल पर उन्होने कहा कि श्री सुरेश खन्ना जी की अध्यक्षता में बनी कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर 9 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है तथा सीबीआई जांच कर रही है। दोषियों को सजा मिलेगी। उन्होने यह भी कहा कि बहुत कम खर्च से गोमती रीवर फ्रन्ट का कार्य पूरा किया जाएगा और गोमती में स्वच्छ जल उपलब्ध होगा। प्रधानमंत्री सिंचाई योजना पर किए गए सवाल पर सिचाई मंत्री ने कहा कि सिचाई से समृद्ध आती है उत्तर प्रदेश प्रधानमंत्री जी के स्पप्नों को साकार करेगा व्दम कतवच डवतम ब्तवच पिछली सरकार स्प्रिकल सिंचाई पर 60प्रतिशत तथा 40 प्रतिशत अनुदान दे रही थी जब कि योगी सरकार ने लघु व सीमान्त किसानों को 90 तथा सामान्य किसान को 80 प्रतिशत अनुदान देने का र्निणय किया है। उन्होने कहा कि हम उत्तर प्रदेश को समृद्ध राज्य बनाएगें। उन्होने कहा कि कानून व्यवस्था चुस्त दुरूस्त करने की दिशा में सरकार प्रतिबद्ध है और जहां भी इसमें कमी पाई जायेगी उसे दूर किया जाएगा।
श्री सिंह ने सुबह 11 बजे से दोपहर 01 बजे तक जनसमस्याओं के निस्तारण किया। मा0 मंत्री जी के साथ प्रदेश उपाध्यक्ष जसवन्त सैनी एवं प्रदेश मंत्री कौशलेन्द्र ंिसह जनसमस्याओं के निराकरण में जुटे रहे।
भाजपा प्रदेश मुख्यालय पर कल दिनांक 09 अगस्त को सुबह 11 बजे से दोपहर 01 बजे कैबिनेट मंत्री एसपी सिंह बघेल जनता की समस्याओं के निराकरण के लिए उपस्थित रहेंगे। साथ ही प्रदेश उपाध्यक्ष बाबूराम निषाद एवं प्रदेश मंत्री शंकर गिरी एवं कार्यालय सहायक आनंद पाण्डेय भी उपस्थित रहेंगे।

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उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी 6 अगस्त, 2017 को म्यांमार के यांगून नगर में आयोजित ‘संवाद’ कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए

Posted on 08 August 2017 by admin

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राज्यपाल ने यांगून में विख्यात बौद्ध पैगोडा के दर्शन किए

Posted on 08 August 2017 by admin

आज लखनऊ पहुंच रहे हैं राज्यपाल राम नाईक

img-20170807-wa0011उत्तर प्रदेश के राज्यपाल श्री राम नाईक ने आज म्यांमार में यांगून स्थित प्राचीन विख्यात श्वेदागौन पैगोडा का भ्रमण कर दर्शन किया। श्वेदागौन पैगोडा की बौद्ध धार्मिक स्थल के रूप में मान्यता है। राज्यपाल ने पैगोडा के दर्शन के पश्चात् प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि यह भारत और म्यांमार के बीच धार्मिक एवं आध्यात्मिक सेतु के रूप में कार्य कर रहा है। इससे दोनों देशों के बीच सदैव मित्रता बनी रहेगी तथा दोनों देश एक-दूसरे को सभी क्षेत्रों में सहयोग करते रहेंगे।
राज्यपाल राम नाईक को म्यांमार दौर से उनकी वापसी पर म्यांमार के वाणिज्य एवं व्यापार मंत्री श्री थान मिंट ने यांगून हवाई अड्डे पर विदाई दी। राज्यपाल आज रात्रि लखनऊ पहुंच रहे हैं।img-20170807-wa0004
उल्लेखनीय है कि राज्यपाल राम नाईक अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन ‘संवाद-प्प्’ में प्रतिभाग करने हेतु 4 से 7 अगस्त, 2017 तक म्यांमार दौर पर थे जिसमें प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ ने भी प्रतिभाग किया था।

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हिँसा नफरत और अशांति के ख़िलाफ़ बनारस में साझा सँस्कृति मंच और जॉइंट एक्शन कमेटी BHU द्वारा आयोजित ‘ धर्म सँसद ‘ में शांति और अमन की की गयी अपील

Posted on 08 August 2017 by admin

धर्म गुरुओं ने मञ्च से फ़िरकापरस्ती की राजनीती से बचने को चेताया।

whatsapp-image-2017-08-06-at-19महोदय आज दिनांक 6 अगस्त 2017 दिन रविवार को साझा सँस्कृति मंच और जॉइंट एक्शन कमेटी BHU द्वारा आयोजित धर्म सँसद में हिँसा नफरत और अशांति के ख़िलाफ़ बनारस की गँगा जमुनी तहज़ीब को सँजोने की बात करी गयी। धर्म गुरुओं ने मञ्च से फ़िरकापरस्ती की राजनीती से बचने को चेताया। सिगरा स्थित चाइल्ड लाइन अश्मिता संस्थान में आयोजित कार्यक्रम का आधार वैश्विक नफरत और हिंसा का प्रतिनिधि दिन और घटना रही , ‘ आज ही के दिन अमेरिका ने 6 अगस्त 1945 को हिरोशिमा नामक जापानी शहर पर लिटिल मैन नामक यूरोनियम बम द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान गिराया था। इस बम के प्रभाव से 13000 किमी में तबाही फ़ैल गयी , साढ़े तीन लाख लोगो में एक लाख चालीस हजार लोग एक झटके में मर गए। ये बूढ़े बच्चे और महिलाए थे कुल मिलाकर आम शहरी थे। 20000 फारेनहाइट का ताप पैदा हुआ था विस्फोट से , जंगल पेड़ मनुष्य घर सब कागज की तरह जल गए थे , पानी के श्रोत भाप बनकर उड़ गए थे। जो पहले झटके में मरे उन्हें अधिक कष्ट नही उठाना पड़ा था, बाकी जो दूर थे वो मर्मान्तक अंत पाए और अगले कई सालों तक वह क्षेत्र अभिशप्त हो गया विकलांगता कैंसर और न जाने किन किन बीमारियों के लिए। और ये दुर्घटना हमें यह स्मरण रखने को कहती है की वैश्विक स्तर पर इतने पाशवी कृत्य से गुजरे है जब इंसान को गाजर मूली की तरह काट के रख दिया गया और इंसानियत तार तार हो गयी थी। वक्ताओं ने कहा की हाल ही में इजराइल यात्रा के दौरान होलोकॉस्ट म्यूजियम में प्रधानमंत्री मोदी ने विजिटर्स डायरी में लिखा है की एक ऐसी दुष्टता की मर्मस्पर्शी याद जिसे बताने के लिए शब्द नहीं।” 1933 से 1939 के बीच 60 लाख लोगो को मारा गया था। नस्ल के नाम पर पहचान को बुरा बताकर लोगो को गैस चैंबरों में ज़िन्दा जलाया गया और इस काम को करने वाला सनकी इंसान का नाम हिटलर था। इतिहास के रक्तरंजित किताबो के पन्ने ऐसे ही सनकियों की गाथाओं से भरे पड़े है। धर्म के नाम पर तो कभी जाती के नाम पर या फिर सम्पत्ति या फिर राजकुमारी प्रेमिका से विवाह के नाम पर भयंकर कत्ले आम किये गए है। इतिहास की महत्वाकांक्षा और स्वार्थ ने मानव सभ्यता की रीढ़ को सीधी करने के बजाय हमेशा झुका झुकाकर विश्व के भूगोल को ही गोल बनाने की कोशिश किया है। सिकंदर की व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा को पूरा करने के लिए न जाने कितने बच्चे अनाथ हुए कितनी स्त्रियाँ बेवा हुई इसका हिसाब सिकंदर महान से कौन लेगा ? मध्य एशिया के आक्रांताओं से उनके लालच और साम्राज्य विस्तार वहशी पँजे की ज़द में दबे कुचले मानवता की बात की जाए तो क्या जवाब होगा ? आश्चर्य है की इतिहास के इन सनकियों को तत्कालीन समाज देवता बनाकर पूजता था, सर पर बैठाता था।

Not In My Name ‘ मुहीम के तहत  आयोजित इस कार्यक्रम में हिँसा, राजनीती और साम्प्रदायिकता के अंतरसंबन्धों की भी पड़ताल की गयी और कहा गया की हिंदुस्तान मे जब हम साम्प्रदायिकता की जड़ो को तलाशते हैं तो हम ये तय नही कर पाते की वो कौन सा वर्ष चुने, जब देश मे साम्प्रदायिक दंगे ना हुए हों। आज़ादी के बाद के सरकारी आंकड़ो के अनुसार मुल्क मे हजारो हजार दंगे हो चुके हैं और कोई भी वर्ग इन दंगों से अछूता नही रहा है. जब हम साम्प्रदायिक दंगों के इतिहास को खंगालते हैं तो पाते हैं की व्यापक स्तर पर पहले साम्प्रदायिक हिंसा का शिकार आजादी की लड़ाई के अगुआ रहे महात्मा गांधी हुए थे. ताउम्र साम्प्रदायिकता के खिलाफ आगाह करते रहने व लड़ते रहने वाले गाँधी को मुस्लिम तुष्टिकरण के आरोप मे गोली मार दी गई.

कट्टर धार्मिक विचारधारा अगर सत्ता को परिभाषित करने लगे तो उसके लिए एक कट्टर नागरिक किसी साधारण नागरिक से ज्यादा फायदेमंद होता है. वर्तमान समय मे राजनीति का पूरा ध्यान आम नागरिक को एक कट्टर नागरिक मे बदलने की है. इस प्रक्रिया के तहत उनके निशाने पर वो हर चीज है जो आम नागरिकों के रोजमर्रा की जिंदगी से जुड़ती हो. शिक्षा, मीडिया, फौज, पुलिस, विधायिका, न्यायपालिका, अन्य संवैधानिक संस्थान इत्यादि, अलग-अलग तरीके से इन सभी संस्थाओं को साम्प्रदायिक बनाया जा रहा है। धर्म गुरुओं ने बनारस की गंगा जमुनी तहजीब और साहचर्य जीवन के भाव को संजोने पर जोर दिया और कहा की बुराई सबमे होती है हर समय लालची और महत्वकांक्षी दुष्ट विचार समाज में सक्रिय रहते है लेकिन सज्जन व्यक्ति का कर्तव्य है की वह अपने देश समाज के समता सहिष्णुता वाले इतिहास उदाहरणों को याद करे और उन पर चले न की निगेटिव चीजों पर प्रतिक्रिया करे और वैमनष्य फैलाए। संकट मोचन बम कांड के समय महंत वीरभद्र मिश्र और मुफ़्ती ए शहर ने इस शहर को साम्रदायिक तनाव से बचाया था और विस्फोट के तत्काल बाद शन्ति मार्च लेकर सड़को पर उतर आए थे और बनारस किसी बुरी स्मृति की जगह आज गर्व बोध से वह दिन याद करता है। काशी कबीर और रैदास की नगरी रही है यंहा से बढ़ ने संदेश दिया है यंहा बिस्मिल्लाह की शहनाई बजी है। और यही संस्कृति भारतीय संविधान की आत्मा है , जब हम गौरव से कह रहे होते है की हम एक धर्मनिरपेक्ष समाजवादी गणराज्य है और हमारे देश में सभी पंथो मतों सम्प्रदायो और धर्मो को राज्य द्वारा समान भाव से देखा जाएगा। सहिष्णुता और साहचर्य को बढ़ावा देने वाला संविधान ही हमारा प्रकाशपुँज है। भीड़ द्वारा की जा रही हिंसा देश के भाईचारे वाले ताने बाने के लिए नुकसान दायक है और इसके खिलाफ ये समय एकजुटता का है. सभी धर्मों के प्रतिनिधियों को एक होकर साम्प्रदायिकता के खिलाफ लड़ाई लड़नी होगी, उसे हराना होगा वर्ना वो समय दूर नही जब हमारी सड़कों पर गाँधी से ज्यादा गोडसे घूमते नजर आएं. गँगा ज़मुनी तहज़ीब के संवाहक शहर पर फिर से ज़िम्मेदारी आन पड़ी है मजहबी और जातीय कट्टर साम्प्रदायिक शक्तियों को हराने के लिए अपने गलियों में खिड़कियों को खोलना होगा और ताज़ी हवा के झोंको के बीच सेवइयों और मिठाइयों को बाँटना होगा। पान की अडियो को गुलजार करना होगा।

हिरोशिमा के लिए 2 मिनट का मौन भी रखा गया और युद्धेष बेमिसाल के जनगीत और प्रेरणा कला मञ्च के गीत हुए कार्यक्रम में।

कार्यक्रम का सञ्चालन जागृति राही , स्वागत सतीश सिंह ,धन्यवाद सुरेन्द किशोर एडवोकेट ने किया सभा मे प्रमुख रूप से अग्रलिखित लोग मौजूद रहे ज्ञान प्रकाश जी कबीर कीर्ति मंदिर, मैडम मार्था बहाई धर्म प्रतिनिधि, भंते प्रियदर्शी बुद्ध मंदिर सारनाथ, मुफ़्ती हसन नक्शबंदी, मुफ़्ती ए शहर बातिन साहब, भाई अमरप्रीत जी सिख गुरु द्वारा साहिब नीचीबाग, प्रोफेसर प0 सुधाकर मिश्र विभागाध्यक्ष वेदांत विभाग सम्पूर्णनाद सँस्कृत विवि , फादर दिलराज वल्लभाचार्य पांडेय, प्रोफेसर महेश विक्रम सिंह प्रो0 स्वाति, चिंतामणि सेठ, डॉ लेनिन रघुवंशी, अनुप श्रमिक, डॉ आनंद प्रकाश तिवारी, रवि शेखर, दिवाकर सिंह, रामजनम भाई, एस0पी0 राय, संजय भट्टाचार्य एडवोकेट , फादर दयाकर, एकता शेखर, धनञ्जय, गजेंद्र सिंह, मुकेश उपाध्याय, डॉ नीता चौबे, विनय सिंह, दीनदयाल, संजीव सिंह, एजाज भाई, प्रेम सोनकर, आकाश सिंह राजेश्वरी देवी आदि प्रमुख रहे।

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देश बचाओ,देश बनाओ

Posted on 08 August 2017 by admin

dsc_0543समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री अखिलेश यादव ने आज यहां पत्रकारों से वार्ता करते हुये कहा कि भाजपाई दिन को रात कह रहे हैं और जनता को गुमराह कर रहे हैं। भाजपा ने अपने संकल्प पत्र में बड़े-बड़े वादे किये थे, अब वे उन्हे याद नही आ रहे हैं। फसल के उत्पादन लागत में 50 प्रतिशत अतिरिक्त मूल्य देने का वादा पूरा नहीं कर रहे हैं। किसानों की आमदनी दुगुनी कैसे करेगें, बता नही पा रहे हैं। बिहार में नीतिश कुमार की जदयू और भाजपा सरकार कब्रिस्तान बना रही हैं मगर उंगली समाजवादी सरकार के कामों पर उठाई जा रही है।
श्री यादव ने कहा कि जीएसटी और नोटबंदी से भाजपा सरकार के पास बहुत रूपये जमा हो गए हैं। उन्हे चाहिए कि वे मुस्लिम बेटियों को कम से कम 5 लाख रूपये शादी के लिये दें। समाजवादी सरकार ने समाज के सभी वर्गो के फायदे की योजनाएं लागू की थी जबकि भाजपा सरकार के समय गरीबों के हित की कई योजनाएं बंद कर दी गई हैं। महिलाए अपने को असुरक्षित समझ रही है।
श्री अखिलेश यादव ने कहा कि समाजवादी पार्टी 9 अगस्त को क्रान्ति दिवस पर ‘देश बचाओ,देश बनाओ‘ नारे के साथ जनता की आवाज जोर-शोर से उठाएगी और भाजपा की जनविरोधी नीतियों का पर्दाफाश करेगी। देश और समाज को तोड़ने वाली भाजपा और आर एस एस की नीतियों के खिलाफ जनता का आव्हान होगा।
मुुख्य प्रवक्ता राजेेन्द्र चौधरी ने बताया कि इसके पूर्व पार्टी मुख्यालय लखनऊ में बड़ी संख्या में आए कार्यकर्ताओं और विशेषकर महिलाओं को रक्षाबंधन के पर्व पर बधाई देते हुए श्री अखिलेश यादव ने प्रदेश में खुशहाली और तरक्की की कामना की। उन्होने बहनों को सुरक्षा एवं सम्मान का भरोसा दिलाया और समाज में सहयोग तथा सद््भाव की भावन के प्रसारपर बल दिया।
आज रक्षाबंधन पर्व पर पं0 हरि प्रसाद मिश्र ने मंत्रोचारण के साथ पूर्व मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव को रक्षा सूत्र बांधकर आशीर्वाद दिया। इस अवसर पर विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष श्री अहमद हसन, पूर्व मंत्री श्री राजेन्द्र चौधरी, विधायकगण श्री एस आर एस यादव, श्री अरविन्द कुमार सिंह तथा शायर श्री अनवर जलाल मौजूद थे।
आज श्री अखिलेश यादव को राखी बांधने विभिन्न संगठनों की सैकड़ो महिलाएं, जिनमें अल्पसंख्यक महिलाएं भी बड़ी तादाद में थी। बृृहृमकुमारी समाज की वी केकोमल के नेतृृत्व में आई बहनांे ने उनको राखी बांधी। श्री जनेश्वर मिश्र की बेटी ने भी उन्हें राखी बांधी। इसके अतिरिक्त कुमारी सिद्धि विद्यार्थी तथा हर्शवर्धन अग्रवाल के साथ हेल्प यू ट्रस्ट, सुश्री अल्पना मेहरोत्रा, सेक्रेटरी आरोह वेलफेयर सोसायटी, इन्दिरानगर, के साथ बड़ी संख्या में बहनों ने राखी बांधी। लखनऊ विश्वविद्यालय की छात्र-नेत्री सुश्री पूजा शुक्ला, धानुक समाज की दीपिका, स्वीटी और श्वेता तथा समाजवादी महिला सभा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य सुश्री मोनिका नाज खान आदि ने भी रक्षा बंधन पर्व पर राखी बांधकर श्री अखिलेश यादव का अभिनंदन किया।

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राष्ट्रकवि मैथलीशरण गुप्त की जयन्ती

Posted on 08 August 2017 by admin

20170806_201905राष्ट्रकवि मैथलीशरण गुप्त की जयन्ती पर राय उमानाथवली प्रेक्षाग्रह मे मुख्य अतिथि ड़ा विजय खैरा भाजपा के वरिष्ठ नेता तथा बुन्देलखंड़ विकास परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष,सुधीर हलवासिया वरिष्ठ भाजपा ,अनिल दमेले (आई ए एस रिटा०) व संस्था के अध्यक्ष एम पी वैश्य,अनिल कुमार गुप्ता,रवीन्द्र कुमार गुप्ता आदि ने इस वर्ष शुरू किये गये राष्ट्रकवि मैथलीशरण गुप्त सम्मान इटावा के कवि गौरव चौहान को दिया गया।कवि प्रकाश गुप्ता जवलपुर तथा वरिष्ठ पत्रकार सुरेन्द्र अग्निहोत्री का सम्मान   किया गया। जे पी गुप्ता तथा दिनेश गुप्ता ने अपनी मां की स्मृति में इस वर्ष प्रतिभा शाली छात्रो को  पांच तथा तीन हजार धनराशि के प्रदान किये।समारोह में देर रात तक कवि सम्मेलन चलता रहा।

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मनकामेश्वर घाट पर गूंजा जयति जयति संस्कृत भाषा

Posted on 08 August 2017 by admin

- मनकामेश्वर घाट पर हुई पूर्णिमा की महा आरती

- संस्कृत दिवस के उपलक्ष्य में हुए नामकरण और विद्यारंभ संस्कार

- आदि गोमती के आध्यात्मिक पक्ष की रोचक जानकारी पंडित श्यामलेश तिवारी ने दी

- राधाकृष्ण की झांकी और संस्कारों पर बनी सतरंगी रंगोली ने किया आकर्षित

- श्लोक प्रतियोगिता में भी दिखा उत्साह

- शिव तांडव एलबम के कलाकारों को दिया गया नमोस्तुते मां गोमती सम्मान

संस्कृत दिवस महोत्सव के रूप में रविवार को डालीगंज के मनकामेश्वर मठ-मंदिर गोमती घाट पर आदिगंगा मां गोमती का महा आरती अनुष्ठान हुआ। चन्द्रग्रहण के कारण यह पर्व एक दिन पहले रविवार को आयोजित किया गया। इस अवसर घाट परिसर संस्कृत भाषा के जयघोषों से गूंज उठा। संतरंगी रंगोलियां से पटे घाट की आभा देखते ही बनी। शिवतांडव एलबम के कलाकारों की जीवंत प्रस्तुति ने इस समारोह का आकर्षण कई गुना बढ़ाया। पंडित श्यामलेश तिवारी ने इस अवसर पर आदि गंगा मां गोमती के बारे में कई रोचक जानकारियां भी दीं।

नमोस्तुते मां गोमती अभियान के तहत रविवार को मनकामेश्वर मठ मंदिर घाट पर दोपहर से ही भक्त जुटने लगे थे। छुट्टी का दिन होने से भक्तों ने इस आध्यात्मिक अनुष्ठान में बढ़-चढ़ कर भाग लिया। मनकामेश्वर उपवन घाट पर रविवार को आदि गंगा मां गोमती की महा आरती श्रीमहंत देव्या गिरि की अगुआई में की गई। तट पर बनी 11 महा आरती की वेदियों पर आचार्य श्यामलेश के मार्गदर्शन में बनारस की तर्ज पर विधि विधान से आरती की गई। इस अवसर पर शंख, घंटे घड़ियाल और बड़े डमरू से घाट गूंज उठा। महंत देव्या गिरि की अगुवाई में मनकामेश्वर घाट पर बनी 11 महा आरती वेदियों को 11 तीर्थ के रूप पूजते हुए परिक्रमा भी की गई। इस यात्रा में संजय सोनकर, अजय चौरसिया, मातेश्वरी देवी, उपमा पाण्डेय, अमित गुप्ता, श्यामू सिंह, आदित्य मिश्रा, विनय, दीप ठाकुर, मणि खरे, तरुण जायसवाल, सचिन जायसवाल सहित अन्य ने भाग लिया। इसें भक्तों के हाथों में 11 कलश, दीपक सहित थे। 11 परिक्रमा के बाद 11 दीपकों को गोमती में प्रवाहित किए गए। इस यात्रा में भक्तों के हाथों में संस्कृत की सूक्तियां लिखी थी। भक्तों ने अस्माकम भाषा संस्कृतम, जयति जयति संस्कृत भाषा, मम मातुह भाषा संस्कृतम, मम पितुह् भाषा संस्कृतम, मंदिरस्य भाषा संस्कृतम, समाजस्य भाषा संस्कृतम ने जयघोष किया।

संस्कृत दिवस पर हुए संस्कार

मनकामेश्वर मठ-मंदिर की श्रीमहंत देव्यागिरि ने संस्कृत दिवस के बारे में बताया कि हर साल श्रावणी पूर्णिमा के पावन अवसर को संस्कृत दिवस मनाया जाता है। 1969 में भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय के आदेश से केन्द्रीय और राज्य स्तर पर संस्कृत दिवस मनाने का निर्देश जारी किया गया था। तब से संस्कृत दिवस श्रावण पूर्णिमा के दिन मनाया जा रहा है। उन्होंने बताया कि श्रावण पूर्णिमा पर ही प्राचीन भारत में छात्र, शास्त्रों का अध्ययन शुरू करते थे। पौष माह की पूर्णिमा से श्रावण माह की पूर्णिमा तक अध्ययन बन्द हो जाता था। प्राचीन काल में फिर से श्रावण पूर्णिमा से पौष पूर्णिमा तक अध्ययन कार्य किया जाता था। उसी गुरुकुल परंपरा का निर्वाह करते हुए श्रावण पूर्णिमा से वेदाध्ययन सहित अन्य अनुष्ठान मनकामेश्वर घाट पर रविवार को आयोजित करवाए गए। अजय और ज्योति जायसवाल के पुत्र चिरंजीव संग देवांगी का नामकरण और वैदिक सहित कई बच्चों का अन्नप्राशन संस्कार मनकामेश्वर घाट पर हुआ। इस अवसर पर मंत्रोचार संग विद्याआरंभ संस्कार भी हुए। इस मौके पर दैनिक जीवन में बोले जाने वाले पंच मंत्रों का अभ्यास भी करवाया गया।

गोमती के 3 तटों पर है महादेव का वास

पंडित श्यामलेश तिवारी ने इस विशेष अनुष्ठान में आदि गंगा मां गोमती के बारे कई अनछुए पहलुओं की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि ऋग्वेद, स्कंदपुराण और महाभारत में गोमती नदी का उल्लेख मिलता है। उनके अनुसार आदि गंगा इसलिए भी पूज्य है क्यों कि इसके तीन तट पर महादेव के प्रतिष्ठित तीर्थ हैं। काशी के जौनपुर से त्रिलोचन महादेव मंदिर और सीतापुर के नैमिषारण्य के पास गोकरण महादेव तीर्थ है। यही नहीं पीलीभीत और शांहजहांपुर के बीच गोमती तट पर त्रियंबक महादेव मंदिर है। उन्होंने बताया कि 960 किलोमीटर लम्बी मां गोमती नदी की सौ सहायक नदियां हैं। इस नदी का इतना अधिक महत्व है कि पारिजात ग्रंथ में तो यहां तक वर्णित है कि अंजाने में गौहत्या हो जाने पर व्यक्ति अगर गोमती में स्नान, जाप, पूजन करेगा तो वह गोहत्या से मुक्त हो सकता है। इसलिए यह आदिगंगा बाद में गोमती कहलायी। उन्होंने बताया कि नवाबी काल में इसके तट पर बाजपेई समाज राजसूय यज्ञ करते थे। उन्होंने बताया कि भगवान शालिग्राम के पूजन में गोमती चक्र अनिवार्य रूप से शामिल किया जाता है।

शिव तांडव एलबम की लाइव प्रस्तुति बनी आकर्षण

सुष्मित त्रिपाठी के कंठ स्वरों से सजे शिव तांडव एलबम की लाइव प्रस्तुति इस समारोह का अन्य आकर्षण बनी। संस्कृत दिवस के विशेष अवसर सुष्मित त्रिपाठी, आशीष शर्मा, जगतपति पाण्डेय, अंकुश को नमोस्तुते मां गोमती संस्कृत सम्मान से अलंकृत किया गया। इस क्रम में स्वाति कश्यप, गौरव, शिवानी ने राधा कृष्ण की सुंदर झांकी भी पेश की। अरुणा उपाध्याय, प्रीति सिंह, शिखा श्रीवास्तव, रेणु गौड़, गीता शुक्ला, किरन दीक्षित ने शिवशंकर चले कैलाश, अरे रामा सावन मास सुहावन, हमार जोगिया, झूला झूलत बिहारी, रुचि रुचि पीसे मेंहदिया जैसे गीत सुनाकर श्रोताओं की प्रशंसा हासिल की। उनके वृंद दल में अरुण त्रिपाठी, चन्द्रेश पाण्डेय, मनोज वर्मा शामिल थे। माला पाण्डेय के दल द्वारा घाट पर तैयार रंगोलिया देखते ही बनी। उनके दल में शामिल जया तिवारी, नेहा गुप्ता, कीर्ति गुप्ता, शिवानी शामिल ने रंगोली के माध्यम से संस्कारवान होने का संदेश दिया।

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अपशब्द, उकसाने पर गोमतीनगर में मुक़दमा दर्ज

Posted on 08 August 2017 by admin

आईपीएस अफसर अमिताभ ठाकुर तथा उनकी पत्नी एक्टिविस्ट डॉ नूतन ठाकुर को एक षडयंत्र के तहत लगातार अशोभनीय और अनुचित शब्दों का प्रयोग कर उन्हें बदनाम करने और दूसरे लोगों को ऐसा करने को भड़काने के सम्बन्ध में नूतन की शिकायत पर थाना गोमतीनगर पर मु०अ०स० 1112/2017 धारा 66 दर्ज किया गया. मुकदमे के विवेचक इंस्पेक्टर गोमतीनगर विश्वजीत सिंह हैं.

मुकदमे के अनुसार राजाजीपुरम निवासी संजय और उर्वशी शर्मा और नागरिक सुरक्षा विभाग की पुष्पा अनिल षडयंत्र के तहत जनवरी 2015 से एक साथ मिलकर उनके खिलाफ लगातार फर्जी शिकायत देने, इसे फेसबुक तथा ब्लॉग पर अंकित करने और इसके माध्यम से अन्य लोगों को इनके प्रति अपराध करने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं.

नूतन के अनुसार ये तीनों लोग इस कार्य के लिए इन्टरनेट का भी भारी प्रयोग करते हैं और यदि कोई भी पुलिस अफसर उनके मनमाफिक कार्यवाही नहीं करता है तो दवाब बनाने के लिए उसके खिलाफ भी शिकायत देना शुरू कर देते हैं.

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