Archive | August 9th, 2017

प्रदेश सरकार स्वच्छता के प्रति बेहद गम्भीर

Posted on 09 August 2017 by admin

मुख्यमंत्री ने नगर आयुक्तों व अधिशासी अधिकारियों को स्वच्छता की प्रभावी व्यवस्था सुनिश्चित करने के निर्देश दिए

बीमारियों पर नियंत्रण के लिए साफ-सफाई के साथ-साथ
शुद्ध पेयजल की उपलब्धता भी सुनिश्चित की जाए

नालियों की नियमित सफाई तथा फाॅगिंग करायी जाए
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जल जनित रोगों पर प्रभावी नियंत्रण के लिए नगर विकास, ग्राम्य विकास, पंचायती राज,
स्वास्थ्य विभाग व चिकित्सा शिक्षा बेहतर समन्वय स्थापित करते हुए कार्य करें

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने कहा कि स्वास्थ्य का सीधा सम्बन्ध स्वच्छता से है। इसलिए प्रदेश सरकार स्वच्छता के प्रति बेहद गम्भीर है। उन्होंने नगर आयुक्तों व अधिशासी अधिकारियों को स्वच्छता की प्रभावी व्यवस्था सुनिश्चित करने के निर्देश देते हुए कहा कि इसके माध्यम से जापानी इंसेफ्लाइटिस, डेंगू, स्वाइन फ्लू, मलेरिया, फाइलेरिया व अन्य जल जनित रोगों पर नियंत्रण स्थापित किया जा सकता है। उन्होंने अधिकारियों को सचेत करते हुए कहा कि गन्दगी के कारण ही ये बीमारियां पनपती हैं। इसलिए नागर निकायों में साफ-सफाई की समुचित व्यवस्था सुनिश्चित न करने वाले अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
मुख्यमंत्री जी आज यहां योजना भवन में नगर विकास विभाग के कार्याें की समीक्षा कर रहे थे। उन्होंने कहा कि देश के 100 गन्दे शहरों में 52 शहर उत्तर प्रदेश के हैं। उन्होंने अधिकारियों को निर्देशित करते हुए कहा कि अधिकारी इन्दौर शहर को नजीर बनाएं, जो स्वच्छता के मामले में पहले स्थान पर है। बीमारियों पर नियंत्रण के लिए साफ-सफाई के साथ-साथ शुद्ध पेयजल की उपलब्धता भी सुनिश्चित की जाए। उन्होंने कहा कि जल जनित रोगों पर प्रभावी नियंत्रण के लिए नगर विकास, ग्राम्य विकास, पंचायती राज, स्वास्थ्य विभाग व चिकित्सा शिक्षा बेहतर समन्वय स्थापित करते हुए कार्य करें। उन्होंने अधिकारियों को 61 शहरों में अमृत योजना सहित स्मार्ट सिटी मिशन योजना के तहत सीवरेज निर्माण का कार्य तेजी से पूरा करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि कार्य का आधार लोकहित होना चाहिए।
योगी जी ने कहा कि नगर विकास विभाग यह सुनिश्चित करे कि नालियों की नियमित सफाई तथा फाॅगिंग करायी जाए। इसके साथ ही, पाॅलीथीन व प्लास्टिक के डिस्पोजबल गिलास पूरी तरह से प्रतिबन्धित किए जाएं। आवश्यकता पड़ने पर इसकी रोकथाम हेतु जुर्माना भी तय किया जाए। कूड़ा प्रबन्धन के लिए योजना बनाकर कार्य किया जाए। उन्होंने कहा कि नगर विकास विभाग अपनी जमीनों को अवैध कब्जेदारों से मुक्त कराए।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि विभागों के आपसी तालमेल से जल जनित रोगों से बचा जा सकता है। ग्राम्य विकास विभाग तथा नगर विकास विभाग की यह जिम्मेदारी है कि वे जनता को शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराएं। जापानी इंसेफ्लाइटिस से बचाव के लिए स्वास्थ्य विभाग को माह जनवरी-फरवरी से ही तैयारी शुरू करनी चाहिए, क्योंकि वैक्सीन के एक्टीवेशन में 3 से 4 माह लगते हैं। स्वास्थ्य विभाग द्वारा ट्रीटमेण्ट प्रोटोकाॅल का पालन किया जाए। स्वास्थ्य विभाग सभी पी0एच0सी0 व सी0एच0सी0 में दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करे।
इस अवसर पर नगर विकास मंत्री श्री सुरेश खन्ना, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री श्री सिद्धार्थनाथ सिंह, नगर विकास राज्यमंत्री श्री गिरीश चन्द्र यादव सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे।

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ऐतिहासिक काकोरी काण्ड की 92 वीं वर्षगाँठ

Posted on 09 August 2017 by admin

kaakoreeसंकीर्ण राष्ट्रवाद और धर्मान्धता से देश की आज़ादी अभी बाकी- प्रो. पुरी
‘काकोरी से पहले और काकोरी के बाद’ और कमाल का जादू’ का लोकार्पण

ऐतिहासिक काकोरी काण्ड की 92 वीं वर्षगाँठ आज यहाँ पुराना
किला स्थित शहीद स्मारक एवं स्वतंत्रता संग्राम शोध केंद्र में बड़े अनोखे
अंदाज़ में मनाई गयी । मुख्य वक्ता प्रख्यात इतिहासविद प्रो. डॉ. हरीश के.
पुरी ने इस मौके पर कहा कि अंग्रेजों की गुलामी से तो देश को आज़ादी मिल
गयी है, मगर संकीर्ण राष्ट्रवाद और  धर्मान्धता से भारतीयता को आज़ाद करना
अभी बाकी है । उन्होंने ‘ग़दर’ नाम से प्रसिद्ध प्रथम स्वाधीनता संग्राम
के दुर्लभ संस्मरण सुनाते हुए बताया कि किस तरह देश के क्रांतिकारियों को
ग़दर के उस दौर ने प्रभावित किया और उनका जीवन दर्शन भी बदल कर रख दिया ।
वे जात-पांत और क्षेत्रवाद से ऊपर उठ कर सोचने लगे और उनकी नज़र में हर
हिन्दुस्तानी का भला ही जीवन का मुख्य उद्देश्य हो गया । आधुनिक तकनीक की
चपेट में आ चुकी इंसानियत को बचाना भी आज इसी तरह बहुत ज़रूरी हो गया है।
आज का विकास सामाजिक विकास पर तो जोर देता है मगर कमज़ोरों के आर्थिक
विकास को लेकर गंभीर नहीं है । देश की मुकम्मल आज़ादी के लिए अभी इसी तरह
के बहुत से संघर्ष ज़रूरी हैं ।

सुप्रसिद्ध वयोवृद्ध स्वतंत्रता सेनानी डॉ. बैजनाथ सिंह ने इस कार्यक्रम
की अध्यक्षता करते हुए कहा कि स्वतंत्रता संग्राम के दौरान
क्रन्तिकारियों और देश के महान नेताओं द्वारा दी गयी कुर्बानियों के कारण
ही ये देश आज एक वैश्विक महाशक्ति बनने की राह पर है । उन्होंने देश को
फिरकों में बांटने, आतंकियों को महिमामंडित करने और भ्रष्टाचार के हक़ में
सामाजिक विरोध के कम होने को देश की आज़ादी के लिए खतरा बताया । डॉ. सिंह
ने कहा कि नई पीढी को आज़ादी की लड़ाई के दर्दनाक दौर के बारे में बताने के
लिए साहित्यकारों को कुछ करना चाहिए ।

इससे पहले नेशनल बुक ट्रस्ट द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में ट्रस्ट के
सम्पादक पंकज चतुर्वेदी ने सबका स्वागत करते हुए दो पुस्तकों, डॉ. रश्मि
कुमारी की ‘काकोरी से पहले और काकोरी के बाद’ और डॉ. अशोक कुमार शर्मा की
‘कमाल का जादू’  का लोकार्पण कराया । बाद में दोनों पुस्तकों के लेखकों
ने बारी बारी अपनी किताबों के बारे में बताया । प्रो. प्रमोद कुमार
श्रीवास्तव ने भारत के स्वतंत्रता संग्राम में काकोरी काण्ड के महत्व पर
प्रकाश डालते हुए डॉ. रश्मि कुमारी की पुस्तक और उनके शोध अध्ययनों का
उल्लेख किया। बाल साहित्यकार संजीव जायसवाल ‘संजय’ ने डॉ अशोक कुमार
शर्मा की पुस्तक ‘कमाल का जादू’ की समीक्षा प्रस्तुत करते हुए बताया कि
बच्चों के मन में छिपे भय और आत्म विश्वास की कमी को दूर करना तभी संभव
है जब उनको ऐसी परिस्थितियों का पूर्वानुमान करके सतर्क और सजग रहने को
प्रेरित किया जाए ।

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अगस्त क्रांति और समाजवादः राजेन्द्र चौधरी

Posted on 09 August 2017 by admin

भारत की आजादी के लिए और अंग्रेजों की गुलामी से मुक्ति के लिए पहली जनक्रांति 1857 में हुई थी। 1885 ई0 में कांग्रेस की स्थापना के वर्षों बाद उसमें लोकमान्य तिलक का प्रवेश हुआ और जनअसंतोष की आवाज उभरने लगी। सन् 1919 में गांधी जी के असहयोग आंदोलन और सत्याग्रह ने लाखों लोगों को आकृष्ट किया। गांधी जी पहले ऐसे नेता थे जिनकी भारत के किसानों, गरीबों, वंचितों सहित समाज के हर वर्ग में पैठ बनी। उन्होंने अपने आंदोलनों से जनता को संगठित किया। अपने लंबे राजनीतिक संघर्ष से गांधी जी ने जनता के उत्साह को विशेषकर नौजवानों को आजादी के अन्तिम संघर्ष के लिए तैयार कर लिया था।

भारत छोड़ो आंदोलन भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की निर्णायक लड़ाई थी। क्रिश्स मिशन की विफलता से भारत में क्षोभ की लहर थी। दूसरे महायुद्ध में जापान प्रारम्भिक तौर पर अंग्रेजों पर भारी पड़ रहा था। भारतीय जनमानस में असंतोष था। गांधी जी ने 5 जुलाई 1942 को ‘हरिजन‘ पत्र में लिखा ‘अंग्रेजों भारत को जापान के लिए मत छोड़ो, बल्कि भारतीयों के लिए भारत को व्यवस्थित रूप से छोड़ जाओ।‘
8 जुलाई 1942 को भारतीय नेशनल कांग्रेस कमेटी की बैठक बंबई में हुई। इसमें निर्णय लिया गया कि भारत अपनी सुरक्षा स्वयं करेगा। अंग्रेज भारत छोड़े अन्यथा उनके खिलाफ सिविल नाफरमानी आंदोलन किया जाएगा। बंबई के ऐतिहासिक ग्वालिया टैंक में कांग्रेस के अधिवेशन में गांधी जी का ऐतिहासिक ‘भारत छोड़ो‘ प्रस्ताव 8 अगस्त 1942 को स्वीकार कर लिया गया। इस प्रस्ताव पर गांधी जी ने अपने भाषण में देश को ‘करो या मरो‘का मंत्र दिया।
9 अगस्त 1942 की भोर से ही कांग्रेस के सभी बड़े नेता पकड़ लिए गए। इसके बाद तो देश में भूचाल आ गया। जिसको जो सूझा उसने अपने ढंग से अंग्रेजीराज की खिलाफत शुरू कर दी। उ0प्र0 के बलिया और बस्ती में तो अस्थायी सरकारें तक स्थापित हो गई।
कांग्रेस के बड़े नेताओं की गिरफ्तारी के बाद समाजवादी विचारधारा के नेता श्री जय प्रकाश नारायण, डा0 राम मनोहर लोहिया, अरूणा आसिफ अली आदि ने आंदोलन का नेतृत्व सम्हाला। 9 अगस्त 1942 का ऐसा आंदोलन था जिसमें देश का हर वर्ग स्वतः स्फूर्त सक्रिय था।
भारत के विशाल जनांदोलन से अंग्रेज समझ गए थे कि उनकोभारत छोड़ने में अब देर नहीं होगी। इसलिए जाते-जाते उन्होंने भारत विभाजन का षड़यंत्र रच दिया। 15 अगस्त 1947 को देश की आजादी की घड़ी आ गई।
आजादी के बाद भारत के समक्ष कई गंभीर चुनौतियां उठ खड़ी हुई। गांधी जी ने स्वराज के साथ ग्राम राज का जो सपना देखा था वह कांग्रेस के नए नेतृत्व को रास नहीं आया और देश उनके पश्चिमी प्रभाव वाले रास्ते पर चल पड़ा।
स्वतंत्रता आंदोलन में भारत के सभी समुदायों ने बढ़चढ़कर हिस्सा लिया था। इसमें हिंदू और मुस्लिम दोनों ने अपनी कुर्बानी देकर भारत को आजाद कराने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी। आजादी के बाद शासन सŸाा में जिनके हाथ नेतृत्व आया उन्होंने उन मूल्यों एवं आदर्शों को परे रख दिया जिनके आधार पर गांधी जी ने नए भारत के निर्माण का सपना देखा था। देश में गरीबी, बीमारी, भूख, अशिक्षा, की लड़ाई मंद पड़ गई। गैर बराबरी का दैत्य सब पर भारी पड़ने लगा। जाति और संप्रदाय की राजनीति ने समाज को बांटने और सद्भाव तथा परस्पर सहयोग की भावना को धूमिल कर दिया।
भारत की आजादी के साथ ही कुछ प्रबुद्ध युवा नेतृत्व ने विचारधारा के आधार पर राजनीति चलाने का मन बना लिया था। इस देश की माटी और परम्पराओं से चूंकि समाजवादी विचारधारा की ज्यादा निकटता थी इसलिए देश में समाजवादी आंदोलन को बल मिला। श्री जय प्रकाश नारायण, डा0 राममनोहर लोहिया और आचार्य नरेन्द्र देव ने इस आंदोलन की कमान सम्हाली।
भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में, जिसकी अगुवाई महात्मा गांधी ने की थी, कई मूल्य एवं आदर्श स्थापित हुए थे। गांधी जी सिद्धांतहीन राजनीति को सामाजिक पाप मानते थे। उनका मानना था कि राजनीति सेवा का माध्यम है। गांधी जी साध्य साधन की पवित्रता पर बल देते थे। नैतिक मूल्यों के प्रति उनका आग्रह था। वे मानते थे कि किसी भी कार्य या योजना के केंद्र में समाज के अंतिम छोर पर खड़े व्यक्ति को रखना चाहिए। भारत के संविधान में एक व्यक्ति एक वोट के माध्यम से व्यक्ति की गरिमा को, जाति-धर्म के भेदभाव के बिना, सम्मान दिया गया। लोकतंत्र, समाजवाद और धर्मनिरपेक्षता को संविधान की मूल प्रस्तावना में शामिल किया गया।
वैसे भी आज दो तरह की विचारधाराओं में टकराव है। एक तरफ लोकतंत्र है तो दूसरी तरफ अपने को सर्वोपरि दिखने की सŸाालिप्सा। इसमें हमें तय करना है कि हमें किधर जाना है? मूल अधिकार उस समाज और व्यक्ति द्वारा प्रयोग किए जा सकते हैं जो कानून के प्रति आदर रखते हैं, जो जिम्मेदारी तथा नियंत्रण के सम्यक व्यवहार के लिए तैयार हों। लेकिन जब कोई एक समूह या दल राज्य को कैद करने को संगठित होते हैं, या इसे अपना लक्ष्य बना लेते हैं, तो किसी समाज के लिए इनका सामना करना बिना किसी अहिंसक प्रतिरोध के संभव नहीं हो सकता है। हम लोकतंत्र की परिधिमें रहकर ही संविधान के मूल उद्देश्यांे को बचा सकते हैं।
आज देश के समक्ष जो समस्यायें और चुनौतियां हैं उनके समाधान का रास्ता सिर्फ समाजवादी विचारधारा के पास ही है। जेपी-लोहिया की समाजवादी रीति-नीति पर चलने का काम राजनैतिक दल के रूप में समाजवादी पार्टी ही कर रही है। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री अखिलेश यादव के नेतृत्व में समाजवादी पार्टी व्यवस्था परिवर्तन के आंदोलन को आगे बढ़ाने को संकल्पित है।
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव यह मानते हैं कि सामाजिक-आर्थिक राजनीतिक लोकतंत्र के प्रमुख तंत्र हैं इसलिए वे समाजवादी व्यवस्था और समतामूलक समाज के निर्माण पर बराबर जोर देते रहते हैं। वे डा0 लोहिया के इस सिद्धांत के कायल हैं कि गैरबराबरी मिटनी चाहिए तो संभव बराबरी लक्ष्य होना चाहिए। उनकी सप्तक्रान्ति समानता, राष्ट्र और लोकतंत्र के उन्नयन की कुंजी मानी जा सकती है।
श्री अखिलेश यादव ने अपने मुख्यमंत्रित्वकाल में सामाजिक न्याय की दिशा में कई महत्वपूर्ण कदम उठाए थे। उन्होंने पिछड़ों और वंचितों के सम्मान पूर्वक जीने के लिए विशेष अवसर प्रदान करने का कार्य किया। श्री यादव मानते हैं कि सामाजिक प्रगति के साथ व्यक्ति और समाज की आर्थिक प्रगति भी होनी चाहिए तभी लोकतंत्र फल फूल सकता है।
आखिर किसानों की हितों की रक्षा का नीतियों, नेतृत्व और नियत से गहरा सम्बंध है। किसान ही भारत का प्राण है। प्राणहीन समाज में कोई जीवन नहीं हो सकता। ऐसी स्थिति में विचारधारा के आधार पर नीतिगत बंटवारा आवश्यक हो चला है। गंाव, कृषि और किसान की आवाज की चिंता खुद चैधरी चरण सिंह जी ने राष्ट्रीय फलक पर उठाई थी। बाद में उनके अनुयायी समाजवादी आंदोलन के साथ जुड़ गए। आज वे श्री अखिलेश यादव की अगुवाई में उसी रास्ते पर चलने का प्रयास कर रहे है। युवा पीढ़ी की चिंता भी अखिलेश जी ही करते नजर आते है। वे मानते हैं कि समाजवाद का रास्ता ही शोषण विहीन समाज का निर्माण कर सकेगा। लोकतांत्रिक व्यवस्था की ताकत ही आर्थिक विषमता और सामाजिक गैरबराबरी मिटाने में सफल हो सकती है। लोकतंत्र के लिए आवश्यक है कि सभी प्रकार की सŸाा का विकेन्द्रीकरण हो। इसमें ही अगस्त क्रांति की सार्थकता निहित है।
(राजेंद्र चौधरी, उत्तर प्रदेश समाजवादी पार्टीके मुख्य प्रवक्ता एवं पूर्व कैबिनेट मंत्री हैं।)

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कैबिनेट मंत्री धर्मपाल सिंह ने भाजपा मुख्यालय पर जनसमस्याओं का किया निवारण

Posted on 09 August 2017 by admin

09 अगस्त को जन सहयोग केन्द्र पर कैबिनेट एस पी सिंह बघेल उपस्थित रहेगें
भारतीय जनता पार्टी प्रदेश मुख्यालय पर जनसमस्याओं के निराकरण के लिए कैबिनेट मंत्री धर्मपाल सिंह उपस्थित रहे।
जनसमस्याओं की सुनवाई हुए मंत्री धर्मपाल सिंह ने कहा कि आमआदमी की समस्या का समाधान योगी सरकार की प्राथमिकता है। उन्होंने कहा कि लगभग 100 लोग अपनी समस्या को लेकर आज जनसुनवाई केन्द्र पर आये जिनकी समस्याओ के निदान के लिए सम्बन्धित जिलाधिकारियों तथा पुलिस अधीक्षकों को सीधे निर्देश दिए गए।
श्री धर्मपाल जी ने कहा कि योगी सरकार की प्राथमिकता गरीबों, किसानों तथा मजदूरो की समस्या का निदान तथा उनकी खुशहाली है जिसके लिए सरकार पूरी प्रतिबद्धता के साथ कार्य कर रही है। वाढ पीड़ितों को लेकर पूछे गए सवाल पर सिचाई मंत्री ने कहा कि 38 जिले वाढ प्रभावित है प्रतिदिन बाढ की स्थित को लेकर दो को बुलिटेन जारी होती है तथा सभी सम्बन्धित जिलाधिकारियों को इस सन्दर्भ में निर्देश दिये गए है कि बाढ पीडित जिलो के सिचाई विभाग केे अधिकारियों को तटबन्ध पर तैनात किया गया है तथा राज्य आपदाराहत से सम्बन्धित अधिकारियों की तैनाती की गई है। बाढ से खराब हुई सडको को बनाने, बाढ़ पीडितो के लिए औषिधियों बाढ़ पीडितों के लिए शिविर, राशन, मिट्टी का तेल आदि सभी प्रबन्ध किए गये है। पूर्व सरकार में तटबन्धों को र्निमाण में हुए घोटाले के सन्दर्भ में किए गए सवाल पर श्री धर्मपाल जी ने कहा कि एल्गिन तटबन्ध के र्निमाण की जांच उन्होंने स्वंय की तथा दो अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही की गई है।
गोमती रीवर फ्रन्ट को लेकर किए गए सवाल पर उन्होने कहा कि श्री सुरेश खन्ना जी की अध्यक्षता में बनी कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर 9 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है तथा सीबीआई जांच कर रही है। दोषियों को सजा मिलेगी। उन्होने यह भी कहा कि बहुत कम खर्च से गोमती रीवर फ्रन्ट का कार्य पूरा किया जाएगा और गोमती में स्वच्छ जल उपलब्ध होगा। प्रधानमंत्री सिंचाई योजना पर किए गए सवाल पर सिचाई मंत्री ने कहा कि सिचाई से समृद्ध आती है उत्तर प्रदेश प्रधानमंत्री जी के स्पप्नों को साकार करेगा व्दम कतवच डवतम ब्तवच पिछली सरकार स्प्रिकल सिंचाई पर 60प्रतिशत तथा 40 प्रतिशत अनुदान दे रही थी जब कि योगी सरकार ने लघु व सीमान्त किसानों को 90 तथा सामान्य किसान को 80 प्रतिशत अनुदान देने का र्निणय किया है। उन्होने कहा कि हम उत्तर प्रदेश को समृद्ध राज्य बनाएगें। उन्होने कहा कि कानून व्यवस्था चुस्त दुरूस्त करने की दिशा में सरकार प्रतिबद्ध है और जहां भी इसमें कमी पाई जायेगी उसे दूर किया जाएगा।
श्री सिंह ने सुबह 11 बजे से दोपहर 01 बजे तक जनसमस्याओं के निस्तारण किया। मा0 मंत्री जी के साथ प्रदेश उपाध्यक्ष जसवन्त सैनी एवं प्रदेश मंत्री कौशलेन्द्र ंिसह जनसमस्याओं के निराकरण में जुटे रहे।
भाजपा प्रदेश मुख्यालय पर कल दिनांक 09 अगस्त को सुबह 11 बजे से दोपहर 01 बजे कैबिनेट मंत्री एसपी सिंह बघेल जनता की समस्याओं के निराकरण के लिए उपस्थित रहेंगे। साथ ही प्रदेश उपाध्यक्ष बाबूराम निषाद एवं प्रदेश मंत्री शंकर गिरी एवं कार्यालय सहायक आनंद पाण्डेय भी उपस्थित रहेंगे।

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