संकीर्ण राष्ट्रवाद और धर्मान्धता से देश की आज़ादी अभी बाकी- प्रो. पुरी
‘काकोरी से पहले और काकोरी के बाद’ और कमाल का जादू’ का लोकार्पण
ऐतिहासिक काकोरी काण्ड की 92 वीं वर्षगाँठ आज यहाँ पुराना
किला स्थित शहीद स्मारक एवं स्वतंत्रता संग्राम शोध केंद्र में बड़े अनोखे
अंदाज़ में मनाई गयी । मुख्य वक्ता प्रख्यात इतिहासविद प्रो. डॉ. हरीश के.
पुरी ने इस मौके पर कहा कि अंग्रेजों की गुलामी से तो देश को आज़ादी मिल
गयी है, मगर संकीर्ण राष्ट्रवाद और धर्मान्धता से भारतीयता को आज़ाद करना
अभी बाकी है । उन्होंने ‘ग़दर’ नाम से प्रसिद्ध प्रथम स्वाधीनता संग्राम
के दुर्लभ संस्मरण सुनाते हुए बताया कि किस तरह देश के क्रांतिकारियों को
ग़दर के उस दौर ने प्रभावित किया और उनका जीवन दर्शन भी बदल कर रख दिया ।
वे जात-पांत और क्षेत्रवाद से ऊपर उठ कर सोचने लगे और उनकी नज़र में हर
हिन्दुस्तानी का भला ही जीवन का मुख्य उद्देश्य हो गया । आधुनिक तकनीक की
चपेट में आ चुकी इंसानियत को बचाना भी आज इसी तरह बहुत ज़रूरी हो गया है।
आज का विकास सामाजिक विकास पर तो जोर देता है मगर कमज़ोरों के आर्थिक
विकास को लेकर गंभीर नहीं है । देश की मुकम्मल आज़ादी के लिए अभी इसी तरह
के बहुत से संघर्ष ज़रूरी हैं ।
सुप्रसिद्ध वयोवृद्ध स्वतंत्रता सेनानी डॉ. बैजनाथ सिंह ने इस कार्यक्रम
की अध्यक्षता करते हुए कहा कि स्वतंत्रता संग्राम के दौरान
क्रन्तिकारियों और देश के महान नेताओं द्वारा दी गयी कुर्बानियों के कारण
ही ये देश आज एक वैश्विक महाशक्ति बनने की राह पर है । उन्होंने देश को
फिरकों में बांटने, आतंकियों को महिमामंडित करने और भ्रष्टाचार के हक़ में
सामाजिक विरोध के कम होने को देश की आज़ादी के लिए खतरा बताया । डॉ. सिंह
ने कहा कि नई पीढी को आज़ादी की लड़ाई के दर्दनाक दौर के बारे में बताने के
लिए साहित्यकारों को कुछ करना चाहिए ।
इससे पहले नेशनल बुक ट्रस्ट द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में ट्रस्ट के
सम्पादक पंकज चतुर्वेदी ने सबका स्वागत करते हुए दो पुस्तकों, डॉ. रश्मि
कुमारी की ‘काकोरी से पहले और काकोरी के बाद’ और डॉ. अशोक कुमार शर्मा की
‘कमाल का जादू’ का लोकार्पण कराया । बाद में दोनों पुस्तकों के लेखकों
ने बारी बारी अपनी किताबों के बारे में बताया । प्रो. प्रमोद कुमार
श्रीवास्तव ने भारत के स्वतंत्रता संग्राम में काकोरी काण्ड के महत्व पर
प्रकाश डालते हुए डॉ. रश्मि कुमारी की पुस्तक और उनके शोध अध्ययनों का
उल्लेख किया। बाल साहित्यकार संजीव जायसवाल ‘संजय’ ने डॉ अशोक कुमार
शर्मा की पुस्तक ‘कमाल का जादू’ की समीक्षा प्रस्तुत करते हुए बताया कि
बच्चों के मन में छिपे भय और आत्म विश्वास की कमी को दूर करना तभी संभव
है जब उनको ऐसी परिस्थितियों का पूर्वानुमान करके सतर्क और सजग रहने को
प्रेरित किया जाए ।