- मनकामेश्वर घाट पर हुई पूर्णिमा की महा आरती
- संस्कृत दिवस के उपलक्ष्य में हुए नामकरण और विद्यारंभ संस्कार
- आदि गोमती के आध्यात्मिक पक्ष की रोचक जानकारी पंडित श्यामलेश तिवारी ने दी
- राधाकृष्ण की झांकी और संस्कारों पर बनी सतरंगी रंगोली ने किया आकर्षित
- श्लोक प्रतियोगिता में भी दिखा उत्साह
- शिव तांडव एलबम के कलाकारों को दिया गया नमोस्तुते मां गोमती सम्मान
संस्कृत दिवस महोत्सव के रूप में रविवार को डालीगंज के मनकामेश्वर मठ-मंदिर गोमती घाट पर आदिगंगा मां गोमती का महा आरती अनुष्ठान हुआ। चन्द्रग्रहण के कारण यह पर्व एक दिन पहले रविवार को आयोजित किया गया। इस अवसर घाट परिसर संस्कृत भाषा के जयघोषों से गूंज उठा। संतरंगी रंगोलियां से पटे घाट की आभा देखते ही बनी। शिवतांडव एलबम के कलाकारों की जीवंत प्रस्तुति ने इस समारोह का आकर्षण कई गुना बढ़ाया। पंडित श्यामलेश तिवारी ने इस अवसर पर आदि गंगा मां गोमती के बारे में कई रोचक जानकारियां भी दीं।
नमोस्तुते मां गोमती अभियान के तहत रविवार को मनकामेश्वर मठ मंदिर घाट पर दोपहर से ही भक्त जुटने लगे थे। छुट्टी का दिन होने से भक्तों ने इस आध्यात्मिक अनुष्ठान में बढ़-चढ़ कर भाग लिया। मनकामेश्वर उपवन घाट पर रविवार को आदि गंगा मां गोमती की महा आरती श्रीमहंत देव्या गिरि की अगुआई में की गई। तट पर बनी 11 महा आरती की वेदियों पर आचार्य श्यामलेश के मार्गदर्शन में बनारस की तर्ज पर विधि विधान से आरती की गई। इस अवसर पर शंख, घंटे घड़ियाल और बड़े डमरू से घाट गूंज उठा। महंत देव्या गिरि की अगुवाई में मनकामेश्वर घाट पर बनी 11 महा आरती वेदियों को 11 तीर्थ के रूप पूजते हुए परिक्रमा भी की गई। इस यात्रा में संजय सोनकर, अजय चौरसिया, मातेश्वरी देवी, उपमा पाण्डेय, अमित गुप्ता, श्यामू सिंह, आदित्य मिश्रा, विनय, दीप ठाकुर, मणि खरे, तरुण जायसवाल, सचिन जायसवाल सहित अन्य ने भाग लिया। इसें भक्तों के हाथों में 11 कलश, दीपक सहित थे। 11 परिक्रमा के बाद 11 दीपकों को गोमती में प्रवाहित किए गए। इस यात्रा में भक्तों के हाथों में संस्कृत की सूक्तियां लिखी थी। भक्तों ने अस्माकम भाषा संस्कृतम, जयति जयति संस्कृत भाषा, मम मातुह भाषा संस्कृतम, मम पितुह् भाषा संस्कृतम, मंदिरस्य भाषा संस्कृतम, समाजस्य भाषा संस्कृतम ने जयघोष किया।
संस्कृत दिवस पर हुए संस्कार
मनकामेश्वर मठ-मंदिर की श्रीमहंत देव्यागिरि ने संस्कृत दिवस के बारे में बताया कि हर साल श्रावणी पूर्णिमा के पावन अवसर को संस्कृत दिवस मनाया जाता है। 1969 में भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय के आदेश से केन्द्रीय और राज्य स्तर पर संस्कृत दिवस मनाने का निर्देश जारी किया गया था। तब से संस्कृत दिवस श्रावण पूर्णिमा के दिन मनाया जा रहा है। उन्होंने बताया कि श्रावण पूर्णिमा पर ही प्राचीन भारत में छात्र, शास्त्रों का अध्ययन शुरू करते थे। पौष माह की पूर्णिमा से श्रावण माह की पूर्णिमा तक अध्ययन बन्द हो जाता था। प्राचीन काल में फिर से श्रावण पूर्णिमा से पौष पूर्णिमा तक अध्ययन कार्य किया जाता था। उसी गुरुकुल परंपरा का निर्वाह करते हुए श्रावण पूर्णिमा से वेदाध्ययन सहित अन्य अनुष्ठान मनकामेश्वर घाट पर रविवार को आयोजित करवाए गए। अजय और ज्योति जायसवाल के पुत्र चिरंजीव संग देवांगी का नामकरण और वैदिक सहित कई बच्चों का अन्नप्राशन संस्कार मनकामेश्वर घाट पर हुआ। इस अवसर पर मंत्रोचार संग विद्याआरंभ संस्कार भी हुए। इस मौके पर दैनिक जीवन में बोले जाने वाले पंच मंत्रों का अभ्यास भी करवाया गया।
गोमती के 3 तटों पर है महादेव का वास
पंडित श्यामलेश तिवारी ने इस विशेष अनुष्ठान में आदि गंगा मां गोमती के बारे कई अनछुए पहलुओं की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि ऋग्वेद, स्कंदपुराण और महाभारत में गोमती नदी का उल्लेख मिलता है। उनके अनुसार आदि गंगा इसलिए भी पूज्य है क्यों कि इसके तीन तट पर महादेव के प्रतिष्ठित तीर्थ हैं। काशी के जौनपुर से त्रिलोचन महादेव मंदिर और सीतापुर के नैमिषारण्य के पास गोकरण महादेव तीर्थ है। यही नहीं पीलीभीत और शांहजहांपुर के बीच गोमती तट पर त्रियंबक महादेव मंदिर है। उन्होंने बताया कि 960 किलोमीटर लम्बी मां गोमती नदी की सौ सहायक नदियां हैं। इस नदी का इतना अधिक महत्व है कि पारिजात ग्रंथ में तो यहां तक वर्णित है कि अंजाने में गौहत्या हो जाने पर व्यक्ति अगर गोमती में स्नान, जाप, पूजन करेगा तो वह गोहत्या से मुक्त हो सकता है। इसलिए यह आदिगंगा बाद में गोमती कहलायी। उन्होंने बताया कि नवाबी काल में इसके तट पर बाजपेई समाज राजसूय यज्ञ करते थे। उन्होंने बताया कि भगवान शालिग्राम के पूजन में गोमती चक्र अनिवार्य रूप से शामिल किया जाता है।
शिव तांडव एलबम की लाइव प्रस्तुति बनी आकर्षण
सुष्मित त्रिपाठी के कंठ स्वरों से सजे शिव तांडव एलबम की लाइव प्रस्तुति इस समारोह का अन्य आकर्षण बनी। संस्कृत दिवस के विशेष अवसर सुष्मित त्रिपाठी, आशीष शर्मा, जगतपति पाण्डेय, अंकुश को नमोस्तुते मां गोमती संस्कृत सम्मान से अलंकृत किया गया। इस क्रम में स्वाति कश्यप, गौरव, शिवानी ने राधा कृष्ण की सुंदर झांकी भी पेश की। अरुणा उपाध्याय, प्रीति सिंह, शिखा श्रीवास्तव, रेणु गौड़, गीता शुक्ला, किरन दीक्षित ने शिवशंकर चले कैलाश, अरे रामा सावन मास सुहावन, हमार जोगिया, झूला झूलत बिहारी, रुचि रुचि पीसे मेंहदिया जैसे गीत सुनाकर श्रोताओं की प्रशंसा हासिल की। उनके वृंद दल में अरुण त्रिपाठी, चन्द्रेश पाण्डेय, मनोज वर्मा शामिल थे। माला पाण्डेय के दल द्वारा घाट पर तैयार रंगोलिया देखते ही बनी। उनके दल में शामिल जया तिवारी, नेहा गुप्ता, कीर्ति गुप्ता, शिवानी शामिल ने रंगोली के माध्यम से संस्कारवान होने का संदेश दिया।