लखनऊ में बी.एस.पी. की ओर से की गई प्रेसवार्ता में पार्टी प्रवक्ता ने यह बताया कि यदि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री को प्रदेश की हर मामले में व हर स्तर पर बिगड़ी क़ानून-व्यवस्था का सच बर्दाश्त नहीं हो रहा है तो फिर इन्हें अपने इस पद से खुद ही इस्तीफा दे देना चाहिये तो यह प्रदेश की जनता के हित में ज्यादा बेहतर होगा, वरना यह आरोप प्रदेश की आम जनता के साथ-साथ हमारी पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष बहन कुमारी मायावती जी द्वारा लगातार ही लगता रहेगा। और यदि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री इस आरोप से बचना चाहते हैं तो फिर इनको प्रदेश की क़ानून-व्यवस्था में युद्धस्तर पर सुधार लाना होगा और इसके साथ ही प्रदेश में आपराधिक तत्वों को जेल के बाहर नहीं बल्कि उन्हें फिर जेल की सलाखों के अन्दर ही भेजना होगा। अर्थात् उत्तर प्रदेश की हर स्तर पर बिगड़ी हुई कानून-व्यवस्था को सुधारने की बजाय, इससे दुःखी व पीडि़त जनता को या फिर अपने विरोधियों को प्रदेश छोड़कर जाने के लिए कहना मुख्यमंत्री का यह बयान काफी शर्मनाक व अति निन्दनीय है।
जबकि यह सर्वविदित है कि जब से उत्तर प्रदेश में सपा की सरकार बनी है, तब से यहाँ शुरू से ही दिन-प्रतिदिन हर मामले में व हर स्तर पर प्रदेश की कानून-व्यवस्था और ज्यादा बिगड़ती जा रही है और आज प्रदेश में चोरी, डकैती, लूटमार, फिरौती, अपहरण, हत्या, बलात्कार व साम्प्रदायिक दंगे एवं तनाव की वारदातें चरमसीमा पर पहुँच चुकी है और इसकी मुख्य वजह है कि इस सपा सरकार द्वारा यहाँ प्रदेश में गुण्डों, बदमाशों, माफियाओं, अराजक एवं अन्य अपराधिक तत्वों को बड़े-पैमाने पर संरक्षण देना है, और जो ईमानदार अधिकारी चाहे वो आई.ए.एस./पी.सी.एस. हो या पुलिस का अधिकारी हो अगर इन गुण्डों, माफियाओं के खिलाफ सख्त कदम उठाता है तो उसे तुरन्त सस्पेन्ड या ट्रंासफर कर दिया जाता है तथा उसे भरपूर बेइज्जत व प्रताडि़त किया जाता है, और इस प्रकार अधिकारियों और पुलिस का मनोबल गिराने का काम लगातार किया जा रहा है। आज ही सभी टेलीविजन चैनलों के माध्यम से यह जानकारी मिली है कि नोएडा की एस.डी.एम. दुर्गा नागपाल, आई.ए.एस. को सस्पेन्ड कर दिया गया है, और वो भी इसलिये क्योंकि उसने वहाँ पर चल रहे खनन माफियाओं के खिलाफ अभियान चला रखा था और उनसे लाखों की राजस्व वसूली की थी। इस महिला अधिकारी के कार्याें की सराहना कुछ ही दिन पूर्व सभी अखबारों व मीडिया चैनलों ने की थी, पर मुख्यमन्त्री ने उसे इस ईमानदारी की सजा उसे सस्पेन्ड करके दे दी है। इससे पूर्व गोण्डा में गौ तस्करी रोकने का कार्य करने वाले एस.पी. को रातों रात ट्रान्सफर कर दिया गया था और गौ तस्कर को राज्य मंत्री बना दिया गया।
इस प्रकार जब तक उ.प्र. में इस सपा सरकार के चलते हुये यह सिलसिला चलता रहेगा, तो तब तक यहाँ बिगड़ी हुई कानून-व्यवस्था में कोई सुधार आने वाला नहीं है और ना ही अन्य मामलों में जनता को कोई राहत मिलने वाली है। लेकिन यहाँ यह भी सच है कि जब तक यहाँ कानून-व्यवस्था बिगड़ी रहेगी और इससे जनता त्रस्त रहेगी, तो तब तक यहाँ कि जनता व इनकी शुभ-चिन्तक पार्टी अर्थात् बी.एस.पी. इस सपा सरकार को इस बिगड़ी हुई कानून-व्यवस्था के लिए दोषी ठहराकर इन्हें लताड़ती व कोसती रहेगी तथा उत्तर प्रदेश मे राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग करती रहेगी।
और इसके साथ ही उस समय का इन्तजार करेगी कि उत्तर प्रदेश में जब भी विधानसभा के आमचुनाव होते हैं तो इस सपा सरकार को सत्ता से हटाकर इससे मुक्ति पायी जाये। ऐसे हालातों में प्रदेश की जनता के दर्द को समझकर यहाँ कि बिगड़ी हुई कानून व्यवस्था में सुधार लाने की बजाय अर्थात् प्रदेश में गुण्डों, बदमाशों, माफियाओं, अराजक व अन्य अपराधिक तत्वों पर कानूनी शिकंजा कसने की बजाय प्रदेश की जनता व विरोधी पार्टियों के लिए इस पर प्रदेश के मुख्यमंत्री का खुद का यह बयान आना कि ‘‘जो लोग मेरी सरकार में यहाँ की बिगड़ी हुई कानून-व्यवस्था से दुःखी व परेशान है तो उन्हें उत्तर प्रदेश को छोड़कर चले जाना चाहिये।‘‘ इनका यह बयान बहुत ही शर्मनाक व अति निन्दनीय है। इनके इस बयान की जितनी भी निन्दा की जाये, उतनी ही कम होगी।
इसके साथ ही, बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष, सांसद (राज्यसभा) व चेयरपर्सन, बी.एस.पी. संसदीय दल एवं पूर्व मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश सुश्री मायावती जी ने उत्तर प्रदेश की वर्तमान सपा सरकार के मुखिया द्वारा दलित एवं अन्य पिछड़े वर्गों (ओ.बी.सी.) में जन्में महान सन्तों, गुरूओं व महापुरूषों के नाम पर बनाये गये भव्य व ऐतिहासिक महत्व के सार्वजनिक स्थलों को बी.एस.पी. का फिजूलख़र्ची वाला काम बताने व पार्टी संगठन के भाईचारा अभियान को जातिवादी बताये जाने की घोर भत्र्सना करते हुये इसे सपा सरकार की घोर जातिवादी एवं दूषित मानसिकता का प्रतीक बताया है।
आज यहाँ जारी एक बयान में सुश्री मायावती जी ने कहाकि प्रदेश की समाजवादी पार्टी (सपा) द्वारा उत्तर प्रदेश विधानसभा आमचुनाव से पहले और और सरकार बनने के बाद भी बार-बार यह कहकर जनता को गुमराह करने का प्रयास किया जाता है कि बी.एस.पी. की सरकार ने समाज में यहाँ अब तक उपेक्षित रहे दलितों एवं अन्य पिछड़े वर्गों (ओ.बी.सी.) में जन्में महान सन्तों, गुरूओं व महापुरूषों के नाम पर विश्व-स्तर के व ऐतिहासिक महत्व वाले भव्य स्थलों/स्मारकों/पार्कों आदि का निर्माण करके सही काम नहीं किया है, तो इस सम्बन्ध में यह जग-जाहिर है कि ये सभी स्थल/स्मारक/पार्क आदि पूर्ण रूप से जनता के लिये हैं एवं सार्वजनिक स्थल के रूप में काफी लोकप्रिय हैं।
साथ ही, आमजनता के अलावा समाज में दबे-कुचले लोगों के लिये वे ’’श्रद्धा स्थल’’ हैं, जहाँ प्रदेश के लोगों के साथ-साथ पूरे देश भर से बड़ी संख्या में लोग इनको देखने के लिये ख़ासकर आते हैं, जिससे टिकट की बिक्री के माध्यम से सरकार को अच्छी-ख़ासी आय होती है। इस प्रकार ये स्थल ’’पर्यटन स्थल’’ के रूप में भी विकसित हो गये हैं और आगे चलकर राज्य की आमदनी का एक अच्छा श्रोत भी होगा, लिहाज़ा इन स्थलों/स्मारकों/पार्कों आदि का निर्माण किसी भी लिहाज़ से अनुचित या फि़जूलख़र्ची क़तई नहीं कहा जा सकता है, जैसाकि बी.एस.पी. के घोर विरोधियों द्वारा राजनीतिक दुर्भावना के तहत ऐसा प्रचारित किया जाता है।
साथ ही, यहाँ यह भी उल्लेखनीय है कि बी.एस.पी. की ख़ासकर सन् 2007 से 2012 तक चलने वाली चैथी सरकार में इन स्थलों/स्मारकों/पार्कों आदि के साथ-साथ सर्वसमाज के लाभ के लिये सरकारी क्षेत्र में अनेकों विश्वविद्यालय, महाविद्यालय, मेडिकल व इंजीनियरिंग कालेज व अस्पताल आदि खोले गये और जहाँ तक इनके नामकरण का मामला है, तो सपा सरकार अगर डा. राम मनोहर लोहिया के नाम पर ’’लोहिया पार्क’’ बना सकती है तो फिर बी.एस.पी. की सरकार दलित एवं अन्य पिछड़े वर्गों में जन्में महान सन्तों, गुरूओं व महापुरूषों के नाम पर नये स्थापित किये गये स्थलों/स्मारकों/पार्कों, जि़लों एवं मेडिकल व इंजीनियरिंग संस्थानों के नाम पर सपा सरकार को आपत्ति क्यों है। उनके खि़लाफ सपा सरकार दुर्भावना क्यों रखती है, जिसके तहत उनमें से कई के नाम तक बदल दिये गये हंै, जो कि अत्यन्त निन्दनीय है और साथ ही पूरी तरह से ग़लत परम्परा की शुरूआत है, जिसका ख़ामियाज़ा सपा को भी आगे चलकर भुगतना पड़ सकता है।
इतना ही नहीं बल्कि अब एक नई साजि़श के तहत पहली बार यह मिथ्या प्रचार किया जा रहा है कि बी.एस.पी. सरकार ने कोई ’मेडिकल कालेज’ नहीं बनवाया, जबकि सपा सरकार के मुखिया को ऐसी ग़लत बयानबाज़ी करने से पहले इस सरकारी हक़ीक़त का पता ज़रूर कर लेना चाहिये था कि बी.एस.पी. की सरकार द्वारा क़न्नौज, जालौन व सहारनुपर जि़लों में मेडिकल कालेज व झांसी में पैरा-मेडिकल कालेज खोलने, फैज़ाबाद व मिजऱ्ापुर मण्डल मुख्यालय में अतिविशिष्ट चिकित्सा सुविधा चिकित्सालय व निजी क्षेत्र के सहयोग से लखनऊ, आगरा, जालौन, बिजनौर, आज़मगढ़, अम्बेडकरनगर व सहारनपुर में अत्याधुनिक सुपर-स्पेेशियालिटी वाले अस्पताल खोलने आदि-आदि जैसे जनहित के अनेकों बड़े व ज़रूरी काम किये गये।
साथ ही, नोयडा के जि़ला अस्पताल का उच्चीकरण एवं ग्रेटर नोयडा प्राधिकरण द्वारा एक नया अस्पताल स्थापित करके 200-200 बेड के दो उच्चस्तरीय ’’डा. भीमराव अम्बेडकर मल्टी-स्पेशियालिटी अस्पताल’’ शुरू करने का काम किया गया, परन्तु अब सपा सरकार बड़ी हठधर्मी से उन पर अपना दावा ठोंकने का उसी प्रकार से प्रयास कर रही है जिस प्रकार दिल्ली से आगरा तक की अत्याधुनिक ’’यमुना एक्सप्रेस-वे’’ का उद्घाटन मात्र करके अपनी उपलब्धियां समझने का मूर्ख प्रयास कर रही है।
इसी प्रकार के सैकड़ों दूसरे उदाहरण मौजूद हैं जो यह साबित करते हैं कि बी.एस.पी. की सरकार ने उत्तर प्रदेश जैसे पिछड़े राज्य के लोगों की बुनियादी ज़रूरतों को पूरा करने के लिए थोड़े समय में ही अनेकों ठोस काम करने पर ही राज्य सरकार के संसाधन का भरपूर इस्तेमाल किया, जिसका लाभ सर्वसमाज के लोगों को काफी कुछ बी.एस.पी. के शासनकाल के दौरान ही और बहुत कुछ वर्तमान सरकार के कार्यकाल में उन्हें मिलने लगा है।
और जहाँ तक सपा की इस नासमझ आरोप का सवाल है कि बी.एस.पी. का भाईचारा स्थापित करने का कार्यक्रम जातिवाद को बढ़ावा देने का कार्यक्रम है तो इस सम्बन्ध में यह पूर्णतः स्पष्ट है कि बी.एस.पी. एक राजनीतिक पार्टी से ज्यादा एक मूवमेन्ट है और इसका भाईचारा अभियान ’’सामाजिक परिवर्तन’’ के अत्यन्त महत्वाकांक्षी व मिशनरी लक्ष्य को प्राप्त करने के लिये है, जिसे भारतीय संविधान निर्माताओं ने ’’सामाजिक लोकतंत्र’’ के रूप में व्याख्यापित किया है। दरअसल सपा का बी.एस.पी के ऊपर यह आरोप पूर्ण रूप से राजनीति प्रेरित व सपा की घोर जातिवादी मानसिकता का प्रतीक है, क्योंकि आज पूरी तरह से यह जग-जाहिर हो गया है कि समाजवादी पार्टी व वर्तमान सपा सरकार ने केवल और केवल एक जाति-विशेष अर्थात केवल यादव समाज के स्वार्थी व अराजक तत्वों के लिये काम करने के लिये सारे नियम-कायदे ताक़ पर रख दिये हैं और उनके माध्यम से स्वार्थ की राजनीतिक रोटी सेंकने का काम किया जा रहा है। वर्तमान सपा सरकार का यह चरित्र वास्तव में ’’घोर जातिवादी मानसिकता’’ का द्योतक है, जिसके खिलाफ सर्वसमाज के लोग अब बड़े पैमाने पर उठ खड़े हुये हैं और खासकर अपरकास्ट समाज में से ब्राह्मण समाज के लोग इस भाईचारा अभियान में काफी ज्यादा लगन व निष्ठा के साथ काम कर रहे हैं और उनका यह योगदान बहुत ज्यादा महत्व व मायने रखता है, जिसकी ही बेचैनी बी.एस.पी. के विरोधियों को पूरी तरह से बेचैन किये हुये है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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