अक्सर ऐसा देखने में आता है कि इलाज के दौरान होने वाली मौत का इल्जाम सीधे मरीज के परिजन डाक्टरो पर ही लगा देते है जिसका कारण साफ है कि बवाल करने पर प्रशासन के द्वारा मुवाबजा दे दिया जाए खास कर मामला सरकारी अस्पताल से जुडा हो तो मृतक के परिजनो का साथ राहगीर भी दे देते है और ऐसा लगता है मानो वाकई मे डाक्टर की लापरवाही से ही मौत हुई है और सोने पर सुहागा तब हो जाता है जब विभीषण अपने घर मे ही हो ।
मामला जिला चिकित्सालय मे दस दिन के अन्तराल मे हुई दो मौतो का है जिसमें सत्त्ता पक्ष के माननीय तक को शामिल होना पडा हालाकिं माननीयों की कुछ मजबूरियां होती है क्षेत्रीय जनता के लिए कभी कभी न चाहते हुए भी उसके द्वारा किए गए विवाद मे कूदना पडता है लकवाग्रस्त जिला चिकित्सालस सुविधाओं का टोटा संसाधनो की कमी के बाद भी डाक्टर मरीज को बचाने का अंतिम समय तक प्र्रयास करता है उसके बाद भी यदि मरीज की मौत हो जाए तो जो डाक्टर इलाज करते समय देवता दिखाई देता है वही मरीज की मौत के बाद सीधे यमराज दिखाई देने लगता है जिस पर बवाल होना लाजिमी है ।
जिला चिकित्सालय मे कहने को बहुत लम्बा चैडा स्टाफ है परन्तु काम करने वाले उगलियों पर गिने जा सकते है जिनके कारण जिला अस्पताल मे आने वाले मरीजो को सुविधा मिलती है परन्तु कुछेक डाक्टरो के लिए संयोग कहे या उनका दुर्भाग्य विवाद इनके आगे पीछे मंडराता रहता है और उसका कारण खुद विभागीय लोग है जिन्हे यह लोग फूटी आंख नही सुहाते है । इस बात का ताजातरीन उदाहरण बीते एक सप्ताह मे हुई दो मौतो का जिसमे से एक मौत पर सीधे सीधे एक डाक्टर को आरोपित किया गया जो प्रत्येक सप्ताह स्वांस के मरीजो का प्रहृी चेकअप कराने के साथ साथ गरीबो का मुफ्त इलाज साथ ही दवा आदि की भी व्यवस्था करता है । यह बाते जिला चिकित्सालय मे दलाली करने वालो को हजम नही हो रही थी जिसके नाते उस डाक्टर को बदनाम करने की एक नीति के तहत मुहिम चलाई जा रही है । जिला चिकित्सालय मे लगातार हुई दो दो मौतो के संबन्ध मे मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डा० आर.पी.सिंह का कहना हेै कि जिला चिकित्सालय मे इमरजेन्सी मे दो डाक्टरो की आवश्यकताएं होती है ।
जिस महिला की मृत्यु हुई है उसको जहरीले सांप ने दिन में १० बजे काटा था और इमरजेंन्सी मे उसे १२ बजे लेकर आए तब तक उक्त महिला की हालत अत्यन्त नाजुक हो गई थी जिसके चलते उसकी मौत हो गई उसमे किसी डाक्टर की गल्ती नही है मुख्य चिकित्सा अधीक्षक का कहना है किसी डाक्टर पर ऐसा आरोप लगाने का मतलब उनकी छवि धूमिल करना है सी.एम.एस. ने आगे कहा कि इससे पहले भी एक मौत पर मरीज के परिजनो ने हंगामा किया था और कल कि घटना ने तो हद कर दिया मेरे स्टाफ के साथ मारपीट की घटना यह ठीक नही है अब तो मेरा स्टाफ पुलिस की सुरक्षा मे ही इमरजेन्सी डयूटी करने का मन बनाया है ।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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