Archive | May, 2011

इंजीनियर मनोज गुप्ता हत्याकाण्ड में राज्य सरकार की प्रभावी पैरवी के चलते ही दोषियों को कड़ी सजा मिली

Posted on 07 May 2011 by admin

पूर्ववर्ती सरकारों के शासन में अपराधियों के खिलाफ प्रभावी कार्यवाही करने के बजाय उन्हें बचाने की कोशिश की जाती थी - बी0एस0पी0 प्रवक्ता
हत्याकाण्ड में श्री शेखर तिवारी का नाम आते ही पार्टी से निलम्बित किया गया था

बहुजन समाज पार्टी के प्रवक्ता ने औरैया के अधिशासी अभियंता श्री मनोज कुमार गुप्ता हत्याकाण्ड में माननीय न्यायालय द्वारा आज दिये गये फैसले पर विरोधी दलों द्वारा राज्य सरकार पर लगाये गये आरोपों पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि सरकार ने इस घटना की सूचना मिलते ही दोषियों को शीघ्र गिरफ्तार करके उनके विरूद्ध तत्काल कठोर कार्यवाही करने के निर्देश दिये थेे। इस मामले में राज्य सरकार द्वारा की गयी प्रभावी पैरवी का ही यह नतीजा है कि इस आपराधिक घटना को अंजाम देने वाले दोषी माननीय न्यायालय द्वारा दण्डित किये गये हैं।

पार्टी प्रवक्ता ने कहा कि विपक्षी पार्टियों की पूर्ववर्ती सरकारों के शासन में ऐसे अपराधों को अंजाम देने वाले लोगों के खिलाफ प्रभावी कार्यवाही करने के बजाय उन्हें बचाने की कोशिश की जाती थी। यहां तक की पीड़ित पक्ष को ही बलि का बकरा बनाकर फंसाने का प्रयास किया जाता था। इसके विपरीत बी0एस0पी0 सरकार अपराधियों का बचाव नहीं करती, बल्कि उनके किये की सजा दिलाने में किसी तरह की कोताही नहीं बरतती। इस प्रकरण में बी0एस0पी0 विधायक श्री शेखर तिवारी का नाम आते ही उन्हें पार्टी निलम्बित कर दिया गया था। उन्होंने कहा कि पिछली सरकारों के कार्यकाल में अपराध तथा सरकारी धन की लूट-खसोट चरम सीमा पर थी। अपराधी निरंकुश थे और पूरे प्रदेश में अराजकता का वातावरण बना हुआ था।

बी0एस0पी0 प्रवक्ता ने कहा कि बी0एस0पी0 के स्थापना की परिकल्पना भ्रष्टाचार तथा राजनीति में अपराधीकरण को समाप्त करने के लिए की गयी थी। यदि पूर्व सरकारों ने भ्रष्टाचार एवं अपराधियों से राजनीतिक सांठ-गांठ के दुष्चक्र को खत्म कर दिया होता तो बी0एस0पी0 बनाने की जरूरत नहीं पड़ती। उन्होंने कहा कि सभी विपक्षी दल बी0एस0पी0 की लोकप्रियता एवं बढ़ते जनाधार से बौखलाये हुए हैं, इसलिए बी0एस0पी0 पर उल्टे-सीधे आरोप लगाने के लिए बहाना ढंूढते रहते हैं। उन्होंने कहा कि सपा, बी0जे0पी0 तथा कांग्रेस द्वारा सरकार पर आज लगाये आरोपों को इसी दृष्टि से देखा जाना चाहिए।

पार्टी प्रवक्ता ने कहा कि बी0एस0पी0 सरकार के लिए किसी भी अपराधी के मामले में किसी पार्टी अथवा समूह से किसी प्रकार की प्रतिबद्धता का भी कोई मतलब नहीं होता। उन्होंने कहा कि कानून तोड़ने पर राज्य सरकार ने अपने ही दल के विधायक, सांसद तथा मंत्रियों तक को भी जेल भेजने में संकोच नहीं किया है। इसके बावजूद विरोधी पार्टियों के लोग बी0एस0पी0 सरकार पर झूठे तथा आधारहीन आरोप लगाने से बाज नहीं आ रहे हैं। उन्होंने विपक्षी दलों द्वारा इस तरह की आपराधिक घटनाओं को राजनैतिक रंग दिये जाने को दुर्भाग्यपूर्ण बताया है।

प्रवक्ता ने कहा कि उत्तर प्रदेश की माननीया मुख्यमंत्री सुश्री मायावती जी ने सत्ता में आते ही पुलिस अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिये थे कि कानून-व्यवस्था के साथ खिलवाड़ करने वाले किसी भी व्यक्ति को बख्शा नहीं जाना चाहिए, चाहे वह कितने ही बड़े पद पर क्यों न हो अथवा सत्ता पक्ष से भले जुड़ा हुआ हो। उन्होंने प्रदेश की जनता को अन्यायमुक्त, अत्याचारमुक्त एवं भयमुक्त वातावरण देने और कानून द्वारा कानून का राज स्थापित करने का वायदा किया था और इस दिशा में कानून को हाथ में लेने वाले लोगों के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्यवाही करके अपने संकल्प को साबित कर दिया है।

प्रवक्ता ने कहा कि 24 दिसम्बर, 2008 को लोक निर्माण विभाग के अधिशासी अभियंता श्री मनोज कुमार गुप्ता के हत्या के आरोपी बी0एस0पी0 विधायक श्री शेखर तिवारी एवं अन्य को तत्काल गिरफ्तार किया गया। उन्होंने कहा कि दिवंगत अभियंता की पत्नी श्रीमती शशि गुप्ता ने इस मामले की प्रभावी पैरवी करने के लिए मुकदमें की सुनवाई लखनऊ स्थानान्तरित करने की भी मांग की थी। माननीया मुख्यमंत्री जी ने श्रीमती गुप्ता की समस्याओं को सहानुभूतिपूर्वक सुनकर उन पर तत्काल कार्यवाही करने के निर्देश दिये एवं उनके परिवार को पूरी सुरक्षा देते हुए उन्हें आश्वस्त किया था कि दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा दिलाने के लिए राज्य सरकार द्वारा प्रभावी पैरवी सुनिश्चित की जायेगी। मृतक अभियंता की पत्नी एवं उनके पुत्र ने माननीया मुख्यमंत्री जी से भेंट कर राज्य सरकार द्वारा इस मामले में की गयी कार्यवाही पर संतोष व्यक्त करते हुए माननीया मुख्यमंत्री जी को धन्यवाद भी दिया था।

प्रवक्ता ने कहा कि इस काण्ड में माननीया मुख्यमंत्री जी ने स्व0 श्री मनोज कुमार गुप्ता के सभी सरकारी देयों को समय से भुगतान सुनिश्चित करने एवं उनके परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने के साथ ही लखनऊ में आवास आवंटित करने के निर्देश दिये थे। इसके अलावा माननीया मुख्यमंत्री जी ने उनके परिवार को पांच लाख रूपये की आर्थिक सहायता देेने की घोषणा भी की थी। उन्होंने कहा कि बी0एस0पी0 का भ्रष्टाचारियों एवं अपराधियों के खिलाफ अभियान जारी रहेगा तथा कानून हाथ में लेने वाले के साथ कोई समझौता नहीं होगा।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
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दो दिवसीय आयुर्वेद महोत्सव सम्पन्न

Posted on 07 May 2011 by admin

2वैद्यराज गंगाधर द्विवेदी के संयोजन में आयूर्वेद के विकास हेतु दो दिवसीय सम्मेलन का आयोजन प्राचीन तीर्थ क्षेत्र नैमिषारण में आचार्य प्रभाकर मिश्र की अध्यक्षता में रामसूरत दूबे सेवा निवृत्त आयुक्त के मुख्य आतिथि में सम्पन्न हुआ सम्मेलन में देश भर के आयुर्वेदिक मनीषी चिन्तक ने आयुर्वेद के विकास स्वास्थ्य एवं निरोग जीवन के लिए ऋषि मुनियों द्वारा की गयी खोजों का लाभ जन-जन तक पहुचाने के साथ आधुनिक विज्ञान की कसौटी पर आयुर्वेद को और अधिक जनउपयोगी बनाने पर बल दिया।

समारोह स्थल पर जड़ी-बूटियों, विभिन्न निर्माणशालाओं के श्रेष्ठ उत्पादों की प्रदर्शनी, आयुर्वेद प्रमुख द्रव्य खनिज, प्राणित उदाभेज द्रव्यों की प्रदर्शनी, धर्मकर्म योग, अध्यात्म चिकित्सा की दुर्लभ वस्तुओं की प्रदर्शनी योग का सार्वजनिक प्रदर्शन, प्राकृतिक चिकित्सा पर व्याख्यान, विभिन्न प्रान्तों से आये हुए विद्वान वैद्य-हकीमों का सम्बोधन, विभिन्न रोगा पर अपना-अपना अनुभव पर व्यख्यान व प्रदर्शन, जटिल बीमारियां जैसे मधुमेह, गुर्दा के रोग, हृदय रोग, स्नायु रोग, गठिया रोग, शिरोरोग, बाल का झड़ना, गन्जापन, असमय में बाल सफेद होना, नेत्र दृष्टि क्षीणता, महिलाओं में रजोदोष, गर्भाशय दोष, बन्ध्यापन, स्वेत रक्त प्रदर, गर्भश्राव, पुरुषों में प्रमेह, धातुक्षय, शुक्रकीट का अभाव, नपंसकता, उदरव्याधि, कब्ज, श्वांस क्षय, स्टोन प्रोस्टेट बृद्धि,मोटापा, चर्मरोग, सफेद दाग, मनोरोग, मखरोग, नशिका एवं कर्ण रोगों पर चर्चा व समाधान किया गया।

सम्मेलन में डा0 श्ेिाव कुमार मिश्र, महन्त श्री लक्ष्मण दास जी महाराज, महावीर दास जी महाराज, जयपाल शास्त्री, वैद्य त्रिलोकी चन्द्र, पूर्व न्यायधीश रामचन्द्र शुक्ल, अनिल चन्द, श्याम शंकर पाण्डेय, अमित कुमार, आन्नद सिंह यादव, डा0 रवि रस्तोगी (उत्तराखण्ड), डा0 गौरी शंकर शर्मा (बिहार), डा0 महेन्द्र हंस (कुरुक्षेत्र, हरियाणा), डा0 संदीप डी0 प्रभु गांवकर (गोवा), डा0 ए0के0 जैन (मध्यप्रदेश), अनिल कुमार शर्मा ‘‘उत्साही’’(शिवपुरी), डा0 विजय कुमार पाठक (उज्जैन), लायन डा0 वीरेन्द्र कुमार दूबे (जबलपुर), डा0 गुलशन कुमार बत्रा (पानीपत), अमित शुक्ल (प्रतापगढ़), गिरिजा रमण मिश्र (प्रतापगढ़) आदि लोग उपस्थित थे।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
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‘माँ’ की महिमा को पहचानिये!

Posted on 07 May 2011 by admin

‘मदर्स डे’ पर विशेष

new-ho‘‘माँ’’ न कहीं पहाड़ पर है न कहीं जंगल में हैं। ‘‘माँ’’ न किसी मन्दिर में है, न किसी गिरिज़ा,  गुरुद्वारे, मस्ज़िद में हैं। ‘‘माँ’’ तो आपके घर में है। जिस माँ ने आपको जन्म दिया है, जिस माँ ने आपको पालपोस कर बड़ा किया है, मैं उसी ‘‘माँ’’ की बात कर रहा हूँ। आज आप जिस माँ की बदौलत ही अपने पैरों पर खड़े हैं, मैं उसी माँ की बात कर रहा हूँ। यह वही माँ है, जब आप पढ़ रहे होते थे और माँ जग रही होती थी, फिर प्यार से दुलार से आपको सुलाती थी, बाद में खुद सोती थी। इतना ही नही आपके सोने से पहले उठकर आपको चाय, दूध देती थी फिर करती थी आपके लिए नाश्ता तैयार और आपको खिला पिलाकर भेजती थी स्कूल। फिर दिन भर इन्तजार करती थी आपके स्कूल से लौटने का, मैं उसी माँ की बात कर रहा हूँ किसी देवी देवता की नही। क्योंकि ‘‘माँ’’ ही देवी है और ‘‘माँ’’ ही देवता। अतः अपनी ‘‘माँ’’ की पूजा करिये और उतारिये उसी ‘‘माँ’’ की आरती और उसी ‘‘माँ’’ की चरणों की धूल को प्रतिदिन अपने माथे पर लगाइये। सच मानिये! आपको अन्य किसी तिलक व टीका लगाने की जरुरत नही पड़ेगी और न ही किसी मन्दिर, मस्ज़िद, गिरिज़ा, गुरुद्वारे में जाने की। अगर आप इन पवित्र और पूजा स्थलों पर जाते भी हैं तो अच्छी बात है किन्तु ‘‘माँ’’ का स्थान भगवान से भी ऊपर है वह इसलिये कि भगवान को भी ‘‘माँ’’ ने ही जन्म दिया है इसलिये ‘‘माँ’’ पहले है और सब बाद में।

यदि आप चाहते हैं कि आप महान बनें, आपका समाज में सम्मान हो, तो इसके लिए आपको ‘‘माँ’’ की शरण में जाना होगा तभी मिलेगी आपको अपनी मंजिल अन्यथा नहीं! यदि आप ‘‘माँ’’ की शरण में चले गये व ‘‘माँ’’ के महत्व को समझ लिया तो निश्चित रुप से आप सफलता प्राप्त करेंगे। इस सफलता के सर्वोच्च शिखर पर पहुँचने के लिए आपकी आँखों के समक्ष प्रत्येक पल माँ की तस्वीर घूमती रहनी चाहिए। सोते समय, उठते समय, पढ़ते समय, काम करते समय, चिन्तन करते समय, मनन करते समय, भजन करते समय, भोजन करते समय, हर समय प्रत्येक पल, प्रत्येक क्षण ‘‘माँ’’ की तस्वीर आपकी आँखों के सामने घूमती रहनी चाहिये। वह इसलिये कि ‘‘माँ’’ से अधिक आपको प्रेरणा अन्य कोई नही दे सकता, आपको अन्य कोई सफल नही बना सकता। ‘‘माँ’’ से अधिक आपको ‘‘जोश’’ बनाये रखने का सम्बल अन्य कोई प्रदान नही कर सकता क्यांे कि ‘‘माँ’’ त्याग की प्रतिमूर्ति है, ‘‘माँ’’ कर्तव्य की प्रतिमूर्ति है, ‘‘माँ’’ उत्साह व जोश की प्रतिमूर्ति है, ‘‘माँ’’ ममता की प्रतिमूर्ति है इसलिये आप प्रेरणा ‘‘माँ’’ से ही लीजिये। ‘‘माँ’’ को ही आदर्श मानिये ‘‘माँ’’ की तस्वीर को अपने मन मन्दिर में बैठाइये और ‘‘माँ’’ की पूजा करिये सच मानिये तभी आप सफलता के शिखर पर पहुंचेंगे साथ ही कहलाये जायेगे एक सफल व्यक्ति और तभी मंजिल आपके पग चूमेंगी।

जब आप पैदा होते हैं तब ‘‘माँ’’ का दूध ही आपको जीवन देता है। कल्पना कीजिये कि आपको ‘‘माँ’’ का दूध न मिलता तो क्या आपके जीवन की रक्षा हो सकती थी और आप आज जिस स्थिति परिस्थिति में खड़े हैं तो क्या आप होते? कदापि नही! क्योंकि बिना ‘‘माँ’’ की प्रेरणा से आप मंजिल प्राप्त नहीं कर सकते हैं। वह इसलिए कि ‘‘माँ’’ से अधिक ज्ञानी व ‘‘माँ’’ से अधिक आपके हित की बात सोचने वाला इस दुनिया में अन्य कोई नही हैं एक बात और ध्यान से सुन लीजिये ‘‘माँ’’ से अधिक पढ़ा लिखा व ज्ञानी भी कोई नही हैं अगर आप समझते हैं कि ‘‘माँ’’ पढ़ी लिखी नही है तो यह आपकी भूल है। मै मानता हूँ कि इस संसार में और खासकर इस देश में अधिकांश महिलायें पढ़ी लिखी नही हैं और आज भी अशिक्षित हैं उन्हें किताबी ज्ञान नही हैं, उन्हें शब्द ज्ञान व भाषा ज्ञान नही है और उनके पास किसी प्रदेशीय बोर्ड, केन्द्रीय बोर्ड, किसी यूनिवर्सिटी आदि का कोई सर्टीफिकेट नहीं है। किन्तु मेरे दोस्त जब किसी महिला को ईश्वर ‘‘माँ’’ का सर्टीफिकेट दे देता है तो उसके सामने यह बोर्ड व यूनिवर्सिटी द्वारा प्रदत्त सर्टीफिकेट बौने हो जाते हैं। क्यों? वह इसलिये कि यह सर्टीफिकेट तो मनुष्य द्वारा प्रदत्त हैं किन्तु ‘‘माँ’’ का सर्टीफिकेट तो ईश्वर द्वारा प्रदत्त है अब आप ही सोचिये! कि मनुष्य द्वारा प्रदत्त सर्टीफिकेट बड़ा है या ईश्वर द्वारा प्रदत्त सर्टीफिकेट बड़ा? क्या अब भी आप सोचेंगे कि मेरी ‘‘माँ’’ पढ़ी लिखी नही हैं? कदापि नही! आपकी ‘‘माँ’’ पढ़ी लिखी हैं, आपकी ‘‘माँ’’ इतनी विद्वान हैं कि संसार में अन्य कोई विद्वान नहीं, आप तो कदापि नही! इसलिये इस भ्रम में मत रहिये कि मैं पढ़ा लिखा हूँ और मेरी ‘‘माँ’’ पढ़ी लिखी नहीं हैं, यदि आपने ऐसा सोच लिया तो गई आपकी किस्मत अंधेरे में, जिन्दगी भर हाथ पैर मारते रहोगे अंधेरे में। आपके पास पछताने के अलावा शेष कुछ नही बचेगा। यहाँ पर मैं आपको एक किवदन्ति का वर्णन कर रहा हूँ। एक युवक था दो अक्षर पढ़कर अपने आपको पढ़ा लिखा समझता था और अपनी ‘‘माँ’’ को बिना पढ़ा लिखा। सो पढ़कर लिखकर वह नौकरी की तलाश में दूसरे शहर जाने लगा तो ‘‘माँ’’ ने कहा कि बेटा अमुक दिशा में मत जाना और अगर अमुक दिशा में जाना बहुत जरूरी हो तो बेटा ‘‘अंधेर नगरी’’ मत जाना। अंधेर नगरी अमुक दिशा में ही है सो युवक ने सोचा कि ‘‘माँ’’ पढ़ी लिखी तो है नही इसको इतना ज्ञान कहाँ से आ गया अमुक दिशा व अमुक नगरी का। यह तो भूगोल व इतिहास की बातें हैं। माँ को तो चिट्ठी भी पढ़नी नही आती है और कर रही है इतिहास और भूगोल की बातें। ऐसा सोच कर वह युवक उसी अमुक दिशा की ओर चल दिया और वह पूछते-पूछते पहुँच गया वह अंधेर नगरी। अंधेर नगरी पहुँचते ही उस युवक कोएक बड़ी नौकरी मिल गयी तो वह युवक ‘‘माँ’’ के अल्प ज्ञान पर जमकर हँसा। हँसते-हँसते नौकरी करने लगा उस अंधेर नगरी में प्रत्येक वस्तु टका सेर थी (एक रुपये किलो) यानि की सब्जी भी टका सेर और फल भी टका सेर, दूध भी टका सेर व घी भी टका सेर, यानी की सबकुछ टका सेर। यह देखकर युवक बड़ा ही खुश हुआ अब पानी की जगह जूस पीने लगा। दूध की जगह घी पीने लगा। सो कुछ ही दिनों में खा पीकर हट्टा-कट्टा और मोटा हो गया गर्दन भी गेंडे की तरह हो गयी जिसे घुमाने में भी दिक्कत होती थी। एक दिन उस नगरी में एक दुर्घटना हो गयी उस दुर्घटना में सड़क पार कर रहे दो बच्चों को एक ट्रक ने कुचल दिया। वहीं घटना स्थल पर दोनो बच्चों का अन्त हो गया और ट्रक ड्राइवर को पकड़ लिया गया व उसे अंधेर नगरी राजा के सामने हाजिर किया गया। ट्रक ड्राइवर का अपराध बताया कि इसने दो अबोध बालकों को कुचल दिया है। इतना सुनते ही राजा क्रोधित हुआ व उस ड्राइवर को फाँसी की सजा सुना दी। फाँसी की सजा सुनते ही ड्राइवर ने अपने बचाव में कहा कि महाराज! ट्रक तो अमुक मालिक का है मैं तो उसका नौकर हूँ अतः फाँसी ट्रक के मालिक को दी जाय। राजा ने कहा बात तो ठीक है ट्रक के मालिक को पकड़ कर लाओ। ट्रक का मालिक लाया गया और उसको फाँसी की सजा सुना दी गयी। ट्रक के मालिक ने अपने बचाव में कहा कि महाराज! फाँसी की सजा मुझे क्यों? यह सजा तो ट्रक कम्पनी के मालिक को सुनाई जानी चाहिये। तो ठीक है ट्रक कम्पनी के मालिक को बुलाओ। ट्रक का मालिक आया तो फाँसी की सजा उसको सुना दी गयी सजा सुनते ही कम्पनी का मालिक अपने बचाव में बोला महाराज! सजा मुझे क्यों? ट्रक तो कल्लू मिस्त्री ने बनाया था फाँसी कल्लू मिस्त्री को ही दी जानी चाहिए। ठीक है कल्लू मिस्त्री को पकड़कर लाओ, राजा ने हुकुम फरमाया। अब कल्लू मिस्त्री को फाँसी की सजा सुना दी गयी। सजा के मुताबिक कल्लू मिस्त्री को फाँसी के तख्ते पर ले जाया गया किन्तु यह क्या फाँसी का फन्दा कल्लू मिस्त्री की गर्दन में ढीला पड़ गया कल्लू की गर्दन पतली और फंदा बड़ा अब क्या हो? इस समस्या को जल्लादों ने दरबार में जाकर राजा को बताया राजा ने हुक्म दिया कि जिस व्यक्ति की गर्दन में यह फंदा सही आ जाय उस व्यक्ति को फाँसी की सजा दे दी जाय। हुक्म सुनते ही नगर के सिपाही प्रत्येक व्यक्ति की गर्दन में वह फाँसी का फंदा नाप-नाप कर देखने लगे फंदा देखकर गर्दन नापते-नापते वह फंदा उसी नवयुवक की गर्दन में सही बैठ गया। जिस युवक ने अपनी माँ की बात की अनसुनी कर अंधेर नगरी में आ गया था। उस युवक को पकड़कर दरबार में राजा के सामने हाजिर किया गया। और बताया गया कि हुजूर यह फाँसी का फंदा इस युवक के गले में सही बनता है। तो ठीक है इस युवक को ही फाँसी दे दी जाय। फाँसी की सजा सुनकर उस युवक को अपनी गलती का एहसास हुआ और तब उसे ‘‘माँ’’ की बहुत याद आयी ‘‘माँ’’ की याद में वह फूटफूटकर रोने लगा। ‘‘माँ’’ की तस्वीर उस युवक की आँखों के सामने बार-बार आने लगी उस तस्वीर ने युवक से कहा बेटे अब रोने से क्या फायदा यह अज्ञानी राजा तेरे करुण, क्रन्दन करने से तेरी फाँसी की सजा को माफ नही करेगा। हाँ एक बात हो सकती है तू इस राजा से अपनी अन्तिम इच्छा पूरी करने की याचना कर ले उस याचना में मांग ले कि मैं अपनी ‘‘माँ’’ से मिलना चाहता हूँ तब मुझे बुलाया जायेगा और मैं वहाँ आकर तेरे प्राणों की रक्षा कर सकती हूँ। उस युवक को एक बार फिर अपनी ‘‘माँ’’ की बुद्धि व शिक्षा पर सन्देह हुआ कि ‘‘माँ’’ मुझे कैसे जीवन दान दिला सकती है किन्तु सोचने का समय नही था। अतः संकट में ‘‘माँ’’ की बात मान ली और राजा से याचना की कि महाराज! फाँसी से पहले मेरी एक अन्तिम इच्छा है कि भरे दरबार में मेरी मुलाकात ‘‘माँ’’ से करवा दी जाय। उस राजा ने युवक की अन्तिम इच्छा मान ली और आदेश दिया कि इस युवक से पता पूछकर इसकी ‘‘माँ’’ को बुलाया जाय तब तक के लिए फाँसी की सजा टाल दी जाय। नगर के सिपाही उस बताये गये पते पर पहुँचे और उस युवक की ‘‘माँ’’ को दरबार में लाकर हाजिर किया। राजा ने दरबार में इस युवक को भी बुलाया माँ बेटे में कुछ काना-फूसी हुई माँ ने बेटे से कहा तुझे मेरी कसम है मेरे बेटे! मैं राजा से जो कुछ कहूँगी तू उसका विरोध नही करेगा और चुप रहेगा तभी तेरे प्राण बच सकते हैं। तब उस युवक की माँ ने कहा कि हे राजन् मेरे बेटे को फाँसी इसलिये दी जा रही है कि इसकी गर्दन मोटी है और फाँसी का फंदा इसकी गर्दन में सही बैठ गया है किन्तु इस मोटी गर्दन के लिए यह जिम्मेदार नही है इसके लिए मैं जिम्मेदार हूँ मैने इसको खिला पिलाकर और अपना दूध पिलाकर मोटा किया है इसकी मोटी गर्दन के लिए दोषी यह नहीं, दोषी मैं हूँ क्योंकि मैं इसकी माँ हूँ अतः फाँसी मुझको दी जाय महाराज! ऐसा सुनकर राजा ने आदेश दिया कि युवक को छोड़ दिया जाये और फाँसी इसकी माँ को दी जाय, वह इसलिए कि हमारे शास्त्रांे में भी लिखा है कि सजा चोर को नहीं चोर की नानी को दी जानी चाहिये। अतः यहाँ नानी मौजूद नहीं है और नानी इस दुनियाँ में भी नहीं है अतः इसकी ‘‘माँ’’ को तुरन्त फाँसी दे दी जाय। आदेश में विलम्ब न हो अगर फाँसी का फन्दा बड़ा पड़ रहा हो तो तुरन्त छोटा कर लिया जाय यह हमारा आदेश है और आदेश का पालन किया गया। उस युवक की ‘‘माँ’’ को फांसी दे दी गयी और उस युवक को बाइज्जत बरी कर दिया गया।

अब आप ही बताइये ‘‘माँ’’ के अलावा और कौन है जो आपके लिये अपने प्राणों की बलि दे दे उत्तर है कोई नही! अब आप समझे। ‘‘माँ’’ की कृपा और ‘‘माँ’’ का महत्व तथा ‘‘माँ’’ की शैक्षिक योग्यता! माँ की शैक्षिक योग्यता यह है कि वह अपनी बुद्धि से आपको फाँसी से भी मुक्ति दिला सकती है और बदले में खुद फाँसी के तख्ते पर झूल जाती है। मुसीबत में दुनियाँ आपका साथ छोड़ जाय किन्तु ‘‘माँ’’ आपका साथ नही छोड़ती। दुनियाँ आपको बुरा कहे लेकिन ‘‘माँ’’ आपको बुरा नही कहती है तब ऐसी महिमामयी ‘‘माँ’’ की महिमा को पहचानिये उसकी मूर्ति को मन मन्दिर में बैठाइये उसकी आराधना करिये, उसकी पूजा करिये आपको किसी भी मन्दिर, मस्ज़िद, गिरिज़ा व गुरुद्वारे में जाने की आवश्यकता नही है बस आवश्यकता है ‘‘माँ’’ से प्रेरणा लेने की। तथा गुणों की खान इस पूज्य ‘‘माँ’’ से कुछ गुण सीखने की जो अनगिनत गुणों से भरपूर है ‘‘मेरी माँ’’। मेरी माँ दया, धर्म, करुणा, क्षमा, सहनशीलता, कर्तव्य परायणता, त्याग, तपस्या, वफादारी, ईमानदारी, शालीनता, शान्ति, विनम्रता, कर्मठता, लगनशीलता की प्रतिमूर्ति है, यह तो दो चार उदाहरण मात्र हैं ‘‘माँ’’ के गुणों के। वरना ‘‘माँ’’ में तो इतने गुण विद्यमान है कि उन गुण का बखान भगवान राम और भगवान कृष्ण भी नही कर सके हैं तो मुझ जैसा तुच्छ लेखक माँ के गुणों का बखान कैसे कर सकता है? मेरे लिये बस इतना ही काफी है कि मैं ‘‘माँ’’ के महत्व को अपनी लेखनी द्वारा आपको पहचानने के लिये आपसे अनुरोध कर रहा हूँ इस लेख के माध्यम से। मैं यह जानता हूँ कि ‘‘माँ’’ के सम्पूर्ण गुणों को मैं और आप दोनो ही पूर्ण रुप से अपने जीवन में नही उतार सकते हैं। हाँ एक बात अवश्य है कि अगर हमने ‘‘माँ’’ के विराट रुप को थोड़ा बहुत भी पहचान लिया और अनगिनत गुणों की खान अपनी पूज्य ‘‘माँ’’ के कुछ प्रतिशत गुण भी यदि हमने अपने जीवन में उतार लिये तो हमें सफलता के सर्वोच्च शिखर पर पहुँचने से दुनियाँ की कोई ताकत नही रोक सकती है। इतिहास इस बात का साक्षी है कि जिस-जिस व्यक्ति ने अपनी ‘‘माँ’’ के गुणों को अपने जीवन में उतारा है वह इतिहास पुरुष बने हैं और बने हैं मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम! जरा आप सोचिये कि अगर ‘‘राम’’ अपनी माता कैकयी की इच्छा का पालन न करते और वन को न जाते तो क्या ‘‘राम’’ मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम और भगवान श्री राम बन पाते? आज भगवान श्रीराम की घर-घर में पूजा होती है वह इसलिए कि उन्होंने कैकयी ‘‘माँ’’ की बात सहज भाव से शिरोधार्य की थी व प्रसन्नतापूर्वक बन चले गये थे। ‘‘माँ’’ के इस आदेश को पालन करने से ही राम को ‘‘भगवान राम’’ बना दिया अन्यथा दशरथ तो राम को केवल ‘‘राजा राम’’ बनाने जा रहे थे तो सोचिये कहाँ ‘‘राजा राम’’ और कहाँ ‘‘भगवान राम’’। यह जादू है माँ के आदेश में, माँ के आदेश के पालन से जब राम भगवान राम बन गये तो आप क्या बन सकते हैं माँ के आदेश पालन करने से, यह आप ही सोचिये। दूसरी और रावण ने अपनी ‘‘माँ’’ का आदेश नहीं माना था, सोचा था कि ‘‘माँ’’ कम पढ़ी  लिखी है, अज्ञानी है, और मैं चारो वेदों का ज्ञाता, विश्व का महान पंडित, विश्व में व्याप्त तमाम शक्तियों का स्वामी। मैं महान ज्ञानी हूँ और बात मान लूँ बिना पढ़ी लिखी ‘‘माँ’’ की! सो रावण ने माँ के आदेश की अवहेलना की, परिणाम सबके सामने हैं सोने की लंका जलकर राख हो गई व पूरा परिवार मिल गया खाक में। काश! रावण भी अपनी ‘‘माँ’’ के इस आदेश को कि सीता जी को पूर्ण सम्मान के साथ श्री राम को लौटा दो मान लेता तो रावण का जो हश्र हुआ वह न होता। कई बार ऐसा प्रतीत होता है कि ‘‘माँ’’ का यह आदेश हमारे हित में नही है? किन्तु ऐसा हमारी अज्ञानतावश होता है ऐसा कोई भी आदेश ‘‘माँ’’ कभी देती ही नही है जो कि हमारे हित में न हो। माँ के आदेश में सोचने विचारने की कोई गुंजाइश नही होती है, आप चाहे जितने बड़े विचारक हों चाहे जितने बड़े मनोवैज्ञानिक, वैज्ञानिक, डाक्टर, इंजीनियर, प्रोफेसर, प्रशासनिक अधिकारी, नेता, अभिनेता, संत, महात्मा हों  ‘‘माँ’’ की तुलना में आपका ज्ञान नगण्य हैं। इस बात को जब तक आप ध्यान में रखेंगे आप प्रगति पथ पर अग्रसर होते जायेंगे और जिस दिन आपने अपने ज्ञान को सर्वोपरि समझा और आपकी निगाह में ‘‘माँ’’ का स्थान नगण्य हो गया तो समाज की निगाह में आप नगण्य हो जायेंगे। आपका समाज में स्थान ‘‘माँ’’ के स्थान से जुड़ा है जितना अधिक आप अपनी ‘‘माँ’’ को महत्व देते हैं यह समाज उससे सौ गुना महत्व आपको देगा। अतः ‘‘माँ’’ के महत्व को समझिये, ‘‘माँ’’ के आदेशों का पालन करिये और पहुँच जाइये सफलता के सर्वोच्च शिखर पर, बिना ‘‘माँ’’ को महत्व दिये सफलता के शिखर पर पहुँचना एक दिवास्वप्न के बराबर है। जब ईश्वर ने ‘‘माँ’’ के महत्व को समझा है व ‘‘माँ’’ को ही सर्वोपरि माना है तो फिर आप कौन हैं? ईश्वर के सामने! यह प्रश्न मैं आपके लिये छोड़ रहा हूँ, आपके चिन्तन व मनन के लिए।

(हरि ओम शर्मा)
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जनसंख्या के आधार पर सरकारी नौकरियों व शिक्षण संस्थानों में आरक्षण देने की मंाग

Posted on 05 May 2011 by admin

राष्ट्रीय लोकदल अध्यक्ष चैधरी अजित सिंह ने मुस्लिम समुदाय को जनसंख्या के आधार पर सरकारी नौकरियों व शिक्षण संस्थानों में आरक्षण देने की मंाग की। उन्होंने कहा कि राज्य स्तर पर आरक्षण आसानी से दिया जा सकता है। एक राज्य के मुख्य मंत्री भी अपने राज्य में 50 प्रतिशत आरक्षण लागू कर सकते हैं। राष्ट्रीय लोकदल मुस्लिम समुदाय को जनसंख्या के आधार पर आरक्षण दिलाने के लिए संघर्ष करेगा।

    चैधरी अजित सिंह ने उत्तर प्रदेश की मुख्य मंत्री मायावती व समाजवादी पार्टी पर आरोप लगाते हुए कहा कि इन दोनों पार्टियों व इनके नेताओं ने मुस्लिम समुदाय को हमेषा से धेखा ही दिया है और इन्हीं की वजह से मुस्लिम समुदाय आज दयनीय स्थिति में है। उक्त दोनों पार्टियों ने मुस्लिम समुदाय का सिर्फ वोट लेने के लिए ही इस्तेमाल किया है। यह बात चैधरी अजित सिंह ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों से सैकड़ों की तादाद में आये उलेमाओं, मौलवियों और काजियों को सम्बोधित करते हुए कही।

    राष्ट्रीय लोकदल किसान मसीहा एवं भूतपूर्व प्रधान मंत्री श्रद्धेय चैधरी चरण सिंह जी की नीतियों पर चलकर हमेशा से किसानों और मुसलमानों के हित के लिए संघर्षरत है। इस अवसर पर चैधरी अजित सिंह ने अपने निवास स्थान 12 तुगलक रोड, नई दिल्ली पर पश्चिमी उत्तर प्रदेश से आये सैकड़ों मुस्लिम समुदाय के लोगों को सम्बोधित करते हुए कही।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
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स्थानीय निकाय चुनाव दलगत आधार पर कराए जाने के फैसले का स्वागत

Posted on 05 May 2011 by admin

भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष सूर्य प्रताप शाही ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा स्थानीय निकाय चुनाव दलगत आधार पर  कराए जाने के फैसले का स्वागत करते हुए इसे लोकतंत्र की जीत बताया। उन्होंने कहा मा0 न्यायालय के फैसले से बसपा सरकार की निकायों पर धनबल, बाहुबल के दम पर कब्जा करने के मन्सूबे नाकामयाब हुए हैं।

श्री शाही ने कहा कि बसपा सरकार का लोकतांत्रिक मूल्यों एवं संवैधानिक परम्पराओं पर विश्वास नहीं है। यही कारण है कि बसपा सरकार ने पंचायत चुनाव की तरह स्थानीय निकाय चुनावों में भी कब्जा करने की नीयत से पूरी चुनावी प्रक्रिया बदलने का असफल प्रयास किया है। लेकिन माननीय न्यायालय के फैसले से बसपा सरकार की निकायों पर कब्जा करने की साजिश विफल हो गई है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने स्थानीय निकाय चुनावों को लेकर जिसतरह  से पूरी चुनावी प्रक्रिया को बदलने के लिए गुपचुप तरीके से नियम आदि बनाने के प्रयास किए भाजपा ने उसका कड़ा विरोध पहले दिन से ही करना शुरू कर दिया था। हम शुरू से यह कहते रहे हैं कि बसपा की मंशा निकायों पर सत्ता का दुरुपयोग कर कब्जा करने की है।

श्री शाही ने कहा कि प्रदेश की सरकार लगातार सरकारी साजिश के आधार पर लोकतांत्रिक व्यवस्था पर चोट कर रही थी। सरकार येेन-केन-प्रकारेण पूर्व में हुए पंचायत चुनावों की तरह ही स्थानीय निकाय चुनाव दल विहीन कराने पर उतारू थी। भाजपा इन लोकतंत्र विरोधी निर्णयों का लगातार विरोध किया।  मा0  न्यायालय के निर्णय से जनभावनाओं के साथ-साथ भाजपा की नीति एवं सिद्धान्तों की भी जीत हुई है। उन्होंने कहा कि स्थानीय निकाय चुनावों के संदर्भ में मा0 न्यायालय का निर्णय आने के बाद अब राज्य सरकार को भी अपने हठधर्मिता छोड़कर स्थानीय निकाय के चुनाव दलीय चुनाव चिन्ह पर पुरानी प्रक्रिया के अनुसार कराए जाने की दिशा में कदम उठाना चाहिए।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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गुरुदेव रविंद्रननाथ टैगोर की 150वीं जयंती के उपलक्ष्य में देषभर में आयोजन

Posted on 05 May 2011 by admin

इस मौके पर सैमसंग इंडिया तथा साहित्य अकादमी ने आज यहां आयोजित समारोह में दूसरे टैगोर साहित्य पुरस्कारों के अंतर्गत आठ भारतीय भाशाओं के लेखकों को उनके सर्वश्रेश्ठ साहित्यिक योगदान के लिए सम्मानित किया। मूर्धन्य कवि श्री रविंद्रनाथ टैगोर की स्मृति में स्थापित ’टैगोर साहित्य पुरस्कार‘ की स्थापना 2009 में सैमसंग इंडिया तथा साहित्य अकादमी ने की थी और हर वर्श आठ भाशाओं के लेखकों को उनके योगदान के लिए सम्मानित किया जाता है। इस तरह, तीन वर्श के अंत तक 24 भारतीय भाशाओं के लेखकों को सम्मानित किया जाएगा। यह टैगोर साहित्य पुरस्कारों का दूसरा संस्करण है।

मुंबई के रबिंद्र नाट्य मंदिर में आयोजित भव्य साहित्य पुरस्कार वितरण समारेाह में इन आठ भारतीय भाशाओं की साहित्यिक कृतियांे को पुरस्कृत किया गया: इस वर्श असमिया, डोगरी, मराठी, उड़िया, राजस्थानी, संथाली, तमिल तथा उर्दू। दूसरे टैगोर साहित्य पुरस्कारों के विजेताओं के चयन के लिए उनके द्वारा लिखित निबंधों, कविताओं, जीवनचरित्रों/आत्मकथात्मक वृत्तांतों को आधार बनागया गया जो इन आठ भारतीय भाशाओं में वर्श 2006-08 के दौरान लिखी गई थीं। टैगोर साहित्य पुरस्कार 2010 के विजेता हैं - श्री देबब्रत दास - ’निरबाचिा गल्प‘ (असमिया); श्री संतोश खजूरिया - ’बाडलोंडियन भरण‘ (डोगरी); प्रोफे. आर जी जाधव - ’निवादक समीक्षा‘ (मराठी); श्री ब्रजनाथ रथ - ’सामान्य असामान्य‘ (ओडिया); श्री विजय दान देठा - ’बातन की फुलवारी - खंड 14‘ (राजस्थानी); श्री सोमई किस्कू - ’नमालिया‘ (संथाली); श्री एस रामकृश्णन - ’यमम‘ (तमिल) तथा श्री चंद्र भान ख्याल - ’सुबह-ए-मषरीक़ की अज़ान‘ (उर्दू)।

इस पुरस्कार समारोह में श्री नरेंद्र जाधव, सदस्य, योजना आयोग, भारत सरकार मुख्य अतिथि थे। श्री जाधव षिक्षाविद, अर्थषास्त्री, समाज विज्ञानी और लेखक हैं और 11 से ज्यादा पुस्तकें तथा 100 से अधिक षोध पत्र लिख चुके हैं।

जाने-माने लेखक और साहित्य अकादमी पुरस्कार विजेता श्री विष्वास पाटिल, कलेक्टर, मुंबई उपनगर इस समारोह में विषिश्ट अतिथि के रूप में उपस्थित थे। इस आयोजन में भाग लेने वाले अन्य गण्मान्य जनों में सियो-हैंग ली, कंसल जनरल, कन्सलैट जनरल - कोरिया गणराज्य (मुंबई); श्री ए मूर्ति, सचिव - साहित्य अकादमी और श्री जुंग सू षिन, अध्यक्ष तथा मुख्य कार्यकारी अधिकारी, सैमसंग दक्षिण पष्चिम एषिया मुख्यालय भी उपस्थित थे।

इस मौके पर श्री जे एस षिन ने कहा, ’’मूर्धन्य साहित्यकार श्री रबिंद्रनाथ टैगोर को भारत की तरह कोरिया में भी इतनी ही प्रतिश्ठा प्राप्त है और टैगोर साहित्य पुरस्कार विभिन्न धर्मों, क्षेत्रों और संस्कृतियों के बीच का सेतु है। इन पुरस्कारों से भारतीय साहित्य की श्रेश्ठता को बढ़ावा दिया जाता है और इस तरह भारतीय साहित्य को समृद्ध बनाने मंे इनका योगदान है। आज जब हम भारत में टैगोर साहित्य पुरस्कारों का समारोह मना रहे हैं तो अगले महीने कोरिया के सोल षहर में गुरुदेव की प्रतिमा स्थापित कर इस महान साहित्यकार को सम्मानित किया जाएगा।‘‘

इस मौके पर श्री अग्रहारा कृश्ण मूर्ति, सचिव, साहित्य अकादमी ने कहा, ’’कोरियाई सरकार तथा कोरियाई दूतावास द्वारा पिछले साल स्थापित टैगोर साहित्य पुरस्कारों को देषभर में साहित्य बिरादरी ने काफी सराहा है। द्वितीय टैगोर साहित्य पुरस्कारों के अंतर्गत आठ साहित्यिक हस्तियों को सम्मानित किया जाएगा। टैगोर साहित्य पुरस्कार भारतीय साहित्य को बढ़ावा देने के साथ-साथ भारत और कोरिया के बीच साहित्यिक तथा सांस्कृति संबंधों को और मजबूत बनाएंगे।‘‘

टैगोर साहित्य पुरस्कार वितरण समारोह के दौरान गुरुदेव की रचनाओं का पाठ किया गया और उनके संगीत को भी प्रस्तुत किया गया। इस अवसर पर कला और साहित्य जगत की जानी-मानी प्रतिभाओं के अलावा कई विख्यात अभिनेता/अभिनेत्रियां तथा रंगमंच की हस्तियां भी उपस्थित थीं। फारुख षेख ने गुरुदेव की रचनाओं का पाठ किया। नोबेल पुरस्कार विजेता अमत्र्य सेन की पुत्री और फिल्म एवं रंगमंच कलाकार नंदना सेन ने टैगोर साहित्य पुरस्कार 2010 समारोह का संचालन किया। इस भव्य समारोह की गरिमा के अनुकूल रबिंद्र संगीत संग्रह भी प्रस्तुत किया गया और जाने-माने संगीतकार राहुल षर्मा ने संतूर पर उनकी संगीतमय रचनाओं की प्रस्तुति दी।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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पार्टी ने ’विजय वाहिनी’ के गठन का फैसला किया

Posted on 05 May 2011 by admin

भारतीय जनता पार्टी ने केन्द्र व राज्य सरकार के भ्रष्टाचार के विरूद्ध चलाए जा रहे अभियान और आम जनता की समस्याओं के लिए सड़क पर संघर्ष करने के साथ-साथ विधान सभा चुनावों के मद्देनजर अपने कार्यकर्ताओें को भी प्रशिक्षित करने की योजना बनाई है। प्रदेश प्रवक्ता विजय बहादुर पाठक ने कहा कि भाजपा ने जनसमस्याओं को लेकर संघर्ष व आंदोलनों के साथ-साथ अपना चुनावी प्रबंधन ठीक करने के लिए योजना तैयार की है। इसके लिए पार्टी ने ’विजय वाहिनी’ के गठन का फैसला किया है। बूथ स्तर पर गठित होने वाली ’विजय वाहिनी’ में एक संयोजक तथा 15 सदस्य होंगे।

श्री पाठक ने बताया कि आगामी माह में राज्य के सभी मतदान केन्द्रों पर अभियान चलाकर ’विजय वाहिनी’ का गठन किया जाएगा। जून माह के अन्त में ’विजय वाहिनी’ के संयोजकों का जिलास्तर पर प्रशिक्षित भी किया जाएगा। जुलाई माह में पार्टी सभी 403 विधानसभा क्षेत्रों में ’विजय संकल्प सम्मेलन’ का आयोजन करेगी। राष्ट्रीय व प्रान्तीय नेताओं के उपस्थिति में होने वाले इन विजय सकल्प सम्मेलनों में विजय वाहिनी के संयोजक, सदस्यगण भाग लेंगे।

उन्होंने कहा कि चुनाव के समय पार्टी उम्मीदवारों को अपने चुनाव संचालन में किसी तरह की कोई परेशानी न हो इसके लिए संगठनात्मक स्तर पर बेहत्तर चुनाव प्रबंघन की योजना बनाई गई है। पूरे प्रदेश में ’सुशासन और सुराज’ के नारे के साथ ’विजय ब्रती’ कार्यकर्ताओं को तैयार किया जाएगा। चुनाव अभियान में लगने वाली ’विजय वाहिनी’ चुनाव संचालन में तो मद्द करेंगी साथ ही मतदान वाले दिन मतदान केन्द्रों व बूथ स्तर पर होने वाले सभी प्रबन्धों में वाहिनी की महत्वपूर्ण भागीदारी होगी।

प्रदेश प्रवक्ता विजय बहादुर पाठक ने बताया कि पार्टी ने सभी विधानसभा क्षेत्रों में संयोजक बनाने का फैसला किया है। इन संयोजकों की आवश्यक बैठक 16 मई को पार्टी के प्रदेश मुख्यालय पर प्रदेश अध्यक्ष सूर्य प्रताप शाही की अध्यक्षता में होगी। चुनाव अभियान समिति के अध्यक्ष कलराज मिश्र, प्रदेश प्रभारी व राष्ट्रीय महामंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर आदि वरिष्ठ नेताओं की उपस्थितित में होने वाली इस बैठक में सभी प्रदेश पदाधिकारी, जिलाध्यक्ष, जिला प्रभारी व विधानसभा संयोजक, क्षेत्र समिति के लोग हिस्सा लेंगे।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
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एलईडी लाइटिंग टेक्नोलाॅजी में एक नई खोज बीपीएल चिराग

Posted on 05 May 2011 by admin

dsc_0061भारत की अग्रणी रीचार्जबल (रिचार्ज करने योग्य) लाइटिंग सिस्टम्स कंपनी बीपीएल टेक्नोविजन प्राइवेट लिमिटेड (बीटीबीएल) ने भारतीय बाजार के लिए रीचार्ज योग्य एलईडी लाइटिंग टेक्नोलाॅजी में एक नई खोज बीपीएल चिराग, 4 घंटे की चार्जिग 5 घंटे की रोशनी, पेश करने की घोषणा की है। हाल में विकसित, किफायती बीपीएल चिराग रेंज में क्रांतिकारी क्यू टेक टेक्नालाॅजी का उपयोग किया गया है। बीपीएल क्यू टेक टेक्नालाॅजी के कारण बीपीएल चिराग को सिर्फ 4 घंटे चार्ज करने की आवश्यकता होती है और इससे यह 5 घंटे रोशनी देता है जबकि इस श्रेणी की अन्य लाईट को 6-12 घंटे चार्ज करने की आवश्यकता होती है। अनूठी क्यू टेक टेक्नालाॅजी से वोल्टेज के उतार-चढ़ाव के दौरान भी चार्जिंग संभव होता है और एसी मेन्स से इसकी चार्जिंग रेंज 90 वोल्ट से 260 वोल्ट तक है।

बीपीएल समूह के सीएमडी अजीत नांबियार ने कहा यह एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है और न सिर्फ बीपीएल के लिए है बल्कि भारत के लिए भी है क्योंकि इस नई खोज से भारत को देश में विकसित तेजी से चार्ज होने वाली पहली रीचार्जेबल लाइट मिली है जो उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, बिहार और उड़ीसा को सोलर एलईडी रीचार्जेबल क्रांति में एक कदम आगे ले जाएगी। नया बीपीएल चिराग लाखों घरों को मिट्टी तेल जैसे रोशनी के अपरिष्कृत विकल्पों से छुटकारा मिलेगा और वे सुखद व स्वास्थ्यकर जीवन गुजार सकेंगे। बीपीएल चिराग का विकास बीटीबीएल आरएंडी सेंटर बंगलूर में किया गया है और इसे डिजाइन करने में भारत के साथ-साथ अन्य विकासशील देशों में उन लाखों लोगों की समस्याओं का ख्याल रखा गया है जो बिजली की कमी के कारण होती है और जीवन को बाधित करती है। बिजली की कमी 57 प्रतिशत भारतीय के निवास वाले ग्रामीण भारत के विकास के मार्ग की मुख्य बाधाओं में एक है। लंबे समय तक बिजली न रहना वास्तविकता है और यह महत्वपूर्ण है कि व्यवहार्य विकल्प उपलब्ध कराए जाते है वे मौजूदा समस्याओं को दूर करें। ज्यादातर रीचार्जेबल लाइट ग्रामीण क्षेत्रों में नाकाम रहती है क्योंकि उन्हंे 8 से 12 घंटे तक एक निश्चित करंट पर चार्ज किए जाने की आवश्यकता होती है।

बीपीएल टेक्नो विजन लिमिटेड के चीफ आॅपरेटिंग आॅफिसर के विजय कुमार ने कहा मेरा मानना है कि बीपीएल चिराग वास्तविक भारत में लोगों के जीवन को रौशन करेगा। अपनी तरह के इस उत्पाद का विकास करने के लिए मैने देश भर में गांवों का दौरा किया और ग्रामीणों के साथ रहा। मैने देखा है कि अभिभावक अपने बच्चों के भविष्य को लेकर चिन्तित रहते है क्योंकि बिजली की अनियमित आपूर्ति के कारण वे पढ़ाई पर ध्यान नही दे पाते है। उम्मीद की जाती है कि बीपीएल चिराग इस स्थिति को बदलेगा।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
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लखनऊ से डा. पी.सी. लोहानी ने जीती मारूति स्विफ्ट डिज़ायर वीएक्सआई

Posted on 05 May 2011 by admin

dsc_0009यह आधिकारिक है!! कि गीतांजली ग्रुप का ग्रेट इंडियन वेडिंग काॅर्निवाल 2011 भारत में जबरदस्त रूप से सफल रहा है!! कार्निवाल को ग्राहकों से कम समय में भारी प्रतिक्रीया प्राप्त हुई है। यह विवाह और आभूषणों का प्रदर्षन सभी के पूरी तरह से यादगार अनुभव प्रदान करता है।

महीने लंबे इस कार्निवाल ने लखनऊ के डाॅक्टर पी.सी. लोहानी को मारूति स्विफ्ट डिज़ायर वीएक्सआई का विजेता घोषित किया है और जीतने के लिए अभी और कई गिफ्ट षेष हैं। दो और मारूति डिज़ायर को षादी के एक प्रायोजन, नक्षत्र डाॅयमंड स्टड ईयररिंग, घड़ीयां, गोवा के ताज में एक विषेष हनीमून पैकेज के साथ जीता जा सकता है और घडियों के अंतराष्ट्रीय बं्राड पर डिस्काउंट वाउचर प्राप्त किए जा सकते हैं।

ग्रेट इंडियन वेडिंग कार्निवाल और भी कई बेहतरीन डील प्रदान कर रहा है - 5000 रूपए या उससे ज्यादा की डाॅयमण्ड ज्वैलरी की खरीद पर 30ः तक की खरीद के आभूषण / घडियों का निष्चित उपहार प्राप्त करें। सोना खरीदने पर बाजार षुल्क में से 25ः तक की छूट प्राप्त करे, या 5ः की सीधी छूट प्राप्त करें और षानदार साॅलिटेयर को प्राप्त करने का गौरव पायें जो होने वाली दुल्हन के लिए एक प्यारा उपहार है।

गीतांजली अक्षय तृतिया के षुभ अवसर पर आभूषणों और सिक्कों पर षानदार डील प्रदान कर रहा है। यह खास आॅफर निम्नलिखित ब्रांडों पर उपलब्ध है

नक्षत्र के हाथ से बनाए गए रचनात्मक आभूषणों के साथ अक्षय तृतिया के षुभ अवसर पर सौभाग्य और अर्षीवाद प्राप्त करें। एक खास नए हीरे के ईयररिंग पैक से अपने जीवन की विषेष महिला को इस षुभ अवसर पर दिव्य भाग्य के साथ आषीर्वाद दे।

4, 5 और 6 मई तक खरीदारों को गिली से 5000 रूपए से ज्यादा के आभूषण खरीदने पर 5 ग्राम के चांदी के सिक्के मुफ्त दिए जाएंगें।

स्वर्ण मुद्रिकाः गीतांजली के सोने के सिक्के का यह खास बं्राड प्रमाण व षुद्धता के साथ आता है। सिक्कों को बीआईएस हाॅलमार्क 999 षुद्धता के साथ बनाया गया है और यह 1 ग्राम, 2 ग्राम, 5 ग्राम, 8 ग्राम, 20 ग्राम, व 50 ग्राम के वर्ग में उपलबध है। उपहार व निवेष के लिए आदर्ष यह इस अक्षय तिृतिया पर सबसे आदर्ष खरीद है।

गीतांजली ज्वैल्सः सोने के सिक्कों व सोने के आभूषणों पर 50ः सीधी छूट के अतिरिक्त गीताजंली ज्वैल्स सोने के सिक्के अलग अलग आकारों 1,5,10,15,25 ग्राम आदि में उपलब्ध कराते हैं।
इसलिए अक्षय तृतीया पर एक छोटी खरीद से षुरूआत करे और धन की देवी के आषीर्वाद को प्राप्त करने का मार्ग प्रष्स्त करें।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
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माननीया मुख्यमंत्री जी ने महर्षि परशुराम जयन्ती पर प्रदेशवासियों को बधाई दी

Posted on 05 May 2011 by admin

उत्तर प्रदेश की माननीया मुख्यमंत्री सुश्री मायावती जी ने महर्षि परशुराम जयन्ती पर प्रदेशवासियों को बधाई दी है।

एक बधाई संदेश में सुश्री मायावती जी ने कहा है कि अन्याय एवं अत्याचार का प्रतिकार करते हुए महर्षि परशुराम हमेशा मानव कल्याण के लिए प्रयत्नशील रहे। उन्होंने कहा कि आज भी महर्षि परशुराम के आदर्श लोगों को सन्मार्ग पर चलने की प्रेरणा देते हैं।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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