इस मौके पर सैमसंग इंडिया तथा साहित्य अकादमी ने आज यहां आयोजित समारोह में दूसरे टैगोर साहित्य पुरस्कारों के अंतर्गत आठ भारतीय भाशाओं के लेखकों को उनके सर्वश्रेश्ठ साहित्यिक योगदान के लिए सम्मानित किया। मूर्धन्य कवि श्री रविंद्रनाथ टैगोर की स्मृति में स्थापित ’टैगोर साहित्य पुरस्कार‘ की स्थापना 2009 में सैमसंग इंडिया तथा साहित्य अकादमी ने की थी और हर वर्श आठ भाशाओं के लेखकों को उनके योगदान के लिए सम्मानित किया जाता है। इस तरह, तीन वर्श के अंत तक 24 भारतीय भाशाओं के लेखकों को सम्मानित किया जाएगा। यह टैगोर साहित्य पुरस्कारों का दूसरा संस्करण है।
मुंबई के रबिंद्र नाट्य मंदिर में आयोजित भव्य साहित्य पुरस्कार वितरण समारेाह में इन आठ भारतीय भाशाओं की साहित्यिक कृतियांे को पुरस्कृत किया गया: इस वर्श असमिया, डोगरी, मराठी, उड़िया, राजस्थानी, संथाली, तमिल तथा उर्दू। दूसरे टैगोर साहित्य पुरस्कारों के विजेताओं के चयन के लिए उनके द्वारा लिखित निबंधों, कविताओं, जीवनचरित्रों/आत्मकथात्मक वृत्तांतों को आधार बनागया गया जो इन आठ भारतीय भाशाओं में वर्श 2006-08 के दौरान लिखी गई थीं। टैगोर साहित्य पुरस्कार 2010 के विजेता हैं - श्री देबब्रत दास - ’निरबाचिा गल्प‘ (असमिया); श्री संतोश खजूरिया - ’बाडलोंडियन भरण‘ (डोगरी); प्रोफे. आर जी जाधव - ’निवादक समीक्षा‘ (मराठी); श्री ब्रजनाथ रथ - ’सामान्य असामान्य‘ (ओडिया); श्री विजय दान देठा - ’बातन की फुलवारी - खंड 14‘ (राजस्थानी); श्री सोमई किस्कू - ’नमालिया‘ (संथाली); श्री एस रामकृश्णन - ’यमम‘ (तमिल) तथा श्री चंद्र भान ख्याल - ’सुबह-ए-मषरीक़ की अज़ान‘ (उर्दू)।
इस पुरस्कार समारोह में श्री नरेंद्र जाधव, सदस्य, योजना आयोग, भारत सरकार मुख्य अतिथि थे। श्री जाधव षिक्षाविद, अर्थषास्त्री, समाज विज्ञानी और लेखक हैं और 11 से ज्यादा पुस्तकें तथा 100 से अधिक षोध पत्र लिख चुके हैं।
जाने-माने लेखक और साहित्य अकादमी पुरस्कार विजेता श्री विष्वास पाटिल, कलेक्टर, मुंबई उपनगर इस समारोह में विषिश्ट अतिथि के रूप में उपस्थित थे। इस आयोजन में भाग लेने वाले अन्य गण्मान्य जनों में सियो-हैंग ली, कंसल जनरल, कन्सलैट जनरल - कोरिया गणराज्य (मुंबई); श्री ए मूर्ति, सचिव - साहित्य अकादमी और श्री जुंग सू षिन, अध्यक्ष तथा मुख्य कार्यकारी अधिकारी, सैमसंग दक्षिण पष्चिम एषिया मुख्यालय भी उपस्थित थे।
इस मौके पर श्री जे एस षिन ने कहा, ’’मूर्धन्य साहित्यकार श्री रबिंद्रनाथ टैगोर को भारत की तरह कोरिया में भी इतनी ही प्रतिश्ठा प्राप्त है और टैगोर साहित्य पुरस्कार विभिन्न धर्मों, क्षेत्रों और संस्कृतियों के बीच का सेतु है। इन पुरस्कारों से भारतीय साहित्य की श्रेश्ठता को बढ़ावा दिया जाता है और इस तरह भारतीय साहित्य को समृद्ध बनाने मंे इनका योगदान है। आज जब हम भारत में टैगोर साहित्य पुरस्कारों का समारोह मना रहे हैं तो अगले महीने कोरिया के सोल षहर में गुरुदेव की प्रतिमा स्थापित कर इस महान साहित्यकार को सम्मानित किया जाएगा।‘‘
इस मौके पर श्री अग्रहारा कृश्ण मूर्ति, सचिव, साहित्य अकादमी ने कहा, ’’कोरियाई सरकार तथा कोरियाई दूतावास द्वारा पिछले साल स्थापित टैगोर साहित्य पुरस्कारों को देषभर में साहित्य बिरादरी ने काफी सराहा है। द्वितीय टैगोर साहित्य पुरस्कारों के अंतर्गत आठ साहित्यिक हस्तियों को सम्मानित किया जाएगा। टैगोर साहित्य पुरस्कार भारतीय साहित्य को बढ़ावा देने के साथ-साथ भारत और कोरिया के बीच साहित्यिक तथा सांस्कृति संबंधों को और मजबूत बनाएंगे।‘‘
टैगोर साहित्य पुरस्कार वितरण समारोह के दौरान गुरुदेव की रचनाओं का पाठ किया गया और उनके संगीत को भी प्रस्तुत किया गया। इस अवसर पर कला और साहित्य जगत की जानी-मानी प्रतिभाओं के अलावा कई विख्यात अभिनेता/अभिनेत्रियां तथा रंगमंच की हस्तियां भी उपस्थित थीं। फारुख षेख ने गुरुदेव की रचनाओं का पाठ किया। नोबेल पुरस्कार विजेता अमत्र्य सेन की पुत्री और फिल्म एवं रंगमंच कलाकार नंदना सेन ने टैगोर साहित्य पुरस्कार 2010 समारोह का संचालन किया। इस भव्य समारोह की गरिमा के अनुकूल रबिंद्र संगीत संग्रह भी प्रस्तुत किया गया और जाने-माने संगीतकार राहुल षर्मा ने संतूर पर उनकी संगीतमय रचनाओं की प्रस्तुति दी।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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