समाजवादी पार्टी के गोरखपुर में हुए राज्य सम्मेलन के फैसले के अनुसार 7, 8 और 9 मार्च,2011 को “प्रदेश बचाओ, बसपा हटाओ“ जनांदोलन पूरे प्रदेश में शानदार सफलता के साथ हुआ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री मुलायम सिंह यादव के आव्हान पर राजधानी सहित विभिन्न जनपदों में सरकारी दफ्तरों का कामकाज ठप्प कर अत्याचारी बलात्कारी, भ्रष्ट एवं किसान तथा जन विरोधी सरकार के खिलाफ हजारों कार्यकर्ता नेता सड़कों पर उतर आए। इसमें जनता के सभी वर्गो वकील, व्यापारी, छात्र नौजवान बुनकरो मुस्लिमों तथा किसानों ने भी पूरे उत्साह के साथ भाग लिया। इस आंदोलन में लगभग 10 लाख से ज्यादा कार्यकर्ताओं ने सक्रिय भागीदारी की।
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री मुलायम सिंह यादव ने स्वयं जनता और समाजवादी पार्टी कार्यकर्ताओं को उनके साहस एवं समाजवादी पार्टी के आंदोलन को सफल बनाने के लिए धन्यवाद दिया है। आंदोलन और विरोध प्रदर्शन करना जनतंत्र में विपक्ष का अधिकार है। लेकिन उत्तर प्रदेश की तानाशाह एवं बर्बर क्रूर मायावती सरकार ने बदले की भावना के साथ दमनचक्र चलाया। पूरे प्रदेश में आपातकाल जैसी हालत बनाई। नागरिक स्वतंत्रता को कुचलकर रख दिया। रास्ते चलते आम नागरिकों पर भी लाठियां बरसाई। मजदूरों, बरातियों तक को जेलों में ठूस दिया गया। पुलिस और प्रशासन का रवैया इस दौरान सबसे ज्यादा आक्रामक, दुर्भावनापूर्ण और बसपा के दलालों जेसा रहा। डी0जी0 स्पेशल बसपा प्रवक्ता की तरह बयानबाजी करके झूठ बोलते रहे। एडीजी, लखनऊ के डीआईजी, डीएम,एएसपी, वी0पी0 अशोक का आचरण सेवा नियमावली के प्रतिकूल और पूर्णतया अमानवीय रहा हैं इनके विरूद्ध समाजवादी पार्टी की सरकार बनने पर सख्त कार्यवाही की जाएगी। डीएम और डीआईजी एवं एलआईयू के अधिकारियों ने अमानवीयता के साथ बूटों से रौंदने के साथ सड़क पर बाल पकड़कर घसीटने का काम किया। महिलाओं से अभद्रता की गई। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री मुलायम सिंह यादव और प्रदेश अध्यक्ष श्री अखिलेश यादव, जो दोनों ही लोकसभा के सम्मानित, निर्वाचित सदस्य हैं, उन्हें संसद में 7 मार्च,2011 को जाने से रोकने की साजिश में उनके घर के सामने पुलिस छावनी बना दी गई और उन्हें घर में नजरबन्द कर दिया गया। जब लोकसभाध्यक्ष को विशेषाधिकार हनन की नोटिस भेजी गई तब जाकर उनको दिल्ली जाने दिया गया।
समाजवादी पार्टी कार्यालय यको 6 मार्च,2011 की षाम से ही घेरेबन्दी कर दी गई। हद तो यह है कि समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष तथा पूर्व मुख्यमंत्री
एवं केन्द्रीय रक्षामंत्री रहे श्री मुलायम सिंह यादव के फोन पर डीआईजी ने बात करने की भी शिष्टाचार नहीं दिखाई। इस डीआईजी ने 9 मार्च,2011 को हजरतगंज में लोहिया वाहिनी के प्रदेष अध्यक्ष श्री आनन्द भदौरिया छात्रसभा के प्रदेश अध्यक्ष और श्री सुनील यादव को स्वयं मारापीटा, बूटों तलें रौंदा, बाल पकड़कर घसीटा तथा गिरफ्तारी के बाद बस से उतारकर फिर पिटाई की। पुलिस लाइन के अन्दर कमरे में बन्द कर भी पिटाई की गई। उनके छाती और सिर पर डीआईजी द्वारा जूतों से हमले से उन्हें गम्भीर चोटे आई हैं।
नेता विरोधी दल श्री शिवपाल सिंह यादव के घर को भी पुलिस छावनी बना दिया गया।
उनके साथ 8 मार्च,2011 को डीआईजी ने अभद्रता की। उनका कुर्ता तक फाड़ दिया। उन पर लाठी से हमला किया गया। उनके साथ धरना प्रदर्शन कर रहे पूर्वमंत्री श्री भगवती सिंह तथा साॅसद श्रीमती सुशीला सरोज को भी लाठियों का निशाना बनाया गया। उनके साथ भी अभद्रता की गई।
9 मार्च,2011 को प्रातः दिल्ली से लखनऊ आ रहे साॅसद एवं समाजवादी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष श्री अखिलेश यादव के साथ एएसपी पूर्वी श्री वी0पी0 अशोक, एडीएम तथा एसओ सरोजनीनगर ने धक्का-मुक्की की। उन्हें जन प्रतिनिधि के साथ सामान्य शिष्टाचार बरतने की भी तमीज नहीं रही।
तीन दिवसीय आंदोलन के दौरान लगभग सभी जनपदों में आंदोलन कर रहे समाजवादी पार्टी कार्यकर्ताओं पर लाठियां बरसाई गई। पुलिस अधिकारियों ने अमानवीयता का प्रदर्शन किया, महिलाओं को भी घसीटा तथा लाठियां मारीं। आंदोलन में समाजवादी पार्टी के वयोबृद्व वरिष्ठ नेता 92 वर्ष के चैधरी हरमोहन सिंह के साथ कानपुर में गिरफ्तारी के समय पुलिस ने दुव्र्यवहार किया। वकीलों एवं व्यापारियों ने भी इस बसपा सरकार के सारे प्रतिबंधो को तोड़कर आंदोलन में भागीदारी की। मुख्यमंत्री के पुतले फूंके गए।
उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री इस आंदोलन से इतना घबराई थी कि उन्होने 5 मार्च से ही समाजवादी पार्टी नेताओं कार्यकर्ताओं को गिरफ्तारियां शुरू कर दी थी। उनके परिवारीजनो से भी अभद्रता की गई। 8मार्च,2011 की रात्रि में लोहिया वाहिनी अध्यक्ष श्री आनन्द भदौरिया के पैतृक गांव पताबोझ थाना महोली जनपद सीतापुर में पुलिस रात में जाकर सीढ़ी लगाकर घर में घुसी और उनके माता-पिता तथा परिवारीजनों को गालियां देते हुये घसीटा महिलाओं को भी पीटा और पुलिस ने इस बार लाठी डंडो के अलावा लोहे की छड़ो से भी हमला बोला। जनता के आक्रोश का सामना कर पाने में विफल मुख्यमंत्री ने जिस तरह सत्ता का दमन चक्र चलाया है, उसके परिणाम निश्चय ही बहुत गम्भीर होगें। समाजवादी पार्टी इससे न डरनेवाली हैं, न झुकने वाली । डा0 लोहिया ने “मारेगें नहीं, पर मानेगें भी नहीं“ का जो मंत्र दिया था समाजवादी पार्टी उसको अपनाते हुए इस सरकार को अब और बर्दाश्त नहीं करेगी।
मायावती सरकार ने लोकतंत्र की निर्मम हत्या की है। उसका संविधान के अनुकूल आचरण नहीं रह गया है। वह पूर्णयता निरंकुश, जन विरोधी आचरण कर रही है। उसने बदले की भावना से समाजवादी पार्टी के प्रति दुर्भावनापूर्ण कदम उठाए हैं। फर्जी मुकदमें लगाकर जेल में यातनाएं देकर वह अपनी ही अंतकथा लिख रही है। न्यायपालिका का भी सम्मान नहीं करती है। प्रदेश के महामहिम राज्यपाल ऐसी भ्रष्ट व अत्याचारी सरकार के कारनामों का संज्ञान लेने में अब और देर नहीं करनी चाहिए।
समाजवादी पार्टी के अंिहंसक आन्दोलन के तहत जेलों में भ्ेाजे गये दर्जनों कार्यकर्ताओं को संगीन धाराओं में फंसा दिया गया जिससे उनकी अभी रिहाई नहीं हुई है। आन्दोलन में बड़ी संख्या में कार्यकर्ता घायल हुये। अम्बेडकरनगर में एक कार्यकर्ता श्री ब्रह्मदेव यादव को ट्रामा सेन्टर, लखनऊ में भर्ती कराना पड़ा है। आजमगढ़ में श्री श्याम बहादुर यादव को बेहोशी की हालत में अस्पताल में भर्ती कराया गया। वह अभी भी अस्पताल में हैं।
निम्नलिखित जनपदों में पुलिस ने अत्यन्त बर्बरतापूर्ण एवं बेरहमी से कार्यकर्ताओं पर लाठी चार्ज किया। लखनऊ, अम्बेडकरनगर, आजमगढ़, फैजाबाद, एटा, वाराणसी, जौनपुर, देवरिया, इलाहाबाद, कुशीनगर, बहराइच, बिजनौर, भदोही, चन्दौली में भयंकर लाठी चार्ज किया गया है। जहाॅ सैकड़ों लोग घायल हुये।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
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