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मेयर तथा नगर पालिका/नगर पंचायतों के अध्यक्षों की निर्वाचन प्रक्रिया में संशोधन अध्यक्षों एवं सभासदों के बीच बेहतर तालमेल के लिए - माननीया मुख्यमन्त्री जी

Posted on 10 March 2011 by admin

  • बेहतर समन्वय के अभाव में जन कल्याणकारी योजनाओं का सही ढंग से क्रियान्वयन नहीं हो पा रहा है
  • ग्रामीण इलाकों में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव व्यवस्था के तहत जिला पंचायत तथा क्षेत्र पंचायत के अध्यक्ष पद हेतु अप्रत्यक्ष निर्वाचन की प्रक्रिया पहले से ही लागू
  • अप्रत्यक्ष निर्वाचन व्यवस्था के सम्बन्ध में विरोधी पार्टियों का दोहरा चरित्र दलित विरोधी मानसिकता का प्रतीक
  • कांग्रेस व भाजपा बतायें कि इनके द्वारा शासित प्रदेशों में अप्रत्यक्ष चुनाव की व्यवस्था के बावजूद उत्तर प्रदेश में अप्रत्यक्ष चुनाव व्यवस्था का विरोध क्यों
  • वर्तमान व्यवस्था के तहत चुनाव होने पर भी मेरी पार्टी पूरी तैयारी के साथ चुनाव लड़ेगी - माननीया मुख्यमन्त्री जी
  • वर्तमान व्यवस्था के तहत चुनाव होने पर शहरी जनता विरोधी पार्टियों को कतई माफ नहीं करेगी, जिसका सीधा लाभ बी0एस0पी0 को मिलेगा

उत्तर प्रदेश की माननीया मुख्यमन्त्री सुश्री मायावती जी ने कहा है कि मेयर तथा नगर पालिका परिषदों एवं नगर पंचायतों के अध्यक्षों की निर्वाचन प्रक्रिया में संशोधन का मुख्य उद्देश्य अध्यक्षों एवं सभासदों के बीच बेहतर तालमेल बनाना तथा पूरी पारदर्शिता बरतते हुए विभिन्न जन कल्याणकारी योजनाओं को और बेहतर ढंग से लागू करना है। उन्होंने कहा कि मेयर व नगर पालिका परिषद एवं नगर पंचायतों के अध्यक्ष पद के लिए अप्रत्यक्ष निर्वाचन की व्यवस्था कांग्रेस और उनके सहयोगी शासित महाराष्ट्र, दिल्ली, हरियाणा, तमिलनाडु, आन्ध्र प्रदेश, जम्मू-कश्मीर तथा भारतीय जनता पार्टी एवं उनके सहयोगी शासित गुजरात, कर्नाटक तथा बिहार एवं अन्य पार्टियों की सरकारों द्वारा शासित पश्चिम बंगाल, केरल तथा उड़ीसा में आज भी लागू है।
माननीया मुख्यमन्त्री जी आज यहां अपने सरकारी आवास पर मेयर, नगर पालिका परिषद/नगर पंचायत अध्यक्ष के निर्वाचन के सम्बन्ध में पारित विधेयक के बारे में विरोधी पार्टियों के रवैये को लेकर मीडिया प्रतिनिधियों से बात-चीत कर रहीं थीं।

माननीया मुख्यमन्त्री जी ने कहा कि मेयर तथा नगर पालिका परिषद/ नगर पंचायत के अध्यक्ष पद हेतु निर्वाचन की वर्तमान व्यवस्था लगभग 16 वषोZं तक प्रयोग में लाने के बाद, यह अनुभव किया गया कि अध्यक्षों एवं सभासदों के मध्य तालमेल का पूरा अभाव है तथा सभासदों द्वारा उठायी गई समस्याओं की सुनवाई नहीं हो पा रही है। इसके अलावा बेहतर समन्वय के अभाव में राज्य सरकार द्वारा संचालित विभिन्न जन-कल्याणकारी योजनाओं का सही ढंग से क्रियान्वयन भी सुनिश्चित नहीं हो पा रहा है, जिसके चलते नगर निकायों के कार्य प्रभावित हो रहे थे। साथ ही शासन के दिशा-निर्देशों का अनुपालन भी पूरी तरह नहीं हो पा रहा था, जिसके कारण विभिन्न विकास कार्यों में एक प्रकार का ठहराव आ गया था। उन्होंने कहा कि इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए ही उनकी सरकार ने मेयर तथा नगर पालिका परिषद/ नगर पंचायत के अध्यक्ष पद हेतु चुनाव प्रक्रिया में संशोधन किया तो विरोधी पार्टियों ने इसका स्वागत करने के बजाय घिनौनी राजनीति करना शुरू कर दिया।

माननीया मुख्यमन्त्री जी ने कहा कि इस प्रकरण में कांग्रेस एवं भाजपा को जवाब देना चाहिए कि उनके द्वारा शासित प्रदेशों में जब अप्रत्यक्ष रूप से मेयर, नगर पालिका अध्यक्ष को सभासद द्वारा चुने जाने की व्यवस्था आज भी चल रही है, तब यह पार्टियां उन राज्यों में जाकर मेयर आदि के अप्रत्यक्ष चुनाव की व्यवस्था का विरोध क्यों नहीं कर रहीं हैं। उन्होंने कहा कि जब प्रदेश की बसपा सरकार ने जन कल्याणकारी योजनाओं को और बेहतर ढंग से लागू करने के उद्देश्य से, राज्य में वर्ष 1994 तक लागू व्यवस्था को फिर से प्रभावी बनाये जाने के लिये निर्वाचन प्रकिया में संशोधन के लिये विधेयक पास कराया, तब यही विरोधी पार्टियां महामहिम श्री राज्यपाल पर अनुचित दबाव डाल रही हैं। उन्होंने कहा कि यदि विपक्षी पार्टियों के दोहरे मापदण्ड के कारण नगर निकायों के चुनाव के लिए सरकार द्वारा संशोधित प्रस्ताव क्लीयर नहीं होता है तो, वर्तमान समय में लागू प्रक्रिया के अन्तर्गत ही चुनाव कराये जायेंगे। और यदि ऐसा होता है तो शहरी जनता जो विकास में विश्वास रखती है, इन विरोधी पार्टियों को कतई माफ नहीं करेगी और इसका सीधा लाभ इन चुनावों में उनकी पार्टी (बी0एस0पी0) को मिलेगा।

माननीया मुख्यमन्त्री जी ने कहा कि प्रदेश के ग्रामीण इलाकों में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव व्यवस्था के तहत जिला पंचायत तथा क्षेत्र पंचायत के अध्यक्ष पद हेतु अप्रत्यक्ष निर्वाचन की प्रक्रिया पहले से ही लागू है। उन्होंने कहा कि लम्बे समय से लागू यह प्रक्रिया सभी कसौटियों पर खरी उतरी है, लिहाजा अप्रत्यक्ष निर्वाचन की इसी प्रक्रिया को स्थानीय नगर निकायों के चुनावों में भी क्रियािन्वत किये जाने का फैसला लिया गया। उन्होंने कहा कि संिंवधान के अनुच्छेद 243यक(2) में दी गई व्यवस्था के अनुसार, स्थानीय नागर निकायों के निर्वाचन से सम्बन्धित सभी विषयों के लिए राज्य के विधान मण्डल को कानून बनाने का पूरा अधिकार प्राप्त है।

माननीया मुख्यमन्त्री जी ने साफ तौर पर कहा कि मेयर तथा नगर पालिका परिषदों/नगर पंचायतों के अध्यक्षों की निर्वाचन प्रक्रिया में संशोधन का विरोध करने से पहले विरोधी पार्टियों को अपने गिरेबान में झांककर देखना चाहिए था। उन्होंने कहा कि इस मामले में विरोधी पार्टियों का यह दोहरा चरित्र उनकी दलित विरोधी मानसिकता को साफ तौर पर उजागर करता है।

इस अवसर पर एक प्रश्न का जवाब देते हुए माननीया मुख्यमन्त्री जी ने कहा कि यदि वर्तमान व्यवस्था के तहत ही चुनाव हुए तो उनकी पार्टी पूरी तैयारी के साथ चुनाव लड़ेगी। उन्होंने यह भी कहा कि राज्य विधान मण्डल द्वारा बजट पारित किये जाने के बाद सत्र समाप्त होने पर महामहिम राज्यपाल से मुख्यमन्त्री के मिलने की परम्परा रही है। उन्होंने कहा कि हाल ही में उन्होंने इसी परम्परा के निर्वहन के लिए महामहिम राज्यपाल से शिष्टाचार भेण्ट की थी। इस दौरान नगर निकायों के चुनाव के लिए प्रस्तावित व्यवस्था पर उनकी महामहिम से कोई वार्ता नहीं हुई।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
upnewslive.com

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