लखनऊ विश्वविद्यालय की आचार्या डॉ0 मधुरिमा लाल ने यूनिवर्सिटी ग्रन्ट्स कमीशन, दिल्ली द्वारा मेजर रिसर्च प्रोजेक्ट हेतु अनुदान प्राप्त कर विश्वविद्यालय को गौरवािन्वत किया है। यह पहली बार है जब किसी व्यक्ति के प्रत्येक प्रस्ताव को यूजीसी द्वारा अनुदानित किया गया।
डॉ0 लाल को यह अनुदान “Antecedents of job satisfaction in organizational citizenship behavior - A case study of the Public sector and Private sector Banks” के शोध कार्य के लिए दिया गया है। इसके पूर्व आप सन् 2000 एवं 2006 में भी यूजीसी के अनुदान प्राप्त कर उसकी रिपोर्ट समयानुसार जमा कर चुकी हैं।
डॉ0 लाल का मानना है कि भारतीय कारपोरेट सेक्टर में आयी तेजी के कारण युवा वर्ग तेजी से जॉब चेंज कर रहा है। सबसे ज्यादा लोग बेहतर बॉस, जॉब की सन्तुष्टि, वर्क लाईफ बैलेंस और अपने जुनून को पूरा करने की चाहत में जॉब स्विच करते हैं, परन्तु थोड़े दिन बाद ही उन्हें लगने लगता है कि वे गलत जॉब में आ गये हैं। इस अत्यधिक प्रतियोगी दुनिया हैं बैकिंग या अन्य किसी भी संगठन की सफलता बेहतर मानव संसाधन पर ही निर्भर है। एक सन्तुष्ट, खुश और मेहनती कर्मचारी ही बैंक या किसी भी संगठन की बड़ी सम्पित्त होता है। बैंक कर्मचारियों की जॉब सन्तुष्टी केवल बैंक ही नहीं पूरी अर्थव्यवस्था की वृद्धि को प्रभावित करती है। इस शोध द्वारा निजी एवं सार्वजनिक बैकिंग संगठन कैसे अपने कर्मचारियों की जॉब सन्तुष्टि के साथ-साथ उनकी कार्यकुशलता में वृद्धि करें और बैंक कर्मचारियों के नौकरी सन्तुष्टी स्तर जानने का प्रयास किया जायेगा।
डॉ0 लाल कहती है कि किसी भी जॉब में तरक्की के लिए जॉब सन्तुष्टी होना बेहद जरूरी है, इसलिए जॉब स्विच करने से पहले यह भली-भान्ति सोंच लें कि नई जॉब से कितना सन्तुष्ट रह पायेंगे। जॉब चेंज करते समय दिल के साथ-साथ दिमाग से भी काम लेना बेहतर होता है।
डॉ0 लाल का नाम “लिम्का बुक ऑफ रिकार्ड्स“ 2008 में अनेकानेक खूबियों और सर्वाधिक डिलिट के लिए “देश की सर्वाधिक शिक्षित व्यक्ति“ के रूप में दर्ज है। आप के द्वारा प्रबन्धन पर दस पुस्तकें लिखी जा चुकी हैं जो देश के प्रबन्ध संसाधनों में पढ़ी जाती हैं। विभिन्न अन्तर्राष्ट्रीय एवं राष्ट्रीय स्तर के जर्नल में 135 शोध पत्र प्रकाशित एवं 53 सम्मेलनों में भाग लेकर विभिन्न अन्तर्राष्ट्रीय प्रबन्ध संस्थानों में अतिथि शिक्षक के रूप मेंं व्याख्यान दे चुकी हैं। अभी हाल ही में आपको विश्व अकादमिक भ्रमण के दौरान `एकेडमिक एक्सीलेन्स अवार्ड`, `बेस्ट पेपर प्रजेन्टेशन अवार्ड` एवं अपकी पुस्तकों को आईएसटीडी अवार्ड प्राप्त हुए हैं। आप श्रीमद् भगवत् गीता को अपना प्रिय ग्रन्थ मानती है जहां से कार्य करने की प्रेरणा मिलती है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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