समाजवादी पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता राजेन्द्र चौधरी वक्तव्य में कहा वित्तमन्त्री श्री प्रणव मुकर्जी ने संसद में पेश वशZ 2011-12 के बजट से करोड़ो देशवासियों को निराश किया है। उनसे एक साहसिक बजट की अपेक्षा थी जिससे मंहगाई, भ्रश्टाचार पर नियन्त्रण होता और आम आदमी को भी विकास का लाभ मिलता। किन्तु यह बजट देश के 25 प्रतिशत लोगों के लिए है जबकि 75 प्रतिशत लोग इसके लाभो से वंचित रहेगें। इस बजट से अमीर-गरीब का अन्तर और बढ़ेगा। आम आदमी की घर-गृहस्थी उनके बजट की मार से और ज्यादा टूट जाएगी। किसान ज्यादा कर्ज में डूबकर आत्महत्या को मजबूर होगा। यह किसान और गरीब विरोधी बजट है।
वित्तमन्त्री ने सन् 2012 तक मंहगाई रोकने की बात करके जता दिया है कि सालभर जमाखोरों को पूरी छूट रहेगी। अगले लोकसभा चुनाव सन् 2014-15 तक बजट घाटा पूरा करने की बात कर उन्होने वर्तमान लोकसभा तक अपनी सभी जिम्मेदारियों से हाथ धो लिया है। कांग्रेस का यह अर्थशास्त्र अजीब है कि उसके बजट प्रस्तावों से अमीर और गरीब दोनों की संख्या में इजाफा होता गया है। फिजूलखर्ची और विलासिता के खर्चो के चलते अमीरी-गरीबी का अतंर बढ़ता है क्योंकि सरकार आय और व्यय पर कोई सीमा नहीं बांधती है। सरकार ने आज तक गम्भीरता से मूल्यनीति भी नहीं बनाई है।
इस बजट में भ्रश्टाचार के खिलाफ लड़ने की न तो दृिश्ट है और नहीं कोई योजना। यह कहना नाकाफी है कि सब मिलकर लड़ेगें। जिनकी वजह से भ्रश्टाचार को खुली छूट मिली हुई है, उनपर लगाम कसने का कोई संकल्प वित्तमन्त्री के भाशण और इस यूपीए सरकार में नहीं दिखाई देता है। कालेधन पर नियन्त्रण के लिए उनकी कोई सुनििश्चत योजना सामने नहीं आई है।
वित्तमन्त्री का अच्छी फसल के लिए ईश्वर से कृपा की याचना करना यह जताता है कि खेती और किसान यूपीए सरकार की प्राथमिकता में नहीं, केवल मजबूरी में याद कर लिए जाते हैं। उन्होने मंहगाई का रोना-रोया किन्तु समाधान नहीं बताया। पूर्वी भारत के लिए वित्तमन्त्री ने इतना कम अनुदान रखा है कि उससे 05 राज्यों में कृशि क्रान्ति की बात सोचना मखौल होगा। किसानों को कर्ज की सुविधा भी ऊंट के मुह में जीरा है क्योंकि बैंको से ज्यादा उस पर साहूकारों का ब्याज चढ़ा रहता है। खाद पर सिब्सडी खत्म कर सरकार ने किसानों को और ज्यादा बदहाल करने का इरादा बना लिया है क्योंकि वर्तमान में तो लागत मूल्य भी उन्हें नहीं मिल पा रहा हैं। गेहूं, धान और गन्ना का समर्थन मूल्य नाकाफी रखा जाता है।
वित्तमन्त्री ने सबसे ज्यादा प्रहार निजी और मध्यम आय वर्ग के परिवारों पर किया है। किरोसिन और ईंधन गैस में सिब्सडी खत्म करने से घर का बजट बुरी तरह बिगड़ेगा। इसी तरह कम आय वर्ग के लोगोंं के लिए आवास भी एक दिवास्वप्न रहेगा। रेडीमेड कपड़ा मंहगा कर होली के त्यौहार पर लोगांेंं के साथ मजाक किया गया है। महिलाओं को टैक्स में कोई छूट नहीं दी गई है, उन्हें पुरूशो के बराबर टैक्स देना होगा। यह बजट महिला विरोधी भी है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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