Archive | August 16th, 2010

किसानों की जमीन को सस्ते दरों पर लेकर उद्योगपतियों द्वारा भारी मुनाफा कमाने की अनुमति कदापि नहीं - मुख्यमन्त्री

Posted on 16 August 2010 by admin

उत्तर प्रदेश की मुख्यमन्त्री सुश्री मायावती ने मथुरा एवं अलीगढ़ के किसानों द्वारा उनकी अधिग्रहण की गई जमीन के मुआवजे को लेकर किए जा रहे आन्दोलन के चलते हुई हिंसक घटनाओं पर दु:ख प्रकट करते हुए इस पूरी घटना की निन्दा की है। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार की यह सर्वोच्च प्राथमिकता रही है कि किसानों की जमीन को आपसी सहमति से करार नियमावली के तहत उचित मुआवजा देने के बाद ही लिया जाए। उन्होंने कहा कि किसानों की जमीन के मुआवजे के बारे में अधिकारियों को इस विशय की गम्भीरता में जाकर तथा सभी तथ्यों पर विचार करके किसानों के हित में ही निर्णय लेना चाहिए। क्योंकि हमारी सरकार यह कभी नहीं होने देगी कि किसानों की जमीन को सस्ती दरों पर लेकर कोई उद्योगपति या अन्य व्यक्ति उसका भारी मुनाफा कमा सके।
सुश्री मायावती ने किसानों की भूमि अधिग्रहण के मुआवजेे को लेकर विभिन्न विपक्षी दलों द्वारा की जा रही राजनीति को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा कि समाजवादी पार्टी को तो किसानों का हितैशी बनने से पहले दादरी में पावर प्लाण्ट के लिए पूर्ववर्ती सपा की सरकार द्वारा जबरन अधिग्रहीत की गई हजारों एकड़ भूमि के मामले को याद कर लेना चाहिए था, जहां कौड़ियों के दाम किसानों की जमीन लेकर समाजवादी पार्टी के मुखिया ने अपने एक चहेते औद्योगिक घराने को दे दी थी, जिसके चलते किसानों को लम्बे समय तक उग्र आन्दोलन करना पड़ा और अन्तत: न्यायालय की शरण लेने पर ही किसानों को कुछ राहत मिल पायी। उन्होंने कहा कि सपा अध्यक्ष इस मामले में अपना मुंह खोलने से पहले अपने गिरेहबान में झांककर देख लेते तो अच्छा होता।
मुख्यमन्त्री ने सपा एवं अन्य विरोधी दलों को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि किसानों का हित साधक बनने वाली इन पार्टियों को चाहिए था कि वह किसानों को भड़काने के बजाय उन्हें शान्तिपूर्ण ढंग से अपनी बात सरकार के सामने रखने के लिए प्रेरित करते, जबकि सभी विरोधी पार्टियॉ इसके विपरीत केवल अपने राजनीतिक स्वार्थ सिद्ध करने के लिए घड़ियाली आसू बहा रही हैं, जिसका कोई मतलब नहीं है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी की केन्द्र की सरकार ने एस0ई0जेड0 (विशेश आर्थिक क्षेत्र) के नाम पर जिस तरह से किसानों की देशभर में लाखों एकड़ जमीन को औने-पौने दाम में लेकर कौड़ियों के मोल उद्योगपतियों को दिया है, उसकी मिसाल देश में मिलना असम्भव है और ऐसी पार्टी जब किसानों का हितैशी बनकर उनको उचित मुआवजा दिलाने के लिए संघशZ करने की बात कहती है, तो उसे हास्यास्पद ही कहा जायेगा।
उन्होंने कहा कि इसके विपरीत हमारी सरकार की नीति एकदम साफ है कि वह किसानों के हितों की अनदेखी कभी भी नहीं होने देगी और इसीलिए वशZ 2007 में सत्ता सम्भालने के बाद से एक स्पश्ट नीति भूमि अधिग्रहण के बारे में लागू की गई थी, जिससे कि किसानों को उनकी जमीनों का भरपूर मुआवजा मिल सके। इसीलिए अलीगढ़ के किसानों की भूमि अधिग्रहण के मामले को लेकर किसानों के प्रतिनिधियों के साथ बैठकर विचार-विमशZ शासन स्तर पर किया गया था तथा सहमति बनाने की कोिशश की गई थी।
सुश्री मायावती ने कहा कि उन्होंने कल मथुरा एवं अलीगढ़ में किसानों के आन्दोलन के दौरान हुई हिंसक घटनाओं को गम्भीरता से लेेते हुए घटना की न्यायिक जांच कराने का निर्णय लिया है और हिंसक घटनाओं में मारे गये व्यक्ति  के परिवार को पांच लाख रूपये की आर्थिक सहायता भी स्वीकृत कर दी गई है।
मुख्यमन्त्री ने कहा कि किसानों को उनकी भूमि के मुआवजे के पूरे प्रकरण को गम्भीरता से परीक्षण करने के लिए आयुक्त, अलीगढ़ मण्डल की अध्यक्षता में एक समिति भी गठित करने के आदेश दे दिए गए हैं, जो किसानों के पक्ष को सुनकर इस प्रकरण में अपनी रिपोर्ट शासन को देगा। जिससे कि किसानों के हितों की पूरी रक्षा की जा सके। उन्होंने पुन: इस बात को दोहराया कि उनकी सरकार किसी भी हालत में किसानों के हितों की अनदेखी नहीं होने देगी।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
upnewslive.com

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क्या यही आजादी है ?

Posted on 16 August 2010 by admin

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जिस स्वतंत्रता की बात करते थे, उसमें समाज के आखिरी आदमी के हित का लक्ष्य था। गांवों को स्वावलम्बी बनाने की बात थी। स्वराज ही नहीं, सुराज के लिए संघर्ष की बात थी। एक ऎसे आजाद भारत राष्ट्र का सपना था, जिसमें गांवों को रोजगार के लिए शहरों का मुंह नहीं ताकना पड़े। सभी देशवासी परस्पर मिलजुलकर रहें, सभी समान हों, सभी के साथ न्याय हो, किसी भी तरह की हिंसा या परस्पर भेदभाव का कोई स्थान न हो। वह लक्ष्य पाया नहीं जा सका। बेशक, आज देश के कुछ लोग दुनिया के अमीरों में गिने जाने लगे हैं, लेकिन इसे विकास का पैमाना कतई नहीं माना जा सकता। विकास तो हुआ है लेकिन अंधाधुंध। शहरों की ओर पलायन बढ़ा है। नैतिक मूल्यों का ह्रास हुआ है।
राष्ट्र प्रेम, राष्ट्र सेवा की चर्चा और उस पर भाषण एक बात है, लेकिन उसे जीवन में आचरण में लाना दूसरी बात। दुर्भाग्य से नेता राष्ट्र की स्वतंत्रता को मजबूत करने के बजाय खुद को ही मजबूत करने में लगे हैं। यह तो स्वतंत्रता का सरासर दुरूपयोग है! राजनीति में सेवा का जज्बा ही गायब हो गया। अब यह एक प्रोफेशन है। नेता समाज और देश के प्रति उत्तरदायी हैं, यह बात शायद वे भूलते जा रहे हैं।
लोग अन्याय और अनीति देखकर भी चुप कैसे रहते हैं? हम सिर्फ तमाशबीन भीड़ में तब्दील होते जा रहे हैं। माना जा चुका है कि भ्रष्टाचार के इसी माहौल में जीना हमारी नियति है। समूचा वातावरण विषाक्त-सा हो गया, लगता है। आश्चर्य होता है कि लोग कैसे सहन कर रहे हैं। ऎसा लगता है कि देश में लापरवाह लोगों की पूरी फौज बना ली गई है। राष्ट्रमंडल खेलों की तैयारियों में घालमेल के आरोप बेहद शर्मनाक हैं। हम दुनिया के सामने भारत की कैसी तस्वीर पेश करना चाहते हैं? राजनीति में अपराधियों का बोलबाला बढ़ता जा रहा है। विधानसभा की बात छोड़ो, संसद तक में अपराधी व दागी लोग धड़ल्ले से पहुंच रहे हैं। यह भला कैसी स्वतंत्रता है? जब ये फंसते हैं, तो इन्हें बचाने के लिए वकीलों की फौज खड़ी कर दी जाती है। इनका बहिष्कार होना चाहिए। समाज इन्हें स्वयं अस्वीकार करे। नेताओं और अपराधियों की दुरभिसंधि को रोकना ही होगा। राष्ट्र में स्वतंत्रता की वास्तविक या सच्ची चेतना को पुनर्जीवित करना होगा।
येन-केन-प्रकारेण और रातोरात धन कमाने की प्रवृत्ति देश के लिए बहुत घातक है। एक बात मैं दावे के साथ कह सकती हूं, जो व्यक्ति अपने देश या अपने समाज के लिए समर्पित नहीं है, वह किसी का साथी नहीं हो सकता। भ्रष्टाचार कभी खत्म होगा, यह तो आज सोचा भी नहीं जा सकता। कम हो जाए, तो बड़ी बात।
मैं एक ऎसे भारत की कल्पना करता  हूं, जिसमें युवा अपने अधिकारों से ज्यादा अपने कर्तव्यों के प्रति जागरूक होे। जिनके सामने कोई, अन्याय, अत्याचार, अनाचार की हिम्मत नहीं कर सकेगा। जो कहीं भी हो, इस देश का सिपाही होगा। माटी का सपूत, देश का रखवाला। युवाओं को यह समझना चाहिए कि आजादी का मतलब भोग-विलास के अपार साधन जुटाने का अवसर नहीं है। आजादी के पहले यदि देश के जवानों ने यही सब किया होता, तो देश आज भी गुलाम होता। उनके बलिदान को व्यर्थ नहीं जाने देना है और पूरी दुनिया के सामने भारत का सिर ऊंचा रहे, हम सभी का यही प्रयास होना चाहिए।
ढेर सारी विसंगतियों के बावजूद हमारे देश की कुछ ऎसी खूबियां हैं, जो हमें आशान्वित व आश्वस्त करती हैं। सामूहिकता व सहअस्तित्व हमारी विशेषता है। एक-दूसरे के लिए त्याग, समर्पण, सहयोग व सम्मान की जो भावना है, इसे अक्षुण्ण रखना होगा। दूसरे देश में लोग अलग-थलग पड़ जाते हैं। वहां किसी के लिए त्याग की बात कोई नहीं सोचता। हमारे यहां वसुधैव कुटुम्बकम की जड़ें गहरी हैं और आज भी यह बिरवा हरा-भरा है।


Vikas Sharma
Editor
www.upnewslive.com , www.bundelkhandlive.com ,
E-mail :editor@bundelkhandlive.com
Ph-09415060119

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