उत्तर प्रदेश की मुख्यमन्त्री सुश्री मायावती ने मथुरा एवं अलीगढ़ के किसानों द्वारा उनकी अधिग्रहण की गई जमीन के मुआवजे को लेकर किए जा रहे आन्दोलन के चलते हुई हिंसक घटनाओं पर दु:ख प्रकट करते हुए इस पूरी घटना की निन्दा की है। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार की यह सर्वोच्च प्राथमिकता रही है कि किसानों की जमीन को आपसी सहमति से करार नियमावली के तहत उचित मुआवजा देने के बाद ही लिया जाए। उन्होंने कहा कि किसानों की जमीन के मुआवजे के बारे में अधिकारियों को इस विशय की गम्भीरता में जाकर तथा सभी तथ्यों पर विचार करके किसानों के हित में ही निर्णय लेना चाहिए। क्योंकि हमारी सरकार यह कभी नहीं होने देगी कि किसानों की जमीन को सस्ती दरों पर लेकर कोई उद्योगपति या अन्य व्यक्ति उसका भारी मुनाफा कमा सके।
सुश्री मायावती ने किसानों की भूमि अधिग्रहण के मुआवजेे को लेकर विभिन्न विपक्षी दलों द्वारा की जा रही राजनीति को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा कि समाजवादी पार्टी को तो किसानों का हितैशी बनने से पहले दादरी में पावर प्लाण्ट के लिए पूर्ववर्ती सपा की सरकार द्वारा जबरन अधिग्रहीत की गई हजारों एकड़ भूमि के मामले को याद कर लेना चाहिए था, जहां कौड़ियों के दाम किसानों की जमीन लेकर समाजवादी पार्टी के मुखिया ने अपने एक चहेते औद्योगिक घराने को दे दी थी, जिसके चलते किसानों को लम्बे समय तक उग्र आन्दोलन करना पड़ा और अन्तत: न्यायालय की शरण लेने पर ही किसानों को कुछ राहत मिल पायी। उन्होंने कहा कि सपा अध्यक्ष इस मामले में अपना मुंह खोलने से पहले अपने गिरेहबान में झांककर देख लेते तो अच्छा होता।
मुख्यमन्त्री ने सपा एवं अन्य विरोधी दलों को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि किसानों का हित साधक बनने वाली इन पार्टियों को चाहिए था कि वह किसानों को भड़काने के बजाय उन्हें शान्तिपूर्ण ढंग से अपनी बात सरकार के सामने रखने के लिए प्रेरित करते, जबकि सभी विरोधी पार्टियॉ इसके विपरीत केवल अपने राजनीतिक स्वार्थ सिद्ध करने के लिए घड़ियाली आसू बहा रही हैं, जिसका कोई मतलब नहीं है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी की केन्द्र की सरकार ने एस0ई0जेड0 (विशेश आर्थिक क्षेत्र) के नाम पर जिस तरह से किसानों की देशभर में लाखों एकड़ जमीन को औने-पौने दाम में लेकर कौड़ियों के मोल उद्योगपतियों को दिया है, उसकी मिसाल देश में मिलना असम्भव है और ऐसी पार्टी जब किसानों का हितैशी बनकर उनको उचित मुआवजा दिलाने के लिए संघशZ करने की बात कहती है, तो उसे हास्यास्पद ही कहा जायेगा।
उन्होंने कहा कि इसके विपरीत हमारी सरकार की नीति एकदम साफ है कि वह किसानों के हितों की अनदेखी कभी भी नहीं होने देगी और इसीलिए वशZ 2007 में सत्ता सम्भालने के बाद से एक स्पश्ट नीति भूमि अधिग्रहण के बारे में लागू की गई थी, जिससे कि किसानों को उनकी जमीनों का भरपूर मुआवजा मिल सके। इसीलिए अलीगढ़ के किसानों की भूमि अधिग्रहण के मामले को लेकर किसानों के प्रतिनिधियों के साथ बैठकर विचार-विमशZ शासन स्तर पर किया गया था तथा सहमति बनाने की कोिशश की गई थी।
सुश्री मायावती ने कहा कि उन्होंने कल मथुरा एवं अलीगढ़ में किसानों के आन्दोलन के दौरान हुई हिंसक घटनाओं को गम्भीरता से लेेते हुए घटना की न्यायिक जांच कराने का निर्णय लिया है और हिंसक घटनाओं में मारे गये व्यक्ति के परिवार को पांच लाख रूपये की आर्थिक सहायता भी स्वीकृत कर दी गई है।
मुख्यमन्त्री ने कहा कि किसानों को उनकी भूमि के मुआवजे के पूरे प्रकरण को गम्भीरता से परीक्षण करने के लिए आयुक्त, अलीगढ़ मण्डल की अध्यक्षता में एक समिति भी गठित करने के आदेश दे दिए गए हैं, जो किसानों के पक्ष को सुनकर इस प्रकरण में अपनी रिपोर्ट शासन को देगा। जिससे कि किसानों के हितों की पूरी रक्षा की जा सके। उन्होंने पुन: इस बात को दोहराया कि उनकी सरकार किसी भी हालत में किसानों के हितों की अनदेखी नहीं होने देगी।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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