Posted on 09 August 2010 by admin
भारत में मोबिलिटी के 15 वशZ पूर्ण होने की महत्वपूर्ण उपलब्धि और देश में नोकिया की सफल यात्रा पर खुशी मनाने के लिए नोकिया इण्डिया ने एक खास पहल प्रोजेक्ट उज्जवल की घोशणा की। इसका मकसद उत्तर प्रदेश के रायबरेली जिले में ग्रामीण समुदाय के पांच गावों में पूरे घर की 100 प्रतिशत मेाबिलिटी हासिल करना है। इस पहल के भाग के रूप में नोकिया इण्डिया रायबरेली जिले के देहली ग्रामसभा में 5 गावेंं के 500 से ज्यादा घरों को मोबाइल उपकरण मुहैया कराएगा। ये उपकरण नोकिया ओवी लाइफ टूल्स सर्विस से प्रीलोडेड होंगे और मुफ्त बांटे जाएंगे। इस पहल का मकसद इनक्लूसिव ग्रोथ को गति देना है और मोबिलिटी के जरिए इस क्षेत्र में सामाजिक आर्थिक विकास को सकारात्मक रूप से प्रभावित करना है।
31 जुलाई 1995 को जब नोकिया फोन से नोकिया नेटवर्क का उपयोग करते हुए पहली मोबाइल कॉल की गई थी तभी से नोकिया देश में मोबाइल कं्राति का अभिन्न् भाग रहा है। भारतीय बाजार के प्रति दीघZ अवधि की अपनी प्रतिबद्धता की पुनपुZिश्ट करने के लिए और मोबिलिटी को अगले स्तर पर ले जाने के लिए नोकिया उत्पाद और खासियतों से आगे बड़ रहा है ताकि जीवन को और बेहतर किया जा सके तथा बड़े बाजार के आम उपभोक्ताओं का मनोंरजन किया जा सके। नेाकिया ओवी लाइफ टूल्स का विकास उभरते बाजार के लिए खासतौर से किया गया है और यह सूचना की कमी पूरी करता है तथा जवीन को सुधारने में सकारात्मक प्रभाव डालने के साथ-साथ उपभोक्ताओं की आजीविका की आवश्यकता भी पूरी करता है।
नोकिया इण्डिया के प्रबंध निदेशक डी िशवकुमार ने कहा, “देश के सामाजिक आर्थिक विकास में मोबाइल क्रान्ति एक महत्वपूर्ण कदम हैं। यह लोगों को नजदीक ले आया, सूचना तक पहुंच का लोकतन्त्रीकरण किया, इनक्लूसिव विकास की शुरूआत की, अपेक्षाएं पूरी की और आर्थिक मौके तैयार किए। इस कं्राति के अगले 15 वशाZे की शुरूआत के मौके पर यह तय है कि मोबिलिटी जीवन को प्रभावित करना जारी रखेगी, और ऐसा वॉयस व टेक्स्ट कम्युनिकेशन के जरिए ही नहीं होगा बल्कि सेवाओं के जरिए भी, जो भिन्न क्षेत्रों वर्गो तथा सामाजिक आर्थिक पृश्ठभूमि के लोगों की आवश्यकताएं पूरी करेगा।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
upnewslive.com
Posted on 09 August 2010 by admin
सावन सोमवार को व्रत रखकर भगवान शिव की शास्त्रों में बताई विशेष विधि से पूजा शीघ्र फल देने वाली मानी गई है। जानते हैं क्या है सावन के सोमवार को शिव पूजा की यह विधि -
- श्रावण सोमवार को सूर्योदय के पहले जागें।
- घर का साफ-सफाई कर शरीर शुद्धि के लिए स्नान करें। सफेद वस्त्र पहनकर पूजा स्थल पर बैठें।
- स्नान के बाद गंगा जल, पवित्र नदी या जल स्त्रोत के जल से पूरे घर को पवित्र करें।
- घर में देवस्थान पर भगवान शिव-पार्वती और गणेश की मूर्ति पूजा के लिए स्थापित करें। - इसके बाद सबसे पहले व्रत संकल्प लें। मम क्षेमस्थैर्यविजयारोग्यैश्वर्या
भिवृद्धयर्थं सोमव्रतं करिष्ये।
- इसके बाद प्रथम पूज्य देवता भगवान श्री गणेश का ध्यान और पूजा करें।
- श्री गणेश ध्यान और पूजा के बाद भगवान शिव ध्यान करने के लिए मंत्र का मन ही मन उच्चारण करें
- ध्यायेन्नित्यंमहेशं रजतगिरिनिभं चारुचंद्रावतंसं
रत्नाकल्पोज्ज्वलांग परशुमृगवराभीतिहस्तं प्रसन्नम।
पद्मासीनं समंतात्स्तुतममरगणैव्र्याघ्रकृत्तिं वसानं
विश्वाद्यं विश्ववंद्यं निखिलभयहरं पंचवक्त्रं त्रिनेत्रम॥
- ध्यान के बाद शिव के पंचाक्षरी या षडाक्षरी मंत्र ‘ऊँ नम: शिवाय’ से शिवजी का तथा ‘ऊँ नम: शिवायै’ से पार्वतीजी का षोडशोपचार पूजन करें।
- षोडशोपचार में सोलह प्रकार और सामग्रियों से देव आराधना की जाती है।
- शिव आराधना में विशेष रुप से बेल पत्र, भांग, धतूराए जल, दूध, दही, शहद, घी, चीनी, जनेऊ , चंदन, रोली, धूप, दीप और दक्षिणा को शामिल कर पूजा की जाती है।
- शिव-पार्वती पूजा के बाद सोमवार व्रत कथा का पाठ या श्रवण करना चाहिए।
- अंत में पूरी भक्ति और आस्था के साथ शिव आरती करें। प्रसाद वितरण करें। पूजा के दौरान हुए दोष के लिए क्षमा मांगे। अपनी कामना पूर्ति के लिए प्रार्थना करें।
- सायंकाल प्रदोषकाल में भी शिव पूजा करें और रात्रि में भोजन करें। यथा संभव उपवास करें।
Posted on 09 August 2010 by admin
शिव अनोखेपन और विचित्रताओं का भंडार हैं। शिव की तीसरी आंख भी ऐसी ही है। धर्म शास्त्रों के अनुसार सभी देवताओं की दो आंखें हैं पर शिव की तीन आंखें हैं।
भगवान शिव अपने कर्मों से तो अद्भुत हैं ही; अपने स्वरूप से भी रहस्यमय हैं। भक्त से प्रसन्न हो जाएं तो अपना धाम उसे दे दें और यदि गुस्सा हो जाएं तो उससे उसका धाम छीन लें।
दरअसल शिव की तीसरी आंख प्रतीकात्मक नेत्र है। आंखों का काम होता है रास्ता दिखाना और रास्ते में पढऩे वाली मुसीबतों से सावधान करना।जीवन में कई बार ऐसे संकट भी आ जाते हैं; जिन्हें हम अपनी दोनों आंखों से भी नहीं देख पाते। ऐसे समय में विवेक और धैर्य ही एक सच्चे मार्गदर्शक के रूप में हमें सही-गलत की पहचान कराता है। यह विवेक अत:प्रेरणा के रूप में हमारे अंदर ही रहता है। बस जरुरत है उसे जगाने की।
भगवान शिव का तीसरा नेत्र आज्ञाचक्र का स्थान है। यह आज्ञाचक्र ही विवेकबुद्धि का स्रोत है।
Vikas Sharma
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