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शिव पूजा हर सुख देती है

Posted on 09 August 2010 by admin

सावन सोमवार को व्रत रखकर भगवान शिव की शास्त्रों में बताई विशेष विधि से पूजा शीघ्र फल देने वाली मानी गई है। जानते हैं क्या है सावन के सोमवार को शिव पूजा की यह विधि -

- श्रावण सोमवार को सूर्योदय के पहले जागें।
- घर का साफ-सफाई कर शरीर शुद्धि के लिए स्नान करें। सफेद वस्त्र पहनकर पूजा स्थल पर बैठें।
- स्नान के बाद गंगा जल, पवित्र नदी या जल स्त्रोत के जल से पूरे घर को पवित्र करें।
- घर में देवस्थान पर भगवान शिव-पार्वती और गणेश की मूर्ति पूजा के लिए स्थापित करें। - इसके बाद सबसे पहले व्रत संकल्प लें। मम क्षेमस्थैर्यविजयारोग्यैश्वर्या

भिवृद्धयर्थं सोमव्रतं करिष्ये।
- इसके बाद प्रथम पूज्य देवता भगवान श्री गणेश का ध्यान और पूजा करें।
- श्री गणेश ध्यान और पूजा के बाद भगवान शिव ध्यान करने के लिए मंत्र का मन ही मन उच्चारण करें
- ध्यायेन्नित्यंमहेशं रजतगिरिनिभं चारुचंद्रावतंसं
रत्नाकल्पोज्ज्वलांग परशुमृगवराभीतिहस्तं प्रसन्नम।
पद्मासीनं समंतात्स्तुतममरगणैव्र्याघ्रकृत्तिं वसानं
विश्वाद्यं विश्ववंद्यं निखिलभयहरं पंचवक्त्रं त्रिनेत्रम॥
- ध्यान के बाद शिव के पंचाक्षरी या षडाक्षरी मंत्र ‘ऊँ नम: शिवाय’ से शिवजी का तथा ‘ऊँ नम: शिवायै’ से पार्वतीजी का षोडशोपचार पूजन करें।
- षोडशोपचार में सोलह प्रकार और सामग्रियों से देव आराधना की जाती है।
- शिव आराधना में विशेष रुप से बेल पत्र, भांग, धतूराए जल, दूध, दही, शहद, घी, चीनी, जनेऊ , चंदन, रोली, धूप, दीप और दक्षिणा को शामिल कर पूजा की जाती है।
- शिव-पार्वती पूजा के बाद सोमवार व्रत कथा का पाठ या श्रवण करना चाहिए।
- अंत में पूरी भक्ति और आस्था के साथ शिव आरती करें। प्रसाद वितरण करें। पूजा के दौरान हुए दोष के लिए क्षमा मांगे। अपनी कामना पूर्ति के लिए प्रार्थना करें।
- सायंकाल प्रदोषकाल में भी शिव पूजा करें और रात्रि में भोजन करें। यथा संभव उपवास करें।
Vikas Sharma
bundelkhandlive.com
E-mail :editor@bundelkhandlive.com
Ph-09415060119

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