Archive | July, 2010

स्थानीय क्षेत्र में माल के प्रवेश पर प्राकृतिक गैस को प्रवेश कर से छूट

Posted on 02 July 2010 by admin

लखनऊ - उत्तर प्रदे सरकार ने लोकहित में 29 जून, 2010 से प्राकृतिक गैस की खरीद व बिक्री पर उत्तर प्रदे मूल्य संविर्धत कर अधिनियम (वैट) के अन्तर्गत डीलर द्वारा देय कर की धनराशि की सीमा तक ऐसे माल (प्राकृतिक गैस) के स्थानीय क्षेत्र में प्रवे करने पर लिए जाने वाले कर (टैक्स लेविएबुल) से छूट प्रदान की है। छूट की यह धनराषि लिए जाने वाले प्रवे कर की धनराशि से अधिक नहीं होगी।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
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जिला विज्ञान समन्वयकों के कार्यों की त्रैमासिक समीक्षा की जाय - अब्दुल मन्नान

Posted on 02 July 2010 by admin

क्षेत्रीय वैज्ञानिक अधिकारियों के उत्तरदायित्व   पुन: निर्धारित किये जायें

क्षेत्रीय वैज्ञानिक अधिकारी आगरा को चेतावनी दी गई

लखनऊ - जिला विज्ञान क्लबों के कोआर्डिनेटर्स के कार्यो की उच्च स्तर पर प्रत्येक तीन माह में समीक्षा अवश्य की जाय। वर्तमान में विज्ञान के प्रति बच्चों में कम हो रहे रूझान को बढ़ाने के लिए विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के समस्त आयामों का प्रचार-प्रसार किया जाय। क्लबों द्वारा वैज्ञानिक व्याख्यान, बच्चों के लिए विज्ञान प्रतियोगितायें, कठपुतली, विज्ञान नाटक, टेक्नालॉंजी प्रदर्शन, स्वरोजगार जागरूकता व प्रशिक्षण कार्यक्रमों, विज्ञान नुक्कड़ नाटक आदि कार्यक्रम सक्रिय रूप से लगातार चलाये जायं। क्षेत्रीय वैज्ञानिक अधिकारियों का उत्तरदायित्वों का पुन: निर्धारण किया जाय। समन्वयकों को निरन्तर ट्रेनिंग देने का कार्य भी क्षेत्रीय वैज्ञानिक अधिकारियों द्वारा किया जाय।

यह निर्देश प्रदेश के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मन्त्री श्री अब्दुल मन्नान ने विधान भवन स्थित अपने कार्यालय कक्ष में आयोजित समीक्षा बैठक में विभागीय अधिकारियों को दिये हैं। उन्होंने बैठक में आगरा के क्षेत्रीय वैज्ञानिक अधिकारी का कार्य सन्तोषजनक नहीं पाया। विज्ञान मन्त्री ने उन्हेें कायोंZ में सुधार लाने तथा अपने उत्तरदायित्वों का निर्वहन भलीभान्ति करने हेतु चेतावनी दी।

श्री मन्नान ने कहा कि जब तक सभी मण्डलों में क्षेत्रीय विज्ञान केन्द्रों की स्थापना नहीं हो जाती है तब तक चार क्षेत्रीय विज्ञान केन्द्रों, दो नक्षत्रशालाओं तथा लखनऊ एवं लखनऊ मुख्यालय कुल सात स्थलों से ही सभी जिला विज्ञान क्लबों के कार्यों पर भलीभान्ति नियन्त्रण रखा जाय। बैठक में क्षेत्रीय विज्ञान केन्द्रों के वैज्ञानिक अधिकारियों ने उनके वित्तीय अधिकार पुन: बहाल किये जाने तथा कैडर सम्बंधी एवं अन्य शासकीय समस्यायें भी मन्त्री जी के समक्ष रखी गईं।

बैठक में प्रमुख सचिव, श्री बी0एम0मीणा, विश्ेाष सचिव श्री पी0सी0जैन, निदेशक एवं सचिव डॉ0 एम0के0जे0सिद्दीकी, संयुक्त निदेशक श्री आई0डी0राम सहित सभी वरिष्ठ चारों मण्डलों के क्षेत्रीय वैज्ञानिक अधिकारी उपस्थित थे।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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विद्युत निगमों में हड़ताल पर 6 माह के लिए रोक

Posted on 02 July 2010 by admin

उत्तर प्रदेश सरकार ने उ0प्र0 आवश्यक सेवाओं का अनुरक्षण अधिनियम के तहत लोक हित में ऊर्जा विभाग के अधीन सभी विद्युत निगमों की समस्त सेवाओं में तात्कालिक प्रभाव से 6 माह के लिए हड़ताल पर प्रतिबन्ध लगा दिया है।

राज्य सरकार ने जिन विद्युत निगमों हड़ताल पर रोक लगायी है, उनमें यू.पी.पावर कारपोरेशन, राज्य विद्युत उत्पादन निगम, उ0प्र0 जल विद्युत निगम, पावर ट्रांसमिशन कारपोरेशन, केस्को, मध्यांचल विद्युत वितरण निगम लखनऊ, पूर्वाचंल विद्युत वितरण निगम वाराणसी, पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम, मेरठ तथा दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम, आगरा शामिल हैं।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
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उत्तम सन्तान प्राप्ति के लिए

Posted on 02 July 2010 by admin

किसी भी देश का भविष्य बालकों पर निर्भर करता है | जो दम्पति सुविचारी, सदाचारी एवं पवित्रात्मा हैं तथा शास्त्रोक्त नियमों के पालन में तत्पर हैं ऐसे दम्पति के घर में दिव्य आत्माएं जन्म लेती हैं | ऐसी सन्तानों में बचपन से ही सुसंस्कार, सदगुणों के प्रति आकर्षण एवं दिव्यता देखी जाती है |वर्त्तमान में देश के सामने बालकों में संस्कारों की कमी यह एक प्रमुख समस्या है, जिससे उबरने ले हेतु सन्तानप्राप्ति के इच्छुक दम्पति को ब्रह्मज्ञानी सन्तों-महापुरुषों के दर्शन-सत्संग का लाभ लेकर स्वयं सुविचारी, सदाचारी बनना चाहिए, साथ ही उत्तम सन्तानप्राप्ति के नियमों को भी जान लेना चाहिए|

वास्तव में पत्थर, पानी, खनिज देश की सच्ची सम्पत्ति नहीं हैं अपितु ॠषि-परम्परा के पवित्र संस्कारों से सम्पन्न तेजस्वी बालक ही देश की सच्ची सम्पत्ति हैं लेकिन मनुष्य धन-सम्पत्ति बढ़ाने में जितना ध्यान देता है उतना सन्तान पैदा करने में नहीं देता | यदि शास्त्रोक्त रीति से शुभ मुहूर्त में गर्भाधान कर सन्तानप्राप्ति की जाय तो वह परिवार व देश का नाम रोशन करनेवाली सिद्ध होगी |

उत्त्म सन्तानप्राप्ति के लिए सर्वप्रथम पत-पत्नी का तन-मन स्वस्थ होना चाहिए | वर्ष में केवल एक ही बार सन्तानोत्पत्ति हेतु समागम करना हितकारी है |

हमारे पुराने आयुर्वेद ग्रन्थों में पुत्र-पुत्री प्राप्ति हेतु दिन-रात, शुक्ल पक्ष-कृष्ण पक्ष तथा माहवारी के दिन से सोलहवें दिन तक का महत्व बताया गया है। धर्म ग्रन्थों में भी इस बारे में जानकारी मिलती है।

यदि आप पुत्र प्राप्त करना चाहते हैं और वह भी गुणवान, तो हम आपकी सुविधा के लिए हम यहां माहवारी के बाद की विभिन्न रात्रियों की महत्वपूर्ण जानकारी दे रहे हैं।

चौथी रात्रि के गर्भ से पैदा पुत्र अल्पायु और दरिद्र होता है।
पांचवीं रात्रि के गर्भ से जन्मी कन्या भविष्य में सिर्फ लड़की पैदा करेगी।
छठवीं रात्रि के गर्भ से मध्यम आयु वाला पुत्र जन्म लेगा।
सातवीं रात्रि के गर्भ से पैदा होने वाली कन्या बांझ होगी।
आठवीं रात्रि के गर्भ से पैदा पुत्र ऐश्वर्यशाली होता है।
नौवीं रात्रि के गर्भ से ऐश्वर्यशालिनी पुत्री पैदा होती है।
दसवीं रात्रि के गर्भ से चतुर पुत्र का जन्म होता है।
ग्यारहवीं रात्रि के गर्भ से चरित्रहीन पुत्री पैदा होती है।
बारहवीं रात्रि के गर्भ से पुरुषोत्तम पुत्र जन्म लेता है।
तेरहवीं रात्रि के गर्म से वर्णसंकर पुत्री जन्म लेती है।
चौदहवीं रात्रि के गर्भ से उत्तम पुत्र का जन्म होता है।
पन्द्रहवीं रात्रि के गर्भ से सौभाग्यवती पुत्री पैदा होती है।
सोलहवीं रात्रि के गर्भ से सर्वगुण संपन्न, पुत्र पैदा होता है।

व्यास मुनि ने इन्हीं सूत्रों के आधार पर पर अम्बिका, अम्बालिका तथा दासी के नियोग (समागम) किया जिससे धृतराष्ट्र, पाण्डु तथा विदुर का जन्म हुआ। महर्षि मनु तथा व्यास मुनि के उपरोक्त सूत्रों की पुष्टि स्वामी दयानन्द सरस्वती ने अपनी पुस्तक संस्कार विधि में स्पष्ट रूप से कर दी है। प्राचीनकाल के महान चिकित्सक वाग्भट तथा भावमिश्र ने महर्षि मनु के उपरोक्त कथन की पुष्टि पूर्णरूप से की है।´ दो हजार वर्ष पूर्व के प्रसिद्ध चिकित्सक एवं सर्जन सुश्रुत ने अपनी पुस्तक सुश्रुत संहिता में स्पष्ट लिखा है कि मासिक स्राव के बाद 4, 6, 8, 10, 12, 14 एवं 16वीं रात्रि के गर्भाधान से पुत्र तथा 5, 7, 9, 11, 13 एवं 15वीं रात्रि के गर्भाधान से कन्या जन्म लेती है।
2500 वर्ष पूर्व लिखित चरक संहिता में लिखा हुआ है कि भगवान अत्रिकुमार के कथनानुसार स्त्री में रज की सबलता से पुत्री तथा पुरुष में वीर्य की सबलता से पुत्र पैदा होता है।

-प्राचीन संस्कृत पुस्तक सर्वोदय में लिखा है कि गर्भाधान के समय स्त्री का दाहिना श्वास चले तो पुत्री तथा बायां श्वास चले तो पुत्र होगा।
-यूनान के प्रसिद्ध चिकित्सक तथा महान दार्शनिक अरस्तु का कथन है कि पुरुष और स्त्री दोनों के दाहिने अण्डकोष से लड़का तथा बाएं से लड़की का जन्म होता है।
-चन्द्रावती ऋषि का कथन है कि लड़का-लड़की का जन्म गर्भाधान के समय स्त्री-पुरुष के दायां-बायां श्वास क्रियाए पिंगला-तूड़ा नाड़ी, सूर्यस्वर तथा चन्द्रस्वर की स्थिति पर निर्भर करता है।


Vikas Sharma
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सुजए की मासिक बैठक सम्पन्न

Posted on 01 July 2010 by admin

सुलतानपुर - प्रेस क्लब में सुलतानपुर जर्नलिस्ट एशोसिएन की मासिक बैठक कल सम्पन्न हुइ। बैठक के दौरान सदस्यों को परिचय पत्र वितरित किया गया तथा उपाध्यक्ष अम्बरीश मिश्र के अनुरोध पर सुजए के सदस्यों का सामूहिक बीमा योजना का प्रस्ताव जारी किया गया जिसे बैठक में उपस्थित सभी सदस्यों ने करतल ध्वनि से समर्थन किया। वहीं संगठन के महामन्त्री राकेश शर्मा के द्वारा जिलाधिकारी को संगठन की तरफ स्मृत चिन्ह प्रदान करनें का प्रस्ताव पारित किया एवं कोशाध्यक्ष जीतेन्द्र श्रीवास्तव के द्वारा आय-व्यय का व्योरा सामूहिक रूप से सदस्यों को दी गई।

अध्यक्ष द्वारा बताया गया कि प्रत्येक माह की आखिरी तिथि को बैठक  का आयोजन किया जाता है। जिसमें सभी सदस्यों की उपस्तिथि अनिवार्य है। संगठन की बैठक में सुनील कुमार, मुकेश शुक्ल अनिल गुप्ता, प्रवीण मिश्रा, चन्द्र कान्त पाण्डेय, इन्द्रमणि उपाध्याय, परविन्द शर्मा, केशरी सिंह, हसनैन, राजेन्द्र यादव, आदि सदस्य मौजूद रहे।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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जीवन-यापन के लिए शराब का धंधा बना मजबूरी

Posted on 01 July 2010 by admin

सुलतानपुर - इधर  गोमती नदी के तराई क्षेत्रों में कच्ची देशी शराब बनाने के धंधें काफी फैलने फूलने का समाचार प्रकाशित हो रहा है। जिस पर पुलिस प्रशासन व आबकारी विभाग रोक नहीं लगा वा रहा है। इसमें स्थानीय पुलिस व प्रभावशाली लोगों की मिली भगत होती है। जिसका समय आने पर लोग उपयोग करते हैं। यही कारण है कि सामाजिक संगठन चाहे जितना शराब सहित अन्य दुर्गणों को त्यागने तथा भलमानस की जीवन जीने का प्रयास करें इन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। शराब बनाने के समाचार का इशारा वैसे मल्लाहों की ओर ज्यादा होता  ळे, जब कि इधर अन्य क्षेत्रों में भी अर्थोपार्जन की द्रष्टि से लम्बा कारों बार चलता है।

अभी तक गोमती वासी मल्लाह शराब बनाने व पीने के नाम पर कुछ ज्यादा कुख्यात हैं, इसमें कुछ वास्तविकता भी है। यह अवैध धंधा पुराना है। इससे समाज काफी बदनाम है, जबकि शराब बनाना व पीना समाज व स्वास्थ्य के लिए काफी हानिकारक है पर ऐसे लोगो की कोई सकारात्मक सोच नही हैं आए दिन शराब पी कर मार-पीट करने का प्रकरण थाने तक आता रहता है। इस धंधें तथा पेय पर अंकुश लगना चाहिए। इसका एक पहलू यह है कि ऐसा उ0 प्र0 कश्यप निशाद सभा के प्रान्तीय बध्यक्ष खेमई खुमई प्रसाद निशाद का कहना है। श्री निशाद ने शराब बनाने व पीने के देसरे पहलू पर भी विचार करते हुए कहा कि यह अवैध धंधा काफी पुराना है, घंधा अपरािधेक है, पकड़े जाने पर मार खानी पड़ेगी और जेल भी जाना होगा यह जानते हुए भी तराई के लोग क्यों करते ? इसकी तह में जाने का प्रयास न प्रशासन ने किया और न अखबार वाले। क्या मजबूरी ह र्षोर्षो इसके सोचने समझने का का का कोई प्रयास नहीं हुआ। देखा यही जा रहा है, जो भी इस धंधे में लिप्त हैं उनके पास न तो कृशि योग्य भूमि है न और कोई धंधा है। कुछ ऐसे लोग भी इस धंधें को करते हैं, जो शारीरिक रूप अक्षम है। अपने परिवार का भरण - पोशण करना है। इस लिए शराब बनाते हैं ।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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four persons arrested

Posted on 01 July 2010 by admin

Lucknow –U P police arrested four persons alleged involved sub divisional magistrate barabanki ratibhan varma driver’s murder case at chinhat police station in lucknow on thursday.

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जनपद छत्रपति शाहू जी महराज नगर को माया सरकार ने किया बहाल

Posted on 01 July 2010 by admin

विभाजन के दंश में झुलसा सुलतानपुर व रायबरेली

जिले की बहाली को लेकर अमेठीवासी उत्साहित

सुलतानपुर - संसदीय क्षेत्र अमेठी जनपद सुलतानपुर और जनपद रायबरेली का अंग रहा जिसमें सुलतानपुर की तीन तहसीलें अमेठी, गौरीगंज व मुसाफिरखाना और दस विकास खण्ड शामिल रहे। वहीं जनपद रायबरेली की दो तहसीलें सलोन, तिलोई और छ: विकास क्षण्ड शामिल रहे। इस प्रकार छत्रपति शाहू जी महराज नगर नव सृजित जनपद में कुल 05 तहसीलें और 16 विकास खण्ड शामिल हैं। जिसे आज प्रदेश सरकार की कैविनेट की बैठक में बहाल कर दिया गया। सूचना मिली है कि नये जिले के जिलाधिकारी के रूप् में जे0 पी0 गुप्ता देर शाम तक कार्यभार ग्रहण करने आ रहे हैं। उधर जिला मुख्यालय गौरीगंज बनाये जाने को लेकर कुछ क्षेत्रों में अफरा- तफरी का भी माहौल है। उल्लेखनीय है कि 2003 में 21 मई को तत्कालीन मुख्यमन्त्री मायावती ने छत्रपति शाहू जी महराज नगर नाम अमेठी को नया जनपद बनाया था। उस समय एम0 पी अग्रवाल डी0 एम0 व पियूश आनन्द नये जिले के एस0 पी0 हुए। जिले में समस्त विभाग खोले गये। किन्तु सूबे में सत्ता परिवर्तन हुआ और सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव सुबे के मुख्यमन्त्री बने। उन्होने अमेठी नाम से जिला न होने के कारण सोनिया गॉधी के सम्मान में इस जिले का गला घोट दिया। जनता सड़क पर उतर आई, तमाम विरोध प्रदर्शन हुए और अदालत में वाद दायर हुआ। जिसकी सुनवाई के सापेक्ष मायावती सरकार को तीन माह के भीतर जिला बनाकर जवाब दाखिल करने को कहा था। तद्नुसार मायावती सरकार ने अपनी कैविनेट बैठक मे जिले को बहाल कर जवाब कोर्ट में दाखिल कर दिया। जिला बहाली उनका अमेठी की जनता से वादा था, जिसे उन्होने आज पूरा कर खूब वाहवाही बटोरी है। जिला बचाओ संघर्ष समिति ने आज खुिशया जताई। इस जिले का अभ्युदय गॉधी- नेहरू परिवार और मायावती के वाक् युद्ध का नतीजा था, जो आज पुन: अमल में आ गया। इधर भादर आदि क्षेत्र के लोग मुख्यालय को लेकर सुलतानपुर और रायबरेली वासी भी मायूस हैं। जो क्राम क्षेत्र हाथ से निकल जाने के दु:ख से उबर नहीं पा रहे हैं। बहर हाल अमेठी वासी काफी उत्साहित होकर सूबे की सरकार को बधाई दे रहे हैं।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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मन्त्रि-परिषद की बैठक में लिये गये महत्वपूर्ण निर्णय

Posted on 01 July 2010 by admin

लखनऊ -  उत्तर प्रदेश की मुख्यमन्त्री सुश्री मायावती की अध्यक्षता में आज यहां सम्पन्न मन्त्रि-परिषद की बैठक में निम्न प्रकार महत्वपूर्ण निर्णय लिये गये हैं।

बाह्य सहायतित परियोजनाओं के प्रभावी कार्यान्वयन हेतु मुख्य सचिव की अध्यक्षता में इम्पावर्ड कार्यकारी समिति का गठन

मन्त्रिपरिषद ने बाह्य सहायतित परियोजनाओं के समय से प्रभावी कार्यान्वयन सुनिश्चित करने के लिए इम्पावर्ड कार्यकारी समिति के गठन सम्बन्धी प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान कर दी है।

मन्त्रिपरिषद द्वारा लिये गये निर्णय के अनुसार प्रदेश में चल रही बाह्य सहायतित परियोजनाओं के समय से सफल कार्यान्वयन के लिए विभिन्न प्रकार की स्वीकृतियों में होने वाले विलम्ब को समाप्त करने के लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय “इम्पावर्ड कार्यकारी समिति´´ गठित होगी। इस समिति में अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास आयुक्त, प्रमुख सचिव वित्त, नियोजन न्याय, कार्मिक, परियोजना के प्रशासकीय विभाग के प्रमुख सचिव/सचिव, सदस्य होंगे। समिति में प्रमुख सचिव/सचिव बाह्य सहायतित परियोजना सदस्य सचिव तथा परियोजना के निदेशक सदस्य सह सचिव होंगे।

ज्ञातव्य है कि वर्तमान में प्रदेश में विश्व बैंक तथा जायका (जापान इण्टरनेशनल कोऑपरेशन एजेंसी) आदि संस्थाओं की वित्तीय सहायता से उत्तर प्रदेश वाटर सेक्टर रिस्ट्रक्चरिंग परियोजना-।, उ0प्र0 स्टेट रोड परियोजना-।।, उ0प्र0 सोडिक लैण्ड रिक्लेमेशन परियोजना-।।।, उ0प्र0 सहभागी वन प्रबन्ध एवं निर्धनता उन्मूलन परियोजना एवं आगरा जल सम्पूर्ति (गंगाजल) परियोजना चलाई जा रही हैं। इनके अलावा प्रदेश में बाह्य संस्था द्वारा वित्त पोषण हेतु उत्तर प्रदेश वाटर सेक्टर रिस्ट्रक्चरिंग परियोजना-।।, उ0प्र0 स्टेट रोड परियोजना-।।, उ0प्र0 हेल्थ डेवलपमेन्ट सिस्टम परियोजना-।। तथा बौद्ध परिपथ-।। परियोजना प्रस्तावित है।

वृहत्तर नोएडा औद्योगिक विकास प्राधिकरण सेवा विनियमावली में संशोधन का प्रस्ताव मंजूर

मन्त्रिपरिषद ने वृहत्तर नोएडा औद्योगिक विकास प्राधिकरण सेवा विनियमावली 1993 के नियम - 19(1) में संशोधन करने की स्वीकृति प्रदान कर दी है।

मन्त्रिपरिषद द्वारा लिये गये निर्णय के अनुसार अब सेवा में किसी पद पर मौलिक रिक्ति में या उसके प्रतिनियुक्ति किये जाने पर प्रत्येक व्यक्ति को एक वर्ष की अवधि के लिए परिवीक्षा पर रखा जाएगा।

ज्ञातव्य है कि अभी तक सेवा में किसी पद पर मौलिक रिक्ति में या उसके प्रतिनियुक्ति किये जाने पर प्रत्येक व्यक्ति को दो वर्ष की अवधि के लिए परिवीक्षा पर रखे जाने का नियम है।

उ0 प्र0 वृक्ष संरक्षण अधिनियम 1976 के धारा 5(4) के तहत अनुज्ञा शुल्क आरोपित करने व धारा 15(1) के तहत अपराधों के प्रशमन हेतु निर्धारित अधिकतम धनराशि को बढ़ाने सम्बन्धी प्रस्ताव मंजूर

मन्त्रिपरिषद ने उ0 प्र0 वृक्ष संरक्षण अधिनियम 1976 के धारा 5(4) में उल्लिखित प्राविधान के अन्तर्गत अनुज्ञा शुल्क आरोपित किये जाने तथा धारा 15(1) में उल्लिखित प्राविधान के अन्तर्गत अपराधों के प्रशमन हेतु निर्धारित अधिकतम धनराशि को बढ़ाये जाने सम्बन्धी प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान कर दी है।

मन्त्रिपरिषद द्वारा लिये गये निर्णय के अनुसार उ0 प्र0 वृक्ष संरक्षण अधिनियम 1976 की धारा 5(4) के तहत दी जाने वाली प्रत्येक अनुज्ञा इस शर्त के साथ प्रदान की जाएगी कि अनुज्ञा प्राप्त करने वाले व्यक्ति/संस्था/आवेदक द्वारा पातन अनुज्ञा शुल्क प्रति वृक्ष 100 रूपये जमा की जाएगी।

ज्ञातव्य है कि उ0प्र0 वृक्ष संरक्षण अधिनियम के अन्तर्गत वृक्षों के पातन अनुज्ञा जारी करने के समय कोई भी अनुज्ञा शुल्क लेने का प्राविधान नहीं था।

इसके अलावा मन्त्रिपरिषद ने उ0 प्र0 वृक्ष संरक्षण अधिनियम 1976 की धारा 15(1) में उल्लिखित प्राविधान के अन्तर्गत अपराधों के प्रशमन हेतु निर्धारित अधिकतम धनराशि को बढ़ाने का भी फैसला किया है। निर्णय के अनुसार राज्य सरकार अधिसूचना के माध्यम से किसी अधिकारी को, किसी ऐसे व्यक्ति से, जिसके विरूद्ध यह विश्वास करने का कारण है कि उसमें किसी वन, बाग या सार्वजनिक भू-ग्रहादि में स्थित वृक्ष से भिन्न किसी वृक्ष के सम्बन्ध में उ0 प्र0 वृक्ष संरक्षण अधिनियम 1976 की धारा 15(1) के अधीन अपराध किया है। इसके लिए पूर्व में निर्धारित प्रशमन शुल्क की धनराशि को पॉच हजार रूपये से  बढ़ाकर दस हजार रूपये कर दिया है।

यह भी उल्लेखनीय है कि वर्ष 1976 से वर्तमान तक प्रशमन की धनराशि में कोई परिवर्तन नहीं हुआ है। विभिन्न प्रकाष्ठ की मूल्य में वर्ष 1976 से अप्रत्याशित वृद्धि होने से अवैध कटान में लिप्त अपराधी प्रशमन की अधिकतम् धनराशि पांच हजार रूपये होने से अपराध की पुनरावृत्ति हेतु हतोत्साहित नहीं होते हैं। अतएव यह आवश्यक हो गया है कि गैर वन भूमि पर स्थित वृक्षों के कटान को इस प्रकार नियन्त्रित किया जाये कि वे सक्षम स्तर से अनुमति लेकर ही वृक्षों का पातन करें, ताकि बिना अनुमति के वृक्ष काटने की प्रक्रिया को प्रश्रय न मिले। इससे एक ओर वृक्षावरण को बढ़ाने में सहायता मिलेगी तथा वृक्ष स्वामियों द्वारा आवश्यकतानुसार ही पातन किया जा सकेगा।

मन्त्रिपरिषद द्वारा माल वाहनों के नेशनल परमिट हेतु कर सम्बन्धी अधिसूचना में संशोधन का प्रस्ताव अनुमोदित

मन्त्रिपरिषद ने माल वाहनों के नेशनल परमिट से सम्बन्धित नई कम्पोजिट फीस योजना के कार्यान्वयन हेतु पूर्व में जारी अधिसूचना दिनांक 28 अक्टूबर, 2009 में संशोधन करने सम्बन्धी प्रस्ताव को अनुमोदित कर दिया है।

मन्त्रिपरिषद द्वारा लिये गये निर्णय के अनुसार अब नेशनल परमिट से आच्छादित माल वाहनों से अन्य राज्यों के लिए कर का संग्रह राज्य स्तर पर नहीं किया जाएगा, बल्कि इस प्रकार के वाहनों के लिए पन्द्रह हजार रूपये प्रति वर्ष कम्पोजिट (एक मुश्त) कर का संग्रह करके भारत सरकार को भेजा जाएगा, जहॉं से वह एक निश्चित फार्मूले के आधार पर राज्यों को बटेगा। अखिल भारतीय स्तर पर इस प्रकार संग्रहीत हुए कर में से 10.497 प्रतिशत उत्तर प्रदेश राज्य को प्राप्त होगा।

ज्ञातव्य है कि वर्ष 2007-08 में उत्तर प्रदेश राज्य को राष्ट्रीय परमिट फीस मद में कुल 98.35 करोड़ रूपये़, वर्ष 2008-09 में 104.36 करोड़ रूपये एवं वर्ष 2009-10 में कुल 115.70 करोड़ रूपये की प्राप्ति हुई है। जबकि इन्हीं वर्षो में अखिल भारतीय स्तर पर क्रमश: 974.57 रूपये, 1056.58 रूपये एवं 1186.56 करोड़ रूपये की प्राप्ति हुई है। उक्त फार्मूले के अनुसार राष्ट्रीय परमिट पर समेकित शुल्क में से 10.497 प्रतिशत उत्तर प्रदेश को प्राप्त होगा।

मन्त्रिपरिषद ने उ0प्र0 अनुसूचित वस्तु वितरण आदेश 2004 में संशोधन सम्बंधी प्रस्ताव को मंजूरी दी

मन्त्रिपरिषद द्वारा उत्तर प्रदेश अनुसूचित वस्तु वितरण आदेश 2004 की धारा 28(1) में संशोधन सम्बंधी प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान कर दी गई।

ज्ञातव्य है कि प्रदेश में खाद्यानों एवं अन्य आवश्यक वस्तुओं का सम्भरण बनाये रखने, उनका समान वितरण एवं उचित मूल्य पर उपलब्धता सुनिश्चित करने के उद्देश्य से राज्य सरकार ने उत्तर प्रदेश अनुसूचित वस्तु वितरण आदेश 2004 निर्गत किया गया है। यह आदेश केन्द्र सरकार के सार्वजनिक वितरण प्रणाली (नियन्त्रण) आदेश 2001 के परिपे्रक्ष्य में जारी किया गया है।

अनुसूचित वस्तु वितरण आदेश की धारा 28(1) में यह प्राविधानित है कि उचित दर दुकानों से सम्बन्धित सभी अपीलें मण्डलायुक्त को की जायेंगी जो उनकी सुनवाई या निपटारा करेगा अथवा वह अपनी शक्ति को आदेश द्वारा सहायक खाद्य आयुक्त को प्रत्योजित कर सकता है। मण्डलायुक्त के पास कार्य की अधिकता के कारण प्राय: उनके लिये यह सम्भव नहीं होता कि वे स्वयं इन अपीलों की सुनवाई/निपटारा कर सके। ज्ञातव्य है कि मण्डलायुक्त कार्यालय में प्रशासनिक सेवा के अपर आयुक्त भी तैनात होते हैं जिन्हें विभिन्न प्रकार के न्यायिक कार्यो का पूर्व अनुभव भी होता है। इसे दृष्टिगत रखते हुए धारा 28(1) में यह संशोधन किये जाने का निर्णय लिया गया कि मण्डलायुक्त अपीलों की सुनवाई/निपटारा करने की अपनी शक्ति को उपायुक्त खाद्य (सहायक खाद्य आयुक्त का परिवर्तित पदनाम) के साथ-साथ अपर आयुक्त को भी प्रत्योजित कर सकता है।

क्षेत्र पंचायतों के प्रमुख पदों एवं स्थानों (वार्ड) तथा जिला पंचायतों के अध्यक्ष पदों एवं स्थानों (वार्ड) के आरक्षण एवं आवंटन नियमावली में संशोधन

उत्तर प्रदेश सरकार ने प्रदेश में क्षेत्र पंचायतों के प्रमुख पदों एवं स्थानों (वार्ड)    तथा जिला पंचायतों के अध्यक्ष पदों एवं स्थानों (वार्ड) के आरक्षण एवं आवंटन नियमावली में संशोधन कर दिया है। इस आशय के प्रस्ताव को उत्तर प्रदेश की मुख्यमन्त्री सुश्री मायावती की अध्यक्षता में आज यहां सम्पन्न हुई मन्त्रिपरिषद की बैठक में मंजूरी प्रदान कर दी गई।

मन्त्रिपरिषद् ने पंचायतों के आगामी सामान्य निर्वाचन के लिए आरक्षण व चक्रानुक्रम की व्यवस्था अपनाए जाने सम्बन्धी प्रस्ताव एवं तदनुसार उत्तर प्रदेश क्षेत्र पंचायत तथा जिला पंचायत (स्थानों और पदों का आरक्षण और आवंटन) नियमावली 1994 के नियम-4 के उपनियम (4) तथा उपनियम (6), नियम-5 के उपनियम (2), उपनियम (4), उपनियम (5), उपनियम (6), उपनियम (7) तथा उपनियम (8) में संशोधन करने, उपनियम (9) को उपनियम (10) के रूप में क्रमांकित करने और एक नया उपनियम, उपनियम (9) के रूप में जोड़ने हेतु उत्तर प्रदेश क्षेत्र पंचायत तथा जिला पंचायत (स्थानों और पदों का आरक्षण और आवंटन) (आठवां संशोधन) नियमावली-2010 के आलेख को भी अनुमोदित कर दिया है।

उल्लेखनीय है कि पंचायतों के निर्वाचन हेतु वर्ष 2005 में अपनायी गई आरक्षण व चक्रानुक्रम की व्यवस्था में विसंगतियां थीं। इसके तहत ऐसी क्षेत्र पंचायत, जिनमें अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति तथा पिछड़े वर्ग की जनसंख्या 50 प्रतिशत से अधिक है, उनमें प्रमुख के पद को उसी जाति/वर्ग के लिए आरक्षित किया जायेगा और चक्रानुक्रम उसी जाति/वर्ग के पुरूष तथ स्त्री के मध्य करने की व्यवस्था की गई थी।

इस व्यवस्था से प्राय: ऐसी सभी क्षेत्र पंचायतें, जिनमें अनुसूचित जाति की जनसंख्या 50 प्रतिशत से अधिक थी, सदा के लिए अनुसूचित जाति के लिए तथा वह क्षेत्र पंचायतें जिनमें पिछड़े वर्ग की जनसंख्या 50 प्रतिशत से अधिक थी, सदा के लिए पिछड़े वर्ग के लिए आरक्षित हो गईं एवं अनारक्षित क्षेत्र पंचायतें भी सदा के लिए अनारक्षित की स्थिति में आ गईं, जिसके फलस्वरूप यह व्यवस्था आगामी निर्वाचन में अपनाने पर संविधान की भावना के अनुरूप क्षेत्र पंचायत के प्रमुख के पदों में चक्रानुक्रम से आरक्षण करना सम्भव नहीं है।

वर्ष 2005 में अपनायी गई व्यवस्था के अनुसार ऐसी जिला पंचायत जिनमें अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति तथा पिछड़े वर्ग की जनसंख्या 50 प्रतिशत से अधिक है, उनमें अध्यक्ष के पद को उसी जाति/वर्ग के लिए आरक्षित किया जायेगा चक्रानुक्रम उसी जाति/वर्ग के पुरूष तथा स्त्री के मध्य होगा।

इस व्यवस्था से प्राय: ऐसी सभी जिला पंचायतों, जिनमें पिछड़े वर्ग की जनसंख्या 50 प्रतिशत से अधिक थी, सदा के लिए पिछड़े वर्ग के लिए आरक्षित हो गईं, जिसके फलस्वरूप इस व्यवस्था को आगामी निर्वाचन में अपनाने पर संविधान की भावना के अनुरूप जिला पंचायत के अध्यक्ष के पदों में चक्रानुक्रम आरक्षण करना सम्भव नहीं होगा।

सम्प्रति नियमावली में चक्र चलाने हेतु मात्र पूर्ववर्ती निर्वाचन में किये गये आरक्षण को ही संज्ञान में लेने की व्यवस्था है, किन्तु संविधान में निहित भावना के अनुसार आरक्षण हेतु चलाये जाने वाले चक्र को इस प्रकार चलाया जाना है कि जहां तक सम्भव हो पूर्ववर्ती निर्वाचनों में आरक्षित पद/स्थान आगामी निर्वाचन में पुन: उसी जाति/वर्ग के लिए आरक्षित न हो।

जिला पंचायत के अध्यक्ष पदों में अनुसूचित जनजाति के लिए अवधारित पदों को आवंटित करने की प्रक्रिया का प्रावधान नियमावली में नहीं है। जिला पंचायत के अध्यक्ष पदों को स्त्रियों के लिए आरक्षित किये जाने हेतु सामान्य जनसंख्या के आधार पर तैयार किये जाने वाले अवरोही क्रम में जनसंख्या के आकलन हेतु जिला पंचायत की कुल जनसंख्या में से आरक्षित वर्गो की जनसंख्या को निकाला जाता है, किन्तु नियमावली में अनुसूचित जनजाति की जनसंख्या को निकालने के प्राविधान का उल्लेख नहीं है।

इसी प्रकार अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति और पिछड़े वर्ग की स्त्रियों के लिए आरक्षित किये जाने वाले एक तिहाई से अन्यून पदों से सम्बन्धित नियम-5 के उपनियम (6) के स्थान पर सम्प्रति नियमावली में त्रुटिवश उपनियम (5) अंकित है। जिला पंचायत के अध्यक्ष पदों के आवंटन हेतु नियमावली में दी गई क्रमावली में अनुसूचित जनजाति की स्त्रियों तथा अनुसूचित जनजाति का उल्लेख नहीं है तथा प्रमुख के पदों के आवंटन हेतु नियमावली में क्रमावली नहीं है।

इन उपरोक्त विसंगतियों को समाप्त करने हेतु आगामी सामान्य निर्वाचनों में आरक्षण व चक्रानुक्रम के लिए वर्ष 1995 की व्यवस्था को अपनाये जाने के प्रस्ताव को मन्त्रिपरिषद् ने अनुमोदित कर दिया है। इसके तहत अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति तथा पिछड़ा वर्ग के लिए क्षेत्र पंचायत और जिला पंचायत के क्रमश: प्रमुख पदों और अध्यक्ष पदों को सम्बन्धित पंचायत क्षेत्र में उनके प्रतिशत जनसंख्या के अवरोही क्रम में इस प्रकार से आरक्षित किया जायेगा कि जहां तक हो सके वह उसी श्रेणी के लिए पुन: आरक्षित न हो, जिसके लिए वह पूर्व के चुनावों में आरक्षित थे।

इसी प्रकार क्षेत्र पंचायत और जिला पंचायतों के स्थानों (वार्ड) के आरक्षण में चक्रानुक्रम (रोटेशन) करने के लिए पूर्ववर्ती निर्वाचनों में किये गये आरक्षणों को भी संज्ञान में लिया जाने की व्यवस्था की गई है। जिला पंचायत के अध्यक्ष पदों में अनुसूचित जनजाति के लिए अवधारित पदों के आवंटन की प्रक्रिया का प्राविधान किया जायेगा। स्त्रियों के लिए जिला पंचायत के अध्यक्ष पद आरक्षित करने हेतु सामान्य जनसंख्या के आकलन में जिला पंचायत की कुल जनसंख्या से में सम्प्रति प्राविधानित अनुसूचित जाति तथा पिछड़ा वर्ग की जनसंख्या के साथ-साथ अनुसूचित जनजाति की जनसंख्या को भी घटाया जाने का प्राविधान किया गया है।

जिला पंचायत के अध्यक्ष पदों के आवंटन हेतु क्रमावली में सर्वप्रथम अनुसूचित जनजाति की स्त्रियों और उसके पश्चात् अनुसूचित जनजातियों का उल्लेख किया जाये। जिला पंचायत के अध्यक्ष पदों के आवंटन की क्रमावली के अनुरूप ही प्रमुख के पदों के आवंटन में भी यथावश्यक संशोधन के साथ लागू किया जायेगा।

ग्राम पंचायत प्रधान के पदों में चक्रानुक्रम से आरक्षण के लिए की गई व्यवस्था के अनुरूप क्षेत्र पंचायतों और जिला पंचायतों के आगामी निर्वाचनों में उत्तर प्रदेश क्षेत्र पंचायत तथा जिला पंचायत (स्थानों और पदों का आरक्षण और आवंटन) नियमावली-1994 में क्षेत्र पंचायतों के प्रमुख के पद व स्थानों तथा जिला पंचायतों के अध्यक्ष के पदों व स्थानों के आरक्षण व चक्रानुक्रम के सम्बन्ध में वर्ष 2005 में अपनायी गई व्यवस्था से पूर्व वर्ष 1995 तथा 2000 में अपनायी गई व्यवस्था और जनपदवार प्रमुख के पदों के वितरण सम्बन्धी वर्ष 2000 की व्यवस्था को अपनाने के लिए नियमावली में तदनुसार आवश्यक संशोधन किया गया है।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
upnewslive.com

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सियासी जंग का अखाडा बना अमेठी

Posted on 01 July 2010 by admin

लखनऊ - उत्तर प्रदेश की राजनीति में शह-मात का खेल में आगे आये राहुल गांधी को उन्ही के क्षेत्र में उल्झाने की चतुरचाल चलके प्रदेश की मुख्यमन्त्री मायावती ने अमेठी को छत्रपति शाहू जी नगर के नाम से जिले का गठन करके कांग्रेस के सामने यक्ष प्रश्न खड़ा कर दिय है। बीते दिनों अनुसूचितजाति और जनजाति के लोगों के परिवारों में रात बिताकर वाह-वाही बटोर चुके राहुल गांधी ने बसपा के आधार वोट बैंक में सेंध लगाने के लिये अम्बेडकर नगर से रथ यात्रा के द्वारा उत्तर प्रदेश को मथने की जो शुरूआत की थी उसकी काट के लिये माया सरकार ने बड़े करीने के साथ ऐसा तीर चला है। जिसके विरोध में खड़ा होना कांग्रेस के लिये कठिन हो सकता है। 2012 में होने वाले विधानसभा चुनाव की जंग को जीतने के लिये पूरी ताकत के साथ जुटी कांग्रेस को रोकने के लिये तथा अपने आधार वोट बैंक को स्थिर करने की कवायद के तहत ही पिछले दिनों पार्टी के ब्राहम्ण चेहरे सतीश चन्द्र मिश्रा को फिरसे सर्वण जातियों को जोड़ने की जुम्मेदारी सौपी गई है। कांग्रेस भी उत्तर प्रदेश में किसी भी स्तर पर मुकाबला करने के लिये तैयार है। उनकी मंशा है कि मनरेगा की तरह फूड गारंटी योजना को लागू करके एक बार फिर चुनावी युद्ध जीत लिया जायेगा। सपा और भाजपा हसिये पर चले जाने के कारण आमने सामने की लड़ाई को देखकर उत्तर प्रदेश में समय पूर्व चुनाव भी हो जाये तो काई आश्चर्य नही है।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
upnewslive.com

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