Archive | July 1st, 2010

सुजए की मासिक बैठक सम्पन्न

Posted on 01 July 2010 by admin

सुलतानपुर - प्रेस क्लब में सुलतानपुर जर्नलिस्ट एशोसिएन की मासिक बैठक कल सम्पन्न हुइ। बैठक के दौरान सदस्यों को परिचय पत्र वितरित किया गया तथा उपाध्यक्ष अम्बरीश मिश्र के अनुरोध पर सुजए के सदस्यों का सामूहिक बीमा योजना का प्रस्ताव जारी किया गया जिसे बैठक में उपस्थित सभी सदस्यों ने करतल ध्वनि से समर्थन किया। वहीं संगठन के महामन्त्री राकेश शर्मा के द्वारा जिलाधिकारी को संगठन की तरफ स्मृत चिन्ह प्रदान करनें का प्रस्ताव पारित किया एवं कोशाध्यक्ष जीतेन्द्र श्रीवास्तव के द्वारा आय-व्यय का व्योरा सामूहिक रूप से सदस्यों को दी गई।

अध्यक्ष द्वारा बताया गया कि प्रत्येक माह की आखिरी तिथि को बैठक  का आयोजन किया जाता है। जिसमें सभी सदस्यों की उपस्तिथि अनिवार्य है। संगठन की बैठक में सुनील कुमार, मुकेश शुक्ल अनिल गुप्ता, प्रवीण मिश्रा, चन्द्र कान्त पाण्डेय, इन्द्रमणि उपाध्याय, परविन्द शर्मा, केशरी सिंह, हसनैन, राजेन्द्र यादव, आदि सदस्य मौजूद रहे।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
upnewslive.com

Comments (0)

जीवन-यापन के लिए शराब का धंधा बना मजबूरी

Posted on 01 July 2010 by admin

सुलतानपुर - इधर  गोमती नदी के तराई क्षेत्रों में कच्ची देशी शराब बनाने के धंधें काफी फैलने फूलने का समाचार प्रकाशित हो रहा है। जिस पर पुलिस प्रशासन व आबकारी विभाग रोक नहीं लगा वा रहा है। इसमें स्थानीय पुलिस व प्रभावशाली लोगों की मिली भगत होती है। जिसका समय आने पर लोग उपयोग करते हैं। यही कारण है कि सामाजिक संगठन चाहे जितना शराब सहित अन्य दुर्गणों को त्यागने तथा भलमानस की जीवन जीने का प्रयास करें इन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। शराब बनाने के समाचार का इशारा वैसे मल्लाहों की ओर ज्यादा होता  ळे, जब कि इधर अन्य क्षेत्रों में भी अर्थोपार्जन की द्रष्टि से लम्बा कारों बार चलता है।

अभी तक गोमती वासी मल्लाह शराब बनाने व पीने के नाम पर कुछ ज्यादा कुख्यात हैं, इसमें कुछ वास्तविकता भी है। यह अवैध धंधा पुराना है। इससे समाज काफी बदनाम है, जबकि शराब बनाना व पीना समाज व स्वास्थ्य के लिए काफी हानिकारक है पर ऐसे लोगो की कोई सकारात्मक सोच नही हैं आए दिन शराब पी कर मार-पीट करने का प्रकरण थाने तक आता रहता है। इस धंधें तथा पेय पर अंकुश लगना चाहिए। इसका एक पहलू यह है कि ऐसा उ0 प्र0 कश्यप निशाद सभा के प्रान्तीय बध्यक्ष खेमई खुमई प्रसाद निशाद का कहना है। श्री निशाद ने शराब बनाने व पीने के देसरे पहलू पर भी विचार करते हुए कहा कि यह अवैध धंधा काफी पुराना है, घंधा अपरािधेक है, पकड़े जाने पर मार खानी पड़ेगी और जेल भी जाना होगा यह जानते हुए भी तराई के लोग क्यों करते ? इसकी तह में जाने का प्रयास न प्रशासन ने किया और न अखबार वाले। क्या मजबूरी ह र्षोर्षो इसके सोचने समझने का का का कोई प्रयास नहीं हुआ। देखा यही जा रहा है, जो भी इस धंधे में लिप्त हैं उनके पास न तो कृशि योग्य भूमि है न और कोई धंधा है। कुछ ऐसे लोग भी इस धंधें को करते हैं, जो शारीरिक रूप अक्षम है। अपने परिवार का भरण - पोशण करना है। इस लिए शराब बनाते हैं ।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
upnewslive.com

Comments (0)

four persons arrested

Posted on 01 July 2010 by admin

Lucknow –U P police arrested four persons alleged involved sub divisional magistrate barabanki ratibhan varma driver’s murder case at chinhat police station in lucknow on thursday.

01lkoph17

Comments (0)

जनपद छत्रपति शाहू जी महराज नगर को माया सरकार ने किया बहाल

Posted on 01 July 2010 by admin

विभाजन के दंश में झुलसा सुलतानपुर व रायबरेली

जिले की बहाली को लेकर अमेठीवासी उत्साहित

सुलतानपुर - संसदीय क्षेत्र अमेठी जनपद सुलतानपुर और जनपद रायबरेली का अंग रहा जिसमें सुलतानपुर की तीन तहसीलें अमेठी, गौरीगंज व मुसाफिरखाना और दस विकास खण्ड शामिल रहे। वहीं जनपद रायबरेली की दो तहसीलें सलोन, तिलोई और छ: विकास क्षण्ड शामिल रहे। इस प्रकार छत्रपति शाहू जी महराज नगर नव सृजित जनपद में कुल 05 तहसीलें और 16 विकास खण्ड शामिल हैं। जिसे आज प्रदेश सरकार की कैविनेट की बैठक में बहाल कर दिया गया। सूचना मिली है कि नये जिले के जिलाधिकारी के रूप् में जे0 पी0 गुप्ता देर शाम तक कार्यभार ग्रहण करने आ रहे हैं। उधर जिला मुख्यालय गौरीगंज बनाये जाने को लेकर कुछ क्षेत्रों में अफरा- तफरी का भी माहौल है। उल्लेखनीय है कि 2003 में 21 मई को तत्कालीन मुख्यमन्त्री मायावती ने छत्रपति शाहू जी महराज नगर नाम अमेठी को नया जनपद बनाया था। उस समय एम0 पी अग्रवाल डी0 एम0 व पियूश आनन्द नये जिले के एस0 पी0 हुए। जिले में समस्त विभाग खोले गये। किन्तु सूबे में सत्ता परिवर्तन हुआ और सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव सुबे के मुख्यमन्त्री बने। उन्होने अमेठी नाम से जिला न होने के कारण सोनिया गॉधी के सम्मान में इस जिले का गला घोट दिया। जनता सड़क पर उतर आई, तमाम विरोध प्रदर्शन हुए और अदालत में वाद दायर हुआ। जिसकी सुनवाई के सापेक्ष मायावती सरकार को तीन माह के भीतर जिला बनाकर जवाब दाखिल करने को कहा था। तद्नुसार मायावती सरकार ने अपनी कैविनेट बैठक मे जिले को बहाल कर जवाब कोर्ट में दाखिल कर दिया। जिला बहाली उनका अमेठी की जनता से वादा था, जिसे उन्होने आज पूरा कर खूब वाहवाही बटोरी है। जिला बचाओ संघर्ष समिति ने आज खुिशया जताई। इस जिले का अभ्युदय गॉधी- नेहरू परिवार और मायावती के वाक् युद्ध का नतीजा था, जो आज पुन: अमल में आ गया। इधर भादर आदि क्षेत्र के लोग मुख्यालय को लेकर सुलतानपुर और रायबरेली वासी भी मायूस हैं। जो क्राम क्षेत्र हाथ से निकल जाने के दु:ख से उबर नहीं पा रहे हैं। बहर हाल अमेठी वासी काफी उत्साहित होकर सूबे की सरकार को बधाई दे रहे हैं।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
upnewslive.com

Comments (0)

मन्त्रि-परिषद की बैठक में लिये गये महत्वपूर्ण निर्णय

Posted on 01 July 2010 by admin

लखनऊ -  उत्तर प्रदेश की मुख्यमन्त्री सुश्री मायावती की अध्यक्षता में आज यहां सम्पन्न मन्त्रि-परिषद की बैठक में निम्न प्रकार महत्वपूर्ण निर्णय लिये गये हैं।

बाह्य सहायतित परियोजनाओं के प्रभावी कार्यान्वयन हेतु मुख्य सचिव की अध्यक्षता में इम्पावर्ड कार्यकारी समिति का गठन

मन्त्रिपरिषद ने बाह्य सहायतित परियोजनाओं के समय से प्रभावी कार्यान्वयन सुनिश्चित करने के लिए इम्पावर्ड कार्यकारी समिति के गठन सम्बन्धी प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान कर दी है।

मन्त्रिपरिषद द्वारा लिये गये निर्णय के अनुसार प्रदेश में चल रही बाह्य सहायतित परियोजनाओं के समय से सफल कार्यान्वयन के लिए विभिन्न प्रकार की स्वीकृतियों में होने वाले विलम्ब को समाप्त करने के लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय “इम्पावर्ड कार्यकारी समिति´´ गठित होगी। इस समिति में अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास आयुक्त, प्रमुख सचिव वित्त, नियोजन न्याय, कार्मिक, परियोजना के प्रशासकीय विभाग के प्रमुख सचिव/सचिव, सदस्य होंगे। समिति में प्रमुख सचिव/सचिव बाह्य सहायतित परियोजना सदस्य सचिव तथा परियोजना के निदेशक सदस्य सह सचिव होंगे।

ज्ञातव्य है कि वर्तमान में प्रदेश में विश्व बैंक तथा जायका (जापान इण्टरनेशनल कोऑपरेशन एजेंसी) आदि संस्थाओं की वित्तीय सहायता से उत्तर प्रदेश वाटर सेक्टर रिस्ट्रक्चरिंग परियोजना-।, उ0प्र0 स्टेट रोड परियोजना-।।, उ0प्र0 सोडिक लैण्ड रिक्लेमेशन परियोजना-।।।, उ0प्र0 सहभागी वन प्रबन्ध एवं निर्धनता उन्मूलन परियोजना एवं आगरा जल सम्पूर्ति (गंगाजल) परियोजना चलाई जा रही हैं। इनके अलावा प्रदेश में बाह्य संस्था द्वारा वित्त पोषण हेतु उत्तर प्रदेश वाटर सेक्टर रिस्ट्रक्चरिंग परियोजना-।।, उ0प्र0 स्टेट रोड परियोजना-।।, उ0प्र0 हेल्थ डेवलपमेन्ट सिस्टम परियोजना-।। तथा बौद्ध परिपथ-।। परियोजना प्रस्तावित है।

वृहत्तर नोएडा औद्योगिक विकास प्राधिकरण सेवा विनियमावली में संशोधन का प्रस्ताव मंजूर

मन्त्रिपरिषद ने वृहत्तर नोएडा औद्योगिक विकास प्राधिकरण सेवा विनियमावली 1993 के नियम - 19(1) में संशोधन करने की स्वीकृति प्रदान कर दी है।

मन्त्रिपरिषद द्वारा लिये गये निर्णय के अनुसार अब सेवा में किसी पद पर मौलिक रिक्ति में या उसके प्रतिनियुक्ति किये जाने पर प्रत्येक व्यक्ति को एक वर्ष की अवधि के लिए परिवीक्षा पर रखा जाएगा।

ज्ञातव्य है कि अभी तक सेवा में किसी पद पर मौलिक रिक्ति में या उसके प्रतिनियुक्ति किये जाने पर प्रत्येक व्यक्ति को दो वर्ष की अवधि के लिए परिवीक्षा पर रखे जाने का नियम है।

उ0 प्र0 वृक्ष संरक्षण अधिनियम 1976 के धारा 5(4) के तहत अनुज्ञा शुल्क आरोपित करने व धारा 15(1) के तहत अपराधों के प्रशमन हेतु निर्धारित अधिकतम धनराशि को बढ़ाने सम्बन्धी प्रस्ताव मंजूर

मन्त्रिपरिषद ने उ0 प्र0 वृक्ष संरक्षण अधिनियम 1976 के धारा 5(4) में उल्लिखित प्राविधान के अन्तर्गत अनुज्ञा शुल्क आरोपित किये जाने तथा धारा 15(1) में उल्लिखित प्राविधान के अन्तर्गत अपराधों के प्रशमन हेतु निर्धारित अधिकतम धनराशि को बढ़ाये जाने सम्बन्धी प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान कर दी है।

मन्त्रिपरिषद द्वारा लिये गये निर्णय के अनुसार उ0 प्र0 वृक्ष संरक्षण अधिनियम 1976 की धारा 5(4) के तहत दी जाने वाली प्रत्येक अनुज्ञा इस शर्त के साथ प्रदान की जाएगी कि अनुज्ञा प्राप्त करने वाले व्यक्ति/संस्था/आवेदक द्वारा पातन अनुज्ञा शुल्क प्रति वृक्ष 100 रूपये जमा की जाएगी।

ज्ञातव्य है कि उ0प्र0 वृक्ष संरक्षण अधिनियम के अन्तर्गत वृक्षों के पातन अनुज्ञा जारी करने के समय कोई भी अनुज्ञा शुल्क लेने का प्राविधान नहीं था।

इसके अलावा मन्त्रिपरिषद ने उ0 प्र0 वृक्ष संरक्षण अधिनियम 1976 की धारा 15(1) में उल्लिखित प्राविधान के अन्तर्गत अपराधों के प्रशमन हेतु निर्धारित अधिकतम धनराशि को बढ़ाने का भी फैसला किया है। निर्णय के अनुसार राज्य सरकार अधिसूचना के माध्यम से किसी अधिकारी को, किसी ऐसे व्यक्ति से, जिसके विरूद्ध यह विश्वास करने का कारण है कि उसमें किसी वन, बाग या सार्वजनिक भू-ग्रहादि में स्थित वृक्ष से भिन्न किसी वृक्ष के सम्बन्ध में उ0 प्र0 वृक्ष संरक्षण अधिनियम 1976 की धारा 15(1) के अधीन अपराध किया है। इसके लिए पूर्व में निर्धारित प्रशमन शुल्क की धनराशि को पॉच हजार रूपये से  बढ़ाकर दस हजार रूपये कर दिया है।

यह भी उल्लेखनीय है कि वर्ष 1976 से वर्तमान तक प्रशमन की धनराशि में कोई परिवर्तन नहीं हुआ है। विभिन्न प्रकाष्ठ की मूल्य में वर्ष 1976 से अप्रत्याशित वृद्धि होने से अवैध कटान में लिप्त अपराधी प्रशमन की अधिकतम् धनराशि पांच हजार रूपये होने से अपराध की पुनरावृत्ति हेतु हतोत्साहित नहीं होते हैं। अतएव यह आवश्यक हो गया है कि गैर वन भूमि पर स्थित वृक्षों के कटान को इस प्रकार नियन्त्रित किया जाये कि वे सक्षम स्तर से अनुमति लेकर ही वृक्षों का पातन करें, ताकि बिना अनुमति के वृक्ष काटने की प्रक्रिया को प्रश्रय न मिले। इससे एक ओर वृक्षावरण को बढ़ाने में सहायता मिलेगी तथा वृक्ष स्वामियों द्वारा आवश्यकतानुसार ही पातन किया जा सकेगा।

मन्त्रिपरिषद द्वारा माल वाहनों के नेशनल परमिट हेतु कर सम्बन्धी अधिसूचना में संशोधन का प्रस्ताव अनुमोदित

मन्त्रिपरिषद ने माल वाहनों के नेशनल परमिट से सम्बन्धित नई कम्पोजिट फीस योजना के कार्यान्वयन हेतु पूर्व में जारी अधिसूचना दिनांक 28 अक्टूबर, 2009 में संशोधन करने सम्बन्धी प्रस्ताव को अनुमोदित कर दिया है।

मन्त्रिपरिषद द्वारा लिये गये निर्णय के अनुसार अब नेशनल परमिट से आच्छादित माल वाहनों से अन्य राज्यों के लिए कर का संग्रह राज्य स्तर पर नहीं किया जाएगा, बल्कि इस प्रकार के वाहनों के लिए पन्द्रह हजार रूपये प्रति वर्ष कम्पोजिट (एक मुश्त) कर का संग्रह करके भारत सरकार को भेजा जाएगा, जहॉं से वह एक निश्चित फार्मूले के आधार पर राज्यों को बटेगा। अखिल भारतीय स्तर पर इस प्रकार संग्रहीत हुए कर में से 10.497 प्रतिशत उत्तर प्रदेश राज्य को प्राप्त होगा।

ज्ञातव्य है कि वर्ष 2007-08 में उत्तर प्रदेश राज्य को राष्ट्रीय परमिट फीस मद में कुल 98.35 करोड़ रूपये़, वर्ष 2008-09 में 104.36 करोड़ रूपये एवं वर्ष 2009-10 में कुल 115.70 करोड़ रूपये की प्राप्ति हुई है। जबकि इन्हीं वर्षो में अखिल भारतीय स्तर पर क्रमश: 974.57 रूपये, 1056.58 रूपये एवं 1186.56 करोड़ रूपये की प्राप्ति हुई है। उक्त फार्मूले के अनुसार राष्ट्रीय परमिट पर समेकित शुल्क में से 10.497 प्रतिशत उत्तर प्रदेश को प्राप्त होगा।

मन्त्रिपरिषद ने उ0प्र0 अनुसूचित वस्तु वितरण आदेश 2004 में संशोधन सम्बंधी प्रस्ताव को मंजूरी दी

मन्त्रिपरिषद द्वारा उत्तर प्रदेश अनुसूचित वस्तु वितरण आदेश 2004 की धारा 28(1) में संशोधन सम्बंधी प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान कर दी गई।

ज्ञातव्य है कि प्रदेश में खाद्यानों एवं अन्य आवश्यक वस्तुओं का सम्भरण बनाये रखने, उनका समान वितरण एवं उचित मूल्य पर उपलब्धता सुनिश्चित करने के उद्देश्य से राज्य सरकार ने उत्तर प्रदेश अनुसूचित वस्तु वितरण आदेश 2004 निर्गत किया गया है। यह आदेश केन्द्र सरकार के सार्वजनिक वितरण प्रणाली (नियन्त्रण) आदेश 2001 के परिपे्रक्ष्य में जारी किया गया है।

अनुसूचित वस्तु वितरण आदेश की धारा 28(1) में यह प्राविधानित है कि उचित दर दुकानों से सम्बन्धित सभी अपीलें मण्डलायुक्त को की जायेंगी जो उनकी सुनवाई या निपटारा करेगा अथवा वह अपनी शक्ति को आदेश द्वारा सहायक खाद्य आयुक्त को प्रत्योजित कर सकता है। मण्डलायुक्त के पास कार्य की अधिकता के कारण प्राय: उनके लिये यह सम्भव नहीं होता कि वे स्वयं इन अपीलों की सुनवाई/निपटारा कर सके। ज्ञातव्य है कि मण्डलायुक्त कार्यालय में प्रशासनिक सेवा के अपर आयुक्त भी तैनात होते हैं जिन्हें विभिन्न प्रकार के न्यायिक कार्यो का पूर्व अनुभव भी होता है। इसे दृष्टिगत रखते हुए धारा 28(1) में यह संशोधन किये जाने का निर्णय लिया गया कि मण्डलायुक्त अपीलों की सुनवाई/निपटारा करने की अपनी शक्ति को उपायुक्त खाद्य (सहायक खाद्य आयुक्त का परिवर्तित पदनाम) के साथ-साथ अपर आयुक्त को भी प्रत्योजित कर सकता है।

क्षेत्र पंचायतों के प्रमुख पदों एवं स्थानों (वार्ड) तथा जिला पंचायतों के अध्यक्ष पदों एवं स्थानों (वार्ड) के आरक्षण एवं आवंटन नियमावली में संशोधन

उत्तर प्रदेश सरकार ने प्रदेश में क्षेत्र पंचायतों के प्रमुख पदों एवं स्थानों (वार्ड)    तथा जिला पंचायतों के अध्यक्ष पदों एवं स्थानों (वार्ड) के आरक्षण एवं आवंटन नियमावली में संशोधन कर दिया है। इस आशय के प्रस्ताव को उत्तर प्रदेश की मुख्यमन्त्री सुश्री मायावती की अध्यक्षता में आज यहां सम्पन्न हुई मन्त्रिपरिषद की बैठक में मंजूरी प्रदान कर दी गई।

मन्त्रिपरिषद् ने पंचायतों के आगामी सामान्य निर्वाचन के लिए आरक्षण व चक्रानुक्रम की व्यवस्था अपनाए जाने सम्बन्धी प्रस्ताव एवं तदनुसार उत्तर प्रदेश क्षेत्र पंचायत तथा जिला पंचायत (स्थानों और पदों का आरक्षण और आवंटन) नियमावली 1994 के नियम-4 के उपनियम (4) तथा उपनियम (6), नियम-5 के उपनियम (2), उपनियम (4), उपनियम (5), उपनियम (6), उपनियम (7) तथा उपनियम (8) में संशोधन करने, उपनियम (9) को उपनियम (10) के रूप में क्रमांकित करने और एक नया उपनियम, उपनियम (9) के रूप में जोड़ने हेतु उत्तर प्रदेश क्षेत्र पंचायत तथा जिला पंचायत (स्थानों और पदों का आरक्षण और आवंटन) (आठवां संशोधन) नियमावली-2010 के आलेख को भी अनुमोदित कर दिया है।

उल्लेखनीय है कि पंचायतों के निर्वाचन हेतु वर्ष 2005 में अपनायी गई आरक्षण व चक्रानुक्रम की व्यवस्था में विसंगतियां थीं। इसके तहत ऐसी क्षेत्र पंचायत, जिनमें अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति तथा पिछड़े वर्ग की जनसंख्या 50 प्रतिशत से अधिक है, उनमें प्रमुख के पद को उसी जाति/वर्ग के लिए आरक्षित किया जायेगा और चक्रानुक्रम उसी जाति/वर्ग के पुरूष तथ स्त्री के मध्य करने की व्यवस्था की गई थी।

इस व्यवस्था से प्राय: ऐसी सभी क्षेत्र पंचायतें, जिनमें अनुसूचित जाति की जनसंख्या 50 प्रतिशत से अधिक थी, सदा के लिए अनुसूचित जाति के लिए तथा वह क्षेत्र पंचायतें जिनमें पिछड़े वर्ग की जनसंख्या 50 प्रतिशत से अधिक थी, सदा के लिए पिछड़े वर्ग के लिए आरक्षित हो गईं एवं अनारक्षित क्षेत्र पंचायतें भी सदा के लिए अनारक्षित की स्थिति में आ गईं, जिसके फलस्वरूप यह व्यवस्था आगामी निर्वाचन में अपनाने पर संविधान की भावना के अनुरूप क्षेत्र पंचायत के प्रमुख के पदों में चक्रानुक्रम से आरक्षण करना सम्भव नहीं है।

वर्ष 2005 में अपनायी गई व्यवस्था के अनुसार ऐसी जिला पंचायत जिनमें अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति तथा पिछड़े वर्ग की जनसंख्या 50 प्रतिशत से अधिक है, उनमें अध्यक्ष के पद को उसी जाति/वर्ग के लिए आरक्षित किया जायेगा चक्रानुक्रम उसी जाति/वर्ग के पुरूष तथा स्त्री के मध्य होगा।

इस व्यवस्था से प्राय: ऐसी सभी जिला पंचायतों, जिनमें पिछड़े वर्ग की जनसंख्या 50 प्रतिशत से अधिक थी, सदा के लिए पिछड़े वर्ग के लिए आरक्षित हो गईं, जिसके फलस्वरूप इस व्यवस्था को आगामी निर्वाचन में अपनाने पर संविधान की भावना के अनुरूप जिला पंचायत के अध्यक्ष के पदों में चक्रानुक्रम आरक्षण करना सम्भव नहीं होगा।

सम्प्रति नियमावली में चक्र चलाने हेतु मात्र पूर्ववर्ती निर्वाचन में किये गये आरक्षण को ही संज्ञान में लेने की व्यवस्था है, किन्तु संविधान में निहित भावना के अनुसार आरक्षण हेतु चलाये जाने वाले चक्र को इस प्रकार चलाया जाना है कि जहां तक सम्भव हो पूर्ववर्ती निर्वाचनों में आरक्षित पद/स्थान आगामी निर्वाचन में पुन: उसी जाति/वर्ग के लिए आरक्षित न हो।

जिला पंचायत के अध्यक्ष पदों में अनुसूचित जनजाति के लिए अवधारित पदों को आवंटित करने की प्रक्रिया का प्रावधान नियमावली में नहीं है। जिला पंचायत के अध्यक्ष पदों को स्त्रियों के लिए आरक्षित किये जाने हेतु सामान्य जनसंख्या के आधार पर तैयार किये जाने वाले अवरोही क्रम में जनसंख्या के आकलन हेतु जिला पंचायत की कुल जनसंख्या में से आरक्षित वर्गो की जनसंख्या को निकाला जाता है, किन्तु नियमावली में अनुसूचित जनजाति की जनसंख्या को निकालने के प्राविधान का उल्लेख नहीं है।

इसी प्रकार अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति और पिछड़े वर्ग की स्त्रियों के लिए आरक्षित किये जाने वाले एक तिहाई से अन्यून पदों से सम्बन्धित नियम-5 के उपनियम (6) के स्थान पर सम्प्रति नियमावली में त्रुटिवश उपनियम (5) अंकित है। जिला पंचायत के अध्यक्ष पदों के आवंटन हेतु नियमावली में दी गई क्रमावली में अनुसूचित जनजाति की स्त्रियों तथा अनुसूचित जनजाति का उल्लेख नहीं है तथा प्रमुख के पदों के आवंटन हेतु नियमावली में क्रमावली नहीं है।

इन उपरोक्त विसंगतियों को समाप्त करने हेतु आगामी सामान्य निर्वाचनों में आरक्षण व चक्रानुक्रम के लिए वर्ष 1995 की व्यवस्था को अपनाये जाने के प्रस्ताव को मन्त्रिपरिषद् ने अनुमोदित कर दिया है। इसके तहत अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति तथा पिछड़ा वर्ग के लिए क्षेत्र पंचायत और जिला पंचायत के क्रमश: प्रमुख पदों और अध्यक्ष पदों को सम्बन्धित पंचायत क्षेत्र में उनके प्रतिशत जनसंख्या के अवरोही क्रम में इस प्रकार से आरक्षित किया जायेगा कि जहां तक हो सके वह उसी श्रेणी के लिए पुन: आरक्षित न हो, जिसके लिए वह पूर्व के चुनावों में आरक्षित थे।

इसी प्रकार क्षेत्र पंचायत और जिला पंचायतों के स्थानों (वार्ड) के आरक्षण में चक्रानुक्रम (रोटेशन) करने के लिए पूर्ववर्ती निर्वाचनों में किये गये आरक्षणों को भी संज्ञान में लिया जाने की व्यवस्था की गई है। जिला पंचायत के अध्यक्ष पदों में अनुसूचित जनजाति के लिए अवधारित पदों के आवंटन की प्रक्रिया का प्राविधान किया जायेगा। स्त्रियों के लिए जिला पंचायत के अध्यक्ष पद आरक्षित करने हेतु सामान्य जनसंख्या के आकलन में जिला पंचायत की कुल जनसंख्या से में सम्प्रति प्राविधानित अनुसूचित जाति तथा पिछड़ा वर्ग की जनसंख्या के साथ-साथ अनुसूचित जनजाति की जनसंख्या को भी घटाया जाने का प्राविधान किया गया है।

जिला पंचायत के अध्यक्ष पदों के आवंटन हेतु क्रमावली में सर्वप्रथम अनुसूचित जनजाति की स्त्रियों और उसके पश्चात् अनुसूचित जनजातियों का उल्लेख किया जाये। जिला पंचायत के अध्यक्ष पदों के आवंटन की क्रमावली के अनुरूप ही प्रमुख के पदों के आवंटन में भी यथावश्यक संशोधन के साथ लागू किया जायेगा।

ग्राम पंचायत प्रधान के पदों में चक्रानुक्रम से आरक्षण के लिए की गई व्यवस्था के अनुरूप क्षेत्र पंचायतों और जिला पंचायतों के आगामी निर्वाचनों में उत्तर प्रदेश क्षेत्र पंचायत तथा जिला पंचायत (स्थानों और पदों का आरक्षण और आवंटन) नियमावली-1994 में क्षेत्र पंचायतों के प्रमुख के पद व स्थानों तथा जिला पंचायतों के अध्यक्ष के पदों व स्थानों के आरक्षण व चक्रानुक्रम के सम्बन्ध में वर्ष 2005 में अपनायी गई व्यवस्था से पूर्व वर्ष 1995 तथा 2000 में अपनायी गई व्यवस्था और जनपदवार प्रमुख के पदों के वितरण सम्बन्धी वर्ष 2000 की व्यवस्था को अपनाने के लिए नियमावली में तदनुसार आवश्यक संशोधन किया गया है।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
upnewslive.com

Comments (0)

सियासी जंग का अखाडा बना अमेठी

Posted on 01 July 2010 by admin

लखनऊ - उत्तर प्रदेश की राजनीति में शह-मात का खेल में आगे आये राहुल गांधी को उन्ही के क्षेत्र में उल्झाने की चतुरचाल चलके प्रदेश की मुख्यमन्त्री मायावती ने अमेठी को छत्रपति शाहू जी नगर के नाम से जिले का गठन करके कांग्रेस के सामने यक्ष प्रश्न खड़ा कर दिय है। बीते दिनों अनुसूचितजाति और जनजाति के लोगों के परिवारों में रात बिताकर वाह-वाही बटोर चुके राहुल गांधी ने बसपा के आधार वोट बैंक में सेंध लगाने के लिये अम्बेडकर नगर से रथ यात्रा के द्वारा उत्तर प्रदेश को मथने की जो शुरूआत की थी उसकी काट के लिये माया सरकार ने बड़े करीने के साथ ऐसा तीर चला है। जिसके विरोध में खड़ा होना कांग्रेस के लिये कठिन हो सकता है। 2012 में होने वाले विधानसभा चुनाव की जंग को जीतने के लिये पूरी ताकत के साथ जुटी कांग्रेस को रोकने के लिये तथा अपने आधार वोट बैंक को स्थिर करने की कवायद के तहत ही पिछले दिनों पार्टी के ब्राहम्ण चेहरे सतीश चन्द्र मिश्रा को फिरसे सर्वण जातियों को जोड़ने की जुम्मेदारी सौपी गई है। कांग्रेस भी उत्तर प्रदेश में किसी भी स्तर पर मुकाबला करने के लिये तैयार है। उनकी मंशा है कि मनरेगा की तरह फूड गारंटी योजना को लागू करके एक बार फिर चुनावी युद्ध जीत लिया जायेगा। सपा और भाजपा हसिये पर चले जाने के कारण आमने सामने की लड़ाई को देखकर उत्तर प्रदेश में समय पूर्व चुनाव भी हो जाये तो काई आश्चर्य नही है।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
upnewslive.com

Comments (0)

वृक्षारोपण हेतु जनमानस को जागरूक करें - फतेह बहादुर सिंह

Posted on 01 July 2010 by admin

वर्ष 2010 के लिए निर्धारित वृक्षारोपण लक्ष्य को समय से पूरा किया जाये

लखनऊ -  उत्तर प्रदेश के वन एवं जन्तु उद्यान मन्त्री श्री फतेह बहादुर सिंह ने आज वन महोत्सव के अवसर पर वृक्षारोपण कर, वन विभाग के अधिकारियों को निर्देशित किया कि इस वर्ष के लिये निर्धारित वृक्षारोपण के लक्ष्य को समय से पूरा किया जाये, साथ ही लगाये गये वृक्षों के रख-रखाव पर विशेष ध्यान रखा जाये। उन्होंने कहा कि जनमानस में व्यापक प्रचार-प्रसार, वृक्षारोपण को जन आन्दोलन बनाकर प्रदेश की हरीतिमा को बढ़ाया जायें।

वन मन्त्री ने यह निर्देश आज वन महोत्सव के अवसर पर, गुड़म्बा डिपो उ0प्र0 वन निगम, कुर्सी रोड़ लखनऊ में आयोजित समारोह में वृक्षारोपण  कार्यक्रम का शुभारम्भ करते हुए दिये। उन्होंने कहा कि हमारे गांवों में छायादार वृक्षों के रोपण की अत्यन्त आवश्यकता है। गांवों में तुकमी आम, महुआ, जामुन के बाग हुआ करते थे, जिसमें तीव्र ह्रास हुआ है। हमें छायादार एवं फलदार दोनों को लगाकर उसकी प्रतिपूर्ति करनी होगी।

श्री फतेह बहादुर सिंह ने कहा कि वृक्ष वायु मण्डल से हानिकारक गैस कार्वनडाई आक्साइड का अवशोषण कर प्राणदायिनी आक्सीजन का उत्सर्जन करते हैं। एक हेक्टेयर वन प्रति वर्ष औसतन 3 मैट्रिक टन अशुद्ध वायु ग्रहण कर एक मैट्रिक टन शुद्ध वायु उत्सर्जित करते हैं। राष्ट्रीय वन नीति 1988 एवं उत्तर प्रदेश राज्य वन नीति 1998 के अनुसार कुल भौगोलिक क्षेत्रफल का 33 प्रतिशत भाग वनाच्छादित होना चाहिए, किन्तु प्रदेश में 7.05 प्रतिशत भूभाग वनाच्छादित है।

वन मन्त्री ने इस अवसर पर गुडम्बा काष्ठ डिपो के निर्मित भवन का उद्घाटन कर कहा कि इस भवन में बैठकर डिपो के अधिकारी/कर्मचारी सुचारू रूप से कार्य निष्पादित करेंगे।

प्रमुख सचिव वन श्री चंचल कुमार तिवारी ने कहा कि आज वन महोत्सव के अवसर पर केवल वृक्षारोपण का शुभारम्भ ही नहीं किया जा रहा है, बल्कि उपस्थित लोगों को यह सन्देश दिया जा रहा है कि वे अपने चारों तरफ बढ़ते प्रदूषण को रोकें। यह तभी सम्भव होगा, जब वृक्षारोपण वृहद स्तर पर होगा। उन्होंने कहा कि इस वर्ष 3.57 करोड़ पौधों के रोपड़ का लक्ष्य रखा गया है जिसे 55000 हेक्टेयर क्षेत्र में रोपित किया जायेगा।

प्रमुख वन संरक्षक श्री डी0एन0एस0सुमन ने कहा कि इस वर्ष के लिये निर्धारित वृक्षारोपण लक्ष्य को समय से पूर्ण कराया जायेगा। उन्होंने मन्त्री जी को आश्वस्त किया कि विगत वर्ष की तरह इस वर्ष भी समय के अन्दर वृक्षारोपण कार्य सम्पन्न होगा।

वन महोत्सव के अवसर पर प्रमुख सचिव वन, उपाध्यक्ष वन विभाग श्री विजय कुमार, सचिव वन पवन कुमार, प्रमुख वन संरक्षक श्रीडी0एन0एस0सुमन सहित वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
upnewslive.com

Comments (0)

क्षेत्रीय वैज्ञानिक अधिकारियों के उत्तरदायित्व पुन: निर्धारित किये जायें - अब्दुल मन्नान

Posted on 01 July 2010 by admin

जिला विज्ञान क्लबों के समन्वयकों के कार्यों की नियमित समीक्षा की जाय

लखनऊ -  प्रदेश के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मन्त्री श्री अब्दुल मन्नान की अध्यक्षता में आज उनके कार्यालय कक्ष में क्षेत्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी केन्द्र की समस्याओं के निराकरण व उनके सुचारू रूप से संचालन के सम्बंध में एक बैठक का आयोजन किया गया।

बैठक में विज्ञान मन्त्री ने निर्देश दिये कि जिला विज्ञान क्लबों के कोआर्डिनेटर्स के कार्यो की उच्च स्तर पर प्रत्येक तीन माह में समीक्षा अवश्य की जाय। उन्होंने बताया कि वर्तमान में विज्ञान के प्रति बच्चों में रूझान कम हो गया है। इसलिए जिला विज्ञान क्लबों का उपयोग बेहतर ढंग से कर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के समस्त आयामों का प्रचार-प्रसार किया जाय। उन्होंने निर्देश दिये कि क्लबों द्वारा वैज्ञानिक व्याख्यान, बच्चों के लिए विज्ञान प्रतियोगितायें, कठपुतली, विज्ञान नाटक, टेक्नालॉंजी प्रदर्शन, स्वरोजगार जागरूकता व प्रशिक्षण कार्यक्रमों, विज्ञान नुक्कड़ नाटक आदि कार्यक्रम सक्रिय रूप से चलाये जायं।

श्री मन्नान ने क्षेत्रीय वैज्ञानिक अधिकारियों का उत्तरदायित्व निर्धारित करने के निर्देश दिये। उन्होंन कहा कि जिला विज्ञान केन्द्रों के समन्वयकों को निरन्तर ट्रेनिंग देने का कार्य भी क्षेत्रीय वैज्ञानिक अधिकारियों द्वारा किया जाय।

बैठक में आगरा के क्षेत्रीय वैज्ञानिक अधिकारी का कार्य सन्तोषजनक नहीं पाया गया। विज्ञान मन्त्री ने उन्हें कार्यो में सुधार लाने तथा अपने उत्तरदाित्वों का निर्वहन भलीभान्ति करने हेतु सचेत किया।

बैठक में बताया गया कि वर्तमान में झांसी, आगरा, मुरादाबाद एवं गोरखपुर में क्षेत्रीय विज्ञान केन्द्र संचालित हैं। प्रदेश के अन्य सभी मण्डलों में भी क्षेत्रीय विज्ञान केन्द्रों की स्थापना की आवश्यकता है जब तक सभी मण्डलों में क्षेत्रीय विज्ञान केन्द्रों की स्थापना नहीं हो जाती है तब तक चार क्षेत्रीय विज्ञान केन्द्रों, दो नक्षत्रशालाओं तथा लखनऊ एवं लखनऊ मुख्यालय कुल सात स्थलों से सभी जिला विज्ञान क्लबों के कार्यों पर नियन्त्रण रखा जाय।

बैठक में क्षेत्रीय विज्ञान केन्द्रों के वैज्ञानिक अधिकारियों द्वारा उनके वित्तीय अधिकार पुन: बहाल किये जाने का अनुरोध विज्ञान मन्त्री से किया गया तथा कैडर सम्बंधी एवं अन्य शासकीय समस्यायें भी उनके समक्ष रखी गईं।

बैठक में प्रमुख सचिव, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, श्री बी0एम0मीणा, विशेष सचिव श्री पी0सी0जैन, संयुक्त सचिव, श्री सतीश चन्द्र मिश्रा, निदेशक एवं सचिव डॉ0 एम0के0जे0सिद्दीकी, संयुक्त निदेशक श्री आई0डी0राम सहित चारों मण्डलों के क्षेत्रीय वैज्ञानिक अधिकारी उपस्थित थे।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
upnewslive.com

Comments (0)

वेतन समिति के संयुक्त सचिव को छ: माह का सेवा विस्तार

Posted on 01 July 2010 by admin

लखनऊ - उत्तर प्रदेश शासन के विशेष सचिव एवं सचिव, वेतन समिति श्री अजय अग्रवाल ने बताया है कि वेतन समिति एवं वित्त वेतन आयोग-अनुभाग-2 के संयुक्त सचिव श्री नरेन्द्र कुमार का शासन द्वारा छ: माह का सेवा विस्तार किया गया है। श्री कुमार 30 जून 2010 को सेवा निवृत होने वाले थे। श्री अग्रवाल ने वेतन समिति सम्बंधी कार्यों को भी शीघ्रता से पूरा करने, उससे सम्बंधी रिपोर्ट शासन को प्रस्तुत करने का निर्देंश दिया है। उल्लेखनीय है कि अगस्त 2008 में राज्य वेतन समिति का गठन शासन द्वारा किया गया था।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
upnewslive.com

Comments (0)

जनपद छत्रपति शाहूजी महाराज नगर की बहाली तथा जनपद कानपुर देहात का नाम रमाबाई नगर करने का निर्णय

Posted on 01 July 2010 by admin

लखनऊ -  उत्तर प्रदेश की मुख्यमन्त्री सुश्री मायावती की अध्यक्षता में आज यहॉं सम्पन्न मन्त्रिपरिषद की बैठक में जनपद छत्रपति शाहूजी महाराज नगर को बहाल करने एवं जनपद कानपुर देहात का नाम परिवर्तित कर रमाबाई नगर करने का निर्णय लिया गया।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
upnewslive.com

Comments (0)

Advertise Here

Advertise Here

 

July 2010
M T W T F S S
« Jun   Aug »
 1234
567891011
12131415161718
19202122232425
262728293031  
-->









 Type in