उत्तर प्रदेष के पर्यावरण मन्त्री श्री नकुल दुबे ने कहा है कि मानव ही प्रकृति के विनाष के लिए जिम्मेदार है, उसके द्वारा किये जा रहे औद्योगीकरण, नगरीकरण, वनों की कटान, जल प्रदूशण और वायु प्रदूशण से पृथ्वी के अन्य जीव-जन्तुओं का अस्तित्व संकटमय होता जा रहा है। मानव का कर्तव्य है कि वह जीवों की रक्षा करते हुए जैव विविधता संरक्षण के अपने दायित्व की पूर्ति करे। उन्होने इस बात पर बल दिया कि जैव विविधता का संरक्षण मानव के अपने अस्तित्व के लिए भी जरूरी है।
पर्यावरण मन्त्री आज यहॉ पर्यटन भवन गोमती नगर के सभागार में पर्यावरण निदेषालय द्वारा क्लब आफ लखनऊ के साथ संयुक्त रूप से आयोजित राज्य स्तरीय समारोह को सम्बोधित कर रहे थे।
श्री नकुल दुबे ने कहा कि पर्यावरण अपघटन के कारण पृथ्वी का तापक्रम बढ़ रहा है। जैसे हम बुखार होने पर क्रोसिन लेकर ताप नियन्त्रण करते है वही भूमिका पृथ्वी के बुखार को कम करने में पेड़ों की है। यदि रोज सबेरे उठकर हम 05-10 मिनट पेड़ों की देखभाल करें तो वह भी बड़े होकर बच्चों की तरह हमारे बुढ़ापे की लाठी बनेंगे। उन्होंने आह्वान किया कि बरगद, नीम, आम, बेल आदि जो भी आपको अच्छा लगे उसको पौधे अपने घर के आस-पास लगाएं तथा ऐसा करने के लिए दूसरों को भी कहें। उन्होंने यह भी कहा कि पर्यावरण संरक्षण की भावना केवल विष्व पर्यावरण दिवस समरोह के आयोजन तक ही सीमित न रहे बल्कि हम सभी इसी भावना से पूरे वर्श कार्य करें तथा जैव विविधता की रक्षा के लिए अधिक से अधिक पेड़ लगाये, जीव-जन्तुओं को बचाने, प्रदूशण कम करने और बच्चों को जागरूक करने का कार्य प्रत्येक नागरिक द्वारा किया जाये।
निदेषक, पर्यावरण डा0 यषपाल सिंह ने अपने स्वागत भाशण में कहा कि प्रकृति में एक जीव प्रजाति द्वारा छोड़ा जाने वाला अपषिश्ट किसी अन्य प्रजाति के लिए कच्चा माल होता है, जैसे हवा में वनस्पतियों द्वारा छोड़ी जाने वाली आक्सीजन जन्तुओं के लिए कच्चे माल तथा जन्तुओं द्वारा छोड़ी जाने वाली कार्बन डाईआक्साइड वनस्पतियों के लिए कच्चा माल है।
डा0 यषपाल सिंह ने कहा कि पृथ्वी पर जीवन के लिए जैव विविधता आवष्यक है। जैव विविधता के फलस्वरूप ही सदाबहार पौधे से ब्लड कैंसर की औशधि तैयार हो सकी है। उन्होंने प्रस्तुतीकरण के माध्यम से संयुक्त राश्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम द्वारा निर्धारित मुख्य विचार बिन्दु “जैव विविधता, साझी धरती, समृद्ध भविश्य´´ के आलोक में जैव विविधता के विभिन्न आयामों पर प्रकाष डालते हुए कहा कि जैव प्रजातियों का प्राकृतिक ढंग से एक निश्चित अवधि के पष्चात विलुप्तीकरण होता है, परन्तु जैविक दबाव के कारण इस विलुप्तीकरण की गति बहुत तेज हो गई है, जिससे पृथ्वी की जैव विविधता खतरे में पड़ गई है। उन्होंने आवाह्न किया कि जैव विविधता की रक्षा के लिए आगे आएं तथा औरों को भी ऐसा करने के लिए प्रेरित करें।
इस समारोह में निश्ठा संस्था के कलाकारों द्वारा जैव विविधता पर आधारित अत्यन्त रोचक एवं जीवन्त नाट्य प्रस्तुति की गई, जिसकी सराहना मुख्य अतिथि पर्यावरण मन्त्री, प्रमुख सचिव श्री आलोक रंजन तथा अन्य उपस्थित लोगों ने भी की। पर्यावरण मन्त्री जी ने कलाकारों को रू0 81000/-हजार पुरूस्कार स्वरूप दिये जाने की घोशणा भी की।
समारोह में डा0 यषपाल सिंह, निदेषक पर्यावरण द्वारा दिनांक 15 फरवरी से 21 फरवरी 2010 की अवधि में लखनऊ में आयोजित करायी गई राज्य स्तरीय भाशण एवं पोस्टर प्रतियोगिता के कक्षा 1 से 12 तक समस्त 12 समूहों के प्रथम, द्वितीय, तृतीय एवं सान्त्वना स्थान प्राप्त विभिन्न मण्डलों से आये पुरस्कार विजेता बच्चों को क्रमष: 10,000/-, रू0 5,000/-ए रू0 3,000/- व रू0 2,000/- की पुरूस्कार राषि व प्रमाण-पत्र भी प्रदान किये गये।
समारोह के अन्त में श्री आर0 एन0 भार्गव, सचिव क्लब ऑफ लखनऊ ने मुख्य अतिथि, सभी विषिश्ट अतिथियों, अन्य प्रतिभागियों और मीडिया के लोगों को धन्यवाद देते हुए कहा कि पृथ्वी पर जीवन के अस्तित्व के लिए जैव विविधता संरक्षण में सहभागी बनें।
इससे पूर्व पर्यावरण मन्त्री ने पर्यावरण निदेषालय, लखनऊ में स्थापित प्रयोगषाला का उद्घाटन किया। इस अवसर पर विषिश्ठ अतिथि के रूप में, श्री आलोक रंजन प्रमुख सचिव पर्यावरण मौजूद थे। इनके अलावा श्री जी0 एस0 राजपूत विषेश सचिव पर्यावरण, श्री दिनेष कुमार, संयुक्त सचिव पर्यावरण, डा0 सी0 एस0 भट्ट सदस्य सचिव उ0प्र0प्रदूशण नियन्त्रण बोर्ड, डा0 यषपाल सिंह निदेषक पर्यावरण निदेषालय एवं श्री ओ0 पी0 वर्मा संयुक्त निदेषक कम चीफ अप्रेजल एवं पर्यावरण निदेषालय के अन्य अधिकारी एवं कर्मचारी मौजूद थे।
पर्यावरण मन्त्री ने बच्चों और युवकों के लिए आयोजित किये गये वायोडायवर्सिटी हन्ट और पर्यावरण मेले का षुभारम्भ किया। इस अवसर पर श्री आलोक रंजन प्रमुख सचिव पर्यावरण, डा0 यषपाल सिंह निदेषक पर्यावरण निदेषालय, श्री ओ0 पी0 वर्मा, संयुक्त निदेषक कम चीफ अप्रेजल पर्यावरण निदेषालय, श्री समरेन्द्र कुमार, क्षेत्रीय प्रभारी, आंचलिक विज्ञान केन्द्र और डा0 प्रीति कनौजिया वरिश्ठ वैज्ञानिक, पर्यावरण षिक्षण केन्द्र भी मौजूद थे।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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