मासिक पत्रिका ‘अंबेडकर टुडे’ में प्रकाशित आपत्तिाजनक लेख के मामले में दाखिल याचिका को संज्ञान में लेते हुए अदालत ने उत्तार प्रदेश सरकार के चार मंत्रियों स्वामी प्रसाद मौर्य, बाबू सिंह कुशवाहा, नसीमुद्दीन सिद्दीकी व दद्दू प्रसाद सहित नौ लोगों के खिलाफ कोतवाली पुलिस को मुकदमा दर्ज कर मामले की विवेचना करने का आदेश दिया है। इनमें पिछड़ा वर्ग आयोग के चेयरमैन पारसनाथ मौर्य भी शामिल हैं। मुख्य न्यायिक दण्डाधिकारी ने शनिवार को राधेश्याम वर्मा की याचिका पर प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश नगर कोतवाली पुलिस को दिया। यह याचिका नौ जून को दायर की गयी थी। दाखिल याचिका के माध्यम से वादी ने अदालत में कहा कि पत्रिका के मई के अंक में प्रकाशित लेख में हिन्दू भावनाओं के साथ खिलवाड़ किया गया है। वादी का कहना है लेख के माध्यम से धार्मिक भावनाओं पर कुठाराघात कर हिन्दू समाज की भावनाओं को आहत किया गया है। जिसमें ‘वैदिक ब्राह्मण और उसका धर्म’ नामक लेख के जरिये हिन्दू धर्म पर तमाम आपत्तिाजनक टिप्पणियां करते हुए असंसदीय शब्दों का इस्तेमाल किया गया है। उपनिषद व हिन्दू ग्रन्थ तथा चतुवर्णी हिन्दू व्यवस्था पर भी प्रहार किया गया है। लेख में रामायण व 33 करोड़ हिन्दू देवी-देवताओं पर भी व्यंग्य किया गया है। वादी के मुताबिक इस लेख को पढ़ने से हिन्दू समाज के तमाम लोगों को पीड़ा हुई है।
मामले को संज्ञान में लेते हुए मुख्य न्यायिक दण्डाधिकारी ने पत्रिका के विशेष संरक्षक प्रदेश सरकार के पंचायती राज मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य, सहकारिता मंत्री बाबू सिंह कुशवाहा, ग्राम्य विकास मंत्री दद्दू प्रसाद, सिंचाई व लोक निर्माण मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी सहित पिछड़ा वर्ग आयोग के चेयरमैन पारसनाथ मौर्य व श्रीमती सुषमा राना, सम्पादक राजीव रतन, ब्यूरो प्रमुख अशोक आनन्द व लेखक अश्रि्वनी कुमार शाक्य के विरुद्ध धारा 295ए, 298, 120बी व 505 आईपीसी के तहत मुकदमा दर्ज कर मामले की विवेचना करने का आदेश दिया। अदालत द्वारा यह आदेश जारी होते ही राजनीतिक व प्रशासनिक महकमे में खलबली मच गयी है। चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया है।
Vikas Sharma
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