लखनऊ, 15 जून 2018
लोक संस्कृति शोध संस्थान द्वारा सजायी गयी सुरमयी साँझ में लुप्त हो रही लोक संस्कृति के दर्शन हुए। पचपन कलाकारों के सामूहिक गायन और नृत्य से सजी पारम्परिक अवधी लोक गीतों पर आधारित सांगीतिक प्रस्तुति ‘जियरा झूम झूम जाये’ ने गाँव की संस्कृति का मनोहारी स्वरुप दिखाया। शुक्रवार को सन्त गाडगे प्रेक्षागृह में चकिया गीत, किसानी गीत, मेला गीत, माँझी गीत, धोबिया, कहरा और खरिहान आदि गीत गूँजे। इस अवसर पर मैजिकमैन आफताब, जादूगर सुरेश और जादूगर शाशा ने जादू कला का प्रदर्शन भी किया।
प्रस्तुति का शुभारम्भ सुमिरनी ‘गणपति सुमिरो री, बिघन सब दूर करे’ से हुआ। श्रम गीत के अन्तर्गत आने वाले सीला बीनने का गीत ‘सासू की बीनी डलरिया रे, सीला बीने जाऊँ’ तथा नकटा ‘दिल्ली से लाई दे चुनरिया हो, मोरे बाँके साँवरिया’ पर कलाकारों ने भावपूर्ण प्रदर्शन किया। इसके बाद ‘झुलनिया झोंकेदार गोरी तोहका गढ़वइबै’, चकिया गीत ‘पीसना पीसन लागी, चकिया चलत है’, किसानी गीत ‘खेत मा झूमे गेहूँवा की बाली’, मेला गीत ‘गाड़ी वाले दुपट्टा उड़ा जाये रे, गाड़ी हौले चलाओ’, माँझी गीत ‘चल चला चल’, धोबिया ‘छियो राम छियो’, कहरा ‘पूरब से आई रेलिया’, हास्य गीत ‘गोरिया चली नइहरवा, बलम सुसुकी देइ देइ रोवैं’ तथा खरिहान गीत ‘खरिहान ते सजिगै गाँव हो’ आदि गीतों की प्रस्तुति ने दर्शकों को लोक संस्कृति के विविध आयामों के दर्शन कराये।
संगीताचार्य पं. राधावल्लभ चतुर्वेदी को समर्पित इस सांस्कृतिक संध्या का शुभारम्भ विधि एवं न्याय मंत्री ब्रजेश पाठक, विधायक डा. नीरज बोरा, संस्थान के अध्यक्ष केवल कुमार, सचिव सुधा द्विवेदी आदि ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया। कार्यक्रम में प्रो. कमला श्रीवास्तव, डा. विद्याबिन्दु सिंह, डा. योगेश प्रवीन, डा. रामबहादुर मिसिर, पद्मा गिडवानी, एसएनए के पूर्व सभापति अच्छेलाल सोनी सहित अनेक गणमान्य लोग मौजूद थे। संचालन सुरेश शुक्ला ने किया। सांगीतिक प्रस्तुति में ढोलक पर दीपक कुमार, तबले पर राजकुमार राज, सिन्थेसाइजर पर अरुण शर्मा तथा आॅक्टोपैड पर सोनी त्रिपाठी ने संगत की। कार्यक्रम के संयोजन में होमेन्द्र मिश्रा, सुरेश कुमार, मंजू चक्रबर्ती आदि के साथ ही मंच सज्जा में शिवरतन, ध्वनि व प्रकाश व्यवस्था में काके भाई ने सराहनीय भूमिका निभायी। अन्त में संस्थान की सचिव सुधा द्विवेदी ने सभी के प्रति आभार ज्ञापित किया।
कार्यशाला में तैयार हुए गीत
वरिष्ठ संगीतकार केवल कुमार के निर्देशन में तीस मई से चल रही पन्द्रह दिवसीय पारम्परिक अवधी लोक गीत गायन कार्यशाला में गीत तैयार किये गये जिसमें लगभग 55 प्रतिभागी सम्मिलित थे। प्रतिभागियों में महिला, पुरुष व समाज के हर आयु, वर्ग के लोगों ने पारम्परिकता से जुड़े संगीत का प्रशिक्षण प्राप्त किया। कार्यशाला तथा प्रस्तुति में मंजू चक्रवर्ती, सुमन पाण्डा, भारती श्रीवास्तव, डा. रुचि चन्द्रा, डा. नीरु उपाध्याय, डाॅ. अंजू भारती, डाॅ. विजय राय, सीमा अग्रवाल, शिखा भदौरिया, संगीता आहूजा, निशा शुक्ला, भावना शुक्ला, भूषण अग्रवाल, वैष्णवी शर्मा, अभिलाषा यादव, मंजुल रायजादा, सरला गुप्ता, रश्मि रेखा चैहान, शारदा पाण्डेय, अरुणा उपाध्याय, श्रद्धा, पूजा वर्मा, अलका धुरिया, बबीता शर्मा, सर्वेश माथुर, मोहिनी शुक्ला, विमला कठेरिया, अनुराधा दीक्षित, सुमिता श्रीवास्तव, प्रमिला शर्मा, राहुल कुमार सोलंकी, शक्ति श्रीवास्तव, शशी चिक्कर, सत्यप्रकाश साहू, मीता गोयल, दीपिका मिश्रा, रमा अग्निहोत्री, दिनेश कुमार श्रीवास्तव, गौरव गुप्ता, रिंकी विश्वकर्मा, नर्बदा श्रीवास्तव, सौरभ कुमार ‘कमल’, नीता निगम, शषि सिंह, शैलजा श्रीवास्तव, नीरा मिश्रा, संकल्प शर्मा, मंजू श्रीवास्तवा, स्नेहिल सक्सेना, उर्मिला पाण्डेय, नीता गुप्ता, सुनील कुमार श्रीवास्तव, ऋद्धिमा श्रीवास्तव, अनुसुइया निगम, शिप्रा चन्द्रा व वागीशा पन्त आदि सम्मिलित रहे।