नई दिल्ली, 15 जून 2018 :
(1) सीमावर्ती जम्मू-कश्मीर राज्य में जवानों की लगातार हो रही शहादत के बीच कश्मीर में वरिष्ठ सम्पादक सुजात बुख़ारी की हत्या पर गहरा दुःख व्यक्त।
(2) अब समय आ गया है कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की सरकार अपनी अड़ियल नीति को त्याग कर अविलम्ब देशहित में अपनी कश्मीर नीति पर पुनर्विचार करे।
(3) जम्मू-कश्मीर में पी.डी.पी. व बीजेपी की गठबंधन सरकार होने के बावजूद वहाँ सीमा व वहाँ के आन्तारिक हालात लगभग बेकाबू हैं, क्यों?
(4) इसके साथ ही उत्तर प्रदेश बीजेपी की सरकार द्वारा जनहित व जनकल्याण की लगातार घोर उपेक्षा किये जाने की तीखी आलोचना। मा. मुख्यमंत्री व मंत्रीगण सर्वज्ञानी बनकर इतिहास को चैलेन्ज करने के बजाय कम से कम उन मेधावी छात्रों की सुधि लेनी चाहिये जो उनके हाथ से लिये गये इनामी रकम की चेक बाउन्स हो जाने से दुःखी ही नहीं बल्कि काफी ज्यादा आहत भी हैं।
(5) साथ ही बीजेपी शासित असम में भी दो नवयुवक होनहार हिन्दू युवकों को पीट-पीट कर मार डालने व महाराष्ट्र के जलगाँव के जामनेर में कुएं में नहाने पर पिछड़े समुदाय के दो नाबलिगों को पीटने व निर्वस्त्र करके गाँव में घुमाने की घटना की तीव्र निन्दा : बी.एस.पी. की राष्ट्रीय अध्यक्ष, उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री व पूर्व सांसद सुश्री मायावती जी।
सीमावर्ती जम्मू-कश्मीर राज्य में जवानों की लगातार हो रही शहादत के बीच कश्मीर में वरिष्ठ सम्पादक सुजात बुख़ारी की हत्या पर गहरा दुःख व्यक्त करते हुये बी.एस.पी. की राष्ट्रीय अध्यक्ष, उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री व पूर्व सांसद सुश्री मायावती जी ने कहा कि अब समय आ गया है कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की सरकार अपनी अड़ियल नीति को त्याग कर बिना कोई और विलम्ब किये हुये देशहित में अपनी कश्मीर नीति पर पुनर्विचार करे।
सुश्री मायावती जी ने कहा कि कश्मीर की क्षेत्रीय पार्टी पी.डी.पी. व बीजेपी की गठबंधन सरकार की जम्मू-कश्मीर में होने के बावजूद वहाँ के हालात लगभग बेकाबू हैं तथा पाकिस्तान सीमा के साथ-साथ आन्तरिक राज्य में भी हिंसा व हत्याओं का दुःखद दौर लगातार जारी है। हमारे सैनिकों की लगातार शहादत हो रही हैं। वैसे भी शान्ति व कानून-व्यवस्था किस आवाम को पसन्द नहीं होती है, इसको ध्यान में रखकर ही केन्द्र सरकार को ख़ासकर कश्मीर नीति में परिवर्तन लाना चाहिये तथा राजनीतिक स्तर पर भी सुधार के प्रयास तेज़ करनी चाहिये।
उन्होंने कहा कि बीजेपी की कश्मीर नीति पूर्णतः जनहित व देशहित पर आधारित नहीं होकर पार्टी की संकीर्ण राजनीतिक सोच से ज़्यादा प्रभावित लगती है और शायद यही कारण है कि बीजेपी का जम्मू नेतृत्व भी काफी ज्यादा स्वार्थ में लिप्त पाया जाता है यह कारण जम्मू क्षेत्र भी तनाव व हिंसा का शिकार है तथा आमजनता का जीवन वहाँ भी त्रस्त है। इसलिए बीजेपी को व्यापक जनहित व देशहित को सर्वोपरि रखकर अपनी जम्मू-कश्मीर नीति में व्यापक सुधार लाने की जरूरत है। साथ ही जम्मू-कश्मीर की जनता के साथ वैसा तल्ख़ (कड़वा) सरकारी व्यवहार कतई नहीं होना चाहिये जैसाकि पाकिस्तान की सरकार उसके अनाधिकृत कब्जे वाले कश्मीर के लोगों के साथ लगातार करती चली आ रही है। यह सही है कि कश्मीरी जनमत भारत के साथ रहा है और आज भी है, इसमें किसी को कोई संदेह नहीं होने चाहिये।
इसके साथ ही उत्तर प्रदेश बीजेपी की समस्त सरकार द्वारा जनहित व जनकल्याण की लगातार घोर उपेक्षा किये जाने की तीखी आलोचना करते हुये सुश्री मायावती जी ने कहा कि मुख्यमंत्री के तौर पर सर्वज्ञानी बनकर इतिहास को चैलेन्ज करने के बजाये कम से कम उन मेधावी छात्रों की सुधि लेनी चाहिये जो उनके हाथ से लिये गये इनामी रकम की चेक बाउन्स हो जाने से दुःखी ही नहीं बल्कि काफी ज्यादा आहत भी हैं। बीजेपी कम से कम अब सरकार में आ जाने के बाद संकीर्ण व सस्ती लोकप्रियता वाले काम बन्द करे तो बेहतर है क्योंकि अपने लगभग सवा साल के कार्यकाल में ही बीजेपी ने उत्तर प्रदेश में समाज के हर वर्ग के लोगों का जीवन काफी ज्यादा दुःखदायी बना दिया है तथा अपराध-नियंत्रण व कानून-व्यवस्था तथा विकास व जनहित का काफी ज्यादा बुरा हाल है।
इतना ही नहीं बल्कि ख़ासकर बीजेपी सरकारों में सर्वसमाज के ग़रीबों, मजदूरों, उपेक्षितों, शोषितों, दलितों, पिछड़ों व धार्मिक अल्पसंख्यकों के प्रति भेदभाव व जातिगत व्यवहार चरम पर है क्योंकि इनकी सरकारें ऐसे असमाजिक व आपराधिक तत्वों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई करने को संवैधानिक जिम्मेदारी नहीं समझती हैं। इसी का प्रभाव है कि बीजेपी शासित असम राज्य में भी दो नवयुवक होनहार हिन्दू युवकों को भी पीट-पीट कर मार डाला गया।
इस सम्बंध में महाराष्ट्र के जलगाँव ज़िले के जामनेर में कुएं में नहाने पर पिछड़े समुदाय के दो नाबलिगों को पीटने व निर्वस्त्र करके गाँव में घुमाने की घटना की तीव्र निन्दा करते हुये सुश्री मायावती जी ने कहा कि बीजेपी सरकारें अगर ऐसे मामलों में सख़्त कार्रवाई करती रही होती तो इस प्रकार की जातिवादी घटनाओं पर काफी अंकुश लगाया जा सकता था। गुजरात, हरियाणा, मध्य प्रदेश व झारखण्ड आदि बीजेपी-शासित राज्यों में ऐसी जातिवादी व साम्प्रदायिक घटनायें आम बात हो गयी हैं क्योंकि वहाँ की सरकारों का रवैया ऐसे जघन्य मामलों में भी हमेशा काफी ज्यादा लचर व ग़ैर-जिम्मेदाराना ही रहा है जो काफी चिन्ता की बात है।