झाँसी। श्री गणेश शंकर विद्यार्थी पत्रकारिता उन्नयन समिति के तत्वावधान में 193वां हिन्दी पत्रकारिता दिवस पत्रकार भवन में राज्यमंत्री उ0 प्र0 श्री हरगोविन्द कुशवाहा के मुख्य आतिथ्य एवम् पत्रकार भवन के अध्यक्ष श्री कैलाश चन्द्र जैन की अध्यक्षता में सम्पन्न हुआ। जिसमें पत्र-पत्रकार व पत्रकारिता के गौरव को बनाए रखने के लिए अतीत से प्रेरणा लेकर मानवीय मूल्यों से समन्वित रचनात्मक पत्रकारिता पर जोर दिया।
मुख्य अतिथि श्री कुशवाहा ने कहा कि पत्रकारिता जोखिम भरा कार्य है, हिन्दी पत्रकारिता नहीं होती तो भारतीय जनतंत्र भी फलता-फूलता नहीं, पत्रकार को पूरे देश का चितेरा निरूपित करते हुए उन्होंने पत्रकारों से आव्हान किया कि सम्वेदना परक लेखन हमेशा प्रभावी रहेगा। उन्होंने देश की आजादी के बाद अब तक किसानों और पत्रकारों के लिए सरकार के द्वारा कोई राष्ट्रीय नीति न बनाए जाने पर चिन्ता जताई।
समारोह अध्यक्ष श्री कैलाश चन्द्र जैन ने उदन्तमार्तण्ड के सम्पादक जुगल किशोर, गणेश शंकर विद्यार्थी, विष्णु पराडकर, बालकृष्ण मिश्रा, महात्मा गांधी आदि तमाम पत्रकारों के संस्मरण सुनाते हुए पत्रकारिता की अस्मिता को बनाए रखने की अपील की।
विद्वान चिन्तक श्री नरोत्तम स्वामी ने कहा कि पत्रकार कोई वस्तु नहीं है जिसे खरीदा जा सके, निष्पक्ष और आदर्शों को लेकर की जाने वाली पत्रकारिता अमर हो जाती है।
दैनिक विश्व परिवार रायपुर के सम्पादक प्रदीप जैन ने पत्रकारों को कार्यक्रम, खेल, विज्ञापन, बाजार के साथ मानवता की वीट वाले पत्रकार भी तैयार किए जाने की अपील की।
वक्ताओं में का. हरेन्द्र सक्सेना ने पत्रकार भवन की विकास यात्रा पर प्रकाश डाला तो सर्वश्री शीतल प्रसाद तिवारी, पं0 अरूण द्विवेदी, बालकृष्ण वर्मा, ए0 के0 हिंगवासिया, विमलेन्दु अरजरिया, सुदर्शन शिवहरे, डॉ0 सुनील तिवारी, डॉ0 आर0 के0 बुधौलिया, यश पाठक आदि ने हिन्दी पत्रकारिता के विभिन्न पहलुओं की चर्चा करते हुए किसानों और पत्रकारों के लिए राष्ट्रीय नीति बनाए जाने की जरूरत बताई।
इस अवसर पर सर्वश्री राकेश यादव, रवीश त्रिपाठी, डॉ0 जिनेन्द्र जैन, नवीन यादव, नीरज सक्सेना, शहबाज अली, वली मोहम्मद, नन्दकिशोर सविता, सुरेश चन्द्र तिवारी, मनोज रेजा, सूरज सिंह यादव, विपिन साहू, विजय कुशवाहा, रामगोपाल शर्मा, राजीव श्रीवास्तव, बबलू रमैया, भगवानदास प्रजापति, हरीश वीरू, राहुल नायक, अनूप रायकवार आदि उपस्थित रहे।संचालन महामंत्री मोहन नेपाली ने एवम् आभार ज्ञापन प्रवीण कुमार जैन ने किया। अंत में स्व0 पत्रकार कांति चन्द्र सक्सेना को श्रद्धांजलि दी गई।