ऽ शास्त्रीय संगीत, लोक संगीत, साहित्य एवं ललित कलाओं के लिए दिए जाने वाले ‘यश भारती सम्मान’ की राशि 05 लाख से बढ़ाकर 11 लाख रुपए करने का फैसला।
ऽ लखनऊ में आईटी सिटी की स्थापना के लिए गंजरिया फार्म की 150 एकड़ भूमि हस्तांतरित करने का निर्णय।
ऽ उत्तर प्रदेश सूचना प्रौद्योगिकी नीति-2012 को मंजूरी।
ऽ गाजियाबाद में मेट्रो रेल परियोजना (द्वितीय चरण) के अंतर्गत दिलशाद गार्डेन, नई दिल्ली से नया बस अड्डा गाजियाबाद तक के प्रस्ताव को मंजूरी।
ऽ हथकरघा बुनकरों के प्रोत्साहन तथा उनके उत्कृष्ट कार्यों के लिए ‘जनेश्वर मिश्र हथकरघा पुरस्कार योजना’ के तहत प्रथम पुरस्कार की राशि 25 हजार रुपए करने का निर्णय।
ऽ प्रदेश के किसानों का होगा अब 05 लाख रुपए का बीमा। कृषक दुर्घटना बीमा योजना के लिए मार्ग निर्देशों का निर्धारण। 01 अपै्रल, 2012 से योजना प्रभावी।
ऽ ठेका वाहन परमिट प्राप्त वाहनों के रंग निर्धारित करने का फैसला। इन वाहनों की बाॅडी को मैरून, काला या लाल रंग से रंगा जाना प्रतिबंधित।
ऽ उत्तर प्रदेश नगर पालिका अधिनियम में संशोधन के लिए अध्यादेश के प्रस्ताव को मंजूरी।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की अध्यक्षता में आज यहाँ सम्पन्न मंत्रिपरिषद की बैठक में निम्नलिखित महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए:-
यश भारती पुरस्कार की राशि 05 लाख रु. से बढ़ाकर 11 लाख रु.
मंत्रिपरिषद ने शास्त्रीय संगीत, लोक संगीत, साहित्य, विज्ञान, खेल, अभिनय, निर्देशन, आलेखन, चित्रकला, मूर्तिकला, आधुनिक एवं परम्परागत नाट्य विधाएं, ललित कलाओं के विकास तथा विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट योगदान देने वाले ख्यातिलब्ध शख्सियतों को दिए जाने वाले ‘यश भारती सम्मान’ पुरस्कार की राशि 05 लाख रुपए से बढ़ाकर 11 लाख रुपए करने का निर्णय लिया है। इस पुरस्कार राशि के साथ पुरस्कृत महानुभावों को अंग वस्त्र, ताम्र पत्र/मेमेंटो भी भेंट स्वरूप प्रदान किया जाएगा।
उ.प्र. सूचना प्रौद्योगिकी नीति-2012 को मंजूरी
मंत्रिपरिषद ने उत्तर प्रदेश सूचना प्रौद्योगिकी नीति-2012 को मंजूरी प्रदान कर दी है। उत्तर प्रदेश सरकार ने सूचना प्रौद्योगिकी उद्योग तथा सूचना प्रौद्योगिकी समर्थित उद्योगों में निवेश को प्रोत्साहित करने एवं इन क्षेत्रों में युवाओं की निपुणता में वृद्धि एवं रोजगार क्षमता में वृद्धि के लिए यह नीति प्रख्यापित की है।
इस नीति के तहत लखनऊ एवं आगरा शहर को आईटी हब के रूप में विकसित किया जाएगा, जहां पर आईटी सिटी एवं आईटी पार्क की स्थापना की जाएगी। इन उद्योगों को प्रोत्साहित करने हेतु इस क्षेत्र में लगने वाले सभी नए उद्योगों को 5 प्रतिशत इन्ट्रेस्ट सब्सिडी प्रदान की जाएगी। इसकी अधिकतम सीमा प्रति उद्योग एक करोड़ रुपए प्रतिवर्ष होगी तथा यह 5 वर्षों तक देय होगा। स्टाम्प ड्यूटी में शत-प्रतिशत छूट दी जाएगी। मूल्य संवर्धित कर (वैट) तथा केन्द्रीय वाणिज्य कर में कुछ शर्तों के अधीन इन्ट्रेस्ट फ्री लोन देकर 10 वर्षों तक प्रतिपूर्ति की जाएगी।
प्रदेश सरकार के प्राधिकरणों/एजेन्सियों से भूमि लेने पर 25 प्रतिशत छूट दी जाएगी। यदि आईटी सिटी या आईटी पार्क के लिए 3 मेगावाॅट से अधिक का कैपटिव पावर प्लाण्ट लगाया जाएगा, तो उस पर भी आईटी उद्योग की तरह सभी छूट अनुमन्य होगी। इन उद्योगों को सप्ताह के सातों दिन 24 घंटे तक चलाने के लिए श्रम विभाग से विशेष अनुमति दी जाएगी। यदि इन उद्योगों द्वारा कुल उपलब्ध कराए गए रोजगार का (न्यूनतम 100) कम से कम 50 प्रतिशत उत्तर प्रदेश वासियों को लगातार 3 वर्षों तक उपलब्ध कराया जाता है, तो कर्मचारी प्राविडेण्ट फण्ड तथा राज्य कर्मचारी बीमा योजना के तहत 75 प्रतिशत धनराशि का भुगतान राज्य सरकार द्वारा किया जाएगा।
उपरोक्त के अतिरिक्त कुछ अन्य प्रोत्साहन भी नई सूचना प्रौद्योगिकी नीति में दिए गए हैं तथा प्रदेश सरकार का यह प्रयास है कि इन क्षेत्रों में निवेश उत्तर प्रदेश में आकर्षित हो। राज्य सरकार द्वारा देश के विभिन्न शहरों यथा बैंगलोर, चैन्नै आदि में रोड शो आयोजित कर निवेशकों को आमंत्रित किया जाएगा।
आईटी सिटी के लिए चक गंजरिया फार्म की 150 एकड़ भूमि हस्तांतरित करने का फैसला
प्रदेश में सूचना प्रौद्योगिकी के विकास के लिए हर स्तर पर किए जा रहे प्रयासों के तहत मंत्रिपरिषद ने लखनऊ में आईटी सिटी की स्थापना हेतु चक गंजरिया फार्म स्थित पशुधन विभाग की 150 एकड़ भूमि आईटी एवं इलेक्ट्राॅनिक विभाग को निशुल्क हस्तांतरित करने का फैसला लिया है। आईटी सिटी एक स्वावलम्बी नगर होगा। ‘फाइबर आॅप्टिक कनेक्टिविटी’ वाले अत्याधुनिक टेलीफोन एक्सचेंज तथा आईएसपी सुविधाओं, वृहद बैण्डविड्थ तथा वाई-फाई कनेक्टिविटी जैसी सुविधाएं भी इसमें मौजूद होंगी। संचार व्यवस्था के लिए डेडिकेटेड अर्थ स्टेशन के अलावा सेटेलाइट लिंक भी इसमें उपलब्ध होगा। आईटी सिटी में आईटी कम्पनियां, बीपीओे, केपीओ के साथ-साथ आवासीय सुविधाएं, जन सुविधाएं, व्यावसायिक क्षेत्र के साथ ही शिक्षा और चिकित्सा सम्बन्धी प्राविधान भी किए जाएंगे।
दिल्ली के दिलशाद गार्डेन से गाजियाबाद बस अड्डे तक मेट्रो रेल परियोजना को मंजूरी
मंत्रिपरिषद ने गाजियाबाद नगर में मेट्रो रेल परियोजना के द्वितीय चरण के अंतर्गत दिलशाद गार्डेन नई दिल्ली से गाजियाबाद के नए बस अड्डे काॅरीडोर तक 09.41 किलोमीटर की मेट्रो रेल परियोजना के प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान कर दी है। दिलशाद गार्डेन से गाजियाबाद बस अड्डे तक 07 स्टेशन होंगे तथा इस परियोजना पर 1591 करोड़ रुपए की लागत आएगी। इसमें भारत सरकार 344 करोड़ रुपए, दिल्ली मेट्रो रेल काॅर्पोरेशन 256 करोड़ रुपए तथा गाजियाबाद विकास प्राधिकरण तथा अन्य विभाग 991 करोड़ रुपए का निवेश करेंगे।
जनेश्वर मिश्र राज्य हथकरघा पुरस्कार योजना लागू करने का फैसला
मंत्रिपरिषद ने प्रदेश के हथकरघा बुनकरों के विकास तथा उनके उत्कृष्ट कार्यों को प्रोत्साहित करने के लिए मान्यवर कांशीराम राज्य हथकरघा पुरस्कार योजना को जनेश्वर मिश्र राज्य हथकरघा पुरस्कार योजना के रूप में लागू करने तथा पुरस्कार राशि बढ़ाने का फैसला लिया है। इसके अंतर्गत राज्य स्तरीय प्रथम पुरस्कार की धनराशि 25 हजार रुपए से बढ़ाकर 50 हजार रुपए, द्वितीय पुरस्कार की धनराशि 21 हजार रुपए से बढ़ाकर 35 हजार रुपए तथा तृतीय पुरस्कार की धनराशि 18 हजार रुपए से बढ़ाकर 25 हजार रुपए करने का निर्णय लिया गया है। पुरस्कार राशि के साथ शील्ड, प्रमाणपत्र तथा अंगवस्त्रम भी दिया जाएगा। इसी प्रकार परिक्षेत्रीय पुरस्कारों के अंतर्गत प्रथम पुरस्कार की राशि 10 हजार रुपए से बढ़ाकर 20 हजार रुपए, द्वितीय पुरस्कार की राशि 08 हजार रुपए से बढ़ाकर 15 हजार रुपए तथा तृतीय पुरस्कार की राशि 06 हजार रुपए से बढ़ाकर 10 हजार रुपए करने का फैसला भी लिया गया है। इन पुरस्कारों के साथ शील्ड, प्रमाणपत्र व अंगवस्त्रम भी दिए जाएंगे।
उ.प्र. नगर पालिका अधिनियम 1916 में संशोधन के लिए अध्यादेश के प्रस्ताव को मंजूरी
मंत्रिपरिषद ने उ.प्र. नगर पालिका अधिनियम 1916 में संशोधन के लिए अध्यादेश के प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान कर दी है। इसके साथ ही, मंत्रिपरिषद ने राज्य विधानमण्डल के आगामी सत्र में इसे विधेयक के रूप में पुरःस्थापित कराए जाने के प्रस्ताव को भी अनुमोदित कर दिया है।
ज्ञातव्य है कि प्रदेश की नगरपालिका परिषदों तथा नगर पंचायतों हेतु
उ.प्र. नगर पालिका अधिनियम, 1916 प्रभावी है। इस अधिनियम की धारा 13-घ में नगरपालिका परिषदों एवं नगर पंचायतों की ‘सदस्यता के लिए अनर्हताएं’ सम्बन्धी प्राविधान किया गया है। प्रदेश के नगर निगमों हेतु प्रभावी उ.प्र. नगर निगम अधिनियम, 1959 की धारा 25 में ‘पार्षदों की अनर्हताएं’ तथा धारा 25-क में ‘महापौर या पार्षद होने या बने रहने के लिए विधायकों पर रोक’ विषयक प्राविधान है।
उ.प्र. नगरपालिका अधिनियम में ‘अध्यक्ष या सदस्य होने या बने रहने के लिए विधायकों पर रोक’ विषयक प्राविधान नहीं है। अतः दोनों अधिनियमों में ‘अनर्हता’ जैसे महत्वपूर्ण विषय पर एकसमान प्राविधान करने के उद्देश्य से उत्तर प्रदेश नगरपालिका (संशोधन) अध्यादेश, 2012 के माध्यम से उ.प्र. नगरपालिका अधिनियम, 1916 की धारा 13-घ में संशोधन के प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान की गई है।
कृषक दुर्घटना बीमा योजना के मार्गनिर्देशों का निर्धारण
मंत्रिपरिषद ने कृषक दुर्घटना बीमा योजना के क्रियान्वयन हेतु मार्गनिर्देशों का निर्धारण कर दिया है। प्रदेश के लगभग 2.5 करोड़ खातेदार/सहखातेदार कृषकों के लिए संचालित यह योजना 1 अप्रैल, 2012 से प्रभावी होगी।
मार्गनिर्देशों के अनुसार कृषक का तात्पर्य राजस्व अभिलेखों अर्थात खतौनी में दर्ज ऐसे खातेदार/सहखातेदार से है, जिनकी आयु न्यूनतम 12 वर्ष तथा अधिकतम 70 वर्ष हो। बीमा का अधिकतम आवरण 05 लाख रुपए होगा। बीमा के प्रीमियम की राशि राज्य सरकार द्वारा वहन की जाएगी।
बीमाधारक की मृत्यु यदि आग, बाढ़, बिजली गिरने, करेन्ट लगने, सांप के काटने एवं जीव जन्तु द्वारा काटने/मारने, नदी, तालाब, पोखर व कुएं में डूबने, मकान गिरने, वाहन दुर्घटना, डकैती, दंगा, मारपीट तथा आतंकवादी घटना आदि अप्राकृतिक कारणों अथवा किसी अन्य प्रकार की दुर्घटना से होती है तो उसे बीमा का लाभ अनुमन्य होगा। अप्राकृतिक मृत्यु के प्रकार, प्रकृति इत्यादि के सम्बन्ध में इन्श्योरेन्स बीमा कम्पनी द्वारा कोई विवाद उठाए जाने पर सम्बन्धित जिलाधिकारी का निर्णय अन्तिम एवं बाध्यकारी होगा।
इसके अलावा यदि बीमाधारक की मृत्यु आत्महत्या या गम्भीर आपराधिक कार्य करते समय होती है, तो इस दशा में बीमा का लाभ अनुमन्य न होगा। दुर्घटना के फलस्वरूप बीमा धारक को हुई शारीरिक अक्षमता के प्रति बीमा आवरण का लाभ दिया जाएगा।
मृत्यु तथा पूर्ण शारीरिक अक्षमता की स्थिति में देय बीमा धनराशि का 100 प्रतिशत भुगतान किया जाएगा। इसी प्रकार दोनों हाथ अथवा दोनों पैर अथवा दोनों आंखों की क्षति होने पर भी 100 प्रतिशत बीमा राशि का भुगतान किए जाने की व्यवस्था है। एक हाथ तथा एक पैर की क्षति पर भी 100 प्रतिशत बीमा राशि का भुगतान किया जाएगा। एक हाथ या एक पैर या एक आंख की क्षति होने पर या फिर पचास प्रतिशत से अधिक स्थायी अपंगता होने पर 50 प्रतिशत बीमा राशि का भुगतान किया जाएगा। पच्चीस प्रतिशत से अधिक स्थापयी अपंगता होने पर 25 प्रतिशत बीमा राशि का भुगतान किया जाएगा।
योजना के अन्तर्गत कृषकों को एक बीमा आच्छादन कार्ड दिया जाएगा, जिसमें दुर्घटना बीमा योजना का परिचय, उसकी शर्ते एवं अर्हता/प्रक्रिया के बारे में संक्षिप्त उल्लेख होगा। यह कार्ड प्रत्येक जनपद के जिलाधिकारी द्वारा अपने जनपद के समस्त खातेदारों/सहखातेदारों को उपलब्ध कराया जाएगा, जो इस बीमा योजना से आच्छादित होंगे। इस योजना से आच्छादित कृषक को किसी अन्य योजना में मिलने वाले लाभ का प्रभाव इस योजना पर नहीं पड़ेगा।
ठेका गाड़ी परमिट प्राप्त वाहन के रंग निर्धारण हेतु उ.प्र. मोटरयान नियमावली, 1998 में संशोधन का प्रस्ताव मंजूर
मंत्रिपरिषद ने ठेका गाड़ी परमिट प्राप्त वाहन के रंग निर्धारण हेतु उत्तर प्रदेश मोटरयान नियमावली, 1998 में संशोधन के प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान कर दी है। मंत्रिपरिषद के निर्णय के अनुसार ठेका गाड़ी परमिट प्राप्त वाहनों में मैरून रंग की प्रतिदीप्तिशील पट्टी (स्ट्रिप) रखी जाएगी, ताकि यह पट्टी रात में भी दिखाई दे। इन वाहनों की बाॅडी को मैरून, काला या लाल रंग से रंगा जाना प्रतिबन्धित रहेगा, ताकि वह पट्टी साफ दिखाई दे। इस पट्टी में एक वृत्त (सर्किल) रखा जाएगा, जिसमें ‘काॅन्ट्रैक्ट कैरिज’ लिखा जाएगा। इस पट्टी की चैड़ाई ऐसी होगी जो टूरिस्ट परमिट वाहन की पट्टी से मेल खाती रहे।
मोटर कैब हेतु काले और पीले रंग की व्यवस्था को नगरों में अनन्य रूप से संचालित होने वाले ठेका गाड़ी परमिट प्राप्त वाहनों तक ही सीमित रखा जाएगा। सी0एन0जी0 चालित तिपहिया ठेका गाड़ी परमिट प्राप्त वाहनों के रंग निर्धारण सम्बन्धी अधिकार राज्य परिवहन प्राधिकरण, उत्तर प्रदेश एवं सम्भागीय परिवहन प्राधिकरणों में निहित किया जाएगा। प्रारूप नियमावली के सम्बन्ध में आपत्तियां और सुझाव आमंत्रित करने की दृष्टि से सरकारी गजट में प्रकाशित कराया जाएगा।
ज्ञातव्य है कि शासन द्वारा यह निर्णय लिया गया कि ठेका गाड़ी परमिट प्राप्त वाहनों और मंजिली गाड़ी परमिट प्राप्त वाहनों की सरल पहचान के लिए इनके अलग-अलग रंग कर दिए जाएं ताकि मार्ग पर संचालन के समय वाहन का रंग देखकर उसकी श्रेणी की पहचान की जा सके तथा परमिट की शर्ताें व नियमों का उल्लंघन पाए जाने पर त्वरित कार्यवाही हो सके। इसके तहत प्रथम चरण में ठेका गाड़ी परमिट प्राप्त वाहनों के रंग का निर्धारण करने का निर्णय लिया गया।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com