2014 के चुनाव में लोकसभा के अन्दर अपनी शक्ति बढ़ाने के लिये वैश्य महासम्मेलन देश के सबसे बड़े प्रान्त उ.प्र. से सर्वाधिक वैश्य नेताओं को संसद में भेजेगा। देश में राजनैतिक अस्थिरता लगातार बढ़ती जा रही है सत्ता के समीकरण बनाने के लिए बेमेल गठबंधनों ने देश की अर्थनीति तथा विकास परक योजनाओं को गहरा धक्का पहुंचाया है आम आदमी अपने जीवन यापन के लिये संसाधन जुटाने में असर्मथ होता जा रहा है ऐसे में जरूरी हो गया है कि राष्ट्र के सामूहिक हितों के रक्षा के लिये वैश्य समाज अपने राजनैतिक हस्तक्षेप बढाये और यह तभी सम्भव है जब हम अच्छे संख्या बल के साथ लोकसभा में दस्तक दे।
अखिल भारतीय वैश्य महासम्मेलन की आज होटल क्लार्क अवध में आयोजित राष्ट्रीय कार्यसमिति में देश के विभिन्न प्रान्तों से आये 300 से अधिक प्रतिनिधियों की बैठक का उद्घाटन केन्द्रीय मंत्री व झांसी से सांसद प्रदीप जैन ‘आदित्य’ ने वेदमंत्रों वे शंखध्वनि के बीच दीप प्रज्ज्वलित कर किया। उनके साथ फेडरेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष व पूर्व सांसद डा. गिरीश सांघी, श्रीमती अलका सांघी, राष्ट्रीय महामंत्री गोपाल मोर, मध्य प्रदेश के गृहमंत्री व वहां के प्रदेश अध्यक्ष उमाशंकर गुप्ता, उ.प्र. के अध्यक्ष व विधायक राजेश अग्रवाल, विधायक सीतापुर अनूप गुप्ता, स्वागताध्यक्ष डा. नीरज बोरा, कार्यकारी अध्यक्ष सुधीर हलवासिया व अन्तर्राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष डा. दाऊ जी गुप्ता उपस्थित थे।
कार्यकारिणी को सम्बोधित करते हुए मुख्य अतिथि केन्द्रीय ग्राम्य विकास राज्यमंत्री प्रदीप जैन ‘आदित्य’ ने कहा कि समय की जरूरत है कि वैश्य समाज के प्रत्येक परिवार से कम से कम एक व्यक्ति सक्रिय राजनैतिक भागीदारी निभाये। उन्होंने कहा कि अगर आपको अपना हक चाहिए तो हक मांगने के बजाये छीन लेने की हिम्मत रखनी चाहिए। प्रदीप जैन ने कहा कि मेरी जीत का श्रेय पूर्णरूप से वैश्य समाज को ही जाता है।
महासम्मेलन के राष्ट्रीय अध्यक्ष व पूर्व सांसद डा. गिरीश सांघी ने कहा कि हमारे आदर्श पुरूषों की बड़ी श्रृखला है जो कि हमारी विरासत है लेकिन इतने से काम चलने वाला नहीं है। अगर मजबूत राजनैतिक पकड़ चाहिए तो हम गांव-गांव गली-गली जाकर गरीब व पिछड़े वैश्य समाज को जोड़कर उनका विश्वास जीतें। डा. सांघी ने कहा कि आज भी देश के महान प्रधानमंत्रियों में लालबहादुर शास्त्री का नाम पहले लिया जाता है।
कार्यक्रम के मुख्य संयोजक व प्रदेश अध्यक्ष राजेश अग्रवाल ने कहा कि उ.प्र. की राष्ट्रीय सन्दर्भों में महत्वपूर्ण भूमिका है। उन्होंने कहा कि वैश्य परिवार को बढ़ाने के लिये हमने अनेक कार्यक्रम किये जिनमें बेटी बचाओ अभियान, पर्यावरण संरक्षण हेतु सघन वृक्षारोपण अभियान, कैरियर काउन्सिलिंग के माध्यम से वैश्य वर्ग के युवाओं को जोड़ने के साथ-साथ वैश्य समाज में आर्थिक व सामाजिक दृष्टि से पिछड़े उपवर्गों, दोसर, अग्रहरि, बरनवाल, अयोध्यावासी, पोरवाल, ओमर, गुलहरे, सनमानी, केसरवानी आदि वर्गों को पिछड़ा वर्ग में शामिल करवाने के लिये महासम्मेलन संघर्ष कर रहा है।
बैठक में मध्य प्रदेश के गृहमंत्री एवं महासम्मेलन के प्रदेशाध्यक्ष उमाशंकर गुप्ता ने कहा कि भारत की राजनीति में जब-जब वैश्य प्रभावी रहे तभी ‘‘स्वर्णिम-काल’’ रहा। वैश्य समाज के उन वर्गांे में जो आर्थिक व सामाजिक दृष्टि से कमजोर है उनमें भरोसा पैदा करने की आवश्यकता है। सबसे बड़ी जरूरत है कि हम संगठन की जिम्मेदारी लेने के बाद, संगठन के लिये क्या-क्या करते है इसका लेखाजोखा होना चाहिए। उन्होंने बेबाक शब्दों में कहा कि जिस दिन हम फटी लंगोटी वाले वैश्य भाई का सम्बल बन जायेगे, तब तय मानिये राजनीति में हमारी तूती बोलेगी।
महासम्मेन के कार्यकारी राष्ट्रीय अध्यक्ष पूर्व सांसद सुनील शास्त्री ने कहा कि वैश्य समुदाय की ताकत बढ़ाने के लिये वैश्य समाज में उन वर्गों की तलाश की जानी चाहिए जो अभी तक अपने आप को किसी भी कारण में वैश्य नहीं मानते। उन्होंने गर्व से कहा कि मैं कायस्थ वैश्य हूं और मुझे इस बात का हमेशा फ्रक रहता है। अपने पूज्य पिता एवं देश के पूर्व प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री की याद करते हुये उन्होंने अनेक संस्मरण सुनाये और बताया कि पूज्य पिता जी की कद काठी छोटी होने के कारण ताशकन्द समझौते के लिये जाते समय जब पत्रकारों ने उनसे पूछा कि आप 5 फुट 2 इंच के साधारण से दिखने वाले कैसे पाकिस्तान के राष्ट्रपति जनरल अयूब से, जो साढ़े छः फुट के हैं उनसे किस तरह बात करेंगे। उन्होंने आत्म विश्वास से कहा कि भारत का प्रधानमंत्री सिर ऊँचा करके बात करेगा और पाकिस्तान का प्रधानमंत्री अपना सिर नीचा करके बात करेगा।
स्थानीय मनकामेश्वर मन्दिर की महंत देव्यागिरी जी ने कहा कि समाज के गौरव को बढ़ाने के लिये वैश्य समाज नैतिक व आध्यात्मिक निष्ठा के साथ आगे बढ़े निश्चित रूप से सफलता मिलेगी। उन्होंने कहा कि सेवा कार्यों में वैश्य समाज अपनी अर्जित सम्पत्ति का अधिकतम अंश व्यय करता है यही उसकी असली ताकत भी है।
कार्यक्रम के स्वागताध्यक्ष डा0 नीरज बोरा ने अपनी भाषण शैली से सबको मुग्ध करते हुये राष्ट्रीय अध्यक्ष को धन्यवाद दिया कि उन्होंने उ.प्र. को यह अवसर प्रदान किया है कि आगामी लोकसभा चुनाव के लिये यहां से देशभर के लिये एक ठोस रणनीति बनायी जाय। डा. बोरा ने काव्यमय शैली में देश भर से आये प्रतिनिधियों का स्वागत कर सबको लखनऊ शहर की तहजीब, नजाकत व नफासत से रूबरू कराया।
लखनऊ के सांसद व पूर्व मंत्री लालजी टण्डन ने लखनऊ की सरज़मी पर पूरे देश से आये वैश्य प्रतिनिधियों का स्वागत किया उन्होंने कहा कि पहले भी और आज भी प्रमुख राजनैतिक, सामाजिक आन्दोलनों की अगुआई हमेशा वैश्य वर्ग के हाथों में ही रही है। उन्होंने ‘गंगा आन्दोलन’ के नायक प्रो. जी.डी. अग्रवाल की भूमिका की प्रशंसा की।
कार्यक्रम के संयोजक सुधीर हलवासिया ने आये हुये अतिथियों का आभार व्यक्त किया। मीडिया प्रभारी डा. अजय गुप्ता ने बताया कि कार्यक्रम को सफल बनाने हेतु अनूप अग्रवाल, रीता मित्तल, नीरज गुप्ता, मनीष खेमका, शैलेन्द्र अग्रहरि, मनोज अग्रवाल, सत्यप्रकाश गुलहरे, बृजेश गुप्ता ‘चंचल’, अजीत अग्रवाल, मीना वाष्र्णेय, डा. अनुपमा जायसवाल, रश्मि जायसवाल, एस.के. गोपाल, आदि लोगों के साथ-साथ राजस्थान, गुजरात, बिहार, झारखण्ड, उडिसा, पंजाब, जम्मू कश्मीर, हरियाणा, हिमाचंल प्रदेश, दिल्ली, कर्नाटक, आन्ध्र प्रदेश के अलावा अन्य प्रदेशों के भी प्रदेश अध्यक्ष, महामंत्री व कार्यकारिणी के सदस्यों ने समाज की गतिविधियों एवं कार्यक्रमों से अवगत कराया।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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