Archive | October 3rd, 2012

राज्यपाल और मुख्यमंत्री ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की

Posted on 03 October 2012 by admin

up-cm-with-gov-1उत्तर प्रदेश के राज्यपाल श्री बी.एल. जोशी और मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव ने आज राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती के अवसर पर विधान भवन के तिलक हाॅल में आयोजित एक कार्यक्रम में उनके चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि दी।
कार्यक्रम की शुरुआत ‘वंदे मातरम’ के गायन से हुई। कार्यक्रम में महात्मा गांधी के जीवन से जुड़ी अविस्मरणीय घटनाओं की जानकारी दी गई। विश्व के 122 देशों ने महात्मा गांधी की यादों को किसी न किसी रूप में संजोया हुआ है। इन देशों में या तो उनकी प्रतिमा स्थापित की गई है या कोई स्मारक उन्हें समर्पित है। कार्यक्रम में महात्मा गांधी के कई प्रिय भजनों का गायन भी प्रस्तुत किया गया। कार्यक्रम का समापन राष्ट्रगान से हुआ।
इस अवसर पर स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, प्रदेश के कार्यवाहक मुख्य सचिव श्री आलोक रंजन समेत प्रदेश के वरिष्ठ प्रशासनिक, पुलिस अधिकारियों के अलावा, समाजसेवी तथा सेना की मध्य कमान के वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद थे।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

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मुख्यमंत्री ने हाईस्कूल-इण्टर की मेरिट में प्रथम स्थान प्राप्त करने वाले छात्र-छात्राओं को दिए एक-एक लाख रुपए के पुरस्कार

Posted on 03 October 2012 by admin

दूसरा तथा तीसरा स्थान प्राप्त करने वाले मेधावी विद्यार्थियों को क्रमशः 50 हजार तथा 30 हजार रुपए के पुरस्कार, इन मेधावियों के अभिभावक एवं प्रधानाचार्य भी सम्मानित

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव ने यू.पी. बोर्ड की वर्ष 2012 की हाईस्कूल एवं इण्टरमीडिएट परीक्षा में प्रथम तीन स्थान प्राप्त करने वाले मेधावी छात्र-छात्राओं को बधाई देते हुए उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की। उन्होंने कहा कि इन मेधावियों को सम्मानित करते हुए उन्हें बहुत खुशी हो रही है और उम्मीद जाहिर की कि ये विद्यार्थी जो बनना चाहते हैं, एक दिन जरूर बनेंगे और जो लक्ष्य उन्होंने तय किए है, उसे जरूर हासिल कर लेंगे।
मुख्यमंत्री आज अपने सरकारी आवास 5, कालिदास मार्ग पर इन मेधावी छात्र-छात्राओं के सम्मान समारोह में बोल रहे थे। मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव और समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री मुलायम सिंह यादव ने संयुक्त रूप से वर्ष 2012 की हाईस्कूल की मेरिट लिस्ट में प्रथम स्थान प्राप्त करने वाले तीन छात्र-छात्राओं: पूजा यादव, आकांक्षा सिंह और अन्ना यादव को 01-01 लाख रुपए, दूसरा स्थान प्राप्त करने वाली छात्रा विजया को 50 हजार रुपए तथा तीसरा स्थान प्राप्त करने वाली रेशू वर्मा को 30 हजार रुपए की राशि प्रदान की।
इसी प्रकार इण्टरमीडिएट की 2012 की परीक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त करने वाली दो छात्राओं अभिलाषा यज्ञसैनी तथा अपूर्वा वर्मा को मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव तथा सांसद श्रीमती डिम्पल यादव ने संयुक्त रूप से 01-01 लाख रुपए की राशि पुरस्कार स्वरूप प्रदान की। इसी क्रम में द्वितीय स्थान प्राप्त करने वाली पूजा गौतम को 50 हजार रुपए तथा तृतीय स्थान प्राप्त करने वाली शालिनी वर्मा को 30 हजार रुपए की राशि प्रदान की गई।
मुख्यमंत्री ने कहा कि मेहनत कभी भी बेकार नहीं जाती। आज जो लोग किसी विशिष्ट स्थान पर हैं या उन्होंने अपनी जिन्दगी में कोई ऊंचा मुकाम हासिल किया है, तो इसका मतलब है कि उन्होंने अपने जीवन में कभी न कभी कठिन परिश्रम जरूर किया होगा। उन्होंने इन छात्र-छात्राओं का आह्वान किया कि वे परिश्रम से न घबराएं और पढ़ाई-लिखाई में खूब मेहनत करें और तरक्की करें। मुख्यमंत्री ने कहा कि आज महात्मा गांधी की जयंती के अवसर पर आयोजित इस कार्यक्रम में हमें बापू के बताए हुए अहिंसा, सत्य और सादगी के रास्ते पर चलने की सीख भी लेनी चाहिए।
इस अवसर पर समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री
श्री मुलायम सिंह यादव ने इन मेधावियों को बधाई और आशीर्वाद देते हुए उम्मीद जताई कि ये छात्र-छात्राएं आगे भी अपनी पढ़ाई जारी रखेंगे और इसी तरह विशिष्ट स्थान प्राप्त करते रहेंगे। उन्होंने उन छात्र-छात्राओं को, जो मेरिट में स्थान नहीं बना पाएं हैं, उन्हें सीख देते हुए कहा कि वे निराश न हों और संकल्प लें, उन्हें कामयाबी जरूर मिलेगी। इस अवसर पर उन्होंने ऐसे लोगों का भी जिक्र किया जो किसी कारण से शिक्षा हासिल करने के अवसर से ही वंचित रह गए हैं। गरीबी, साधन-सुविधाओं के अभाव से उन्हें पढ़ने के बजाए काम करना पड़ रहा है। ऐसे लोगों के लिए सरकार को जरूर ध्यान देना चाहिए। ऐसे वंचित लोगों की शिक्षा का इंतजाम करना भी सरकार की ही जिम्मेदारी है।
प्रदेश के बेसिक शिक्षा मंत्री श्री रामगोविन्द चैधरी ने मेधावी छात्र-छात्राओं को सम्मानित करने और उन्हें नकद पुरस्कार देने को बहुत अच्छी शुरूआत बताया। उन्होंने कहा कि ऐसे सम्मान समारोह मेधावियों, उनके अभिभावकों और उनके शिक्षकों का मनोबल बढ़ाते हैं।
मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर इन मेधावी विद्यार्थियों के स्कूलों के चार प्रधानाचार्यों क्रमशः श्री रामकुमार शुक्ला, श्री संजय वर्मा, श्री अंजनी कुमार पाठक तथा श्री राजकुमार तिवारी को भी प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया। मुख्यमंत्री ने पुरस्कृत मेधावी छात्राओं के माता-पिता को भी प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया। इस अवसर पर समस्त पुरस्कृत छात्राओं, उनके अभिभावकों के साथ मुख्यमंत्री, पूर्व मुख्यमंत्री श्री मुलायम सिंह यादव, सांसद श्रीमती डिम्पल यादव, बेसिक शिक्षा मंत्री श्री रामगोविन्द चैधरी, विधान परिषद सदस्य श्री राजेन्द्र चैधरी, मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव श्री राकेश गर्ग, सचिव माध्यमिक शिक्षा पार्थसारथी सेन शर्मा और माध्यमिक शिक्षा निदेशक श्री वासुदेव यादव के साथ एक ग्रुप फोटोग्राफ भी सम्पन्न हुआ।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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गांधी जी ने रामराज का सपना देखा था

Posted on 03 October 2012 by admin

2-10-cसमाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री मुलायम सिंह यादव ने आज यहां कहा कि गांधी जी ने रामराज का सपना देखा था जिसमें कोई दीन दुःखी न हो, गरीबी-अमीरी की खाई न हो और किसी के प्रति अन्याय न हो। समाजवादियों ने गांधीजी के रास्ते को अपनाया। इस रास्ते पर चलकर ही खुशहाली आएगी। अन्याय, शोषण और विषमता से मुक्ति मिल सकेगी।
श्री यादव आज पार्टी मुख्यालय, 19-विक्रमादित्य मार्ग, लखनऊ में गांधी-शास्त्री जयंती एवं समाजवादी पार्टी के संस्थापक महासचिव कपिलदेव सिंह की पुण्यतिथि पर एकत्र कार्यकर्ताओं को सम्बोधित कर रहे थे। इस मौके पर वरिष्ठ मंत्री श्री शिवपाल सिंह यादव, स्वतंत्रता सेनानी कैप्टन अब्बास अली, पूर्व साॅसद श्री रामनरेष कुशवाहा, प्रदेश प्रवक्ता श्री राजेन्द्र चैधरी, राज्यमंत्री श्री मानपाल सिंह,     श्री राममर्ति वर्मा, शारदा प्रताप शुक्ला, रविदास मेहरोत्रा तथा राजेश दीक्षित भी उपस्थित थे।
श्री मुलायम सिंह यादव ने गांधी जी एवं शास्त्री जी के चित्रों पर माल्यार्पण के पश्चात कहा कि गांधी जी के रास्ते पर समाजवादियों ने ही चलने का संकल्प लिया था। डा0 लोहिया और जेपी ने गांधी जी के रास्ते पर चलते हुए सादगी और फिजूलखर्ची का विरोध किया। उन्होने कहा समाजवादी पार्टी की प्रदेश में बहुमत की सरकार बनी है। इच्छा है कि यह देश में एक आदर्श सरकार बने।
2-10-g श्री यादव ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार ने कन्या विद्याधन, बेकारी भत्ता देने की पहल की जिसका अनुसरण बिहार और मध्य प्रदेश में किया गया है। किसानों के लिए टयूबवेल और नहर का पानी मुफ्त दिया जाएगा। समाजवादी पार्टी के चुनाव घोषणा पत्र में जो वायदे किए गए उन्हें पांच साल के बजाए दो साल में पूरा करने का लक्ष्य है। उन्होने कहा मुस्लिमो की दशा दलितों से भी ज्यादा बदतर है। सच्चर कमेटी और रंगनाथ मिश्र आयोग की रिपोर्टे लागू नहीं की जा रही है जबकि उनका गठन प्रधानमंत्री श्री मनमोहन सिंह ने ही किया था। उन्होने कहा कि 6दिसम्बर,1992 को बाबरी मस्जिद गिरा देने की आशंका से हमने तब दो दिन पूर्व राष्ट्रपति जी को भी अवगत करा दिया था। इस काण्ड से देश में एकता को धक्का लगा। इस लड़ाई को भी समाजवादियों ने ही लड़ा है।
श्री मुलायम सिंह यादव ने कहा कि शास्त्री जी गरीबी से निकलकर प्रधानमंत्री की कुर्सी तक पहुॅचे। उन्होने जय जवान जय किसान का नारा दिया था। स्व0 कपिलदेव सिंह की समाजवादी पार्टी के गठन में महत्वपूर्ण भूमिका थी। वे इसके पहले प्रमुख महासचिव भी थे। इस मौके पर सर्वश्री कबीर आलम, पारसनाथ यादव एवं सियाराम यादव ने गीत प्रस्तुत किए।
आज के कार्यक्रम में सर्वश्री राज किशोर मिश्र, जयप्रकाश अंचल, फिदा हुसैन अंसारी, गोपीनाथ वर्मा, मुजीबुर्रहमान बबलू, विजय सिंह यादव, धर्मानन्द तिवारी, इंदिरा जायसवाल, श्रीमती माला द्विवेदी, मो0 एबाद, डा0 आशालता सिंह, डा0 सुरभि शुक्ला, मो0 उस्मान, शाहिन फातिमा, जरीना उस्मानी, प्रदीप शर्मा, चंद्रिका पाल, गजेन्द्र मलिक,जवाहरलाल साहू, मुदस्सिर हसन, श्रीमती कुसुम शर्मा, राम सागर, जलाल अकबर, अखिलेश पटेल, ताराचन्द्र, श्रीमती अर्चना राठौर, डा0 अल्पना बाजपेयी, नरेन्द्रमणि त्रिपाठी, वीर सिंह आदि की उपस्थिति उल्लेखनीय रही।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
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झांसी रेलवे स्टेशन पर रेलवे चि•ित्सा•र्मियों •ी अवैध वसूली

Posted on 03 October 2012 by admin

1gc1-ट्रेन में चोटिल हुई गंगापुर •ी महिला यात्री से मरहम पटटी •रने •े एवज में वसूले ५00 रुपए
-यात्रियों •े लूटने में लगे चि•ित्सा•र्मियों •ी रेलमंत्री एवं रेलवे अधि•ारियों से •ी शि•ायत
गंगापुर सिटी, 1 अक्टूबर।
यात्रियों •ी सुरक्षा एवं संरक्षा •े लिए •टिबद्ध रेलवे प्रशासन •े •र्मचारियों •ी मनमानी से यात्रियों •ो परेशानी उठानी पड़ रही है। यही नहीं रेलवे •े चि•ित्सा•र्मियों द्वारा झांसी रेलवे स्टेशन पर राजस्थान •े गंगापुर सिटी •ी महिला यात्री से ट्रेन में चोटिल होने पर मरहम पटटी •े नाम पर ५00 रुपए वसूलने •े मामले •ा खुलासा हुआ है। ऐसे में चि•ित्सा•र्मियों •ी चौथवसूली पर रो• लगाने में रेलवे प्रशासन ना•ामयाब साबित हो रहा है। खास बात यह है •ि ट्रेन में महिला •े चोटिल होने पर ट्रेन में सवार टीटी, आरपीएफ पुलिस वालों ने •ोई खैर-खबर नहीं ली। महिला द्वारा गंगापुर सिटी मेें उस•े परिजनों •ो अवगत •राने पर उन•े परिजनों द्वारा झांसी में उन•े परिचित मीडिया से जुड़े ए• व्यक्ति •ो सूचना दी गई। इस पर उस व्यक्ति द्वारा झांसी •े रेलवे चि•ित्सा•र्मियों •ो सूचना दे•र ट्रेन पर महिला •ी मरहम पटटी •रने •े लिए भेजा गया।
जान•ारी •े अनुसार गंगापुर सिटी निवासी महिला यात्री सारि•ा अपनी बहन एवं बहन •े पुत्र •े साथ गया नगर दुर्ग निवासी उन•े रिश्तेदार •े यहां से ए• धार्मि• •ार्य•्रम में भाग ले•र 29 सितम्बर •ो रात •रीब 7 बजे दुर्ग •े डोंगरगढ़ •े •िशनगा रेलवे स्टेशन से गंगापुर सिटी आने •े लिए समता एक्सप्रेस ट्रेन में सवार हुए थे। उन•े पास डोंगरगढ •े •िशनगा से उत्तरप्रदेश •े मथुरा रेलवे स्टेशन त• •ा रिजर्वेशन टि•ट था। ट्रेन में सवार होने •े आधा घंटे बाद ही महिला यात्री •ा हाथ ट्रेन •ी खिडक़ी गिर जाने से उसमें आ गया और चार अंगुलियों में गंभीर चोट लग गई। इस•ी जान•ारी देने •े लिए ट्रेन में जब टीटी एवं आरपीएफ जवानों •ी तलाश •ी गई तो •ोई नजर नहीं आया और बाद में भी •िसी •र्मचारी ने •ोई खैर-खबर नहीं ली। उस दौरान रात में ही ए• अन्य यात्री ने पटटी तो बांध दी, ले•िन खून नि•लना बंद नहीं हुआ। 30 सितम्बर •ी सुबह •रीब 8 बजे झांसी रेलवे स्टेशन आने से दो घंटे पूर्व महिला यात्री ने उस•े चोटिल होने •ी जान•ारी गंगापुर सिटी में उस•े परिजनों •ो दी। इस पर महिला •े पति ने झांसी में परिचित मीडिया से जुड़े ए• व्यक्ति •ो इस घटना •ी जान•ारी दी और उपचार •रवाने •ी बात •ही। इस पर उस व्यक्ति ने ट्रेन •े झांसी आने पर रेलवे चि•ित्सा•र्मियों •ो समता एक्सप्रेस ट्रेन(ट्रेन नंबर-12807)•े •ोच एस-3 •ी सीट नंबर 47(टि•ट पीएनआर नंबर-660-6980171) पर चोटिल हुई महिला यात्री •े पास भेजने •ी बात •ही।  30 सितम्बर •ो सुबह •रीब 10 ट्रेन झांसी रेलवे स्टेशन पर पहुंच गई तो रेलवे •ा ए• डॉक्टर, ए• •म्पाउंडर पहुंच गए। इस दौरान वहां दो टीटी भी मौजूद थे। चि•ित्सा•र्मियों ने घायल महिला यात्री •ी मरहम पटटी •र दी। बाद में उपचार •े बाद चि•ित्सा•र्मियों ने महिला यात्री से उपचार •रने •ी एवज में 200 रुपए मांगे। सर•ारी चि•ित्स•ों द्वारा अवैध रूप् से पैसे मांगने •ा महिला सहित ट्रेन में सवार अन्य यात्रियों ने भी विरोध •िया। ले•िन चि•ित्सा•र्मी नहीं माने और जबरन महिला से 200 रुपए ले लिए। जब•ि ट्रेन में सवार होने •े बाद चि•ित्सा आदि •ी जिम्मेदारी रेलवे प्रशासन •ी होती है। ए• और तो महिला यात्री •ो 12 घंटे बाद उपचार मिला, वहीं चि•ित्सा•र्मियों ने अवैध वसूली •ी। इस संबंध में रेल मंत्री, रेलवे बोर्ड अध्यक्ष एवं झांसी •े रेलवे अधि•ारियों से दोषी चि•ित्सा•र्मियों •ो सस्पेंड •रने •ी मांग •ी है।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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फुटकर व्यापार में सीधे विदेषी निवेष -एक आकलन

Posted on 03 October 2012 by admin

इन दिनों जैसी मारा मारी एफ.डी.आई. पर मीडिया में-विपक्षी राजनीतिज्ञों में, मची हुई है उससे लग रहा है कि आजादी दिलाने वाली काॅंग्रेस कोई कथित इस्ट इण्डिया कम्पनी बुलाकर तुरन्त देष को गुलाम बनाने पर ही उतारु है और कतिपय विपक्षी दल ही केवल जनता के हिमायती बचे हैं ? कोई यह सोचने- समझने तक को तैयार नहीं है कि आखिर यह है क्या? दरअसल इसे देखने के दो पहलू हैं एक आर्थिक और दूसरा राजनैतिक। हमारे अर्थषास्त्री प्रधानमंत्री ने पहले भी भारत को आर्थिकरुप से सुद्रढ किया है जिसका जवर्दस्त असर भारतीय समाज के रहन सहन और हमारे आर्थिक विकास पर स्पष्ट दिख रहा है।हाथ कंगन केा आरसी क्या?…और अब फिर एक नई दिषा देकर उन्होंने देष की दषा बदलने का साहस किया है।साहस इसलिये कि एक तो केवल एक दल की सत्ता नहीं है,दूसरे विपक्ष को कुछ करना नहीं केवल ऋणात्मक हल्ला बोलना है जो बहुत आसान होता है। वस्तुतः बिना पूॅजी के देष में विकास कार्य आगे बढ़ नहीं सकते। देषी पूॅजी तो सीमित है अतःविदेषी पूॅजी आने से निष्चितरुप से ‘ग्रोथ’ बढ़ेगी और रुपया मजबूत होगा तो मॅंहगाई कम होगी जिसका लाभ आम आदमी को ही पहुॅंचेगा। इसलिये सरकार ने देष में आर्थिक सुधारों के तहत विदेषी निवेष बढ़ाने के लिये अन्य देषों की तरह , 51प्रतिषत मल्टीब्राण्ड रिटेल में,49प्रति.एयरलाइन्स में,74प्रति.सूचना प्रसारण में और 49प्रतिषत पाॅवर एकसचेंज में विदेषी कम्पनियों को भारत में कार्य करने की, कुछ षर्तों पर अनुमति दी है। क्योकि हमारे पास तो अपनी बुनियादी आवष्यकताओं की पूर्ति के लिये ही पर्याप्त धन नहीं है यथा सड़क, पानी, बिजली आादि.., तो एयर लाइन्स, पावर, तकनीकी सूचना आदि के लिये पूॅजी कहीं से तो लाना ही पड़ेगी या ऐसे ही वैष्वीकरण के,आर्थिक सुधार के वर्तमान युग में हम हाथ पर हाथ धरे बैठे रहेंगे? तो क्या सरकार के इस कदम पर, .निर्णय जनता को या देष के तटस्थ अर्थषास्त्रियों को विचार करने का अधिकार नहीं है कि सरकार का यह कदम उनके लिये हितकर है या अहितकर?  पर राजनैतिक द्रष्टि से केवल वे विरोधी राजनैतिक दल कुछ ज्यादा हल्ला मचा रहे हैं जो अपनी सत्ता होने के दौरान इस कार्यक्रम को देष में लाना चाहते थे पर नहीं ला पाये थे।एक तरफ गुजरात में विदेषी पूॅजी लाने के लिये नरेन्द्र मोदी का सम्मान किया जा रहा है। बिहार में नीतीष विदेषी पूॅजी के लिये लालायित बैठे हैं क्योंकि बिना इसके इन्फ्रास्ट्क्चर खड़ा ही नहीं किया जा सकता। इसलिये विरोध के लिये विरोध केवल चंद विरोधी राजनीतिज्ञ ही कर रहे हैं या वे व्यवसायी जिनकी दलाली पर रोक लगेगी, या वे जो किराने में 50 से 70प्रतिषत तक अनियन्त्रित मुनाफाखोरी कर रहे हैं या जिन्होंने अपने यहाॅ पहले से ही विदेषी ऐसे ही षोरुम खोल रखे हैं पर चिल्लाने से नहीं चूकते कि एफ.डी.आई. से देष लुट जायेगा।अभी कल ही एक चैनल बता रहा था कि किस तरह 5रु किलो किसान को देकर 25रु किलो टमाटर उपभोक्ताओं को बिचैलियों द्वारा बेचे जाते हैं? वे जानते हैं कि एफ.डी.आइ.से प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी और दलालों की मनमानी नहीं चलेगी।एफ.डी.आइ. से किसानों को ने केवल एक किलो टमाटर का दस रु मिलेगा वरन् उपभोक्ता केा पन्द्रह रु किलो टमाटर मिलेगा, नुकसान होगा तो केवल दलालों को। अब इन्ही से पूॅछो कि भैया भोपाल,इन्दोर में विदेषी ‘वेस्ट प्राइज’ का करोंद वाला षोरुम कितने सालों से चल रहा है?उ.प्र. में वालमार्ट कयों ?अगर वह लूट रहा है तो पहले उसे निकालो न ? पर हिप्पोक्रेसी यही तो है कि करना कुछ और कहना कुछ और।                          कौन जानता था कि राम से लेकर गाॅंधी तक के इस देष में एक ऐसी  लोकतांत्रिक मिली जुली सरकारी व्यवस्था आयेगी जब जनहित के कार्यों का निर्णय भी, बिना किसी बहस के भीड़तंत्र में मनमसोस कर लागू करने में सरकार को दाॅंतों पसीना आयेगा? इसीलिये इन दिनों यह चर्चा ही जोरों पर है कि खुदरा बिक्रेताओं को बेराजगार कर विदेषी व्यापारियों को अपना पैसा सीधे इस व्यवसाय में लगाने की अनुमति देना भारत सरकार का अत्यंत घातक कदम है ं? बिना जाने, केवल अपनी राजनीति चमकाने के लिये चिल्लपौं मची है। एफ.डी.आइ.,विपक्ष ने गत वर्ष स्थगित करा दिया था,षासन को झुका दिया था और दूसरी ओर यह आरोप लगने लगा था कि सरकार काम नहीं करती? ,इतने दिन संसद को नहीं चलने दी और अब वे डिवेट की माॅंग करते हैं।सरकार ने संसद चलने देने के लिये यदि कोई प्रकरण कभी स्थगित कर दिया तो विपक्ष अपनी जीत समझने लगा।पर प्रष्न यह है कि एफ.डी.आइ.पर एक तो बहस  हो ही नहीं सकी। न ही कोयले पर संसद का उपयोग  बहस के लिये हुआ। संसद बंद कर क्या विपक्ष ने एक अच्छे अवसर को देष से नहीं छीन लिया ? वे कैसे बिना बहस के कह सकते हैं कि कोयला में किसी एजेंसी का अनुमानित कथ्य, सही में घपला है?,एफ.डी.आइ.जन हित में नहीं है? अब एक तरफ भारत सरकार भारी धन व्यय कर बड़े बड़े विज्ञापन अखबारों में छपवाकर, किसान सम्मेलन कर एफ.डी.आइ.के लाभ गिनायेगी, बहसें आयोजित कर सत्य समझाने के प्रयास होंगे तो दूसरी ओर बाजार बंद कराये जायेंगे ,मुनाफाखोर व्यापारी दबाव बनाने को आमादा होंगे और अनेक विपक्षी दल संसद को नहीं चलने देकर बाहर यह बताने में अपनी पूरीऋणात्मक उर्जा लगायेगे कि ख्ुादरा क्षेत्र में विदेषी निवेष की अनुमति दी गई तो इस क्षेत्र में काम कर रहे करोड़ों लोग बेरोजगार हो जायेंगे,देष रसातल मंे चला जायेगा। जिस कार्य को, विरोधी कभी खुद सत्ता में रहते लागू कराना चाहते थे अब वही बाहर रह कर जनता विरोधी कह ,इसे हटाना चाह रहे हैं। विरोध विषय का नहीं ,षासन को एक अच्छे कार्य का श्रेय न मिल जाये इसका विरोध है या बदनाम कर षासन गिर जाये ?।हल्ले से ऐसे लग रहा है कि एक बार फिर ईस्ट इ्रण्डिया कम्पनी भारत में आकर हमें गुलाम बनाने बाली है। यह कटु सत्य है कि आज वैष्वीकरण और उदारबाद की आर्थिक सुधार की परिस्थितियों में बिना विदेषी निवेष के ,केवल आतरिक पॅूजी प्रवाह से हम विकास के उत्कृष्ट लक्ष्य को प्राप्त नहीं कर सकते। बेंक,इंष्योरेंस,टेलीकाॅम में पहले एफ.डी.आई आई थी,तब भी एसी आषंकायें बताई जा रहीं थीं पर उससे भारत के बेंक बेहतर ही हुये हैं ,आदि आदि। पर बहस अगर मुद्दों पर हो तो कुछ समझने की बात भी बने और तस्वीर साफ हो क्योंकि जिन देषों में यह अनुंमति दी गई है न तो वे गुलाम हुये हैं न लुट गए हैं। पर बहस हो कहाॅं ? संसद तो चलने नहीं दी जायेगी।जिदबाजी पर दोनों पक्ष अडे़ रहंेगे तो जनता केवल भावनात्मक रुप से भ्रमित होगी और देष को लाभ की बजाय क्षति अधिक होगी। क्योंकि देषी बनाम विदेषी का संवेदनात्मक मामला बनाकर लोग बिना एफ.डी.आई समझे विरोध करने के आदी हैं या फिर भले इसे मात्र 53 षहरों में पहले लागू करना हो,हाॅं है तो नीतिगत फैसला। दूसरी ओर विपक्षी बिना मनन किये तरह तरह के काल्पनिक आरोप लगाने लगे हैं।सरकार को अल्टीमेटम देकर झुकाना चाहते हैं।इतना ही नहीं षासन के सहयोगी एक दो घटक तक रंग बदल चुके हैं। हालाॅंकि अगर केन्द्र ने निर्णय कर ही लिया है तो प्रदेष सरकारें अपना हानि-लाभ विचार कर इसके कार्यान्वयन करने के लिये स्वतंत्र हैं इसलिये विरोध करने का तो कोई औचित्य ही नहीं रहा।केन्द्र किसी पर यह थोप नहीं रहा है। विकल्प आपके हाथों में है ,परेषान नहीं हों।इसलिये बिना विचारे अनाप षनाप वक्तव्य देना कहाॅं तक उचित है?पर विरोध मानें विरोध? एक मुख्यमंत्री जो अपनी मूर्ति स्वयं लगवाकर स्वंय को माला पहना कर, दलितों का कथित हित साधने में लगी रहीं और राहुल गाॅंधी के दौरों से बेहद परेषान थीं, ने तो यहाॅं तक कह दिया था कि विदेषी कम्पनियों के मालिक राहुल गाॅंधी के दोस्त हैं इसलिये उन्हें लाभ पहुॅंचाने के लिये केन्द्र सरकार यह कार्य कर रही है। जब कि अभी यही नहीं मालूम कि कितनी और कौन कम्पनियाॅं भारत में निवेष करेंगीं?एक और मुख्यमंत्री ने कहा कि अपने प्रदेष में वे विदेषियों को घुसने नहीं देंगे जब कि वही मुख्यमंत्री बहुत पहले ही अपनी राजधानी में विदेषी  ‘षाॅपिंग माॅल’ खुलवा चुके है। एक पूर्व असफल मुख्य मंत्री ने घोषणा की थी कि यदि उक्त बालमार्ट का माॅल खुला तो वह स्वंय आग लगायेंगे।अब.बताइये इस माहौल में जनता कैसे वास्तविकता.समझे ? प्रथम द्रष्टया यह तो समझ में आता है कि खुदरा व्यवसाय में करोड़ों लोग रोजगार कर,अपनी रोजी रोटी चला रहे हैं। अब जब विदेषी कम्पनियाॅं यहाॅं उक्त कार्य करेंगी तो देषी व्यवसायी उनके सामने इसलिये नहीं टिक पायेंगे कि न तो विदेषियों की भाॅंति भारी पूॅजी लगाकर भारतीय छोटे व्यवसायी कच्चामाल या उत्पादों का संग्रहण अधिक दिनों के लिये खरीद कर रख सकेंगे,न बड़े बड़े विज्ञापनों का प्रदर्षन कर सकंेग,े न ही रंग विरंगी आकर्षक पैकिंग से नई पीढि़यों को आकर्षित कर पायेंगे,न ही विदेषी कन्याओं को उॅची तनख्वाहें देकर ग्राहकों को खींच सकेगे और न ही एकड़ों भूखण्डों में षानदार बिल्डिंगें बनाकर लिफ्टों में,स्वमेव सरकती सीढि़यों में, लेागों को आधुनिक गिफ्टें दे सकेंगे। यह भी सही है कि प्रारंभ में विदेषी माॅल सस्तें में ग्राहकों को सामग्री उपलब्ध करायेंगे,रिलायंष फ्रेष जैसे,.. और इनका अभ्यस्त होने पर अपना रंग दिखाना षुरु कर उपभोक्ताओं से अधिक लाभ लेना प्रारंभ करेंगे,किसानों की उपज का मनमाना रेट देंगे ही,क्योंकि एक तो वे यहाॅं लाभ कमाने के लिये भारी पूॅंजी लगा कर धंधा करने आ रहे हैं सेवा करने नहीं।दूसरे विज्ञापनों, पैकिगों, सैल्समेनों की उॅंची तनख्वाहों,माॅंल के लिये मंहंगी जमीनें खरीदने आदि आदि का पैसा निकालेंगे तो क्रेता की,यानी हमारी ही जेब से। फिर अनुमान है कि यही सामान हमें इतना मंहगा पड़ेगा कि जिसकी कल्पना आज नहीं की जा सकती यह भी सही है कि एक करोड़ों लोगों को नौकरियाॅं मिलेंगी पर चार करोड़ से अधिक उन छोटे दुकानदारों को बेरोजगार करके जेा न तो तकनीकी कुषल हैं और न बिना पूॅंजी के अकुषल होने के कारण, अन्य कोई कार्य कर सकते हैं।प्रभावितों की संख्या लगभग बीस करोड़ तक हो सकती है तब बेरोजगारी से इस देष का जो हाॅल होगा वह भी अकल्पनीय है। आखिर अमेरिका में बेरोजगारी 15प्रतिषत बढ़ने का एक कारण यह भी है कि वहाॅं विदेषी कम्पनियों को खुली छूट दी गई। तो हमें कुछ तो अन्य देषों से सीखना चाहिये।थाईलेण्ड में तो सुना है कि विदेषियों को निकालने तक का निर्णय लेना पड़ा।कमोवेष यही हाल अन्य देषों का हो रहा है।अब चूॅकि बराक ओबामा गत भारत यात्रा में कह गये थे कि जिन्हें हमने अपनी अर्थव्यवस्था खुली छोड़ी है वे बाजार हमें भी खुलना चाहिये तो क्या इसीलिये हम आधुनिक होने के लिये भारतीयों को बेरोजगारी की आग में झोंक दें ?षासन द्वारा समझाया जा रहा है कि कृषि एवं फलों की उपजों/ उत्पादों का बहुत भाग नष्ट होने या सड़ने से बचाया जा सकेगा। बिचैलिये समाप्त होंगे जिससे उपभोक्ता को लाभ होगा। नई तकनीक आयेगी। षीतग्रह बढ़ेंगे। प्रष्न केवल यही है तो क्या यह कार्य अपने देष के लोगों से नहीं कराया जा सकता?यह सही है कि 2009 की तुलना में हमारे यहाॅं विदेषी निवेष इन दिनों कम हुआ है।विदेषी कम्पनियाॅं हमारी सरकार को सैकड़ों करोड़ रु के निवेष का प्रलोभन दे रहीं हैं तो क्या यह निवेष बिना लघु व्यापारियों के बेराजगार किये बिना, अन्य तकनीकी क्षेत्रों में निवेष से नहीं किया जा सकता? भारत की प्राचीन परम्परा हाट बजारों की रही है उन्हें बीमार करके फिर बुनकरों आदि जैसा पेकेज देना पड़े या हमारे उत्पादों की जगह विदेषी उत्पाद यहाॅं भर जाये ंतो हमारे कुटीर उद्योगों का क्या होगा? एक बहुत पुराना उदाहरण हमारे पूर्वज सुनाया करते थे कि पहले भारतीयों में चाय पीने की आदत नहीं थी,तब अंग्रेजों ने मुफ्त में चाय पिला पिला कर हमें इसका आदी बनाया था। अब हम विष्व के सबसे बड़े चाय उपभोक्ता बन गये हैं। जिस चाय के पीने से स्वास्थ को हानि ही होती है,कोई फायदा नहीं, अब हम उसके बिना रह नहीं सकते और जिसके निर्यात से जो हमें भारी विदेषी मुद्रा मिलती,वह हानि तो हो ही रही वरन् अब वही चाय पाॅंचसौ रु किलो लेकर हमें पीनी पड़ रही है। यही स्थिति कोल्ड ड्ंिक्स की है।जब से दूध ब्राण्डेड हुआ है भले देषी लोगों ने किया हो तो न केवल मंहगा होता जा रहा है वरन् पालतू पषु के सारे लाभों से हम वंचित हो षुद्ध़,सस्ते और स्वास्थवर्धक दूध,दही,घी के लाले पड़ गये। कृषि और चमड़ा का कुटीर उद्योग सब ठप्प हो गया है।विज्ञापनों की चमक दमक ने हमें भौतिकवादी विकास के नाम पर, षहरीकरण ने गाॅंव निर्जन कर ,हमें पेट्ोल पर आश्रित कर कारों से स्टेटस बनाने का प्रदर्षनकारी बना ,तेल के देषों का गुलाम बना दिया है। इत्यादि…        समय रहते हमें चेतना चाहिये।दरअसल भारत की पारम्परिक स्थितियाॅं अन्य देषों से निताॅंत भिन्न हैं। यहाॅं का सोच केवल अर्थ केन्द्रित न होकर परस्पर समभाव का है।इसलिये विकसित बनने के नाम पर , आधुनिक प्रतिस्पर्धा में हम पाष्चात्य की तरह दिवालिये बनने की ओर  कहीं न मुड़ने लगें ?अपने पाॅंवों पर खुद कुल्हाड़ी न मारें? अतः सतर्क रहने की आष्यकता है।विदेषी निवेष अवष्य हो पर देषवासियों को बेरोजगार करने की षर्त पर नहीं।हम अपने सांस्कृतिक धरातल पर ही सबको साथ लेकर आगे बढ़ें और सषक्त बनें तो बेहतर होगा।    हाॅलाकि हम इतने बड़े देष में अपने श्रोतों से सड़क,बिजली,पानी जैसी प्राथमिक समस्यायें ही पहले सुलझा लें तब अन्य मुद्दों पर विचार करें। इसलिये किसानों की जिन्सों को सुरक्षित,संरक्षित और विकसित,कोल्ड स्टोरेज,प्रोसेसंिग यूनिट डालने आादि एवं उपभोक्ता को सस्ते में सामग्री मिलने,विचैलिया हटाने  के निये एफ.डी.आई. आवष्यक प्रतीत होता है।

कैलाष मड़बैया,वरिष्ठ साहित्यकार
75 चित्रगुप्त नगर,कोटरा,भोपाल-3 ,
9826015643
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सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

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