उ.प्र. के किसानों के हित में लगातार पाँच वर्षो तक बीज उपलब्ध कराने के लिए एक अनुबन्ध उ.प्र. कोआपरेटिव फेडरेशन लि0, (पी.सी.एफ.) की प्रबंध निदेशक श्रीमती संध्या तिवारी एवं कृषक भारती कोआपरेटिव लि. (कृभको) के विपणन निदेशक एन.एस. राव के मध्य वित्तीय वर्ष 2012-13 से अगले पांच वर्षो अर्थात वर्ष 2017-18 तक के लिए खरीफ एवं रबी की फसलों हेतु प्रमाणित बीजों की आपूर्ति हेतु यह सहमति ज्ञापन-पत्र हस्ताक्षरित किया गया। अनुबन्ध पर पीसीएफ के महाप्रबधंक अशोक कुमार एवं कृभकों के मुख्य राज्य प्रबंधक विपणन डा. सुरेन्द्र सिंह ने हस्ताक्षर किया। इस अवसर पर पी.सी.एफ. के महाप्रबंधक रवीन्द्र सिंह एवं कृभको के उप महाप्रबंधक टी.एस.राव और मुख्य प्रबंधक विपणन एन.पी. शर्मा उपस्थित रहे। सहकारी समितियों एवं अपने निजी कृषक सेवा केन्द्रों के लिए केन्द्रांे से किसानांे को प्रमाणित बीजों की बिक्री करने के लिए उपरोक्त वर्णित अवधि में प्रमाणित बी5 इस सहमति पत्र में वर्णित शर्तो एवं प्रतिबन्धों के आधीन क्रय किये जायेगें।
जिसके अन्तर्गत कृभकों द्वारा रबी वर्ष 2012-13 में पीसीएफ को 1,00,000 कु. प्रमाणित गेहूॅ बीज आपूर्ति किया जायेगा, एवं वित्तीय वर्ष 2013-14 से कृभकों 1,20,000 कु. गेहूॅ प्रमाणित बीज लगभग 4000 कु. चना, मटर, मसूर और लगभग 5000 कु. धान प्रमाणित बीज पीसीएफ को आपूर्ति करेगा अतः वर्ष 2013-14 से वर्ष 2017-8 तक यह मात्रा 20 प्रतिशत बढ़ाई जायेगी। फसलवार मात्रा का निर्धारण अक्टूबर 2012,13,14,15,16 में लिखित आपसी सहमति के आधार पर किया जायेगा तदानुसार ही गेहूॅ, चना, मटर, मसूर, एवं धान के प्रमाणित बीज की आपूर्ति की जायेगी। उक्त मात्रा कृषि विभाग द्वारा आगामी प्रत्येक खरीफ एवं रबी हेतु निर्धारित की जाने वाले अनुदानित बीज की मात्रा के आधीन हागी तथा तद्नुसार उक्त मात्र में कमी/वृद्धि की जा सकती है। जिसकी सूचना कृषि विभाग से नीति-निर्धारण/आवंटन प्राप्त होते ही पीसीएफ स्तर से कृभकों को दी जायेगी। पीसीएफ पर कृभको से मांग के अनुसार वित्तीय वर्ष 2017-18 तक बीजों की आपूर्ति प्राप्त करना बाध्यकारी होगा।
कृभकों द्वारा उत्पादित बीजों पर प्रथम प्रभार पीसीएफ का होगा अर्थात् कृभकों द्वारा स्वयं उत्पादित बीजों की मात्रा में से प्रथमतः पीसीएफ की माॅग का पूर्ति करनी होगी। कृभकों द्वारा पीसीएफ को आपूर्ति किये जाने वाले सभी प्रकार के प्रमाणित बीज उनके द्वारा स्वयं उत्पादित होगें तथा राज्य बीज प्रमाणीकरण संस्था द्वारा प्रमाणित एवं उक्त संस्था एवं बीज अधीनियम 1966 (यथा संशोधित) द्वारा निर्धारित मानकों एवं उपबन्धों कें अनुरूप होगा।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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