उत्तर प्रदेश में कृषि विभाग द्वारा इस वर्ष भी रबी की बुआई से पूर्व ‘‘अपनी मिट्टी पहचाने अभियान’’ रबी 2012-13 चलाया जा रहा है। अभियान के द्वितीय चरण 20 अक्टूबर 2012 को आयोजित किया जायेगा, कृषि से जुड़े किसानों ने किन्हीं कारणों से अपने खेतों की मिट्टी की जांच नहीं करवा पाई हो तो वे मिट्टी की जांच अवश्य करायें। किसान भाइयों को जरूरी है कि जांच में मुख्य पोषक तत्वों के साथ सूक्ष्म पोषक तत्वों की जांच अवश्य करायें। मृदा परीक्षण अभियान के माध्यम से किसानों को मिट्टी में आने वाली कमियों के अनुसार संतुलित खाद डालने एवं बुआई की वैज्ञानिक सलाह मृदा स्वास्थ्य कार्ड के द्वारा दी जाती है।
कृषि मंत्री श्री आनन्द सिंह ने बताया कि खेतों में लगातार असन्तुलित रासायनिक उर्वरकों के प्रयोग एवं जीवांश खादों के प्रयोग न करने से मृदा स्वास्थ्य पर कुप्रभाव पड़ा है। इसके प्रभाव के कारण प्रदेश के अधिकांश जनपदों में मुख्य पोषक तत्वों के साथ-साथ द्वितीय तथा सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी हो रही है। उन्होंने बताया कि पौधों के अच्छे विकास के लिए 16 पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है, इनमें से तीन पोषक तत्व कार्बन, हाइड्रोजन तथा आक्सीजन वायुमण्डल तथा जल से ग्रहण करते हैं, अन्य तेरह मुख्य पोषक तत्वों में नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटाश, द्वितीय पोषक तत्वों में प्रमुख पोषक तत्व कैल्सियम, मैग्निशियम सल्फर तथा सूक्ष्म पोषक तत्वों में-जिंक, आयरन, मैग्नीज, कापर, बोरान, मालिब्डेनम एवं क्लोरीन जो पौधे भूमि से ग्रहण करते हैं।
कृषि मंत्री ने बताया कि स्वस्थ भूमि में जीवांश कार्बन की मात्रा
0.8 प्रतिशत होनी चाहिए, लेकिन अधिकांश किसानों द्वारा लगातार धान एवं गेहूं के उत्पादन का चक्र अपनाने के कारण जीवांश कार्बन की मांत्रा 0.4 प्रतिशत से कम रह गई है। उन्होंने बताया कि वर्तमान मंे मृदा परीक्षण के आधार पर प्रदेश के अधिकांश जनपदों में नत्रजन, फास्फोरस, सल्फर, जिंक, लोहा, तांबा, मैग्नीज अािद महत्वपूर्ण पोषक तत्वों की भूमि में कमी हो रही है। उन्होंने कहा कि इसी समस्या के निदान के लिए मृदा स्वास्थ्य को शीर्ष प्राथमिकता देते हुए सरकार द्वारा प्रदेश में अपनी मिट्टी पहचाने एक व्यापक अभियान चलाया जा रहा है। उन्होंने बताया कि पूरे अभियान में 1407000 मृदाओं के नमूने एकत्रित करे जायेंगे। उन्होंने बताया कि 20 अक्टूबर तथा 03 नवम्बर 2012 को प्रत्येक चरण में 3,54,210 मृदाओं के नमूने एकत्रित कियो जायेंगे एवं एकत्रित मृदाओं के विशलेषण की संस्तुतियां 30 नवम्बर 2012 तक समसय उपलबध करायी जायेंगी, इसके लिए प्रयोगशालाओं में कर्मचारियों द्वारा पालियों में कार्य कराया जा रहा है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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