Posted on 15 September 2012 by admin
समय आ गया है अब यह निर्णय हो ही जाना चाहिऐ कि आखिर आरक्षण कितनी बार एक ही व्यक्ति को दिया जाये। पहले शिक्षा में, फिर नौकरी में, फिर प्रमोशन में, फिर और बड़े प्रमोशन में जब तक सीनियर जूनियर न हो जाये। यह सिलसिला चालू रहे और हमारा संविधान के प्रदत्त अधिकार प्रतिष्ठा और अफसर की समता जब तक समाप्त न हो जाये। आखिर क्या हमने बाबा साहब अम्बेडकर के नेतृत्व में बने संविधान को इसीलिऐ अंगीकृत किया था। क्या आज के तथा कथित आकाओं का विश्वास संविधान के निर्माता द्वारा मूल भावनाओं से डिग गयी है?
सरकारी नौकरियों में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के कर्मियों को जून 1995 से प्रोन्नति में आरक्षण देने का प्रस्ताव है। मानसून सत्र में जो विधेयक राज्यसभा में पेश किया गया था उसमें इसका उल्लेख है। विधेयक में कहा गया है, यह भी जरूरी है कि संविधान के अनुच्छेद 16 के प्रस्तावित परिच्छेद (4 ए) को तभी से प्रभावी माना जाए जबसे यह परिच्छेद मूल रूप में पेश किया गया था। वह तिथि 17 जून 1995 है। इसका अर्थ यह हुआ कि यह प्रावधान वर्ष 1995 की उस तिथि से प्रभावी माना जाएगा जब एससी और एसटी को प्रोन्नति में आरक्षण के लिए संविधान संशोधन किया गया था। अब यह संविधान संशोधन विधेयक कम से कम शीतकालीन सत्र तक के लिए लटक गया है। समाजवादी पार्टी व शिव सेना के विरोध और कोयला घोटाले के मुद्दे पर भाजपा के तेवर को देखते हुए ऐसा नहीं लगता कि अगले सत्र में भी यह पारित हो पाएगा। वर्ष 1995 में 77वां संविधान संशोधन किया गया था। उसमें एक नया परिच्छेद (4 ए) को जोड़ा गया था जिससे सरकार प्रोन्नति में आरक्षण का प्रावधान करने में सक्षम हुई थी। बाद में वर्ष 2001 में 85वें संविधान संशोधन के जरिए एससी और एसटी समुदाय के प्रत्याशी को आरक्षण प्रावधान के परिणाम स्वरूप वरीयता देने का प्रावधान किया गया। इस संविधान संशोधन की वैधता को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई। सुप्रीम कोर्ट ने एम नागराज के मामले में फैसला दिया कि संबंधित राज्य हर मामले में ऐसा किस कारण से मजबूर होकर किया गया यह बताने कहा। यह भी कहा कि प्रोन्नति में आरक्षण का प्रावधान करने से पहले पिछड़ापन, प्रतिनिधित्व की कमी और कुल मिलाकर ऐसे उम्मीदवार की प्रशासनिक कार्यक्षमता के बारे में बताएं। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के आधार पर राजस्थान और इलाहाबाद हाई कोर्ट दो राज्यों में प्रोन्नति में आरक्षण खत्म कर दिया। बाद में सुप्रीम कोर्ट ने भी इन दोनों हाई कोर्ट के फैसले को मान लिया। उसी के बाद यह संविधान संशोधन की तैयारी है।
सियासी दाव पेच में उलझा आरक्षण का जिन्न कितने बार इस देश को डसेगा श्याम बाबू के शब्दों में कहाॅ जाकर रूकेगा आरक्षण यह सिलसिला ? आजादी के बाद से लागू आरक्षण व्यवस्था कम होने के बजाय इसका दायरा निरन्तर बड़ता जा रहा है। मात्र दस वर्षो से लागू इस व्यवस्था का कोई अन्त होता भी हाल फिलहाल नजर नही आ रहा है। सुप्रिम कोर्ट के प्रमोशन में आरक्षण को रद्द करने के फैसले के बावजूद सरकार फिरसे इसे बहाल करने की कोशश कर न्याय व्यवस्था पर प्रश्न चिन्ह लगा रही है। संविधान निर्माता डाॅ0 भीमराव अंबेडकर और देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू जातियों का भेद मिटाने और सभी तरह के आरक्षण को धीरे-धीरे खत्म किए जाने के हिमायती थे। संविधान निर्माताओं ने सरकार को समाज के एक ऐसे तबके को आगे करने के लिए आरक्षण का विवेकाधिकार दिया था, जो बरसों से पीछे था। पूर्व कैबिनेट सचिव टीएसआर सुब्रहा्रण्यम का कहना है कि सरकार की नीति संविधान के अनुच्छेद 14 की मूल भावना के भी खिलाफ है। संविधान का यह अनुच्छेद कानून के सामने हर नागरिक को समान अधिकार देता है। अगर संविधान में बदलाव भी होता है तो इस बात की पूरी गुंजाइस है कि सुप्रीम कोर्ट इस संशोधन को संविधान की मूल भावना के खिलाफ मानते हुए रद्द कर सकता है। इस कथन के साथ सहमति जताते समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता राजेन्द्र चैधरी ने कहा कि केन्द्र सरकार द्वारा प्रोन्नति में आरक्षण लागू करने को मंजूरी देना अनुचित और सामाजिक न्याय के सिद्वान्त के सर्वथा विपरीत है। सर्वोच्च न्यायालय ने 27 अप्रैल 2012 के अपने फैसले में उत्तर प्रदेश में बसपा सरकार के आदेशों को असंवैधानिक करार दिया था। इसको संविधान संशोधन द्वारा पलटने की तैयारी के गम्भीर परिणाम होगें। उन्होंने कहा कि समाजवादी पार्टी प्रारम्भ से ही प्रोन्नति में आरक्षण का विरोध करती रही है। मुलायम सिंह याद ने केन्द्र सरकार को इस सम्बन्ध में चेताया था कि वह सामाजिक विषमता और असंतोष को बढ़ाने का काम न करें। प्रोन्नति में आरक्षण से जहां प्रशासनतंत्र में शिथिलता आएगी वही सामाजिक सद्भाव पर भी विपरीत प्रभाव पड़ेगा। इससे सामान्य व पिछड़ें वर्गो के कार्मिकों को मनोबल गिरेगा और वे संविधान प्रदत्त समानता के अधिकार से वंचित हो जाएंगे। चैधरी ने कहा कि यह विधेयक संसद में पास नही होगा। यदि हो भी गया तो सुप्रीम कोर्ट इसे फिर रद्द कर सकता है। चिन्तक और वरिष्ठ पत्रकार निरंकार सिंह के शब्दांे में
यह बात बिल्कुल साफ है कि आरक्षित और गैर आरक्षित दोनेां तबको द्वारा एक ही स्तर की निर्धारित परीक्षा उत्तीर्ण करने के पश्चात समान पद पर नियुक्ति प्राप्त होती है तो उसके पश्चात सभी सरकारी वर्ग के सेवक हो जाते है। इन सेवकों में भेद और विभेद करना और उन्हें जन्मजाति कारणांे से सीनियर को रोक कर जूनियर को सीनियर बना देने की परिकल्पना प्राकृतिक न्याय के और सामाजिक न्याय के सर्वथा विपरीत है। सरकारी सेवाओं में प्रोन्नति का आधार कार्यशैली गुणवत्ता और अनुभव आदि मापदण्ड जो निर्धारित हमारे संविधान के अन्तर्गत किये गये उन्हें हटा कर संविधान संशोधन के माध्यम से नये नियमों को लागू करने से देश बट जायेगा। वैसविक करण के इस युग में जब तमाम विकसित देश जाति और देश की सीमाओं को तोड़ कर प्रतिभाओं का इस्तेमाल कर रहे है तो ऐसे किसी विधेयक का ध्क्या औचित्य हो सकता है जो देश को पीछे ले जाये।
सुप्रीम कोर्ट कें तीन फैसले
इंदिरा साहनी मामला
16 नवम्बर 1992 को इंदिरा साहनी मामले में सुनाए गए निर्णय में सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने स्पष्ट व्यवस्था दी थी कि संविधान के अनुच्छेद 16 (4) के अंतर्गत नौकरी की शुरूआत में अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के उम्मीदवारों को आरक्षण दिया जा सकता है, मगर पदोन्नति के लिए इसका विस्तार नही किया जा सकता।
नागराज मामला
19 अक्टूबर 2006 को एम. नागराज में भी अपना निर्णय देते हुए सुप्रीम कोर्ट के संविधान पीठ ने साहनी मामले पर दिए गए निर्णय को ही अपना आधार बनाया था। भारत के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश वाईएस सभरवाल की अध्यक्षता वाली इस संविधान पीठ में भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश रह चुके और वर्तमान राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति केजी बालाकृष्णन और भारत के वर्तमान मुख्य न्यायाधीश एसएच कपाडिया भी शामिल थे। इस संविधान पीठ ने स्पष्ट राय दी थी कि पदोन्नति में आरक्षण की व्यवस्था संविधान के बुनियादी ढांचे और इसके अनुच्छेद 16 में दिए गए समता के अधिकार के खिलाफ है। एम. नागराज मामले मंे संविधान पीठ द्वारा दिए गए निर्णय में भी आरक्षण की सीमा 50 प्रतिशत तक सीमित रखे जाने, इन वर्गो के संपन्न तबके की अवधारण, पिछड़ेपन और अपर्याप्त प्रतिनिधित्व जैसे अपरिहार्य कारणों की अनिवार्यता का उल्लेख किया गया था। संविधान पीठ का मानना था कि इस व्यवस्था के बिना संविधान मंें दिया गया समान अवसर का उद्देश्य ही नष्ट हो जाएगा। इसके अलावा संविधान पीठ का यह भी मानना था कि राज्य अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लिए पदोन्नति में आरक्षण को व्यवस्था किए जाने हेतु कतई बाध्य नही है। इसकें बावजूद यदि कोई राज्य अपने विशेषाधिकार का इस्तेमाल करते हुए ऐसी कोई व्यवस्था करना चाहता है, तो उसे इस वर्गो के पिछड़ेपन और सरकारी नौकरी में इनके अपर्याप्त प्रतिनिधित्व के आंकड़े प्रस्तुत करने होंगे तथा अनिश्चित काल तक के लिए आरक्षण विस्तार नही किया जा सकता, यह भी सुनिश्चित करना होगा।
अप्रैल 2012 का फैसला
उत्तर प्रदेश की मायावती सरकार द्वारा अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों को पदोन्नति में आरक्षण एि जाने के प्रावधान को सुप्रीम कोर्ट ने तीसरी बार खारिज कर दिया, क्योंकिम सुप्रीम कोर्ट द्वारा मांगे गए इन वर्गो के कर्मचारियों को पदोन्नति में आरक्षण दिए जाने के जाति आधारित आंकड़े मायावती सरकार कोर्ट में प्रस्तुत नही कर सकी थी। न्यायमूर्ति दलवीर भंडारी और न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा की पीठ ने कहा कि हम इस दलील को स्वीकार करने को तैयार नही है, क्यांेकि जब संविधान के प्रावधान कुछ शर्तो के साथ वैध माने गए है, सरकारी के लिए आवश्यक है कि वह इसे आगे बढ़ाए और अमल करे ताकि संशोधनों को परखा जा सके और वह निर्धारित मानदंडों पर खरा उतर सके। इस मामले में कर्मचारियों के एक वर्ग ने उत्तर प्रदेश सरकार के कर्मचारियांे की वरीयता संबंधी नियम 1991 की धारा 8ए के प्रावधानों की वैधता को चुनौती दी थी।
राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग केग उपाध्यक्ष का ने यह आरक्षण तो एससी और एसटी को संविधान के तहत पहले से ही मिलता रहा है। आरक्षण नीति संविधान के अनुरूप चल रही थी। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने नागराज मामले मंे निर्णय देकर कहा कि एससी और एसटी को प्रोन्नति में आरक्षण नही मिलना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने भी इस फैसले पर मुहर लगा दी थ्की। इस फैसले से हम लोग हतप्रभ रहे है दरअसल, न्यायालय अपनी सीमाओं को लांघ रहा है। कोर्ट भी कई दफा अपनी सीमा कूे पार जाकर, इस तरह का फैसला सुना देता है। जिससे समाज के एक वर्ग को धक्का लगता है और उनके हितों को भारी नुकसान पहंुचता है। एससी और एसटी सबसे पिछड़ास समाज है। आज भी देश के हर कोने में बसने वाले गांवां में अमीरों और गरीबों की अलग-अलग बस्तियां बनी हुई है। सबसे गरीब समाज होने के कारण हमेशा से इनके साथ उचित व्यवहार नही हुआ। जब न्यायालय इस तरह के फैसले करता है, तो विशेषकर सबसे गरीब तबके को ठोस पहुंचाती है। अभी भी सरकारी नौकरियों में जो प्रमोशन में आरक्षण एससी और एसटी को मिला हुआ है, वह मात्र 2 से 3 प्रतिशत है। जो कि काफी कम है। इसके बाद भी न्यायालय ने इसे भी देने से मना कर दिया। आखिर दबे और कुचले समाज के साथ इतनी नाइंसाफी क्यांे?
नौकरियो में कितना ‘पिछड़ापन’
सुप्रीम कोर्ट ने सरकारी सेवाओं में पदोन्नति मंें आरक्षण की व्यवस्था को खारिज करते हुए सरकार से पूछा था कि वह बताए कि देशों में नौकरी कर रहे अनुसूचित जाति और जनजाति के पिछड़ेपन का आंकड़ा कितना है, जिसके आधार पर प्रमोशन में रिजर्वेशन की मांग की जा रही है। लेकिन सरकार अब तक यह नही बता पाई है कि इस बारे में आंकड़ा क्या है। आरक्षण लागू किए जाने से जातियों का पिछड़ापन कितना दूर हुआ है और कितने लोगों ने इसका फायदा उठाया है, इसे लेकर सरकार ने आज तक कोई ठोस अध्ययन नहीं करवाया है। इसी प्रश्न में कई राज छिपे है। माया सरकार ने इलाहाबाद हाईकोर्ट को अपना जवाब इस लिए नही दिया था क्योंकि उनकी सरकार के समय उत्तर प्रदेश के टाप पोस्टों पर सबसे अधिक अधिकारी तैनात थे। तब वह किस आधार पर सच से मुॅह चुराती रही और उसी का परिणाम यह मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुॅचा जहाॅ से हुए फैसले ने मायावती के चुनावी आधार को ही तहस-नहस कर डाला इसे फिरसे आधार देने के लिये कांग्रेस से तालमेल करती नजर आई लेकिन समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव के स्पष्ट रुख के कारण सरकारी बिल अटकता नजर आ रहा है। सवाल बिल अटके या लटके से बड़ा सवाल मुलायम सिंह यादव ने जो उठाया है कि सीनियर को जूनियर किस आधार पर कर सकते है। इसे कैसे स्वीकार किया जा सकता है? क्या इससे वैमनस्यता का खतरा पैदा होगा? इन सवालों के जवाब खोजने की जगह कांगे्रस ने अतिउत्साह में जो बिल पेश किया उसका हश्र कांग्रेस के लिए आने वाले दिनांे में किस तरह मिलता है यह तो वक्त ही बतायेगा लेकिन इतना तय है कि समाजवादी पार्टी प्रमोशन में आरक्षण के मामले में आगामी चुनाव में मुद्दा बनाकर सड़कांे पर ले जाएगी।
-सुरेन्द्र अग्निहोत्री
ए-305, ओ.सी.आर. बिल्डिंग
विधानसभा मार्ग, लखनऊ
मो0ः9415508695
Posted on 15 September 2012 by admin
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव ने कहा कि पूरे देश की निगाहें इस समय यू.पी. पर लगी हुई हैं। इसलिए हमें वो काम करके दिखाना है, जो अब तक नहीं हुआ। हम अगले पांच साल में अपने राज्य को विकास की नई ऊंचाईयों तक पहुंचा देंगे। हमने उत्तर प्रदेश की जनता से जो वायदे किए हैं, उन्हें पूरा करेंगे। विकास के मामले में जल्दी ही प्रदेश में बड़ा बदलाव आएगा।
मुख्यमंत्री आज अपने सरकारी आवास 5, कालिदास मार्ग पर आयोजित इमरजेन्सी मेडिकल ट्रांसपोर्ट सर्विस ‘समाजवादी स्वास्थ्य सेवा’ के उद्घाटन अवसर पर बोल रहे थे। श्री यादव ने स्वयं 108 नम्बर पर फोन कर इस सेवा का शुभारम्भ किया और एक एम्बुलेन्स के ड्राइवर श्री गजेन्द्र को एम्बुलेन्स की प्रतीकात्मक चाभी भेंट की। मुख्यमंत्री ने प्रदेश के 18 जनपदों में 67 करोड़ 43 लाख रुपए की लागत से बने 22 सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों तथा 08 प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों का लोकार्पण भी किया।
इस अवसर पर श्री यादव ने कहा कि हमारी सरकार गरीब की मदद के लिए हर स्तर पर ईमानदारी से कार्य कर रही है। हर विभाग में नए ढंग से ऐसे फैसले लिए जा रहे हैं, ताकि आम आदमी लाभान्वित हो सके। उन्होंने कहा कि यह बात गौर करने की है कि जिस विभाग पर पिछली सरकार में सबसे ज्यादा उंगलियां उठी थीं, वही विभाग इस सरकार में उल्लेखनीय कार्य कर रहा है। उन्होंने इसके लिए स्वास्थ्य मंत्री श्री अहमद हसन को बधाई देते हुए कहा कि उन्हें खुशी है कि आज से प्रदेश के 13 जनपदों में फस्र्ट एड तथा उपचार उपकरणों से सुसज्जित 133 इमरजेन्सी एम्बुलेन्स उपलब्ध कराई जा रहीं हैं। समाजवादी स्वास्थ्य सेवा के लिए मोबाइल अथवा किसी भी फोन से टोल फ्री 108 नम्बर डायल करने पर 20 मिनट के अन्दर एम्बुलेन्स फोन करने वाले व्यक्ति के बताए पते पर पहुंच जाएगी और निकट के अस्पताल तक मरीज को निःशुल्क पहुंचाएगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि इस वर्ष के अंत तक प्रदेश के हर प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र पर एम्बुलेन्स उपलब्ध करा दी जाएगी। उल्लेखनीय है कि इससे पहले गत 22 अगस्त को मुख्यमंत्री हरी झण्डी दिखाकर राज्य के 75 जनपदों के लिए यू.पी. एम्बुलेन्स सेवा के तहत 200 एम्बुलेन्स रवाना कर चुके हैं। इसी सेवा को विस्तार देते हुए मुख्यमंत्री ने आज हरी झण्डी दिखाकर 240 और एम्बुलेन्स रवाना की। उन्होंने कहा कि इस वर्ष अक्टूबर तक 972 एम्बुलेन्स प्रदेश के 820 विकास खण्डों में उपलब्ध करा दी जाएंगी।
मुख्यमंत्री ने यह भी बताया कि गर्भवती महिलाओं को प्रसव तथा बीमार बच्चों के उपचार के लिए इस वर्ष के अंत तक करीब 1000 अतिरिक्त एम्बुलेन्स को 102 नम्बर के टोल फ्री नम्बर वाले काॅल सेन्टर से जोड़कर संचालित किया जाएगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि केवल एम्बुलेन्स ही नहीं हम प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में स्तरीय दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करने, अच्छे मेडिकल उपकरण स्थापित करने तथा अन्य स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर करने का हर स्तर पर प्रयास कर रहे हैं। खुशी इस बात की है कि बिना उंगली उठे हम ऐसे काम कर रहे हैं, जिससे जनता तक लाभ पहुंच रहा है। इसीलिए हमें भरोसा है कि हम सभी की मदद करने में जरूर कामयाब होंगे। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य विभाग बेहतरीन कार्य कर रहा है और 100-100 बेड के कई अस्पताल भी बनने जा रहे हैं।
इस अवसर पर प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री श्री अहमद हसन ने कहा कि उनका विभाग एक-एक पैसे का पूरी ईमानदारी से इस्तेमाल करेगा और इमरजेन्सी एम्बुलेन्स सेवा देश की सबसे अच्छी सेवा साबित होगी। उन्होंने कहा कि समाजवादी स्वास्थ्य सेवा की प्रत्येक एम्बुलेन्स में 24 घंटे में तीन-तीन ड्राइवर रहेंगे, ताकि जरूरत पर यह एम्बुलेन्स हर समय उपलब्ध रहे। उन्होंने बताया कि 108 एम्बुलेन्स सेवा के लिए लखनऊ में सौ सीटर काॅल सेन्टर स्थापित हो गया है। इस नम्बर पर फोन करने पर भी एम्बुलेन्स हाजिर हो जाएगी। उन्होंने बताया कि आज मुख्यमंत्री ने जिन एम्बुलेन्स को हरी झण्डी दिखाकर रवाना किया है, उनमें लखनऊ के लिए-13, इटावा-09, मैनपुरी-11, कन्नौज-10, सहारनपुर-13, मेरठ-16, रामपुर-8, मुजफ्फरनगर-11, शामली-5, मुरादाबाद-10, सम्भल-8, बागपत-8 और अम्बेडकर नगर में-11 एम्बुलेन्स पहुंचेंगी।
प्रदेश के लोक निर्माण तथा सिंचाई मंत्री श्री शिवपाल सिंह यादव ने इस अवसर पर कहा कि प्रदेश के दूर-सुदूर स्थानों तक एम्बुलेन्स सेवा के लिए अच्छी सड़कों की भी आवश्यकता होगी। उन्होंने इसके लिए मुख्यमंत्री के उस कथन को दोहराया कि सड़कों के निर्माण में लोक निर्माण विभाग के अलावा पीपीपी माॅडल पर भी सड़कों का निर्माण कराया जाएगा।
इससे पूर्व प्रदेश के मुख्य सचिव श्री जावेद उस्मानी ने मुख्यमंत्री तथा प्रदेश के अन्य मंत्रियांे का अभिवादन करते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश में विकास की नई इबारत लिखी जा रही है। उन्होंने कहा कि आज जिस इमरजेन्सी मेडिकल सर्विस का उद्घाटन किया गया वह देश की सबसे बड़ी सेवा है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री का विजन है कि विकास के एजेण्डे को पूरी ईमानदारी से लागू किया जाए। इसके लिए हम वचनबद्ध हैं और भरोसा दिलाते हैं कि एनआरएचएम या किसी भी अन्य योजना में किसी प्रकार की अनियमितता नहीं होने देंगे।
इस अवसर पर प्रदेश के श्रम मंत्री श्री वकार अहमद शाह, राजस्व मंत्री श्री अम्बिका चैधरी, पंचायती राज मंत्री श्री बलराम यादव, स्टाम्प एवं पंजीयन मंत्री श्री दुर्गा प्रसाद यादव, स्वास्थ्य राज्य मंत्री श्री शंखलाल मांझी, प्रोटोकाॅल राज्य मंत्री श्री अभिषेक मिश्र, लोक निर्माण एवं सिंचाई राज्य मंत्री श्री सुरेन्द्र सिंह पटेल, एनआरएचएम के परियोजना निदेशक श्री मुकेश मेश्राम तथा स्वास्थ्य विभाग के वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद थे। कार्यक्रम के समापन पर स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के प्रमुख सचिव श्री संजय अग्रवाल ने धन्यवाद दिया।
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मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव ने दिनांक 14 सितम्बर, 2012 को जिन 22 सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों तथा 08 प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों का उद्घाटन किया उनकी सूची
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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Posted on 15 September 2012 by admin
प्रदेश के सिंचाई मंत्री श्री शिवपाल सिंह यादव ने बताया कि वर्तमान सरकार के 6 माह के कार्यकाल में सिंचाई विभाग में नहरों की सफाई व्यवस्था को पारदर्शी बनाते हुए उसके प्रभावी क्रियान्वयन और सोशन आॅडिट कराने की व्यवस्था सुनिश्चित की गयी हैं। उन्होने बताया कि नहरों एवं नालों के निर्माण के लिए किसानों की भूमि का मुआवजा देने के बाद ही कार्य कराने की नीति लागू की गई है।
श्री यादव ने कहा कि प्रदेश के बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों की परिस्थितियों के मुताबिक बाढ़ नियंत्रण परियोजनाओं का पहली बार राज्यव्यापी क्रियान्वयन और सत्यापन की पारदर्शी व्यवस्था की गयी तथा बाढ़ निरोधात्मक कार्यो के लिए 725 करोड़ रुपये की परियोजनाएं स्वीकृति की गई है।
उन्होने कहा कि डेªनों की सफाई हेतु 65 करोड़ की धनराशि अवमुक्त, जो गत वर्षो में आवंटित धनराशि का 10 गुना है। इसके फलस्वरूप 1,236 डेªनों की सफाई का कार्य पूर्ण हुआ है। इसी प्रकार नहरों की सफाई के लिए 65 करोड़ रुपये दिये गये है। प्रदेश स्तर पर सभी नहर की पटरियों को पक्का करने का निर्णय लिया गया है।
श्री यादव ने कहा कि वर्ष 2013 के कुम्भ मेले के लिए समुचित जल उपलब्ध होने की व्यवस्था एवं 04 नए घाटों का निर्माण तथा 02 डेªजर की व्यवस्था की जा रही है। उन्होनें कहा कि डा0 राम मनोहर लोहिया राजकीय नलकूप निर्माण परियोजना के अन्तर्गत आगामी 03 वर्षो में 3,000 नये नलकूपों का निर्माण कराने का निर्णय लिया गया हैं। इसी प्रकार राजकीय नलकूपों की स्थापना करने हेतु लगभग 9,000 करोड़ रूपयें नाबार्ड से पुनर्निर्माण हेतु स्वीकृत कराये गये है। उन्होने कहा कि वर्षो से लम्बित 400 करोड़ रूपयें की सिंचाई कि 15 परियोजनाएं गंगा बाढ़ नियंत्रण परिषद, पटना से स्वीकृत कराई गई है।
उन्होनें कहा कि भ्रष्टाचार में लिप्त अभियन्ताओं को निलम्बित किया गया है तथा लगभग 1000 पदो पर विभिन्न संवर्गो की पदोन्नतियां की गई है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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Posted on 15 September 2012 by admin
भारतीय प्रेस परिषद ने प्रिंट मीडिया में उत्कृष्टता (Excellence) को बढ़ावा देने के उद्देश्य से आरम्भ किये गये राष्ट्रीय पुरस्कारों हेतु प्रविष्टियाॅ भेजने की अंतिम तिथि 16 अगस्त से बढ़ाकर 20 सितम्बर, 2012 तक कर दी है।
राष्ट्रीय पुरस्कार 6 श्रेणियों में दिये जायेंगे, जिनमें ’’राजा राम मोहन राय उत्कृष्ट पत्रकारिता हेतु राष्ट्रीय पुरस्कार’’ के लिये एक लाख रूपये का नगद पुरस्कार दिया जायेगा।
इसके अलावा अन्य 5 श्रेणियाॅं हैं, जिनमें ग्रामीण पत्रकारिता, विकास संबंधी रिपोर्टिंग, स्त्री शक्ति, फोटो पत्रकारिता, जिसमें दो उपश्रेणियाॅं हैं-सिंगल न्यूज पिक्चर और फोटो फीचर। इनमें प्रत्येक श्रेणी में विजेता को 50,000 रूपये का नकद पुरस्कार के अलावा स्मृति चिन्ह व प्रशस्ति पत्र भी दिया जायेगा।
राष्ट्रीय पुरस्कार के संबंध में पात्रता मानदंड, प्रवेश पत्र, घोषणा पत्रों एवं नियमों की अन्य जानकारी परिषद की वेबसाइट Http://presscouncil.nic.in पर उपलब्ध हैं।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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Posted on 15 September 2012 by admin
राज्य सड़क परिवहन निगम में संविदा चालकों एवं परिचालकों की दुर्घटना में मृत्यु अथवा स्थायी अपंगता होने की स्थिति में संविदा कार्मिकों का 5 लाख रूपये का ग्रुप दुर्घटना बीमा किया जायेगा। इसके अलावा संविदा कार्मिकों का ग्रुप दुर्घटना चिकित्सा बीमा भी किया जायेगा।
प्रदेश के परिवहन मंत्री राजा महेन्द्र अरिदमन सिंह ने यह जानकारी देते हुये बताया कि संविदा कार्मिकों के बीमा के लिये युनाइटेड इंडिया इन्श्योरेन्स कम्पनी तथा न्यू इंडिया एश्योरेन्स कम्पनी को नामित किया गया है। उन्होंने बताया कि दुर्घटना में संविदा कार्मिकों के मृत्यु अथवा स्थायी अपंगता होने की स्थिति में पूर्व में किसी प्रकार के प्रतिकर के भुगतान का प्राविधान नहीं था। इसे देखते हुये यह कदम उठाया गया है। उन्होंने बताया कि दुर्घटना बीमा हेतु प्रत्येक कार्मिक से 330 रूपये तथा चिकित्सा बीमा हेतु 140 रूपये प्रीमियम के रूप में लिया जायेगा।
बीमा क्लेम का भुगतान सीधे बीमा कम्पनी द्वारा संबंधित कार्मिक/आश्रित को किया जायेगा। बीमा कम्पनियों द्वारा चिकित्सा व्यय में प्रतिकर का भुगतान बीमित धनराशि 5 लाख रूपये का 10 प्रतिशत अथवा चिकित्सा व्यय का 40 प्रतिशत जो भी कम हो, किया जायेगा।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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Posted on 15 September 2012 by admin
उत्तर प्रदेश में आबकारी विभाग द्वारा निर्धारित मूल्य से अधिक मूल्य पर अंग्रेजी शराब बेचने वालों के विरूद्ध कार्यवाही होगी। सभी जनपदीय आबकारी अधिकारी निर्धारित मासिक राजस्व का लक्ष्य पूरा करने का प्रयास करें।
प्रमुख सचिव आबकारी श्री जे0पी0 शर्मा ने यह निर्देश गत दिवस मासिक समीक्षा बैठक में अधिकारियों को दिये। उन्होंने बताया कि आबकारी अधिकारियों एवं ज्वाइंट कमिश्नरों को निर्देश दिये गये हैं कि वे शराब की तस्करी को रोकने की प्रभावी कार्यवाही करें। उन्होंने कहा कि प्रदेश के समीपवर्ती प्रदेशों पंजाब, हरियाणा एवं राजस्थान से अंग्रेजी शराब की तस्करी होने के कारण राजस्व पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है।
श्री शर्मा ने बताया कि सभी ज्वाइंट कमिश्नरों को निर्देश दिये गये हैं कि वे संबंधित जनपदों में बैठक करके कार्यवाही सुनिश्चित करें। उन्होंने कहा कि कुछ जगहों पर अंग्रेजी शराब की बोतलों पर छपा हुआ मूल्य खुरच कर अधिक मूल्य पर शराब बेचने का कार्य किया जा रहा है। उन्होंने ऐसा करने वालों के विरूद्ध भी कार्यवाही करने के निर्देश दिये गये। उन्होंने बताया कि बैठक में कच्ची शराब बनाने वालों की सूची दी गयी है, उनके विरूद्ध कार्यवाही की जायेगी।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
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Posted on 15 September 2012 by admin
उत्तर प्रदेश के वन विभाग द्वारा गत वर्ष की तरह इस वर्ष भी 01 अक्टूबर से 07 अक्टूबर, 2012 तक वन्य प्राणि सप्ताह मनाया जायेगा। वन्य प्राणि सप्ताह के दौरान वन्य प्राणियों के परिवेश को सुरक्षित रखने तथा प्राणियों के संरक्षण हेतु जनता को जानकारी दी जायेगी।
यह जानकारी प्रमुख वन संरक्षक वन्य जीव श्री रूपक डे ने दी है। उन्होंने बताया कि वन्य प्राणि सप्ताह के दौरान बच्चों को वन्य जीवों के संबंध में जानकारी दी जायेगी तथा गत वर्ष की तरह ही वन्य प्राणि सप्ताह में लखनऊ एवं कानपुर प्राणि उद्यान में निःशुल्क प्रवेश रहेगा।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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Posted on 15 September 2012 by admin
प्रदेश में पशुपालन विभाग द्वारा, राजस्व विभाग के सहयोग से 19वीं पशुगणना का कार्य आरम्भ किया जा रहा है। पशुगणना के प्रशिक्षण का कार्य कल 15 सितम्बर को वित्तीय प्रबंध प्रशिक्षण एवं शोध संस्थान, इन्दिरानगर, लखनऊ में प्रातः 10ः30 बजे से प्रारम्भ किया जायेगा।
निदेशक, पशुपालन डा0 रूद्रप्रताप ने यह जानकारी देते हुए बताया कि श्री वी0के0 शर्मा अध्यक्ष राजस्व परिषद, उ0प्र0 कार्यक्रम के मुख्य अतिथि होंगे तथा प्रशिक्षण की अध्यक्षता श्री योगेश कुमार प्रमुख सचिव, पशुधन करेंगे।
इस प्रशिक्षण में प्रदेश के समस्त जनपदों व मण्डलों के पशुपालन विभाग के समस्त सांख्यिकी कर्मचारी, मुख्य पशुचिकित्सा अधिकारी व मण्डलीय अधिकारी भाग लेंगे। इसके साथ ही प्रत्येक जनपद के जिलाधिकारी के प्रतिनिधि व राजस्व विभाग के नामित अधिकारी तथा स्थानीय निकाय के प्रतिनिधि भी उपस्थित रहेंगे।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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Posted on 15 September 2012 by admin
उत्तर प्रदेश सरकार ने गरीब अल्पसंख्यक समुदाय की पुत्रियों की आगे की शिक्षा अथवा विवाह हेतु अनुदान दिये जाने के लिये इस वित्तीय वर्ष से शुरू की गयी नई योजना के लिये 20 करोड़ रूपये की धनराशि स्वीकृत की है। नई योजना होने के नाते इसके लिये वर्तमान वित्तीय वर्ष में किसी धनराशि का प्राविधान नहीं किया गया था। अतः आकस्मिकता निधि से यह धनराशि आहरित किये जाने की स्वीकृति प्रदान की गयी है और इसी वित्तीय वर्ष में इसकी प्रतिपूर्ति करने के निर्देश दिये गये हैं।
इस संबंध में सचिव, अल्पसंख्यक कल्याण, श्रीमती लीना जौहरी द्वारा जारी शासनादेश में कहा गया है कि इस नई योजना के तहत अल्पसंख्यक परिवारों की ऐसी पुत्रियाॅ जो कक्षा दस पास हैं, उनकी आगे की शिक्षा अथवा विवाह हेतु उन्हें 30,000 रूपये का अनुदान दिया जायेगा, बशर्तें उनके अभिभावकों की वार्षिक आय 35,000 रूपये तक हो।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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Posted on 15 September 2012 by admin
उत्तर प्रदेश में रेड रिबन एक्सप्रेस का प्रदेश के 22 जनपदों में स्वागत हेतु भव्य समारोह कार्यक्रमांे का आयोजन किया जायेगा। टेªन में एच0आई0वी0/एड्स विषय पर प्रशिक्षण प्राप्त करने हेतु प्रति जनपद से 60-60 आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों तथा छात्र-छात्राओं के प्रशिक्षण हेतु प्रतिदिन 60-60 छात्रों के एक-एक बैच की व्यवस्था कर उनको लाने एवं ले जाने की व्यवस्था भी प्रशासन द्वारा सुनिश्चित करायी जायेगी। रेड रिबन एक्सप्रेस के जनपद में आगमन के दौरान ग्रामीण क्षेत्रों से लोगों को रेलवे स्टेशन तक ले जाने हेतु जन सहभागिता के आधार पर निःशुल्क बसों की व्यवस्था सुनिश्चित होगी। पुलिस अधीक्षक/उपाधीक्षक के नेतृत्व में एच0आई0वी0/ एड्स विषय पर प्रशिक्षण प्राप्त करने हेतु 60-60 पुरूष आरक्षी जवान प्रति जनपद नामित किए जायें। सम्बन्धित जनपदों के जिलाधिकारी स्थानीय रेल प्रशासन से समन्वय स्थापित कर रेड रिबन एक्सप्रेस आगमन के समय जनसमुदाय एवं टेªन की समस्या तथा भीड़ नियंत्रण हेतु उपर्युक्त संख्या में आर0पी0एफ0 जी0आर0पी0 जवानों की तैनाती कराते हुए जनसमुदाय के लिए स्वच्छ पेयजल की व्यवस्था तथा साफ-सफाई की व्यवस्था भी सुनिश्चित करायंे।
उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव श्री जावेद उस्मानी ने यह निर्देश आज शास्त्री भवन स्थित अपने कार्यालय कक्ष के सभागार में रेड रिबन एक्सप्रेस परियोजना फेज-3 की बैठक की अध्यक्षता करते हुए दिए। उन्होंने इंजीनियरिंग मैनेजमेन्ट कालेजों, पाॅलीटेक्निक एवं अन्य विद्यालयो के छात्र-छात्राओं को ट्रेन के माध्यम से एच0आई0वी0/एड्स सम्बन्धी जानकारी दिलाने हेतु आवश्यक निर्देश जारी करते हुए कालेजों से छात्रों को रेलवे स्टेशन लाने एवं ले जाने की सुविधा उपलब्ध करायी जाए। रेड रिबन एक्सपे्रस के सफल क्रियान्वयन हेतु व्यापक प्रचार-प्रसार कराने हेतु राज्य एवं जनपद स्तर पर प्रेस कान्फ्रेन्स तथा आकाशवाणी एवं दूरदर्शन कार्यक्रमों के तहत व्यापक निःशुल्क प्रचार-प्रसार कराया जाए, ताकि अधिक से अधिक लोग लाभान्वित हो सकें।
श्री उस्मानी ने निर्देश दिए कि सम्बन्धित जनपदों में ट्रेन आने के पांच दिन के पूर्व ग्रामीण क्षेत्रों में लोक कला दलों के कार्यक्रमों आयोजित कराकर व्यापक प्रचार-प्रसार ग्रामीण अंचलों में कराया जाए। उन्होंने कहा कि रेड रिबन एक्सप्रेस की सुरक्षा हेतु प्रत्येक सम्बन्धित जनपदों में 100 निःशुल्क स्वयं सेवक उपलब्ध हों तथा ट्रेन प्रशिक्षण कोच में एन0सी0सी0 छात्रों को प्रशिक्षण हेतु प्रतिभागिता सुनिश्चित कराते हुए सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भी एन0सी0सी0 छात्र-छात्राओं को भाग लेने हेतु प्रेरित किया जाए।
मुख्य सचिव ने सम्बन्धित विभागों के प्रमुख सचिवों एवं सचिवों को निर्देश दिए कि अपने विभागों के नोडल अधिकारी नामित कर उनके कार्य प्रभार एवं मोबाइल नम्बर से सभी सम्बन्धित अधिकारियों को अवगत करा दिया जाए ताकि स्थानीय स्तर पर किसी प्रकार की अव्यवस्था न होने पाए। उन्होंने कहा कि एन0आर0एच0एम0 के मोबाइल मेडिकल यूनिट की सहायता से सम्बन्धित रेलवे स्टेशनों के बाहर स्वास्थ्य शिविर आयोजित कराकर आवश्यकतानुसार दवाइयों का वितरण सुनिश्चित कराया जाए। उन्होंने कहा कि ग्रामीण जन समुदाय को आईईसी वैन द्वारा लोक संगीत के समय कार्यक्रम स्थान तक मोबलाइज किए जाने हेतु एन0आर0एच0एम0 के जनपद इकाई के नोडल अधिकारी को नामित करते हुए उसका उत्तरदायित्व निर्धारित किया जाए।
परियोजना निदेशक, राज्य एड्स नियंत्रण सोसाइटी, श्री आशीष कुमार गोयल ने बताया कि रेड रिबन एक्सप्रेस प्रदेश में 27 सितम्बर को जनपद इलाहाबाद में प्रवेश करेगी। प्रवेश करने के बाद 22 स्टेशनांे को कवर करते हुए 05 दिसम्बर को मेरठ से अन्य प्रदेश को चली जायेगी। उन्होंने कहा कि ट्रेन के माध्यम से लोगों को एड्स से सुरक्षा की जानकारी दिलाने के साथ-साथ आवश्यक प्रशिक्षण भी दिलाया जायेगा। उन्होंने कहा कि एड्स की जानकारी ही बचाव है। उन्होंने कहा कि एड्स से बचाव के लिए नुक्कड़ नाटक एवं अन्य कार्यक्रमों द्वारा व्यापक प्रचार-प्रसार कराकर लोगों को जानकारी दी जायेगी। उन्होंने कहा कि एड्स से बचाव सम्बन्धी जानकारी के लिए एक डाक्यूमेन्ट्री फिल्म भी बनवायी जायेगी।
बैठक में प्रमुख सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य श्री संजय अग्रवाल, सचिव गृह श्री कमल सक्सेना, सचिव माध्यमिक शिक्षा श्री पारसारथी सेन शर्मा सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारीगण मौजूद थे।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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