Archive | August 25th, 2011

भारतीय संविधान के आधार-तत्व तथा उसका दर्शन

Posted on 25 August 2011 by admin

खलक खुदा का,
मुलुक बाश्शा का
हुकुम शहर कोतवाल का….
हर खासो-आम को
आगाह किया जाता है
कि खबरदार रहें
और अपने-अपने
किवाड़ों को अन्दर से
कुंडी चढ़ाकर बन्द कर लें
गिरा लें खिड़कियांे के परदे
और बच्चों को बाहर
सड़क पर न भेजंे क्योंकि
एक बहत्तर बरस का बूढ़ा आदमी
अपनी काँपती कमजोर आवाज मंे
सड़कों पर सच बोलता
हुआ निकल पड़ा है।

surender-agnihotri-21कोई साढ़े तीन दशक से कुछ ज्यादा समय हुआ, जे.पी. ने पटना मंे प्रष्टाचार के खिलाफ रैली बुलायी थी। तमाम रोक के बाद भी लाखों लोग सरकारी शिकंजा तोड़ कर आये। उन निहत्थों पर निर्मम लाठी-चार्ज और आदेश दिया गया। जेपी भी घायल हुए। इस घटना ने प्रख्यात कवि और धर्मयुग के संपादक धर्मवीर भारती को बेचैन कर दिया। उसी बेचैनी से फूटी एक कविता, मुनादी। एक बार फिर परिस्थितियां कुछ वैसी ही नजर आ रही हैं दूसरी आजादी की लड़ाई रामलीला मैदान में जनयोद्धा अन्ना हजारे के नेतृत्व में लड़ी जा रही है। भष्ट्राचार रूपी रावण के खात्मे का आवाहन पर कुछ दिनों तक सरकार चुप्पी के बाद कुछ सुगबुगाहट हुई है लेकिन वह भी आधी अधूरी जिसमें ंसंविधान और संसद की आड़ लेकर सच को सच न होने देने का षडयन्त्र रचा जा रहा है। हार्बड की हाई-फाई शिक्षा प्राप्त मंत्रीयों की फौज नौवी पास अन्ना हजारे से अपनी चतुराई से जन मुद्दों को भटका कर उन्हें ही आरोपी सिद्ध करने की कवायद करने में नाकाम रहने के बाद कुछ कुछ सही रास्ते पर आती दिख रही है पर इस बीच कुछ सवाल जरूरी हो गये है विभिन्न राजनैतिक दल अपनी व्यापारिक राजनीति के दिन लदते नजर आने पर उल्टा चोर कोतवाल को डाटे रणनीति को अपना रहे है। अन्ना हजारे पर हमला बोल कर जन लोकपाल के प्रति सरकार की वचनबद्धता को संदिग्ध बनाने का कुत्सित प्रयास करने में लग गये है। यह प्रयास पहली बार नही हुआ इसलिए यह जानना जरूरी है कि देश में भ्रष्टाचार की बिमारी क्यों हुई है इसके पीछे छिपे राजनैतिक स्खलन के कारणों की पड़ताल करनी होगी और उनका परीक्षण करके उनका निदान भी खोजना होगा। वर्ना कोई भी फायदा नहीं मिल सकता है कानूनों के मकड़जाल से जन यदि सुखी हो सकता होता तो कब का यह देश सोने की चिड़िया बन गया होता। कवि धूमिल जनतंत्र में संसद की जन के प्रति भूमिका पर सवाल करते हुए यह कविता लिखते है-
एक आदमी/रोटी बेलता है/एक आदमी रोटी खाता है/एक तीसरा आदमी भी है/जो न रोटी बेलता है, न रोटी खाता है। /वह सिर्फ रोटी से खेलता है/मैं पूछता हूँ ‘यह तीसरा आदमी कौन है’? मेरे देश की संसद मौन है। इस मौन को तोड़ने के लिये संविधान में निहित आधार तत्व को समझकर एक बार फिर दूसरी आजादी की लड़ाई लड़ने का वक्त आ गया है। टयूनिशिया में हुई जनक्रांति की आहट हमारे देश में भी आने लगी है। इस आहट के पीछे के सच को खोजने का समय बेचैनी पैदा कर रहा है। आजादी के अनेक सालों के बाद दूसरी आजादी की परिकल्पना मन में आना कहीं न कहीं इस व्यवस्था में गुत्थमगुत्था पैदा होने का कारण है। यह विचित्र समय है जब जज से लेकर मंत्रियों तक के दामन दागदार दिख रहे है। डगमग-डगमग होती नैय्या के पीछे छिप शैतानी हाथों और उसके रिमोड कन्ट्रोल की सच्चाईयाँ जानना ही होगा। वरना पश्चाताप के सिवा कुछ शेष नही रह जायेगा। दिशाहीन, दिशाहारे लोग अपने स्वार्थो के लिये आँखों पर काली पट्टी बांध कर मौनी बाबा बने हुये है। उन्हें जन के मन से कोई लेनादेना नही है। सारे दरवाजे अकेलेपन जैसे हो गये है। भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरु की सोच को तिलांजलि देकर संविधान की मूल भावना को तिरोहित कर के संसद की सेन्टर टेबल पर खुशी मनाने में मग्न है। जनता की रुलाई उन्हंे दिखाई नही देती है। ऐसा लगता है कि जनता की आँखों में उतरे शोक के आँसू उन्हें खुशी के आँसू नजर आ रहे है। लगातार किसान से लेकर युवा तक पराधीन और दैयनीय जीवन जीते जीते आत्महत्या तक करने को मजबूर है। आदमी के मरते हुये चेहरे को देखने का साहस न जुटा पाने वाले लोगों के खिलाफ एक कमजोर हाथ एक मुठ्ठी में ताकत बटोर कर सब कुछ तहस नहस न कर दे इससे पूर्व संविधान को एक बार देखने का वक्त आ गया है। सरकारें अनिश्चिताओं से नहीं अपितु जनमत कराकर नीति तय करे। बाजारवाद चलेगा या संविधान मंे प्रदत्त उद्देशिका वाला समाजवाद।
भारतीय संविधान के आधार-तत्व तथा उसका दर्शन
किसी संविधान की उद्देशिका से आशा की जाती है कि जिन मूलभूत मूल्यों तथा दर्शन पर संविधान आधारित हो तथा जिन लक्ष्यों तथा उद्देश्यों की प्राप्ति का प्रयास करने के लिए संविधान निर्माताओं ने राज्य व्यवस्था को निर्देश दिया हो, उनका उसमंे समावेश हो।
हमारे संविधान की उद्देशिका मंे जिस, रूप में उसे संविधान सभा ने पास किया था, कहा गया हैः हम भारत के लोग भारत को एक प्रभुत्वसंपन्न लोकतांत्रिक गणराज्य बनाने के लिए उसके समस्त नागरिकों को न्याय स्वतंत्रता और समानता दिलाने और उन सबमें बंधुता बढ़ाने के लिए दृढ़ संकल्प करते हैं। न्याय की परिभाषा सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय के रूप में की गई है। स्वतंत्रता में विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म और उपासना की स्वतंत्रता सम्मिलित है और समानता का अर्थ है प्रतिष्ठा तथा अवसर की समानता ।
42वें संशोधन के बाद जिस रूप में उद्देशिका इस समय हमारे संविधान में विद्यमान है, उसके अनुसार, संविधान निर्माता जिन सर्वोच्च या मूलभूत संवैधानिक मूल्यांे मंे विश्वास करते थे, उन्हें सूचीबद्ध किया जा सकता है। वे चाहते थे कि भारत गणराज्य के जन-जन के मन में इन मूल्यों के प्रति आस्था और प्रतिबद्धता जगे-पनपे तथा आनेवाली पीढ़ियां, जिन्हें यह संविधान आगे चलाना होगा, इन मूल्यों से मार्गदर्शन प्राप्त कर सकें। ये उदात्त मूल्य हैः
संप्रभुता, समाजवाद, पंथनिरपेक्षता, लोकतंत्र, गणराज्यीय स्वरूप, न्याय, स्वतंत्रता, समानता, बंधुता, व्यक्ति की गरिमा, और, राष्ट्र की एकता तथा अखंडता।
समाजवाद
संविधान निर्माता नहीं चाहते थे कि संविधान किसी विचारधारा या वाद विशेष ने जुड़ा हो या किसी आर्थिक सिंद्धात द्वारा सीमित हो। इसलिए वे उसमंे, अन्य बातों के साथ-साथ, समाजवाद के किसी उल्लेख को सम्मिलित करने के लिए सहमत नही हुए थे। किंतु उद्देशिका मंे सभी नागरिकों को आर्थिक न्याय और प्रतिष्ठा तथा  अवसर की समानता दिलाने के संकल्प का जिक्र अवश्य किया गया था। संविधान (42वां संशोधन) अधिनियम, 1976 के द्वारा हमारे गणराज्य की विशेषता दर्शाने के लिए समाजवादी शब्द का समावेश किया गया। यथासंशोधित उद्देशिका के पाठ मंे समाजवाद के उद्देश्य को प्रायः सर्वोच्च सम्मान का स्थान दिया गया है। संपूर्ण प्रभुत्वसंपन्न के ठीक बाद इसका उल्लेख किया गया है। किंतु समाजवाद शब्द की परिभाषा संविधान मंे नही की गई।
संविधान (45वां संशोधन) विधेयक मंे समाजवादी की परिभाषा करने का प्रयास किया गया था तथा उसके अनुसार इसका अर्थ था इस प्रकार के शोषण-सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक-से मुक्त।
समाजवाद का आशय यह है कि आय तथा प्रतिष्ठा और जीवनयापन के स्तर मंे विषमता का अंत हो जाए। इसके अलावा, उद्देशिका मंे समाजवादी शब्द जोड़ दिए जाने के बाद, संविधान का निर्वचन करते समय न्यायालयांे से आशा की जा सकती थी कि उनका झुकाव निजी संपत्ति, उद्योग आदि के राष्ट्रीयकरण तथा उस पर राज्य के स्वामित्व के तथा समान कार्य के लिए समान वेतन के अधिकार के पक्ष में होता है। ’
भारतीय संविधान के उद्देश्यों के विरूद्ध
गुपचुप तरीके से बाजारवादी व्यवस्था को थोपने के दुस्परिणाम सामने आने लगे है। नक्सलवाद और अराजकता के जाल मंे उलझते भारत को बचाने के लिए सिर्फ जनलोक पाल बिल से काम चलने वाला नहीं है हमें सरकार पर दबाव डालना होगा कि आपने बिना रिफरेडम कैसे बाजारवादी व्यवस्था को क्यो अपना लिया है दूसरी आजादी तभी मिलेगी जब तक हम समाजवादी व्यवस्था लागू नहीं करवा पाते है जो संविधान की मूल भावना की उद्देशिका में शामिल है। बदलते परिवेश में क्या देश के लिऐ उचित है क्या अनुचित?  आश्चर्य जब होता है की देश की सबसे बड़ी अदालत के सामने नारीमन जी संविधान की उद्देशिका से समाजवाद शब्द हो हटाने के लिये याचिका प्रस्तुत करते है। इस शब्द के हट जाने से किन को लाभ होगा इस पर आजतक कोई सार्वजनिक बहस तक नही हुई है। संसद, सर्वोच्च न्यायालय, राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री संविधान के अन्तर्गत है। उन्हें संविधान बदलने का कोई अधिकार नही है। इस कार्य के लिये सविधानसभा का गठन हो या जनमत संग्रह यह सब प्रक्रिया जानते हुये भी अंजान बनकर सर्वोच्च न्यायालय में जाने के निहतार्थ स्पष्ट होने चाहिये और नारीमन जी से पूछा जाना चाहिये कि उन्हें यह प्रेरणा कहाँ से मिली थी। सर्वोच्च न्यायालय ने भले ही उनकी इस याचिका को रद्दी की टोकरी में फेक दिया हो लेकिन अब वक्त आ गया है। व्यक्तिवादी स्वर के पीछे अन्तर्राष्ट्रीय षंडयन्त्र के सन्दर्भो को समझे, इस विशाल देश मंे अब राष्ट्रीयता, राष्ट्रवाद, देशभक्ती, देशप्राणता आदि में भावुकता के बीच छद्म रुप में वैश्वीकरण के नापाक पंजों से हमें अपनी जड़े, अपनी परम्परा और अपने मूल्य बचाने के लिये सजग और संवेदनशील रहना होगा। कोई भी बड़ा परिवर्तन करने के पहले संसद को संविधान की मूल भावना को समझना होगा। अब पिछले दरवाजे से कोई कार्य जनता स्वीकार नही करेगी। जापान की त्रासदी के बाद न्यूक्लीयर डील भले ही कर ली हो लेकिन एक बार फिर इस पर फैसला जनमत संग्रह से होना चाहिए। यह कोई सामान्य व्यवस्था नहीं है जिसे हमारे चुने प्रतिनिधि तय कर ले, वर्ना ‘‘लम्हो ने खता की थी सदीयो ने सजा पायी’’ वाली स्थिति होगी। लगड़ी और कटपुतली सरकारें  टाटा और अंबानी जैसे बाजारवादी व्यवस्था के समर्थक लोगों की चेरी बनने को मजबूर रहेगी, बजारवादी लोग अपने लाभकारी निहतार्थ पूरे करते रहेंगे। जन लोकपाल बिल में कुछ शर्ते जोड़ना होगी जिनमें कानून के विपरीत कार्य मंे स्वतः रदद होना मुख्य होता है इस देश को बचाना है तो सबसे पहले कानून के विपरीत कार्य के द्वारा होने वाले लाभ को रद्द करना अनिवार्य कदम होगा। जिस तरह टू-जी स्टेंप घोटाले में लाईसेंस होल्डरों के लाईसेंस अभी तक रद्द न होना चिंता का सबब बना हुआ है इसी कारण गलत कार्यो को लगातार होने को बल मिलता है। सबसे पहले टूजी घोटाले के लाभार्थियों के करार को रद्द करने के साथ ही घोटाले करने वालों की सजा के मामले में निर्णय देने की समय सीमा न्यायालय के सामने होना चाहिए। करार रद्द होने के कारण कोई भी कठिनाई पैदा हो इस कठिनाई से जूझने के लिए भारतीय जनता तैयार है। जो भी कार्य जन्म से ही गलत था उसे कैसे न्याय उचित या देश की पूँजी के नाम उचित स्वीकार कर सकते है।  इन कठोर निर्णय के बिना  भ्रष्टाचार का सिलसिला नही रुक सकता है।  ट्रांसफर प्रापर्टी एक्ट जैसे अनेक प्रावधान है जिनमें कुछ कानून के अन्तर्गत स्वतः निरस्त हो जाते है और कुछ को इंगित करने पर निरस्त किया जाता है। लेकिन जो कार्य जन्म से ही गलत है उसे खत्म होना ही चाहिए। चाहे इस कार्य को सरकार ने किया हो या पूंजीपति ने अथवा जनता ने यह तो तय करना ही होगा। क्योंकि आर्दश सोसायटी जैसे अनेक मामले सामने आये हैै जहाँ पर्यावरण को अनदेखा किया गया। कहीं नीतियों में हेरफेर किया गया। तो कहीं लाभार्थियों के नाम बदले गये है। जब जन्म से ही इन मामलों में गलत हुआ है तो उसे रद्द करना ही पड़ेगा। हमे बिमारी को दबाने के उपाय के स्थान पर बिमारी के कारणों की खोज करना जरूरी है। तभी बिमारी का समूलनाश हो पायेगा।
अज्ञेय के शब्द आज भी हमें सोचने के लिये विवश कर रहे है। अपनी वसीयत का कविता में लिखते है- मेरी छाती पर/हवाएँ लिख जाती हैं/महीन रेखाओं में/अपनी वसीयत/और फिर हवाओं के झोंके ही/वसीयतनामा उड़ाकर/कहीं और ले जाते है/बहकी हावाओं!वसीयत करने से पहले/ हलफ उठाना पड़ता है/ कि वसीयत करने वाले के/होश -हवास दुरूस्त हैं/और तुम्हें इसके लिए/ गवाह कौन मिलेगा/मेरे ही सिवा?/क्या मरेी गवाही/तुम्हारी वसीयत से ज्यादा टिकाऊ होगी? क्या आज यह सवाल देश अपने चुने हुये प्रतिनिधियों से गाँव गली के गलियारों में क्यों पूछ रहा है? आजादी सिर्फ बड़ते भाव नमक और तेल पर, यह सरकारी रेल पर या भ्रष्टाचार के खेल पर ? इस सवाल का हल खोजना ही होगा। वरना चिचियातीं जनता सबकुछ तहसनहस कर देगी और धुआँ शेष रह जायेगा। समय आज फिर सवाल कर रहा है। जागों फिर एक बार! जगों फिर एक बार!  …बस ! आपलोग थोड़ा-सा; ..बस थोड़ा सा ही .. अपने देश से प्यार करना है। अरूण के शब्दों में हुई क्रांति की ऐसी तैसी/सपनों की दुर्गति ये कैसी, इसे रोकने के लिये राजमद मंे चूर कुर्सी ने आपके लोकतांत्रिक अधिकारों पर अपनी विषाक्त महत्वाकांक्षा पर उल्ट दी है इसे रोकने के लिये एक नई हजारों लाखों अन्ना हजारे जैसे लोगों की जरूरत है उन्हें बनाने और बल देने के लिये समाज को इसी एक जुटता के साथ आगे आने के लिये संकल्प वद्ध रहना पड़ेगा तभी यह देश सोने की चिड़िया बनने की राह पर अग्रसर हो सकेगा।

’ इस आलेख में सुभाष कश्यप लिखित पुस्तक हमारा संविधान के अंश समाहित है।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
राजसदन- 120/132
बेलदारी लेन, लालबाग
लखनऊ
मो0ः 9415508695
(लेखक-दैनिक भास्कर के लखनऊ ब्यूरोप्रमुख है।)

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श्री अजीत सिंह ने दल-बदल एवं अवसरवादिता के कारण अपनी खास पहचान बनायी

Posted on 25 August 2011 by admin

  • श्री अजीत सिंह का किसानों के दुःख-दर्द से कोई नाता नहीं
  • राष्ट्रीय लोक दल के अध्यक्ष दलित विरोधी मानसिकता से ग्रसित
  • बी0एस0पी0 अपनी स्थापना से ही भ्रष्टाचार के खिलाफ पुरजोर आवाज उठाती रही है

बहुजन समाज पार्टी के प्रवक्ता ने राष्ट्रीय लोकदल के अध्यक्ष श्री अजीत सिंह द्वारा बी0एस0पी0 की राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं उत्तर प्रदेश की माननीया मुख्यमंत्री सुश्री मायावती जी पर लगाये गये सभी आरोपों पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि दल-बदल एवं अवसरवादिता के कारण राजनीति में अपनी खास पहचान कायम करने वाले श्री अजीत सिंह को शायद यह जानकारी नहीं है कि बी0एस0पी0 अपनी स्थापना से ही भ्रष्टाचार के खिलाफ पुरजोर आवाज उठाती रही है।
प्रवक्ता ने कहा कि राष्ट्रीय लोकदल पूर्ववर्ती सपा सरकार में शामिल था। उस दौरान प्रदेश में जंगलराज, लूट-खसोट, अराजकता एवं भ्रष्टाचार चरम पर था। आर0एल0डी0 के मुखिया को बी0एस0पी0 सरकार पर आरोप लगाने से पहले सपा सरकार में शामिल अपने मंत्रियों के काले कारनामों को भी याद कर लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि स्वयं को किसानों का तथाकथित शुभचिंतक बताने वाले श्री अजीत सिंह किसानों के नाम पर सिर्फ अपनी राजनैतिक रोटी सेंकते रहे हैं और किसानों के दुःख-दर्द से उनका दूर-दूर तक कोई नाता नहीं रहा है।
प्रवक्ता ने आगे कहा कि बी0एस0पी0 देश की पहली ऐसी सरकार है, जिसने किसानों की आर्थिक स्थिति मजबूत करने तथा उनकी आमदनी दोगुनी करने के लिये ठोस निर्णय लेकर उसका प्रभावी ढंग से क्रियान्वयन सुनिश्चित किया, जिसके बदौलत उत्तर प्रदेश आज पूरे देश में अन्न उत्पादन के मामले में बेस्ट परफार्मिंग स्टेट का दर्जा हासिल करने में सफल रहा है। उन्होंने कहा कि श्री अजीत सिंह सिर्फ राजनैतिक लाभ के लिये किसानों को वोट बैंक की तरह इस्तेमाल करते हैं। राष्ट्रीय लोकदल उत्तर प्रदेश में अपनी प्रासंागिकता खोती जा रही है, इसलिए आर0एल0डी0 मुखिया मात्र चर्चा में बने रहने के लिये बी0एस0पी0 की माननीया राष्ट्रीय अध्यक्ष के विरूद्ध समय-समय पर अपरिपक्व टिपण्णी करते रहते हैं।
प्रवक्ता ने यह भी कहा कि जहां तक एन0आर0एच0एम0 में भ्रष्टाचार का मामला है, इस मामले में बी0एस0पी0 सरकार ने इसकी जांच सी0ए0जी0 से कराने में तनिक भी देर नहीं की। बी0एस0पी0 सरकार का यह शुरू से मानना रहा है कि दोषियों को कड़ी सजा मिलनी चाहिए। प्रदेश सरकार इस मामलें में न तो कुछ छुपाना चाहती है और न ही किसी को बचाना चाहती है। उन्होंने कहा कि बी0एस0पी0 की सरकार प्रदेश की पहली सरकार है जिसने अपराध में लिप्त पाये जाने पर अपने ही मंत्रियों, सांसदों एवं विधायकों को जेल भेजने में कोई संकोच नहीं किया। उन्होंने कहा कि आर0एल0डी0 प्रमुख को इसकी सराहना करने के बजाय प्रदेश सरकार की आलोचना करना कतई शोभा नहीं देता।
बी0एस0पी0 प्रवक्ता ने यह भी कहा कि राष्ट्रीय लोक दल के अध्यक्ष दलित विरोधी मानसिकता से ग्रसित हैं, इसलिए माननीया मुख्यमंत्री जी के जन्मदिन को लेकर घटिया आरोप लगा रहे हैं। उन्होंने कहा कि माननीया मुख्यमंत्री जी की इस देश में करोड़ों समर्थक, शुभचिंतक उनके व्यक्तित्व एवं जीवन संघर्ष से प्रेरणा लेते हैं। जातीय मानसिकता से ग्रसित श्री अजीत सिंह को एक दलित की बेटी द्वारा मुख्यमंत्री के रूप में उत्तर प्रदेश का नेतृत्व किया जाना हजम नहीं हो रहा है। इसलिए अन्य विरोधी पार्टियों की तरह वे भी बी0एस0पी0 की राष्ट्रीय अध्यक्ष पर अनर्गल व गैर-जिम्मेदाराना आरोप लगाने से बाज नहीं आते हैं।
प्रवक्ता ने कहा कि बी0एस0पी0 शुरू से ही भ्रष्टाचार के सख्त खिलाफ रही है। इसलिए वह श्री अन्ना हजारे द्वारा भ्रष्टाचार के मुद्दे को लेकर छेड़ी गयी मुहिम की ही नहीं, बल्कि उन सभी संस्थाओं और संगठनों का भी समर्थन करती है, जो भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं। देश में भ्रष्टाचार के खिलाफ जहां कहीं भी आवाज उठायी जाती है बी0एस0पी0 उसका समर्थन करती है। उन्होंने कहा कि आज पूरे देश में हर स्तर पर इतना ज्यादा भ्रष्टाचार फैल चुका है कि पूरी की पूरी व्यवस्था बुरी तरह से चरमरा गयी है और देश का गरीब आदमी इस भ्रष्टाचार के कारण सबसे ज्यादा बुरी तरह से पिस रहा है। उन्होंने कहा कि देश में हर स्तर पर व्याप्त भ्रष्टाचार के कारण ही देश का जो चहुंमुखी विकास होना चाहिए था, वह भी नहीं हो पा रहा है।
प्रवक्ता ने कहा कि बी0एस0पी0 अपनी स्थापना से ही भ्रष्टाचार के साथ-साथ राजनीति में अपराधीकरण के खिलाफ काफी जोर-शोर से लगातार आवाज उठा रही है। यदि पूर्ववर्ती सरकारों ने राजनीति में अपराधीकरण व हर स्तर पर फैले भ्रष्टाचार पर रोक लगायी होती तो फिर बी0एस0पी0 के गठन की जरूरत नहीं पड़ती।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
upnewslive.com

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उत्तर प्रदेश के महामहिम राज्यपाल श्री बी0एल0 जोशी एवं माननीया मुख्यमंत्री सुश्री मायावती जी राजभवन में दिनांक 24 अगस्त, 2011 को आयोजित रोजा इफ़्तार के अवसर पर मौलानाओं के साथ।

Posted on 25 August 2011 by admin

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अन्ना हजारे के जनलोकपाल विधेयक के समर्थन में कैसरबाग चैराहे पर अशोक लाट के समक्ष अनशन एवं प्रदर्शन

Posted on 25 August 2011 by admin

अपने सामाजिक दायित्वों को निभाते हुए उ0प्र0 जिला मान्यता प्राप्त पत्रकार एसोसिएशन ने भ्रष्टाचार के विरोध में एवं अन्ना हजारे के जनलोकपाल विधेयक के समर्थन में कैसरबाग चैराहे पर अशोक लाट के समक्ष अनशन एवं प्रदर्शन किया। इस अवसर पर पत्रकारों के साथ-साथ बड़ी संख्या में क्षेत्रीय नागरिक भी उपस्थित थे।
भ्रष्टाचार के बारे में बोलते हुए अध्यक्ष अब्दुल वहीद, चेयरमैन अज़ीज सिद्दीकी, महामंत्री अजय वर्मा ने कहा कि पत्रकार भ्रष्टाचार के विरोध में सम्पूर्ण जीवन लड़ता रहता है। वह समाज का अपरोक्ष रूप से विसिल ब्लोवर है। जिस पर आज कानून बनाने की चर्चा हो रही है।
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देश में व्याप्त भ्रष्टाचार की बढ़ती घटनाओं को देखकर अतिशीघ्र भ्रष्टाचार पर नियंत्रण के लिए तथा पत्रकारों को सुरक्षा देने के लिए कड़े प्राविधान वाले कानून की मांग केन्द्र सरकार से की गयी।
भ्रष्टाचार के विरोध में जनजागरण हेतु एसोसिएशन की तरफ से चैराहे पर कैन्डेल जलाकर आम जनमानस में चेतना जागृत करने का कार्य भी किया गया। कार्यक्रम में मुख्य रूप से संजय कुमार गुप्ता प्रवक्ता, डी0पी0 शुक्ला जिलाध्यक्ष, आरिफ मुकीम, जुबैर अहमद सचिव, मोहसिन खान, राजेश गुप्ता, पंचम लाल वर्मा, अमरजीत, धर्मेन्द्र एडवोकेट, रामकिशोर वर्मा, संजय वर्मा, अभय अग्रवाल आदि मुख्य रूप से उपस्थित रहे।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
upnewslive.com

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अन्तर्राष्ट्रीय जियोग्राफी ओलम्पियाड ‘जियोफेस्ट-2011’ सी.एम.एस. में 10 सितम्बर से

Posted on 25 August 2011 by admin

सिटी मोन्टेसरी स्कूल, महानगर (थर्ड कैम्पस) द्वारा चार दिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय जियोग्राफी ओलम्पियाड ‘जियोफेस्ट इण्टरनेशनल-2011’ का भव्य आयोजन आगामी 10 से 13 सितम्बर 2011 तक सी.एम.एस. कानपुर रोड आॅडिटोरियम में किया जा रहा है। इस अन्तर्राष्ट्रीय भूगोल ओलम्पियाड में प्रतिभाग हेतु माॅरीशस, नेपाल, श्रीलंका, बुल्गारिया एवं भारत के विभिन्न प्रांतों से लगभग 500 बाल भूगोलविद्, भूगोल शिक्षक व ख्याति प्राप्त भूगोल शास्त्री लखनऊ पधार रहे हैं। यह जानकारी आज यहाँ आयोजित एक प्रेस कान्फ्रेन्स में अन्तर्राष्ट्रीय जियोग्राफी ओलम्पियाड ”जियोफेस्ट इण्टरनेशनल-2011“ की संयोजिका एवं सी.एम.एस. महानगर (थर्ड कैम्पस) की प्रधानाचार्या श्रीमती प्रेमा सुब्रमणियम ने दी। पत्रकारों को सम्बोधित करते हुए श्रीमती सुब्रमणियम ने कहा कि ग्लोबल वार्मिंग एवं जलवायु परिवर्तन के इस नाजुक दौर में छात्रों व युवा पीढ़ी को पर्यावरण की चिन्तनीय स्थिति से रूबरू कराना हम सभी का परम दायित्य है तभी आने वाली पीढ़ी इस विभीषिका को समझ पायेगी एवं इसका समाधान ढूँढ पायेगी।
प्रेस कान्फ्रेन्स में बोलते हुए ”जियोफेस्ट इण्टरनेशनल-2011“ की संयोजिका श्रीमती प्रेमा सुब्रमणियम ने कहा कि मानव जाति के अस्तित्व की सुरक्षा हेतु ईश्वर प्रदत्त धरती के प्राकृतिक संसाधनों का विवेक पूर्ण तरीके से उपयोग तथा पर्यावरण को साफ-सुथरा तथा हरा-भरा बनाये रखना ही हम सभी का परम दायित्व है। वर्तमान समय में विश्वव्यापी जटिल भौगोलिक समस्याओं को सुलझाने में भूगोल विषय का अधिकतम ज्ञान काफी सहायक हो सकता है। उन्होंने कहा कि इस तरह के आयोजनों से देश-विदेश के छात्रों का ज्ञान-विज्ञान का आदान-प्रदान करने से अपनी प्यारी धरती के गर्भ में छिपे संसाधनों से परिचित होने में अत्यधिक सफलता मिलेगी। इस चार दिवसीय ओलम्पियाड के द्वारा भावी पीढ़ी को धरती को हरा-भरा रखने एवं पर्यावरण संवर्धन के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए उत्साहित किया जायेगा।
‘जियोफेस्ट इण्टरनेशनल-2011’ की प्रतियोगिताओं की जानकारी देते हुए श्रीमती प्रेमा सुब्रामणियम ने पत्रकारों को बताया कि लगभग 500 बाल भूगोलविद् इस अन्तर्राष्ट्रीय भूगोल ओलम्पियाड के अन्तर्गत आयोजित विभिन्न प्रतियोगिताओं जैसे क्रिएट योर टेस्ट (कोलाज प्रतियोगिता), जियोटून (कार्टून प्रतियोगिता), माडल डिस्प्ले प्रतियोगिता, क्विज प्रतियोगिता, जियोटाॅक (वाद-विवाद प्रतियोगिता), जियोटेक (वेव डिजाइन प्रतियोगिता), वाइस एण्ड विजन (कोरियोग्राफी प्रतियोगिता) आदि के माध्यम से सारी दुनिया को हरित क्रान्ति का संदेश देंगे। श्रीमती सुब्रमणियम ने कहा कि इन प्रतियोगिताओं में देश-विदेश के छात्र अपने ज्ञान-विज्ञान का अभूतपूर्व प्रदर्शन करने के साथ ही एक-दूसरे की सभ्यता व संस्कृति से भी परिचित हो सकेंगे। उन्होंने कहा कि इस भूगोल ओलम्पियाड के माध्यम से संसार के स्कूली छात्रों में साफ-सुथरी तथा हरी-भरी धरती को निर्मित करने का उत्साह जगाना हमारी पहली प्राथमिकता है। श्रीमती सुब्रमणियन ने बताया कि जियोफेस्ट इण्टरनेशनल-2011 की विभिन्न प्रतियोगिताओं के साथ ही ‘नेशनल जियोग्राफी ओलम्पियाड’ का आयोजन भी किया जायेगा।
प्रेस कान्फ्रेन्स में बोलते हुए सी.एम.एस. संस्थापक व प्रख्यात शिक्षाविद् डा. जगदीश गाँधी ने कहा कि प्रकृति प्रदत्त इस धरती पर सुख, शान्ति, एकता व खुशहाली से जीवन बिताने हेतु यह जरूरी है कि हमारी प्यारी धरती भी हरी-भरी रहे, हमारा वायुमंडल स्वच्छ रहे, जलवायु परिवर्तन की गति नियमित रहे आदि। परन्तु इसके विपरीत आज हमारी नादानियों की बदौलत धरती का संतुलन धीरे-धीरे बिगड़ता जा रहा है, जिसके जिम्मेदार हम स्वयं है। आज मनुष्य ने अपनी मौत का सामान स्वयं ही तैयार कर लिया है, जो एक दिन हमारी आने वाली पीढ़ियों के विनाश का कारण बन सकते हैं। हमारा वायुमण्डल बुरी तरह प्रदूषित हो चुका है साथ ही इससे पृथ्वी के जीवन कवच ”ओजोन परत“ को भी भारी नुकसान पहुँचा है तथा धरती का तापमान बढ़ा है। डा. गाँधी ने कहा कि इस अन्तर्राष्ट्रीय भूगोल ओलम्पियाड के जरिए हमारा उद्देश्य है कि भूगोल एवं पर्यावरण जैसे महत्वपूर्ण विषय पर समस्त युवा वर्ग को जागृत किया जाए जिससे हरी-भरी दुनिया की बुनियाद रखी जा सके एवं भावी पीढ़ी स्वच्छ वायु का सेवन कर सकें। डा. गाँधी ने इस ओलम्पियाड के आयोजन के लिए सी.एम.एस. महानगर (थर्ड कैम्पस) की प्रधानाचार्या श्रीमती प्रेमा सुब्रमणियम को हार्दिक धन्यवाद दिया।
सी.एम.एस. के मुख्य जन-सम्पर्क अधिकारी श्री हरि ओम शर्मा ने इस भूगोल ओलम्पियाड में प्रतिभाग करने वाली अन्तर्राष्ट्रीय व राष्ट्रीय छात्र टीमों की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि ‘जियोफेस्ट इण्टरनेशनल-2011’ में देश-विदेश के जिन प्रतिष्ठित विद्यालयों का प्रतिनिधित्व हो रहा है, उनमें आनन्दा कालेज, श्रीलंका, ली बोकेज इन्टरनेशनल स्कूल, मोका, माॅरीशस, आर्निको हायर सेकेण्डरी स्कूल, नेपाल, छात्र टीम, बुल्गारिया, सनराइज इंग्लिश मीडियम स्कूल, हावड़ा, पश्चिम बंगाल, जे.बी. एकेडमी, फैजाबाद, पठानिया पब्लिक स्कूल, हरियाणा, जवाहर नवोदय विद्यालय, हरिद्वार, उत्तराखंड, बोस्को पब्लिक स्कूल, पश्चिम विहार, नई दिल्ली, सेंट माक्र्स गल्र्स सी.से. स्कूल, मीराबाग, नई दिल्ली, महारानी गायत्री देवी गल्र्स स्कूल, जयपुर, राजस्थान, छत्रपति शिवाजी पब्लिक स्कूल, महाराष्ट्र, लार्ड जीसस पब्लिक स्कूल, हरियाणा, बाल भारती पब्लिक स्कूल, दिल्ली, आर्मी पब्लिक स्कूल, गुवाहाटी, आसाम, बाल भारती पब्लिक स्कूल, पीतमपुरा, दिल्ली, माइल्स ब्रोन्सन रेजीडेन्शियल स्कूल, आसाम, सेंट माक्र्स सी.से. पब्लिक स्कूल, जनकपुरी, नई दिल्ली, सेंट जाॅन इण्टरनेशनल रेजीडेन्शियल स्कूल, तमिलनाडु, ओंकारनंद सरस्वती नीलायम, रिशीकेष, उत्तराखंड, एम.एस.बी. एजुकेशनल इन्स्टीट्यूट, नागपुर, महाराष्ट्र, डेलही पब्लिक स्कूल, भोपाल, मानव रचना इण्टरनेशनल स्कूल, हरियाणा, दून पब्लिक स्कूल, पश्चिम विहार, नई दिल्ली, यादविन्द्र पब्लिक स्कूल, मोहाली, पंजाब, साईग्रेस एकेडमी इण्टरनेशनल, उत्तराखंड, आर्मी पब्लिक स्कूल, पठानकोट, पंजाब, मोतीलाल नेहरू पब्लिक स्कूल, जमशेदपुर, झारखण्ड, सनबीम स्कूल, लहरतारा, वाराणसी, सनबीम स्कूल, भगवानपुर, वाराणसी, सेठ द्वारिका प्रसाद एजुकेशनल सेंटर, मिर्जापुर, पूर्णचन्द्र विद्या निकेतन, कानपुर, सनबीम स्कूल, वरुणा, वाराणसी, करमदेवी मेमोरियल एकेडमी, कानपुर, सनबीम स्कूल, अन्नपूर्णा, वाराणसी, हर्टमैन कालेज, बरेली एवं सिटी मोन्टेसरी स्कूल की विभिन्न शाखायें।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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किसानों के सामने उर्वरकों की कमी ने बड़ा संकट

Posted on 25 August 2011 by admin

भारतीय जनता पार्टी ने आज कहा कि प्रदेश में बाढ़ की मार से जूझ रहे किसानों के सामने उर्वरकों की कमी ने बड़ा संकट पैदा कर दिया है। प्रदेश प्रवक्ता विजय बहादुर पाठक ने बसपा सरकार पर किसान विरोधी होने का आरोप लगाते हुए कहा राज्य सरकार के एजेण्डे से कृषि और किसान गायब हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश में किसानों को लम्बे अरसे से उर्वरक सही समय पर उपलब्ध नहीं हो पा रहे हैं, लेकिन सरकार इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठा रही है। जिसके लिए बसपा सरकार में फैले भ्रष्टाचार ही मुख्य रूप से दोषी है।
प्रदेश प्रवक्ता विजय बहादुर पाठक ने कहा कि प्रदेश में लगभग दो दर्जन से भी अधिक जिलों में बाढ़ आने के कारण सैकड़ों गाॅंव जलमग्न हो गए हैं। बाढ़ से लाखों हेक्टेयर कृषि भूमि भी प्रभावित हुई है। पूर्वाचल में तो बाढ़ के कारण स्थिति और भी भयावह हो गई है, लेकिन राज्य सरकार किसानों की समस्याओं की अनदेखी करती चली आ रही है। बाढ़ का कहर झेल रहे किसानों को अपनी फसल बचाने के लिए भी काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
उन्होनंे कहा कि पूर्वाचल सहित पूरे राज्य में यूरिया का गम्भीर संकट खड़ा हो गया है। सरकारी विक्रय केन्द्रों पर मिलने वाली यूरिया सहित अन्य उर्वरकों की लगातार कालाबाजारी हो रही है। श्री पाठक ने कहा रू0 296.50 पैसे प्रति बोरी की दर से मिलने वाली यूरिया को कालाबाजारी 375 रू0 से 400 रू0 की दर से किसानों को बेच रहे हैं।  यूरिया की कमी के कारण धान की फसल पीली होती जा रही है। अपनी बर्बाद होती फसल को बचाने के लिए किसान परेशान है। प्रदेश में कई जिलों में यूरिया संकट से जूझ रहे किसानों ने सड़कों पर उतरकर सरकार के विरोध में प्रदर्शन भी किए बावजूद इसके उनको यूरिया मिल सके ऐसी कोई पहले सरकार की तरफ से अब तक नहीं हुई। सरकार की गलत नीतियों के कारण मजबुर किसान अपनी फसल बचाने के लिए औने-पौने दामों पर यूरिया खरीदने को मजबुर हैं।
प्रदेश प्रवक्ता ने कहा कि सच तो यह है कि जिलों को आवंटित यूरिया अभी तक पहुंच नहीं पाई है और जो पहुंची भी है उसकी कालाबाजारी हो रही है। बसपा सरकार की लापरवाही के कारण ही बुआई के समय भी डी0ए0पी0 का संकट खड़ा हुआ था और अब यूरिया की कमी के कारण किसान परेशान है। श्री पाठक ने राज्य सरकार से मांग की कि वह तत्काल किसानों को यूरिया उपलब्ध कराने के लिए कड़े कदम उठाए और यूरिया की कालाबाजारी पर भी रोक लगाए।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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सरकार से तत्काल जनलोकपाल पारित करने की मांग

Posted on 25 August 2011 by admin

भ्रष्टाचार के विरुद्ध राष्ट्रीय अभियान (नेशनल कम्पेन अगेंस्ट करप्शन) के राष्ट्रीय समन्वयक श्री राम शास्त्री और अधिवक्ता विश्वनाथ चतुर्वेदी ने केन्द्र सरकार पर जानबूझकर जन लोकपाल बिल को पारित करने में आनाकानी करने का आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार को अन्ना हजारे से बातचीत करके तुरन्त जनलोकपाल बिल को पारित करना चाहिए। ये दोनों आज यहां काॅफी हाउस में आयोजित संयुक्त संवाददाता सम्मलेन में पत्रकारों को संबोधित कर रहे थे।
श्री शास्त्री ने बताया कि जन लोकपाल बिल पर राष्ट्रीय सहमति 1962 में ही बन गई थी जब देश के प्रधानमंत्री श्री जवाहर लाल नेहरू की मौजूदगी में सभी राज्यों के विधि मंत्रियों, केन्द्रीय विधि मंत्री, राज्यों के एडवोकेट जनरल, केन्द्रीय विधि सचिव  समेत 1500 से अधिक विधि वेत्ताओं ने 12 अगस्त 1962 को आयोजित दिल्ली के एक सम्मेलन में एक सशक्त लोकपाल बनाने का प्रस्ताव पारित किया था। उसके कुछ दिनों के बाद ही भारत चीन का युद्ध प्रारंभ हो गया जिससे लोकपाल का मामला ठण्डे बस्ते में चला गया और सरकार अब किसी कीमत पर इसे जीवित नहीं होने देना चाहती है। पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त श्री जीवीजी कृष्णमूर्ति के संरक्षण में चल रहे भ्रष्टाचार के विरुद्ध राष्ट्रीय अभियान का मानना है कि अगर सरकार ने स्वयं ही उक्त प्रस्ताव के आलोक में सशक्त जन लोकपाल बिल पारित कर दिया होता तो आज अन्ना हजारे को आंदोलन करने की जरूरत ही नहीं पड़ती।
श्री राम शास्त्री ने बताया कि 1962 में पारित लोकपाल के प्रस्ताव में कहा गया था कि लोकपाल को समाचार अथवा स्वयं भ्रष्टाचार पर कार्यवाई करने का अधिकार होगा। वह कार्यपालिका एवं विधायिका के भ्रष्टाचार पर अंकुश लगा सकेगा। वह सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के समकक्ष होगा। उसे विधायिका एवं कार्यपालिका से सूचनाएं प्राप्त करने का अधिकार होगा। राज्य के लोकायुक्तों के निर्णयों पर उसका निर्णय अंतिम होगा। वह अपनी रपट राष्ट्रपति को प्रस्तुत करेगा और उसके क्रियाकलापों पर संसद में चर्चा नहीं हो सकेगी। वह नागरिक अधिकारों के प्रभावित होने की दशा में सरकार से जानकारी एवं सहयोग प्राप्त कर सकता है।
श्री राम शास्त्री एवं विश्वनाथ चतुर्वेदी ने कहा कि जब कांग्रेस और भाजपा दोनों ही सरकारें चुनाव के पहले भ्रष्टाचार को समाप्त करने का नारा देती हैं तो अब उन्हें जनलोकपाल पर आपत्ति क्यों है। उन्होंने कहा कि यह देश के लिए आपातकाल जैसी स्थिति है। जैसे युद्ध के दौरान तुरत निर्णय लेकर कार्यवाई की जाती है उसी तरह से जनलोकपाल को पारित करने के लिए भी तुरत निर्णय लेकर कार्यवाही की जाए।
दोनों  वक्ताओं ने कहा कि तत्कालीन मुख्य चुनाव आयुक्त श्री जीवीजी कृष्णमूर्ति ने 1996 में एक सर्वेक्षण कराया था जिसमें पता चला था कि 543 संसद सदस्यों में से 62 आपराधिक पृष्ठभूमि के  थे वर्ष 2009 में यह संख्या घटने के बजाए बढ़ गई और 543 में से 156 आपराधिक पृष्ठभूमि के लोग संसद पहुंच गए। राजनीतिक दल आपराधिक पृष्ठभूमि के लोगों को मंत्री पद से नवाजने में भी शर्म नहीं महसूस करते हैं। आज विधानसभाओं में एक तिहाई आपराधिक पृष्ठभूमि के लोग पहंुच गए हैं, जोकि लोकतंत्र के लिए शुभ संकेत नहीं है। आज भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाने वाले आरटीआई कार्यकर्ताओं की देशभर में हत्याएं हो रहीं हैं। ऐसे में भ्रष्टाचार के खिलाफ मजबूत कदम उठाने के लिए जन लोकपाल ही एकमात्र रास्ता है। आज से 2300 वर्ष पहले कौटिल्य के काल में राजा से ऊपर जब दण्डाधिकारी की नियुक्ति की जा सकती है तो आज लोकतांत्रिक व्यवस्था में जन लोकपाल क्यों नहीं बनाया जा सकता। सरकार को चाहिए कि हठधर्मिता छोड़कर तत्काल जनलोकपाल बिल पारित करे और अन्ना हजारे की मांग को मानकर जनभावनाओं को सम्मान करे।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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16 अम्बेडकर गांवों मंे अभी तक विद्युतीकरण नहीं

Posted on 25 August 2011 by admin

शौचालय पेयजल कार्य भी असंतोषजनक

जिलाधिकारी नवदीप रिणवा की अध्यक्षता में विकास भवन स्थित सभागार में डाॅ अम्बेडकर, ग्राम विकास योजना एवं मुख्यमंत्री के प्राथमिकता वाले कार्यक्रमों की गहन समीक्षा की गयी, साथ ही जनपद में आयी भीषण बाढ़ को दृष्टिगत रखते हुए सभी अधिकारियों को बिना अनुमति के मुख्यालय न छोड़ने के निर्देश भी दिये गये हैं। जिलाधिकारी श्री रिणवा ने जनपद के वर्तमान 38 डाॅ अम्बेडकर ग्रामों की गहन समीक्षा की। विद्युत विभाग की समीक्षा मंे पाया गया कि 16 ग्रामों मंे अभी भी विद्युतीकरण से संतृप्त नहीं किया गया है।  इस पर जिलाधिकारी ने अधिशासी अभियन्ता विद्युत से नाराजगी जतायी तथा वस्तु स्थित स्पष्ट करने को कहा। अधिशासी अभियन्ता विद्युत ने जिलाधिकारी को अवगत कराया कि विद्युतीकरण से सम्बन्धित आवश्यक सामग्री समाप्त हो गयी। जिसके कारण कार्य रूका हुआ है। इस पर जिलाधिकारी ने अध्यक्ष विद्युत कार्पोरेशन को पत्र लिखने के निर्देश दिये। समीक्षा में स्वच्छ शौचालय एवं पेयजल का कार्य भी असंतोषजनक पाया गया। जिसको यथाशीघ्र पूर्ण किये जाने के निर्देश सम्बन्धित अधिकारियों को दिये गये। इसके अतिरिक्त जिलाधिकारी ने पंेशन, छात्रवृत्ति इन्दिरा आवास, सावित्री बाई फुले योजना, मुख्यमंत्री बालिका आर्शीवाद योजना, मध्यान्ह भोजन, हाट कुक्ड आदि बिन्दुओं की भी गहन समीक्षा की तथा सम्बन्धितों को योजनान्तर्गत शत प्रतिशत संतृत्प करने के निर्देश दिये। जिलाधिकारी ने मुख्यमंत्री को प्राथमिकता वाले बिन्दुओं की भी गहन समीक्षा की तथा अधिकारियों को आवश्यक दिशा निर्देश दिये। इस अवसर पर मनरेगा फीडिंग कार्य में शिथिलता बरतने पर खण्ड विकास अधिकारी भावलखेड़ा को डांटा। जनपद मंे आयी भीषण बाढ़ को दृष्टिगत रखते हुए जिलाधिकारी श्री रिणवा ने सभी अधिकारियों को निर्देश किया कि वह बिना अनुमति के मुख्यालय कतई नहीं छोड़ंेगे अन्यथा उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जायेगी। इस अवसर पर सीडीओ, सीएमओ, डीपीओ, पीओ व अन्य अधिकारी मौजूद रहे।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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मुहिम अन्ना: भ्रष्टाचार के खिलाफ जंग लगातार नौवे दिन भी जारी

Posted on 25 August 2011 by admin

अन्ना के आह्वान पर जनपद में भ्रष्टाचार के खिलाफ जंग लगातार नौवे दिन भी जारी रही। भ्रष्टाचार विरोधी मुहिम और जनलोकपाल बिल के समर्थन में रचानात्मक संस्था संकल्प ने आज पैदल मार्च और दीप यज्ञ का आयोजन किया। टाउनहाॅल स्थित शहीद उद्यान में शहीदों की प्रतिमाओं पर माल्यार्पण व मेरा रंग दे बसंती चोला और हम होंगे कामयाब  के समूहगान के पश्चात पैदल मार्च निकाला जो रामप्रसाद बिस्मिल उद्यान में जाकर समाप्त हुआ। पैदल मार्च में गुरूनानक कन्या पाठशाला हाईस्कूल के बच्चे देश भक्ति की धुनो पर बैंजाते हुए चल रहे थे। बिस्मिल उद्यान में दीप प्रज्ज्वलित कर शहीद बिस्मिल की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर भ्रष्टाचार के उन्मूलन का संकल्प लिया गया। पैदल मार्च में संकल्प के सदस्यों के अतिरिक्त मार्निंग वाकर्रस क्लब, टैक्स बार एसोसियेशन, योग विज्ञान संस्थान के सदस्यों ने भाग लिया। मार्च करने वालों में डा0 केके शुक्ला, डा0 अवधेश मणि त्रिपाठी, गुरूप्रकाश सिंह, डा0 अनिल त्रेहन, जीसी मिश्रा, आशापाल, कमल चतुर्वेदी, महेश चन्द्र द्विवेदी,, गीता पाण्डेय, अजय गुप्ता, सुभाष अवस्थी, हिमांशु पाराशरी, डा0 सत्य प्रकाश मिश्र, जितेन्द्र गुप्ता, मनमोहन त्रिपाठी, डा0 राजीव अग्रवाल, डा0 पुनीत टण्डन, ओंकार मनीषी, कृष्ण मोहन जौहरी, हरमीत कौर, डा0 सुरेश मिश्र, मुरारी दीक्षित, अरूण गुप्ता, विजय तुली, जेपी मिश्रा, कीर्तिमान च्यवन, डा0 अवनीश मिश्र, पुष्पा गौतम, कंचन मिश्रा, श्वेता गुप्ता, कुलदीप कौर, दलजीत कौर, राधाशर्मा, हरप्रीत कौर, नीलम अग्निहोत्री आदि शामिल थे।
उधर सुबह आकांक्षा स्कूल के बच्चों ने रैली निकाल कर भ्रष्टाचार हटाओ जनलोकपाल बिल लाओ का नारा बुलंद किया वहीं शहीद उद्यान पर चल रहे अनशन स्थल पर चन्द्रवीर गंगू, संजीव सेठी, जेडी सक्सेना, श्यामा सक्सेना, देवेन्द्र गुप्ता, जरीफ मलिक आनन्द, नरेन्द्र गुप्ता, आशुतोष, सुशील कुमार, वीके सक्सेना, अनूप गुप्ता, राजीव कपूर, महेन्द्र गुप्ता, सुचित सेठ, वीके कपूर, अपूर्व अग्निहोत्री, अंकित गंगवार, राजीव मिश्रा, अनुज मिश्रा, लालाराम राठौर, डा. कमर अली, रिजवान, रोहित मोहन, पुनीत मनीषी, संजय गुप्ता, विनोद गुप्ता आदि ने बैठकर अनशन जारी रखा।
इस अवसर पर चन्द्रवीर गंगू ने बताया कि किरन बेदी, व केजरीवाला के अनुसार 27 जुलाई को सभी स्कूलों के बच्चे सड़कों पर आयेंगे और भ्रष्टाचार के खिलाफ शंखनाद करेंगे।
वहीं मानवाधिकार सुरक्षा एवं संरक्षण आर्गनाइजेशन, खुदागंज इकाई के विकास जैन, कृपाशंकर रस्तोगी, विश्वमोहन बंसल, राकेश रस्तोगी, मनोज कुमार, फिरोज खान, दिलीप अग्रवाल, राजूशर्मा, आशीष जैन ने भी अपना समर्थन दिया।
वहीं मीरानपुर कटरा के अखिल भारतीय राजीव गांधी विचार मंच प्रदेश उपाध्यक्ष रमेश चन्द्र त्रिपाठी ने कहा कि अन्ना हजारे के साथ दिल्ली पुलिस ने जो बर्ताव किया है वह निन्दनीय है। क्योंकि अन्ना ने लागू धारा 144 का उल्लंघन नहीं किया था वह तो केवल जनहित के लिए शान्तिपूर्वक आन्दोलन चला रहे हैं। आदर्श इंटर काॅलेज के अध्यापक अशोक बिन्दू ने बताया कि अन्ना ने जो कदम उठाया है वह देश की भलाई के लिए कदम है। उन्होंने कहा कि चाहे वह लोकपाल बिल हो या जन लोकपाल मगर सरकार को यह मानना पड़ेगा कि भ्रष्टाचार पूरे देश मंे एक वायरस की तरह फैला हुआ है जो हमारे देश को खोखला कर रहा है और यही कारण है कि आज भारत में आक्रोश दिखायी दे रहा है जिसे देखते हुए सरकार को इस मुद्दे पर गम्भीरता से निर्णय लेना चाहिए।
उधर युवा लोकदल के प्रदेश महासचिव ने अन्ना हजारे के भ्रष्टाचार विरोधी जन आन्दोलन के समर्थन में राष्ट्रपति के नाम नगर मजिस्ट्रेट को ज्ञापन प्रेषित किया है। ज्ञापन देने वालों में रियाजुद्दीन इदरीसी, आफाक अली, हरिओम नीरज, जावेद हसन, संजय सेठी, शुएब सिद्दीकी आदि थे।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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स्कूली बच्चों से भरी मैजिक इंजन मंे फंसकर पचास मीटर तक रगड़ी

Posted on 25 August 2011 by admin

टेªन चालक की सूझबूझ से बच गयी बच्चों की जान
मैजिक चालक की लापरवाही के चलते हुआ हादसा

स्कूल मैजिक चालक की लापरवाही के चलते दर्जनों मासूमों की जान खतरे में पड़ गयी। वहीं नाॅन स्टाॅप ट्रेन के चालक की होशियारी के चलते मासूम काल के गाल में समाने से बच गये। हादसा कस्बा व थाना निगोही के ढकिया तिवारी रेलवे क्रासिंग पर हुआ। हादसे में घायल दो मासूमों की हालत नाजुक बनी हुई है। मंगलवार की सुबह विधायक रोशन लाल वर्मा के सुभद्रा देवी महेश चन्द्र इंटर काॅलेज की स्कूल मैजिक गाड़ी स्वामी शिव कुमार गांव परसरा ढकिया तिवारी छतेली से एक दर्जन स्कूली बच्चे लेकर काॅलेज आ रहा था। तभी ढकिया तिवारी रेलवे क्रासिंग पर लाइनों के बीच में गाड़ी खराब हो गयी। इसी बीच नाॅन स्टाॅप पीलीभीत-शाहजहांपुर 55297 ट्रेन आ गयी। जिसे आता देख मैजिक चालक तो कूद कर भाग गया, लेकिन बच्चे गाड़ी में ही फंसे रह गये। तभी ट्रेन चालक रमेश ने मैजिक में भरे बच्चों को देखा तो उसने तुरन्त इमरजेंसी ब्रेक लगा दिये, लेकिन ट्रेन स्पीड में होने के चलते मैजिक इंजन में फंसकर पचास मीटर की दूरी तक रगड़ने के बाद गड्डे मंे गिर गयी। जिससे मैजिक में बैठे सभी एक दर्जन मासूम बच्चे घायल हो गये। जिनमें दो की हालत नाजुक बनी हुई है। बताया जाता है कि मैजिक चालक मोबाइल से हैड फोन के द्वारा गाने सुन रहा था जिस कारण उसको गाड़ी के सायरन के आवाज नहीं सुनाई दी। घायलों में गांव ढकिया तिवारी के नवनीत पांच वर्ष पुत्र अनुज, निखिल पांच पुत्र महिपाल सिंह, समर आठ वर्ष पुत्र शिवेन्द्र चैाहान, शुभम छह वर्ष पुत्र शिवेन्द्र चैाहान, अक्षत पांच वर्ष पुत्र अरविन्द सिंह, अजय दस वर्ष पुत्र धर्मवीर, चाहत छह वर्ष पुत्री अशोक मिश्रा, कंचन नौ वर्ष पुत्री सर्वेश, शिवांगी पांच वर्ष पुत्री सर्वेश कुमार, आशीष आठ वर्ष पुत्र वीरेन्द्र कुमार हैं तथा गम्भीर घायलों में निधि पांच वर्ष पुत्री अरविन्द मिश्रा, करन पांच पुत्र अरविन्द मिश्रा निवासी गांव परसरा के निवासी हैं। गांव छतेली के ग्रामीणों ने हादसे के बाद घायलांे को जिला अस्पताल में भर्ती कराया है।
नाॅन स्टाॅप ट्रेन 55297 के ड्राइवर रमेश ने समझ बूझ दिखाते हुए इमरजेंसी ब्रेक लगा लिये।  इसके बाद बावजूद भी इंजन में फंसकर मैजिक पचास मीटर की दूरी तक घसिट गयी। अगर कहें ट्रेन चालक भी लापरवाही दिखा देता तो एक दर्जन मासूम की मौत हो जाती। फिलहाल चालक की समझबूझ से एक बड़ा हादसा होने से टल गया।
मैजिक चालक की लापरवाही के चलते एक दर्जन मासूमों की जान खतरे मंे पड़ गयी। मैजिक चालक गाड़ी चलाते समय मोबाइल पर गाने सुन रहा था। रेलवे ट्रैक पर गाड़ी खराब होने के बाद चालक ने खुद को तो बचाा लिया लेकिन मासूमों को मरने के लिए रेलवे ट्रैक पर छोड़ दिया। चालक की इस रवैये के चलते मासूमों के परिजनों मंे रोष व्याप्त है। वे चालक के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।
बताते चलें कि ढकिया तिवारी रेलवे क्रासिंग पर ना तो कोई फाटक लगा है और न ही रेलवे का कोई कर्मचारी की यहां तैनाती है। जिसके चलते मंगलवार को एक बड़ा हादसा होते-होते बच गया। अगर रेलवे प्रशासन ने जल्द ही इस ओर ध्यान नहीं दिया तो आगे किसी बड़ी अप्रिय घटना घटने से इंकार नहीं किया जा सकता।
हादसे की खबर मिलते ही बसपा विधायक रोशन लाल वर्मा तुरन्त घटना स्थल पर पहुंच गये और जिला अस्पताल मंे भर्ती घायलों का हाल चाल लेते हुए उनके परिजनों को ढांढस बंधाया। उन्होंने कहा कि लापरवाह मैजिक चालक के खिलाफ उक्त कार्रवाई की जायेगी।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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