Posted on 26 August 2011 by admin
- बाढ़ राहत के मद्देनजर निर्देश दिये डीएम ने
जनपद में आयी भीषण बाढ़ के मद्देनजर जिलाधिकारी नवदीप रिणवा ने अधीनस्थों को विशेष निर्देश देते हुए कहा कि वह अपने दायित्वों का निर्वाहन ईमानदारी के साथ करते हुए बाढ़ से प्रभावित लोगों की सहायता करें तथा उन्हें शासन एवं प्रशासन द्वारा उपलब्ध करायी जा रही सामग्री एवं तत्कालिक सहायता को तत्काल मुहैया कराये। जिलाधिकारी ने बताया कि सदर तहसील के बाढ़ से प्रभावित 16 ग्रामों मंे प्रशासन ने राशन की मात्रा चावल 8 कुन्तल, आटा 8 कु., भुना चना 8 कु., लइया 23.80 कु., लंच पैकेट आठ हजार, पानी के पाउच 4000, मोमबत्तियांे की संख्या चार हजार और माचिस चार हजार वितरित करायी। श्री रिणवा ने इसी तरह तिलहर तहसील के बाढ़ प्रभावित 43 गांवों में आटा दो कुन्टल, भुना चना 5.05 कुन्टल लइया 9.46 कुन्टल लंच पैकेट 42250, पानी के पैकेट 13460, मोमबत्ती नग 9800, माचिस नग 9380, नमक के पैकेट 1200, बिस्कुट के पैकेट 30892, ब्रेड के पैकेट 1200, मिट्टी का तेल 200 लीटर और त्रिपाल के 298 नग वितरित कराये। इसी तरह तहसील जलालाबाद के बाढ़ प्रभावित 208 ग्रामों मंे चावल 50 कुन्टल, आटा 56 कु., भुना चना 19.42 कु. लइया 24.90 कु. लंच पैकेट 72421, पानी के पाउच 29000, मोमबत्ती के नग 9160, माचिस 7740 नग, त्रिपाल 2757 नग, आलू 120 कु. बिस्कुट के पैकेट 8295, मटर भुना 3 कु. और भुनी मूंगफली का दाना 1 कुन्तल वितरित कराया। जिलाधिकारी के कड़े निर्देश देते हुए कहा कि बाढ़ से प्रभावित क्षेत्रों में सामग्री एवं सहायता मुहैया कराने मंे किसी भी प्रकार की कोताही नहीं बरती जानी चाहिए।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
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Posted on 26 August 2011 by admin
बढ़ाई गयी अवधि के दौरान प्राप्त फार्मों की सूचना प्रत्येक बी0एल0ओ0 को अपने उच्चाधिकारियों के माध्यम से प्रतिदिन ई-मेल या फैक्स के माध्यम से मुख्य निर्वाचन कार्यालय को अवश्य देनी होगी-उमेश सिन्हा
विधानसभा क्षेत्रों के निर्वाचक नामावलियों का बूथ लेवर आफीसर (बी0एल0ओ0) के माध्यम से घर-घर जाकर सत्यापन कार्य की अवधि आगामी 10 सितम्बर, 2011 तक बढ़ा दी गयी है। यह अवधि मात्र उन पोलिंग स्टेशनों में बढ़ाई गयी है जहां पर बाढ़ आपदा के कारण सत्यापन का कार्य पूर्ण नहीं हो पाया है।
प्रदेश के मुख्य निर्वाचन अधिकारी, श्री उमेश सिन्हा ने यह जानकारी आज यहां दी है। उन्होंने विभागीय अधिकारियों को निर्देश दिये हैं कि इसके अतिरिक्त यदि किसी पोलिंग स्टेशनों पर किसी कारणवश सत्यापन का कार्य पूर्ण नहीं हो पाया हो, तो वहाँ पर भी घर-घर जाकर सत्यापन का कार्य आगामी 5 सितम्बर तक अवश्य पूर्ण करा लिया जाये। उन्होंने यह भी निर्देश दिये हैं कि सत्यापन का कार्य प्रत्येक दशा में उक्त अवधि में ही अवश्य पूर्ण करा लिया जाये अन्यथा लापरवाही के लिए सम्बन्धित अधिकारियों की जिम्मेदारी निहित कर दण्डित किया जायेगा। उल्लेखनीय है कि घर-घर जाकर सत्यापन कार्य की अवधि विगत 1 जुलाई से 25 अगस्त तक निर्धारित की गयी थी, जो आज पूर्ण हो गयी है।
मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने यह भी निर्देश दिये हैं कि बढ़ाई गयी अवधि के दौरान उक्त कार्य में प्राप्त होने वाले फार्मों की सूचना प्रत्येक बूथ लेवर आॅफीसर को अपने उच्चाधिकारियों एवं जिलाधिकारियों के माध्यम से प्रतिदिन ई-मेल या फैक्स के माध्यम से मुख्य निर्वाचन कार्यालय को अवश्य देनी होगी अन्यथा सूचना प्राप्त न होने पर कड़ी कार्यवाही की जायेगी।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
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Posted on 26 August 2011 by admin
प्रदेश में विभिन्न जनपदों की 84 तहसीलों के 3168 गांव बाढ़ से प्रभावित हैं
माह अगस्त में अब तक बाढ़ एवं आकाशीय विद्युत से 108 लोगों की मृत्यु
Posted on 26 August 2011 by admin
- बी0एस0पी0 सरकार ने भूमि अधिग्रहण से प्रभावित किसानों के हितों को संरक्षण देने वाली नई भूमि अधिग्रहण नीति लागू की
- सभी विपक्षी पार्टियों को भूमि अधिग्रहण के मुद्दे पर राजनीतिक रोटी सेंकने के बजाय यूपीए सरकार पर नया भूमि अधिग्रहण कानून बनाने के लिये दबाव बनाना चाहिए
बहुजन समाज पार्टी के प्रवक्ता ने कहा कि हापुड़-पिलखुआ विकास प्राधिकरण के अन्तर्गत लेदर सिटी योजना के लिए पूर्ववर्ती समाजवादी पार्टी की सरकार द्वारा वर्ष 2006 में अधिसूचना जारी की गयी थी। भूमि का अधिग्र्रहण धारा-4 के तहत बिना सुनवाई के किया गया था। सपा सरकार ने भूमि अधिग्रहण करते समय किसानों के हितों की पूरी तरह अनदेखी की, जिसके कारण किसानों में भारी असंतोष व्याप्त था। अब किसानों को राहत मिली है और पूर्ववर्ती सपा सरकार द्वारा किसान विरोधी फैसले का सच भी उजागर हो गया है।
बी0एस0पी0 के प्रवक्ता ने बताया कि समाजवादी पार्टी की तत्कालीन सरकार द्वारा भू-अर्जन अधिनियम, 1894 की धारा-4/17 की अधिसूचना निर्गत किये जाने का निर्णय 17 जून, 2006 को लिया गया था। तत्क्रम में ग्राम-चितौली, सबड़ी, इमटौरी की 28.804 हेक्टेयर भूमि के अर्जन के लिए अधिसूचना 03 जुलाई, 2006 को निर्गत की गयी थी। प्रवक्ता ने बताया कि इसी प्रकार लेदर सिटी योजना के विकास हेतु ग्राम-रामपुर परगना व तहसील-हापुड़ की 53.714 हेक्टेयर भूमि को अधिग्रहीत करने का निर्णय भी तत्कालीन सपा सरकार द्वारा 24 अगस्त, 2006 को लिया गया था तथा 18 सितम्बर, 2006 को अधिसूचना जारी की गयी थी।
प्रवक्ता ने कहा कि भूमि अधिग्रहण को लेकर घड़ियाली आंसू बहाने वाली समाजवादी पार्टी अपने शासनकाल में किसानों से जबरिया जमीन अधिग्रहण करके अपने शुभचिन्तक पूंजीपतियों को कौड़ियों के दाम बेच दी थी। समाजवादी पार्टी किसानों का हमदर्द बनने की कोशिश करती है, लेकिन अपने शासनकाल के दौरान किसानों के साथ जो व्यवहार किया, उसे आज भी किसान भूले नहीं है। उन्होंने कहा कि सपा के लोग किसानों को गुमराह करके उन्हें वोट बैंक की तरह इस्तेमाल करते रहे हैं। उन्होंने कहा कि लेदर सिटी योजना में जो निर्णय आया है, उसने सपा सरकार द्वारा किसानों के साथ की गयी मनमानी की पोल खुल गयी है।
प्रवक्ता ने कहा कि पूर्ववर्ती सरकारों द्वारा किसानों के प्रति बरती गयी उपेक्षा के कारण बी0एस0पी0 की सरकार को भूमि अधिग्रहण से सम्बन्धित विभिन्न समस्यायें विरासत में मिली हैं। बी0एस0पी0 सरकार किसानों से सम्बन्धित समस्याओं समाधान के लिये पूरी तरह सजग एवं संवदेवनशील है और इस दिशा में पिछले लगभग साढ़े चार वर्ष के कार्यकाल के दौरान विभिन्न कदम उठाये हैं। इसके साथ ही किसानों के हित में कई महत्वपूर्ण फैसले लेते हुए उनका कड़ाई से अनुपालन भी कराया है, जिसके कारण आज उत्तर प्रदेश के किसान खुशहाल हैं और अन्न उत्पादन में उत्तर प्रदेश को बेस्ट परफार्मिंग स्टेट का दर्जा हासिल हुआ है। इसके बावजूद भी सभी विपक्षी पार्टियां भूमि अधिग्रहण के मुद्दे पर राज्य सरकार को घेरने की कोशिश में लगी रहती हैं।
प्रवक्ता ने कहा कि भूमि अधिग्रहण को लेकर देश प्रायः किसानों और सरकारों के बीच टकराव की स्थिति पैदा होती रहती है और किसानों के असन्तोष के चलते कभी-कभी कानून व्यवस्था की स्थिति पर भी विपरीत प्रभाव पड़ता है। इसलिए बी0एस0पी0 की वर्तमान सरकार का स्पष्ट मत है कि किसानों की समस्याओं का उचित समाधान उसी स्थिति में सम्भव हो सकता है, जब उनसे सीधे बात करके उनकी रजामंदी से कोई निर्णय लिया जाये। प्रवक्ता ने कहा कि इन्हीं तथ्यों को ध्यान में रखते हुए उनकी सरकार ने किसानों के साथ भूमि अधिग्रहण से सम्बन्धित विभिन्न पहलुओं पर विस्तार से बातचीत की है और किसानों के सुझाव प्राप्त किये। इस सम्बन्ध में शासन स्तर पर भी गम्भीरता से विचार-विमर्श किया गया और इसके उपरान्त देश के इतिहास में पहली बार एक ऐसी नीति बनाकर उनकी सरकार ने लागू किया है, जो किसानों के रचनात्मक सुझावों के अनुरूप है।
बी0एस0पी0 के प्रवक्ता ने बताया कि सरकार द्वारा भूमि अधिग्रहण के लिए लागू की गयी नई नीति को तीन हिस्सों में बांटा गया है। इस नीति में प्रदेश के विकास के लिए बड़ी निजी कम्पनियों द्वारा स्थापित की जाने वाली विद्युत परियोजनाओं एवं अन्य कार्यों के लिए भूमि अधिग्रहण पर विशेष ध्यान दिया गया है, क्योंकि इसे लेकर ही किसानों में सबसे ज्यादा असन्तोष रहा है। प्रवक्ता ने बताया कि सरकार द्वारा घोषित नीति के तहत विकासकर्ता को परियोजना के लिए चिन्ह्ति भूमि से प्रभावित कम से कम 80 प्रतिशत किसानों से गांव में बैठक कर आपसी सहमति के आधार पर पैकेज तैयार करके सीधे जमीन प्राप्त करनी होगी। जिला प्रशासन मात्र इसमें फैसिलिटेटर की भूमिका निभायेगा। यदि 80 प्रतिशत किसान सहमत नहीं होते हैं तो परियोजना पर पुनर्विचार किया जायेगा।
प्रवक्ता ने कहा कि नई नीति के दूसरे हिस्से के तहत राजमार्ग व नहर आदि बुदियादी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए भूमि अधिग्रहण का कार्य करार नियमावली के तहत आपसी सहमति से तय किया जायेगा। जिन किसानों की भूमि ऐसी परियोजनाओं के लिए अधिग्रहीत की जायेगी, उन्हें शासन की पुनर्वास एवं पुनस्र्थापना नीति के सभी लाभ दिये जायेंगे। प्रवक्ता ने भूमि अधिग्रहण नीति के तीसरे हिस्से के सम्बन्ध में जानकारी देते हुए बताया कि कुछ भूमि विकास प्राधिकरणों और औद्योगिक विकास प्राधिकरणों आदि द्वारा ली जाती है और उनका मास्टर प्लान बनाया जाता है। इस प्रकार की भूमि भी राज्य सरकार की करार नियमावली के तहत आपसी समझौते से ही ली जायेगी। इस सम्बन्ध में बी0एस0पी0 की सरकार ने किसानों के हितों को सुरक्षित रखने की नीयत से अधिग्रहीत भूमि के बदले किसानों को दो विकल्प भी उपलब्ध कराये हैं।
प्रवक्ता ने बताया कि पहले विकल्प के अनुसार प्रतिकर की धनराशि करार नियमावली के तहत आपसी समझौते से निर्धारित की जायेगी और इस मामले में सम्बन्धित सार्वजनिक उपक्रम द्वारा उदार रवैया अपनाया जायेगा। इसके अलावा प्रभावित किसानों को पुनर्वास एवं पुनस्र्थापना नीति के सभी लाभ भी उपलब्ध कराये जायेंगे। प्रवक्ता ने बताया कि दूसरे विकल्प के तहत अधिग्रहीत भूमि के कुल क्षेत्रफल का 16 प्रतिशत भूति विकसित करके निःशुल्क दी जायेगी। इसके साथ-साथ 23 हजार रुपये प्रति एकड़ की वार्षिकी भी 33 साल तक मिलेगी। किसान यदि चाहे तो 16 प्रतिशत भूमि में से कुछ भूमि के बदले नकद प्रतिकर भी ले सकते हैं। प्रवक्ता ने कहा कि नीति के तीसरे हिस्से के अन्तर्गत स्टैम्प ड्यूटी की छूट वैसे ही मिलेगी जैसे कि निजी क्षेत्र द्वारा भूमि अधिग्रहण के मामलों में दी जाती है।
बहुजन समाज पार्टी के प्रवक्ता ने बताया कि प्रत्येक किसान, जिसकी भूमि अधिग्रहीत अथवा अंतरित की जायेगी, उसे 33 साल के लिए 23 हजार रुपये प्रति एकड़ प्रति वर्ष की दर से वार्षिकी दी जायेगी, जो भूमि प्रतिकर के अतिरिक्त होगी। इस वार्षिकी पर प्रति एकड़ प्रति वर्ष 800 रुपये की सालाना बढ़ोत्तरी की जायेगी, जो प्रत्येक वर्ष जुलाई माह में देय होगी। यदि कोई किसान वार्षिकी नहीं लेना चाहेगा तो उसे एकमुश्त 2,76,000 रुपये प्रति एकड़ की दर से पुनर्वास अनुदान दिया जायेगा। प्रवक्ता ने कहा के यदि भूमि का अधिग्रहण अथवा अंतरण किसी कम्पनी के प्रयोजन हेतु होगा तो किसानों को पुनर्वास अनुदान की एकमुश्त धनराशि में से 25 प्रतिशत के समतुल्य कम्पनी शेयर लेने का विकल्प उपलब्ध होगा। प्रवक्ता ने कहा कि निजी क्षेत्र हेतु भूमि अधिग्रहण/अंतरण से पूरी तरह भूमिहीन हो रहे परिवारों के एक सदस्य को उसकी योग्यता के अनुरूप निजी क्षेत्र की संस्था कम्पनी में नौकरी भी मिलेगी।
प्रवक्ता ने कहा कि भूमि अधिग्रहण को लेकर विभिन्न राज्यों में आये दिन कानून-व्यवस्था की समस्या उत्पन्न हो रही है। बी0एस0पी0 का स्पष्ट मानना है कि भूमि अधिग्रहण के मुद्दे पर उत्तर प्रदेश के किसान ही नहीं बल्कि देश के किसान एक समान राष्ट्रीय नीति चाहते हैं। यदि यूपीए सरकार को एक सर्वव्यापी नीति बनाने में कोई परेशानी हो तो उसे उत्तर प्रदेश की नीति की नकल कर लेनी चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि केन्द्र सरकार इसी मानसून सत्र में भूमि अधिग्रहण पर नया कानून बनाने का भरोसा दिलाया था, लेकिन इस मामले में जिस तरह से देरी की जा रही है, उससे देश के किसानों में लगातार आक्रोश बढ़ता जा रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि इस लेट लतीफी से साफ जाहिर है कि कांग्रेस समेत अन्य पार्टियों का किसान प्रेम उनकी चुनावी राजनीति का एक हिस्सा है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
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Posted on 26 August 2011 by admin
गंगा और रामगंगा नदी का जलस्तर बढ़ने से जनपद की तीन तहसीलों के लगभग आठ सौ गांव और मजरें बाढ़ की चपेट में आ गए। 25 मकान पानी की जलसमाधि बन चुके है हरपालपुर का कटियारी क्षेत्र सबसे ज्यादा प्रभावित क्षेत्र माना जा रहा है थाना अन्य सरकारी भवन डिग्री काॅलेज परिसर सभी जगह पानी ही पानी है मुख्य मार्गो पर पानी होने पर यातायात बाधित हो चुका है। जिससे पीएसी की फ्लट कंपनी को हाइवे पर डेरा डालकर राहत पहुंचाने का काम करना पड़ रहा हैं निकलने की चाहत सड़क मार्ग पर चार ट्रक पलट गए। रोडवेज बसों का संचालन बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूल सभी बंद कर दिए गए है। पांच नदियों के बीच बसा यह कटियारी क्षेत्र की स्थिति सबसे भयानक बन चुकी हैं संचार विभाग का बीटीएस बंद होने के कारण सेंवाएं भी बंद हो रही है। मल्लावां क्षेत्र का राघौपुर मेंहदीघाट पर एक मीटर पानी भर गया। पानी मुख्य मार्गो पर भर गया है। क्षेत्र का भगतपुरवा मढ़ियां, हरैया, नारायणपुर, पिड़िया आदि गांवों में पानी भरा है। इन गांवों के 25 मकान पानी में डूब कर बह गए। जनपद के जिलाधिकारी एके सिंह राठौर के अनुसार अगर जरूरत पड़ी तो अब सेना की मदद ली जाएगी। एसडीएम सतीश चंद्र ने बताया कि तीन मोटर वोटे काम कर रही है तथा एक रिजर्व में रखकर काम लिया जा रहा है। जनपद के नेता समाजवादी पार्टी के अशोक बाजपेई, कांग्रेस अजय सिंह, विधायक रजनी तिवारी विधायक नितिन अग्रवाल अपनी अपनी टीमों के साथ तमाम समाजसेवी बाढ़ राहत शिविर खोलकर मदद करने में आगे आ गए है। और प्रशासन की हर प्रकार से मदद कर रहे है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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Posted on 26 August 2011 by admin
भारतीय जनता पार्टी प्रदेश प्रवक्ता राजेन्द्र तिवारी ने पत्रकारांे से वार्ता करते हुए मायावती सरकार द्वारा पर्यटन निगम के 69 होटलों को निजी क्षेत्र में देने की साजिश तथा अपनी तिजोरी भरने की नीयत की कटु निन्दा करते हुए कहा कि बसपा सरकार ने अपने साढ़े चार वर्ष के शासनकाल में एक भी उद्योग प्रदेश में नहीं लगाए जिससे बेरोजगारों के लिए रोजगार के अवसर सृजित होते है और प्रदेश की समृद्धि बढ़ती बल्कि इसके विपरीत किसानों का हित संरक्षण करने वाली चीनी मिलों को कोड़ियों के मोल बेचकर हजारों करोड़ का घोटाला किया।
प्रदेश प्रवक्ता ने आरोप लगाते हुए कहा कि बसपा सरकार का सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों को तहस-नहस करने का कोई हक नहीं है। श्री तिवारी ने कहा कि बसपा शासनकाल में प्रदेश में सार्वजनिक क्षेत्र या निजी क्षेत्र में किसी तरह का न तो निवेश हुआ न ही उद्योग लगे जिससे प्रदेश की खुशहाली बढ़ती। भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि पर्यटन निगम को घाटे से उबारने के लिए प्रबन्धकीय व्यवस्था को चुस्त दुरूस्त करना, प्रबन्धतंत्र को जवाबदेह बनाना उपाय है न कि सभी 69 होटलों को निजी क्षेत्र में देकर अरबों की सम्पत्ति को कोड़ियों के मोल दे देना और उसमें कार्यरत हजारों कार्यरत कर्मचारियों के परिवार की रोजी-रोटी के साथ खिलवाड़ करना। यह शर्म की बात है कि गरीबों के हितेषी होने का दम भरने वाली यह सरकार केवल उद्योगपतियों और धनपतियों का हित साध रही है और गरीब कर्मचारियों के परिवार के पेट पर लात मार रही है।
श्री तिवारी ने कहा कि सूचना क्रांति के इस दौर में भी उ0प्र0 में ई गर्वनेन्स कार्यक्रम के बुनियादी ढ़ाचे सरकार नहीं बन पाई। सरकार के अनेक विभाग सिंचाई, पशुपालन, सार्वजनिक निर्माण, उद्यान, जेल सुधार, महिला कल्याण आदि अनेक विभागों ने सरकारी कोष का भरपूर दुरूपयोग किया। इतना ही नहीं खाद्य विभाग की लाखों की रकम हजम कर गए। अपने विधायक के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की।
भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि यदि सरकार पर्यटन निगम के होटलों को वेचने से बाज न आई तो भाजपा चुनाव आयोग में जाएगी साथ ही विधान सभा चुनाव बाद सरकार आने पर जांच कराकर दोषी सभी जिम्मेदार मंत्रियों, अधिकारियों को जेल भेजेगी। भाजपा प्रवक्ता ने बहराइच में हुए साम्प्रदायिक तनाव और हत्या पर गहरी चिन्ता व्यक्त करते हुए इसे सरकार के कानून व्यवस्था की नाकामी बताया।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
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