- बी0एस0पी0 सरकार ने भूमि अधिग्रहण से प्रभावित किसानों के हितों को संरक्षण देने वाली नई भूमि अधिग्रहण नीति लागू की
- सभी विपक्षी पार्टियों को भूमि अधिग्रहण के मुद्दे पर राजनीतिक रोटी सेंकने के बजाय यूपीए सरकार पर नया भूमि अधिग्रहण कानून बनाने के लिये दबाव बनाना चाहिए
बहुजन समाज पार्टी के प्रवक्ता ने कहा कि हापुड़-पिलखुआ विकास प्राधिकरण के अन्तर्गत लेदर सिटी योजना के लिए पूर्ववर्ती समाजवादी पार्टी की सरकार द्वारा वर्ष 2006 में अधिसूचना जारी की गयी थी। भूमि का अधिग्र्रहण धारा-4 के तहत बिना सुनवाई के किया गया था। सपा सरकार ने भूमि अधिग्रहण करते समय किसानों के हितों की पूरी तरह अनदेखी की, जिसके कारण किसानों में भारी असंतोष व्याप्त था। अब किसानों को राहत मिली है और पूर्ववर्ती सपा सरकार द्वारा किसान विरोधी फैसले का सच भी उजागर हो गया है।
बी0एस0पी0 के प्रवक्ता ने बताया कि समाजवादी पार्टी की तत्कालीन सरकार द्वारा भू-अर्जन अधिनियम, 1894 की धारा-4/17 की अधिसूचना निर्गत किये जाने का निर्णय 17 जून, 2006 को लिया गया था। तत्क्रम में ग्राम-चितौली, सबड़ी, इमटौरी की 28.804 हेक्टेयर भूमि के अर्जन के लिए अधिसूचना 03 जुलाई, 2006 को निर्गत की गयी थी। प्रवक्ता ने बताया कि इसी प्रकार लेदर सिटी योजना के विकास हेतु ग्राम-रामपुर परगना व तहसील-हापुड़ की 53.714 हेक्टेयर भूमि को अधिग्रहीत करने का निर्णय भी तत्कालीन सपा सरकार द्वारा 24 अगस्त, 2006 को लिया गया था तथा 18 सितम्बर, 2006 को अधिसूचना जारी की गयी थी।
प्रवक्ता ने कहा कि भूमि अधिग्रहण को लेकर घड़ियाली आंसू बहाने वाली समाजवादी पार्टी अपने शासनकाल में किसानों से जबरिया जमीन अधिग्रहण करके अपने शुभचिन्तक पूंजीपतियों को कौड़ियों के दाम बेच दी थी। समाजवादी पार्टी किसानों का हमदर्द बनने की कोशिश करती है, लेकिन अपने शासनकाल के दौरान किसानों के साथ जो व्यवहार किया, उसे आज भी किसान भूले नहीं है। उन्होंने कहा कि सपा के लोग किसानों को गुमराह करके उन्हें वोट बैंक की तरह इस्तेमाल करते रहे हैं। उन्होंने कहा कि लेदर सिटी योजना में जो निर्णय आया है, उसने सपा सरकार द्वारा किसानों के साथ की गयी मनमानी की पोल खुल गयी है।
प्रवक्ता ने कहा कि पूर्ववर्ती सरकारों द्वारा किसानों के प्रति बरती गयी उपेक्षा के कारण बी0एस0पी0 की सरकार को भूमि अधिग्रहण से सम्बन्धित विभिन्न समस्यायें विरासत में मिली हैं। बी0एस0पी0 सरकार किसानों से सम्बन्धित समस्याओं समाधान के लिये पूरी तरह सजग एवं संवदेवनशील है और इस दिशा में पिछले लगभग साढ़े चार वर्ष के कार्यकाल के दौरान विभिन्न कदम उठाये हैं। इसके साथ ही किसानों के हित में कई महत्वपूर्ण फैसले लेते हुए उनका कड़ाई से अनुपालन भी कराया है, जिसके कारण आज उत्तर प्रदेश के किसान खुशहाल हैं और अन्न उत्पादन में उत्तर प्रदेश को बेस्ट परफार्मिंग स्टेट का दर्जा हासिल हुआ है। इसके बावजूद भी सभी विपक्षी पार्टियां भूमि अधिग्रहण के मुद्दे पर राज्य सरकार को घेरने की कोशिश में लगी रहती हैं।
प्रवक्ता ने कहा कि भूमि अधिग्रहण को लेकर देश प्रायः किसानों और सरकारों के बीच टकराव की स्थिति पैदा होती रहती है और किसानों के असन्तोष के चलते कभी-कभी कानून व्यवस्था की स्थिति पर भी विपरीत प्रभाव पड़ता है। इसलिए बी0एस0पी0 की वर्तमान सरकार का स्पष्ट मत है कि किसानों की समस्याओं का उचित समाधान उसी स्थिति में सम्भव हो सकता है, जब उनसे सीधे बात करके उनकी रजामंदी से कोई निर्णय लिया जाये। प्रवक्ता ने कहा कि इन्हीं तथ्यों को ध्यान में रखते हुए उनकी सरकार ने किसानों के साथ भूमि अधिग्रहण से सम्बन्धित विभिन्न पहलुओं पर विस्तार से बातचीत की है और किसानों के सुझाव प्राप्त किये। इस सम्बन्ध में शासन स्तर पर भी गम्भीरता से विचार-विमर्श किया गया और इसके उपरान्त देश के इतिहास में पहली बार एक ऐसी नीति बनाकर उनकी सरकार ने लागू किया है, जो किसानों के रचनात्मक सुझावों के अनुरूप है।
बी0एस0पी0 के प्रवक्ता ने बताया कि सरकार द्वारा भूमि अधिग्रहण के लिए लागू की गयी नई नीति को तीन हिस्सों में बांटा गया है। इस नीति में प्रदेश के विकास के लिए बड़ी निजी कम्पनियों द्वारा स्थापित की जाने वाली विद्युत परियोजनाओं एवं अन्य कार्यों के लिए भूमि अधिग्रहण पर विशेष ध्यान दिया गया है, क्योंकि इसे लेकर ही किसानों में सबसे ज्यादा असन्तोष रहा है। प्रवक्ता ने बताया कि सरकार द्वारा घोषित नीति के तहत विकासकर्ता को परियोजना के लिए चिन्ह्ति भूमि से प्रभावित कम से कम 80 प्रतिशत किसानों से गांव में बैठक कर आपसी सहमति के आधार पर पैकेज तैयार करके सीधे जमीन प्राप्त करनी होगी। जिला प्रशासन मात्र इसमें फैसिलिटेटर की भूमिका निभायेगा। यदि 80 प्रतिशत किसान सहमत नहीं होते हैं तो परियोजना पर पुनर्विचार किया जायेगा।
प्रवक्ता ने कहा कि नई नीति के दूसरे हिस्से के तहत राजमार्ग व नहर आदि बुदियादी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए भूमि अधिग्रहण का कार्य करार नियमावली के तहत आपसी सहमति से तय किया जायेगा। जिन किसानों की भूमि ऐसी परियोजनाओं के लिए अधिग्रहीत की जायेगी, उन्हें शासन की पुनर्वास एवं पुनस्र्थापना नीति के सभी लाभ दिये जायेंगे। प्रवक्ता ने भूमि अधिग्रहण नीति के तीसरे हिस्से के सम्बन्ध में जानकारी देते हुए बताया कि कुछ भूमि विकास प्राधिकरणों और औद्योगिक विकास प्राधिकरणों आदि द्वारा ली जाती है और उनका मास्टर प्लान बनाया जाता है। इस प्रकार की भूमि भी राज्य सरकार की करार नियमावली के तहत आपसी समझौते से ही ली जायेगी। इस सम्बन्ध में बी0एस0पी0 की सरकार ने किसानों के हितों को सुरक्षित रखने की नीयत से अधिग्रहीत भूमि के बदले किसानों को दो विकल्प भी उपलब्ध कराये हैं।
प्रवक्ता ने बताया कि पहले विकल्प के अनुसार प्रतिकर की धनराशि करार नियमावली के तहत आपसी समझौते से निर्धारित की जायेगी और इस मामले में सम्बन्धित सार्वजनिक उपक्रम द्वारा उदार रवैया अपनाया जायेगा। इसके अलावा प्रभावित किसानों को पुनर्वास एवं पुनस्र्थापना नीति के सभी लाभ भी उपलब्ध कराये जायेंगे। प्रवक्ता ने बताया कि दूसरे विकल्प के तहत अधिग्रहीत भूमि के कुल क्षेत्रफल का 16 प्रतिशत भूति विकसित करके निःशुल्क दी जायेगी। इसके साथ-साथ 23 हजार रुपये प्रति एकड़ की वार्षिकी भी 33 साल तक मिलेगी। किसान यदि चाहे तो 16 प्रतिशत भूमि में से कुछ भूमि के बदले नकद प्रतिकर भी ले सकते हैं। प्रवक्ता ने कहा कि नीति के तीसरे हिस्से के अन्तर्गत स्टैम्प ड्यूटी की छूट वैसे ही मिलेगी जैसे कि निजी क्षेत्र द्वारा भूमि अधिग्रहण के मामलों में दी जाती है।
बहुजन समाज पार्टी के प्रवक्ता ने बताया कि प्रत्येक किसान, जिसकी भूमि अधिग्रहीत अथवा अंतरित की जायेगी, उसे 33 साल के लिए 23 हजार रुपये प्रति एकड़ प्रति वर्ष की दर से वार्षिकी दी जायेगी, जो भूमि प्रतिकर के अतिरिक्त होगी। इस वार्षिकी पर प्रति एकड़ प्रति वर्ष 800 रुपये की सालाना बढ़ोत्तरी की जायेगी, जो प्रत्येक वर्ष जुलाई माह में देय होगी। यदि कोई किसान वार्षिकी नहीं लेना चाहेगा तो उसे एकमुश्त 2,76,000 रुपये प्रति एकड़ की दर से पुनर्वास अनुदान दिया जायेगा। प्रवक्ता ने कहा के यदि भूमि का अधिग्रहण अथवा अंतरण किसी कम्पनी के प्रयोजन हेतु होगा तो किसानों को पुनर्वास अनुदान की एकमुश्त धनराशि में से 25 प्रतिशत के समतुल्य कम्पनी शेयर लेने का विकल्प उपलब्ध होगा। प्रवक्ता ने कहा कि निजी क्षेत्र हेतु भूमि अधिग्रहण/अंतरण से पूरी तरह भूमिहीन हो रहे परिवारों के एक सदस्य को उसकी योग्यता के अनुरूप निजी क्षेत्र की संस्था कम्पनी में नौकरी भी मिलेगी।
प्रवक्ता ने कहा कि भूमि अधिग्रहण को लेकर विभिन्न राज्यों में आये दिन कानून-व्यवस्था की समस्या उत्पन्न हो रही है। बी0एस0पी0 का स्पष्ट मानना है कि भूमि अधिग्रहण के मुद्दे पर उत्तर प्रदेश के किसान ही नहीं बल्कि देश के किसान एक समान राष्ट्रीय नीति चाहते हैं। यदि यूपीए सरकार को एक सर्वव्यापी नीति बनाने में कोई परेशानी हो तो उसे उत्तर प्रदेश की नीति की नकल कर लेनी चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि केन्द्र सरकार इसी मानसून सत्र में भूमि अधिग्रहण पर नया कानून बनाने का भरोसा दिलाया था, लेकिन इस मामले में जिस तरह से देरी की जा रही है, उससे देश के किसानों में लगातार आक्रोश बढ़ता जा रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि इस लेट लतीफी से साफ जाहिर है कि कांग्रेस समेत अन्य पार्टियों का किसान प्रेम उनकी चुनावी राजनीति का एक हिस्सा है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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