Archive | August, 2011

403 विधानसभा क्षेत्रों में विजय संकल्प सम्मेलन करेगी भाजपा

Posted on 03 August 2011 by admin

भारतीय जनता पार्टी इसी माह में सभी 403 विधानसभा क्षेत्रों में विजय संकल्प सम्मेलन करेगी। भाजपा को चुनावों में विजय दिलाने के संकल्प के साथ शुरू होने वाले इन सम्मेलन की शुरूआत 7 अगस्त को झांसी से उमा श्री भारती जी करंेगी।
भाजपा प्रवक्ता विजय बहादुर पाठक ने आज पत्रकारों से बातचीत में कहा की भाजपा नेतृत्व ने आज आगरा में क्षेत्रीय बैठक कर चुनावी तैयारियों की समीक्षा करते हुए संगठनात्मक कार्यक्रमों की चर्चा की। इसके पूर्व में  29 जुलाई को वाराणसी, 30 जुलाई को गोरखपुर, 31 जुलाइ्र को लखनऊ (अवध), 1 अगस्त को मेरठ (पश्चिम), 2 अगस्त को कानपुर में क्षेत्रीय बैठकें करके चुनावी तैयारियों की समीक्षा की गई।
उन्होने बताया कि इन क्षेत्रीय बैठकों में पूरे प्रदेश में चल रहे विजय वाहिनी के प्रशिक्षण सम्मेलनों की समीक्षा की गयी। प्रदेश के 76 जनपदों में सम्पन्न हो चुके विजय वाहिनी सम्मेलन पर संतोष व्यक्त करते हुए शेष बचे जनपदों में 7 अगस्त तक सम्मेलन पूरे किए जाने पर जोर दिया गया। प्रदेश अध्यक्ष सूर्य प्रताप शाही ने विजय वाहिनी के गठन में समाज के सभी वर्गो को समेटते हुए मजबूत इकाई के गठन पर बल दिया। जिलों-जिलों चल रही चुनावी तैयारियों और राजनैतिक परिस्थितियों की भी चर्चा की गई।
श्री पाठक ने बताया कि इन बैठकों में प्रदेश अध्यक्ष सूर्य प्रताप शाही, नेता विधान मण्डल दल ओमप्रकाश सिंह, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डा0 रमापति राम त्रिपाठी, महामंत्री संगठन राकेश जैन, डा0 महेन्द्र नाथ पाण्डेय, विन्ध्यवासिनी कुमार, विनोद पाण्डेय, नरेन्द्र सिंह, रामनरेश अग्निहोत्री क्षेत्र समिति के अध्यक्ष और मंत्री अपने-अपने क्षेत्रों में विशेष रूप से मौजूद रहे।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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वीडियो गेम तथा हिंसात्मक फिल्मों से बच्चे हिंसा की सीख ग्रहण कर रहे हैं! - डा0 जगदीश गांधी, संस्थापक-प्रबन्धक,

Posted on 03 August 2011 by admin

(1) वीडियो गेम तथा हिंसात्मक फिल्मों से बच्चे हिंसा की सीख ग्रहण कर रहे हैं:-
इन दिनों ‘वीडियो गेम’ के प्रति बच्चों की दीवानगी बढ़ती जा रही है। एक रिपोर्ट के अनुसार 82 प्रतिशत से अधिक किशोर हर हफ्ते औसतन 14 से 16 घंटे कम्प्यूटर, वेब पोर्टल आदि पर गेम खेलने पर खर्च करते हैं। इनमें से 84 प्रतिशत बच्चों की दिलचस्पी मारधाड़ वाले गेम की ओर होती है। साथ ही हिंसात्मक तथा सेक्स से भरी फिल्में भी इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। स्क्रीन पर मारधाड़ मचाते किरदार बच्चों के नाजुक मन-मस्तिष्क पर असर डालते हैं। आॅडियो-विजिल माध्यम बच्चे के कोमल मस्तिष्क को आतंक फैलाने के लिए उकसाते हैं। लगभग सभी यंत्र चलित खेलों के हीरो गोलीबारी या भयंकर मार पिटाई के जरिए उन लोगों को राह से हटाने में लगे रहते हैं जो उनके मिशन में रूकावट बनते हैं। यह हिंसात्मक द्वन्द्व बच्चों के मन-मस्तिष्क में खीझ और गुस्सा भर देता है। वीडियो गेम तथा हिंसात्मक-सेक्स से भरी फिल्मों के कारण बच्चों के कोमल मस्तिष्क की सकारात्मकता नष्ट होने लगती है। छोटी उम्र से ही बच्चे नकारात्मकता, तनाव व अवसाद का शिकार होने लगते हैं।

(2) बच्चे के मस्तिष्क, मन तथा आत्मा को कठोरता से बचाना चाहिए:-
आरंभ में ‘समय काटने के लिए वीडियो खेलों का सहारा, धीरे-धीरे लत बन जाती है, और यही लत मनोविकार में बदल जाती है। वीडियो गेम्स बच्चों को सीधे तौर पर हिंसा के जरिए अपने लक्ष्य को प्राप्त करने का संदेश देते हैं। इसी से प्रभावित होकर बच्चे वीडियो ‘खेलों’ तथा गंदी फिल्मों के मायावी संसार को असल जीवन में भी लागू करने लगते हैं। पर्दे पर खेले जाने वाले ये हिंसात्मक खेल प्रतिकारक आनन्द देते हैं।
(3) बच्चों में बढ़ती अपराध वृत्ति स्वस्थ समाज के निर्माण में बड़ी बाधा है:-
कुछ समय पहले दिल्ली के मैक्स हैल्थ केयर, मनोरोग विभाग के प्रमुख डाॅ. समीर पारिख ने बच्चों में बढ़ती
अपराध वृत्ति पर एक सर्वेक्षण किया था। उनकी रिपोर्ट में कहा गया है कि हिंसात्मक फिल्में देखने के कारण बच्चों में हथियार रखने की प्रवृत्ति बढ़ी है। रिपोर्ट बताती है कि 14 से 17 वर्ष के किशोर हिंसात्मक वीडियो गेम खेलने तथा फिल्में देखने के शौकीन हो गए हैं। अमेरिका में हाल में हुए एक अध्ययन के मुताबिक जिन बच्चों को कम उम्र में प्रताड़ित किया जाता है उसके बाद जीवन भर इस प्रताड़ना का गहरा असर देखने को मिलता है। समाज में देखें तो बच्चों में आपराधिक प्रवृत्ति के लिए एक तो उनके साथ किया गया क्रूर तथा उपेक्षापूर्ण व्यवहार जिम्मेदार है, तो दूसरी तरफ हमारे पूरे परिवेश तथा सामाजिक वातावरण में गहरे पैठे गैर-बराबरीपूर्ण आपसी रिश्ते तथा परत दर परत बैठी हिंसा की मनोवृत्ति जिम्मेदार है।
(4) हम कैसा समाज अपने बच्चों के लिए छोड़कर जाना चाहते हैं:-
नन्हें बच्चे ‘वीडियो गेम’ में क्यों इतनी अधिक रूचि ले रहे हैं? इसका सीधा सा उत्तर है, ‘बच्चों का अथाह अकेलापन’। दौड़ती-भागती जिंदगी और भौतिक सुखों तथा वस्तुओं की असीम चाह में, आज हर अभिभावक दिन रात की सीमाओं को लांघकर काम में जुटे हैं और अपने द्वारा दिए ‘अकेलेपन’ को भरने के लिए वह बच्चों के हाथों में ‘वीडियो गेम्स’ थमा देते हैं। अमेरिका और ब्रिटेन में बच्चों को खेलने-कूदने के लिए प्रोत्साहित करने के मकसद से पिछले दो दशकों से ‘प्लेडे’ मनाया जा रहा है। ‘खेलकूद’ बच्चों के शारीरिक, भावनात्मक, मानसिक, शैक्षणिक और बौद्धिक विकास के लिए ही जरूरी नहीं है, बल्कि उनमें सामाजिकता और व्यवहारगत कुशलता विकसित करने में भी इसकी भूमिका है। बच्चों में योग, आसन, खेलकूद का लोप मौजूदा समय की बड़ी चुनौती है। इस दिशा में समाज के शुभचिन्तकों को गम्भीरता से सोचना होगा कि हम कैसा समाज अपने बच्चों के लिए छोड़कर जाना चाहते हैं।
(5) सृजनात्मक तथा कलात्मक कार्यों में प्रतिभाग करने के लिए बच्चों को प्रेरित करें:-
भारत में बच्चों में खेेलों के प्रति रूचि पैदा करने के लिए कोई खास नीति नहीं है। ब्रिटेन ने 1991 में ही बच्चों के अधिकारों के बारे में संयुक्त  राष्ट्र समझौते को अपना लिया था। जिसमें ‘प्ले डे कैंपेन’ भी शामिल था, जिसके तहत बच्चों के लिए खेलों को अनिवार्य किया गया और यह सुनिश्चित किया गया कि ब्रिटेन में सभी बच्चे खेलों में हिस्सा लें। इस बारे में संयुक्त  राष्ट्र का जो घोषणा पत्र है वह केवल पारम्परिक खेलों को ही शामिल नहीं करता बल्कि इसमें ‘प्ले’ से मतलब बच्चों के ऐसे समय से है जिसमें वे आराम करें, खेलें, अपने रूचि की सृजनात्मक और कलात्मक गतिविधियों में समय बिताएं। हमारे देश को भी ऐसी ही नीति की जरूरत है।
(6) घर की चारदीवारी के अंदर भी बच्चा अब सुरक्षित नहीं है:-
आज घर-घर में केबिल/डिश टी0वी0 हेड मास्टर की तरह लगे हंै। टी0वी0 तथा इण्टरनेट की पहुँच अब बच्चों के पढ़ाई के कमरे तथा बेडरूम तक हो गयी है। प्रतिदिन टी0वी0, इण्टरनेट तथा सिनेमा के माध्यम से सेक्स, हिंसा, अपराध, लूटपाट, निराशा, अवसाद तथा तनाव से भरे कार्यक्रम दिखाये जा रहे हैं। बच्चे इन कार्यक्रमों से अपराध, सेक्स, हिंसा, लूटपाट आदि के रास्तों पर चलने की गलत सीख ग्रहण कर रहे हैं।
(7) आइये, बच्चों की पवित्रता, कोमलता तथा निष्कपटता को बचाने का अभियान चलाये:-
बच्चे बडे निष्कपट होते हैं। परमात्मा की पवित्रता और निश्छलता यदि कहीं है तो उसे बच्चों में स्पष्टतः देखा जा सकता है। बच्चे के मस्तिष्क, मन और आत्मा को कठोरता से बचाना हमारी प्रमुखता होनी चाहिए। निर्मल तथा कोमल भावना ही बच्चों के अंतःकरण की भाषा है, जिसके माध्यम से ईश्वरानुभूति सहज ही की जा सकती है। आधुनिक युग में
सर्वाधिक अजूबा मानव शिशु को ही माना जा सकता है। घर में माता-पिता तथा स्कूल में टीचर्स बच्चों की सृजनात्मकता को नष्ट करने वाले वीडियो गेम से दूर रखने की आत्मीयतापूर्ण सीख तथा जागरूकता बरते।
(8) बच्चे ही हमारी असली पूँजी हैं:-
जैसे-जैसे बच्चा बढ़ता है उसी तरह हमारी जिम्मेदारी भी उसके प्रति बढ़ती है। अतः हमें भी बच्चे की मानसिक विकास के अनुरूप बदलना चाहिए। यदि आप अपने बच्चे को बाल्यावस्था में संस्कार-व्यवहार को विकसित होने के लिए स्वस्थ वातावरण नहीं देते हंै तो युवावस्था में गुणों के अभाव में उसे जीवन की परीक्षा में सफल होने में कठिनाई होती है। अभिभावक उस समय उसके आस-पास नहीं होते हैं। गुणों को विकसित करने की सबसे अच्छी अवस्था बचपन की होती है।
(9) बालक की स्वतंत्रता का सम्मान करें:-
कई अभिभावक अज्ञानतावश अपने बच्चों को स्वतंत्रता के प्रति कड़ा रूख अपनाते हंै। यह मानव स्वभाव की एक सच्चाई है कि मनुष्य दूसरे की अपेक्षा स्वयं से नियंत्रित होने में ज्यादा सहजता महसूस करता है। बालक को एक स्वतंत्र इकाई के रूप में विकसित होने के अवसर देने से उनके अंदर स्वयं को आदेश देने की भावना का विकास होता है। बालक में गुणों को अपनाने का स्वभाव विकसित कर देने से वह आत्मानुशासित बनता है।
(10) बच्चों को आध्यात्मिक रूप से शक्तिशाली बनायें:-
आज के युग में बच्चों पर निवेश करने की सबसे अच्छी चीज है उनके हृदय में विश्व एकता तथा पारिवारिक एकता के अच्छे संस्कारों का बीजारोपण करना। एक बालक का निर्माण सारे विश्व को बेहतर बनाने की एक शुरूआत है। मानवता की सेवा करने वाले हाथ उतने ही धन्य होते हैं जितने परमात्मा की प्रार्थना करने वाले होंठ। परमात्मा का नाम ही मेरा आरोग्य तथा उसका स्मरण ही मेरी औषधि है। हे मेरे ईश्वर हे मेरे परमेश्वर मेरे हृदय को निर्मल कर मेरी आत्मा में तू अपनी खुशियों का संचार कर। तू मुझको राह दिखाता तू है मेरा आश्रयदाता। अब शोकाकुल नहीं रहूँगा मैं आनन्दित व्यक्ति बनूगा। प्रभु हमारा सबसे अच्छा मित्र है। उस शक्तिशाली के प्रति पूरी तरह समर्पण ही जीवन की सफलता का रहस्य है। साथ ही आध्यात्मिक रूप से भी शक्तिशाली बनने का फल है।
(11) आधुनिक विद्यालय का सामाजिक उत्तरदायित्व:-
आधुनिक जागरूक विद्यालय का सामाजिक उत्तरदायित्व है कि वह सुन्दर, स्वस्थ, समृद्ध, आनन्दित एवं सशक्त समाज के निर्माण के लिये समाज के प्रकाश का केन्द्र बने। बच्चों को परिवार, स्कूल तथा समाज रूपी तीन विद्यालयों के क्लासरूम में बाल्यावस्था से ही (1) उद्देश्यपूर्ण भौतिक, सामाजिक और आध्यात्मिक ज्ञान की संतुलित शिक्षा दे, (2) धर्म के वास्तविक उद्देश्य अर्थात एकता के महत्व से परिचित कराये तथा (3) कानून और न्याय पर चलने से सम्बन्धित मौलिक सिद्धान्तों का बचपन से ही छात्रों को ज्ञान कराये तथा उन पर चलने का अभ्यास कराये।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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मिड डे मील व्यवस्था बनी सभासदों के हाथो का खेल

Posted on 03 August 2011 by admin

मिड डे मील की सुचारू व्यवस्था चलने का सरकार लाख दावें करे या ढ़ोल पीटे परंतु सच्चाई क्या है यह सभी जानते है। मालूम हो कि नगर क्षेत्र के विद्यालयों में भोजन स्कूल में न बनकर ठेका सिस्टम द्वारा सभासदों के घरों से बनकर ठेलियों द्वारा लाकर बटवाया जा रहा है। परिषदीय विद्यालय प्राथमिक तथा उच्च प्राथमिक के ग्रामीण क्षेत्र मंे तो कुछ मामला पटरी पर नजर आया पर शहर के विद्यालयों में रसोईयों पर लाखों खर्च करके उपयोग न करके खुली आंखों को धोखा देने का काम किया जा रहा हैै  शहर के छह जूनियर तथा 13 प्राथमिक विद्यालयों में से एक में भी स्कूल में खाना नहीं बन रहा क्यांे ? इस संबंध में शिक्षक और शिक्षिकाओं का कहना है भोजन कैसे बना तेल मसाला का उपयोग हुआ कि नहीं हम नहीं जानते जो किसी बडे़ हादसे को दावत दे रहे है। बेसिक शिक्षाधिकारी सियाराम निर्मल का तो बस हर बात का एक ही जबाव रहता है कि मामला संज्ञान में आया है ध्यान दे रहा हूं जल्द ही समाधान निकलेगा। हमारे संवादाता को मिली जानकारी के अनुसार टोडरपुर ब्लाॅक ग्राम पैगूसराॅय प्राथमिक विद्यालय की शिक्षा मित्र क्षमादेवी की मीड डे मील से स्कूल में तबियत खराब हो गई जिसे उपचार हेतु जिला अस्पताल भर्ती कराया गया। ज्ञात हो कि प्राथमिक विद्यालय पैगूसराॅय की प्रधानाचार्य मोहम्मद सलीम से शिक्षामित्र के द्वारा मिड डे मील की शिकायत करने पर किसी ने ध्यान नहीं दिया। आलम यह है कि विद्यालय में न तो पानी की व्यवस्था है न शौचालय की। जिसके चलते बच्चों और शिक्षक दोनों परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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जब माता बनी कुमाता, पुलिस की छानबीन जारी

Posted on 03 August 2011 by admin

जिला चिकित्सालय कम्पाउंड के लैट्रिन टैंक में एक नवजात कन्या को जिदंा अवस्था में फंेकने का मामला जैसे ही सामने आया तो सनसनी फैल गई। मामलें को गंभीरता से लेते हुए पुलिस अधीक्षक लवकुमार तुरंत उस कुमाता को ढूंढने का फरमान जारी कर दिया। वहीं जच्चा बच्चा वार्ड के रजिस्टर में नई प्रसूताओं के नाम पते 4 दिन पहले के अभिलेख खंगाले जा रहे है। ज्ञातव्य हो कि हमारे जनपद का प्रदेश में बच्चियों के जन्म के मामलें में दूसरा स्थान हैै। जनगणना के मुुताबिक 40,91,380 कुल संख्या में पुरूषों की 22,042,64 महिलाओं की कुल संख्या 18,87,116 है यानी जिले के अंदर 1000 लड़कों पर 863 लड़कियां मौजूद है जिले की प्रत्येक तहसील में यही अनुपात चल रहा है मौजूदा समय में भी 6,62,807 बच्चें 0 से 6 वर्ष के आयु के है। जिनमें लड़कियों की संख्या प्रति एक हजार बच्चों के मुताबिक कम है अगर सब कुछ इसी प्रकार रहा तो वह दिन दूर नही जब लडको को कुवारां ही रहना पडे़गा। जो एक चिंतनीय विषय होगा।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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9 अगस्त को दिल्ली पहंुचकर संसद का घेराव करेंगे

Posted on 03 August 2011 by admin

भ्रष्ट व्यवस्था तथा बसपाई व कांग्रेसी संरक्षण में चल रहे घोटालों एवं लूट के राज को इस प्रदेष का युवा अब एक पल भी बर्दास्त करने को तैयार नही है। प्रदेष के युवाओं के ऊपर यह दायित्व है कि वह भ्रष्टाचार, लूट एवं घोटालों के विरूद्ध लड़ाई के लिए तैयार हो। भाजयुमो के आह्वान पर प्रदेष की माया सरकार व केन्द्र की यूपीए सरकार की जनविरोधी नीतियों के खिलाफ प्रदेष के हर जिले से युवा भारी संख्या में 9 अगस्त को दिल्ली पहंुचकर संसद का घेराव करेंगे। उक्त उद्गार भाजयुमो के प्रदेष अध्यक्ष हरीष द्विवेदी ने भाजपा मुख्यालय में आयोजित प्रेस वार्ता के दौरान व्यक्त किया।

श्री द्विवेदी ने प्रदेष सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि प्रदेष सरकार की शह पर प्रोफेषनल षिक्षा के नाम पर निजी काॅलेज छात्रों और युवाओं का दोहन कर रहे हैं। नौकरियां बेची जा रही है प्रवेष समस्या विकट है। भ्रष्टाचार, अत्याचार और जनविरोधी गतिविधियों में लिप्त सरकार द्वारा आंदोलन व विरोध को दबाने का पुरजोर प्रयास किया जा रहा है,जिसे भाजयुमो किसी कीमत पर बर्दास्त नही करेगा।

श्री द्विवेदी ने कहा कि दुःखद है कि खुद को सर्वश्रेष्ठ साबित करने का प्रयास करने वाली मायावती सरकार में लोकतांत्रिक इतिहास में सर्वाधिक राजनैतिक प्रतिनिधि अपराधिक कार्याे में लिप्त रहे हैं।

माफिया, सरकार गठजौड़ का ज्वलंत उदाहरण परिवार कल्याण विभाग के घोटाले एवं सीएमओं की हत्या, बसपा सरकार की सर्वजन हिताय के नारे की पोल खोलता है। यही नही प्रदेष में बेरोजगारी व छात्रों के प्रवेष संबंधी समस्याओं ने साबित किया है कि माया सरकार की युवाओं में कोई रूचि नही है।

माया सरकार की गार्जियन की भूमिका निभा रही कांग्रेस नेतृत्व की यूपीए सरकार के हालात का अंदाजा पूरे देष को है जब एक कंाग्रेसी नेता और केन्द्र सरकार में मंत्री रहे सहयोगी दलों के दो नेता तिहाड़ जेल में बंद है। यही नही अनेक केंद्रीय मंत्रियों पर जनता का धन लूटने का भी गंभीर आरोप लगा है।

राष्ट्रमंडल खेल, आदर्ष सोसाइटी, 2-जी स्पेक्ट्रम, सीवीसी  में अवैध नियुक्ति, समेत तमाम घोटाले प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह व सोनिया गंाधी को नेतृत्व में किये गये पी0चिदंबरम और प्रधानमंत्री की संलिप्तता भी सिद्ध हो चुकी है। शांतिपूर्ण आंदोलनों को भयभीत सरकार लाठियों से दबाती है, कालेधन पर चुप्पी साधे रहते हैं, अलगाववादियों को संरक्षण देते है। कष्मीर में तिरंगा फहराने से रोकते है लोकपाल विधायक को दबाते है जिसे प्रदेष का युवा अब और बर्दास्त करने को तैयार नही है। गरीब जनता का धन लुटता रहे और युवा देखते रहे अब और नहीं होगा। भाजयुमो के आह्वान पर हजारों नौजवान 9 अगस्त को संसद घेरकर प्रदेष व केन्द्र सरकार के प्रति जनाक्रोष को बुलंद करेगा।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त की 125वीं जयन्ती मनाई गयी

Posted on 03 August 2011 by admin

वैश्य स्वाभिमान परिवार द्वारा आज हजरतगंज के त्रिलोकनाथ रोड स्थित कार्यालय पर राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त की 125वीं जयन्ती मनाई गयी। वैश्य स्वाभिमान परिवार के मुखिया डा. नीरज बोरा की अध्यक्षता में आयोजित कार्यक्रम में विभिन्न वैश्य उपवर्ग के प्रतिनिधियों ने राष्ट्रकवि को अपने श्रद्धासुमन अर्पित किये।
कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए डा. नीरज बोरा ने कहा कि देश का अतीत, वर्तमान और भविष्य का जो चित्रण राष्ट्रकवि मैथिलिशरण गुप्त को ‘भारत-भारती’ में किया है, वह अद्वितीय है। उनके काव्य में राष्ट्रीय चेतना, धार्मिक भावना और मानवीय उत्थान प्रतिविम्बित है, जो न केवल वैश्य समाज अपितु प्रत्येक देशवासी के हृदय में सहज रूप से विद्यमान है। उन्होंने कहा कि पवित्रता, नैतिकता और परम्परागत मानवीय सम्बन्धों की रक्षा है। गुप्त जी के काव्य के मुख्य बिन्दु थे, जो पंचवटी से लेकर जयद्रथ वध, यशोधरा और साकेत तक में उभरकर सामने आये।
इस अवसर पर सर्वश्री महेश प्रसाद साहू, दिलीप साहू, बृजेश गुप्ता ‘चंचल’, अमरनाथ अग्रवाल, डा. अनिल गुप्ता, डा. भोलानाथ गुप्ता, आदि ने भी अपने विचार व्यक्त किये।
कार्यक्रम में सर्व वैश्य फाउण्डेशन के अध्यक्ष सतीश चन्द गुप्ता, वैश्य उपवर्गी संगठन के अध्यक्ष गिरीश गुप्ता ‘बबुआ’, प्रदीप गुप्ता ‘प्रिन्स’, रवि प्रकाश गुप्ता सहित विभिन्न वैश्य उपवर्गों के प्रतिनिधियों ने राष्ट्रकवि को अपने श्रद्धासुमन अर्पित किये।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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बी0एस0पी0 सांसदों ने कांग्रेस के नेतृत्व वाली यू0पी0ए0 सरकार द्वारा संसद में भूमि अधिग्रहण विधेयक पेश न करने पर लोकसभा में जोरदार हंगामा मचाया, लोकसभा दिन भर के लिये स्थगित करनी पड़ी

Posted on 03 August 2011 by admin

कांग्रेस के नेता अपनी राजनीतिक रोटी सेंकने के लिये भूमि अधिग्रहण बिल के मुद्दे पर किसानों और  खेतिहर मजदूरों के साथ वादा खिलाफी कर रहे हैं
यू0पी0ए0 सरकार अपने प्रस्तावित बिल में यदि बी0एस0पी0 सरकार द्वारा  लागू नई भूमि अधिग्रहण नीति का समावेश करती तो किसानों और  खेतिहर मजदूरों को ज्यादा लाभ होगा

बी0एस0पी0 सांसदों ने आज लोकसभा में भूमि अधिग्रहण विधेयक संसद में न पेश किये जाने पर जोरदार हंगामा करते हुए संसद की कार्यवाही नही चलने दी। जिसके वजह से लोकसभा की कार्यवाही एक बार पूर्वान्ह  11.00 तथा दोपहर 12.00 बजे दो बार बाधित हुई और फिर दिनभर के लिये लोकसभा को स्थगित करना पड़ा। बी0एस0पी0 सांसदों का कहना था कि यू0पी0ए0 सरकार ने मानसून सत्र में भूमि अधिग्रहण बिल पेश करने का वादा किया था, लेकिन अब वह बिल लाने से कतरा रही है। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार ने चालू सत्र में बिल न लाकर देश के करोड़ों किसानों व खेतिहर मजदूरों को निराश किया है।
बी0एस0पी0 सांसदों ने कहा कि उत्तर प्रदेश की माननीया मुख्यमंत्री सुश्री मायावती जी ने किसानों की भूमि अधिग्रहण से जुड़े विभिन्न विवादों का स्थायी समाधान के लिये प्रदेशभर के किसानों को 02 जून, 2011 को लखनऊ में आमंत्रित कर किसान पंचायत किया और उनसे सीधे बातचीत करके उनके सुझावों के अनुरूप एक व्यापक, उदार तथा  किसान हितैषी भू-अधिग्रहण नीति की घोषणा करके उसे तुरन्त लागू किया। उत्तर प्रदेश की नई भूमि अधिग्रहण नीति पूरे देश के अन्य राज्यों की तुलना में सबसे बेहतर है, जिसकी प्रदेश के किसानों ने खुले मन से सराहना की है। सांसदों का यह भी कहना था कि यदि यू0पी0ए0 सरकार को सर्वमान्य नीति बनाने में कोई परेशानी हो रही हो तो उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा लागू की गयी नीति को अपनी नयी नीति में समावेश करते हुए नये बिल का मसौदा तैयार करके कानून का रूप देना चाहिए।
मानसून सत्र के दूसरे दिन संसद की कार्यवाही शुरू होते ही बी0एस0पी0 सांसदों ने भूमि अधिग्रहण बिल पेश करने की मांग की। सांसदों ने कहा कि ग्रामीण विकास मंत्रालय ने भूमि अधिग्रहण विधेयक के मसौदे पर आम लोगों की राय जानने के लिये 31 अगस्त, 2011 तक का समय निर्धारित है। इसका सीधा अर्थ है कि यह विधेयक इस माह के अंत तक जब संसद का सत्र समाप्त होने लगेगा, तब सदन में पेश किया जायेगा। सांसदों ने कहा इससे साफ जाहिर है कि यह विधेयक मानसून सत्र में कानून का रूप नहीं ले सकेगा और भूमि अधिग्रहण अधिनियम में संशोधन के लिये किसानों और खेतिहर मजदूरों को अगले सत्र की प्रतीक्षा करनी होगी। कांग्रेस के नेता अपनी राजनीतिक रोटी सेंकने के लिये भूमि अधिग्रहण बिल के मुद्दे पर किसानों और खेतिहर मजदूरों के साथ वादा खिलाफी कर रहे हैं।
बी0एस0पी0 सांसदों ने हंगामें के बीच अपनी बात रखते हुए कहा कि सच्चाई यह है कि कांग्रेस के नेतृत्व वाली यू0पी0ए0 सरकार बिल नहीं लाना चाहती और सिर्फ इस मुद्दे पर अपनी राजनीतिक रोटी सेंकना चाहती है। सांसदों ने कहा कि यू0पी0ए0 सरकार का शुरू से रवैया किसान विरोधी रहा है, जिसके कारण आजादी के 63 वर्ष बाद भी पूरे देश के किसानों की स्थिति दयनीय बनी हुई है। सांसदों ने कहा कि भूमि अधिग्रहण के मसले पर किसानों के साथ वादा खिलाफी की है। कांग्रेस के नेता उत्तर प्रदेश में घूम-घूमकर किसानों को झूठा आश्वासन देकर अपनी राजनीति चमकाने में लगे रहे और अब संसद में बिल पेश करने का समय आया है तो हीलाहवाली कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि यू0पी0ए0 सरकार भूमि अधिग्रहण अधिनियम में संशोधन लाने के बजाय राजनीति कर रही है।
सांसदों का यह भी कहना था कि भूमि अधिग्रहण के लिये यू0पी0ए0 सरकार द्वारा नया कानून न बनाने से देश के विभिन्न हिस्सों में विवाद उत्पन्न हो रहे हैं, और  राज्य सरकारों के समक्ष आये दिन कानून-व्यवस्था सम्बन्धी समस्यायें उत्पन्न हो रही है। इसके लिये कांग्रेस के नेतृत्व वाली यू0पी0ए0 सरकार पूरी तरह से जिम्मेदार है। सांसदों ने यह भी कहा कि भूमि सम्बन्धी विवादों के चलते औद्योगिकरण के साथ-साथ विकास सम्बन्धी विभिन्न योजनाओं को क्रियान्वित कराने में बाधा उत्पन्न हो रही है। एक ओर तो कांग्रेस के नेता भूमि अधिग्रहण अधिनियम में बदलाव लाने के लिये गम्भीर नहीं हैं, वहीं दूसरी ओर राज्यों में किसानों को भड़काने का भी काम कर रहे हैं।
सांसदों का यह भी कहना था कि बी0एस0पी0 की माननीया राष्ट्रीय अध्यक्ष सुश्री मायावती जी ने यू0पी0ए0 सरकार को पहले ही सजग कर दिया था कि यदि केन्द्र सरकार भूमि अधिग्रहण पर एक समान राष्ट्रीय नीति बनाने के लिए वर्तमान सत्र में विधेयक पेश नहीं करती है तो बी0एस0पी0 संसद नहीं चलने देगी और यदि यू0पी0ए0 सरकार मानसून सत्र में नया विधेयक लाने की पहल करती है तो बी0एस0पी0 उसको पूरा सहयोग प्रदान करेगी।
माननीया मुख्यमंत्री जी ने यह भी कहा था कि यदि केन्द्र सरकार को नई राष्ट्रीय नीति बनाने में कोई कठिनाई आ रही है तो उसे उत्तर प्रदेश की बी0एस0पी0 सरकार द्वारा लागू की गई नई भूमि अधिग्रहण नीति को समावेश करते हुए इसकी तर्ज पर अपनी नया बिल लाना चाहिए। प्रस्तावित नये बिल में उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा घोषित नई भूमि अधिग्रहण नीति के प्राविधानों को पूरी तरह समावेश नहीं किया गया है, जिससे उत्तर प्रदेश के किसानों को काफी निराशा हुई है। इस प्रकार यू0पी0ए0 सरकार के प्रस्तावित विधेयक के प्राविधानों से स्पष्ट है कि इस अधिनियम से किसानों का भला होने वाला नहीं है।
सांसदों ने लोकसभा में यह भी मुद्दा उठाया कि उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा घोषित नई नीति में भू-स्वामियों एवं अर्जन निकायों के मध्य आपसी समझौते के आधार पर सीधे भूमि क्रय करने की व्यवस्था की गई है। जबकि यू0पी0ए0 सरकार द्वारा प्रस्तावित बिल में इस तरह की कोई स्पष्ट व्यवस्था नहीं की गई है। इसी प्रकार उत्तर प्रदेश द्वारा जारी नीति में अधिग्रहीत भूमि के प्रतिकर का निर्धारण आपसी सहमति से किये जाने का प्राविधान किया गया है, जबकि केन्द्र द्वारा तैयार किये गये बिल के मसौदे में शहरी क्षेत्र में बाजार मूल्य के दोगुना तथा ग्रामीण क्षेत्र में बाजार मूल्य का छः गुना दिये जाने की व्यवस्था प्रस्तावित है।
सांसदों ने उत्तर प्रदेश सरकार तथा केन्द्र सरकार की भूमि अधिग्रहण सम्बन्धी नीतियों की तुलना करते हुए आगे कहा कि उत्तर प्रदेश की नीति में यदि कोई भू-स्वामी वार्षिकी नहीं लेना चाहता है तो उसे 2.76 लाख रूपये प्रति एकड़ की दर से पुनर्वास अनुदान दिया जायेगा, जबकि केन्द्र की प्रस्तावित बिल में इस प्रकार का कोई प्राविधान नहीं है। इसी प्रकार प्रत्येक परियोजना प्रभावित परिवार जिसकी प्रभावित क्षेत्र में कृषि भूमि हो, और ऐसे परिवार की यदि पूरी भूमि अर्जित की गई हो तो उसको आजीविका की क्षतिपूर्ति के लिए 05 वर्षों की न्यूनतम कृषि मजदूरी के बराबर एकमुश्त धनराधि वित्तीय सहायता के रूप में देने की व्यवस्था की गई है। इस तरह केन्द्र सरकार की नई भूमि अधिग्रहण के लिए प्रस्तावित बिल किसान हितैषी नहीं है और किसानों के साथ छल करने का पूरा प्रयास किया गया है।
सांसदों ने यह भी कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा किसानों को उनकी अधिग्रहीत भूमि का मुआवजा केन्द्र सरकार की योजनाओं से ज्यादा दिया जा रहा है। इसके अलावा बी0एस0पी0 सरकार की पुनर्वास व पुनसर््थापन नीति कांग्रेस शासित हरियाणा व अन्य प्रदेशों से कहीं बेहतर है। इस तरह बी0एस0पी0 सरकार द्वारा भूमि अधिग्रहण को लेकर बनायी गई नीति देश की सबसे प्रगतिशील व किसान हितैषी नीति है।
इसके अलावा सांसदों ने यह भी मुद्दा उठाया कि बी0एस0पी0 सरकार द्वारा जारी नीति में अंतरित की गयी भूमि के कुल क्षेत्रफल का 16 प्रतिशत विकसित करके दी जाने वाली भूमि में से प्रभावित भूस्वामी अपनी स्वेच्छानुसार पारस्परिक समझौते के अनुसार कुछ प्रतिशत विकसित भूमि प्राप्त कर सकेगा। इस प्रकर राज्य सरकार ने विकास में किसानों की पूरी भागीदारी सुनिश्चित की है, जबकि केन्द्र सरकार प्रस्तावित विधेयक में कोई स्पष्ट प्राविधान नहीं किया गया है। इसके अतिरिक्त मुआवजे के रूप में भू-स्वामियों को दी जाने वाली विकसित भूमि के रजिस्ट्रेशन पर देय स्टैम्प ड्यूटी तथा रजिस्ट्रेशन शुल्क से उन्हें छूट प्रदान करने की भी व्यवस्था की गयी है, जबकि यू0पी0ए0 के प्रस्तावित मसौदे में कोई स्पष्ट प्राविधान नहीं है।

बी0एस0पी0 के राज्य सभा सांसदों ने सदन में यह भी आवाज उठायी कि केन्द्र सरकार की गलत आर्थिक नीतियों के कारण देश में गरीबी, बेरोजगारी एवं महंगाई लगातार बढ़ रही है। लम्बे समय तक केन्द एवं राज्यों की सत्ता में रही कांग्रेस पार्टी ने हमेशा धन्नासेठों तथा पूंजीपतियों को फायदा पहुंचाने के हिसाब से अपनी आर्थिक नीतियां तैयार की। कांग्रेस पार्टी आज भी इसी रास्ते पर चल रही है जिससे आम आदमी का जीवन दूभर हो गया है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी की किसान विरोधी नीतियों के कारण ही कांग्रेस शासित राज्यों में किसान बड़े पैमाने पर आत्महत्या करने पर मजबूर हो रहे है।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
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किसानो की नीतियों के खिलाफ एक दिवसीय धरना प्रदर्शन

Posted on 03 August 2011 by admin

भारतीय जनता पार्टी किसान मोर्चा उ0प्र0 से जंतर-मंतर में धरना प्रदर्शन भारी संख्या में किसान, उ0प्र0 की मुखिया मायावती व केन्द्र सरकार की मुखिया डा0 मनमोहन ंिसह की किसानो की नीतियों के खिलाफ एक दिवसीय धरना प्रदर्शन दि0 03 अगस्त 2011 को प्रातः 11 बजे करेगी। प्रदेश महामंत्री किसान मोर्चा श्री दिनेश दुबे ने बताया भूमि अधिग्रहण कानून, बीज विधेयक कानून, पेस्टीसाइटस का विषय लोकसभा में पास होना है मगर केन्द्र की कांगे्रस सरकार व उ0प्र0 की बसपा सरकार भूमि अधिग्रहण कानून पास नहीं होने दे रही है। उ0प्र0 भर का  किसान आक्रोशित व आंदोलित है। किसानों के खेतांें के लिए पानी, बिजली, खाद, बीज आदि नहीं मिल पा रहा है। बिजली की कटौती है नहरों से पानी गायब है, खाद की कालाबाजारी है। उन्नत बीज भी उपलब्ध नहीं हो पा रहा है। नकली बीज की भरमार है। अधिकारी मस्त हैं किसान त्रस्त है।
प्रदेश महामंत्री किसान मोर्चा श्री दिनेश दुबे ने मांग की कि लोकसभा में तीनों कानूनों को पास होना चाहिए। कांगे्रस के युवराज राहुल गांधी सिर्फ किसानों के बीच जाकर पिकनिक मना रहे हैं, अगर वे किसानों के सच्चे हितेषी होते तो, किसानों के लिए जो तीन कानून पास होने हैं, उसके लिए प्रधानमंत्री जी को इस ओर ध्यान दिलाना चाहिए। क्योंकि लोकसभा सदस्य के साथ-साथ कांगे्रस के राष्ट्रीय महासचिव हैं और केन्द्र में यूपीए सरकार है जो कानून बनाती है।
श्री दुबे ने कहा कि भारत देश को कृषि प्रधान देश कहा गया है। मगर यूपीए की केन्द्र सरकार व प्रदेश की बसपा सरकार इस समय भ्रष्टाचारी व कृषि विरोधी प्रधान देश बनाने की मुहिम छेड़ रखी है। श्री दुबे ने कहा कि जन्तर-मंतर में किसान उ0प्र0 के सभी जिलों से सैकड़ों की तादात में कल दिल्ली पहुंच रहे हैं।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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किराये के भवन में तहसील सहित कई विभाग

Posted on 03 August 2011 by admin

तहसील मुख्यालय पर अधिकतम सरकारी कार्यालय किराये के भवन में चल रहे हैं। जबकि खास बात यह है कि उन किरायों के दफ्तरों का अपना-अपना आरक्षित भूमि भी है, लेकिन जनप्रतिनिधियों की उदासीनाता के चलते सरकारी कार्यालय एक भवन के लिये तरस रहा है।

जिला मुख्यालय से लगभग 20 किलो की दूरी पर स्थित लम्भुआ तहसील की स्थापना 2 अक्टूबर 1997 को मुख्यमंत्री सुश्री मायावती के घोषणा के बाद स्थापित हुई थी। लेकिन तब से यह स्वास्थ्य विभाग की पी0एच0सी0 के निष्प्रयोजित भवन में संचालित है। तहसील प्रशासन ने इस सम्बन्ध में कई बार ‘‘बोर्ड आॅफ रेविन्यू’’ में पत्राचार किया, लेकिन नतीजा सिफर ही रहा। स्थानीय चांदा विधानसभा (लम्भुआ विधानसभा) के विधायक एवं प्रदेश सरकार के पयर्टन राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) विनोद सिंह का क्षेत्र होने के बावजूद इस सम्बन्ध में गम्भीर प्रयास नहीं किये गये। नतीजन लेखपालों व अमीनों के बैठने के लिये तहसील परिसर में जगह न होने की वजह से किसान, मजदूर, छात्र सभी आय, जाति, निवास तथा तमाम तरह की रिपोर्ट लिखवाने के लिये इधर-उधर भटकते रहते हंैं। कभी इस चाय की दूकान पर तो कभी उस चाय की दूकान पर बैठे रहते है। जिससे स्थानीय नागरिकों को काफी असुविधांए होती है।

इसी तरह डाकखाना की अपनी जमीन थाना कोतवाली के सामने 2 बिस्वा आरक्षित होने के बावजूद किराये के भवन में चल रही है। बरसात के मौसम में कम्प्यूटर तथा कागजात रखने के लिये काफी दिक्कत होती है। तहसील मुख्यालय पर अग्निशमन वाहन खड़ा करने तथा कार्यालय के लिये भी जमीन मौजूद है। लेकिन मुख्यालय पर एक भी दमकल नहीं रहता है। जिसकी वजह से गर्मी में आगजनी की घटनाओं में लाखों की सम्पति का नुकसान होता है। आगजनी की घटनाओं में जिला मुख्यालय से दमकल बुलाये जाते है, तब तक किसानों को काफी नुकसान उठाना पड़ जाता है।
यहां तक कि वन विभाग भी इससे अछूता न रहा, वो भी किराये के मकान में अपना कार्य करना मुनासिब समझ रहा है। इस सम्बन्ध में उपजिलाधिकारी बाबूलाल सरोज ने बताया कि तहसील कार्यालय के लिये पी0एच0सी0 की जमीन को राजस्व विभाग के नाम कार्यवाही करने के लिये लिखा-पढ़ी की गई है। शीघ्र ही शासन से स्वीकृति मिलते ही तहसील कार्यालय का निर्माण शुरू कराया जायेगा।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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निर्वाचन कार्य में अनियमितता, समीक्षा बैठक में खुलाशा

Posted on 03 August 2011 by admin

ऽ    जांच के दौरान कई अधिकारियों के निलम्बन

निर्वाचन आयोग के निर्देशानुसार जिलाधिकारी ने विधानसभा फोटोयुक्त निर्वाचक नामावली पुनरीक्षण/सत्यापन की समीक्षा बैठक किया,जिसमें अनियमितता पाये जाने पर दोषी पाये गये कर्मचारियों का निलम्बन करते हुए सम्बन्धित विभाग के अधिकारियों को फटकार लगाई औरे सुधार के निर्देश दिये और जानकारी दी कि ग्राम पंचायतों की मतदाता सूची से विधानसभा की मतदाता सूची से मिलानकर त्रुटियांे का सुधार करें।
जिलाधिकारी ने भारत निर्वाचन आयोग के निर्देशानुसार अपने कार्यालय में एक बैठक का आयोजन किया। जिसमें फोटो युक्त निर्वाचक नामावली मतदाता सूची अनिवार्य रूप से लागू करने पर जोर दिया। उन्हांेने कहा कि निर्वाचक नामावली का कार्य घर-घर  जाकर सत्यापन/निरन्तर पुनरीक्षण का कार्य जो चल रहा है, उसमें सम्बन्धित विभाग के सभी जिम्मेदार अधिकारी व कर्मचारी निष्पक्ष कार्यो को निभायें। जांच के दौरान 187 इसौली विधान सभा के भाग संख्या 276 जूनियर हाई स्कूल धम्मौर के जांच नायब तहसीलदार नगर,इसी विधानसभा के भाग संख्या 224 जूनियर हाई स्कूल भंाटी का जांच नायब तहसीलदार सदर, भाग संख्या 300 प्रा0पा0 पलिया का जांच नायब तहसीलदार, कुडवार विधानसभा 188 सुल्तानपुर भाग संख्या 242 लोलेपुर के मतदाता सूची का भौतिक सत्यापन उपजिलाधिकारी सदर, बघान की बूथ संख्या 216 नेशनल गल्र्स जूनियर हाई स्कूल लाला का पूरा की मतदाता सूची की जाचं तहसीलदार सदर, 189 सदर विधानसभा भाग संख्या 176 अमिलिया सिकरा की जांच नायब तहसीलदार बरौसा,भाग संख्या 266 व 256,254प्रा0पा0 जाजूपुर,खैराहा, तहसीलदार जयंिसंहपुर, भाग संख्य 100 मंगूर की जांच तहसीलदार जयसिंहपुर व 1990 विघानसभा लम्भुआ 278,281 की जांच तहसीलदार लम्भुआ, बूथ संख्या 180,181 की जाॅॅच उपजिलाधिकारी लम्भुआ, 191 विधान सभा कादीपुर बूथ संख्या 211,प्रा0पा0 बलुआ  व बूथ संख्या 289 प्रा0पा0महमूदपुर तहसीलदार कादीपुर ने की। जहां अनियमितता पाये जाने पर जिलाधिकारी ने बीएलओ की नियुक्ति कर ससमय नियमानुसार कार्य पूर्ण करने की चेतावनी दी।  अपने जांच के दौरान दोषी पाये गये कर्मचारी को निलम्बन की कार्यवाही भी की। निलम्बन में बीएलओ लालचन्द यादव नलकूप द्वारा घर घर जाकर सत्यापन का कार्य नहीं किया मतदाताओं ंके सापेक्ष मात्र 4 मतदाताओं के 1बी प्राप्त किये गये हंै। जिस पर जिलाधिकारी महोदया ने कादीपुर को निर्देश दिया कि उक्त नलकूप चालक यादव को निलम्बन का आदेश कर सम्पूर्ण कार्य लेखपालों की टीम लगाकर सुनिश्चित करें। बूथ आफिसर विकलांग महिला शैल  कुमारी का कार्य सन्तोष जनक नही हैंैै, जिस पर कार्यवाही करते हुए विजय तिवारी को नये बूथ लेबिल अधिकारी नियूक्ति किया। उपजिलाधिकारी कादीपुर द्वारा निर्देशित किया गया कि पुनः निरीक्षण में काई नाम अपमार्जित नहीं हुआ जिस पर तहसील कादीपुर केा निर्देशित किया कि रजिस्टर तैयार करायें एंव समयान्तर्गत अवशेष मतदाताओं के फोटोग्राफ शत प्रतिशत एकत्र किये जाने की कार्यवाही सुनिश्चित करें।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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